उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश ने प्रदेश में कहर बरपाया हुआ है. केदारनाथ हाईवे के फाटा के पास भारी बारिश के चलते मलबे में दबने से चार नेपाली मूल के मजदूरों की मौत हो गई. घटना की सूचना पर रेस्क्यू टीम ने मौके पर पहुंचकर श्रमिकों के शव बरामद कर लिए हैं.
केदारघाटी में मलबे में दबे 4 श्रमिक-
भारी बारिश के कारण प्रदेश के अलग-अलग जिलों से भूस्खलन की घटनाएं सामने आ रही है. प्रशासन की ओर से मिली जानकारी के अनुसार लगातार हो रही भारी बारिश के चलते 22 अगस्त की रात करीब एक बजे के आसपास फाटा में पवनहंस के हैलीपैड के पास खाट गधेरे के किनारे बने डेरे में रह रहे चार लोगों के मलबे में दबे होने की सूचना पुलिस को मिली.
रेस्क्यू टीम ने बरामद किए शव-
सूचना मिलते ही राहत और बचाव कार्य के लिए रेस्क्यू टीमें मौके पर पहुंची. रेस्क्यू टीमों ने मलबे में दबे हुए लोगों को निकालने का कार्य शुरू किया. कड़ी मशक्कत के बाद के बाद मलबे में दबे लोगों को बाहर निकाला गया है. तब तक चार श्रमिकों की मौत हो चुकी थी.
मौसम विभाग ने जारी किया भारी बारिश का अलर्ट-
मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह के अनुसार शुक्रवार को कुमाऊं मंडल के बागेश्वर जिले के भारी बारिश के आसार हैं. जिसे देखते हुए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जबकि देहरादून, चमोली, नैनीताल और पिथौरागढ़ जिले के कुछ क्षेत्रों में बारिश के साथ-साथ आकाशीय बिजली चमकने का येलो अलर्ट जारी किया है.
उत्तराखंड में विधानसभा के मानसून सत्र का आज तीसरा दिन हंगामे के साथ शुरू हुआ. तीसरे दिन सदन में सत्र की कार्यवाही के दौरान विपक्ष के विधायकों ने आपदा प्रबंबधं का मुद्दा उठाया. आपदा के मुद्दे पर चर्चा के दौरान विपक्ष के विधायकों ने सदन से वाकआउट कर लिया.
विपक्ष के विधायकों ने किया सदन से वाकआउट-
कार्यवाही शुरू होने के बाद विधायकों ने नियम 310 के तहत आपदा के मुद्दे पर चर्चा की मांग की. आपदा के मामले पर चर्चा के दौरान सदन में जमकर हंगामा हुआ. जिसके बाद विपक्ष ने सदन से वाकआउट कर लिया. आपदा के मुद्दे पर सीएम धामी ने कहा कि राज्य सरकार आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में पूरी गंभीरता से काम कर रही है। वह खुद आपदा ग्रस्त क्षेत्र में लगातार दौरे कर रहे हैं.
सीएम धामी ने कसा तंज-
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहां कि सरकारी मशीनरी भी आपदा को लेकर गंभीर है. मुख्यमंत्री धामी ने कहा कांग्रेस को 2013 की आपदा भी देखनी चाहिए जब आपदा पीड़ितों को राहत देने के बजाय कांग्रेस राजनीति करने के लिए दिल्ली में मौजूद थी.
कोलकाता में महिला डॉ से हुई दरिन्दगी के खिलाफ पुरे देश में आक्रोश है खूब प्रदर्शन हो रहे हैं, मोमबत्तियां जलाई जा रही है अपराधियों को फांसी की सजा की मांग हो रही है,
राजनैतिक दल अपने अपने हिसाब से खूब राजनीती कर रहे हैं लेकिन यही सब देवभूमि उत्तराखंड में क्यों नहीं हो रहा है, जहां हर दिन एक ऐसा ही केस सामने आ रहा है. जहां निर्भया जैसा केस पुलिस चौकी के बगल में हो जाता है और कोई आवाज नहीं उठती। एक नर्स की दुष्कर्म करने के बाद हत्या कर दी जाती है और कोई केंडिल मार्च नहीं होता। कोलकाता डाक्टर केस में हर अपडेट को दिन भर दिखाने वाला राष्ट्रिय मीडिया उत्तराखंड की खबर पर मौन हो जाता है, क्यों यहां की घटना राष्ट्रिय मीडिया के लिए एक मुद्दा नहीं बनती।
उत्तराखंड में भी एक और मामला-
निर्भया केस ने जहां भारत की पूरी जनता को झकझोर कर रख दिया था,,,अब एक बार ऐसा ही केस उत्तराखंड में देखने को मिला लेकिन इसकी कोई आवाज हमें सुनाई नहीं देगी, हालाँकि इसके अपराधियों को पुलिस पकड़ चुकी है लेकिन फिर भी क्या इसको लेकर चिंता नहीं की जानी चाहिए। देवभूमि जो महिलाओं की सुरक्षा के मामले में सबसे सुरक्षित मानी जाती थी अचानक उसकी फिजा क्यों बदलने लगी है, जब एक लड़की बस स्टेशन जैसी जगह पर सेफ नहीं है तो फिर कहां सुरक्षित होगी।
उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून के बस अड्डे पर जो कुछ हुआ वो महिला सुरक्षा के दावों का मजाक उड़ाता है. देहरादून की सबसे व्यस्त रहने वाले आईएसबीटी में किशोरी को तनिक भी आभास नहीं था कि जिस ड्राइवर अंकल से उसने मदद ली वह ही हैवान बन जाएगा। दिल्ली से देहरादून का सफर तय कर वह आईएसबीटी पहुंची तो आधी रात को पांच हैवानों ने बस में ही दुष्कर्म किया। किशोरी चिल्लाई लेकिन अंधेरी रात में उसकी चीख कोई सुन न सका,,,इसमें बस ड्राइवर और कंडक्टर सहित बस अड्डे पर टिकट काउंटर वाला तक शामिल रहा.
15 अगस्त को एक और मामला हुआ था दर्ज-
कोलकत्ता में जिस तरह महिला डाक्टर के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गयी उसी तरह का केस उत्तराखंड के उधमसिंह नगर में 15 अगस्त के दिन ही एक ऐसे ही मामले का खुलासा उधमसिंह नगर पुलिस ने किया है. यहां पर कार्यरत एक नर्स के साथ उत्तर प्रदेश के बिलासपुर में एक निर्मम कृत्य किया गया. पहले तो नर्स को बलात्कार किया गया, उसके बाद उसकी हत्या कर दी गई.
एक हप्ते में उत्तराखंड में दो इतनी बड़ी घटनाएं हो गयी और इस पर कोई नेता बोला नहीं न ही उतनी आवाज विरोध स्वरूप उठी जो उठनी चाहिए थी, न राष्ट्रिय मिडिया ने इनको तवज्जो देना उचित समझा।
ऐसा नहीं है कि ये पहली बार हुआ है,,,उत्तराखंड के अस्पतालों में कई बार इस तरह की घटनाएं सामने आयी है एम्स ऋषिकेश में ड्यूटी कर रही महिला डॉक्टर के साथ यह छेड़छाड़ उस वक्त हुई थी, जब वह पुरुष नर्सिंग ऑफिसर के साथ मिलकर एक ऑपरेशन कर रही थी. आरोप था कि इसी दौरान पुरुष नर्सिंग ऑफिसर ने महिला डॉक्टर के साथ छेड़छाड़ और अभद्रता की. इसके बाद मामला एक तरफा लग रहा था. लेकिन मामले ने तूल तब पकड़ा जब महिला डॉक्टर ने कुछ व्हाट्सएप के चैट दिखाए और यह बताया कि कैसे पुरुष नर्सिंग ऑफिसर उसको लगातार अश्लील मैसेज भेज रहा है.
इस घटना ने यह बता दिया था कि एम्स जैसे नामचीन और बड़े अस्पताल में भी इस तरह की घटना हो सकती है. अस्पताल कितने सुरक्षित हैं इसका पता एक और घटना से हमें लगता है. इसी साल 4 जुलाई के दिन उधमसिंह नगर के सितारगंज क्षेत्र में एक निजी अस्पताल में एक युवती अपने इलाज के लिए जाती है. तभी एक विवाद खड़ा हो जाता है. युवती ने अस्पताल के अटेंडेंट पर आरोप लगाया था कि उसके साथ अस्पताल के अंदर छेड़छाड़ की गई है.
15 जून को हरिद्वार में भी हुआ था मामला दर्ज-
एक और घटना हरिद्वार में इसी साल 15 जून 2024 को घटित हुई थी. साल 2023 से तैनात एक इंटर्न जब शाम 7:30 पर वहां पहुंची, तो अस्पताल का ही डॉक्टर ड्यूटी के बहाने उसे एक कमरे में लेकर चला गया. फिर दरवाजा बंद कर लिया. इसके बाद डॉक्टर, इंटर्न के साथ बदतमीजी और अश्लील हरकतें करने लगा. जब इंटर्न ने इसका विरोध किया तो उसे डराया और धमकाया गया. किसी तरह से इंटर्न उस कमरे से बाहर निकली और अपनी पूरी आपबीती स्टाफ और अपने परिवार के सदस्यों को बताई. इस घटना के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया था.
हरिद्वार के बाद हल्द्वानी में भी इसी साल 23 जुलाई 2024 के दिन प्रतिष्ठित न्यूरोसर्जन पर एक महिला ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया था. महिला का आरोप था कि हल्द्वानी में एक बड़ा अस्पताल चला रहे डॉक्टर और अस्पताल के मालिक ने उसके साथ पहले अभद्रता की और उसे जान से मारने की धमकी दी. यह घटना तब हुई, जब महिला अपने इलाज के लिए गई थी.
अगर बात पूरे उत्तराखंड में महिला अपराध की करें, तो हर साल उत्तराखंड में महिला अपराध की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. नेशनल क्राइम ब्यूरो की साल 2023 की रिपोर्ट बताती है कि उत्तराखंड महिला अपराध के मामले में छठे नंबर पर है.देहरादून जिला इस मामले में नंबर 1 पर हैं जहां इस साल सबसे ज्यादा महिला अपराध के मामले सामने आये हैं,,,,उत्तराखंड में महिला अपराध के मामले एक वर्ष में 26 प्रतिशत बढ़े हैं,,,जिसमें 905 महिलाओं से दुष्कर्म व 778 का अपहरण हुआ है. सवाल ये है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा सिर्फ नारा बनकर रह गया है, न तो बेटियां बच पा रही है और पढ़ गयी तो भी उनकी सुरक्षा नहीं हो पा रही है. महिलाओं की आवाज उठाने वाले राजैनतिक दल भी अपनी सहूलियत और राज्य देखकर ही आवाज उठाते हैं. ये आंकड़े बताते हैं उत्तराखंड में महिलाएं कितनी सुरक्षित रह गयी हैं लेकिन इन आंकड़ों की कोई परवाह नहीं करता न सरकार और न जनता।
8 अगस्त को कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर साथ बलात्कार और हत्या की घटना से पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। उत्तराखंड में भी आज डॉक्टर 24 घंटे का कार्य बहिष्कार करेंगे। आज पूरे प्रदेश में अस्पतालों में ओपीडी की सेवाएं ठप रहेंगी।
आज उत्तराखंड में भी डॉक्टरों की हड़ताल-
कोलकाता में रेजिडेंट महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म व हत्या की घटना से पूरे देश में आक्रोश देखने को मिल रहा है। डॉक्टर्स और नर्स हड़ताल कर रहे हैं।
आज उत्तराखंड में भी डॉक्टरों की हड़ताल है। 24 घंटे तक प्रदेश में ओपीडी की सेवाएं ठप रहेंगी। हालांकि इमरजेंसी, पोस्टमार्टम और वीआईपी ड्यूटी के लिए सेवाएं यथावत रहेंगी।
ऋषिकेश एम्स में आज भी चिकित्सकों की हड़ताल-
आपको बता दें कि बीते चार दिनों से ऋषिकेश एम्स में डॉक्टरों की हड़ताल जारी है। आज पांचवे दिन भी ऋषिकेश एम्स में डॉक्टरों की हड़ताल जारी है।वहीं, आज आईएमए ऋषिकेश के बैनर तले निजी अस्पतालों में भी चिकित्सक सामूहिक हड़ताल पर हैं। हिमालयन विश्वविद्यालय जौली ग्रांट के चिकित्सकों व मेडिकल स्टूडेंट की ओर से कोलकाता प्रकरण को लेकर विरोध मार्च निकाला गया।
कोलकाता पुलिस और राज्य सरकार ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। जिससे देश-प्रदेश के चिकित्सकों में आक्रोश है। उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करें। अपराधियों व अराजक तत्वों को तत्काल प्रभाव से गिरफ्तार किया जाए।चिकित्सालयों में चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा के लिए जो एक्ट बना हुआ है, उसका सख्ती से पालन किया जाए। ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो सकें।
केदारनाथ पैदल मार्ग 29 जगहों पर क्षतिग्रस्त जबकि 16 स्थानों पर पूरी तरह से बह गया है। लोक निर्माण विभाग ने रास्ते की मरम्मत के लिए 230 मजदूर लगाए हैं। संवेदनशील स्थानों पर मजदूर खाई में उतरकर खुदाई कर रहे हैं।
वहीं, रस्सों को पकड़कर पुश्ता निर्माण के लिए बुनियाद रख रहे हैं। पूरे मार्ग को दुरस्त करने में लगभग एक माह का समय लग सकता है। आने वाले दिनों में लोनिवि द्वारा मजदूरों की संख्या और बढ़ाई जाएगी।
बता दें कि 31 जुलाई की देर शाम को अतिवृष्टि से केदारनाथ पैदल मार्ग गौरीकुंड से लिनचोली तक व्यापक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था। यहां 11 किमी के दायरे में रास्ता 16 स्थानों पर दो मीटर से 25 मीटर तक पूरी तरह से वॉशआउट हो रखा है। इसके अलावा अन्य स्थानों पर पुश्ता ढहने, मिट्टी कटान व भूस्खलन से मार्ग को क्षति पहुंची है।
लोक निर्माण विभाग पैदल मार्ग को दुरस्त करने में जुट गया है। जहां पर रास्ता पूरी तरह से वॉशआउट हुआ है, वहां पर मजदूर खाई में उतरकर पुश्ता निर्माण के लिए खुदाई कर रस्सों के सहारे बुनियाद रख रहे हैं। इन स्थानों पर हल्की सी चूक जान पर भारी पड़ सकती है।
यही नहीं, मार्ग को दुरस्त करने के लिए प्रभावित स्थानों पर पत्थर, सिमेंट व अन्य सामग्री पहुंचाने में भी अन्य मजदूरों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी तरफ क्षेत्र में आए दिन हो रही बारिश से मरम्मत व पुनर्निर्माण कार्य में दिक्कत आ रही हैं।
अधिकारियों के अनुसार, अति संवेदनशील स्थानों पर आरसीसी पुश्तों का निर्माण किया जाना है। साथ ही जहां पर वॉशआउट हुआ है, वहां ऊपरी तरफ कटान के साथ ही निचली तरफ से सुरक्षा दीवार भी बनाई जानी है। इधर, सोनप्रयाग के समीप भूस्खलन जोन में भूस्खलन जोन में मरम्मत कार्य शुरू हो गया है।
गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग को दुरस्त करने के लिए 230 मजदूर लगाए गए हैं। आने वाले दिनों में मजदूरों की संख्या और बढ़ाई जाएगी। जहां पर रास्ता वॉशआउट हो रखा है, वहां पर पुनर्निर्माण के लिए मजदूरों को काम करने में दिक्कतें हो रही हैं। सभी साइट पर स्वयं सहित सहायक अभियंता और कनिष्ठ अभियंता द्वारा किए जा रहे कार्य की मॉनीटरिंग की जा रही है। -विनय झिक्वांण, अधिशासी अभियंता लोनिवि गुप्तकाशी
केदारनाथ धाम व पैदल मार्ग से अब तक दस हजार से अधिक तीर्थयात्रियों व स्थानीय लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है। सोमवार को केदार घाटी का मौसम साफ होने के साथ ही एमआई 17 और चिनूक से एयर लिफ्ट रेस्क्यू का कार्य शुरू हो गया है। एमआई चारधाम हेलीपैड पर यात्रियों को उतार रहा है। जबकि चिनूक गौचर हवाई पट्टी पर यात्रियों को उतरेगा। सुबह 9 बजे तक 133 लोगों को केदारनाथ से एमआई एवं चिनूक एवं छोटे हेलिकॉप्टर की मदद से सुरक्षित एयर लिफ्ट कर रेस्क्यू किए जा चुके हैं।
31 जुलाई को हुई अतिवृष्टि से केदारनाथ मार्ग को भारी नुकसान पहुंचा है। गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर तक 16 किमी का मार्ग है, इसमें 10 जगह मार्ग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। लोक निर्माण विभाग की टीम मार्ग को खोलने में जुटी है। लोनिवि की रिपोर्ट के अनुसार जो स्थितियां हैं उनमें मार्ग को पूर्व की दशा में लाने में करीब एक महीने का समय लग सकता है।
वहीं, सेना ने मोर्चा संभालते हुए मंदाकिनी नदी पर अस्थायी ट्राली स्थापित कर दी है। साथ ही वैकल्पिक पुल का निर्माण भी शुरू कर दिया है। गौरीकुंड में घोड़ा पड़ाव के पास लगभग 15 मीटर लंबाई में रास्ता पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। यहां पर लो.नि.वि श्रमिक वैकल्पिक मार्ग स्थापित करने में जुटे हैं।
सोमवार सुबह 100 लोगों को सुरक्षा बलों की देखरेख में श्री केदारनाथ धाम से लिनचोली हेलीपैड के लिए रवाना कर दिया गया है। इन यात्रियों को लिनचोली से एयर लिफ्ट कर शेरसी हैलीपैड पर उतारा जाएगा। इसके अलावा एनडीआरएफ की टीमें जंगल एव मंदाकिनी नदी के आसपास भी लगातार सर्च अभियान चला रहे हैं।
रविवार को लगभग 1100 लोगों का सफलता पूर्वक रेस्क्यू किया गया। वहीं सेना ने भी अब कमान संभाल ली है। पैदल मार्ग पर आम लोगों को खोजने के लिए स्निफर डाँग भेजे गए हैं, सेना क्षतिग्रस्त् पैदल मार्ग को आवाजाही के लिए खोजे जाने में भी मदद करेगी।
वहीं गौरीकुंड व सोनप्रयाग के बीच वाशआउट हुए हाइवे कपर ट्राली लाकर बुजर्ग व घायलों को निकालने का कार्य भी सेना ने शुरू कर दिया है। रेस्क्यू आपरेशन के चौथे दिन रविवार को कुल 1155 का रेस्क्यू किया गया, जिसमें हेलीकाप्टर से 628 व पैदल मार्ग से 527 लोगों को रेस्क्यू किया गया।
हेली से लिनचोली, चीरबासा व केदारनाथ से रेस्क्यू किया गया, वहीं चौमास पैदल मार्ग से भी रविवार को 210 लोगों को रेस्क्यू किया गया। केदारनाथ पैदल मार्ग में फंसे यात्रियों का रेस्क्यू भी जारी है। सोनप्रयाग में मैन्युल रेस्क्यू के लिए अब सेना, डीडीआरएफ, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस के जवानों संयुक्त रूप से कार्य कर रहे हैं।
रविवार को चलने में असमर्थ लोगों के 25 बुजर्ग व घायलों का रेस्क्यू किया गया। वहीं स्निफर डाँग की टीम भी भेजी गई है, जो जंगल में भटक गए लोगों की खोजबीन करेगी, साथ ही भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में भी सर्च अभियान करेगी।
कल यानी बृहस्पतिवार को कांवड़ मेले का आखिरी दिन था और आज कावड़ियों ने शिवालयों में जलाभिषेक किया। आखिरी दिन पूरी रात डाक कांवड़ यात्री हरिद्वार से जलभर बाइकों और बड़े वाहनों से दौड़ते रहे। इस बार मेले में चार करोड़ चार लाख 40 हजार कांवड़ यात्री पहुंचे हैं।
प्रशासन ने बृहस्पतिवार की शाम छह बजे तक का यह आंकड़ा जारी किया है। पिछले साल चार करोड़ सात लाख कांवड़ यात्री हरिद्वार पहुंचे थे। 22 जुलाई से कांवड़ मेले का आगाज हुआ था। आज शुक्रवार को जलाभिषेक होगा। बृहस्पतिवार की शाम तक छह बजे धर्मनगरी में 77 लाख कांवड़ यात्रियों ने गंगाजल भरा और अपने गंतव्य की तरफ रवाना हो गए।
इस बार डाक कांवड़ यात्रियों का हुजूम अंतिम दिन ही उमड़ा। इससे पहले पैदल कांवड़ यात्री रवाना होते रहे। बृहस्पतिवार की रात से आसपास के जनपदों के यात्री गंगाजल भरकर रवाना होते रहे।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र सिंह डोबाल ने बताया कि कांवड़ मेले में अब तक 4 करोड़ 4 लाख, 40 हजार कांवड़ी यात्री पहुंचे हैं। कांवड़ियों के तीन लाख 38 हजार 277 छोटे-बड़े वाहन गुरुवार को पहुंचे हैं। छह कांवड़ियों को डूबने से बचाया गया है जबकि तीन की मौत हुई है।
कांग्रेस की केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा आपदा के चलते सामान्य स्थिति होने तक स्थगित कर दी गई है। राहुल गांधी के दिशा निर्देश पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करण माहरा न यात्रा स्थगित करने का एलान किया है।
यात्रा सीतापुर तक पहुंच गई थी और शुक्रवार को सीतापुर से आगे रवाना होनी थी। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने इसकी पुष्टि की है। आपदा से सामान्य स्थिति होने के बाद कांग्रेस फिर से सीतापुर से आगे की यात्रा शुरू करेगी।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने सोनप्रयाग में आपदा से हुए नुकसान को देखते हुए यात्रा में आगे जाने का कार्यक्रम पहले ही स्थगित कर दिया। कहा, केदारनाथ क्षेत्र में भयंकर आपदा आई है। बड़ी संख्या में यात्री फंसे हैं। उनका बचाव कार्य चल रहा है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि राज्य की संपूर्ण शक्ति लगाकर बचाव कार्य करें।
राज्य के आठ जिलों में आज अधिकांश स्थानों पर बारिश की संभावना है। जबकि इनमें से तीन जिलों में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। ज्यादातर स्थानों पर आसमान में बादल छाए रहेंगे। कहीं मध्यम तो कहीं भारी बारिश की संभावना बनी हुई है।
मौसम विभाग की ओर से पूर्वानुमान के अनुसार राज्य के तीन जिलों देहरादून, नैनीताल और बागेश्वर में कहीं-कहीं पर तेज बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। इसके अलावा टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार, चंपावत और ऊधमसिंहनगर जिले में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना व्यक्त की गई है।
वहीं देहरादून में बृहस्पतिवार को अधिकतम तापमान 32 और न्यूनतम तापमान 25 डिग्री तक रहने की संभावना है। उधर, बुधवार को देहरादून के कई इलाकों में तेज बारिश हुई। दोपहर करीब दो बजे क्लेमेंटटाउन क्षेत्र में आधा घंटा तक तेज बारिश हुई। वहीं राजपुर क्षेत्र में तीन बजे के आसपास बारिश की बौछारें पड़ी। बारिश के चलते लोगों को गर्मी से राहत मिली।
बदरीनाथ, केदारनाथ समेत 47 मंदिरों में परिसर के दायरे में अब दर्शन व्यवस्था से लेकर सुरक्षा का सभी जिम्मा अब बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) के पास होगा। पहली बार बीकेटीसी में सुरक्षा और आईटी संवर्ग के लिए शासन ने मंजूरी दे दी है। इन संवर्गों में 58 पद सृजित किए जाएंगे।
डीएसपी रैंक का अधिकारी सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेगा। इस पद को नागरिक पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र बल, अर्द्ध सैनिक बल से प्रतिनियुक्ति के आधार पर भरा जाएगा। सरकार ने बीकेटीसी में सुरक्षा संवर्ग और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) संवर्ग के लिए पदों के सृजन की अनुमति दे दी है। सुरक्षा संवर्ग में 57 और आईटी संवर्ग में एक पद सृजित किया गया है।
संस्कृति व धर्मस्व सचिव हरिचंद्र सेमवाल ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। बीते वर्ष बीकेटीसी की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पारित कर सुरक्षा संवर्ग और आईटी संवर्ग के लिए पद सृजन का प्रस्ताव पारित कर शासन को भेजा था। बीकेटीसी का तर्क था कि वर्ष 1982-83 में सुरक्षा की दृष्टि से सुरक्षा गार्ड व खजाना गार्ड के पांच पद सृजित किए गए थे।
धामों में श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि
वर्तमान में बीकेटीसी बदरीनाथ, केदारनाथ, मद्महेश्वर, तुंगनाथ, त्रियुगीनारायण, नृसिंह मंदिर जोशीमठ, कालीमठ, काशी विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी, ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ, भविष्य बदरी समेत 47 मंदिरों का प्रबंधन देखती है। वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर सुरक्षा के लिहाज से सुरक्षाकर्मियों की संख्या कम थी। वर्तमान समय में धामों में श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
इससे धामों में सुगम दर्शन कराना बीकेटीसी के समक्ष बड़ी चुनौती है। दर्शन व्यवस्था के लिए बीकेटीसी की ओर से जिन कार्मिकों की तैनाती की जाती है, वह प्रशिक्षित नहीं होते हैं। अभी तक पुलिस को भी दर्शन व्यवस्था में तैनात किया जाता है। पुलिस पर बीकेटीसी का नियंत्रण नहीं होता है। वो अपने विभागीय निर्देशों से संचालित होती है, जिससे कई तरह की दिक्कतें भी पैदा होती हैं।
ऐसा होगा सुरक्षा संवर्ग का ढांचा
बीकेटीसी के सुरक्षा संवर्ग का प्रमुख मुख्य मंदिर सुरक्षा अधिकारी होगा। यह पद डीएसपी रैंक के अधिकारी होगा। जिसे नागरिक पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र बल अथवा अर्द्ध सैनिक बल से प्रतिनियुक्ति के आधार पर भरा जाएगा। मुख्य मंदिर सुरक्षा अधिकारी के नीचे दो मंदिर सुरक्षा अधिकारी के पद होंगे। जो इंस्पेक्टर रैंक के होंगे। इसके आलवा सब इंस्पेक्टर रैंक के चार उप मंदिर सुरक्षा अधिकारी होंगे। ये सभी पद प्रतिनियुक्ति से भरे जाएंगे। आउटसोर्स के माध्यम से 10 मुख्य मंदिर रक्षक और 40 मंदिर रक्षकों की नियुक्ति की जाएगी।
आईटी संवर्ग में ये होंगे पद
वर्तमान में बीकेटीसी में सूचना प्रौद्योगिकी संवर्ग में इंटरनेट कोआर्डिनेटर का एक पद पूर्व से सृजित है और यह पद वर्तमान में रिक्त चला आ रहा है। कुछ माह पूर्व में बीकेटीसी में सेवा नियमावली बनने के बाद इस पद पर अब नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होगी। शासन ने अब बीकेटीसी में सहायक प्रोग्रामर का एक पद सृजित कर दिया है। इस पर नियत मानदेय पर नियुक्ति की जाएगी।
दर्शन व्यवस्था होगी और अधिक सुव्यवस्थित : अजेंद्र
बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने सुरक्षा संवर्ग और आईटी संवर्ग में पद सृजन के लिए सीएम धामी का आभार जताते हुए कहा, बीकेटीसी का अपना सुरक्षा संवर्ग होने से मंदिरों में दर्शन व्यवस्था को और अधिक सुव्यवस्थित किया जा सकेगा। बदरीनाथ व केदारनाथ के अलावा अन्य अधीनस्थ मंदिरों में भी सुरक्षाकर्मी तैनात रहेंगे। आईटी संवर्ग में पदों के सृजन से कई व्यवस्थाओं में सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग होगा। कहा, ई-ऑफिस, ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग होने से कामकाज में पारदर्शिता आएगी।