पहाड़ की ठण्ड से कांपते उत्तराखंड के ये 36 विधायक, जानिये क्यों नहीं हुआ गैरसैण में विधानसभा का शीतकालीन सत्र।

पहाड़ की ठण्ड से कांपते उत्तराखंड के ये 36 विधायक, जानिये क्यों नहीं हुआ गैरसैण में विधानसभा का शीतकालीन सत्र।

92 Views -

उत्तराखंड की राजनीति में गैरसैंण हमेशा एक बड़ा मुद्दा रहा है बावजूद इसके लिए धामी सरकार ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को लेकर काफी उदासीन दिखाई दे रही है ये बात ऐसे ही नहीं कही जा रही बल्कि इसके पीछे की बड़ी वजह भी है. जिन पहाड़ों की जनता वहां के विधायकों को जीताकर सदन भेजती है वही  विधायक चुनाव जीतने के बाद देहरादून छोड़कर पहाड़ नहीं चढ़ना चाहते। क्योंकि उनको वहां ठंड लगती है.

उत्तराखंड सरकार का बजट सत्र देहरादून में शुरू हो चुका है. बजट सत्र शुरू होने से पहले  इसके लिए सरकार ने विधायकों से राय मांगी थी कि बजट सत्र गैरसैंण में होना चाहिए या फिर देहरादून में इसी विषय को लेकर लगभग 36 विधायकों ने एक पत्र सरकार को सौंपा है विधायकों ने सत्र देहरादून में कराए जाने की बात कही. विधायकों का तर्क था कि गैरसैंण में काफी सर्दी है ऐसे में वहां सत्र करने में काफी मुश्किल होगी इसके बाद सरकार ने अपनी कैबिनेट में यह फैसला लिया कि सत्र इस बार देहरादून में होगा।

क्या कहा हरीश रावत ने- 

वहीं सत्र देहरादून में कराए जाने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत का कहना है कि ऐसे विधायकों को हिमालय राज्यों से चले जाना चाहिए जिन्हें यहां पर ठंड लगती है खास बात यह है कि चिट्ठी लिखने वाले विधायकों में छह विधायक कांग्रेस के भी शामिल है तो वहीं एक बसपा और दो निर्दलीय विधायक भी शामिल है, इन विधायकों के पत्र के आधार पर ही सत्र देहरादून में कराया जा रहा है वरना ये सत्र इस बार उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में होना था इसको लेकर पूर्व सीएम और कांग्रेस के नेता हरीश रावत ने साफ कहा है कि विधायकों की चिट्ठी  से क्या लेना देना सरकार को खुद फैसला करना चाहिए और सत्र गैरसैंण में करना चाहिए ये सरकार की विफलता है।

गांधी पार्क में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एक घंटे का सांकेतिक मौन व्रत रखा- 
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ गांधी पार्क में एक घंटे का सांकेतिक मौन व्रत रखा. मौन व्रत के समापन पर उपस्थित सभी कार्यकर्ताओं ने रघुपति राघव राजा राम भजन गाकर धामी सरकार की सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना की उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्य की अवधारणा के साथ बने राज्य की सरकार को गैरसैंण में ठंड लग रही है.
रावत ने कहा कि यह उत्तराखंड का दुर्भाग्य ही है की यहां के जनप्रतिनिधियों को कुछ ज्यादा ही ठंड लगती है उन्होंने बजट सत्र की अवधि को लेकर भी सवाल उठाए और कहा की प्रचंड बहुमत और डबल इंजन के 7 साल बाद भी प्रदेश सरकार यदि गैरसैंण में कर्मचारियों, पुलिस कर्मियों एवं पत्रकारों के लिए मूलभूत व्यवस्थाएं तक जुटा पाने में समर्थ नहीं रही तो दोष किसको दिया जाए. आम आदमी पार्टी के नेता ने भी अर्धनग्न होकर सरकार के इस फैसले के खिलाफ देहरादून विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया। और कहा कि पहाड़ियों को ठंड नहीं लगती मगर उत्तराखंड के विधायकों ने गैरसैण को लगभग पूरी तरह से गैर बना दिया है।
गैरसैंण में विधानसभा भवन बनाने के लिए करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाया गया है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर वहां सब कुछ जीरो है यही कारण है कि सत्र के अलावा कोई विधायक या मंत्री गैरसैंण की तरफ जाने को भी तैयार नहीं होता है गैरसैंण को लेकर वैसे तो सत्ताधारी दल कई दावे करता रहता है, लेकिन सत्र कराने तक में परहेज करने वाली सरकार से इसको लेकर बहुत उम्मीद करना बेमानी है ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित होने के बावजूद गैरसैंण से भराड़ीसैंण तक सिर्फ ठंड के सिवाय कोई सरगर्मी नहीं है सैकड़ों करोड़ के भव्य विधानमंडल भवन और आलीशान आवासीय परिसरों के निर्माण से आगे वहां सब कुछ ठहर सा गया है। 12 महीनों में सिर्फ चंद दिनों के लिए गर्मियों की यह राजधानी तभी गुलजार दिखती है जब सरकार यहां सत्र कराने पहुंचती है। सरकार के जाते ही फिर लंबा सन्नाटा पसर जाता है,,ऐसा लगता है मानो उत्तराखंड के माननीय विधायक यहां सिर्फ गर्मियों की छुटियाँ बिताने जाते हैं।
भराड़ीसैंण में विधानसभा सत्र का आयोजन होते कई वर्ष हो चुके हैं, लेकिन सरकारें वहां कभी व्यवस्थाएं नहीं बना पाईं। इन्हीं बदइंतजामी के बहाने अब विधायकों से लेकर अफसर तक वहां जाने से परहेज कर रहे हैं सिर्फ चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियां गैरसैंण को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती रही हैं 2020 में त्रिवेंद्र सरकार ने गैरसैंण को प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया. राजधानी बने हुए तीन वर्ष का वक्त हो गया लेकिन इन तीन सालों में गैरसैंण में विकास के नाम पर कितने बदलाव हुए यह सवाल आज भी बना है, लेकिन जब हमारे माननीयों को ही गैरसैण में ठंड लग रही हो तो इसके विकास की उम्मीद भी करना बेमानी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


*