Category Archive : उत्तराखंड

Uttarakhand Land Law : धामी सरकार का एक और बड़ा फैसला, जानिये कब और क्यों उठी उत्तराखंड में भू-कानून की मांग ?

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प्रदेश में लगातार चल रही मांग के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एलान किया है कि उनकी सरकार वृहद भू-कानून लाने जा रही है। अगले साल बजट सत्र में कानून का प्रस्ताव लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि 250 वर्ग मीटर आवासीय और 12.50 एकड़ अन्य भूमि के नियम तोड़ने वालों की भूमि जांच के बाद सरकार में निहित की जाएगी. उत्तराखंड में हिमाचल की तर्ज पर सशक्त भू कानून लागू करने की मांग तेजी से हो रही है। इसके लिए लगातार रैलियां और प्रदर्शन भी राजधानी देहरादून से लेकर पहाड़ों तक हो रहे हैं। लोग उत्तराखंड में जल्द से जल्द एक सशक्त भू-कानून लागू करने की मांग कर रहे हैं।

 

कब और क्यों उठी उत्तराखंड में भू-कानून की मांग ?

उत्तराखंड में सबसे पहले एनडी तिवारी सरकार में भू-कानून बना था। इस कानून में दो बार बदलाव किया गया। जिसके बाद से ही लोगों में आक्रोश है और इसी के साथ प्रदेश में एक सशक्त भू-कानून की मांग उठी। बता दें कि एनडी तिवारी सरकार में उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि व्यवस्था सुधार अधिनियम, 1950 (अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश 2001) अधिनियम की धारा-154 में संशोधन कर बाहरी प्रदेशों के व्यक्ति लिए नियम बनाया गया था। जिसके मुताबिक बाहरी प्रदेशों के लोग उत्तराखंड में 500 वर्ग मीटर कृषि योग्य भूमि खरीद सकते थे।

जबकि उद्योगों के लिए भी एनडी तिवारी सरकार में 12 एकड़ जमीन खरीदने का नियम तय हुआ था। लेकिन एनडी तिवारी सरकार में बनाए गए इस भू-कानून में साल 2007 में खंडूरी सरकार में बदलाव किया गया। जनरल बीसी खंडूरी की सरकार ने भू-कानून में संशोधन कर उसे और भी सख्त बना दिया। इसके तहत कृषि योग्य जमीन का दायरा 500 वर्ग मीटर से कम कर 250 वर्ग मीटर कर दिया गया था।

 

त्रिवेंद्र सरकार में भू-कानून में हुए थे बड़े बदलाव-

खंडूरी सरकार में बदलाव के बाद एक बार फिर से त्रिवेंद्र रावत सरकार में फिर से बड़े बदलाव किए गए। उत्तराखंड में पर्वतीय क्षेत्रों में भी उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए ये बदलाव किए गए थे। इसमें 12 एकड़ उद्योगों की जमीन खरीदने को असीमित किया गया। त्रिवेंद्र सरकार में लागू हुए भू-कानून के बाद से लोगों में सबसे ज्यादा आक्रोश है। इसी के बाद से प्रदेश में एक सशक्त भू-कानून की मांग की जा रही है। अब ये मांग इतनी तेज हो गई है।

बता दें कि उत्तराखंड में वर्तमान समय में उद्योगों के लिए जहां असीमित जमीन खरीदने का प्रावधान है। तो वहीं कृषि योग्य भूमि पर 250 वर्ग मीटर जमीन बाहरी प्रदेशों के लोग खरीद सकते हैं। शहरी क्षेत्र में जो जमीन कृषि योग्य भूमि के अंतर्गत नहीं आती है वहां पर भी असीमित जमीन खरीदने का प्रावधान जानकार बताते हैं।

उत्तराखंड में भी हिमाचल जैसे भू-कानून की मांग-

उत्तराखंड में बीते कुछ सालों में भू-कानून की मांग तेज हो गई है। प्रदेश में लोग हिमाचल प्रदेश जैसा सख्त भू-कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि हिमाचल प्रदेश में में जमीन खरीद का टेनेंसी एक्ट लागू है। इस एक्ट की धारा-118 के तहत हिमाचल प्रदेश में कोई भी गैर हिमाचली व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सकता है। इसके साथ ही प्रदेश सरकार की इजाजत के बाद ही कोई गैर हिमाचली यहां गैर कृषि जमीन खरीद सकते हैं। लेकिन जमीन खरीदने का मकसद भी बताना होगा।

उत्तराखंड उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम के तहत राज्य से बाहर का व्यक्ति बिना अनुमति के उत्तराखंड में 250 वर्गमीटर जमीन खरीद सकता है। लेकिन राज्य का स्थायी निवासी के लिए जमीन खरीदने की कोई सीमा नहीं है। वर्तमान में लागू भू-कानून उत्तराखंड वासियों पर लागू नहीं है। यह कानून केवल बाहरी राज्यों के लोगाें पर लागू है। उत्तराखंड के स्थायी निवासी कितनी भी जमीन खरीद सकते हैं।

Uttarakhand: इन पदों पर निकली बम्पर भर्तियां, जानिये कब से शुरू होंगे आवेदन ।

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उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने कई विभागों में समूह-ग के 196 पदों पर भर्ती निकाली है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन 28 सितंबर से शुरू होंगे। आयोग ने परीक्षा की प्रस्तावित तिथि 25 नवंबर तय की है।

आयोग के सचिव सुरेंद्र सिंह रावत ने बताया, सिंचाई विभाग में प्रारूपकार, नलकूप मिस्त्री, यूजेवीएनएल में तकनीशियन ग्रेड-2 विद्युत व यांत्रिक, डॉ. आरएस टोलिया उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में प्लम्बर, राज्य संपत्ति विभाग में मेंटिनेंस सहायक, प्राविधिक शिक्षा विभाग में इलेक्ट्रीशियन व इंस्ट्रूमेंट रिपेयर, डीएम ऊधमसिंह नगर कार्यालय में अनुरेखक और समाज कल्याण विभाग में बेंतकला प्रशिक्षक के पदों पर ये भर्ती निकाली गई है। 

ऑनलाइन आवेदन 28 सितंबर से 18 अक्तूबर तक कर सकते हैं। आवेदन में संशोधन के लिए 21 अक्तूबर से 24 अक्तूबर तक का समय दिया जाएगा। आयोग ने परीक्षा की तिथि 25 नवंबर तय की है। भर्ती के लिए आवेदक की आयु 18 से 42 और 21 से 42 वर्ष होनी चाहिए।

 

आवेदनपत्र भरने में कोई परेशानी आए तो आयोग के टोल फ्री नंबर 9520991172 या वॉट्सएप नंबर 9520991174 पर संपर्क कर सकते हैं। भर्ती की पूरी जानकारी आयोग की वेबसाइटsssc.uk.gov.in पर उपलब्ध है।

किस पदों पर मौका-

प्रारूपकार 140
तकनीशियन ग्रेड 2
यूजेवीएनएल 29
नलकूप मिस्त्री 16
प्लंबर एक
मेंटिनेंस सहायक एक
इलेक्ट्रीशियन एक
इंस्ट्रूमेंट रिपेयर तीन
अनुरेखक तीन
बेतकला प्रशिक्षक एक

Uttarakhand: घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को मिलेगी सब्सिडी, शासनादेश हुआ जारी।

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घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा 16 सितम्बर 2024 को की गई घोषणा के क्रम में राज्य के घरेलू श्रेणी के विद्युत उपभोक्ताओं को विद्युत टैरिफ में सब्सिडी प्रदान करने के सम्बन्ध में शासनादेश जारी कर दिया गया है।

 

घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को बड़ी राहत-

सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम द्वारा जारी शासनादेश के अनुसार उत्तराखण्ड राज्य में विद्युत उपभोक्ताओं को विद्युत टैरिफ में सब्सिडी निम्नानुसार प्रदान की जाएगी। हिम-आच्छादित क्षेत्र (Snow bound area) के घरेलू श्रेणी के ऐसे विद्युत उपभोक्ता जिनका मासिक विद्युत उपभोग 200 यूनिट तक है को लागू विद्युत दरों (विद्युत कर सहित) में 50 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाएगी। हिम-आच्छादित क्षेत्र (Snow bound area) का निर्धारण प्रचलित नियमों के अनुसार सम्बन्धित क्षेत्र की समुद्र तल से ऊंचाई के आधार पर करते हुए ही योजना का लाभ प्रदान किया जायेगा।

सीएम धामी की घोषणा के 10 दिन के भीतर शासनादेश जारी-

अन्य क्षेत्रों के घरेलू श्रेणी के ऐसे उपभोक्ता जिनका अनुबन्धित विद्युत भार 1 किलोवाट तक तथा मासिक विद्युत उपभोग 100 यूनिट तक है, को विद्युत दरों (विद्युत कर सहित) में 50 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाएगी। ये सब्सिडी 01 सितम्बर, 2024 से की गई विद्युत खपत पर अनुमन्य होगी। बता दें कि सीएम धामी की घोषणा के 10 दिन के भीतर शासनादेश जारी कर दिए गए हैं।

जनता के हितों को ध्यान में रख सरकार कर रही काम-

राज्य सरकार जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए काम कर रही है। बिजली के बिल में सब्सिडी का निर्णय राज्य के आर्थिक रूप से कमजोर और मध्यम वर्गीय परिवारों को राहत प्रदान करने के उद्देश्य से लिया गया है। इससे राज्य के नागरिकों पर वित्तीय बोझ कम होगा और ऊर्जा के उचित उपभोग को प्रोत्साहन मिलेगा। पर्वतीय हिमाच्छादित क्षेत्रों के उपभोक्ताओं को विशेष रूप से राहत मिलेगी।

Uttarkashi News: यात्रा का दूसरा चरण; 22 दिन में गंगोत्री और यमुनोत्री धाम पहुंचे 1.45 लाख श्रद्धालु।

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सीजन के दूसरे चरण में चारधाम यात्रा धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही है। इस माह के 22 दिन में ही गंगोत्री व यमुनोत्री धामों में 1.45 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। वहीं, इस साल यमुनोत्री धाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा छह लाख के पार पहुंच चुका है। जबकि गंगोत्री धाम में भी 6.80 लाख श्रद्धालु पहुंच चुके हैं।

मानसून सीजन में अतिवृष्टि के चलते श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट आई थी। लेकिन अब बरसात थमते ही यह धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही है। इस माह 22 सितंबर तक दोनों धामों में अच्छी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। आने वाले दिनों में प्रशासन श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ने की संभावना जता रहा है। जानकीचट्टी व फूलचट्टी के मध्य में भूस्खलन के कारण क्षतिग्रस्त सड़क के स्थान पर नवनिर्मित वैकल्पिक मार्ग पर यातायात शुरू कर दिया गया है।

बढ़ती संख्या नया रिकॉर्ड बना सकती है –
जिला प्रशासन की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार 10 मई को कपाट खुलने के बाद 136 दिन की यात्रा में यमुनोत्री धाम में कुल 602364 श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। वहीं, गंगोत्री धाम में यह संख्या 680950 हो गई है। अभी यात्रा काल के लिए डेढ़ माह का समय शेष है, ऐसे में दोनों धामों में श्रद्धालुओं की दिन-प्रतिदिन बढ़ती संख्या नया रिकॉर्ड बना सकती है।

डीएम डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने चारधाम यात्रा से जुड़े सभी विभागों को यात्रियों की सुविधाओं के लिए व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त रखने एवं यमुनोत्री पैदल मार्ग पर तय एसओपी के अनुसार ही आवागमन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं।

 

Kedarnath: केदारनाथ पैदल मार्ग जंगल चट्टी के पास हुआ क्षतिग्रस्त, प्रशासन ने की अपील, यात्री जहां है वहीं रुकें।

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केदारनाथ पैदल मार्ग जंगल चट्टी के पास क्षतिग्रस्त हो गया है। जिस कारण दोनों ओर श्रद्धालुओं को रोक दिया गया है। प्रशासन ने तीर्थयात्रियों ले अपील की है कि वो जहां पर हैं वहीं पर रूके रहें। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ डीडीआरएफ के जवान वैकल्पिक मार्ग तैयार कर रहे हैं।

 

जंगल चट्टी के पास क्षतिग्रस्त हुआ केदारनाथ पैदल मार्ग-

मिली जानकारी के मुताबिक केदारनाथ पैदल मार्ग पर एक बार फिर भूस्खलन हुआ है। जिस कारण जंगल चट्टी के पास करीब 15 मीटर पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है। प्रशासन ने फिलहाल यात्रियों से यात्रा ना करने की अपील की है। इसके साथ ही घोड़े-खच्चर के संचालन पर भी रोक लगा दी गई है। बता दें कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ डीडीआरएफ के जवान वैकल्पिक मार्ग से रास्ता आर-पार करवा रहे हैं।

 

प्रशासन ने की यात्रियों से ये अपील

प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील कि वे जिस स्थान पर हैं वहीं पर सुरक्षित रहकर इंतजार करें। मार्ग सुचारु होने पर केदारनाथ से जंगलचट्टी के बीच दर्शन कर वापस आ रहे श्रद्धालुओं को प्राथमिकता के आधार पर निकाला जाएगा। केदारनाथ धाम के लिए पैदल आने वाले श्रद्धालुओं से फिलहाल यात्रा ना करें.

 

 

Uttarakhand: गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग की मरम्मत में जुटे 400 से अधिक मजदूर, रामबाड़ा में स्थापित होगा बैलीब्रिज।

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लगभग डेढ़ महीने पूर्व अतिवृष्टि से प्रभावित हुआ गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग अब अपने मूल स्वरूप में लौटने लगा है। लोक निर्माण विभाग से 400 मजदूर रास्ते को दुरुस्त करने में जुटे हुए हैं। संवेदनशील स्थानों पर रास्ते को पर्याप्त चौड़ा करने के साथ ही सुरक्षा के इंतजाम भी किए जा रहे हैं।

16 किलोमीटर लंबा गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग 31 जुलाई को अतिवृष्टि से व्यापक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था। मार्ग 29 स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया था। इसमें 16 स्थानों पर पूरी तरह से वॉशआउट हो गया है। जगह-जगह बरसाती नाले बह रहे थे, जिससे रास्ते को पार करना मुश्किल हो गया था।

एक अगस्त से ही लोक निर्माण विभाग के 60 मजदूरों ने पैदल मार्ग का सुधारीकरण कार्य शुरू कर दिया था। आए दिन बारिश सहित अन्य विषम परिस्थितियों के बावजूद 26 अगस्त को यात्रा के दोबारा शुरू होने तक पैदल मार्ग को घोड़ा-खच्चरों के संचालन के साथ ही पैदल आवाजाही लायक बना दिया था।

इन दिनों 400 मजदूर रास्ते को उसका मूल स्वरूप में लौटाने में जुटे हुए हैं। जंगलचट्टी, भीमबली, छोटी लिनचोली, थारू कैंप, कुवेर गदेरा, टीएफटी आदि स्थानों पर गेविन वाल व सीसी पुश्ता तैयार कर रास्ते को पर्याप्त चार किलोमीटर चौड़ा किया जा रहा है। साथ ही बरताती नाले और एवलॉन्च जोन में पुलिया बनाई गई हैं। इससे आवाजाही में यात्रियों को किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं हो।

गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर रामबाड़ा में मंदाकिनी नदी पर 70 मीटर लंबा बैलीब्रिज प्रस्तावित है। अभी यहां पर हल्का लोहे का पुल बनाया गया है, इससे यात्रा का संचालन हो रहा है।

बता दें कि जून 2013 की आपदा में रामबाड़ा पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था, तब से यहां के हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। इस वर्ष भी बीते 31 जुलाई को हुई अतिवृष्टि से रामबाड़ा में दोनों हल्की पुलिया मंदाकिनी के बहाव में बह गईं थीं।

केदारनाथ पैदल मार्ग दुरुस्त किया जा रहा है। पर्याप्त चौड़ाई और सुरक्षा के लिए 400 मजदूर कार्य में जुटे हुए हैं। मौसम ने साथ दिया तो एक महीने में रास्ते को पूरी तरह से सुरक्षित कर लिया जाएगा।-विनय झिक्वांण, अधिशासी अभियंता, लोनिवि, गुप्तकाशी

Uttarakhand: अब मोबाइल एप से दे सकेंगे जंगलों में आग लगने की सूचना, 5 हजार स्वयं सेवकों को जोड़ा जाएगा।

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आगामी फायर सीजन में वनों में आग की घटनाओं पर रोकथाम को लेकर जंगलात अभी से जुटा है। वन मुख्यालय में वनाग्नि नियंत्रण को लेकर हुई बैठक में अधिकारियों ने मोबाइल एप और डैश बोर्ड का इस्तेमाल के संबंध में एक प्रस्तुतिकरण दिया।

प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन ने कहा कि जंगल की आग की रियल टाइम सूचना के लिए आधुनिक माध्यमों का प्रयोग किया जाएगा। इस मोबाइल एप के माध्यम से पांच हजार वन कर्मियों और पांच हजार स्वयं सेवकों को जोड़ा जाएगा। इस एप के माध्यम से कोई भी व्यक्ति सूचना भेज सकता है। इससे वनाग्नि नियंत्रण के काम में मदद मिलेगी।
अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा ने बताया कि इसके माध्यम से कितनी आग की घटनाएं हैं, उसे बुझाने का रिस्पांस टाइम कितना रहा है समेत अन्य जानकारी मिल जाएगी। इस व्यवस्था को पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। बैठक में सीसीएफ गढ़वाल नरेश कुमार, डीएफओ वैभव कुमार सिंह आदि मौजूद थे।

Uttarakhand: प्रदेश में लगातार बढ़ रहे हैं डेंगू के मामले, पौड़ी जिले से आये सबसे अधिक मामले सामने।

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प्रदेश में डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं। अब तक पांच जिलों में कुल 75 मामले सामने आए हैं। इसमें पौड़ी जिले में सबसे अधिक 59 मरीज मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी जिलों के सीएमओ को डेंगू रोकथाम व बचाव के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं। स्वास्थ्य महानिदेशालय स्तर पर डेंगू मामलों की निगरानी की जा रही है।

आगामी नवंबर व दिसंबर तक डेंगू संक्रमण के फैलने की आशंका रहती है। हालांकि गत वर्ष की तुलना में इस बार अप्रैल से लेकर 17 सितंबर तक डेंगू के कुल 75 मामले सामने आए हैं। ऋषिकेश में एक डेंगू मरीज की मौत हुई है। मरीज को पहले से कई तरह की बीमारी होने से विभाग मौत के कारणों की वास्तविकता के लिए डेथ ऑडिट करा रहा है।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने कहा कि सभी जिलों के सीएमओ को डेंगू रोकथाम के लिए अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही स्वास्थ्य महानिदेशालय से भी नियमित रूप से मानीटरिंग करने को कहा गया है। आगामी दो माह तक डेंगू संक्रमण की संभावना को देखते हुए एहतियात बरतने की आवश्यकता है।

प्रदेश में अब तक डेंगू मरीजों की संख्या

जिला            डेंगू मरीज

पौड़ी                   59

देहरादून              09

हरिद्वार                03

नैनीताल                03

ऊधमसिंह नगर    01

Uttarakhand: IMD ने भारी बारिश का अलर्ट किया जारी, 7 जिलों में बारिश का अलर्ट, देखें मौसम का लेटेस्ट अपडेट।

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मौसम विभाग ने प्रदेश के सात जिलों के लिए भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है. इसके साथ ही आकाशीय बिजली चमकने की संभावना जताते हुए सावधानी बरतने की अपील की है.

IMD ने जारी किया भारी बारिश का अलर्ट-

मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह के अनुसार मंगलवार को देहरादून, हरिद्वार, उत्तरकाशी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले में कहीं-कहीं भारी बारिश की संभावना है. जिसे देखते हुए येलो अलर्ट जारी किया है. जबकि शेष जनपदों में आकाशीय बिजली चमकने के साथ हल्की बारिश की संभावना है.

बारिश ने बरपाया कहर-

प्रदेश में पिछले दिनों हुई बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. बदरीनाथ हाईवे पर चटवा पीपल पर भूस्खलन होने के कारण पिछले तीन दिनों में यहां घंटों हाईवे बंद रहा. मंगलवार सुबह भी यहां वाहन फंसने से हाईवे के दोनों ओर छह किलोमीटर लम्बा जाम लग गया. जिसकी वजह से 600 से अधिक वाहन फंसे हुए हैं.

Uttarakhand : ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 80% विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी, स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट में हुआ खुलासा।

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उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 80% विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। पहाड़ों में 80 हजार की आबादी पर एक सीएचसी होना चाहिए। इसके अनुसार पहाड़ में 44 सीएचसी की कमी है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से हाल ही में जारी हेल्थ डायनमिक्स (इंफ्रास्ट्रक्चर एंड ह्यमून रिसोर्स) रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में 31 मार्च 2023 तक उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विश्लेषण किया गया। इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड (आईपीएचएस) के मानकों के अनुसार, विशेषज्ञ डॉक्टरों की 80% कमी है।

पर्वतीय क्षेत्रों के सीएचसी में सर्जन, बाल रोग, ग्यानाक्लोजिस्ट, फिजिशियन, एनेस्थेटिस्ट के 245 विशेषज्ञ डॉक्टरों की जरूरत है। इनमें 48 ही कार्यरत हंै, जबकि 197 पद खाली चल रहे हैं। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पर्वतीय क्षेत्रों के अधिकतर सीएचसी में ग्यानाक्लोजिस्ट डॉक्टर कार्यरत नहीं है। 2005 में राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 44 सीएचसी थे, जो बढ़कर 49 हो गए हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों को नहीं मिल रहा पीजी डॉक्टरों का लाभ-
प्रदेश में चार राजकीय मेडिकल कॉलेज संचालित हैं। एमबीबीएस डॉक्टरों को पीजी कराने की सुविधा है, लेकिन पीजी करने वाले विशेषज्ञ डॉक्टरों का लाभ ग्रामीण उत्तराखंड को नहीं मिल रहा है। प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 1,240 पद सृजित हैं। इसमें लगभग पांच सौ ही विशेषज्ञ डॉक्टर कार्यरत हैं।

उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी चल रही है। प्रदेश सरकार की ओर से इस कमी को दूर करने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। 2027 तक प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर हो जाएगी। -डॉ. धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री