Category Archive : तकनीकी

Uttarakhand: 2 धामों के लिए फिर शुरू होंगी हेलिकॉप्टर सेवा, सितंबर के लिए हेली सेवा फुल, अब अक्तूबर के लिए होंगी शुरू।

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बरसात का सीजन खत्म होने के बाद 15 सितंबर से जौलीग्रांट से रुद्राक्ष एविएशन का एमआई 17 हेलिकॉप्टर एक बार फिर अपनी सेवाएं शुरू करेगा। जिसके लिए कंपनी ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। बदरीनाथ और केदारनाथ के लिए जौलीग्रांट से हेलिकॉप्टर की बुकिंग सितंबर माह की फुल हो चुकी हैं। कंपनी ने अक्टूबर माह की बुकिंग भी शुरू कर दी है।

जौलीग्रांट हेलीपैड से बीते 10 मई से दो धामों बदरीनाथ और केदारनाथ के लिए रुद्राक्ष एविएशन ने अपने 18 सीटर एमआई 17 हेलिकॉप्टर से हेली सेवाएं शुरू की थी। लेकिन बरसात को देखते हुए 15 जून को यह सेवाएं बंद कर दी गई थी। इस दौरान करीब 1000 श्रद्धालुओं ने दोनों धामों के दर्शन किए थे। अब फिर से जौलीग्रांट हेलीपैड से हेलिकॉप्टर सेवाएं शुरू करने की तैयारियां की जा रही है।

मौसम ठीक रहने पर हेलिकॉप्टर सुबह करीब साढे छह बजे से दो धामों के लिए उड़ान भरेगा। मौसम साफ रहने पर हेलिकॉप्टर दो धामों के लिए एक से अधिक फेरे लगाएगा। जौलीग्रांट से दो धामों के लिए एक व्यक्ति का किराया सवा लाख के करीब होगा।

फिलहाल ऑनलाइन बुकिंग की कोई सुविधा नही है। जिस कारण श्रद्धालु कंपनी की वेबसाइट पर जाकर फोन से संपर्क कर अपना टिकट बुक करा सकते हैं। कंपनी के अधिकारी 10 सितंबर तक देहरादून पहुंच जाएंगे। वहीं 13 सितंबर तक हेलिकॉप्टर भी श्रद्धालुओं को ले जाने के लिए जौलीग्रांट पहुंच जाएगा।

 

कंपनी ने शुरू कर दी है अक्तूबर माह की बुुकिंग
बदरीनाथ और केदारनाथ के लिए जौलीग्रांट से हेलिकॉप्टर की बुकिंग सितंबर माह की फुल हो चुकी हैं। वहीं अक्तूबर माह की बुकिंग भी कंपनी ने शुरू कर दी है। मौसम ठीक रहा तो जौलीग्रांट से हेलिकॉप्टर प्रत्येक दिन दोनों धामों के लिए उड़ान भरेगा।

बरसात को देखते हुए 15 जून से जौलीग्रांट से दो धामों की हेली सेवाएं बंद कर दी गई थी। अब 15 सितंबर से फिर से हेली सेवाएं शुरू की जाएंगी। किराया पूर्व की तरह सवा लाख प्रति पैसेंजर रखा गया है। सितंबर की बुकिंग फुल हो गई है। आगे की बुकिंग जारी है। – राज शाह, ऑपरेशन मैनेजर रुद्राक्ष एविएशन

 

Kedarnath Rescue: पांचवें दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, सेना ने संभाला मोर्चा; चिनूक से यात्रियों को किया जा रहा एयरलिफ्ट।

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केदारनाथ धाम व पैदल मार्ग से अब तक दस हजार से अधिक तीर्थयात्रियों व स्थानीय लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है। सोमवार को केदार घाटी का मौसम साफ होने के साथ ही एमआई 17 और चिनूक से एयर लिफ्ट रेस्क्यू का कार्य शुरू हो गया है। एमआई चारधाम हेलीपैड पर यात्रियों को उतार रहा है। जबकि चिनूक गौचर हवाई पट्टी पर यात्रियों को उतरेगा। सुबह 9 बजे तक 133 लोगों को केदारनाथ से एमआई एवं चिनूक एवं छोटे हेलिकॉप्टर की मदद से सुरक्षित एयर लिफ्ट कर रेस्क्यू किए जा चुके हैं।

31 जुलाई को हुई अतिवृष्टि से केदारनाथ मार्ग को भारी नुकसान पहुंचा है। गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर तक 16 किमी का मार्ग है, इसमें 10 जगह मार्ग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। लोक निर्माण विभाग की टीम मार्ग को खोलने में जुटी है। लोनिवि की रिपोर्ट के अनुसार जो स्थितियां हैं उनमें मार्ग को पूर्व की दशा में लाने में करीब एक महीने का समय लग सकता है।

वहीं, सेना ने मोर्चा संभालते हुए मंदाकिनी नदी पर अस्थायी ट्राली स्थापित कर दी है। साथ ही वैकल्पिक पुल का निर्माण भी शुरू कर दिया है। गौरीकुंड में घोड़ा पड़ाव के पास लगभग 15 मीटर लंबाई में रास्ता पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। यहां पर लो.नि.वि श्रमिक वैकल्पिक मार्ग स्थापित करने में जुटे हैं।

सोमवार सुबह 100 लोगों को सुरक्षा बलों की देखरेख में श्री केदारनाथ धाम से लिनचोली हेलीपैड के लिए रवाना कर दिया गया है। इन यात्रियों को लिनचोली से एयर लिफ्ट कर शेरसी हैलीपैड पर उतारा जाएगा। इसके अलावा एनडीआरएफ की टीमें जंगल एव मंदाकिनी नदी के आसपास भी लगातार सर्च अभियान चला रहे हैं।

रविवार को लगभग 1100 लोगों का सफलता पूर्वक रेस्क्यू किया गया। वहीं सेना ने भी अब कमान संभाल ली है। पैदल मार्ग पर आम लोगों को खोजने के लिए स्निफर डाँग भेजे गए हैं, सेना क्षतिग्रस्त् पैदल मार्ग को आवाजाही के लिए खोजे जाने में भी मदद करेगी।

वहीं गौरीकुंड व सोनप्रयाग के बीच वाशआउट हुए हाइवे कपर ट्राली लाकर बुजर्ग व घायलों को निकालने का कार्य भी सेना ने शुरू कर दिया है। रेस्क्यू आपरेशन के चौथे दिन रविवार को कुल 1155 का रेस्क्यू किया गया, जिसमें हेलीकाप्टर से 628 व पैदल मार्ग से 527 लोगों को रेस्क्यू किया गया।

हेली से लिनचोली, चीरबासा व केदारनाथ से रेस्क्यू किया गया, वहीं चौमास पैदल मार्ग से भी रविवार को 210 लोगों को रेस्क्यू किया गया। केदारनाथ पैदल मार्ग में फंसे यात्रियों का रेस्क्यू भी जारी है। सोनप्रयाग में मैन्युल रेस्क्यू के लिए अब सेना, डीडीआरएफ, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस के जवानों संयुक्त रूप से कार्य कर रहे हैं।

रविवार को चलने में असमर्थ लोगों के 25 बुजर्ग व घायलों का रेस्क्यू किया गया। वहीं स्निफर डाँग की टीम भी भेजी गई है, जो जंगल में भटक गए लोगों की खोजबीन करेगी, साथ ही भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में भी सर्च अभियान करेगी।

 

 

 

 

Uttarakhand: अब बदरी-केदार मंदिर समेत 47 मंदिरों के परिसरों की सुरक्षा BKTC के जिम्मे, पहली बार बना आईटी संवर्ग।

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बदरीनाथ, केदारनाथ समेत 47 मंदिरों में परिसर के दायरे में अब दर्शन व्यवस्था से लेकर सुरक्षा का सभी जिम्मा अब बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) के पास होगा। पहली बार बीकेटीसी में सुरक्षा और आईटी संवर्ग के लिए शासन ने मंजूरी दे दी है। इन संवर्गों में 58 पद सृजित किए जाएंगे।

डीएसपी रैंक का अधिकारी सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेगा। इस पद को नागरिक पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र बल, अर्द्ध सैनिक बल से प्रतिनियुक्ति के आधार पर भरा जाएगा। सरकार ने बीकेटीसी में सुरक्षा संवर्ग और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) संवर्ग के लिए पदों के सृजन की अनुमति दे दी है। सुरक्षा संवर्ग में 57 और आईटी संवर्ग में एक पद सृजित किया गया है।

संस्कृति व धर्मस्व सचिव हरिचंद्र सेमवाल ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। बीते वर्ष बीकेटीसी की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पारित कर सुरक्षा संवर्ग और आईटी संवर्ग के लिए पद सृजन का प्रस्ताव पारित कर शासन को भेजा था। बीकेटीसी का तर्क था कि वर्ष 1982-83 में सुरक्षा की दृष्टि से सुरक्षा गार्ड व खजाना गार्ड के पांच पद सृजित किए गए थे।

धामों में श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि

 

वर्तमान में बीकेटीसी बदरीनाथ, केदारनाथ, मद्महेश्वर, तुंगनाथ, त्रियुगीनारायण, नृसिंह मंदिर जोशीमठ, कालीमठ, काशी विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी, ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ, भविष्य बदरी समेत 47 मंदिरों का प्रबंधन देखती है। वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर सुरक्षा के लिहाज से सुरक्षाकर्मियों की संख्या कम थी। वर्तमान समय में धामों में श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।

इससे धामों में सुगम दर्शन कराना बीकेटीसी के समक्ष बड़ी चुनौती है। दर्शन व्यवस्था के लिए बीकेटीसी की ओर से जिन कार्मिकों की तैनाती की जाती है, वह प्रशिक्षित नहीं होते हैं। अभी तक पुलिस को भी दर्शन व्यवस्था में तैनात किया जाता है। पुलिस पर बीकेटीसी का नियंत्रण नहीं होता है। वो अपने विभागीय निर्देशों से संचालित होती है, जिससे कई तरह की दिक्कतें भी पैदा होती हैं।

ऐसा होगा सुरक्षा संवर्ग का ढांचा

बीकेटीसी के सुरक्षा संवर्ग का प्रमुख मुख्य मंदिर सुरक्षा अधिकारी होगा। यह पद डीएसपी रैंक के अधिकारी होगा। जिसे नागरिक पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र बल अथवा अर्द्ध सैनिक बल से प्रतिनियुक्ति के आधार पर भरा जाएगा। मुख्य मंदिर सुरक्षा अधिकारी के नीचे दो मंदिर सुरक्षा अधिकारी के पद होंगे। जो इंस्पेक्टर रैंक के होंगे। इसके आलवा सब इंस्पेक्टर रैंक के चार उप मंदिर सुरक्षा अधिकारी होंगे। ये सभी पद प्रतिनियुक्ति से भरे जाएंगे। आउटसोर्स के माध्यम से 10 मुख्य मंदिर रक्षक और 40 मंदिर रक्षकों की नियुक्ति की जाएगी।

आईटी संवर्ग में ये होंगे पद

वर्तमान में बीकेटीसी में सूचना प्रौद्योगिकी संवर्ग में इंटरनेट कोआर्डिनेटर का एक पद पूर्व से सृजित है और यह पद वर्तमान में रिक्त चला आ रहा है। कुछ माह पूर्व में बीकेटीसी में सेवा नियमावली बनने के बाद इस पद पर अब नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होगी। शासन ने अब बीकेटीसी में सहायक प्रोग्रामर का एक पद सृजित कर दिया है। इस पर नियत मानदेय पर नियुक्ति की जाएगी।

दर्शन व्यवस्था होगी और अधिक सुव्यवस्थित : अजेंद्र

बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने सुरक्षा संवर्ग और आईटी संवर्ग में पद सृजन के लिए सीएम धामी का आभार जताते हुए कहा, बीकेटीसी का अपना सुरक्षा संवर्ग होने से मंदिरों में दर्शन व्यवस्था को और अधिक सुव्यवस्थित किया जा सकेगा। बदरीनाथ व केदारनाथ के अलावा अन्य अधीनस्थ मंदिरों में भी सुरक्षाकर्मी तैनात रहेंगे। आईटी संवर्ग में पदों के सृजन से कई व्यवस्थाओं में सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग होगा। कहा, ई-ऑफिस, ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग होने से कामकाज में पारदर्शिता आएगी।

Uttarakhand: पीएम किसान सम्मान निधि- ई-केवाईसी न होने से एक लाख किसानों के खातों में नहीं आई रकम।

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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत ई-केवाईसी न करने और आधार नंबर, बैंक खाता और जमीन के रिकॉर्ड में जानकारी समान होने के कारण प्रदेश के एक लाख से अधिक किसानों को सम्मान निधि नहीं मिल रही है। वर्तमान में प्रदेश के 771567 किसान ही योजना में मिलने वाली रकम पा रहे हैं। अब किसानों को जागरूक करने के लिए प्रदेश भर में शिविर लगाए जाएंगे।

किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने दिसंबर 2018 में पीएम किसान सम्मान निधि योजना शुरू की थी। इस योजना में प्रदेश के नौ लाख पंजीकृत हैं। योजना के शुरूआत में सभी किसानों को बैंक खातों में सम्मान निधि के रूप में दो हजार रुपये की राशि आई। लेकिन कई अपात्र किसान भी योजना का लाभ रहे थे।

इस पर केंद्र सरकार ने दस्तावेजों का सत्यापन के लिए ई-केवाईसी शुरू किया। जिसमें किसान का आधार नंबर, बैंक खाता संख्या, जमीन से संबंधित खाता खतौनी व खसरा नंबर का सत्यापन किया। लेकिन प्रदेश में एक लाख से अधिक किसान ऐसे हैं। जिनकी ई-केवाईसी नहीं हो पाई या उनके दस्तावेजों में भिन्नता है। जिस कारण उन्हें योजना में मिलने वाली सम्मान निधि नहीं मिल रही है।

कृषि एवं उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश के सभी पात्र किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ मिले। जिन किसानों की ई-केवाईसी नहीं हो पाई है। इसके लिए प्रदेश भर में जागरूकता शिविर लगाए जाएं।

 

Uttarakhand: उत्तराखंड के 6422 गांवों का होगा डिजिटलाइजेशन, भारत नेट परियोजना के तहत कनेक्टिविटी से जुड़ेंगे ये गांव।

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उत्तराखंड के 6422 गांवों का डिजिटलाइजेशन करने के लिए जल्द ही इन्हें भारत नेट परियोजना के तहत ऑप्टिकल फाइबर आधारित कनेक्टिविटी से जोड़ा जाएगा। इसके लिए भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) भारत नेट उद्यमी (बीएनयू) के साथ मिलकर ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट उपलब्ध कराएगा।

योजना के तहत देशभर के ग्रामीण इलाकों में स्थानीय उद्यमियों की मदद से ऑप्टिकल फाइबर को घर-घर तक पहुंचाया जाएगा। इस संबंध में उत्तराखंड में बीएसएनएल के नवनियुक्त मुख्य महाप्रबंधक पीडी चिरानिया ने सोमवार को अधिकारियों के साथ बैठक की। दर्शनलाल चौक स्थित बीएसनएल के कार्यालय में आयोजित बैठक में उन्होंने बताया, योजना के लिए बीएसएनएल सिंगल प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एजेंसी के तौर पर काम करेगा।

लोगों को उद्यमी बनने का भी मौका मिलेगा-

इसके लिए यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओ) की ओर से आर्थिक मदद की जाएगी। कहा, योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट उपलब्ध कराना है। इसके अलावा इस योजना से ग्रामीण इलाकों के लोगों को उद्यमी बनने का भी मौका मिलेगा। इससे प्राप्त होने वाले राजस्व का 50 फीसदी हिस्सा उद्यमी को दिया जाएगा। कहा, योजना भारत सरकार का बड़ा कार्यक्रम हैं, यह उत्तराखंड के गांवों का डिजिटलाइजेशन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी

626 इलाकों में लगेंगे 4 जी टावर-

बीएसएनएल राज्य सरकार के साथ मिलकर उत्तराखंड के उन 626 इलाकों में 4-जी के टावर लगाएगा जहां किसी भी कंपनी का कोई नेटवर्क नहीं है। मुख्य महाप्रबंधक पीडी चिरानिया ने कहा, इसका सीधा लाभ हमारे सुरक्षा जवानों को मिलेगा। कहा, उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थिति के चलते इन इलाकों में किसी भी कंपनी का नेटवर्क काम नहीं करता। जिसके चलते देश की रक्षा कर रहे जवानों के अलावा वहां के स्थानीय लोगों से भी संपर्क करना किसी बड़ी चुनौती से भी कम नहीं है। इससे निपटने के लिए के लिए सरकार के साथ मिलकर 4-जी टावर लगाए जाएंगे।

Uttarakhand News: भीषण गर्मी के बीच बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची, कई जगह बिजली की कटौती।

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प्रदेश में भीषण गर्मी के बीच शुक्रवार को बिजली की मांग और बढ़ गई। वहीं, हरिद्वार जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटौती से लोग बेहाल रहे। हालांकि यूपीसीएल का दावा है कि मांग के सापेक्ष पूरी उपलब्धता होने के चलते कहीं भी घोषित कटौती नहीं की जा रही है।

राज्य में गर्मी बढ़ने के साथ ही बिजली की मांग रिकॉर्ड 6.2 करोड़ से भी ऊपर पहुंच गई। यूपीसीएल प्रबंधन के मुताबिक, इसके सापेक्ष पांच करोड़ यूनिट बिजली उपलब्ध है। बाकी 1.2 करोड़ यूनिट बिजली बाजार से खरीदी जा रही है। वहीं, बिजली की भारी मांग, विद्युत लाइनों के ओवरलोड के बीच प्रदेशभर में कई जगहों पर कटौती से लोग बेहाल रहे।

हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर के ग्रामीण इलाकों में भी कटौती से लोग परेशान रहे। हालांकि यूपीसीएल के निदेशक परिचालन एमआर आर्य का कहना है कि फिलहाल मांग के सापेक्ष बिजली की उपलब्धता पूरी है। लिहाजा, कहीं भी घोषित विद्युत कटौती नहीं की जा रही है।

चारधाम हेली सेवा बुकिंग के लिए खुद को IRCTC का अधिकारी बता कर सोशल मीडिया पर जाल फैला रहे ठग, जानिए बचाव के लिए क्या करें।

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फर्जी वेबसाइट पर पुलिस ने नकेल कसना शुरू किया तो साइबर ठगों ने नया पैंतरा अपना लिया है। ठग अब खुद को आईआरसीटीसी का अधिकारी बताकर लोगों को फंसाने में लगे हैं। इसके लिए पहले सच्ची बात बताई जा रही है ताकि लोगों को यकीन हो सके।

बताया जा रहा है कि चारधाम के लिए टिकटों की बुकिंग फुल हो चुकी है। लेकिन, अब कंपनी अपने कोटे के टिकटों को बेचकर यात्रा करा सकती है। इसके लिए ठगों ने सोशल मीडिया पर हेली बुकिंग के नाम से इश्तिहार प्रसारित किए हैं। ठगों के इस जाल से लोगों को बचाया जा सके इसके लिए अमर उजाला ने इस इश्तिहार के नंबर पर कॉल कर सारी स्थिति जानी। जो बात निकलकर सामने आई उससे यही लगा कि जरा सी सावधानी हटी तो ठगी का शिकार आसानी से बना जा सकता है।

हेली टिकट के लिए फेसबुक पर एक पेज मिला था। यहां पर हेलीकॉप्टर की फोटो के साथ डिस्प्ले पिक्चर में श्रीकेदारनाथ धाम का फोटो भी लगा था। नीचे एक मोबाइल नंबर लिखा हुआ था। अमर उजाला की ओर से इस नंबर पर कॉल की गई तो दूसरी ओर से परिचय आईआरसीटीसी के अधिकारी के रूप में दिया गया। अमर उजाला के प्रतिनिधि को अब तक की सारी बातों का पता था। ऐसे में ठग को इन बातों की जानकारी दी गई। उसे यह समझते देर न लगी कि यह वह मछली नहीं है जो उनके जाल में फंस जाए। ऐसे में एकाएक उसने फोन काट दिया।

ज्यादातर प्रदेश के बाहर के लोग हो रहे शिकार

फर्जी रजिस्ट्रेशन हो या फिर हेली टिकट का फर्जीवाड़ा। सभी मामलों में ज्यादातर ठगी के शिकार प्रदेश के बाहर के ही लोग हो रहे हैं। इसका कारण है कि प्रचार-प्रसार में कमी। प्रदेश के बाहर के लोगों में अब भी केदारनाथ व अन्य धामों की व्यवस्था के बारे में कम ही जानकारी है। यही नहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो किसी तरह जुगाड़ करने के चक्कर में जाल में फंस रहे हैं।

बचाव के लिए क्या करें

-आईआरसीटीसी की अधिकारिक वेबसाइट पर सर्च करें।

-आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर कोई भी मोबाइल नंबर नहीं है।

-फर्जी वेबसाइट पर मोबाइल नंबर लिखे होते हैं जो कि ठगों के होते हैं।

-सोशल मीडिया फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम आदि पर कोई टिकट बुकिंग की व्यवस्था नहीं है।

-किसी भी नंबर के संदिग्ध होने पर तत्काल पुलिस को सूचित करें।

-साइबर वित्तीय हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें।

एसटीएफ और साइबर पुलिस लगातार फर्जी वेबसाइट की निगरानी कर रही है। अपने फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया हैंडल से भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जो शिकायतें आ रही हैं उनकी भी जांच की जा रही है। इस साल अब तक 20 फर्जी वेबसाइट ब्लॉक की जा चुकी हैं। यदि कोई ठगी का शिकार होता है या आशंका है तो साइबर वित्तीय हेल्पलाइन पर मदद मांग सकता है। एसटीएफ की ओर से मोबाइल नंबर भी जारी किए गए हैं। – आयुष अग्रवाल, एसएसपी, एसटीएफ

 

Uttarakhand Forest Fire: उत्तराखंड में धधक रहे हैं जंगल, कुमाऊं में 24 घंटे में 14 जगह आग का तांडव, प्रदेश में 24 घंटे में 40 नई घटनाएं।

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 उत्तराखंड में गर्मी से राहत मिली है, लेकिन जंगलों के धधकने का सिलसिला थम  नहीं रहा है। बुधवार को 24 घंटे के भीतर प्रदेश में आग की 40 नई घटनाएं हुईं, जिनमें कुल 46 हेक्टेयर वन क्षेत्र को क्षति पहुंची है। वन विभाग की ओर से जंगल में आग लगाने वालों की गिरफ्तारी और मुकदमा दर्ज कराने की कार्रवाई भी जारी है।

अब तक जंगल में आग लगाने पर वन अपराध के तहत कुल 315 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं और 52 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं, फायर सीजन में अब तक कुल 761 घटनाओं में 949 हेक्टेयर वन क्षेत्र जल चुका है। उत्तराखंड में जंगलों के झुलसने का सिलसिला जारी है। वन विभाग सेना के सहयोग से लगातार आग पर काबू पाने का प्रयास कर रहा है।

केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग आदि में जंगल धधक रहे-

टिहरी बांध प्रथम वन प्रभाग, नैनीताल वन प्रभाग, भूमि संरक्षण रानीखेत वन प्रभाग, अल्मोड़ा वन प्रभाग, सिविल सोयम अल्मोड़ा वन प्रभाग, तराई पूर्वी वन प्रभाग, रामनगर वन प्रभाग, मसूरी वन प्रभाग, लैंसडौन भूमि संरक्षण वन प्रभाग, सिविल सोयम पौड़ी वन प्रभाग, केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग आदि में जंगल धधक रहे हैं। अब तक दो फायर वाचर समेत चार लोग आग से झुलस चुके हैं।

52 व्यक्तियों को जंगल में आग लगाने पर गिरफ्तार किया-

अब तक इस सीजन में जंगल में आग लगाने पर वन संरक्षण अधिनियम और वन अपराध के तहत 315 मुकदमे दर्ज कराए जा चुके हैं। जिनमें 267 मुकदमे अज्ञात और 48 मुकदमे ज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध कराए गए हैं। साथ ही अब तक कुल 52 व्यक्तियों को जंगल में आग लगाने पर गिरफ्तार किया जा चुका है। वन विभाग की ओर से मुख्यालय में कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। साथ ही जंगल की आग की सूचना देने के लिए नंबर भी जारी किए गए हैं।

इन नंबरों पर करें शिकायत-

18001804141, 01352744558 पर काल कर कोई भी विभाग को जंगल की आग की सूचना दे सकता है। साथ ही 9389337488 व 7668304788 पर व्हाट्सएप के माध्यम से भी सूचित कर सकते हैं। इसके अलावा राज्य आपदा कंट्रोल रूम देहरादून को भी 9557444486 और हेल्पलाइन 112 पर भी आग की घटना के बारे में जानकारी दी जा सकती है।

जंगलों की आग पर मानव अधिकार आयोग हुआ सख्त-

उत्तराखंड के जंगलों में लगातार आग लगने का मामला उत्तराखंड मानव अधिकार आयोग देहरादून पहुंच चुका है। आयोग ने जंगलों में लग रही आग पर सख्त रूप अपनाते हुए वन अग्निकांड पर प्रमुख सचिव वन और प्रमुख मुख्य वन संरक्षक से छह बिंदुओं पर आख्या मांगी है।

उत्तराखंड मानव अधिकार आयोग ने ग्रीष्म ऋतु में लगने वाले इस अग्निकांड को वन संपदा, पर्यावरण, वन्य जीवों और मानव जीवन के लिए घातक बताया है और प्रथम दृष्टतया वृहद रूप से मानवाधिकारों को विपरीत रूप से प्रभावित करने वाला बताया है।

इस ज्वलंत समस्या पर मानव अधिकार आयोग सदस्य पूर्व जज गिरधर सिंह धर्मशक्तू के समक्ष आयोग ने स्वतः इसका संज्ञान लेकर एक आदेश जारी करते हुए वन अग्निकांड पर प्रमुख सचिव वन एवं प्रमुख मुख्य वन संरक्षक उत्तराखंड को छह बिंदुओं पर आख्या मांगी है।

 

Electricity: उत्तराखंड के 27 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को लगा बड़ा झटका, महंगी होगी बिजली।

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उत्तराखंड में बिजली इस सप्ताह से महंगी हो सकती है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग नई विद्युत दरें जारी करने जा रहा, जो एक अप्रैल से लागू मानी जाएंगी। आचार संहिता के बीच चुनाव आयोग ने नियामक आयोग को इसकी अनुमति दे दी है।

27 लाख से अधिक उपभोक्ताओं के लिए ये दरें जारी होंगी। दरअसल, यूपीसीएल को राज्य की मांग पूरी करने के लिए बिजली खरीद पर 1281 करोड़ ज्यादा देने पड़ रहे हैं। इसकी भरपाई के लिए एक अप्रैल से शुरू हुए वित्तीय वर्ष में यूपीसीएल ने बिजली दरों में 23 से 27 प्रतिशत बढ़ोतरी की सिफारिश की थी।

इस बढ़ोतरी को लेकर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर नियामक आयोग ने प्रदेशभर में जनसुनवाई की। इसके अलावा सभी हितधारकों से भी बातचीत करके सुझाव लिए। यह दरें एक अप्रैल से लागू की जानी थीं, लेकिन इससे पहले ही लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई।

19 अप्रैल को राज्य में लोस चुनाव संपन्न होने के बाद नियामक आयोग ने चुनाव आयोग से नई विद्युत दरें जारी करने को लेकर निर्देश मांगे थे। नियामक आयोग के सचिव नीरज सती ने बताया, चुनाव आयोग ने अनुमति दे दी है। अब वह तैयारी कर रहे हैं। इस सप्ताह के अंत तक नई दरों की घोषणा की जा सकती है, जो एक अप्रैल से लागू मानी जाएंगी।

Uttarakhand: धधकते जंगलों की आग बुझाने इस साल नहीं आएंगे हेलिकॉप्टर, न ही कोई प्रस्ताव और न ही विभाग को जरूरत।

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उत्तराखंड में जंगल इस साल पूरी गर्मी धधकते रहेंगे, लेकिन आग बुझाने के लिए हेलिकॉप्टर नहीं आएंगे। मुख्य वन संरक्षक वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन निशांत वर्मा बताते हैं कि जंगलों की आग पर काबू पाने के लिए हेलिकॉप्टरों से मदद लिए जाने का कोई प्रस्ताव नहीं है, विभाग को इसकी जरूरत नहीं है।

प्रदेश के जंगलों में आग के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। गर्मी तेज होते ही जगह-जगह से आग के प्रकरण सामने आ रहे हैं। बुधवार को गढ़वाल और कुमाऊं में 31 जगह जंगलों में आग लगी। हालांकि बृहस्पतिवार को वनाग्नि के प्रकरणों में राहत है। गढ़वाल, कुमाऊं और वन्यजीव क्षेत्र में पिछले 24 घंटे में वनाग्नि के 9 प्रकरण सामने आए हैं, जिससे 10 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है।

मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा बताते हैं कि जंगल में आग लगने की सूचना मिलते ही क्रू टीम मौके पर जाकर आग बुझा रही है। विभाग के पास फायर वाचर हैं, कुछ नए कर्मचारी भी मिले हैं। राज्य वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन कक्ष को जहां कहीं से भी जंगल में आग लगने की सूचना मिलती है, प्रयास किया जाता है कि जल्द से जल्द टीम मौके पर पहुंचे। कुछ जगह जंगलों के नजदीक खेतों में खरपतवार जलाने से जंगलों में आग फैलने की शिकायत मिली है, इसके लिए ग्रामीणों को भी जागरूक किया जा रहा है।

 

2020-21 में वनाग्नि बुझाने के लिए लगाए थे हेलीकॉप्टर-
दुनियाभर में जंगलों में आग लगने पर हेलीकॉप्टरों की मदद ली जाती है। इसमें लचीली बाल्टी या बेली टैंक होता है। हर बार आग पर उड़ान भरने पर ये हेलीकॉप्टर चार हजार लीटर तक पानी गिराते हैं। देश में जंगलों की आग बुझाने में वायुसेना के एमआई 17-वी 5 हेलीकॉप्टर काफी उपयोगी रहे हैं। वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि उत्तराखंड में वर्ष 2020-21 में हेलीकॉप्टर से जंगलों की आग बुझाने के प्रयास किए गए थे, लेकिन पहाड़ में इस तरह के प्रयास सफल नहीं रहे।

उत्तराखंड में तीन दिन में जंगलों में 56 जगह लगी आग-
उत्तराखंड में पिछले तीन दिन में 56 स्थानों पर जंगल में आग लगने के मामले सामने आए हैं। जिससे 73 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। इसे मिलाकर अब तक वनाग्नि की 131 घटनाओं में 188 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र प्रभावित हो चुका है। बृहस्पतिवार को नैनीताल वन प्रभाग के आरक्षित क्षेत्र में दो, तराई पूर्वी वन प्रभाग में पांच, लैंसडाउन वन प्रभाग में एक और राजाजी टाइगर रिजर्व आरक्षित क्षेत्र में वनाग्नि का एक मामला सामने आया है।