AIADMK की एक मांग को अनसुनी करना भाजपा को पड़ा भारी, जानिए- वो वजह जिससे टूटा 4 साल पुराना गठबंधन

AIADMK की एक मांग को अनसुनी करना भाजपा को पड़ा भारी, जानिए- वो वजह जिससे टूटा 4 साल पुराना गठबंधन

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2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी को एक बड़ा झटका लगा. दक्षिण भारत के राज्यों में बीजेपी अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है और उसके इरादों पर तब पानी फिर गया जब एआईएडीएमके ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से बाहर होने की घोषणा कर दी.

एनडीए से अलग होने का फैसला चेन्नई में एआईएडीएमके मुख्यालय में पार्टी प्रमुख एडप्पादी के पलानीस्वामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया. पिछले साल नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जेडीयू के एनडीए से अलग होने के बाद ये गठबंधन के लिए सबसे बड़ा झटका है. देश के दक्षिणी राज्य कर्नाटक में हार के बाद बीजेपी तमिलनाडु से बहुत उम्मीदें लगाकर बैठी है ऐसे में एआईएडीएमके के अलग होने से देश की सबसे बड़ी पार्टी को झटका तो जरूर लगा है.

 

गठबंधन टूटने का समय-

एआईएडीएमके के एनडीए से अलग होने की टाइमिंग भी ऐसी रही है जब बीजेपी तमिलनाडु में सनातन धर्म पर डीएमके नेता उदयनिधि के बयान को भुनाने में लगी हुई है. बीजेपी हाल ही में बने विपक्षी गठबंधन इंडिया पर हमला करने के लिए एक बड़ी रणनीति के तहत इसका उपयोग कर रही है. गठबंधन टूटने के बाद द्रविड़ राजनीति के बारे में भगवा पार्टी की समझ पर भी सवाल उठने लगे हैं. एआईएडीएमके का एनडीए से अलग होना तमिलनाडु में गेम चेंजर साबित हो सकता है.

अब जश्न का ये वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे बीजेपी की काफी फजीहत हो रही है,,  राजस्थान, मध्य प्रदेश और छतीशगढ के साथ ही तमलनाडु में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में बीजेपी को उम्मीद थी कि AIDMK के साथ चुनाव लड़ेगी लेकिन उन्होंने बीजेपी को जोरदार झटका दे दिया,, AIADMK ने सोमवार को एक औपचारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी NDA से बाहर निकलने की  घोषणा की और कहा कि वह  वह 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए एक अलग मोर्चे का नेतृत्व करेगी. गठबंधन तोड़ने का एलान करते हुए पार्टी ने कहा कि 2024 लोकसभा चुनावों में वो अपनी जैसी सोच वाली पार्टियों के साथ गठबंधन करेगी.

 

समस्या कहां पर है?

बीते कुछ समय से दोनों पार्टियों के बीच तनाव चल रहा था. ये कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब कुछ दिनों पहले एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेताओं ने नई दिल्ली में बीजेपी चीफ जेपी नड्डा से मुलाकात कर उन्हें तमिलनाडु में बीजेपी प्रमुख अन्नामलाई की राजनीति की आक्रामक शैली से उत्पन्न राज्य की जमीनी स्थिति के बारे में बताया. नेताओं ने मांग की थी कि या तो अन्नामलाई द्रविड़ियन दिग्गज सीएन अन्नादुरई पर की गई टिप्पणी के लिए माफी मांगें या फिर बीजेपी अध्यक्ष बदला जाए लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

दरअसल दोनों दलों के बीच विवाद की जड़ में अन्नामलाई का अन्नादुरई को लेकर दिया बयान बताया जा रहा है. अन्नामलाई ने कहा था- साल 1956 में अन्नादुरई ने हिंदू धर्म का अपमान किया था और फिर बाद में जब विरोध हुआ तो उन्हें माफ़ी मांगनी पड़ी और मदुरै से भागना पड़ा था

 

 

ADIMK  नेतृत्व राज्य में बीजेपी नेताओं की ओर से की जा रही टिप्पणियों से नाराज़ था. इसमें बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई की टिप्पणी भी शामिल है. इन नेताओं को रोकने को लेकर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से कोशिश नहीं दिखी. इससे AIDMK में नाराज़गी थी. ये गठबंधन तोड़ने का एलान ऐसे वक़्त में हुआ था, जब राज्य में पार्टी की पकड़ ढीली होती जा रही है.

 

जब AIADMK ने की NDA से अलग होने की घोषणा-

इसके बाद सोमवार को एआईएडीएमके ने एनडीए से अलग होने की घोषणा कर दी. हालांकि इस खटास के संबंध में किसी का नाम नहीं लिया गया और पूरा दोष बीजेपी राज्य नेतृत्व पर मढ़ दिया गया. अन्नाद्रमुक ने कहा कि बीजेपी के राज्य नेतृत्व ने जानबूझकर अन्नादुराई और पार्टी की दिवंगत मुखिया जे जयललिता और निवर्तमान प्रमुख पलानीस्वामी को बदनाम किया.

प्रस्ताव में कहा गया है कि एआईएडीएमके को निशाना बनाकर इस तरह की निंदनीय, अनियंत्रित आलोचना पिछले लगभग एक साल से चल रही है और इससे कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में गहरी नाराजगी है. प्रवक्ता शशिरेखा ने सोमवार को कहा, “यह (हमारे लिए) सबसे खुशी का क्षण है. हम आगामी चुनावों (अपने दम पर) का सामना करके बहुत खुश हैं, चाहे वह संसदीय हो या विधानसभा.”

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