Category Archive : देहरादून

Uttarakhand: पिथौरागढ़ को मिली 4200 करोड़ की सौगात, क्या कुछ खास रहा पढ़ें पूरी खबर.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तराखंड दौरे पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिथौरागढ़ के पार्वती कुंड में पूजा-अर्चना की। इसके बाद पीएम मोदी ने गुंजी में रं समाज के स्टाल में पारंपरिक वस्तुएं और उत्पाद देखे। साथ ही पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल भी बजाया। लोगों का हाथ हिलाकर स्वीकार अभिवादन किया। पीएम पिथौरागढ़ में लगभग 4,200 करोड़ रुपये की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।

 

पहाड़ी टोपी पहनाकर पीएम मोदी का स्वागत-

जब पीएम मोदी पिथौरागढ़ स्पोर्ट्स स्टेडियम स्थित जनसभा स्थल पहुंचे तब यहां पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंडी टोपी पहनाकर उनका स्वागत किया। इस अवसर पर स्थानीय कलाकारों द्वारा निर्मित नारायण आश्रम की कलाकृति प्रधानमंत्री मोदी को भेंट की गई।

4200 करोड़ की विकास योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिमोट का बटन दबाकर 4200 करोड़ की विकास योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया।

नया भारत डरी हुई सोच को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहा: PM मोदी

पीएम मोदी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि पहले की सरकारों ने इस डर से बॉर्डर एरिया का विकास नहीं किया कि कहीं दुश्मन इसका फायदा उठाकर अंदर ना आ जाए। आज का नया भारत पहले की सरकारों की इस डरी हुई सोच को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहा है।

 

आने वाला दशक उत्तराखंड का- 

पीएम मोदी ने कहा कि मैं जब भी उत्तराखंड आता हूं, देवभूमि का आशीर्वाद मुझे मिलता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का सामर्थ्य अद्भुत है, अतुलनीय है। निश्चित तौर पर अगला दशक उत्तराखंड का दशक होने वाला है। ऐसा मेरा विश्वास है। मैंने यह विश्वास बाबा केदार के चरणों में बैठकर जताया था। आज मैं आदि कैलाश के चरणों में बैठकर आया हूं और फिर से उसी विश्वास को दोहराता हूं। आपके जीवन को आसान बनाने के लिए हमारी सरकार लगातार काम कर रही है। हम पूरी ईमानदारी और समर्पण भाव से एक ही लक्ष्य को लेकर चल रहे हैं।

 

एशियन गेम्स में उत्तराखंड के खिलाड़ियों का ज‍िक्र-

पीएम ने कहा, हाल ही में एशियन गेम्स समाप्त हुए हैं इसमें भारत ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पहली बार भारत के खिलाड़ियों ने शतक लगाया। 100 से अधिक मेडल जीतने का रिकॉर्ड बनाया है इस खेल में उत्तराखंड की बेटियां और बेटे भी शामिल थे।

वन रैंक वन पेंशन की मांग को हमारी सरकार ने पूरा क‍िया: पीएम मोदी

वन रैंक-वन पेंशन की उनकी दशकों पुरानी मांग को हमारी ही सरकार ने पूरा किया है। अब तक वन रैंक-वन पेंशन के तहत 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि हमारी सरकार पूर्व सैनिकों को दे चुकी है। इसका लाभ उत्तराखंड के भी 75 हजार से ज्यादा पूर्व सैनिकों के परिवार को मिला है।

 

हमारी सरकार माताओं-बहनों की हर मुश्किल दूर करने को प्रतिबद्ध-

पीएम मोदी ने आगे कहा कि हमारी सरकार माताओं-बहनों की हर मुश्किल को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस साल लाल किले से मैंने महिला स्वयं सहायता समूह को ड्रोन देने की घोषणा की है। ड्रोन के माध्यम खेतों में दवा, खाद, बीज पहुंचाए जा सकेंगे।

 

पीएम ने किए आदि कैलाश के दर्शन –

बता दें आज सुबह पीएम मोदी ने पिथौरागढ़ के पार्वती कुंड में पूजा-अर्चना की। इसके बाद पीएम मोदी ने गुंजी में रं समाज के स्टाल में पारंपरिक वस्तुएं और उत्पाद देखे। साथ ही पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल भी बजाया।

 

हमारा तिरंगा हर जगह ऊंचाइयों पर उड़ रहा-

पीएम नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि आज हमारा तिरंगा हर जगह ऊंचाइयों पर उड़ रहा है। हमारा चंद्रयान तीन चांद पर पहुंचा। जहां दुनिया में अभी तक कोई नहीं पहुंचा है। भारत ने चांद की जमीन पर उतरे चंद्रयान तीन मिशन को शिव शक्ति नाम दिया। आज दुनिया भारत की ताकत को देख रहा है।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस- PMMVY में हजारों महिलाओं ने कराया पंजीकरण, किसी को नहीं मिला लाभ.

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अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर नहीं मिला लाभ.  

देश की बेटियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई तरह-तरह की योजनाएं ला रही है, लेकिन इसका लाभ पूरी तरह से नहीं मिल पा रहा है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना यानी की (पीएमवीवीवाई) भी इनमें से एक है। इसके तहत 14 हजार 841 महिलाएं पंजीकरण करवा चुकी हैं, लेकिन किसी को अभी तक लाभ नहीं मिल पाया है।

इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को पहले बच्चे में गर्भावस्था की शुरुआत से ही बच्चे के पहले टीकाकरण तक 5000 रुपये का लाभ अलग-अलग किस्तों में दिया जाता है। यह प्रक्रिया सिर्फ पहले बच्चे में होती थी, लेकिन सरकार ने इस योजना में बदलाव कर बेटियों को प्रोत्साहन देने के लिए 1 अप्रैल से योजना का दूसरा चरण शुरू किया है। दूसरे बच्चे के रूप यदि बेटी का जन्म होता है तो एक बार फिर इस योजना का लाभ मिलेगा। इसमें 6000 रुपये अलग-अलग किस्त में न देकर एक साथ दिए जाने का प्रावधान है। लेकिन डेढ़ साल बाद भी इसका कोई लाभ नहीं मिल पाया।

प्रथम प्रसव के तहत अभी तक सिर्फ 933 महिलाओं को मिला लाभ-

महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक देहरादून जिले में प्रथम प्रसव पंजीकरण पर 3586 और दूसरी बेटी के जन्म पर 2877 महिलाओं का नवीन पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण किया जा चुका है। वहीं, पूरे उत्तराखंड में प्रथम प्रसव पर 27 हजार 381 पंजीकरण और दूसरी बेटी के जन्म पर 14 हजार 841 महिलाओं के पंजीकरण हुए हैं। इसमें प्रथम प्रसव के तहत एक साल में सिर्फ 933 महिलाओं को योजना का लाभ मिला है। रायपुर की सीडीपीओ मंजेश्वरी ने बताया कि पोर्टल अपडेट हो रहा है, इस वजह से लंबे समय से प्रथम प्रसव का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। दूसरे चरण में भी अभी तक लाभ मिलना शुरू नहीं हो पाया है। 

महिलाओं के खाते में आता है पैसा-

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रजनी ने बताया योजना के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं गर्भवती महिलाओं के पास जाकर फॉर्म भरवाती हैं। इसका पैसा महिलाओं के बैंक खाते में आता है। महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की ओर से संचालित योजना बेटियों के प्रति सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देने का प्रयास है। 

यह है पात्रता-

-ऐसी महिलाएं जिनकी पारिवारिक आय आठ लाख रुपये प्रति वर्ष से कम है। 
-मनरेगा जॉब कार्ड धारक महिलाएं। 
-महिला किसान, जो किसान सम्मान निधि के तहत लाभार्थी हैं। 
-ई-श्रम कार्ड धारक महिलाएं। 
-आयुष्मान भारत के तहत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की लाभार्थी महिला भी इसके लिए पात्र है। 

पोर्टल अपडेट हो रहा है इसलिए दूसरे चरण का लाभ मिलने में दिक्कत आ रही है। बजट जारी हो चुका है। अगर किसी का जन्म 1 अप्रैल 2022 के बाद हुआ है तो उसका 31 अक्टूबर तक भी पंजीकरण किया जा सकता है।

 

Dehradun: दून अस्पताल की इमरजेंसी का बुरा हाल, कंधे पर उठाकर ले जा रहे मरीज.

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उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के सबसे बड़े अस्पताल दून अस्पताल की इमरजेंसी और ओपीडी में आ रहे मरीजों के तीमारदारों को स्ट्रेचर, व्हीलचेयर के लिए परेशान होना पड़ता है। अस्पताल में मरीज आते हैं तो उन्हें तुरंत उपचार की जरूरत होती है, लेकिन अस्पताल के गेट पर कभी स्ट्रेचर और कभी व्हीलचेयर नहीं मिल पाती है। स्थिति यह है कि अस्पताल के गेट से मरीजों को गोद में उठाकर ट्रायज एरिया तक ले जाना पड़ता है।

दून अस्पताल की इमरजेंसी में रोजाना 200 से 300 मरीज और ओपीडी में 2000 से 2500 मरीज तक इलाज के लिए आते हैं। इसमें 50 फीसदी मरीज गंभीर अवस्था में होते हैं। मरीज को एंबुलेंस से लाने के बाद तीमारदार सबसे पहले गेट पर स्ट्रेचर और व्हीलचेयर ही खोजते हैं। लेकिन दून अस्पताल के गेट पर स्ट्रेचर और व्हीलचेयर कभी नहीं मिलती है। मरीज की गंभीर हालत देखते हुए तीमारदार मरीज को गोद में उठाकर ही ट्रायज एरिया तक ले जाते हैं। सोमवार को भी यही स्थिति देखने को मिली। एक मरीज के तीमारदार एंबुलेंस के स्ट्रेचर से मरीज को उठाकर अस्पताल के अंदर ले जा रहे थे। वहीं, दूसरी ओर ओपीडी में बुजुर्ग मरीज को कंधे पर उठाकर तीमारदार ले जा रहे थे। अस्पताल में यह भी देखने को मिला व्हीलचेयर पर सामान ढोया जा रहा है।

 

अस्पताल में जमा है 400 आधार कार्ड, वापस नहीं की व्हीलचेयर-

अस्पताल प्रशासन के मुताबिक इमरजेंसी के गेट पर स्ट्रेचर और व्हीलचेयर रखे जाते हैं। कोई एक मरीज आता है तो उसको स्ट्रेचर दे दिया जाता है। स्ट्रेचर और व्हीलचेयर देने पर मरीज के तीमारदार से आधार कार्ड जमा करवाया जाता है। यह भी कहा जाता है कि मरीज आधार कार्ड वापस लेने आए तो व्हीलचेयर और स्ट्रेचर वापस कर दे। फिलहाल स्थिति यह है कि तीमारदार न व्हीलचेयर, स्ट्रेचर वापस करने आते हैं और न ही अपना आधार कार्ड ले जाते हैं। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक इमरजेंसी में करीब 400 तीमारदारों के आधार कार्ड जमा हो गए हैं। 

इमरजेंसी के गेट पर मरीजों के लिए पांच व्हीलचेयर, पांच स्ट्रेचर और ओपीडी में दो स्ट्रेचर, दो व्हीलचेयर लगाने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। स्ट्रेचर और व्हीलचेयर पर सामान ढोते थे, इसलिए ट्राली मंगाई गई। इन व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए गार्ड को भी स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। 

Uttarakhand- कोरोना काल में बंद रहा काम, बिजली विभाग ने भेजा लाखों का बिल, हैरान हुआ कारोबारी

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उत्तराखंड में बिजली विभाग के अफसर उपभोक्ताओं को मनमर्जी से बिजली बिल थमा रहे हैं। धरातल पर मीटर नहीं बदलते, लेकिन कागजी खानापूरी करके रीडिंग बढ़ा देते हैं। उपभोक्ता जितना विरोध करते हैं, तो बिजली का बिल उतना हीं बढ़ता जाता है।

उत्तराखंड विद्युत लोकपाल सुभाष कुमार ने ऐसे तीन मामलों में उपभोक्ता फोरम के आदेश को रद्द कर दिया। यूपीसीएल के बिजली बिलों को भी निरस्त करते हुए उपभोक्ताओं को राहत दी है। रुद्रपुर निवासी थान सिंह का छोटा कारोबार है, जिसके लिए 10 किलोवाट का कनेक्शन लिया हुआ है।

मार्च में उन्हें 1,14,969 का बिल आया। साथ ही कहा गया कि कनेक्शन न कटे इसके लिए 75 हजार तत्काल जमा कराएं। इसके बाद उन्हें 28 मार्च को यूपीसीएल से एक पत्र आया, जिसमें कहा गया कि उनका फरवरी 2017 से नवंबर 2022 का 29,35,681 रुपये का बकाया है। 

वह उपभोक्ता फोरम गए, जहां से राहत नहीं मिली। विद्युत लोकपाल सुभाष कुमार ने माना कि यूपीसीएल ने गलत बिल थमाया है। उन्होंने इसे निरस्त करते हुए पिछले छह बिलिंग साइकिल के हिसाब से बिल देने को कहा है। उन्होंने फोरम का आदेश निरस्त कर दिया।

मीटर बदले बिना बिल बढ़ाकर 2 लाख पहुंचाया-


रुड़की के सिकंदरपुर निवासी किसान अय्यूब ने अपनी 30 बीघा जमीन पर निजी ट्यूबवेल लगाया। उन्हें बिजली विभाग ने पिछले साल 15 मार्च को 2,94,499 रुपये का बिल थमाया। जिस पर उन्होंने शिकायत की तो विभाग ने मीटर की गड़बड़ी मानते हुए इसमें से 91,704 रुपये की छूट करते हुए 2,02,795 रुपये जमा कराने को कहा। उपभोक्ता फोरम ने भी इसे सही ठहराया। अपील पर विद्युत लोकपाल सुभाष कुमार ने माना कि यूपीसीएल ने वहां बिजली का नया मीटर लगाया ही नहीं था। मनमाने तरीके से बिल थमा दिया। उस बिल व फोरम के आदेश को रद्द कर दिया। उन्होंने यूपीसीएल को आदेश दिया कि पुराने मीटर की रीडिंग के औसत के हिसाब से नया बिल दिया जाए।

इंजीनियरों की खींचतान में आठ लाख का बिल-


काशीपुर निवासी आशीष कुमार अरोड़ा की बिजली बिल की रीडिंग ठीक नहीं आ रहीं थीं। उन्होंने विभाग को शिकायत की तो चेक मीटर लगाया गया। इसके बावजूद बिजली विभाग ने नवंबर 2022 में आठ लाख 81 हजार 244 रुपये का बिल थमा दिया। उन्होंने विरोध करते हुए उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। बिजली कनेक्शन न कटे, इसके लिए उन्होंने दो लाख रुपये एडवांस भी जमा करा दिया। फोरम से राहत न मिलने पर वह विद्युत लोकपाल पहुंचे। लोकपाल सुभाष कुमार ने पाया कि यूपीसीएल के दो इंजीनियरों की आपसी खींचतान से उपभोक्ता को आठ लाख का बिल दिया गया। उन्होंने तत्काल फोरम के आदेश व इस बिल को निरस्त कर दिया। पूर्व से जमा दो लाख की राशि भी उपभोक्ता को लौटाने के आदेश दिए।

Election 2024: लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा, उत्तराखंड पर है केंद्रीय नेतृत्व की सीधी नजर.

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2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को मध्यनजर रखते हुए भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व उत्तराखंड पर सीधी नजर बनाए हुए है।इसी को देखते हुए संगठन और सरकार से फीडबैक लेने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय संगठक वी सतीश तीन दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड पहुंचे हैं। शुक्रवार को उन्होंने प्रदेश भाजपा मुख्यालय में पार्टी के सभी मोर्चों के पदाधिकारियों के साथ बैठक में चुनावी दृष्टि से कई बिंदुओं पर जानकारी ली। 

  1. 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी बीजेपी
  2. बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व उत्तराखंड पर बनाए हुए है सीधी नजर
  3. उत्तराखंड के दौरे पर हैं भाजपा के राष्ट्रीय संगठक वी सतीश
इसके बाद धामी मंत्रिमंडल के सदस्यों से राष्ट्रीय संगठक वी सतीश ने अलग-अलग मुलाकात की। देर शाम को उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों से भेंट कर सरकार और संगठन के कामकाज को लेकर फीडबैक लिया। उत्तराखंड में वर्ष 2014 से लेकर अब तक के लोकसभा चुनाव से भाजपा अजेय बनी हुई है। तब से वह राज्य में लोकसभा की सभी पांचों सीटें जीतती हुई आई है। अब पार्टी के सामने हैट्रिक बनाने की चुनौती है।

बीजेपी ने बनाई रणनीति-

लोकसभा चुनाव में चूंकि बीजेपी पिछले लगातार 2014 के बाद से उत्तराखंड में पांचों सीटें जीतती आयी है, पार्टी ने इतिहास रचने की दृष्टि से रणनीति बनाई है और वह तैयारियों में जुट चुकी है, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व फिर भी इसे किसी भी दशा में हल्के में लेने के मूड में तो बिलकुल भी नहीं है। और यही कारण है कि केंद्रीय नेतृत्व निरंतर ही चुनावी तैयारियों पर नजर रखने के साथ ही फीडबैक भी ले रहा है। इस दृष्टिकोण से बीजेपी के राष्ट्रीय संगठक वी सतीश के उत्तराखंड दौरे को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

चुनावी रणनीतियों को लेकर तैयारियां

शुक्रवार को देहरादून पहुंचकर वी सतीश ने प्रदेश कार्यालय में पार्टी के सभी 7 मोर्चों के प्रभारियों व अध्यक्षों के साथ बैठक की। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने चुनावी तैयारियों की जानकारी ली। साथ ही जिन क्षेत्रों में पार्टी कमजोर है, वहां पर क्या और कैसी रणनीति अपनाई जा सकती है, इस बारे में सुझाव भी लिए। इसके बाद राष्ट्रीय संगठक ने राज्य सरकार के मंत्रियों से भी प्रदेश कार्यालय में अलग-अलग भेंट की। इस दौरान उन्होंने भावी रणनीति पर चर्चा करने के साथ ही केंद्रीय नेतृत्व की अपेक्षाओं से अवगत कराया। 

प्रदेश महामंत्रियों के साथ की बैठक-

वी सतीश ने पार्टी के तीनों प्रदेश महामंत्रियों के साथ भी बातचीत की। देर शाम उन्होंने तिलक रोड स्थित संघ कार्यालय जाकर प्रांत प्रचारक डॉ शैलेंद्र समेत अन्य पदाधिकारियों के साथ मंथन किया। उधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने बताया कि राष्ट्रीय संगठक शनिवार को पार्टी के प्रांतीय पदाधिकारियों और विधायकों के साथ अलग-अलग बैठकें कर स्थानीय मुद्दों, सामाजिक व राजनीतिक घटनाक्रमों के दृष्टिगत संगठनात्मक गतिविधियों पर चर्चा करेंगे।वहीँ आज वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी मुलाकात करेंगे।

हाई कोर्ट के निर्देश पर कार्बेट में पेड़ कटान व अवैध निर्माण मामले में सीबीआई ने शुरू की जांच

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सीबीआई ने जिम कार्बेट नेशनल पार्क के पाखरो रेंज में टाइगर सफारी के नाम पर हुए अवैध निर्माण तथा छह हजार पेड़ काटने के मामले की जांच शुरू कर दी है। राज्य सतर्कता निदेशक वी मुर्गेशन के मुताबिक, राज्य सतर्कता ने कार्बेट मामले से संबंधित सभी दस्तावेज सीबीआई को सौंप दिए हैं।नैनीताल हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआइ कार्बेट पार्क मामले की जांच सीबीआई कर रही है। इस मामले में सबसे पहले पाखरो सफारी मामले से जुड़े तीन सेवानिवृत्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) और एक मौजूदा पीसीसीएफ समेत रेंज में काम करने वाले करीब एक दर्जन वन अधिकारियों, कर्मचारियों व ठेकेदारों से सीबीआई पूछताछ करेगी।

 

जांच का प्रमुख केंद्र होंगे तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत

सीबीआई की जांच का मुख्य केंद्र बिंदु तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत होंगे। विजिलेंस और अन्य जांचों से पता चला है कि हरक सिंह के दबाव में कार्बेट टाइगर सफारी में वित्तीय और अन्य स्वीकृतियां लिए बिना ही काम शुरू कर दिया गया था।

बता दें है कि 21 अगस्त को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में देहरादून के अनु पंत की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई थी। इसमें कहा गया था कि  बिना अनुमति के निर्माण कार्य किए गए। छह जनवरी, 2023 को हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव से पेड़ों के कटान के प्रकरण पर जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने और यह बताने को कहा था कि किन लोगों की लापरवाही और संलिप्तता से यह अवैध कार्य हुए।

उत्तराखंड में लापता हुई 3854 महिलाएं और 1134 लड़कियां, RTI का बड़ा खुलासा…

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  • देवभूमि में महिलाएँ के अपराध के बढ़ते मामले.
  • महिलाओं के गुमशुदगी के बढ़ते आंकड़ों पर सवाल.
  • 2021 से 2023 तक 3854 महिलाओं की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज.
  • RTI ने किया बड़ा खुलासा.
  • आखिर कहाँ गायब हो रही हैं इतनी महिलाएँ ? 
महिलाओं की गुमशुदगी को लेकर RTI का बड़ा खुलासा-

देवभूमि उत्तराखंड को शांत औऱ अपराध मुक्त प्रदेश के रूप में माना जाता है, लेकिन अब उत्तराखंड को मानो किसी की नजर लग गयी है, सवाल उठने लगे हैं कि क्या उत्तराखंड अब महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रह गया है,ऐसा हम नहीं कुछ चिंताजनक आंकड़े बता रहा रहे हैं, पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी में कुछ ऐसे आंकड़े महिलाओं और बेटियों के गायब होने के सामने आए हैं जो आपके होश उड़ा सकती है, ये आंकड़े प्रदेश में कानून व्यवस्था से लेकर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे पर भी सवाल उठाती है।


2021 से 2023 तक महिलाओं की गुमशुदगी के आंकड़े-

देश के अलग-अलग राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध की खबरें आती रहती हैं। इसी तरह उत्तराखंड में लम्बे समय से महिलाओं के लापता होने की घटनाओं के बीच सनसनीखेज खुलासा हुआ है।ये जानकारी एक RTI के जवाब में  काशीपुर निवासी नदीम उद्दीन को पुलिस मुख्यालय द्वारा उपलब्ध कराई गयी है कि जनवरी 2021 से मई, 2023 के बीच मात्र 29 महीने में 3854 महिलायें और 1134 लड़कियां लापता हो गईं। ला महिलाओं और लड़कियों की गुमशुदगी पुलिस विभाग में पंजीकृत हुई है। इन मामलों में पुलिस और स्थानीय जनता की सक्रियता से इनमें से 2961 महिला तथा 1042 लड़कियां बरामद भी की जा चुकी हैं।

RTI का बड़ा खुलासा- 

पुलिस मुख्यालय द्वारा आरटीआई एक्टिविस्ट नदीम उद्दीन को उपलब्ध कराई सूचना के अनुसार, राज्य के 13 जिलों तथा रेलवे सुरक्षा पुलिस (जी.आर.पी.) के अंतर्गत, जनवरी 2021 से मई 2023 तक कुल 3854 महिलाएं गुमशुदा दर्ज की गई है। इनमें 2021 में 1494, वर्ष 2022 में 1632 तथा वर्ष 2023 में मई तक 728 महिलाएं शामिल हैं। इसी अवधि में कुल 1132 लड़कियां गुमशुदा दर्ज हुई हैं। जिसमें 2021 में 404, साल 2022 में 425 और 2023 में मई तक 305 लड़कियां शामिल हैं।

5 महीने में 414 मामले-

बीते पांच महीनों में राज्य के विभिन्न थानों में 305 बालिकाओं के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज हुई। वहीं इस अवधि में 109 किशोरों के लापता होने की शिकायतें भी आई हैं। 

RTI में मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2023 के जनवरी से मई माह के बीच लापता 300 से अधिक बालिकाओं में से 59 का अब तक पता नहीं चल पाया है। सभी की उम्र 18 वर्ष से कम है। बेटियां कहां और किस हाल में हैं, यह सोचकर परिजन परेशान हैं।

इन जिलों में इतने मामले-

हरिद्वार जिले से सबसे ज्यादा 95 और देहरादून से 80 बालिकाएं लापता हुई हैं। वहीं कुमाऊं की बात करें तो ऊधमसिंह नगर से 49 और नैनीताल से 17 नाबालिग बेटियां लापता हुई हैं। पहाड़ों में पिथौरागढ़ से सबसे अधिक 15 बेटियां लापता हैं।

सबसे ज्यादा गुमशुदगी के मामले इस जिले में- 

राज्य में सबसे ज्यादा किशोर भी हरिद्वार जिले से लापता हो रहे हैं। बीते पांच माह में हरिद्वार से 47 किशोर लापता हुए हैं। देहरादून से 16 और ऊधमसिंह नगर से 11 किशोर लापता हुए। कुल लापता हुए 109 किशोरों में से 94 को पुलिस ने बरामद कर लिया है। 

 
क़ानून व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती-

इन आंकड़ों से ये भी सवाल उठते हैं क्या देवभूमि में महिलाओं की गुमशुदगी के पीछे कोई सोची समझी साजिश तो नहीं, इतनी बड़ी संख्या तो कुछ इसी तरफ इशारा करती है, कानून व्यवस्था के लिए भी ये एक चुनौती है कि इस तरह महिलाओं और बेटियों के गायब होने के पीछे आखिर क्या राज छिपा है, राज्य सरकार पर भी इस पर सवाल उठते हैं। ये सवाल और भी गहरा जाते हैं जब ग्रह मंत्रालय का प्रभार भी प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अधीन है 

ऐसे में पहाड़ से महिलाओं, बेटियों और बच्चों के गायब होने की घटना चिंता जाहिर करती है. खासकर तब जब मात्र ढाई  वर्ष के अंतराल में हज़ारों की संख्या में बेटियां गायब होने लगें 

बीच बाजार में भी सुरक्षित नहीं हैं उत्तराखंड की बेटियां, मणिपुर जैसे हालात अब यहां भी…

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क्या उत्तराखंड ने अंकिता भंडारी केस से कुछ सीख ली ? क्या मणिपुर बनने की राह पर है उत्तराखंड? उत्तराखंड की कानून व्यवस्था और सरकार के खोखले दावे तो यहीं दर्शाते हैं, ऐसा कहने को हम तब मजबूर हो जाते हैं जब ये सामने आता है कि देहरादून जिसे राजधानी भी कहते हैं और वहां के व्यस्ततम चौराहे से एक खबर आती है कि भरे बाजार में अपनी दुकान पर काम कर रही लड़की के साथ सरेआम एक ऐसी घटना हो जाती है जो न केवल हमे डराती है बल्कि आसपास के जितने भी लोग इस घटना को देखते हैं डर से सिहर उठते हैं और हमें  ये सोचने को मजबूर करती है कि क्या लडकिया इस प्रदेश में सुरक्षित हैं, और कानून व्यवस्था की बात करने वाला पुलिस  प्रशासन कहाँ सोया है, बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ वाली डबल इंजन सरकार कहाँ सोई है?

देहरादून जिसे इस प्रदेश की  राजधानी भी कहा जाता है, जहां इस प्रदेश के मुखिया से लेकर उनके मंत्री और पूरी सरकार सहित सभी विभाग और अधिकारी बैठते हैं,कानून से जुड़े बड़े-बड़े अधिकारी भी यहीं रहते हैं अगर वहां पर दिन दहाड़े एक बेटी के साथ ऐसा होता है तो सीधा सवाल यहां की सरकार और पुलिस की कानून व्यवस्था पर उठते हैं ।
दुकानदार भी दहशत में- 
दरसल पूरा मामला कुछ इस तरह है कि देहरादून के डीबीएस कालेज के सामने टिहरी जिले की एक युवती एक साइबर कैफे की दुकान चलाती है, अचानक दिन में 20 से 25 लड़के मुहँ ढक कर वहां पर आते हैं और दुकान के अंदर घुस जाते हैं,उस युवती के गल्ले से पैसे निकालते हैं और उस युवती को घसीटते है, और ये घटना कोई रात को नहीं भरी दोपहरी में होती है, दूर गाँव से आकर अपना स्वरोजगार कर रही युवती इस घटना के बाद इतने ख़ौफ़ में है और न केवल युवती बल्कि आसपास के दुकानदार भी दहशत में है,अब आप सोचिए अगर भरी दोपहरी में इतनी भीड़ भाड़ वाले इलाके में भी अगर एक पाहड़ कि बेटी सुरक्षित नहीं हैं तो फिर अंदाजा लगाया जा सकता है कि बेटियां उत्तराखंड में कितनी सुरक्षित है,,और हमारी मित्र पुलिस शिकायत के बाद भी कई घण्टो तक घटना स्थल पर तक आने की जहमत नहीं उठाती, जबकि पास ही ssp ऑफिस से लेकर थाना चौकी मौजूद हो, जो दिखाता है कि हमारी पुलिस कितनी एक्टिव है। जब जाकर ये मामला मीडिया में उछला तब जाकर पुलिस ने इस पर रिपोर्ट लिखी।

 

कब तक महिलाएं सुरक्षित नहीं- 

 

अब सवाल ये उठता है कि क्या पुलिस ये इंतजार कर रही थी कि मणिपुर या अंकिता भंडारी जैसी घटना इस युवती के साथ हो जाती तो क्या तब जाकर पुलिस यहां कोई कारवाही करती,और क्या इस तरह बेटी बचेगी और बेटी पढ़ेगी,जब राजधानी और बीच बाजार में एक युवती जो अपने परिवार का सहारा बनने की कोशिश कर रही हो उसके साथ ये सब हो जाता है तो क्या इस तरह के माहौल में कोई और बेटी घर से बाहर आकर स्वरोजगार कर सकती है, इस तरह के माहौल में क्या कोई आत्म निर्भर और स्वरोजगार करने की हिम्मत करेगा.

इतना ही नहीं आज सुबह ही खबर आयी है कि राजधानी देहरादून के VVIP  इलाकों में शुमार कैंट रोड में एक महिला का शव मिला है. महिला के साथ दुराचार के बाद हत्या की आशंका व्यक्त की जा रही है. हालांकि पुलिस ने  महिला का शव बरामद करते हुए एक संदिग्ध युवक को भी हिरासत में ले लिया है, और मामले की जांच की जा रही है. आपको बता दें कि  सेंटीरियो मॉल के सामने महिला का शव मिलने से आस-पास के लोगों में सनसनी फैल गयी। महिला के सिर और पैर में गहरी चोट के निशान है। सूचना मिलने पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को बरामद किया। जिसके बाद पुलिस ने बॉडी मोर्चरी में रखवाई। आशंका जताई जा रही है कि महिला के साथ दुराचार के बाद हत्या कर दी गई।

 

आरोपियों की तलाश जारी- 
एक ऐसी ही खबर हरिद्वार श्यामपुर थाना क्षेत्र से आयी है, जहां एक किशोरी को रुड़की में तीन दिन तक बंधक बनाकर उससे सामूहिक दुष्कर्म का मामला भी सामने आया है। बहादराबाद क्षेत्र में श्यामपुर क्षेत्र के एक गांव निवासी किशोरी दो महीने से दिहाड़ी मजदूरी करने के लिए आ रही थी। दिहाड़ी पर आने के बाद चार दिन पहले उसका नंबर बंद हो गया। संपर्क न होने पर परिजन बहाराबाद पहुंचे तो किशोरी उन्हें नहीं मिली। परिजनों ने पुलिस को शिकायत दी। श्यामपुर पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर तलाश शुरू की। दिहाड़ी मजदूरी करने वाली किशोरी को उसकी परिचित युवती ने तीन युवकों के हवाले किया था। जबकि आरोपी युवक और युवती की तलाश शुरू कर दी गई है। पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद किशोरी को रुड़की से बरामद कर लिया है। पुलिस ने बताया कि आरोपियों की तलाश की जा रही है. जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा.  ये पता चलते ही परिजनों के होश उड़ गए। इस घटना ने सरकार और कानून व्यवस्था की  महिला सुरक्षा को लेकर  पोल खोल कर रख दी है. ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन भी दूर नहीं जब उत्तराखंड की बेटियों का घर से बाहर आना मुश्किल हो जाएगा।

उत्तराखंड में बारिश का कहर जारी, बिगड़ेंगे अभी और हालात…

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उत्तराखंड में मानसून ने भयानक तबाही मचा रखी है. उत्तराखंड  में मानसून का सीजन हर साल आफत लेकर आता है. हर साल आपदा की वजह से सैकड़ों लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. तो वहीं सैकड़ों मकान भी तबाह हो जाते हैं. इतना ही नहीं आपदा की वजह से मरने वाले मवेशियों की तो कोई गिनती ही नहीं होती है. क्योंकि हर साल प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश से तबाही मचती है  कई लोग बेघर हो जाते हैं और कई लोग अपनी जान तक गंवा देते हैं.  भारी बारिश के चलते आम जनजीवन भी अस्त-व्यस्त है. मौसम विभाग की मानें तो राज्य में अभी बारिश का ये सिलसिला जारी ही रहेगा. IMD ने कुछ इलाकों के लिए रेड अलर्ट भी जारी किया है. देश के कई राज्यों में मूसलाधार बारिश देखने को मिल रही है.  तो वहीं मैदान से लेकर पहाड़ी इलाकों तक भारी बारिश के चलते तबाही की तस्वीरें सामने आ रही हैं. सबसे ज्यादा तबाही उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में देखने को मिल रही है. उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश के चलते नदियां उफान पर हैं.  इस बीच मौसम विभाग ने अभी आफत कम नहीं होने की संभावना जताई है. मौसम विभाग ने उत्तराखंड में अगले पांच दिनों तक बारिश की चेतावनी दी है.

 

अब तक आपदा की वजह से 36 लोगों की हुई मौत

उत्तराखंड आपदा के हिसाब से अति संवेदनशील राज्य है. यहां पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा की कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें सैकड़ों लोग जान गवा चुके हैं. बात 2013 केदारनाथ आपदा की हो या फिर रैणी गांव में आई आपदा की.  हर साल बरसात के सीजन में ऐसी तबाही मचती है कि सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा देते हैं. इस साल ही अब तक आपदा की वजह से 36 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. यह आंकड़े आपदा परिचालन केंद्र के अनुसार हैं,, इसके अलावा 53 लोग ऐसे हैं जो घायल हुए हैं और 13 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं बात सिर्फ इंसानों की नहीं है बल्कि ढाई सौ से ज्यादा छोटे बड़े पशु भी काल के मुंह में समा गए. नुकसान की अगर बात की जाए तो कच्चे-पक्के भवनों को सैकड़ों की संख्या में नुकसान हुआ है.

 

इन जिलों में हुई इतने लोगों और पशुओं की मौतें

इसी के साथ अगर जिलों में मौतों की बात की जाए तो बागेश्वर में 1, चमोली में 5, चंपावत में 2, देहरादून में 2, हरिद्वार में 2, नैनीताल में 2,पौड़ी में 2, पिथौरागढ़ में 5, रुद्रप्रयाग में 4, टिहरी में 5, उधम सिंह नगर में 2 और उत्तरकाशी में 4 लोगों की मौत हुई है. साल 2021 की बात की जाए तो आपदा की वजह से कुल 303 लोग मारे गए थे, जबकि 87 लोग घायल हुए थे. 61 लोग आज भी लापता सूची में दर्ज है. आपदा में 412 बड़े पशु और 740 छोटे पशु आपदा की चपेट में आकर मारे गए हैं.

 

अब तक 1500 से अधिक सड़कें हुई बंद-

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मानसून की बारिश हमेशा आफत लेकर आती है। सबसे अधिक कहर सड़कों पर बरसता है। बारिश में स्लिप आने और क्रॉनिक लैंडस्लाइड जोन (अति संवेदनशील) सड़कों के बंद होने का बड़ा कारण बनते हैं। पहले से चिह्नित भूस्खलन क्षेत्रों के अलावा हर साल नए क्रॉनिक जोन विकसित हो रहे हैं, जो सरकार के लिए बड़ी चिंता का विषय हैं। लोनिवि की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल अब तक कुल 1,508 सड़कें बंद हो चुकी हैं। इनमें 1,120 सड़कें लोनिवि, 7 NH और 381 PMGSY यानि (प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना) की हैं। इनमें से अब तक 1,235 सड़कों को खोला जा चुका है, जबकि 273 अब भी बंद हैं। इन सड़कों को चालू हालत में लाने के लिए 1,776.24 लाख रुपये खर्च होंगे, जबकि पूर्व की हालत में लाने के लिए 3,560.66 लाख रुपये की जरूरत पड़ेगी। यह आकलन लोनिवि की ओर से अपनी रिपोर्ट में किया गया है।

 

7 पुल भी हुए क्षतिग्रस्त-

प्रदेश में भारी बारिश के बाद उपजे हालात के कारण सात पुलों को भी नुकसान पहुंचा है। इनको चालू करने के लिए 14 लाख रुपये खर्च होंगे, जबकि पूर्व की हालत में लाने के लिए कुल 337.50 लाख रुपये खर्च होंगे। 

 

तेज बारिश से जन जीवन अस्त-व्यस्त-

उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण जगह-जगह से तबाही के मंजर की तस्वीरें सामने आ रही हैं. ऋषिकेश में भी गंगा का पानी ऋषिकेश में स्थित परमार्थ निकेतन की शिव मूर्ति को छू कर बहने लगा है. शिव मूर्ति तक पहुंचने के लिए बनाई गई छोटी पुलिया भी पूरी तरह से नदी में डूब चुकी है. गंगा का बढ़ता जल स्तर अब डरा रहा है कि कहीं पानी का तेज बहाव एक बार फिर प्रतिमा को डूबो न दे. इसके साथ ही ऋषिकेश से गुजरने वाली चंद्रभागा नदी, सॉन्ग नदी, सुखवा नदी, बीन नदी के साथ-साथ नाले भी अपना रौद्र रूप दिखा रहे हैं. उत्तराखंड के नैनीताल जिले में भी अब भारी बारिश के कारण झीलों का जल स्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है. तो वहीं, भारी बारिश के चलते नेशनल हाइवे में कटाव देखने को मिला. उत्तरकाशी में भी लगातार तेज बारिश के बाद गंगोत्री-यमुुनोत्री हाइवे पर कई जगह रास्ते बंद हो चुके हैं. जिसके कारण जगह-जगह फंसे कांवड़ियों का रेस्क्यू किया जा रहा है.

 

 

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प्रदेश में अभी टला नहीं बारिश का कहर. इन इलाकों में ऑरेंज अलर्ट-

IMD की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, कल यानी गुरुवार को नैनीताल, उधम सिंह नगर, पौड़ी, चंपावत  में बारिश का रेड अलर्ट जारी किया गया है. इसके अलावा पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, और अल्मोड़ा में बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है. वहीं, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, देहरादून, टिहरी और हरिद्वार में भी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है.

 

क्या कहता है मौसम का रेड, ऑरेंज और येलो अलर्ट-

मौसम विभाग मौसम के बहुत खराब होने पर रेड अलर्ट जारी करता है. इसमें प्रशासन को तुरंत सक्रिय होने का संकेत मिलता है. ऑरेंज अलर्ट मौसम के खराब होने पर जारी होता है और इसमें प्रशासन को तैयार रहने का इशारा मिलता है. येलो अलर्ट प्रशासन को सतर्क रहने के लिए कहता है.

 

मदद के लिए सरकार ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर-

उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों एवं हिमाचल प्रदेश में फंसे उत्तराखंड के नागरिकों की सहायता के लिए सरकार ने आपदा राहत नंबर जारी किए हैं। किसी भी मदद के लिए लोग इन नंबरों 9411112985, 01352717380, 01352712685 पर संपर्क कर सकते हैं। साथ ही 9411112780 नंबर पर व्हाट्सएप मैसेज कर सकते हैं। सीएम धामी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है।

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उत्तराखंड में भारी बारिश के बीच लगातार भूस्खलन हो रहा है। कुमाऊं से लेकर गढ़वाल और पहाड़ से लेकर मैदान तक बारिश का दौर जारी है। कुमाऊं और गढ़वाल के सभी इलाकों में लगातार हो रही तेज बारिश आफत बनी हुई है। राजधानी देहरादून में लगातार 3 दिन से बारिश हो रही है। बारिश की वजह से देहरादून की सड़कों पर पानी भरा हुआ है, जिसके चलते लोगों को आने-जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मौसम विभाग के अनुसार अभी अगले 5 दिन प्रदेश में बारिश का दौर जारी रहेगा। इसे देखते हुए कुमाऊं के सभी पहाड़ी जिलों में स्कूलों को बंद कर दिया गया है। प्रदेश में बारिश के दौरान भूस्खलन तथा अन्य संबंधित घटनाओं में 9 व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी और छह अन्य घायल हुए हैं…. पिथौरागढ़, अल्मोड़ा बागेश्वर, नैनीताल और चंपावत में सभी स्कूल बंद रहेंगे। भारी बारिश के अलर्ट पर पांचों जिलों के डीएम ने यह अहम फैसला लिया है। तेज बारिश के चलते कुमाऊं की कई नदियां उफान पर हैं तो गढ़वाल और कुमाऊं में पहाड़ों से पत्थर गिर रहे हैं। इस कारण सड़कें भी अवरुद्ध हो रही हैं। मौसम विभाग ने नदियों के किनारे और पहाड़ी मार्गों पर सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। कई दिनों से प्रदेश भर के ज्यादातर इलाके बारिश में जलमग्न हैं। पहाड़ से लेकर मैदान और कुमाऊं से लेकर गढ़वाल तक सब जगह बारिश हो रही है। उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश के बाद पहाड़ से लेकर मैदान तक कुदरत का कहर बरप रहा है। पहाड़ी इलाकों में नदी नाले उफान पर आए हैं। गंगा, अलकनंदा, काली और बीन नदी उफान पर हैं। वहीं, भूस्खलन ने कई जिंदगियां लील लीं। उत्तरकाशी में पांच, रुद्रप्रयाग में एक और विकासनगर में दो लोगों की भूस्खलन के चलते मौत हो गई। उधर, मैदानी इलाके बारिश के बाद जलमग्न हो गए हैं।

 

चार-धाम यात्रा मार्ग भी हुए अवरुद्ध।

 

बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग शनिवार को पहाड़ी से बोल्डर गिरने के कारण एक बार फिर अवरुद्ध हो गया। बाजपुर चाडा के पास पहाड़ी से चट्टान टूटने के कारण बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग एक बार फिर बंद हो गया। मार्ग बंद होने की वजह से गाड़ियों को दूसरे रास्ते से निकालना पड़ रहा है। रविवार को देहरादून में तड़के से बारिश का दौर जारी रहा, चमोली जिले में मौसम खराब बना हुआ है। यहां भी बारिश हो रही है। केदारनाथ समेत पूरे रुद्रप्रयाग जिले में हल्की बारिश हो रही है। केदारनाथ यात्रा सुचारू है। लगातार बारिश के कारण जौनसार बावर में कई जगह पहाड़ दरक गए हैं। हरिद्वार में बाणगंगा (रायसी), पिथौरागढ़ में धौलीगंगा (कनज्योति) व नैनीताल में कोसी (बेतालघाट) में नदियों के जल स्तर में वृद्धि हो रही है। भूस्खलन की वजह से लोनिवि साहिया के स्टेट हाईवे समेत कई मोटर मार्ग बंद हैं। स्टेट हाईवे, मुख्य जिला मार्ग समेत 10 मोटर मार्ग बंद होने के कारण जौनसार बावर के करीब 100 गांवों, मजरों व खेड़ों में रहने वाली आबादी का जनजीवन प्रभावित हो गया है। सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत कुमार सिन्हा के निर्देश पर राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने हरिद्वार, नैनीताल व पिथौरागढ़ के जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर अपने-अपने क्षेत्रों में विशेष सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं। मौसम विभाग ने कहीं ऑरेंज तो कहीं येलो अलर्ट जारी किया है। कई जिलों में विद्यालयों की छुट्टी कर दी गई है। पहाड़ी मार्गों और नदियों के किनारे सतर्कता बरतने को कहा गया है।बीते दो दिनों से जिस तरीके की बारिश हो रही है, उससे अब देश के पहाड़ी इलाकों से लेकर मैदानी इलाकों में बहुत बड़े खतरे की आहट सुनाई देने लगी है। पहाड़ों पर नजर रखने वाली देश की प्रमुख सरकारी एजेंसियों ने आशंका जताई है कि मूसलाधार बारिश के बाद अब खोखले हो चुके पहाड़ों के दरकने का अंदेशा बढ़ गया है। दरअसल यह रिपोर्ट लगातार बारिश के बाद पहाड़ों के भीतर हो रहे तेज पानी के रिसाव और कमजोर हो रही चट्टानों के चलते आई है। लगातार तेज हो रही बारिश के चलते हिमाचल प्रदेश के कुछ पहाड़ी इलाके सबसे ज्यादा खतरे के निशान पर आ गए हैं और वहां पर पहाड़ियों के खिसकने की बड़ी सूचनाएं भी आने लगी हैं। फिलहाल सरकारी एजेंसियों की चेतावनी के बाद सरकार तो अलर्ट हो गई है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है अगर ऐसा होता है तो यह बहुत बड़ी तबाही होगी।

 

 

 

 हिमालयन रीजन के खतरनाक इलाकों को खाली करने का सुझाव। 

 

बीते दो दिनों की बारिश ने सबसे ज्यादा तबाही हिमाचल प्रदेश के उन इलाकों में मचानी शुरू की है, जहां आबादी बसती है। पहाड़ों समेत मैदानी इलाकों पर नजर रखने वाली जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक जहां पर सबसे ज्यादा बारिश हो रही है और पानी का बहाव तेज है उन पहाड़ी क्षेत्रों में अब सबसे ज्यादा खतरा नजर आने लगा है। ऐसे खतरे को भांपते हुए डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन की ओर से पहाड़ों और वहां पड़ने वाली बर्फ पर नजर रखने के लिए डिफेंस जियोइन्फोर्मेटिक्स एंड रिसर्च एस्टैब्लिशमेंट और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया समेत मौसम विभाग ने केंद्र सरकार को मौसम से होने वाली आपदा संबंधी रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में अंदेशा जताया गया है कि अगर लगातार ऐसी बारिश होती रही, तो पहाड़ी इलाकों पर न सिर्फ पहाड़ों के खिसकने का खतरा बढ़ेगा, बल्कि मानव आबादी और जान माल की बड़ी क्षति भी हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि कमजोर हो चुके पहाड़ों और बारिश के चलते क्षतिग्रस्त हुए इलाकों से अब वहां रहने वालों को किसी दूसरी जगह बसाया जाना जरूरी हो गया है।

 

 

 

यह बारिश सबसे खतरनाक साबित हो सकती है पहाड़ों के लिए…

 

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व उपनिदेशक डॉ. अरूप चक्रवर्ती कहते हैं कि बीते एक दशक में तैयार की गई उनकी रिपोर्ट बताती है कि पहाड़ के ज्यादातर आबादी वाले हिस्से के इलाके एक खोखले टीले पर बसे हुए हैं। वह कहते हैं कि जिस तरीके की मूसलाधार बारिश पहाड़ों पर जमकर हो रही है और तेजी से पिघलते ग्लेशियर से निकलता पानी तेजी से नदियों के माध्यम से उन पहाड़ों के भीतर जाकर उनकी जड़ों को और खोखला कर रहा है। चक्रवर्ती अंदेशा जताते हैं कि जिस तरीके से बीते दो दिनों में बारिश हुई है वह पहाड़ी इलाकों के लिए सबसे खतरनाक साबित हो सकती है। चक्रवर्ती कहते हैं कि सबसे बड़ा खतरा पहाड़ों के खिसकने का है। उनका उनका कहना है कि इस वक्त सबसे ज्यादा हिमाचल प्रदेश में बारिश का कहर बरप रहा है। खोखले हो चुके पहाड़ों पर बसी आबादी और खतरनाक पहाड़ों पर बने मकानों और उनके ठिकानों के खिसकने का खतरा बना हुआ है। वह कहते हैं कि जिस तरीके से बारिश हुई है अगर किसी तरीके की बारिश इस मानसून में एक दो बार और हो जाती है तो बेहद चिंता की बात होगी।

 

इसलिए जताया बारिश में पहाड़ों के ढह जाने का खतरा।

पहाड़ों पर बसी आबादी को लेकर एक बहुत बड़ा खतरा सामने आ रहा है। भूवैज्ञानिकों का कहना है पहाड़ों का गुरुत्वाकर्षण केंद्र अपनी जगह से खिसकने लगा है। लगातार हो रहे बेतरतीब तरीके के निर्माण कार्य से आबादी वाले पहाड़ खोखले भी होने लगे हैं। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक अरूप चक्रवर्ती कहते हैं कि आने वाले दिनों में पहाड़ों के खिसकने की घटनाएं न सिर्फ हिमाचल और उत्तराखंड में बढ़ेंगी, बल्कि पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में बसे पहाड़ी इलाकों और नेपाल, भूटान, तिब्बत जैसे देशों में भी ऐसी घटनाओं के बढ़ने की संभावना ज्यादा है। इसमें बारिश की वजह से और बड़ी घटनाओं के होने की आशंका बनी हुई है। वह कहते हैं कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पहाड़ों के खिसकने का सिलसिला लगातार जारी है। डॉक्टर चक्रवर्ती का कहना है कि पहाड़ों पर लगातार हो रहे अतिक्रमण से पहाड़ों का पूरा गुरुत्वाकर्षण केंद्र अव्यवस्थित हो गया है। पहाड़ों की टो कटिंग और बेतरतीब तरीके से हो रहे निर्माण की वजह से ऐसे हालात बने हैं। उनका कहना है कोई भी पहाड़ तभी तक टिका रह सकता है जब उसका गुरुत्वाकर्षण केंद्र स्थिर हो। पहाड़ों की तोड़फोड़ और पहाड़ों पर बेवजह के बोझ से उसका स्थिर रखने वाला गुरुत्वाकर्षण केंद्र अपनी जगह छोड़ देता है। ऐसे में जब तेज बारिश होती है और नदियों का बहाव अपने वेग के साथ पहाड़ी इलाकों में बहता है, तो पहाड़ों की खोखली हो नीव को गिराने की क्षमता भी रखते हैं। यही परिस्थितियां सबसे खतरनाक होती है।

 

हिमालयन रीजन में इसलिए बढ़ रही हैं बड़ी समस्या।

 

पहाड़ी इलाकों में हो रहे निर्माण कार्यों पर नजर रखने वाली संस्था से जुड़े वैज्ञानिक और शोधकर्ताओं का कहना है कि पहाड़ पर बनने वाले एक मकान या एक सड़क या एक टनल के लिए भी वैज्ञानिक सर्वेक्षण बहुत जरूरी होता है। उनका कहना है क्योंकि पहाड़ की मजबूती बनाए गए मकान, बनाई गई सड़क और बनाई गई टनल के दौरान काटे गए पहाड़ के मलबे से ही जुड़ी होती है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की पहाड़ी इलाकों पर एक दशक तक किए गए शोध के नतीजे बताते हैं कि यहां पर जो निर्माण हुए उसमें पानी के निकास को लेकर उस तरह का ख्याल ही नहीं किया गया। शोधकर्ताओं के मुताबिक पहाड़ों पर पानी के निकास की सबसे बेहद जरूरत किसी भी हो रहे निर्माण के दौरान होती है। इस शोध को करने वाले जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक डीएस चंदेल की रिपोर्ट में पहाड़ों की मजबूती और पहाड़ों की मिट्टी से लेकर उसके पूरे भौगोलिक परिदृश्य को शामिल किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययन में पाया था कि वे पहाड़ जहां पर इंसानी बस्तियां बहुत ज्यादा बसने लगी हैं, वहां पहाड़ धीरे-धीरे ही सही लेकिन खोखले होते जा रहे हैं। ऐसे माहौल में अगर कभी बड़ी बारिश होती है तो सबसे बड़ा खतरा पहाड़ों पर बसे शहरों के लिए ही होने वाला है।

 

 दिल्ली में टूटा रिकॉर्ड।

मौसम विभाग के अनुसार बारिश ने दिल्ली में 20 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. मौसम विभाग के एक अधिकारी के अनुसार दिल्ली के प्राथमिक मौसम केंद्र सफदरजंग वेधशाला ने सुबह 8.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक  126.1  मिलीमीटर (मिमी) बारिश दर्ज की. उन्होंने बताया कि बारिश का यह आंकड़ा 10 जुलाई 2003 के बाद सबसे ज्यादा है और तब 24 घंटों के दौरान 133.4 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी.

 

मौसम विभाग ने दी ये जानकारी….

मौसम विभाग ने कहा कि पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत के ऊपर बना हुआ है, जबकि मानसून अपनी सामान्य स्थिति के दक्षिण की ओर फैल गया है. साथ ही, दक्षिण-पश्चिम राजस्थान के ऊपर एक चक्रवाती स्थिति बनी हुई है. आईएमडी ने दो दिन पहले हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बहुत ज्यादा बारिश होने की चेतावनी दी थी. इसके अलावा जम्मू कश्मीर के छिटपुट स्थानों, और पूर्वी राजस्थान, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, और पंजाब में भी भारी बारिश का अनुमान लगाया गया था. आईएमडी ने कहा कि 11 जुलाई से क्षेत्र में भारी बारिश होने की संभावना नहीं है. मौसम विभाग के मुताबिक 15 किलोमीटर से कम बारिश हल्की, 15 मिलीमीटर से 64.5 मिलीमीटर वर्षा मध्यम, 64.5 मिलीमीटर से 115.5 भारी और 115.5 से 204.4 मिलीमीटर अत्यधिक बारिश समझी जाती है. दिल्ली में जुलाई में अब तक 137 मिलीमीटर बारिश हुई है . औसत के हिसाब से शहर में पूरे महीने में 209.7 मिलीमीटर बारिश होती है.