फिर मुश्किल में मोदी सरकार, पुरानी पेंशन बहाली को लेकर सड़कों पर उतरेंगे देश के करोड़ों कर्मचारी…

फिर मुश्किल में मोदी सरकार, पुरानी पेंशन बहाली को लेकर सड़कों पर उतरेंगे देश के करोड़ों कर्मचारी…

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पेंशन से हो सकती है मोदी सरकार में टेंशन-

महंगाई और बेरोजगारी को दूर करने में नाकाम रही नरेंद्र मोदी सरकार अब नई मुसीबत में है. देश सबसे बड़ी हड़ताल की मुहाने पर खड़ा है, रेलगाड़ी, सरकारी दफ्तर, सरकारी बस, सरकारी बैंक, पोस्ट आफिस, मंडियां, कॉलेज, स्कूल, यूनिवर्सिटी सब पर ताला लग सकता है. क्योंकि जिस पुरानी पेंशन योजना ने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर दिया उसकी आवाज अब पूरे भारत से बुलंद होने वाली है, सरकारी कर्मचारियों के संगठन ने भाजपा की ईंट सीट बजाने का ऐलान कर दिया है.. चेतावनी जारी हुई है की अभी भी मोदी के पास समय है या तो वे पुरानी पेंशन योजना लागू कर दें. और नहीं तो अब हम अनिश्चितकाल के लिए धरने पर बैठने को मजबूर होंगे

 
2024 चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकता है ये- 
 

कर्मचारियों ने सरकार को खुली चेतावनी दे डाली है. कि अगर सरकार ने पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं की तो 2024 में भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा, यानी की अब ये मुद्दा पूरे देश में तूल पकड़ चुका है,,, क्योकि कर्मचारियों को लगता है कि सरकार इस मामले में अड़ियल रवैया अपना रही है. आप जानते ही हैं की कांग्रेस शासित प्रदेशों में OPS यानी  Old Pension Scheme लागू होने के बाद से बीजेपी शासित राज्यों की मुसीबत बढ़ गयी है, इसलिए राजनीति के जानकारों का तो यहां तक दावा है की 2024 लोकसभा चुनावों में ये मुद्दा बड़ा चुनावी मुद्दा जरुर बन सकता है

 
हो सकती है जल्द ही बड़ी हड़ताल-
 

ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योकि OPS के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ ऐक्शन की संचालन समिति की वरिष्ट सदस्य और AIDEF के महासचिव सी.श्री कुमार ने बताया की सरकार इस मामले पर अडियल रवैया अपना रही है, इसलिए पुरानी पेंशन के लिए कर्मचारी संगठन राष्ट्रीय व्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल कर सकती है

 
देश में स्ट्राइक-
 

इस मामले पर विचार करने के लिए 20 और 21 नवंबर को देशभर में स्ट्राइक बैलेट होगा. इसमें कर्मचारियों की राय ली जाएगी. अगर बहुमत हड़ताल के पक्ष में होता है तो केंद्र और राज्यों में सरकारी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. साथ ही उन्होंने चेतावनी भी दी की अगर ऐसा हुआ तो पूरे देश में रेल के पहिए थम जाएंगे. वही केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी कलम छोड़ देंगे ‘मतलब पूरा देश ठप’

 
 सी.श्री कुमार ने दावा किया की पुरानी पेंशन बहाली के लिए केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी एक साथ आ गए हैं. लगभग देश के सभी कर्मचारी संगठन इस मुद्दे पर एक साथ है.
 

 

केंद्र और राज्यों के विभिन्न निगमों और स्वायत्तता प्राप्त संगठनों ने भी OPS की लड़ाई में शामिल होने की बात कही है. बैंक और इंश्योरेंस कर्मियों से भी बातचीत चल रही है. कर्मचारियों ने हर तरीके से सरकार के सामने पूरानी पेन्शन बहारी की मांग की है. लेकिन उनकी बात सुनी नहीं गई अब उनके पास अनिश्चितकालीन हड़ताल ही एक मात्र रास्ता बचा है. आपको बता दें की 10 अगस्त को दिल्ली के रामलीला मैदान में पूरे देशभर से लाखों सरकारी कर्मचारी आए थे और सबने मिलकर OPS को लेकर हुंकार भरी थी

उठाए जा सकते हैं ये कदम-

 

कर्मचारियों ने दो टूक शब्दों में कहा था की वो किसी भी तरह से पुरानी पेंशन बहाल करा कर दी दम लेंगे सरकार को अपनी जिद्द छोड़नी ही पड़ेगी, कर्मचारियों ने कहा था की वो सरकार को वो फॉर्मूला बताने को तैयार हैं, जिसमें सरकार को OPS लागू करने में कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन अगर इसके बाद भी सरकार पुरानी पेंशन लागू नहीं करती है तो भारत बंद जैसे कई कठोर कदम उठाए जाएंगे

OPS पर सभी विभाग एक साथ-
 
रक्षा कर्मी
सिविल कर्मचारी 
रेलवे 
बैंक 
प्राइमरी स्कूल 
कॉलेज 
यूनिवर्सिटी 
डॉक 
सेकेंडरी स्कूल 
हाई स्कूल 
 
BJP के लिए खड़ी हो सकती है बड़ी परेशानी-
 

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से भी मुलाकात की कोशिश की थी लेकिन वो इसमे कामयाब नहीं हो सके. संचालन समिति के राष्ट्रीय संयोजक ने चुनौती भरे लहजे में कहा था की अगर 2024 लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन अगर लागू नहीं होती है तो भाजपा को इसकी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहना चाहिए, उन्होंने बताया की कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर ये संख्या 10 करोड़ के पार चली जाती है. चुनावों में बड़ा उलटफेर करने के लिए ये संख्या निर्णायक है. केंद्र के सभी मंत्रालय विभाग, OPS पर एक साथ आ चुके हैं

 
NPS मंजूर नहीं- 
  

सी.श्री कुमार के मुताबिक मोदी सरकार पेंशन पर होशियारी कर रही है. वित्त मंत्रालय ने जो कमेटी बनाई है उसमें OPS का ही जिक्र नहीं है. उसमे तो NPS यानी National Pension System में सुधार की बात की गयी है, इसका मतलब है की केंद्र सरकार OPS को लागू करने के मूड में ही नहीं है. और केंद्र सरकार NPS में चाहे जो भी सुधार कर ले कर्मचारियों को ये मंजूर नहीं है, कर्मियों का केवल एक ही मकसद है बिना गारंटी वाला NPS योजना को खत्म किए जाए और परिभाषित एवं गारंटी वाली पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए

NPS में कोई राहत नहीं-
 

AIDEF यानी ऑल इंडिया डिफेंस एम्पलाइज फेडरेशन के महासचिव ने ये भी कहा की NPS में पुरानी पेंशन व्यवस्था की तरह महंगाई राहत का भी कोई प्रावधान नहीं है जो कर्मचारी पुरानी पेंशन व्यवस्था के दायरे में आते हैं उन्हे महंगाई राहत के तौर पर आर्थिक फायदा मिलता है. NPS में सामाजिक सुरक्षा की गारंटी भी नहीं रही, रिटायरमेंट के बाद सरकारी कर्मचारियों को जानबूझकर मुश्किल में धकेला जा रहा है. और हम इसे स्वीकार करने को बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं

 
कांग्रेस OPS को अपनी राज्यों की सरकार में कर रही है लागू-
 

इसका मतलब साफ है कि सरकारी कर्मचारियों में अब सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है. इसका सीधा असर आने वाले चुनावों चाहे वो विधानसभा चुनाव हो या फिर अगले साल होने वाले आम चुनाव दोनो पर पड़ेगा.. एक तरफ कांग्रेस इस मामले में लीड ले चुकी है, तो बीजेपी बैकफुट पर है. कांग्रेस हर उस राज्य में OPS को लागू कर रही है या लागू करने की घोषणा कर चुकी है जहां-जहां उनकी सरकारे हैं. वहीं बीजेपी अभी तक यही फैला रही है की OPS की तरफ लौटना मतलब देश बर्बाद करना, इज्जत पर अड़े रहना बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकता है. क्योकि हिमाचल और कर्नाटक को कहीं ना कहीं इसी मुद्दे की वजह से नुकसान उठाना पड़ा था. अब दोनो राज्यों में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में इस मुद्दे को शामिल किया और सरकार बनने पर पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का वादा किया

 
इन राज्यों में भी भारी पड़ रहा है ये मुद्दा- 
 

इसके साथ ही ये मुद्दा उत्तर प्रदेश, हरिय़ाणा, महाराष्ट्र जैसे बीजेपी शासित राज्यों में भी तेजी से तूल पकड़ने लगा. और अब तो कर्मचारियों ने साफ चेतावनी दे दी है की अगर उनकी मांगे नहीं मानी गय़ी तो वो अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ जाएंगे, ये चेतावनी मोदी सरकार को भारी पड़ सकती है. क्योकि अगर 1 लाख लोगों ने भी दिल्ली में धरना शुरु कर दिया तो एक नया दूसरा अन्ना आंदोलन खड़ा हो सकता है. और फिर OPS ऐसा मुद्दा है जो हर गांव, हर शहर, और हर राज्य में बड़ा आंदोलन खड़ा कर सकता है

 

ऐसे में अब देखना होगा की सरकारी कर्मचारियों की इस चेतावनी पर सरकार ध्यान देती है या नहीं. कर्मचारी सरकार को चेतावनी देने के बाद बेसब्री से उनके जवाब का इंतजार कर रही है. लेकिन अभी जितना ये मामला टलेगा 2024 चुनाव में ये उतना ही बड़ा मुद्दा बनेगा और बीजेपी इसे टालने की हर मुम्किन कोशिश करेगी

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