MP Election Results: मामा का लाड़ली बहनों को दुलार और इमोशनल कार्ड, कुछ इस तरह शिवराज चौहान ने पलटी बाजी.
मध्यप्रदेश की सत्ता पर एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी काबिज होते दिखाई दे रही है। प्रदेश से शिवराज सिंह चौहान का विदाई का रास्ता देख रहे विरोधियों को भी करारा जवाब मिला है। चौहान एक बार फिर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर रहे हैं। चुनाव में भले ही केंद्रीय नेतृत्व ने शिवराज को चेहरा न बनाया हो, बावजूद इसके शिवराज ही केंद्र में नजर आए। 230 विधानसभा सीटों में से 160 सीटों पर उन्होंने ताबड़तोड़ रैलियां और सभाएं कीं। शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली बहन योजना चुनाव में गेम चेंजर साबित हुई। इस बंपर जीत के पीछे महिला वोटरों की भूमिका बेहद अहम मानी जा रही है। आइये जानते है किस तरह से शिवराज ने सत्ता विरोधी लहर को दूर किया और एमपी का मैदान अपने नाम कर लिया।
इस चुनाव में भाजपा ने मध्यप्रदेश में शिवराज को बतौर सीएम उम्मीदवार नहीं उतारा। चुनाव प्रचार के दौरान इस बात के कयास लगाये जा रहे हैं कि अगर एमपी में भाजपा जीतती भी है, तो शिवराज सीएम नहीं बनेंगे। इससे ये संदेश गया कि शिवराज की स्थिति कमजोर है। लेकिन इस मुद्दे पर शिवराज इमोशनल कार्ड खेल गए। शिवराज ने प्रचार के दौरान साफ साफ मतदाताओं-महिलाओं से पूछा कि क्या आप नहीं चाहते हैं कि आपका मामा, आपका भाई मुख्यमंत्री बने? शिवराज के इस सवाल पर वोटर्स ने भारी शोर के साथ उनके पक्ष में जवाब दिया। अब तो आंकड़े ये भी बता रहे हैं कि न सिर्फ मतदाताओं ने जवाब दिया, बल्कि शिवराज को भारी वोट भी दिया।
मध्यप्रदेश में 18 साल तक मुख्यमंत्री रहने वाले शिवराज वोटर के सामने खुद भी ब्रांड बन गए। इस दौरान उन्होंने एमपी को बीमारू राज्यों की कैटेगरी से बाहर निकला है। कई शहरों का कायाकल्प किया। लोगों ने काम करने के इस तरीके को पसंद किया, उन्हें ब्रांड शिवराज पर भरोसा नजर आया, इसलिए लोगों ने शिवराज को वोट दिया। यहां भाजपा का डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर का सिद्धांत शिवराज के काम आया। जब योजनाओं का फायदा सीधे जनता के हाथ में पहुंचता है, तो सरकार और सिस्टम पर उनका यकीन बढ़ जाता है। यही वजह रही कि जनता उन्हें बार – बार वोट दे रही है।