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- देवभूमि में महिलाएँ के अपराध के बढ़ते मामले.
- महिलाओं के गुमशुदगी के बढ़ते आंकड़ों पर सवाल.
- 2021 से 2023 तक 3854 महिलाओं की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज.
- RTI ने किया बड़ा खुलासा.
- आखिर कहाँ गायब हो रही हैं इतनी महिलाएँ ?
महिलाओं की गुमशुदगी को लेकर RTI का बड़ा खुलासा-
देवभूमि उत्तराखंड को शांत औऱ अपराध मुक्त प्रदेश के रूप में माना जाता है, लेकिन अब उत्तराखंड को मानो किसी की नजर लग गयी है, सवाल उठने लगे हैं कि क्या उत्तराखंड अब महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रह गया है,ऐसा हम नहीं कुछ चिंताजनक आंकड़े बता रहा रहे हैं, पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी में कुछ ऐसे आंकड़े महिलाओं और बेटियों के गायब होने के सामने आए हैं जो आपके होश उड़ा सकती है, ये आंकड़े प्रदेश में कानून व्यवस्था से लेकर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे पर भी सवाल उठाती है।
2021 से 2023 तक महिलाओं की गुमशुदगी के आंकड़े-
देश के अलग-अलग राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध की खबरें आती रहती हैं। इसी तरह उत्तराखंड में लम्बे समय से महिलाओं के लापता होने की घटनाओं के बीच सनसनीखेज खुलासा हुआ है।ये जानकारी एक RTI के जवाब में काशीपुर निवासी नदीम उद्दीन को पुलिस मुख्यालय द्वारा उपलब्ध कराई गयी है कि जनवरी 2021 से मई, 2023 के बीच मात्र 29 महीने में 3854 महिलायें और 1134 लड़कियां लापता हो गईं। ला महिलाओं और लड़कियों की गुमशुदगी पुलिस विभाग में पंजीकृत हुई है। इन मामलों में पुलिस और स्थानीय जनता की सक्रियता से इनमें से 2961 महिला तथा 1042 लड़कियां बरामद भी की जा चुकी हैं।
RTI का बड़ा खुलासा-
पुलिस मुख्यालय द्वारा आरटीआई एक्टिविस्ट नदीम उद्दीन को उपलब्ध कराई सूचना के अनुसार, राज्य के 13 जिलों तथा रेलवे सुरक्षा पुलिस (जी.आर.पी.) के अंतर्गत, जनवरी 2021 से मई 2023 तक कुल 3854 महिलाएं गुमशुदा दर्ज की गई है। इनमें 2021 में 1494, वर्ष 2022 में 1632 तथा वर्ष 2023 में मई तक 728 महिलाएं शामिल हैं। इसी अवधि में कुल 1132 लड़कियां गुमशुदा दर्ज हुई हैं। जिसमें 2021 में 404, साल 2022 में 425 और 2023 में मई तक 305 लड़कियां शामिल हैं।
5 महीने में 414 मामले-
बीते पांच महीनों में राज्य के विभिन्न थानों में 305 बालिकाओं के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज हुई। वहीं इस अवधि में 109 किशोरों के लापता होने की शिकायतें भी आई हैं।
RTI में मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2023 के जनवरी से मई माह के बीच लापता 300 से अधिक बालिकाओं में से 59 का अब तक पता नहीं चल पाया है। सभी की उम्र 18 वर्ष से कम है। बेटियां कहां और किस हाल में हैं, यह सोचकर परिजन परेशान हैं।
इन जिलों में इतने मामले-
हरिद्वार जिले से सबसे ज्यादा 95 और देहरादून से 80 बालिकाएं लापता हुई हैं। वहीं कुमाऊं की बात करें तो ऊधमसिंह नगर से 49 और नैनीताल से 17 नाबालिग बेटियां लापता हुई हैं। पहाड़ों में पिथौरागढ़ से सबसे अधिक 15 बेटियां लापता हैं।
सबसे ज्यादा गुमशुदगी के मामले इस जिले में-
राज्य में सबसे ज्यादा किशोर भी हरिद्वार जिले से लापता हो रहे हैं। बीते पांच माह में हरिद्वार से 47 किशोर लापता हुए हैं। देहरादून से 16 और ऊधमसिंह नगर से 11 किशोर लापता हुए। कुल लापता हुए 109 किशोरों में से 94 को पुलिस ने बरामद कर लिया है।
क़ानून व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती-
इन आंकड़ों से ये भी सवाल उठते हैं क्या देवभूमि में महिलाओं की गुमशुदगी के पीछे कोई सोची समझी साजिश तो नहीं, इतनी बड़ी संख्या तो कुछ इसी तरफ इशारा करती है, कानून व्यवस्था के लिए भी ये एक चुनौती है कि इस तरह महिलाओं और बेटियों के गायब होने के पीछे आखिर क्या राज छिपा है, राज्य सरकार पर भी इस पर सवाल उठते हैं। ये सवाल और भी गहरा जाते हैं जब ग्रह मंत्रालय का प्रभार भी प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अधीन है ।
ऐसे में पहाड़ से महिलाओं, बेटियों और बच्चों के गायब होने की घटना चिंता जाहिर करती है. खासकर तब जब मात्र ढाई वर्ष के अंतराल में हज़ारों की संख्या में बेटियां गायब होने लगें ।