शराब घोटाले में AAP क्यों नहीं है आरोपी, सुप्रीम कोर्ट ने किया साफ, ED से कोर्ट ने किये तीखे सवाल।
ED और CBI देश के अलग अलग राज्यों में ताबड़तोड़ कारवाही कर रही है, सांसद से लेकर पत्रकारों को अलग-अलग मामलों में उठाया जा रहा है, इस कारवाही का देश में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं, इस सब के बीच आप सांसद संजय सिंह की गिरफ्तारी पर भी खूब बबाल हो रहा है, सरकार पर इसको लेकर गंभीर आरोप लग रहे हैं और इसको बदले की कारवाही बताया जा रहा है. इस सब के बीच दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ED और CBI की कारवाही पर कई सवाल उठाए हैं.
कोर्ट के सवालों का कोई संतुष्ट जवाब जांच एजेंसियां नहीं दे पाई. इतना ही नहीं कोर्ट ने इस पूरी कारवाही पर ही सवाल उठा दिए. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ED को आड़े हाथों लिया, मामले की सुनवाई के दौरान बेंच ने जांच एजेंसी से तीखे सवाल पूछे और सीबीआई के इस केस को बेहद कमजोर बताया।
कोर्ट ने ED और CBI से पूछे सवाल-
दिल्ली शराब घोटाला मामले में ईडी द्वारा दर्ज केस में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में पांच घंटे से भी ज्यादा सुनवाई हुई। इस दौरान जहां ईडी ने मनीष सिसोदिया की जमानत का विरोध किया, वहीं जस्टिस खन्ना की बेंच ने ईडी से उसके द्वारा पेश तथ्यों के आधार पर यह पूछा, वो सबूत कहां है जो बताए कि सिसोदिया मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी हैं।अदालत ने ईडी से पूछा, प्रूफ कहां हैं? प्रमाण कहां हैं? आपको पूरी घटनी की श्रृंखला पेश करनी होगी? अपराध हुआ तो उसकी कमाई कहां है? सुप्रीम कोर्ट ने ED से पूछा कि अगर मनी ट्रेल में मनीष सिसोदिया की भूमिका नहीं है, तो मनी लांड्रिंग में सिसोदिया को आरोपी बनाकर कैसे शामिल किया और क्यों?
सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रिमार्क दिया कि सिसोदिया इस मामले में संलग्न मालूम नहीं पड़ते। अदालत ने ईडी से ये भी पूछा कि वो कैसे मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी बनाए गए हैं? सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, ‘मनीष सिसोदिया इस केस में सम्मिलित नहीं दिखते। विजय नायर जरूर है लेकिन मनीष सिसोदिया नहीं। आपने कैसे उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपी बनाया। उन्हें तो पैसे मिल नही रहे। ‘यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से कई तरह से सवाल कर यह जानना चाहा कि जब कमाई सिसोदिया तक नहीं पहुंची तो उन्हें आरोपी कैसे बनाया है?
12 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई-
इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ED पर कई सवाल उठाए. कोर्ट ने ED के सरकारी गवाहों की गवाई पर भी सवाल उठाये जस्टिस संजीव खन्ना ने पूछा कि सरकारी गवाह के बयान पर कैसे भरोसा करेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने ED से कहा कि आपकी दलील तो एक अनुमान है, जबकि ये सब कुछ सबूतों पर आधारित होना चाहिए. वरना अदालत में होने पर यह केस दो मिनट में ही गिर जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने CBI-ED से पूछा कि सबूत कहां हैं? अप्रूवर के बयान के अलावा, क्या कोई अन्य सबूत है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शराब नीति में बदलाव हुआ है, व्यापार के लिए अच्छी नीतियों का हर कोई समर्थन करेगा. नीति में बदलाव गलत होने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि अगर नीति गलत भी है और उसमें पैसा शामिल नहीं है, तो यह अपराध नहीं है. पैसे वाला हिस्सा ही अपराध बनाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने जांच पर सवाल उठाते हुए ईडी से पूछा कि क्या आपके पास यह दिखाने के लिए कोई डाटा है कि पॉलिसी कॉपी की गई थी, और शेयर की गई थी? अगर प्रिंट आउट लिया गया था तो डाटा उसे दिखाएगा. इस आशय का कोई डाटा नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ अप्रूवर के बयानों के आधार पर कहा जा रहा है कि रिश्वत दी गई थी. आपके मामले के अनुसार मनीष सिसोदिया के पास कोई पैसा नहीं आया.
कोर्ट में ED की दलील-
ED की तरफ से दलील दी गयी कि सिसोदिया ने सीधे तौर पर पैसे का इस्तेमाल नहीं किया बल्कि इसे अप्रत्यक्ष रूप से संभाला क्योंकि पैसा उनकी पार्टी को जाता था। इसका इस्तेमाल चुनाव में किया जाता था। पीठ ने यह भी कहा कि शराब नीति में बदलाव की पैरवी करने वाले लोगों की केवल भागीदारी ही पर्याप्त नहीं थी। सीबीआई और ईडी को यह साबित करना था कि इसे अपराध बनाने के लिए इसमें रिश्वत शामिल थी। कोर्ट ने कई सवाल उठाते हुए कहा कि आरोपी का अपराध में सक्रिय रूप से शामिल होना जरूरी है। सीबीआई की चार्जशीट में है कि 100 करोड़ दिए गए। ED ने 33 करोड़ बताया है। शराब लॉबी से आरोपी तक पैसे किस तरह, किस रूट से पहुंचे, इस पूरी चेन को साबित करना जरूरी है। आपका केस आरोपी दिनेश अरोड़ा के बयानों के इर्द-गिर्द है। वह सरकारी गवाह बन गया। जांच एजेंसी सिर्फ सरकारी गवाह के बयान पर कैसे भरोसा कर सकती है? आपके पास दिनेश अरोड़ा के बयानों के अलावा शायद ही कुछ है।
कोर्ट का अहम सवाल-
ED और CBI के लिए पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने इस पर कहा कि सबूत होंगे तो किसी को बख्शा नहीं जाएगा. इस दौरान जजों ने कुछ सख्त सवाल भी किए. जस्टिस खन्ना ने पूछा कि पूरे मामले में पैसों के लेन-देन के क्या सबूत हैं?
जज ने कहा, “हो सकता है कि आबकारी नीति में बदलाव से कुछ लोगों को फायदा पहुंचा हो. यह भी संभव है कि उन्होंने नीति में बदलाव के लिए दबाव बनाया हो, लेकिन सिर्फ इससे भ्रष्टाचार साबित नहीं होता.”
ED का जवाब-
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा, “विजय नायर के व्हाट्सएप चैट समेत कई इलेक्ट्रॉनिक सबूत पैसों के आदान-प्रदान की तरफ इशारा करते हैं. जांच में कई और तथ्य मिले हैं, जो साफ तौर पर भ्रष्टाचार को दिखाते हैं. शराब के थोक व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए एक्साइज ड्यूटी को 5 से बढ़ा कर 12 फीसदी किया गया. फिर थोक व्यापार में कुछ लोगों को एकाधिकार दे दिया गया.”
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने आगे कहा, “इससे राजस्व को नुकसान हुआ. गलत तरीके से अर्जित मुनाफे का बड़ा हिस्सा इन व्यापारियों ने अलग-अलग जगहों तक पहुंचाया. पैसों के लेन-देन से जुड़ी सारी बातचीत सिग्नल नाम के ऐप के जरिए की गई, ताकि उसे गुप्त रखा जा सके.”
26 फरवरी को हुई थी सिसोदिया की गिरफ्तारी-
आपको बता दें कि दिल्ली सरकार में डिप्टी सीएम रहे सिसोदिया के पास आबकारी विभाग भी था और उन्हें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 26 फरवरी को घोटाले में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था और उस वक्त से वह अब तक हिरासत में हैं। ईडी ने तिहाड़ जेल में उनसे पूछताछ के बाद 9 मार्च को सीबीआई की प्राथमिकी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सिसोदिया ने 28 फरवरी को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।
हाई कोर्ट ने 30 मई को सीबीआई मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री होने के नाते, वह एक हाई-प्रोफाइल व्यक्ति हैं जो गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। तीन जुलाई को, उच्च न्यायालय ने शहर सरकार की आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े धन शोधन मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।