All Weather Sela Tunnel: इंतजार हुआ खत्म; सेला टनल बनकर लगभग तैयार, देश को नए साल में मिलेगा तोहफा.

All Weather Sela Tunnel: इंतजार हुआ खत्म; सेला टनल बनकर लगभग तैयार, देश को नए साल में मिलेगा तोहफा.

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नए वर्ष में देशवासी एक बार फिर से ऐतिहासिक क्षण के गवाह बनने जा रहे हैं। बहुप्रतीक्षित और दुनिया की सबसे ऊंचाई पर बन रही सबसे लंबी सुरंग (13000 फीट) का काम लगभग पूरा हो गया है। डबल लेन वाली यह ऑल वेदर टनल अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामिंग और तवांग जिले को जोड़ेगा। एलएसी तक पहुंचने वाला यह एकमात्र रास्ता है। माइनस 20 डिग्री के तापमान में रात-दिन इसका काम जारी है। बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) की देखरेख में बन रही यह सुरंग पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का उदाहरण है। यह सुरक्षा टनल सुरक्षा के अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखकर बनी है। इसके बनने से जहां प्रदेश के लोगों की राह आसान होगी वहीं भारतीय सेना की तवांग सेक्टर में ताकत बढ़ेगी और वह तीव्र गति से अग्रिम मोर्चे तक पहुंच सकेगी। माना जा रहा नए वर्ष में इसे अगले महीने प्रधानमंत्री देशवासियों को समर्पित कर सकते हैं।

इस टनल की जरूरत क्यों?

सेला दर्रे पर वर्तमान में, भारतीय सेना के जवान और क्षेत्र के लोग तवांग पहुंचने के लिए बालीपारा-चारीदुआर रोड का उपयोग कर रहे हैं। सर्दी के मौसम में अत्यधिक बर्फबारी के कारण सेला दर्रे में भयंकर बर्फ जम जाती है। इससे रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाता है। साथ ही, दर्रे पर 30 मोड़ आते हैं, जो बहुत ही घुमावदार हैं। इस कारण यहां आवाजाही पर पूर्ण रूप से  बाधित हो जाती है। सफर के लिए कई-कई घंटों तक का इतंजार करना पड़ता है। इस दौरान पूरा तवांग सेक्टर देश के बाकी हिस्सों से कट जाता है। सेला दर्रा सुरंग मौजूदा सड़क को बायपास करेगी और यह बैसाखी को नूरानंग से जोड़ेगी। इसके साथ ही सेला सुरंग सेला-चारबेला रिज से कटती है, जो तवांग जिले को पश्चिम कामेंग जिले से अलग करती है

कुल टनल प्रोजेक्ट की लंबाई है 11.84 किलोमीटर-

टनल प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 11.84 किलोमीटर है। इसमें टनल और सड़कें शामिल हैं। पश्चिम कमिंग जिले (बैसाखी) की तरफ 7.2 किलोमीटर चलने के बाद हम टनल-1 में प्रवेश करते हैं। इसकी लंबाई करीब 1 किलोमीटर है। इसके बाद एक सड़क आती है, जिसकी लंबाई 1.2 किलोमटर है। इसके बाद आती है टनल-2 की जिसकी लंबाई 1.591 किलोमीटर है। टनल से निकलने के बाद तीसरी सड़क है, जो नूरानंग की तरफ निकलती है, इसकी लंबाई है 770 मीटर की है।

आपातकाल में सुरक्षा की पूरी है तैयारी-

टनल के अंदर भी सुरक्षा की पूरी व्यवस्था है। अगर कोई घटना घट जाती है तो सुरंग के अंदर से लोगों को बाहर निकालने की व्यवस्था है। टनल के अंदर रेस्क्यू के लिए बीच में गेट बनाए गए हैं। अगर टनल के एक हिस्से में कुछ हो जाता है तो बीच में बनाए गए आपात रास्ते से लोगों को आसानी से निकालने की व्यवस्था की गई है।

98 प्रतिशत काम पूरा, जनवरी में पीएम कर सकते हैं उद्घाटन-

इस टनल का शिलान्यास 1 अप्रैल, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। तब माना जा रहा था कि इसे अगले तीन वर्षों में पूरा कर लिया जाएगा। लेकिन कोविड के चलते यह प्रोजेक्ट विलंब हो गया। माइनस 20 डिग्री की हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में भी दिन-रात काम जारी है। अब तक करीब 98 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। केवल दो प्रतिशत काम बाकी है। माना जा रहा है कि दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक इसका काम पूरा कर लिया जाएगा। इस हिसाब से माना जा रहा है कि 2024 की शुरुआत में ही जनवरी, 2024 में प्रधानमंत्री इसे देश को समर्पित कर सकते हैं। इस टलन के बनने से जहां समय की बचत होगी वहीं अब यात्रा भी सुगम हो जाएगी। टनल के बनने से करीब छह किलोमीटर की कमी आएगी। इसके साथ ही करीब डेढ़ घंटे का समय भी बचेगा।

इसलिए खास है प्रोजेक्ट
  • सेला टनल 13,500 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर दो लेन में बनी दुनिया की सबसे बडी सुरंगहोगी
  • अरुणाचल प्रदेश के तवांग और वेस्ट कामेंग जिलों को जोड़ेगा टनल 1 और टनल 2
  • टनल की कुल लंबाई है 11.84 किलोमीटर है
  • 1591 मीटर का ट्विन ट्यूब चैनल हो रहा है तैयार। दूसरी सुरंग 993 मीटर लंबी है।
  • टनल 2 में ट्रैफिक के लिए एक बाई-लेन ट्यूब और एक एस्केप ट्यूब बनाया गया है। मुख्य सुरंग के साथ ही इतनी ही लंबाई की एक और सुरंग बनाई गई है, जो किसी आपातकालीन समय में काम आएगी।
  • पूरी तरह स्वदेशी और अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके बनाए गए हैं टनल। टनल पर बर्फबारी का कोई असर नहीं होगा।
  • प्रॉजेक्ट के तहत दो सड़कें (7 किलोमीटर और 1.3 किलोमीटर) भी बनाई गई हैं।
  • टनल के उद्घाटन के साथ ही छह किलोमीटर की दूरी होगी कम
  • डेढ़ घंटे के समय की होगी बचत

रणनीतिक महत्व
  • सेला दर्रा (पास) 317 किलोमीटर लंबी बालीपारा-चाहरद्वार-तवांग सड़क पर है।
  • यह अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग को तवांग को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला एकमात्र सड़क है।
  • तवांग सेक्टर में एलएसी तक पहुंचने का एक मात्र रास्ता।
  • हर मौसम में रहेगा खुला। भारतीय सेना और आमजन को होगी सहूलियत
  • सेना तीव्र गति से पहुंचेगी अग्रिम चौकियों तक, चीन को दे सकेंगं माकूल जवाब

 

 

कब हुई सेला टनल की शुरुआत और क्या है लागत?
  • एक अप्रैल, 2019 को प्रधानमंत्री ने रखी थी नींव।
  • तीन वर्ष में करना था पूरा लेकिन कोविड के कारण हुआ विलंब
  • कुल अनुमानित लागत 647 करोड़ रुपए
  • चौबीसों घंटे जारी रहा काम, माइनस 20 डिग्री के तापमान पर भी काम जारी रहा

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