SC: 7 फीसदी से भी कम अदालतों में महिलाओं के अनुकूल शौचालय, सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट में खुलासा.
35 % परिसर कक्षों से जुड़े नहीं शौचालय-
रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 35 फीसदी परिसरों में शौचालय न्यायिक अधिकारियों के कक्षों से जुड़े नहीं होने के कारण पुरुष और महिला दोनों न्यायाधीशों को साझा शौचालय का उपयोग करना पड़ता है।
सुविधाओं के अभाव की दी जानकारी-
12 उच्च न्यायालयों ने जिला अदालत परिसरों में न्यायाधीशों, कर्मचारियों, वकीलों और वादियों के लिए शौचालयों की महत्वपूर्ण कमी को लेकर अवगत कराया है। जिला अदालतों में न केवल शौचालयों का अभाव है, बल्कि ऐसे शौचालय भी हैं जो महज नाम के लिए हैं। इनमें से कुछ काम नहीं कर रहे, जबकि कुछ के दरवाजे टूटे हुए हैं।
62.8% में प्यूरीफायर-
सभी जिला अदालत परिसरों में पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन केवल 62.8 फीसदी में पानी को शुद्ध करने के लिए प्यूरीफायर मौजूद हैं। शेष अदालत परिसरों में सीधे नल से पानी सप्लाई किया जा रहा है।
सीजेआई जता चुके हैं चिंता-
एक कार्यक्रम में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने मौजूदा स्थिति को स्वीकार करते हुए कहा था कि मुझे बताया गया है कि महिला जिला न्यायाधीशों के पास शौचालय सुविधाओं का अभाव है। वे सुबह आठ बजे घर से निकलती हैं और शाम छह बजे घर लौटने पर ही इसका उपयोग कर पाती हैं।