Category Archive : मौसम

Cyclone Michaung: तमिलनाडु में मिचौंग चक्रवात से भारी बारिश, घरों में घुसा पानी, सड़कों पर चल रही नाव. 

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Cyclone Michaung: बंगाल की खाड़ी से पैदा हुए चक्रवात मिचौंग (मिगजॉम) के गंभीर चक्रवाती तूफान बनने के बाद आज इसके आंध्र प्रदेश के तट से टकराने का अनुमान है। मौसम विभाग के मुताबिक, मिचौंग आज दोपहर के बाद कभी भी आंध्र प्रदेश के बापटला से टकरा सकता है। इस चक्रवात का असर पहले ही दक्षिण और उत्तर भारत के कई राज्यों में दिखाई दिया है। खासकर तमिलनाडु और पुडुचेरी चक्रवात की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। यहां भारी बारिश के बाद अलग-अलग कारणों से आठ लोगों की मौत हुई है, वहीं काफी संपत्ति का भी नुकसान हुआ है।

आंध्र प्रदेश के तिरुपति में भरे बांध-

आंध्र प्रदेश में चक्रवात मिचौंग के चलते भारी बारिश का दौर जारी है। तिरुपति में स्थित पांचों बांध बारिश के बाद पूरी क्षमता तक भर गए, जिसके चलते उनके गेटों को खोल दिया गया।

जाने तमिलनाडु में कहां-कितनी हुई बारिश-

तमिलनाडु में आज सुबह 08.30 बजे तक अलग-अलग स्थानों पर अत्यधिक भारी बारिश और भारी बारिश हुई। मौसम विभाग ने इससे जुड़े आंकड़े जारी किए हैं।

110 किमी प्रतिघंटे तक पहुंच जाएगी हवाओं की गति-

आईएमडी के बुलेटिन में कहा गया है कि पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी के साथ-साथ दक्षिण आंध्र प्रदेश तट पर भीषण चक्रवाती तूफान पिछले छह घंटों के दौरान 12 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से उत्तर की दिशा में बढ़ता गया और मंगलवार को सुबह साढ़े आठ बजे यह कवाली से लगभग 40 किलोमीटर उत्तर पूर्व में 80 किलोमीटर, नेल्लोर के उत्तर-उत्तरपूर्व, बापटला से 80 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिणपश्चिम और मछलीपट्टनम से 140 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिणपश्चिम में केंद्रित था।

बुलेटिन में कहा गया है कि मौसम प्रणाली के लगभग उत्तर की ओर समानांतर और दक्षिण आंध्र प्रदेश तट के करीब बढ़ने की संभावना है और अगले चार घंटों के दौरान एक गंभीर चक्रवात के रूप में यह बापटला के करीब से होकर आगे जाएगा। इसकी गति 90-100 किलोमीटर प्रति घंटे से बढ़कर 110 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच जाएगी।’’

तमिलनाडु में घरों में घुसा पानी-

तमिलनाडु के चेन्नई में भारी बारिश से बाढ़ जैसी स्थिति है। आलम यह है कि मंगलवार को कम बारिश के बावजूद कई इलाकों में पानी लोगों के घरों में घुस गया। इससे जुड़े कई वीडियो भी सामने आए हैं।

तमिलनाडु में सड़कों पर चल रही नाव-

तमिलनाडु: चेन्नई के वेस्ट तंबरम सीटीओ कॉलोनी और सशिवराधन नगर इलाके में लोग आवाजाही के लिए नाव का इस्तेमाल कर रहे हैं। चक्रवात मिचौंग के कारण बारिश के बाद शहर में बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है। तमिलनाडु के चेन्नई में चक्रवात मिचौंग के असर से भीषण बारिश के बाद मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण किया। उन्होंने प्रभावित लोगों को खाना भी बांटा।

ओडिशा में कल बंद रहेंगे शिक्षण संस्थान-

ओडिशा में चक्रवाती तूफान मिचौंग के असर को देखते हुए गजपति जिले के कलेक्टर ने भारी वर्षा के मद्देनजर सभी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, हाई स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्रों को 6 दिसंबर 2023 को बंद रखने का निर्देश जारी किया है।’मिचौंग’ चक्रवात के प्रभाव से चेन्नई में बारिश के कारण कई जगहों पर जलभराव हुआ। वहीं, आंध्र प्रदेश बापटला में मध्यम बारिश हो रही और तेज़ हवाएं चल रही हैं।

उत्तरी तटीय तमिलनाडु और पुडुचेरी में मंगलवार सुबह ज्यादातर इलाकों पर हल्की से मध्यम बारिश और कुछ स्थानों पर भारी बारिश होने के बाद वर्षा में कमी आने की संभावना है। मौसम विभाग (आईएमडी) ने यह जानकारी दी है। चक्रवात ‘मिगजॉम’ के कारण चेन्नई और आसपास के जिलों में सोमवार को बाढ़ ने तबाही मचा दी जिससे जनजीवन बाधित हो गया। इसके बाद बारिश की तीव्रता में कमी का पूर्वानुमान एक राहत का समाचार है। चेन्नई के कुछ हिस्सों के निवासियों ने मंगलवार तड़के से बारिश नहीं होने की सूचना दी और बताया कि उनके क्षेत्रों में बिजली सेवाएं बहाल कर दी गई हैं, लेकिन शहर में रेल सेवा निलंबित है।

उत्तराखंड के कई जिलों में झमाझम बारिश और बर्फबारी, जानिए कैसा रहेगा अगले 2 दिनों तक मौसम का हाल.

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उत्तराखंड में मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है। राजधानी देहरादून समेत प्रदेशभर के कई जिलों में भारी बारिश के साथ ही तेज गर्जना हो रही है। बारिश के बीच अचानक राजधानी देहरादून में अंधेरा छा गया। वाहनों को दिन में हेडलाइट जलानी पड़ी। तो वहीं सभी जगह सड़कों पर स्ट्रीट लाइटें जलाई गयी.

उत्तराखंड में बदला मौसम का मिजाज-

सोमवार उत्तराखंड में भारी बारिश के साथ ही तेज हवाएं चलने से मौसम ठंडा हो गया है। बदले मौसम के मिजाज के चलते ठंड बढ़ने से लैंसडाउन चौक के पास लोगों ने अलाव का सहारा लिया। वहीं धुंध के कारण अंधेरा होने से वाहनों को दिन में हेडलाइट जलानी पड़ी। बारिश होने से तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है। सुबह स्कूली बच्चों और नौकरीपेशा लोगों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। राजधानी देहरादून सहित प्रदेश के कई जिलों में झमाझम बारिश का सिलसिला जारी है। हरिद्वार में तेज तूफान से धूल मिट्टी, कूड़ा तेज शहर के रोड और गलियों में पसर गया।

तेज आंधी के चलते कई जगह पेड़ की शाखाएं टूट कर गिर गई है। उत्तरकाशी में बादल छाए हुए हैं साथ ही ठंडी हवाएं चल रही है। वहीं विकासनगर में मूसलाधार बारिश हो रही है।मौसम विभाग की ओर से आज सोमवार को बारिश होने के आसार बताए गए थे। केंद्र ने पर्वतीय जिलों में बारिश का ऑरेंज और मैदानी इलाकों में येलो अलर्ट जारी किया है।

कई जिलों में कल येलो अलर्ट- 

मौसम के पूर्वानुमान के अनुसार कल यानी 17 अक्तूबर को भी ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले को छोड़ अन्य सभी जिलों में भी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है।हालांकि 18 अक्टूबर से प्रदेशभर का मौसम शुष्क रहेगा।

चारों धामों में बारिश और बर्फबारी- 

वहीं केदारनाथ और यमुनोत्री में बारिश बर्फबारी का सिलसिला जारी है। इस मौसम में भी धामों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद हैं। एक ओर जहां श्रद्धालु बर्फबारी देख उत्साहित नजर आए तो वहीं दूसरी तरफ सुविधाओं के अभाव में उन्हें परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है।

यमुनोत्री सहित यमुना घाटी में एक घंटे से झमाझम बारिश हो रही है। यमुनोत्री धाम के ऊपर बुग्यालों चोटियों सप्त ऋषि कुंड, बंदरपूंछ, कालिंदी पर्वत, गरुड़ गंगा टाप पर बर्फबारी जारी है। बारिश बर्फबारी के चलते तापमान में गिरावट आ गई। ठंड से लोग घरों में दुबके हैं।

यमुनोत्री धाम में बर्फबारी का श्रद्धालु लुत्फ उठा रहे हैं, लेकिन वहीं पर्याप्त सुविधाएं न होने से श्रद्धालुओं को बारिश बर्फबारी में दिक्कतों का सामना करना रहना पड़ रहा है। देहरादून सहित प्रदेश के कई जिलों में बारिश के साथ ही तेज गर्जना हो रही है।

 

बद्रीनाथ धाम में भी बर्फबारी- 

बदले मौसम के मिजाज के चलते ठंड बढ़ने से लैंसडाउन चौक के पास लोगों ने अलाव का सहारा लिया। वहीं धुंध के कारण अंधेरा होने से वाहनों को दिन में हेडलाइट जलानी पड़ी। बारिश होने से तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है। वहीं दोपहर के बाद बदरीनाथ धाम में भी खूब बर्फबारी हुई है। बर्फबारी के बाद धाम में तेज ठंड बढ़ गयी है, श्रद्धालु भी इस बर्फ को देखकर उत्साहित हो रहे हैं.

हिमाचल में बारिश का कहर जारी, अब तक 98 लोगों की मौत, फिर अलर्ट जारी…

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    देश के कई राज्यों में झमाझम बारिश हो रही है. मौसम विभाग (IMD) ने कई राज्यों के लिए भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. कुछ राज्य सरकारों ने स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने का फैसला लिया है. दिल्ली में भी भारी बारिश के बीच मौसम विभाग ने येलो अलर्ट जारी किया था. तो वहीं सबसे ज्यादा हिमाचल प्रदेश में बारिश का कहर बरपा रहा है.  हिमाचल में लगातार हो रही भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात बने हुए है. कई लोगों की मौतें भी हो चुकी है.तो वहीं राज्य में बारिश से करोड़ों का नुकसान भी हुआ है. वहीं भारी बारिश को लेकर एक बार फिर अलर्ट जारी कर दिया गया है। मौसम विभाग का मानना है कि 14 से 16 जुलाई के बीच भारी बारिश हो सकती है। हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन (जून से सितंबर) में होने वाली कुल बारिश की करीब 30 फीसदी बारिश इस बार चार दिन में ही हो गई जोकि रिकॉर्ड के अनुसार अप्रत्याशित है। प्रदेश में 7 से 10 जुलाई के दौरान तीव्र मानसून की स्थिति बनी रही।  इस अवधि के दौरान राज्य के अधिकांश हिस्सों में बहुत भारी से अत्यधिक भारी बारिश हुई।

 

अब तक इतने लोगों की हुई मौत- 

हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा से अब तक 98 लोगों की जान जा चुकी है। बुधवार को मलबे में दबे 6 लोगों के शव निकाले गए। एक दिन पहले तक मृतकों की संख्या 92 थी, जोकि बढ़कर 98 पहुंच गई है। चौथे दिन भी राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है और 16 लोगों की अभी तक तलाश जारी है। समूचा प्रशासन राहत कार्यों में लगा हुआ है।

 

2800 पेयजल योजनाएं बहाल- 

वर्षा से हुई तबाही के चलते प्रदेश के कई जिलों चंबा, मंडी, कांगड़ा, शिमला सहित अन्य स्थानों पर 3737 पेयजल योजनाएं बहाल करने में लगे कर्मचारियों के प्रयासों से 2800 योजनाओं को शुरू करने से पेयजल की स्थिति में सुधार आया है। इसके साथ-साथ सिंचाई की 994 योजनाएं ठप हो गई हैं।

 

कई पशुओं की भी मौत- 

भारी बारिश के कारण सैकड़ों जानवरों की भी मौत हो गई है. राज्य सरकार के एक आंकड़े के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में तबाही की बारिश के कारण राज्य में जहां 98 लोगों की जान चली गई है, और कई लोग लापता बताए जा रहे हैं तो वहीं 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं. वहीं राज्य भर में 492 जानवरों की भारी बारिश के कारण मौत हो चुकी है.

 

मौसम विभाग का पूर्वानुमान-

मौसम विभाग की ओर से 14 से 16 जुलाई तक भारी वर्षा का येलो अलर्ट जारी किया गया है। वहीं, बुधवार को प्रदेश के कई हिस्सों में हल्की वर्षा हुई। मौसम विभाग के निदेशक डॉ. सुरेंद्र पाल का कहना है कि 15 जुलाई से दो दिन तक प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में भारी बारिश होगी।

 

 

बारिश से प्रदेश भर में 1299 सड़कें बंद-

हिमाचल प्रदेश डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के मुताबिक मंगलवार शाम तक प्रदेश भर में 1299 सड़कें बंद हैं. इसके अलावा नेशनल हाईवे 21 मंडी-कुल्लू, नेशनल हाईवे 505 ग्राम फू-लोसर, नेशनल हाईवे 03 कुल्लू-मनाली और नेशनल हाईवे 707 शिलाई पर आवाजाही ठप हो गई है. भारी बारिश के कारण हिमाचल सड़क परिवहन निगम के 876 बस मार्ग प्रभावित हैं. वहीं 403 बसें कई जगहों पर फंस गई हैं.

 

’12 घंटे में बहाल करेंगे 700 सड़कें’-

लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वर्षा, बाढ़ और भूस्खलन बाधित सड़क मार्गों को बहाल करने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। मौसम अगर अनुकूल रहा तो अगले 12 घंटे में 700 सड़कें बहाल कर ली जाएंगी। बारिश और बाढ़ से प्रदेश में 1299 सड़कें अवरुद्ध हुई हैं। इसके अलावा नेशनल हाईवे 21 मंडी-कुल्लू, नेशनल हाईवे 505 ग्राम फू-लोसर, नेशनल हाईवे 03 कुल्लू-मनाली और नेशनल हाईवे 707 शिलाई पर आवाजाही ठप हो गई है. भारी बारिश के कारण हिमाचल सड़क परिवहन निगम के 876 बस मार्ग प्रभावित हैं. वहीं 403 बसें कई जगहों पर फंस गई हैं. सड़कों को खोलने का काम तेज गति से किया जा रहा है।  प्रदेश में लोक निर्माण विभाग को करीब 13 सौ करोड़ के नुकसान का अनुमान है।

 

4,680 परियोजनाएं हुई क्षतिग्रस्त-

पिछले एक सप्ताह से हिमाचल प्रदेश में हो रही भारी बारिश के कारण पूरे प्रदेश में सामान्य जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है तथा प्रदेश को करोड़ों रुपए की क्षति हुई है उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बताया की केवल जल शक्ति विभाग में ही  4680 योजनाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं,  जिससे प्रदेश को 323.30 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। प्रदेश में करीब 2500 ट्रांसफार्मर बंद पड़े हैं. इनमें ऊना जिला की 257 क्षतिग्रस्त योजनाएं भी शामिल है जहां पर लगभग  20 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

‘राष्ट्रीय आपदा घोषित करे सरकार’-

सांसद प्रतिभा सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार पूरी तत्परता के साथ लोगों को राहत प्रदान करने में जुटी है। सरकार मजबूती से बाढ़ प्रभावितों के साथ खड़ी है। उन्होंने केंद्र सरकार से प्रदेश को तुरंत राहत पैकेज जारी करने की मांग के साथ हिमाचल में आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का आग्रह किया।

 

प्रदेश में फिर से भारी बारिश का अलर्ट- 
हिमाचल प्रदेश में फिर भारी बारिश का अलर्ट जारी हुआ है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला की ओर से प्रदेश के कई भागों में 15 व 16 जुलाई को भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। राज्य के कई भागों में 18 जुलाई तक बारिश का सिलसिला जारी रह सकता है। वहीं, राजधानी शिमला में आज हल्की धूप खिलने के साथ बादल छाए हुए हैं। धौला कुआं में 144.5, रेणुका जी 87.0,  रिकांगपिओ 42 और कोटखाई में 30.1 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है।

किन्नौर के सांगला में फंसे 95 पर्यटकों को किया रेस्क्यू-

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में फंसे विदेशियों सहित कुल 95 पर्यटकों को पांच उड़ानों में सांगली से चोलिंग (किन्नौर) पहुंचाया गया है। हिमाचल प्रदेश पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि छठी उड़ान तैयार है। बचाव अभियान युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है। सेना और आईटीबीपी की टीम बचाव अभियान में सहयोग कर रही है।
4 हजार करोड़ रुपए के नुकसान का आकलन-
लगातार हो रही बारिश से सबसे ज्यादा तबाही हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी और कुल्लू में हुई है. इस प्राकृतिक मार से राज्य को अब तक चार हजार करोड़ रुपए के नुकसान की आशंका है. हालांकि वास्तविक नुकसान के आकलन के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है. यह कमेटी नुकसान का सही आकलन करेगी. फिलहाल मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक हिमाचल को तीन हजार करोड़ रुपए से चार हजार करोड़ रुपए तक के नुकसान की बात कही है. आज हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू मंडी और कुल्लू जाकर नुकसान का जायजा लेंगे।
न्यूनतम तापमान-
शिमला में न्यूनतम तापमान 15.4, सुंदरनगर 22.0, भुंतर 18.0, कल्पा 11.1, धर्मशाला 19.2, ऊना 21.6, नाहन 20.9, पालमपुर 17.5, सोलन 19.5, मनाली 13.8, कांगड़ा 20.6, मंडी 21.5, बिलासपुर 21.0, चंबा 21.1, डलहौजी 14.5, कुफरी 14.4, रिकांगपिओ 14.2, धौलाकुआं 23.8, बरठी 23.1, मशोबरा 15.3 और देहरागोपीपुर में 15.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है।

उत्तराखंड में बारिश का कहर जारी, बिगड़ेंगे अभी और हालात…

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उत्तराखंड में मानसून ने भयानक तबाही मचा रखी है. उत्तराखंड  में मानसून का सीजन हर साल आफत लेकर आता है. हर साल आपदा की वजह से सैकड़ों लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. तो वहीं सैकड़ों मकान भी तबाह हो जाते हैं. इतना ही नहीं आपदा की वजह से मरने वाले मवेशियों की तो कोई गिनती ही नहीं होती है. क्योंकि हर साल प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश से तबाही मचती है  कई लोग बेघर हो जाते हैं और कई लोग अपनी जान तक गंवा देते हैं.  भारी बारिश के चलते आम जनजीवन भी अस्त-व्यस्त है. मौसम विभाग की मानें तो राज्य में अभी बारिश का ये सिलसिला जारी ही रहेगा. IMD ने कुछ इलाकों के लिए रेड अलर्ट भी जारी किया है. देश के कई राज्यों में मूसलाधार बारिश देखने को मिल रही है.  तो वहीं मैदान से लेकर पहाड़ी इलाकों तक भारी बारिश के चलते तबाही की तस्वीरें सामने आ रही हैं. सबसे ज्यादा तबाही उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में देखने को मिल रही है. उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश के चलते नदियां उफान पर हैं.  इस बीच मौसम विभाग ने अभी आफत कम नहीं होने की संभावना जताई है. मौसम विभाग ने उत्तराखंड में अगले पांच दिनों तक बारिश की चेतावनी दी है.

 

अब तक आपदा की वजह से 36 लोगों की हुई मौत

उत्तराखंड आपदा के हिसाब से अति संवेदनशील राज्य है. यहां पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा की कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें सैकड़ों लोग जान गवा चुके हैं. बात 2013 केदारनाथ आपदा की हो या फिर रैणी गांव में आई आपदा की.  हर साल बरसात के सीजन में ऐसी तबाही मचती है कि सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा देते हैं. इस साल ही अब तक आपदा की वजह से 36 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. यह आंकड़े आपदा परिचालन केंद्र के अनुसार हैं,, इसके अलावा 53 लोग ऐसे हैं जो घायल हुए हैं और 13 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं बात सिर्फ इंसानों की नहीं है बल्कि ढाई सौ से ज्यादा छोटे बड़े पशु भी काल के मुंह में समा गए. नुकसान की अगर बात की जाए तो कच्चे-पक्के भवनों को सैकड़ों की संख्या में नुकसान हुआ है.

 

इन जिलों में हुई इतने लोगों और पशुओं की मौतें

इसी के साथ अगर जिलों में मौतों की बात की जाए तो बागेश्वर में 1, चमोली में 5, चंपावत में 2, देहरादून में 2, हरिद्वार में 2, नैनीताल में 2,पौड़ी में 2, पिथौरागढ़ में 5, रुद्रप्रयाग में 4, टिहरी में 5, उधम सिंह नगर में 2 और उत्तरकाशी में 4 लोगों की मौत हुई है. साल 2021 की बात की जाए तो आपदा की वजह से कुल 303 लोग मारे गए थे, जबकि 87 लोग घायल हुए थे. 61 लोग आज भी लापता सूची में दर्ज है. आपदा में 412 बड़े पशु और 740 छोटे पशु आपदा की चपेट में आकर मारे गए हैं.

 

अब तक 1500 से अधिक सड़कें हुई बंद-

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मानसून की बारिश हमेशा आफत लेकर आती है। सबसे अधिक कहर सड़कों पर बरसता है। बारिश में स्लिप आने और क्रॉनिक लैंडस्लाइड जोन (अति संवेदनशील) सड़कों के बंद होने का बड़ा कारण बनते हैं। पहले से चिह्नित भूस्खलन क्षेत्रों के अलावा हर साल नए क्रॉनिक जोन विकसित हो रहे हैं, जो सरकार के लिए बड़ी चिंता का विषय हैं। लोनिवि की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल अब तक कुल 1,508 सड़कें बंद हो चुकी हैं। इनमें 1,120 सड़कें लोनिवि, 7 NH और 381 PMGSY यानि (प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना) की हैं। इनमें से अब तक 1,235 सड़कों को खोला जा चुका है, जबकि 273 अब भी बंद हैं। इन सड़कों को चालू हालत में लाने के लिए 1,776.24 लाख रुपये खर्च होंगे, जबकि पूर्व की हालत में लाने के लिए 3,560.66 लाख रुपये की जरूरत पड़ेगी। यह आकलन लोनिवि की ओर से अपनी रिपोर्ट में किया गया है।

 

7 पुल भी हुए क्षतिग्रस्त-

प्रदेश में भारी बारिश के बाद उपजे हालात के कारण सात पुलों को भी नुकसान पहुंचा है। इनको चालू करने के लिए 14 लाख रुपये खर्च होंगे, जबकि पूर्व की हालत में लाने के लिए कुल 337.50 लाख रुपये खर्च होंगे। 

 

तेज बारिश से जन जीवन अस्त-व्यस्त-

उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण जगह-जगह से तबाही के मंजर की तस्वीरें सामने आ रही हैं. ऋषिकेश में भी गंगा का पानी ऋषिकेश में स्थित परमार्थ निकेतन की शिव मूर्ति को छू कर बहने लगा है. शिव मूर्ति तक पहुंचने के लिए बनाई गई छोटी पुलिया भी पूरी तरह से नदी में डूब चुकी है. गंगा का बढ़ता जल स्तर अब डरा रहा है कि कहीं पानी का तेज बहाव एक बार फिर प्रतिमा को डूबो न दे. इसके साथ ही ऋषिकेश से गुजरने वाली चंद्रभागा नदी, सॉन्ग नदी, सुखवा नदी, बीन नदी के साथ-साथ नाले भी अपना रौद्र रूप दिखा रहे हैं. उत्तराखंड के नैनीताल जिले में भी अब भारी बारिश के कारण झीलों का जल स्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है. तो वहीं, भारी बारिश के चलते नेशनल हाइवे में कटाव देखने को मिला. उत्तरकाशी में भी लगातार तेज बारिश के बाद गंगोत्री-यमुुनोत्री हाइवे पर कई जगह रास्ते बंद हो चुके हैं. जिसके कारण जगह-जगह फंसे कांवड़ियों का रेस्क्यू किया जा रहा है.

 

 

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प्रदेश में अभी टला नहीं बारिश का कहर. इन इलाकों में ऑरेंज अलर्ट-

IMD की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, कल यानी गुरुवार को नैनीताल, उधम सिंह नगर, पौड़ी, चंपावत  में बारिश का रेड अलर्ट जारी किया गया है. इसके अलावा पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, और अल्मोड़ा में बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है. वहीं, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, देहरादून, टिहरी और हरिद्वार में भी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है.

 

क्या कहता है मौसम का रेड, ऑरेंज और येलो अलर्ट-

मौसम विभाग मौसम के बहुत खराब होने पर रेड अलर्ट जारी करता है. इसमें प्रशासन को तुरंत सक्रिय होने का संकेत मिलता है. ऑरेंज अलर्ट मौसम के खराब होने पर जारी होता है और इसमें प्रशासन को तैयार रहने का इशारा मिलता है. येलो अलर्ट प्रशासन को सतर्क रहने के लिए कहता है.

 

मदद के लिए सरकार ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर-

उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों एवं हिमाचल प्रदेश में फंसे उत्तराखंड के नागरिकों की सहायता के लिए सरकार ने आपदा राहत नंबर जारी किए हैं। किसी भी मदद के लिए लोग इन नंबरों 9411112985, 01352717380, 01352712685 पर संपर्क कर सकते हैं। साथ ही 9411112780 नंबर पर व्हाट्सएप मैसेज कर सकते हैं। सीएम धामी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है।

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उत्तराखंड में भारी बारिश के बीच लगातार भूस्खलन हो रहा है। कुमाऊं से लेकर गढ़वाल और पहाड़ से लेकर मैदान तक बारिश का दौर जारी है। कुमाऊं और गढ़वाल के सभी इलाकों में लगातार हो रही तेज बारिश आफत बनी हुई है। राजधानी देहरादून में लगातार 3 दिन से बारिश हो रही है। बारिश की वजह से देहरादून की सड़कों पर पानी भरा हुआ है, जिसके चलते लोगों को आने-जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मौसम विभाग के अनुसार अभी अगले 5 दिन प्रदेश में बारिश का दौर जारी रहेगा। इसे देखते हुए कुमाऊं के सभी पहाड़ी जिलों में स्कूलों को बंद कर दिया गया है। प्रदेश में बारिश के दौरान भूस्खलन तथा अन्य संबंधित घटनाओं में 9 व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी और छह अन्य घायल हुए हैं…. पिथौरागढ़, अल्मोड़ा बागेश्वर, नैनीताल और चंपावत में सभी स्कूल बंद रहेंगे। भारी बारिश के अलर्ट पर पांचों जिलों के डीएम ने यह अहम फैसला लिया है। तेज बारिश के चलते कुमाऊं की कई नदियां उफान पर हैं तो गढ़वाल और कुमाऊं में पहाड़ों से पत्थर गिर रहे हैं। इस कारण सड़कें भी अवरुद्ध हो रही हैं। मौसम विभाग ने नदियों के किनारे और पहाड़ी मार्गों पर सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। कई दिनों से प्रदेश भर के ज्यादातर इलाके बारिश में जलमग्न हैं। पहाड़ से लेकर मैदान और कुमाऊं से लेकर गढ़वाल तक सब जगह बारिश हो रही है। उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश के बाद पहाड़ से लेकर मैदान तक कुदरत का कहर बरप रहा है। पहाड़ी इलाकों में नदी नाले उफान पर आए हैं। गंगा, अलकनंदा, काली और बीन नदी उफान पर हैं। वहीं, भूस्खलन ने कई जिंदगियां लील लीं। उत्तरकाशी में पांच, रुद्रप्रयाग में एक और विकासनगर में दो लोगों की भूस्खलन के चलते मौत हो गई। उधर, मैदानी इलाके बारिश के बाद जलमग्न हो गए हैं।

 

चार-धाम यात्रा मार्ग भी हुए अवरुद्ध।

 

बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग शनिवार को पहाड़ी से बोल्डर गिरने के कारण एक बार फिर अवरुद्ध हो गया। बाजपुर चाडा के पास पहाड़ी से चट्टान टूटने के कारण बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग एक बार फिर बंद हो गया। मार्ग बंद होने की वजह से गाड़ियों को दूसरे रास्ते से निकालना पड़ रहा है। रविवार को देहरादून में तड़के से बारिश का दौर जारी रहा, चमोली जिले में मौसम खराब बना हुआ है। यहां भी बारिश हो रही है। केदारनाथ समेत पूरे रुद्रप्रयाग जिले में हल्की बारिश हो रही है। केदारनाथ यात्रा सुचारू है। लगातार बारिश के कारण जौनसार बावर में कई जगह पहाड़ दरक गए हैं। हरिद्वार में बाणगंगा (रायसी), पिथौरागढ़ में धौलीगंगा (कनज्योति) व नैनीताल में कोसी (बेतालघाट) में नदियों के जल स्तर में वृद्धि हो रही है। भूस्खलन की वजह से लोनिवि साहिया के स्टेट हाईवे समेत कई मोटर मार्ग बंद हैं। स्टेट हाईवे, मुख्य जिला मार्ग समेत 10 मोटर मार्ग बंद होने के कारण जौनसार बावर के करीब 100 गांवों, मजरों व खेड़ों में रहने वाली आबादी का जनजीवन प्रभावित हो गया है। सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत कुमार सिन्हा के निर्देश पर राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने हरिद्वार, नैनीताल व पिथौरागढ़ के जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर अपने-अपने क्षेत्रों में विशेष सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं। मौसम विभाग ने कहीं ऑरेंज तो कहीं येलो अलर्ट जारी किया है। कई जिलों में विद्यालयों की छुट्टी कर दी गई है। पहाड़ी मार्गों और नदियों के किनारे सतर्कता बरतने को कहा गया है।बीते दो दिनों से जिस तरीके की बारिश हो रही है, उससे अब देश के पहाड़ी इलाकों से लेकर मैदानी इलाकों में बहुत बड़े खतरे की आहट सुनाई देने लगी है। पहाड़ों पर नजर रखने वाली देश की प्रमुख सरकारी एजेंसियों ने आशंका जताई है कि मूसलाधार बारिश के बाद अब खोखले हो चुके पहाड़ों के दरकने का अंदेशा बढ़ गया है। दरअसल यह रिपोर्ट लगातार बारिश के बाद पहाड़ों के भीतर हो रहे तेज पानी के रिसाव और कमजोर हो रही चट्टानों के चलते आई है। लगातार तेज हो रही बारिश के चलते हिमाचल प्रदेश के कुछ पहाड़ी इलाके सबसे ज्यादा खतरे के निशान पर आ गए हैं और वहां पर पहाड़ियों के खिसकने की बड़ी सूचनाएं भी आने लगी हैं। फिलहाल सरकारी एजेंसियों की चेतावनी के बाद सरकार तो अलर्ट हो गई है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है अगर ऐसा होता है तो यह बहुत बड़ी तबाही होगी।

 

 

 

 हिमालयन रीजन के खतरनाक इलाकों को खाली करने का सुझाव। 

 

बीते दो दिनों की बारिश ने सबसे ज्यादा तबाही हिमाचल प्रदेश के उन इलाकों में मचानी शुरू की है, जहां आबादी बसती है। पहाड़ों समेत मैदानी इलाकों पर नजर रखने वाली जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक जहां पर सबसे ज्यादा बारिश हो रही है और पानी का बहाव तेज है उन पहाड़ी क्षेत्रों में अब सबसे ज्यादा खतरा नजर आने लगा है। ऐसे खतरे को भांपते हुए डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन की ओर से पहाड़ों और वहां पड़ने वाली बर्फ पर नजर रखने के लिए डिफेंस जियोइन्फोर्मेटिक्स एंड रिसर्च एस्टैब्लिशमेंट और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया समेत मौसम विभाग ने केंद्र सरकार को मौसम से होने वाली आपदा संबंधी रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में अंदेशा जताया गया है कि अगर लगातार ऐसी बारिश होती रही, तो पहाड़ी इलाकों पर न सिर्फ पहाड़ों के खिसकने का खतरा बढ़ेगा, बल्कि मानव आबादी और जान माल की बड़ी क्षति भी हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि कमजोर हो चुके पहाड़ों और बारिश के चलते क्षतिग्रस्त हुए इलाकों से अब वहां रहने वालों को किसी दूसरी जगह बसाया जाना जरूरी हो गया है।

 

 

 

यह बारिश सबसे खतरनाक साबित हो सकती है पहाड़ों के लिए…

 

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व उपनिदेशक डॉ. अरूप चक्रवर्ती कहते हैं कि बीते एक दशक में तैयार की गई उनकी रिपोर्ट बताती है कि पहाड़ के ज्यादातर आबादी वाले हिस्से के इलाके एक खोखले टीले पर बसे हुए हैं। वह कहते हैं कि जिस तरीके की मूसलाधार बारिश पहाड़ों पर जमकर हो रही है और तेजी से पिघलते ग्लेशियर से निकलता पानी तेजी से नदियों के माध्यम से उन पहाड़ों के भीतर जाकर उनकी जड़ों को और खोखला कर रहा है। चक्रवर्ती अंदेशा जताते हैं कि जिस तरीके से बीते दो दिनों में बारिश हुई है वह पहाड़ी इलाकों के लिए सबसे खतरनाक साबित हो सकती है। चक्रवर्ती कहते हैं कि सबसे बड़ा खतरा पहाड़ों के खिसकने का है। उनका उनका कहना है कि इस वक्त सबसे ज्यादा हिमाचल प्रदेश में बारिश का कहर बरप रहा है। खोखले हो चुके पहाड़ों पर बसी आबादी और खतरनाक पहाड़ों पर बने मकानों और उनके ठिकानों के खिसकने का खतरा बना हुआ है। वह कहते हैं कि जिस तरीके से बारिश हुई है अगर किसी तरीके की बारिश इस मानसून में एक दो बार और हो जाती है तो बेहद चिंता की बात होगी।

 

इसलिए जताया बारिश में पहाड़ों के ढह जाने का खतरा।

पहाड़ों पर बसी आबादी को लेकर एक बहुत बड़ा खतरा सामने आ रहा है। भूवैज्ञानिकों का कहना है पहाड़ों का गुरुत्वाकर्षण केंद्र अपनी जगह से खिसकने लगा है। लगातार हो रहे बेतरतीब तरीके के निर्माण कार्य से आबादी वाले पहाड़ खोखले भी होने लगे हैं। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक अरूप चक्रवर्ती कहते हैं कि आने वाले दिनों में पहाड़ों के खिसकने की घटनाएं न सिर्फ हिमाचल और उत्तराखंड में बढ़ेंगी, बल्कि पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में बसे पहाड़ी इलाकों और नेपाल, भूटान, तिब्बत जैसे देशों में भी ऐसी घटनाओं के बढ़ने की संभावना ज्यादा है। इसमें बारिश की वजह से और बड़ी घटनाओं के होने की आशंका बनी हुई है। वह कहते हैं कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पहाड़ों के खिसकने का सिलसिला लगातार जारी है। डॉक्टर चक्रवर्ती का कहना है कि पहाड़ों पर लगातार हो रहे अतिक्रमण से पहाड़ों का पूरा गुरुत्वाकर्षण केंद्र अव्यवस्थित हो गया है। पहाड़ों की टो कटिंग और बेतरतीब तरीके से हो रहे निर्माण की वजह से ऐसे हालात बने हैं। उनका कहना है कोई भी पहाड़ तभी तक टिका रह सकता है जब उसका गुरुत्वाकर्षण केंद्र स्थिर हो। पहाड़ों की तोड़फोड़ और पहाड़ों पर बेवजह के बोझ से उसका स्थिर रखने वाला गुरुत्वाकर्षण केंद्र अपनी जगह छोड़ देता है। ऐसे में जब तेज बारिश होती है और नदियों का बहाव अपने वेग के साथ पहाड़ी इलाकों में बहता है, तो पहाड़ों की खोखली हो नीव को गिराने की क्षमता भी रखते हैं। यही परिस्थितियां सबसे खतरनाक होती है।

 

हिमालयन रीजन में इसलिए बढ़ रही हैं बड़ी समस्या।

 

पहाड़ी इलाकों में हो रहे निर्माण कार्यों पर नजर रखने वाली संस्था से जुड़े वैज्ञानिक और शोधकर्ताओं का कहना है कि पहाड़ पर बनने वाले एक मकान या एक सड़क या एक टनल के लिए भी वैज्ञानिक सर्वेक्षण बहुत जरूरी होता है। उनका कहना है क्योंकि पहाड़ की मजबूती बनाए गए मकान, बनाई गई सड़क और बनाई गई टनल के दौरान काटे गए पहाड़ के मलबे से ही जुड़ी होती है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की पहाड़ी इलाकों पर एक दशक तक किए गए शोध के नतीजे बताते हैं कि यहां पर जो निर्माण हुए उसमें पानी के निकास को लेकर उस तरह का ख्याल ही नहीं किया गया। शोधकर्ताओं के मुताबिक पहाड़ों पर पानी के निकास की सबसे बेहद जरूरत किसी भी हो रहे निर्माण के दौरान होती है। इस शोध को करने वाले जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक डीएस चंदेल की रिपोर्ट में पहाड़ों की मजबूती और पहाड़ों की मिट्टी से लेकर उसके पूरे भौगोलिक परिदृश्य को शामिल किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययन में पाया था कि वे पहाड़ जहां पर इंसानी बस्तियां बहुत ज्यादा बसने लगी हैं, वहां पहाड़ धीरे-धीरे ही सही लेकिन खोखले होते जा रहे हैं। ऐसे माहौल में अगर कभी बड़ी बारिश होती है तो सबसे बड़ा खतरा पहाड़ों पर बसे शहरों के लिए ही होने वाला है।

 

 दिल्ली में टूटा रिकॉर्ड।

मौसम विभाग के अनुसार बारिश ने दिल्ली में 20 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. मौसम विभाग के एक अधिकारी के अनुसार दिल्ली के प्राथमिक मौसम केंद्र सफदरजंग वेधशाला ने सुबह 8.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक  126.1  मिलीमीटर (मिमी) बारिश दर्ज की. उन्होंने बताया कि बारिश का यह आंकड़ा 10 जुलाई 2003 के बाद सबसे ज्यादा है और तब 24 घंटों के दौरान 133.4 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी.

 

मौसम विभाग ने दी ये जानकारी….

मौसम विभाग ने कहा कि पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत के ऊपर बना हुआ है, जबकि मानसून अपनी सामान्य स्थिति के दक्षिण की ओर फैल गया है. साथ ही, दक्षिण-पश्चिम राजस्थान के ऊपर एक चक्रवाती स्थिति बनी हुई है. आईएमडी ने दो दिन पहले हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बहुत ज्यादा बारिश होने की चेतावनी दी थी. इसके अलावा जम्मू कश्मीर के छिटपुट स्थानों, और पूर्वी राजस्थान, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, और पंजाब में भी भारी बारिश का अनुमान लगाया गया था. आईएमडी ने कहा कि 11 जुलाई से क्षेत्र में भारी बारिश होने की संभावना नहीं है. मौसम विभाग के मुताबिक 15 किलोमीटर से कम बारिश हल्की, 15 मिलीमीटर से 64.5 मिलीमीटर वर्षा मध्यम, 64.5 मिलीमीटर से 115.5 भारी और 115.5 से 204.4 मिलीमीटर अत्यधिक बारिश समझी जाती है. दिल्ली में जुलाई में अब तक 137 मिलीमीटर बारिश हुई है . औसत के हिसाब से शहर में पूरे महीने में 209.7 मिलीमीटर बारिश होती है.