Category Archive : उत्तरकाशी

Chardham Yatra: उत्तरकाशी में रात 10 से सुबह 4 बजे तक यातायात पर लगी रोक, जानिये क्यों लिया गया फैसला।

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जनपद में रात 10 से सुबह 4 बजे तक वाहनों के आवागमन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा। आगामी मानसून सीजन में चारधाम यात्रा को सुगम व सुरक्षित बनाने के लिए पुलिस प्रशासन ने यह निर्णय लिया है। इसी के साथ गंगोत्री हाईवे पर दुर्घटना संभावित क्षेत्र सोनगाड में अस्थायी पुलिस चौकी खोली गई है, जहां पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

एसपी अर्पण यदुवंशी ने बताया कि चारधाम यात्रा के सुरक्षित संचालन के लिए पूर्व में जारी विशेष कार्य योजना में आंशिक संशोधन किया गया है। नई एसओपी में रात 8 बजे से सुबह 4 बजे तक यातायात प्रतिबंधित रहेगा।

इस अवधि में ऐसे यात्री वाहन जिनकी होटल बुकिंग होगी, उन्हीं को बैरियरों से आगे होटल तक भेजा जाएगा। जबकि रात 10 बजे बाद किसी वाहन को आगे नहीं भेजा जाएगा। सुबह 4 बजे के बाद ही यातायात पुन: संचालित किया जाएगा। बताया कि पूर्व में जारी एसओपी के अन्य बिंदू यथावत रहेंगे। एसपी ने बताया कि दुर्घटना संभावित क्षेत्र सोनगाड में अस्थाई चौकी भी स्थापित कर दी गई है। 

Uttarakahnd: सहस्त्रताल ट्रैक पर 22 सदस्यीय दल में से 9 ट्रैकर्स की मौत, 10 ट्रैकर्स सुरक्षित, द्रौपदी का डांडा हिमस्खलन के बाद दूसरा बड़ा हादसा।

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उत्तरकाशी-टिहरी जनपद की सीमा पर करीब 14500 फीट की ऊंचाई पर स्थित सहस्त्रताल ट्रैक पर गए 22 सदस्यीय दल में से नौ ट्रैकर्स की मौत हो गई। दस ट्रैकर्स को सुरक्षित वापस लाया जा चुका है। वर्ष 2022 में हुए निम के द्रौपदी का डांडा हिमस्खलन हादसे के बाद यह दूसरा बड़ा हादसा है।

चार अक्तूबर 2022 को निम के इतिहास में वह तारीख है जिसने निम प्रबंधन को कभी न भूलने वाला गम दिया। हादसे में निम के 34 प्रशिक्षुओं का दल द्रौपदी का डांडा-2 चोटी आरोहण के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आ गया था जिसमें कुल 27 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं दो लोग अब भी लापता चल रहे हैं।

इनमें उत्तराखंड से नौसेना में नाविक विनय पंवार व हिमाचल निवासी लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक वशिष्ट शामिल थे। हालांकि उस दौरान निम के साथ एसडीआरएफ की टीम ने दोनों लापता लोगों की खोजबीन के लिए माइनस 25 डिग्री तापमान में भी विशेष अभियान चलाया।

अब एक और हादसे के खबर उत्तरकाशी-टिहरी जनपद की सीमा पर करीब 14500 फीट की ऊंचाई पर स्थित सहस्त्रताल ट्रैक से आई।
कल मंगलवार को चार ट्रैकर की ठंड लगने से मौत हो गई। वहीं आज पांच ट्रैकर्स की और मौत हो गई। दस ट्रैकर्स को सुरक्षित लाया जा चुका है। मौसम खराब होने के कारण ट्रैकर्स रास्ता भटक गए थे। जिले की ट्रैकिंग एजेंसियों के माध्यम से जिला आपदा प्रबंधन को इसकी सूचना मिली। जिससे विभाग ने रेस्क्यू के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है।
 29 मई को एक 22 सदस्यीय दल मल्ला-सिल्ला से कुश कुल्याण बुग्याल होते हुए सहस्त्रताल की ट्रैकिंग के लिए निकला था। दो जून को यह दल सहस्त्रताल के कोखली टॉप बेस कैंप पहुंचा।
तीन जून को वह सहस्त्रताल के लिए रवाना हुए। वहां अचानक मौसम खराब होने, घने कोहरे और बर्फबारी के बीच ट्रैकर फंस गतए। पूरी रात उन्हें ठंड में बितानी पड़ी। ट्रैकर्स में से किसी ने इसकी सूचना दल को ले जाने वाली गढ़वाल माउंटनेरिंग एवं ट्रैकिंग एजेंसी के मालिक को दी। बताया कि ठंड लगने से चार ट्रैकर की मौत हो गई है जबकि सात की तबीयत खराब है और 11 वहां फंसे हुए हैं।

Uttarkashi: मानदेय बढ़ोतरी की मांग को लेकर निकाला जुलूस, विरोध प्रदर्शन के दौरान बेहोश हुई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता।

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राजकीय कर्मचारी घोषित करने और मानदेय बढ़ोतरी की मांग पूरी नहीं होने से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में भारी रोष है। शुक्रवार को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ जुलूस निकाला। इस दौरान एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संगीता सेमवाल बेहोश हो गई।

जुलूस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के पुतलों के साथ निकाला गया। शहर के मुख्य मार्गों से होता हुआ जुलूस बस अड्डे तक पहुंचा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सेविका व मिनी आंगनबाड़ी कर्मचारी संगठन के बैनर तले जनपद भर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रदर्शन में शामिल हुईं।

कार्यकर्ताओं ने पुतला फूंककर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। बता दें कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता 19 फरवरी से कलेक्ट्रेट परिसर में अनिश्चितकालीन धरने पर हैं। जिनके धरने को आज 25 दिन पूरे हो चुके हैं। अब लोकसभा चुनाव के लिए कभी भी आचार संहिता लगने और मांगे पूरी न होने पर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

जोशीमठ के बाद अब नैनीताल शहर पर मंडराया खतरा, जानिए क्यों जोशीमठ बनने की राह पर है नैनीताल।

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जोशीमठ भू-धंसाव के बाद खतरे की जद में नजर आ रहे नैनीताल शहर को बचाने और भविष्य की निर्माण योजनाओं को तैयार करने के लिए इसका भू-तकनीकी एवं भू-भौतिकीय सर्वेक्षण होगा। इसके अलावा नैनीताल में स्लोप स्थायित्व का भी सर्वेक्षण होगा। इसके लिए भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। साथ ही शहर का लाइडर मैप भी तैयार किया जाएगा।

 

दरअसल, जोशीमठ भू-धंसाव के बाद सरकार ने तय किया था कि सभी पर्वतीय शहरों की धारण क्षमता का आकलन कराया जाएगा। इस कड़ी में पहले चरण में 15 शहरों का चयन किया गया था। सबसे पहले नैनीताल की धारण क्षमता के आकलन के साथ ही इसे भू-धंसाव से बचाने के लिए सर्वेक्षण होगा। इसके तहत नैनीताल का लाइडर (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) मैप तैयार किया जाएगा। इस तकनीक का उपयोग उच्च-रिजॉल्यूशन वाले मानचित्र बनाने में किया जाता है।

यहां पैदा हो रहा है खतरा-

नैनीताल की बुनियाद समझा जाने वाला बलिया नाला लगातार भू-स्खलन की जद में आ रहा है, इसका ट्रीटमेंट भी शुरू किया गया है। वहीं, नैनीताल का शीर्ष नैना पीक, भुजा टिफ्फन टॉप व स्नो व्यू की रमणीक पहाड़ी में भूस्खलन सक्रिय है।

यह होगा फायदा-

भू-सर्वेक्षण के बाद लाइडर मैप बनने से यह स्पष्ट हो सकेगा कि शहर में कितनी ऊंचाई तक के भवन सुरक्षित हैं। पहले से जो भवन बने हुए हैं, उनका शहर पर कितना बोझ है। कितने ढलान पर कितनी मंजिल के ऐसे भवन हैं, जो आपदा के लिहाज से खतरे में हैं। कितने डिग्री ढलान पर कितनी मंजिल के भवन बनाए जाने चाहिए। पर्वतीय शहरों में वह कौन सी भूमि व स्थान हैं, जहां भवन बनाना खतरनाक हो सकता है। भविष्य में नए निर्माण से लेकर सीवर, पेयजल तक का पूरा काम उसी मैप के हिसाब से होगा। इसके लिए मास्टर प्लान भी उसी के अनुसार बनाया जाएगा।

पहले चरण में इन 15 शहरों का होगा अध्ययन-

गोपेश्वर, पौड़ी, श्रीनगर, कर्णप्रयाग, नई टिहरी, उत्तरकाशी, लैंसडौन, रानीखेत, नैनीताल, कपकोट, धारचूला, चंपावत, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, भवाली।

हमने नैनीताल के भू-सर्वेक्षण व लाइडर मैपिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए जल्द एजेंसी का चयन कर लिया जाएगा। इसके बाद बाकी अन्य शहरों के लिए भी यह प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
-डॉ. रंजीत सिन्हा, सचिव, आपदा प्रबंधन 

 

उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार हो रही है शीतकालीन चार धाम यात्रा, जानिए कब और कैसे शुरू होगी ये यात्रा।

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पूरी दुनिया जब क्रिसमस और न्यू ईयर के जश्न में डूब रही होगी, तब देवभूमि उत्तराखंड में पहली बार ऐतिहासिक शीतकालीन यात्रा की शुरूआत होगी। आमतौर पर चारधाम यात्रा की शुरूआत उत्तराखंड में गर्मियों में होती है, लेकिन पहली बार शीतकालीन यात्रा पोस्ट मास में शुरू होने वाली है। यात्रा की शुरूआत जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद करेंगे। शंकराचार्य के प्रतिनिधियों ने रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। सीएम धामी ने चारधाम यात्रा के लिए शुभकामनाएं दी हैं।

7 दिन की शीतकालीन तीर्थ यात्रा की शुरुआत 27 दिसंबर से होगी। समापन 2 जनवरी को हरिद्वार में होगा। यात्रा के आमंत्रण के लिए ज्योतिर्मठ का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री धामी से मिला और यात्रा का आमंत्रण पत्र दिया।उत्तराखंड में चारधाम यात्रा 6 माह की अवधि की होती है,,ठंड और बर्फबारी के साथ ही ये यात्रा शीतकाल के लिए बंद कर दी जाती है लेकिन अब उत्तराखंड में शीतकालीन चारधाम यात्रा की भी शुरुआत होने जा रही है, यानी साल के 12 महीने अब ये यात्रा हो पायेगी नए साल के अवसर पर अगर आप भी चारों धाम  के दर्शन करना चाहते हैं, तो ये बिल्कुल संभव है.

 

ज्योतिर्पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू की जा रही है. आमतौर पर चारधाम यात्रा की शुरुआत उत्तराखंड में गर्मियों में होती है. यह यात्रा 6 माह तक यानी दीपावली के आसपास तक चलती है, लेकिन पहली बार शीतकालीन यात्रा पौष मास में शुरू होने जा रही है।

जानिए क्या कहा अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने- 

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि इस बार शीतकाल के दौरान चारों धामों की यात्रा कर वह उस  धारणा को समाप्त करना चाहते हैं  कि  सिर्फ 6 महीने ही चार धाम की पूजा हो सकती है वह लोगों को यह समझाने का प्रयास करेंगे कि शीतकाल में भी चार धाम की पूजा वैकल्पिक स्थान पर की जाती है, यहां दर्शन करने पर भी वही पुण्य मिलता है, जो मूल स्थान पर मिलता है उन्होंने कहा कि इससे चारों धामों में आस्था रखने वाले साल भर दर्शन के लिए उत्तराखंड पहुंच सकते हैं साथ ही स्थानीय लोगों और सरकार को इसका आर्थिक रूप से फायदा भी  मिलेगा।

कोई शंकराचार्य इतिहास में पहली बार कर रहे ऐसी यात्रा-

इतिहास में पहली बार कोई शंकराचार्य ऐसी यात्रा कर रहे हैं। आम धारणा है कि शीतकाल के 6 माह तक उत्तराखंड के चार धामों की बागडोर देवताओं को सौंप दी जाती है और उन स्थानों पर प्रतिष्ठित चल मूर्तियों को पूजन स्थलों में विधि विधान से विराजमान कर दिया जाता है। इन स्थानों पर 6 महीने तक पूजा पाठ पारंपरिक पुजारी ही करते हैं, लेकिन लोगों में धारणा रहती है कि अब 6 महीने के लिए पट बंद हुए तो देवताओं के दर्शन भी दुर्लभ होंगे। ये प्रयास अगर सफल होता है तो निश्चित रूप से उत्तराखंड में पर्यटन को पंख लग सकते हैं और केवल चार धाम यात्रा ही नहीं बल्कि प्रदेश की आर्थिकी के लिए भी एक अच्छा कदम साबित हो सकता है।

उत्तराखंड में बर्फबारी: खूबसूरत बर्फीली वादियों में हो रही है जमकर बर्फ़बारी, क्रिसमस-नए साल के लिए कर सकते हैं प्लान.

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मौसम के बदले मिजाज के साथ ही मंगलवार को चारों धामों के साथ ही हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी और औली में जमकर बर्फबारी हुई। केदारनाथ में जहां चार इंच नई बर्फ जम गई है वहीं तापमान माइनस 7 तक रहा है। 

वहीं निचले क्षेत्रों में हुई बारिश और पहाड़ों में बर्फबारी से कड़ाके की ठंड पड़ने लगी है। ठंड से बचने के लिए लोगों ने अलाव का सहारा लिया। गोपेश्वर/जोशीमठ में मंगलवार को सुबह से बादल छाए थे और दोपहर बाद चमोली जिले में बदरीनाथ धाम, हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी, रुद्रनाथ, काली माटी, औली, गोरसों बुग्याल सहित ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जमकर बर्फबारी हुई, जबकि निचले क्षेत्रों में बारिश हुई।

गोपेश्वर, जोशीमठ, पोखरी, नंदानगर, पीपलकोटी आदि क्षेत्रों में ठंडी हवाएं चलीं। ठंड से बचने के लिए लोग घरों में ही दुबके रहे और बाजारों में सन्नाटा छाया रहा। बदरीनाथ में तापमान अधिकतम -1 और न्यूनतम – 8 डिग्री, औली में अधिकतम 3, न्यूनतम -3 और , जोशीमठ में अधिकतम 9 , न्यूनतम – 2 रहा। 

रुद्रप्रयाग केदारनाथ धाम में दोपहर बाद 12 बजे बर्फबारी हुई जो देर शाम तक होती रही। धाम में लगभग चार इंच नई बर्फ जमी। वहीं, द्वितीय केदार व तृतीय केदार में भी बर्फ गिरी। धाम में तापमान अधिकतम 1 डिग्री व न्यूनतम -7 डिग्री दर्ज किया गया। 

उत्तरकाशी/बड़कोट स्थित गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में इस सीजन की दूसरी बर्फबारी हुई जबकि हर्षिल में भी बर्फबारी हुई। गंगोत्री धाम में अधिकतम तापमान -3 और न्यूनतम -8 दर्ज किया गया है। वहीं यमुनोत्री धाम में अधिकतम -1 व न्यूनतम तापमान -7 दर्ज किया गया है। 

बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान का काम हुआ प्रभावित-

गोपेश्वर में बर्फबारी से बदरीनाथ धाम में महायोजना मास्टर प्लान का काम प्रभावित हो गया है और मजदूर काम नहीं कर पाए। मास्टर प्लान के कार्य में लगे वाहन और उपकरणों पर भी बर्फ की मोटी चादर बिछ गई है।

क्रिसमस और नए वर्ष से पहले औली की पहाड़ियां बर्फ से ढकीं-

औली में क्रिसमस और नए वर्ष के आगमन से पहले बर्फबारी होने से पर्यटन से जुड़े व्यापारियों के चेहरे खिल गए हैं। बर्फबारी से औली में पर्यटकों के बढ़ने की उम्मीद है। मंगलवार को हुई बर्फबारी से औली के साथ ही समीपवर्ती पहाड़ियां बर्फ से ढक गई हैं।

पर्यटकों में होगा इजाफा-

औली में स्कीइंग की ढलानें भी बर्फ से ढक गई हैं। बर्फबारी के बीच कई पर्यटक चेयर लिफ्ट से औली का दीदार कर रहे थे। औली में पर्यटन व्यवसायियों का कहना है कि क्रिसमस से पहले बर्फबारी शुभ संकेत है। दिसंबर माह के अंत में भी बर्फबारी होती है तो पर्यटकों में इजाफा हो जाएगा। 

चमोली में 50 से अधिक गांवों में गिरी बर्फ- 

चमोली जनपद के 50 से अधिक गांवों में बर्फबारी हुई है। निजमुला घाटी के ईराणी, पाणा, झींझी, रामणी, ल्वाणी, घूनी, पडेरगांव, सुंग, कनोल, सुतोल, पेरी के साथ ही जोशीमठ क्षेत्र के नीती घाटी के गांवों में भी बर्फबारी हुई है। गांवों को जाने वाले पैदल रास्तों में भी बर्फ जम गई है। रामणी गांव के ग्राम प्रधान सूरज पंवार ने बताया कि बर्फबारी से कड़ाके की ठंड शुरू हो गई है।

Uttarkashi Tunnel Rescue: सबा ने पीएम मोदी को बताया कि सुरंग के अंदर इतने दिनों तक कैसे समय काटा.

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग से 17 दिन बाद निकाले गए मजदूरों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज फोन पर बात की। एक बचाए गए शख्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया कि 41 मजदूरों ने सुबह की सैर और योग का अभ्यास करके अपना उत्साह बनाए रखा।

वहीं, एक अन्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और बचाव टीमों की सराहना की। उनमें से एक ने कहा कि उन्हें चिंता करने की कोई बात नहीं है, क्योंकि जब सरकार विदेशों में भारतीयों को बचा सकती है, तो हम देश के भीतर ही थे।

मंगलवार देर रात बचाए गए मजदूरों के साथ अपनी फोन पर बातचीत में पीएम मोदी ने कहा कि इतने दिनों तक खतरे में रहने के बाद सुरक्षित बाहर आने पर मैं आपको बधाई देता हूं। यह मेरे लिए खुशी की बात है। मैं इसे शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता। ईश्वर की कृपा है कि आप सभी सुरक्षित हैं। 

प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बातचीत के एक वीडियो के अनुसार, मोदी ने बचाए गए लोगों से कहा कि 17 दिन का कम समय नहीं है। आप सभी ने बहुत साहस दिखाया और एक-दूसरे को प्रोत्साहित किया। पीएम मोदी ने कहा कि वह ऑपरेशन के बारे में जानकारी लेते रहते थे और लगातार मुख्यमंत्री के संपर्क में थे।


पीएम मोदी ने कहा कि मेरे पीएमओ के अधिकारी भी वहां बैठे थे। लेकिन सिर्फ सूचना मिलने से चिंता कम नहीं होती। इस दौरान बिहार के रहने वाले युवा इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड के सबा अहमद ने प्रधानमंत्री को बताया कि वो कई दिनों तक सुरंग में फंसे रहे, लेकिन उन्हें कोई डर या घबराहट महसूस नहीं हुई।

‘जानिये श्रमिकों ने कैसे सुरंग के अंदर काटा समय’

सबा अहमद ने बताया कि हम भाइयों की तरह थे, हम एक साथ थे। हम रात के खाने के बाद सुरंग में टहलते थे। मैं उन्हें सुबह की सैर और योग करने के लिए कहता था। सबा अहमद ने पीएम को बताया कि जिस सुरंग में वे फंसे थे, उसके दो किमी से अधिक हिस्से में मजदूर सुबह की सैर करते थे और योग भी करते थे। हम उत्तराखंड सरकार, विशेष रूप से सीएम और मंत्री वीके सिंह को धन्यवाद देना चाहते हैं।

आप सभी ने हौसला बढ़ाया: गब्बर सिंह

इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी से उत्तराखंड के एक फोरमैन गब्बर सिंह नेगी ने बात की। पीएम मोदी ने कहा कि गब्बर सिंह मैं आपको विशेष रूप से बधाई देता हूं। मुझे मुख्यमंत्री धामी रोजाना बताते थे। आप दोनों लोगों ने अच्छी लीडरशिप दिखाई है। इस पर गब्बर सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि आप सभी लोगों ने हौसला बढ़ाया। सीएम धामी लगातार हमारे संपर्क में बने रहते थे। इस दौरान गब्बर सिंह ने कहा कि कंपनी ने भी कहीं कोई कसर नहीं छोड़ी।
मोदी ने दोनों कार्यकर्ताओं के नेतृत्व और साहस की भी सराहना की। साथ ही पीएम मोदी ने भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह की भी सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने एक सैनिक के रूप में अपना प्रशिक्षण दिखाया है।

Uttarkashi Tunnel: 2 रोबोट जाएंगे सुरंग के अंदर, कल फिर होगी ड्रोन उड़ाने की कवायद .

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 दिवाली के दिन उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में फंसे  41 श्रमिकों को अभी तक बाहर नहीं निकाला जा सका है। रेस्क्यू ऑपरेशन का आज नौवां दिन है। अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स भी आज उत्तरकाशी पहुंचे हैं। उन्होंने भी यहां पहुंचकर हालात का जायजा लिया।
कल फिर होगी ड्रोन उड़ाने की कवायद-

ऑपरेशन सिल्क्यारा के तहत कल यानी मंगलवार को विशेषज्ञों की टीम अत्याधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल करेगी। इसके लिए जहां डीआरडीओ के 70 किलो के दो रोबोट पहुंच चुके हैं, वहीं ड्रोन को भी नए सिरे से उड़ाया जाएगा। एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खलखो ने कहा, सुरंग के भीतर डीआरडीओ के 2  रोबोट आए हैं, जिनमें एक 50 किलो और दूसरा 20 किलो का है। कहा कि, ड्रोन पहले दिन अच्छे नतीजे नहीं दे पाया। लेकिन न अब उन्हें मंगलवार को फिर से उड़ाया जाएगा।

57 मीटर लंबा पाइप हुआ सुरंग के आर पार-

सिल्क्यारा सुरंग में 6 इंच का एक अतिरिक्त पाइप आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए ड्रिल किया जा रहा था। वह अब आर-पार हो गया है। इसकी कुल लंबाई 57 मीटर है। इस पाइप से मजदूरों को खाद्य सामग्री भेजी जाएगी। पहले लगाया गया पाइप छोटा होने की वजह से उन्हें केवल ड्राई फ्रूट और मुरमुरे ही भेजे जा रहे थे। अब उन्हें अन्य खाने की वस्तुएं भी भेजी जा सकेंगी।

2 रोबोट पहुंचे सिल्क्यारा-

एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशू मनीष ने कहा कि डीआरडीओ ने 20 किलो और 50 किलो वजन वाले दो रोबोट भेजे हैं। रोबोट जमीन पर चलते हैं और जमीन रेत की तरह काम कर रही है, हमें आशंका है कि रोबोट वहां चल पाएंगे या नहीं।

रोबोटिक्स मशीन पहुंची सिल्क्यारा-

उत्तरकाशी सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए रोबोटिक्स मशीन सिल्क्यारा सुरंग स्थल पहुंच गई है। बीतते वक्त के साथ खतरा बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी लाई जा रही है।

दो से तीन दिन में पूरी हो सकेगी ड्रिल-

सुरंग के ऊपर ड्रिलिंग के लिए जगह चुन ली गई है। 1.2 मीटर डायमीटर की ड्रिल होगी। जिसका सेटअप अगले 24 घंटे में होने की संभावना है। अब दो से तीन दिन में ड्रिल पूरी हो सकेगी।

क्या कहा अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने- 
अंतर्राष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स आज उत्तरकाशी पहुंचे। उन्होंने यहां पर निरीक्षण करने के बाद कहा कि हम श्रमिकों को बाहर निकालने की कोशिश में जुटे हैं। कहा कि मेरे साथ हिमालय भूविज्ञान के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञ हैं। हमें तुलना करने की आवश्यकता है। हमने यहां सुरंग के ऊपर जो देखा है और जो हम जानते हैं कि सुरंग के अंदर क्या हो रहा है। हम उन 41 लोगों को बचा रहे हैं और ऐसा करते समय हम किसी को भी चोट नहीं पहुंचने देंगे। यह किसी भी जटिल काम की तरह है। जहां हमें चारों ओर ऊपर से नीचे तक देखना होता है। यहां की टीम बचाव पर इतना ध्यान केंद्रित कर रही है और इतना ध्यान केंद्रित कर रही है कि किसी और को चोट न पहुंचे। फिलहाल, यह सकारात्मक दिख रहा है। हम सभी एक टीम हैं। टनल के ऊपर 320 मीटर दूरी पर टीम ने ड्रिल के लिए स्थान चुना है। यहां से 89 मीटर गहराई तक ड्रिल होगी।

उत्‍तरकाशी टनल में 41 जान: मजदूरों का फूटा गुस्सा, बोले- मजदूर नहीं टनल बचाना चाहते हैं.

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देहरादून: उत्तरकाशी टनल में फंसे मजदूरों को लेकर कंपनी की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। सिल्क्यारा सुरंग में 40 नहीं बल्कि 41 श्रमिक फंसे हुए हैं। मजदूरों के फंसने के सातवें दिन यह खुलासा हुआ है जिससे साफ जाहिर होता है कि एनएचआईडीसीएल और निर्माण कंपनी नवयुग कंस्ट्रक्शन ने इस मामले में कितनी बड़ी लापरवाही की है। डीएम अभिषेक रोहिल्ला के अनुसार, बिहार मुजफ्फरपुर निवासी श्रमिक के बारे में पता चला है कि वह भी सुरंग में फंसा हुआ है।
सिल्क्यारा सुरंग में 12 नवंबर की सुबह से श्रमिक फंसे हुए हैं। पूर्व में कंपनी ने 40 श्रमिकों की सूची जारी की थी, लेकिन शनिवार सुबह यह बड़ा खुलासा हुआ है कि सुरंग में 40 नहीं बल्कि 41 मजदूर फंसे हुए हैं। 41वें श्रमिक की पहचान बिहार मुजफ्फरपुर के गिजास टोला निवासी दीपक कुमार के रूप में हुई है।

सिल्क्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में देरी से साथी मजदूरों में आक्रोश है। शनिवार को मजदूरों ने सुरंग निर्माण से जुड़ी एनएचआईडीसीएल व निर्माण कंपनी नवयुगा के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि कंपनी गरीब मजदूरों को नहीं बल्कि सुरंग बचाना चाहती है। इसी कारण मजदूरों को बाहर निकालने में देरी की जा रही है। अंदर फंसे उनके साथियों का हौसला टूट रहा है और वह रो रहे हैं। 

अंदर फंसे साथियों की चिंता कर रहे कुछ मजदूर रोने लगे, जिन्हें अधिकारियों ने ढांढस बंधाया। यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने का रेस्क्यू ऑपरेशन शनिवार को सातवें दिन में प्रवेश कर चुका है। लेकिन अब तक कोई सफलता मिलती नजर नहीं आ रही है। इससे गुस्साए मजदूरों ने शनिवार को एकजुट होकर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत प्रसाद के नेतृत्व में एनएचआईडीसीएल व नवयुगा कंपनी के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारी प्रशांत ने आरोप लगाया कि कंपनी यहां मजदूरों को नहीं बल्कि सुरंग को बचाना चाहती है। मजदूर हंसराज ने कहा कि यहां रेस्क्यू ऑपरेशन को गंभीरता से नहीं चल रहा है। अधिकारी पिकनिक मना रहे हैं। चंदन ने कहा कि अंदर फंसे उनके साथियों का हौसला अब टूट रहा है और वह रो रहे हैं। कहा कि एक मशीन फेल हो रही है तो दूसरी आती है। अंदर फंसे आदमी को कैसे समझाएं। वह तो यही कहते हैं कि हमको निकाल लो भाई।

चंदन ने बताया कि उनका इलेक्ट्रिशियन दोस्त सोनू कुमार हिम्मत हार रहा है। वह कह रहा है कि हमें कब तक बाहर निकालोगे, अंदर दम घुट रहा है। मजदूरों ने बैठक कर रहे अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन किया। बाद में एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक मोहम्मद अहमद व अधिशासी निदेशक संदीप सुगेरा ने रेस्क्यू के तहत किए जा रहे कार्यों की विस्तार से जानकारी दी। 

ईडी संदीप सुगेरा ने कहा कि अंदर फंसे सभी लड़के उनके बच्चें की तरह हैं। वह भी उन्हें सुरंग से जल्द से जल्द बाहर निकालने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने रेस्क्यू के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। प्रबंधक निदेशक मोहम्मद अहमद ने सभी मजदूरों से रेस्क्यू ऑपरेशन में सहयेाग की अपील की। इस दौरान अंदर फंसे साथियों की चिंता कर रहे कुछ मजदूर रोने लगे। जिन्हें ईडी]संदीप सुगेरा ने ढांढस बंधाया कि सब को जल्द बाहर निकालेंगे।

साइकिल से 14 देशों की 14 हजार किमी की यात्रा कर उत्तरकाशी पहुंचे ऑस्ट्रिया के फिलिक्स, दिया ये संदेश.

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यूरोप के ऑस्ट्रिया से साइकिल से 14 हजार किमी की यात्रा करना शायद ही किसी के बस की बात है। लेकिन ऐसा कर दिखाया है ऑस्ट्रिया के 31 वर्षीय फिलिक्स ने। आप भी ये पढ़कर हैरान रह गए होंगे। लेकिन फिलिक्स इन दिनों साइकिल से यात्रा कर उत्तरकाशी पहुंचे हैं।

साइकिल से 14 देशों की 14 हजार किमी की यात्रा, ऐसा करना हर किसी के बस की बात नहीं है। लेकिन, यह कारनामा किया है यूरोपीय देश ऑस्ट्रिया के फिलिक्स ने। 31 वर्षीय फिलिक्स इन दिनों भारत की यात्रा पर उत्तरकाशी पहुंचे हुए हैं। वे पेशे से योग शिक्षक हैं और साइकिलिंग के जरिये लोगों को योग को अपनाने का संदेश दे रहे हैं।

फिलिक्स ने एक साल पहले जर्मनी से अपनी साइकिल यात्रा शुरू की थी। इसके बाद वह स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, स्लोवेनिया, क्रोएशिया, बोस्निया, माँटेनीग्रो, अल्बानिया, ग्रीस, तुर्की, अरमेनिया, ईरान से पाकिस्तान होते हुए वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत पहुंचे हैं। उत्तरकाशी पहुंचे फिलिक्स ने बताया कि उन्होंने योगाभ्यास की शुरुआत भले पश्चिम देशों से की हो, लेकिन भारत योग की जन्मभूमि है। ऐसे में लंबे समय से उनकी भारत आने की इच्छा थी जो अब जाकर पूरी हुई।

सीखना चाहते हैं योग और ध्यान के तरीके-

फिलिक्स भारत में योगाभ्यास व ध्यान आदि के तौर-तरीकों को सीखना चाहते हैं। इसके लिए वह ऋषिकेश गए थे, लेकिन वहां पर्यटकों की भारी भीड़ देखकर उन्होंने उत्तरकाशी के शिवानंद आश्रम पहुंचने का मन बनाया।

उन्होंने बताया कि वह साइकिल यात्रा के दौरान जगह-जगह लोगों से मिलकर उन्हें योग व ध्यान का महत्व बताते हैं। वे साइकिल पर खाना बनाने के सभी जरूरी संसाधनों से लेकर कैंपिंग टैंप भी लेकर चलते हैं। ऐसे में रात में कैंपिंग करने में भी उन्हें दिक्कत नहीं होती। एक दिन में वह 50 से 70 किमी तक का सफर तय कर लेते हैं।