उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में मार्च के महीने में जनवरी जैसा मौसम हो रहा है। इसका असर मैदानी इलाकों में भी देखने को मिल रहा है। मौसम विज्ञान केंद्र ने आज और कल (शनिवार और रविवार को) प्रदेशभर में मौसम बदलने की संभावना जताई है। पर्वतीय जिलों में भारी बर्फबारी की चेतावनी जारी कर दी है।
केंद्र की ओर से जारी पूर्वानुमान के अनुसार उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले 3200 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में भारी बर्फबारी का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। जबकि, इन जिलों के साथ देहरादून, हरिद्वार, टिहरी और नैनीताल जिले के कुछ इलाकों में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है।
इसके अलावा 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से झोंकेदार हवाएं भी चलने के आसार हैं। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि बीते कुछ वर्षों से जलवायु परिवर्तन और मौसम के बदलते चक्र के चलते मार्च में भी मौसम बदलने लगा है। इसका मुख्य कारण पश्चिमी विक्षोभ का सक्रिय होना है जिसकी वजह से बर्फबारी और बारिश की संभावनाएं बन रही हैं। 4 मार्च के बाद प्रदेश में मौसम साफ होने लगेगा।
तापमान पर नहीं पड़ रहा कोई खास असर-
पर्वतीय इलाकों में भले ही बर्फबारी-बारिश हो रही है लेकिन तापमान पर इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है। इसलिए ठंड से लोगों को राहत मिल रही है। बृहस्पतिवार के आंकड़ों की बात करें तो दून का अधिकतम तापमान 25.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से दो डिग्री अधिक है। मुक्तेश्वर का अधिकतम तापमान तो पांच डिग्री बढ़ोतरी के साथ 19.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। सिर्फ नई टिहरी का अधिकतम तापमान सामान्य से चार डिग्री की गिरावट के साथ 14.4 डिग्री रहा।
उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में आज मंगलवार को भी हल्की बारिश के साथ बर्फबारी होने के आसार हैं। मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से जारी पूर्वानुमान के अनुसार उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले में बिजली चमकने और गर्जन के साथ बारिश होने के आसार हैं।
जबकि, इन जिलों के तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी होने की संभावना है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पर्वतीय जिलों में मौसम बदलने के असर मैदानी इलाकों में भी देखने को मिलेगा।
देहरादून में 27 फरवरी को आंशिक रूप से लेकर आमतौर पर बादल छाए रहेंगे। अधिकतम तापमान 24 और न्यूनतम 11 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है।
Uttarakhand Weather: उत्तराखंड में मौसम का मिजाज बदला रहेगा डीआरडीओ के रक्षा भू-सूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान ने प्रदेश के कई जिलों उत्तरकाशी सहित रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़ और बागेश्वर में हिमस्खलन की भी चेतावनी दी है।
हालांकि देहरादून में आज हलकी धूप खिली हुई है लेकिन ऊंचाई वाले इलाकों में मौसम विभाग ने आज बर्फ़बारी के आसार बताये हैं, वहीँ मैदानी इलाकों में भी मौसम शुष्क बना रहेगा।
जानिए आज कहां कैसा रहेगा मौसम-
मसूरी, धनोल्टी और कैम्पटी में मौसम साफ, चटक धूप खिली।
उत्तराखंड में आज सोमवार शाम को मौसम ने फिर करवट ली। पहाड़ में दूसरे दिन भी मौसम खराब रहा और चारों धामों में बर्फबारी हुई। वहीं हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी, औली, नंदा घुंघटी, रुद्रनाथ, लाल माटी, नीती व माणा घाटी में बर्फ गिरी जबकि निचले क्षेत्रों में बारिश हुई। बदरीनाथ में आधा फीट, केदारनाथ में एक फीट, औली में दो इंच, गंगोत्री-यमुनोत्री में छह इंच ताजी बर्फ जमी। जबकि निचले क्षेत्रों में बारिश हुई जिससे ठंड लौट आई है।
बदरीनाथ धाम में भी हुई बर्फबारी-
बदरीनाथ धाम में दिनभर रुक-रुककर बर्फबारी हुई जो देर शाम तक जारी रही। बर्फबारी से हनुमान चट्टी से बदरीनाथ धाम तक हाईवे फिसलन भरा हो गया है। हाईवे पर करीब आधा फीट तक बर्फ जम गई है। गोपेश्वर-मंडल-चोपता और जोशीमठ-मलारी हाईवे पर भी बर्फ जम गई है।
वहीं जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पर्यटन ग्राम रामणी, घूनी, पडेरगांव, ईराणी, पाणा, झींझी आदि गांवों में भी बर्फबारी हुई लेकिन बर्फ जल्दी पिघल गई। बाजारों में ठंड से बचने के लिए दुकानदारों व राहगीरों ने अलाव का सहारा लिया। पोखरी, नंदानगर, पीपलकोटी, नंदप्रयाग आदि क्षेत्रों में भी दिनभर रुक-रुक कर बारिश हुई।
हर्षिल घाटी में भी खूब बर्फबारी-
गंगोत्री और यमुनोत्री धाम, हर्षिल घाटी और अन्य ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हुई। हालांकि अभी तक सभी सड़कों पर आवाजाही सुचारु है। पिछले दो दिन से जिले में गर्मी का अहसास होने लगा था।
अब बर्फबारी हुई तो ठंड लौट आई। वहीं आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि बर्फबारी को देखते हुए सभी विभाग अलर्ट मोड पर हैं। सभी बर्फीले इलाकों में विभागों से सड़क, बिजली, पानी और राशन की आपूर्ति की जानकारी ली जा रही है।
सोमवार को केदारनाथ धाम सहित मद्महेश्वर, तुंगनाथ, चंद्रशिला आदि क्षेत्रों में बर्फबारी हुई जबकि पर्यटक स्थल चोपता दुगलविट्टा में भी हल्की बर्फ गिरी।
उत्तराखंड में आज से मौसम फिर बदल गया है। तड़के गंगोत्री व यमुनोत्री धाम सहित आस-पास बर्फबारी हुई तो बड़कोट तहसील क्षेत्र में बारिश। वहीं, मैदानी इलाकों में कई जगह हल्का कोहरा छाया हुआ है। राजधानी देहरादून समेत पहाड़ों की रानी मसूरी, धनोल्टी और कैम्पटी में हल्की धूप है, लेकिन ठंडी हवाएं चलने से तापमान में गिरावट दर्ज की गई। उधर, चकराता के लोखंडी में सीजन की पहली बर्फबारी हुई। वहीं, बर्फबारी से बागवानों ने भी राहत की सांस। अब बर्फबारी के चलते पर्यटकों के उमड़ने की भी उम्मीद है।
पहाड़ों की रानी मसूरी में बदला मौसम। शहर में शाम होते ही छाया घना कोहरा। ठंड बढ़ने से अलाव तापते दिखे लोग। 31 जनवरी और एक फरवरी को बारिश-बर्फबारी के आसार। मौसम विज्ञान केंद्र ने जारी किया येलो अलर्ट।
वहीं, आज प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में भारी बारिश और बर्फबारी होने की संभावना है। इसके लिए मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से 2500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बारिश और बर्फबारी होने की संभावना जताई है। तापमान की बात करें तो दून का अधिकतम तापमान 17 और न्यूनतम तापमान आठ डिग्री रहने के आसार हैं।
सर्दियों में बर्फ से ढकी रहने वाली हिमाचल की हसीन वादियों से बर्फ गायब है और वहां इन दिनों आग की लपटें और धुंआ दिखाई दे रहा है। यही हाल उत्तराखंड के पहाड़ों का भी है। पिछले तीन महीनों से हिमाचल में इस बार न ही तो बारिश हुई है और न ही बर्फबारी देखने को मिली है। जंगलों में नमी न होने से इस बार प्रदेश में वनाग्नि की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिली है।
आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के सभी जिलों में आग की घटनाएं हुईं। पिछले तीन सप्ताह में किन्नौर, मनाली, कुल्लू, चंबा और शिमला जिला में आग की बड़ी घटनाओं में हजारों हैक्टेयर वन भूमि को नुकसान पहुंचा है और रिहायशी मकान भी आग की चपेट में आए हैं। भारतीय वन सर्वेक्षण के आंकड़े बताते हैं कि पिछले एक सप्ताह में देश में वनाग्नि की बड़ी घटनाओं में शीर्ष पांच राज्यों में हिमाचल पहले स्थान पर है। हिमाचल में पिछले एक सप्ताह में 36 बड़ी आग की घटनाएं देखने को मिली हैं। वर्ष 2022-23 में बड़ी आग की घटनाओं में शीर्ष में रहने वाले पांच राज्यों में हिमाचल 123 घटनाओं के साथ पहले स्थान पर था और उत्तराखंड दूसरे, आंध्र प्रदेश तीसरे और जम्मू एवं कश्मीर चौथे स्थान पर था। वहीं 2023-24 में फायर अलर्ट के मामलों में शीर्ष के पांच राज्यों में हिमाचल दूसरे स्थान पर और उत्तराखंड पहले स्थान पर है।
अग्निशमन विभाग के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर माह में आग की कुल 369 घटनाएं हुईं। इनमें 275 वनाग्नि की घटनाएं थीं। इन घटनाओं में 10 करोड़ रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ। 1 से 12 जनवरी तक प्रदेश में 149 आग की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
अभी तक सामान्य से 100 फीसदी कम बारिश हुई-
मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश में जनवरी माह में अभी तक सामान्य से 100 फीसदी कम बारिश हुई है। वनाग्नि की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश के 12 जिलों में से 8 जिले संवेदनशील माने जाते हैं। यहां का सबसे अधिक संवेदनशील समय अप्रैल के दूसरे सप्ताह से जून तक है, लेकिन इस बार आग की घटनाएं सर्दियों के दिनों में भी अधिक देखने को मिल रही हैं। इसकी मुख्य वजह बारिश और बर्फबारी न होने की वजह से जंगलों की नमी गायब हो गई है।
प्रदेश के चीड़ वन आग के लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील-
अधिकृत आंकड़ों के अनुसार हिमाचल में 37,033 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र है। इनमें से 15 प्रतिशत पर चीड़ वन हैं जो आग के लिए सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं। प्रदेश में वन विभाग की कुल 2026 बीटें हैं, इनमें से 339 अति संवेदनशील श्रेणी में आती हैं। इसके अलावा 667 मघ्यम और 1020 बीटें कम संवेदनशील की श्रेणी में आती हैं।
मौसमी चुनौतियों से घिरे उत्तराखंड के पहाड़-
9 से 16 जनवरी के बीच उत्तराखंड में 600 से अधिक वनाग्नि के अलर्ट जारी किए जा चुके हैं। देशभर में सबसे ज्यादा फायर अलर्ट उत्तराखंड में आए। 400 से अधिक फायर अलर्ट के साथ हिमाचल प्रदेश दूसरे और तकरीबन 250 अलर्ट के साथ जम्मू-कश्मीर तीसरे स्थान पर है। अरुणाचल प्रदेश में भी 200 के आसपास अलर्ट जारी किए गए हैं। वनअधिकारियों के अनुसार बारिश न होने से सर्दियों में वनों में जगह-जगह आग लगने की सूचनाएं मिल रही हैं। वन विभाग भी इस समय कंट्रोल बर्निंग कर रहा है। मॉनसून के बाद बारिश न होने से जंगल में सूखी पत्तियों का ढेर जमा है जिससे गर्मियों में आग भड़क जाती है। इसलिए विभाग नियंत्रित आग के जरिये जंगल की सफाई करता है। इससे भी लोगों को धुआं दिख रहा है। ग्रामीणों को आग के प्रबंधन के लिए जागरूक किया जा रहा है। वे इस समय खेतों की सफाई या जंगल में आग लगाकर न छोड़ें।
उत्तराखंड में 1 से 16 जनवरी के बीच बारिश और बर्फबारी नहीं-
मौसम विभाग के अनुसार इस वर्ष 1 से 16 जनवरी के बीच उत्तराखंड में बारिश बर्फबारी देखने को नहीं मिली। नैनीताल में नाममात्र 0.8 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्यतः इस दौरान 14 मिमी. तक बारिश होती है। इसी तरह अल्मोड़ा, बागेश्वर में 15 मिमी से अधिक, चमोली में 20 मिमी और रुद्रप्रयाग उत्तरकाशी में इस समय तक 28 और 26 मिमी तक बारिश होनी चाहिए लेकिन चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ समेत सभी पर्वतीय जिलों में सामान्य से 100 प्रतिशत कम यानी कोई बारिश नहीं हुई। दिसंबर-2023 भी तकरीबन सूखा गया। तीन हिमालयी राज्यों जम्मू कश्मीर और लद्दाख (-79), हिमाचल प्रदेश (-85) और उत्तराखंड (-75) में सामान्य से बेहद कम बारिश दर्ज हुई।
पिछले कुछ वर्षों में बारिश और बर्फवारी में लगातार कमी-
पिछले कुछ वर्षों में मॉनसून के बाद बारिश और बर्फबारी में लगातार कमी दर्ज की जा रही है। नवंबर और दिसंबर में तकरीबन न के बराबर बारिश और बर्फबारी हुई। इससे पहले 2006, 2007, 2008 और 2009 में भी मानसून के बाद काफी कम बारिश हुई थी। तकरीबन 4 साल सूखी सर्दियां रहीं। मानसून के बाद सर्दियों की जलवायु में इस तरह केउतार-चढ़ाव लगातार देखने को मिल रहे हैं।
खेती, किसानी और पर्यटन सब कुछ प्रभावित हो रहा है-
जानकारों का कहना है कि बारिश न होने का असर खेती और बागवानी में भी दिखाई दे रहा है। सर्दियों में लगाए जाने वाले फलदार पौधों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। सेब, आडू, प्लम, खुबानी और कीवी समेत सभी फसलें प्रभावित हो रही हैं। बारिश पर निर्भर खेतों में अब तक गेहूं और जौ के बीज भी बाहर नहीं निकले हैं। बर्फबारी न होने के कारण पर्यटन व्यवसाय पर भी इसका खासा असर पड़ा है। पर्यटन व्यवसाय 20 प्रतिशत के आसपास भी नहीं पहुंच पाया।एक तरह से पूरा विंटर टूरिज्म ठप हो गया। बद्रीनाथ में बेहद हलकी बर्फ गिरी है। जलते जंगल से लेकर पेयजल संकट तक पहाड़ मौसमी चुनौतियों से घिरे हैं।
उत्तर भारत में तापमान लगातार गिर रहा है। इससे जहां ठंड बढ़ रही है वहीं जनजीवन रुक सा गया है। घने कोहरे के कारण विमान और रेल सेवा के साथ सड़क यातायात भी प्रभावित हो रहा है। पहाड़ों से लेकर मैदान क्षेत्रों तक मौसम ठंडा बना हुआ है।
दिल्ली में लगातार चौथे दिन न्यूनतम तापमान चार डिग्री से नीचे रहा। मंगलवार को दिल्ली में न्यूनतम तापमान 3.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। जबकि अधिकतम तापमान 17.4 डिग्री सेल्सियस रहा। मौसम विभाग ने अगले चार दिनों तक घने कोहरे के साथ भीषण सर्दी की चेतावनी जारी की है। दिल्ली के कुछ हिस्सों में शीतलहर चलेगी और बुधवार को सुबह घना कोहरा होगा।
पंजाब में शून्य से नीचे पहुंचा तापमान-
पंजाब के नवांशहर में मंगलवार को न्यूनतम तापमान माइनस 0.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। यहां सोमवार को न्यूनतम तापमान माइनस 0.2 था। वहीं, चंडीगढ़ में न्यूनतम तापमान 2.7 डिग्री, पटियाला में 3.1 डिग्री, लुधियाना में 3.3 डिग्री, फतेहगढ़ साहिब में 3.4 डिग्री, गुरदासपुर में 3.5 डिग्री और अमृतसर में 5.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम विभाग ने बुधवार को घने कोहरे और शीतलहर का रेड अलर्ट जारी किया है।
मंगलवार को दृश्यता रही शून्य-
हरियाणा में जनवरी में तीसरी बार तापमान एक डिग्री सेल्सियस से नीचे रहा। महेंद्रगढ़ का न्यनूतम तापमान 0.7 डिग्री और रेवाड़ी का 1.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।वहीं, पानीपत, फतेहाबाद सहित चार जिलों की सीजन की सबसे सर्द रात रही। मंगलवार सुबह घने कोहरे से दृश्यता शून्य रही। इससे लोगों को परेशानी का भी सामना करना पड़ा है।
U.P में कोहरे और गलन से नहीं राहत-
उत्तर प्रदेश में कोहरे और गलन का चक्र टूट नहीं रहा है। लगातार चौथे दिन मंगलवार को भी कई जिलों में सुबह की शुरुआत कोहरे के साथ हुई। दोपहर में धूप निकली, मगर सर्द हवा के आगे बेअसर ही रही। मेरठ फिर सबसे सर्द जिला रहा और यहां मंगलवार को तापमान 3.8 डिग्री रहा।
ट्रेनों और उड़ानों पर कोहरे का बड़ा असर-
वहीं ट्रेनों और उड़ानों पर कोहरे का असर जारी है। 22 जनवरी तक शीतलहर प्रचंड रूप में चलती रहेगी। 45 से अधिक जिलों में घना कोहरा का अलर्ट जारी किया गया है।बिहार में आज 12 जिलों में हल्की वर्षा के आसार : बिहार में हिमालय की तलहटी से आ रही बर्फीली हवाओं के कारण घने कोहरा व भीषण ठंड का प्रभाव बीते पांच दिनों से बना हुआ है।
पटना का भी वही हाल-
मंगलवार को बिहार के पटना सहित 17 शहरों के न्यूनतम तापमान में आंशिक वृद्धि हुई। वहीं, पटना समेत 22 शहरों के अधिकतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई। बुधवार को पटना समेत 12 जिलों में हल्की वर्षा के आसार हैं। इससे 20 जनवरी तक प्रदेश के अधिकतर भाग में शीत दिवस की स्थिति बनी रहेगी।
पहाड़ों में भी लगातार गिर रहा है तापमान-
उत्तराखंड में पिछले तीन दिन में रात के तापमान दो से तीन डिग्री सेल्सियस की कमी आई है। चंपावत तापमान माइनस 1.1 डिग्री व अल्मोड़ा का माइनस 2.1 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है। पंतनगर एयरपोर्ट पर पिछले 20 दिन से उड़ानें नहीं भरी जा रही हैं।
जम्मू में मंगलवार को धूप खिलने से थोड़ी राहत मिली और अधिकतम तापमान 16.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। हालांकि में रविवार-सोमवार की रात मौजूदा सर्दियों की सबसे ठंडी रात रही और न्यूनतम तापमान 2.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ।हिमाचल प्रदेश में मौसम विभाग ने दो दिन हिमपात व वर्षा की संभावना जताई थी, लेकिन मंगलवार को पश्चिमी विक्षोभ का कोई प्रभाव नहीं दिखा।
मौसम विज्ञान केंद्र श्रीनगर के अनुसार 16 से 20 के बीच ऊपरी पहाड़ी क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी की संभावना है।
विलंबित उड़ानें हुईं कम, यात्रियों की परेशानी नहीं-
घने कोहरे के कारण विमानों के आवागमन में हो रही देरी थमने का नाम नहीं ले रही है। मंगलवार को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय 288 उड़ानें विलंब की चपेट में आईं। विलंबित विमानों की संख्या के लिहाज से देखें, तो रविवार और सोमवार के मुकाबले इनमें कमी आई, लेकिन यात्रियों की परेशानी जारी है।
कोहरे के कारण सबसे ज्यादा घरेलू उड़ानें प्रभावित रहीं। सबसे ज्यादा असर प्रस्थान पर पड़ा। सुबह छह से 10 बजे के बीच कम से कम 70 उड़ानों में देरी हुई। इसके बाद स्थिति धीरे-धीरे सुधरने लगी। आगमन की बात करें, तो यहां भी विलंब देखने को मिला।
27 घंटे से अधिक विलंब से रवाना हुई बिहार संपर्क क्रांति
कोहरे के कारण लंबी दूरी की 125 से ज्यादा ट्रेनें विलंब से दिल्ली से पहुंचीं। कई ट्रेनें एक दिन बाद अपने गंतव्य पर पहुंच रही हैं।
सोमवार को रवाना होने वाली नई दिल्ली-दरभंगा बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस 27 घंटे 50 मिनट की देरी से मंगलवार शाम 4:50 बजे रवाना हुई। वहीं, मंगलवार को चलने वाली यह ट्रेन साढ़े 15 घंटे की देरी से बुधवार शाम साढ़े चार बजे चलेगी। ट्रेन के देरी से चलने से यात्री परेशान हैं।
उत्तराखंड के कुमाऊं के मैदानी इलाकों में कोहरे और सर्द लहरों से तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। इससे गलन बढ़ने लगी है। वहीं, आज भी सुबह से खटीमा, रुद्रपुर, हल्द्वानी में कोहरा छाया हुआ है।
मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के अनुसार, आज उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, देहरादून, पौड़ी, टिहरी, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर, चंपावत और हरिद्वार में पाले को लेकर यलो अलर्ट जारी किया है।
वहीं, बुधवार मौसम का सबसे ठंडा दिन रहा। दिन का तापमान 11 डिग्री रहा तो रात में पारा आठ डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। शहर सुबह घने कोहरे के आगोश में रहा तो दिनभर बादल और ठंडी हवाओं से जनजीवन प्रभावित रहा। कड़ाके की सर्दी से बचने के लिए घरों और दफ्तरों में लोगों ने अलाव, हीटर का सहारा लिया। सड़कों पर भी जहां कहीं अलाव जलता दिखा, लोग वहीं ठिठक गए।
मौसम विभाग ने मैदानी क्षेत्रों में शीतलहर के साथ घना कोहरा छाने और पर्वतीय क्षेत्रों में पाले को लेकर यलो अलर्ट जारी किया है। उधर, नैनीताल में मंगलवार शाम सवा सात बजे बारिश और ओलावृष्टि के बाद बुधवार को चटक धूप खिली रही। मौसम साफ रहने से लोगों को ठंड से काफी राहत मिली। अमर उजाला टीम ने सर्द मौसम में शहर के अलग-अलग जगहों के हालात का जायजा लिया। महिला और बेस अस्पताल में ठिठुरते मरीजों का हाल जाना। वहीं सरकारी दफ्तरों में अधिकारियों, कर्मचारियों ने हीटर की ताप में खुद को गर्म रखा।
उत्तराखंड में मौसम का मिजाज अचानक बदलने से लोगों को परेशानी होने लगी है। उत्तराखंड के कई जिलों में सुबह ही धूप खिली तो कई कोहरा छाने से अचानक ठंड बढ़ गई। आज हल्द्वानी, रुद्रपुर, रामनगर, बाजपुर में सुबह से ही घना कोहरा छाया हुआ हैं। वहीं, चंपावत, नैनीताल, अल्मोड़ा, बागेश्वर और पिथौरागढ़ में धूप खिली हुई हैं। मौसम जानकारों के अनुसार, हल्की धूप के साथ अगले एक हफ्ते तक घना कोहरा छाए रहने की संभावना है। वहीं राज्य मौसम विज्ञान केंद्र ने मैदानी इलाकों में घने कोहरे को लेकर आरेंज और यलो अलर्ट जारी कर दिया है।
शुक्रवार को हल्द्वानी में सर्दी का पहला घना कोहरा छाने से अचानक ठंड बढ़ गई। अंधेरा होने के बाद कोहरा लगातार घना होता गया। 20 मीटर दृश्यता और 85 प्रतिशत आर्दता मापी गई।
मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ आदि पर्वतीय जिलों में हल्की से हल्की बारिश और बर्फबारी की भी संभावना है। शुक्रवार को अधिकतम तापमान 20 और न्यूनतम 9.4 डिग्री सेल्सियस रहा। वहीं मुक्तेश्वर का 13 और न्यूनतम 4.1 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।
पंतनगर कृषि विवि के मौसम जानकार डॉ. आरके सिंह के अनुसार एक हफ्ते तकघना कोहरा छाया रहने की संभावना है। इधर बारिश नहीं होने से पर्वतीय जिलों में मौसमी फसल पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। मुख्य कृषि अधिकारी विकेश यादव ने बताया कि असिंचित क्षेत्रों में फसलों को नुकसान होने की संभावना है। इससे गेहूं, दलहन, तिलहन की फसल के उत्पादन पर असर पड़ सकता है। दिसंबर में औसतन चार से पांच एमएम ही बारिश हुई है जो नाकाफी है।
कुमाऊं मंडल में देखा जाए तो 172183 हेक्टेयर में गेहूं, 20598 हेक्टेयर में दलहन और 6788 हेक्टेयर में तिलहन का उत्पादन होता है। संयुक्त निदेशक कृषि कुमाऊं मंडल पीके सिंह ने बताया कि शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मंडल के सभी कृषि अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि उन्होंने बताया कि अभी तक नुकसान की सूचना नहीं है। पहाड़ों में ठंड की वजह से अभी खेतों में नमी बनी हुई है
कोहरे में इन बातों का ध्यान रखें-
कोहरा शुरू हो गया ऐसे में वाहन चलाने में समस्या आती और दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है। प्रभारी एआरटीओ प्रमोद चौधरी कहते हैं कि कुछ बातों का ध्यान रखें तो दिक्कत से बचा जा सकता है।
कोहरे में बेहद अपरिहार्य स्थिति में वाहन चलाएं
इंडिकेटर और पार्किंग लाइट को ऑन रखें
सड़क के किनाए बाएं वाहन पार्क होते हैं, इस तरफ भी ध्यान रखें
अगर वाहन में कोई तकनीकी दिक्कत आ गई है तो चौपहिया वाहन में एक त्रिभुजाकार
रिफलेक्टर होता है, उसको वाहन से पीछे की तरफ 20 मीटर रखें, जिससे दूसरे वाहन स्वामी को पता रहे
वाहन पर रेडियम पट्टी भी लगाना चाहिए।
कोहरे के कारण बस और ट्रेन हुईं लेट-
मौसम में घने कोहरे के छाने से आम जीवन काफी प्रभावित हो रहा है। इसका मुख्य असर यातायात पर आ रहा है। शुक्रवार को भी बस और ट्रेन अपने स्टेशन पर निर्धारित समय से लेट से पहुंचे। इसके चलते यात्रियों को ठंड में ठिठुरते हुए अपने रूट की गाड़ी का इंतजार करना पड़ा। इस कारण यात्रियों को काफी परेशानी उठानी पड़ी।
कोहरे के कारण को दिल्ली से काठगोदाम को आने वाली रानीखेत एक्सप्रेस और हावड़ा से काठगोदाम तक संचालित होने वाली बाघ एक्सप्रेस ट्रेन अपने निर्धारित समय से एक घंटा देरी से स्टेशन पहुंची। दोनो ट्रेनों के अपने देरी से पहुंचने पर यात्रियों को काफी परेशानी हुई। इधर रोडवेज की भी कुछ ऐसी ही स्थिती रही। यहां भी कोहरे के चलते दिल्ली और पंजाब रूट की बसें एक घंटे देरी से पहुंची। यूपी और पंजाब के मैदानी जिलों में कोहरे के कारण बुरा हाल है। इससे बसे अपने निर्धारित स्टेशन में देरी से पहुंच रही हैं।
यमुनोत्री क्षेत्र में भूस्खलन और यमुना नदी के कटाव से बेशकीमती भोजपत्र के जंगल पर खतरा मंडरा रहा है। गढ़वाल के साथ ही कुमाऊं के आदि कैलाश को जाने वाले मार्ग पर भी इसके जंगल हैं लेकिन जलवायु परिवर्तन, सड़कों के निर्माण व यात्रा मार्ग में जाने वाले पर्यटकों द्वारा इसे पहुंचाए जाने वाले नुकसान एवं मलबे के चलते इसका अस्तित्व संकट में पड़ रहा है।भोजपत्र के पेड़ों के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए शीघ्र पहल नहीं की गई तो यह विलुप्ति की कगार पर पहुंच जाएंगे। समुद्रतल से करीब चार हजार मीटर ऊंचाई पर पाए जाने वाले भोजपत्र का जंगल यमुनोत्री धाम से लगे गरुड़ गंगा के दाईं ओर फैला है।
2012 में जब यमुना नदी में बाढ़ आई थी, तब भी भू-कटाव से जंगल को काफी नुकसान पहुंचा था। हनुमान चट्टी डोडीताल ट्रैक रूट पर भी भोजपत्र के पेड़ों को हानि पहुंची थी। बावजूद इसके भोजपत्र के जंगलों के संरक्षण व संवर्धन के लिए कोई ठोस योजना नहीं बन पाई। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि भोजपत्र के जंगलों को आपदा और उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भू-कटाव के कारण बहुत नुकसान पहुंचा लेकिन संरक्षण के लिए योजना नहीं बनी। उन्होंने शासन-प्रशासन से भोजपत्र के जंगलों के संरक्षण के लिए योजना बनाने की मांग की है।
पूर्व प्रधानमंत्री को भोजपत्र पर भेंट किया गया अभिनंदन पत्र-
1985 में जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार उत्तराखंड भ्रमण पर आए थे तो उस वक्त भाजपा नेता व चकबंदी के प्रेरणास्रोत स्व. राजेंद्र सिंह रावत ने उन्हें भोजपत्र पर लिखा अभिनंदन पत्र भेंट किया था।