उत्तराखंड में अब जल्द ही समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने जा रहा है। आज शुक्रवार(18 अक्तूबर) को विशेषज्ञ समिति ने यूसीसी नियमावली का ड्राफ्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया है। सीएम धामी ने कहा कि सभी को समान न्याय और समान अवसर मिले इसके लिए यूसीसी लागू किया जा रहा है।
9 नवंबर को यूसीसी लागू करने की तैयारी-
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में घोषणा की थी कि सरकार नौ नवंबर को उत्तराखंड स्थापना दिवस पर यूसीसी लागू करना चाहती है। ऐसे में अब समीति के फाइनल नियमावली का ड्राफ्ट साैंपने के बाद पूरी उम्मीद जताई जा रही है कि यूसीसी उत्तराखंड में 9 नवंबर को लागू हो जाएगा।
यूसीसी में ये है खास-
नियमावली में मुख्य रूप से चार भाग हैं। जिसमें विवाह एवं विवाह-विच्छेद लिव-इन रिलेशनशिप, जन्म एवं मृत्य पंजीकरण तथा उत्तराधिकार संबंधी नियमों के पंजीकरण संबंधी प्रक्रियाएं हैं।
ऑनलाइन मिल सकेगी सारी जानकारी-
जन सामान्य की सुलभता को देखते हुए यूसीसी के लिए एक पोर्टल और मोबाइल एप भी तैयार की गई है, इसमें पंजीकरण और अपील आदि की समस्त सुविधाएं जन सामान्य को ऑनलाईन माध्यम से सुलभ हो सके।
यूसीसी लागू होगा तो यह आएंगे बदलाव-
सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक ही कानून।
26 मार्च 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण की सुविधा।
पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25,000 रुपये का जुर्माना।
पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे।
विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष होगी।
महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं।
हलाला और इद्दत जैसी प्रथा खत्म होगी। महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी।
कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा।
एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी।
संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार होंगे।
जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा।
नाजायज बच्चों को भी उस दंपती की जैविक संतान माना जाएगा।
गोद लिए, सरगोसी से असिस्टेड री प्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे।
किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे।
कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है।
लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
युगल पंजीकरण रसीद से ही किराया पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे।
लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।
लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
अनिवार्य पंजीकरण न कराने पर छह माह के कारावास या 25 हजार जुर्माना या दोनों का प्रावधान होंगे।
खाद्य पदार्थों में थूकने की घटनाओं पर राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत के निर्देशानुसार खाद्य संरक्षा विभाग ने भी इसे लेकर विस्तृत गाइडलाइन जारी कर दी है।
इस तरह की घटनाओं में संलिप्त पाए जाने व्यक्ति पर अब 25 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा। खाद्य संरक्षा विभाग के आयुक्त डा. आर राजेश कुमार ने एसओपी को सख्ती से लागू करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए हैं।
खाद्य कारोबारियों को लाइसेंस लेना अनिवार्य-
खाद्य संरक्षा आयुक्त ने कहा हाल के दिनों में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में जूस और अन्य खानपान की वस्तुओं में मानव अपशिष्ट व अन्य गंदगी मिलाने के प्रकरण सामने आए हैं। यह खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम-2006 के प्राविधानों का स्पष्ट उल्लंघन है। कहा कि सभी खाद्य कारोबारियों को लाइसेंस लेना और उसकी शर्तों का पालन करना अनिवार्य है। साथ ही खाद्य पदार्थों में स्वच्छता व सफाई संबंधी अपेक्षाएं का अनुपालन करना भी अनिवार्य है।
नियमों का पालन न करने वाले खाद्य करोबारियों के खिलाफ खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के प्रावधानों के तहत दंडित किए जाने का प्राविधान है।
कहा कि आमजन को शुद्ध, स्वच्छ व सुरक्षित खाद्य पदार्थों की उपलब्धता सुनिश्चित कराए जाने के दृष्टिगत राज्य में संचालित होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा, कैंटीन, फूड वेंडिंग एजेनंसीज, फूड स्टाल, स्ट्रीट फूड वेंडर्स आदि में खाद्य सुरक्षा व स्वच्छता के मानकों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराए जाने का नियम है। जिसके लिए विभागीय टीमें लगातार अभियान चलाकर छापेमारी कर रही हैं। खाद्य पदार्थों की सैंपलिंग भी की जा रही है। जांच में दोषी पाए जाने वाले खाद्य कारोबारियो पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
ढाबे, रेस्टोरेंट को बताना होगा मीट झटका या हलाल-
खाद्य पदार्थ बेचने वालों के लिए पहचान पत्र पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा राज्य में किसी भी रूप में मीट बेचने वालों के लिए हलाल या झटका का उल्लेख करने के भी निर्देश दिए गए हैं। मीट कारोबारियों, ढाबे, होटल एवं रेस्टोरेंट संचालकों को अपने यहां लिखना होगा कि मीट हलाल का है या फिट झटका। साथ ही उन्हें दुकान का लाइसेंस भी ग्राहकों को प्रदर्शित करना होगा। सीसीटीवी कैमरे भी अनिवार्य रूप से लगाने होंगे।
इसका करना होगा पालन-
भोजन बनाने और परोसने वाले कार्मिकों को अनिवार्य रूप से फेस मास्क/ ग्लव्स/हेड गियर का उपयोग करना होगा।
खाद्य पदार्थों को हैंडल करते समय धूमपान, थूकना और डेयरी उत्पादों को प्रयोग में लाए जाने व छूने से पूर्व नाक खुजाना, बालों में हाथ फेरना, शरीर के अंगों को खुजाना आदि पर नियंत्रण रखें। इसे खाद्य पदार्थों में बैक्टीरियल संक्रमण हो सकता है।
संक्रामक रोग से ग्रसित व्यक्तियों को खाद्य निर्माण/संग्रहण/वितरण स्थलों पर कदापि न रखा जाए।
खाद्य प्रतिष्ठान में कार्यरत कार्मिकों की सूची चिकित्सकीय प्रमाण-पत्र सहित उपलब्ध कराएं।
खाद्य प्रतिष्ठान में कार्यरत कार्मिकों को अनिवार्य रूप से फोटोयुक्त पहचान पत्र निर्गत किया जाए, जिसे कार्यस्थल पर अनिवार्य रूप से पहनना होगा।
खाद्य पदार्थ निर्माण, परोसने व विक्रय करने वाले कार्मिकों को कार्यस्थल पर थूकने और अन्य किसी भी प्रकार की गंदगी फैलाने पर प्रतिबंध।
खाद्य कारोबारी उत्पादन, कच्ची सामग्री का उपयोग और विक्रय का अलग-अलग दैनिक रिकार्ड रखेगा।
सुप्रीम कोर्ट से आबकारी नीति घोटाले मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दो याचिकाओं पर फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने आबकारी नीति भ्रष्टाचार मामले में मुख्यमंत्री केजरीवाल को नियमित जमानत देने का फैसला सुनाया। इस संबंध में न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने उनके फैसले पर सहमति जताई। कोर्ट ने केजरीवाल को 10 लाख रुपये के मुचलके और दो जमानत राशियों पर जमानत दी। सीबीआई की गिरफ्तारी से जुड़ी याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अपीलकर्ता की गिरफ्तारी अवैध नहीं थी।
ईडी मामले में केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से 12 जुलाई को जमानत मिली थी। ऐसे में अब उनके जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। उन्होंने 103 दिन पहले यानी 2 जून को अंतरिम जमानत की मियाद पूरी होने के बाद सरेंडर किया था। माना जा रहा है कि वे आज ही जेल से बाहर आ सकते हैं।
दरअसल, केजरीवाल ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में अपनी गिरफ्तारी और जमानत से दिल्ली हाईकोर्ट के इनकार को चुनौती देते हुए दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। पीठ ने पांच सितंबर को केजरीवाल की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई ने इस मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख को 26 जून को गिरफ्तार किया था।
जस्टिस कांत ने गिरफ्तारी को वैध माना-
जस्टिस कांत ने कहा कि तर्कों के आधार पर हमने 3 प्रश्न तैयार किए हैं। क्या गिरफ्तारी अवैधता थी? क्या अपीलकर्ता को नियमित जमानत दी जानी चाहिए? क्या आरोप पत्र दाखिल करना परिस्थितियों में इतना बदलाव है कि उसे ट्रायल कोर्ट में भेजा जा सके? उन्होंने आगे कहा कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति को गिरफ्तार करना कोई गलत बात नहीं है। हमने पाया है कि सीबीआई ने अपने आवेदन में उन कारणों को बताया है कि उन्हें क्यों ये जरूरी लगा। धारा 41ए (iii) का कोई उल्लंघन नहीं है। हमें इस तर्क में कोई दम नहीं लगता कि सीबीआई ने धारा 41ए सीआरपीसी का अनुपालन नहीं किया।
जमानत देने का फैसला सुनाया-
उन्होंने कहा कि जमानत पर हमने विचार किया है। मुद्दा स्वतंत्रता का है। लंबे समय तक कारावास आजादी से अन्याय के बराबर है। फिलहाल हमे लगता है कि केस का नतीजा जल्द निकलने की संभावना नहीं है। सबूतों और गवाहों से छेड़छाड़ को लेकर अभियोजन पक्ष की आशंकाओं पर विचार किया गया। उन्हें खारिज करते हुए हमने निष्कर्ष निकाला है कि अपीलकर्ता को जमानत दी जानी चाहिए।
कोर्ट ने कुछ शर्तें भी लगाईं-
कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता मामले के बारे में सार्वजनिक रूप से कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेगा। ईडी मामले में लगाई गई शर्तें इस मामले में भी लागू होंगी। वह ट्रायल कोर्ट के साथ पूरा सहयोग करेगा।
जस्टिस ने सीबीआई की गिरफ्तारी पर उठाए सवाल –
फैसला सुनाते हुए जस्टिस भुइयां ने कहा कि गिरफ्तारी की आवश्यकता और समय पर मेरा एक निश्चित दृष्टिकोण है। इसलिए मैं इस दृष्टिकोण से सहमत हूं कि अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। ऐसा प्रतीत होता है कि ईडी मामले में अपीलकर्ता को नियमित जमानत दिए जाने के बाद ही सीबीआई सक्रिय हुई और हिरासत की मांग की। ईडी मामले में रिहाई के समय केजरीवाल को गिरफ्तार करने की सीबीआई की जल्दबाजी समझ से परे है, जबकि 22 महीने तक उसने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया। इस तरह की कार्रवाई गिरफ्तारी पर गंभीर प्रश्न उठाती है।
जहां तक गिरफ्तारी के आधारों का सवाल है तो ये गिरफ्तारी की आवश्यकता को पूरा नहीं करते हैं। सीबीआई गिरफ्तारी को उचित नहीं ठहरा सकती है और टालमटोल वाले जवाबों का हवाला देते हुए हिरासत जारी रख सकती है। आरोपी को दोषपूर्ण बयान देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। इन आधारों पर अपीलकर्ता को हिरासत में रखना न्याय का उपहास है, खासकर तब जब उसे अधिक कठोर पीएमएलए में जमानत दी गई है।
रुद्रप्रयाग के बांसवाड़ा क्षेत्र में एक मैक्स वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वाहन में चालक सहित सात लोग सवार बताए जा रहे हैं। सवार सभी लोग स्थानीय थे।
गुरुवार सुबह जानकारी मिले कि एक वाहन बांसवाड़ा में दुर्घटनाग्रस्त होकर सड़क से 15 फीट नीचे गिर गया है। वाहन में चालक सहित सात लोग सवार थे। सभी को हल्की चोटें हैं। जिन्हें पीएचसी अगस्त्यमुनि में भर्ती किया गया है।
सात लोग घायल-
हादसे के दौरान वाहन में मैक्स चालक समेत सात लोग सवार थे. सभी लोगों को हल्की चोट आई है. जिन्हें इलाज के लिए पीएचसी अगस्त्यमुनि में भर्ती कराया गया है. बताया जा रहा है वाहन में सभी स्थानीय लोग सवार थे.
सोनप्रयाग भूस्खलन क्षेत्र में आज मंगलवार को रेस्क्यू के दौरान मलबे में दबे चार शव और निकाले गए। मृतकों की संख्या अब पांच हो गई है। तीन घायल अस्पताल में भर्ती हैं।
सोमवार देर शाम केदारनाथ से लौट रहे आठ यात्री सोनप्रयाग में ऊर्जा निगम के पावर हाउस के समीप भूस्खलन जोन में पहाड़ी से गिर रहे पत्थर व मलबे में फंस गए। सूचना पर उप निरीक्षक आशीष डिमरी के नेतृत्व में एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू किया। रेस्क्यू के दौरान एक शव बरामद किया गया, जिसकी शिनाख्त गोपाल (50 ) पुत्र भक्तराम, मध्य प्रदेश के रूप में हुई है।
वहीं, जीवच तिवारी पुत्र रामचरित, मनप्रीत सिंह पुत्र कश्मीर सिंह और छगन लाल पुत्र भक्तरामन घायल हो गए, जिन्हें सोनप्रयाग पहुंचाया गया। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि सोनप्रयाग बाजार से लगभग एक किमी आगे भूस्खलन जोन में पहाड़ी से पत्थर व मलबा गिरने से वह फंस गए थे। क्षेत्र में अन्य यात्रियों की होने की संभावना को देखते हुए खोजबीन की जा रही थी, जिसमें आज मंगलवार को तीन शव बरामद हुए।
उत्तराखंड में देर रात बड़ा प्रशासनिक फेरबदल हुआ है। कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत को सचिव सीएम की जिम्मेदारी भी दी गई है। हरिश्चंद्र सेमवाल नए आबकारी आयुक्त होंगे। झरना कमठान को महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा का जिम्मा दिया है।
सोनिका के स्थान पर सविन बंसल को देहरादून का डीएम बनाया गया है। धीराज सिंह गर्ब्याल की जगह कर्मेंद्र सिंह को हरिद्वार का डीएम बनाया है। वहीं, पिथौरागढ़ की डीएम रीना जोशी की जगह विनोद गिरी गोस्वामी को जिम्मेदारी सौंपी है। बागेश्वर की डीएम अनुराधा पाल का तबादला अपर सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा पद पर किया गया है। उनकी जगह आशीष भटगई को भेजा गया है।
चमोली के डीएम हिमांशु खुराना का तबादला मुख्य कार्याधिकारी पीएमजीएसवाई व सचिव सेवा का अधिकार आयोग के पद पर किया है, उनकी जिम्मेदारी संदीप तिवारी को दी गई है। अल्मोड़ा के डीएम विनीत तोमर का तबादला एमडी प्रबंधन केएमवीएन के पद पर किया है, यहां आलोक कुमार पांडे को भेजा है। कुल 32 अफसरों को इधर से उधर किया गया है।
कृषि मंत्री गणेश जोशी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज होगा या नहीं इसका फैसला कोर्ट कैबिनेट के निर्णय के बाद लेगा। कोर्ट द्वारा इसके लिए इसके लिए 19 अक्टूबर की तिथि नियत की गई है।
नेगी ने इस संबंध में कोर्ट को (सीआरपीसी 156(3) के तहत) प्रार्थनापत्र देकर विजिलेंस में मुकदमा दर्ज कराने की मांग की थी। इस पर स्पेशल विजिलेंस जज मनीष मिश्रा की कोर्ट ने विजिलेंस से आख्या मांगी थी। इस मामले में मंगलवार को सुनवाई हुई। विजिलेंस ने अपनी आख्या के साथ एक पत्र भी कोर्ट में प्रस्तुत किया।
तीन महीने का समय 8 अक्तूबर को समाप्त हो रहा-
आठ जुलाई 2024 का यह पत्र कार्मिक एवं सतर्कता विभाग की ओर से विजिलेंस को भेजा गया है। इस पत्र में सचिव मंत्री परिषद (गोपन विभाग) को शिकायत का अपने स्तर से परीक्षण कर यथोचित कार्रवाई करने को कहा गया है।
कोर्ट में कहा गया कि भारतीय संविधान के अनुसार मंत्री परिषद कार्यपालिका की निर्णय लेने के लिए सर्वोच्च संस्था है। इस पत्र से साफ होता है कि यह मामला पहले ही मंत्री परिषद को भेजा जा चुका है। कोर्ट में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के नियमानुसार ऐसे मामलों में मुकदमा दर्ज करने के आदेश से पहले कैबिनेट के फैसले का तीन महीने तक इंतजार किया जाता है।
पत्र सात जुलाई को भेजा गया था। इसके अनुसार तीन महीने का समय आठ अक्तूबर को समाप्त हो रहा है। लिहाजा इसके बाद ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। लिहाजा कोर्ट ने इस मामले में अब 19 अक्तूबर की तिथि नियत की है।
उत्तराखंड के चमोली में दूसरे समुदाय के युवक द्वारा नाबालिग से छेड़छाड़ का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। आज नंदानगर बाजार क्षेत्र के 200 मीटर की परिधि में प्रशासन ने धारा 163 (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023) लागू कर दी है।
साथ ही एक विवादित स्थल पर तोड़फोड़ करने पर 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ नंदानगर पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। जबकि सोमवार को 300 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए थे। अभी तक 500 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए हैं।
उधर, गोपेश्वर में रैली निकाली गई। रामलीला मैदान से मंदिर मार्ग होते हुए रैली बस अड्ड पहुंची। यहां हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। मामला बढ़ता देख यहां भारी पुलिस फोर्स तैनात तैनात की गई है। एसपी सर्वेश पंवार भी मौके पर पहुंचे हैं। लोगों ने डीएम से एक सप्ताह में सभी बाहरी लोगों का सत्यापन करने और आपराधिक परवर्ती वाले लोगों को बाहर करने की मांग।
लोगों ने आज भी नंदानगर में चक्काजाम किया है। साथ ही बाजार पूर्ण रूप से बंद किया है। पुलिस की ओर से भी लाउडस्पीकर से लोगों को धारा 163 के तहत कहीं भी समूह में खड़े नहीं होने की हिदायत दी जा रही है।
जगह-जगह पर पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं। पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार सहित जनपद के अन्य पुलिस अधिकारी नंदानगर में कैंप लगाए हैं। हालांकि पुलिस ने पुलिस ने आरोपी आरिफ खान (26) निवासी ग्राम सोफतपुर थाना नांगल जिला बिजनौर को रविवार रात को बिजनौर से गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन लोग आरोपी युवक के सहयोगी साहिद, अहमद हसन और अयूब की गिरफ्तारी की मांग उठा रहे हैं।
बता दें कि नंदानगर में सैलून चलाने वाले युवक आरिफ ने क्षेत्र की एक नाबालिग को अश्लील इशारे किए थे। इसकी जानकारी लगने पर रविवार को नंदानगर में खूब बवाल हुआ था। गुस्साई भीड़ ने आरोपी समेत विशेष समुदाय के लोगों की सात दुकानों में तोड़फोड़ कर पूरे दिन बाजार बंद रहा।
सोमवार को भी नंदानगर बाजार बंद रहा और वाहनों का भी चक्का जाम किया गया। बारिश के बावजूद गांवों से महिलाएं व पुरुष नंदानगर पहुंचे और धरना प्रदर्शन किया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए नगर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
कोलकाता में महिला डॉ से हुई दरिन्दगी के खिलाफ पुरे देश में आक्रोश है खूब प्रदर्शन हो रहे हैं, मोमबत्तियां जलाई जा रही है अपराधियों को फांसी की सजा की मांग हो रही है,
राजनैतिक दल अपने अपने हिसाब से खूब राजनीती कर रहे हैं लेकिन यही सब देवभूमि उत्तराखंड में क्यों नहीं हो रहा है, जहां हर दिन एक ऐसा ही केस सामने आ रहा है. जहां निर्भया जैसा केस पुलिस चौकी के बगल में हो जाता है और कोई आवाज नहीं उठती। एक नर्स की दुष्कर्म करने के बाद हत्या कर दी जाती है और कोई केंडिल मार्च नहीं होता। कोलकाता डाक्टर केस में हर अपडेट को दिन भर दिखाने वाला राष्ट्रिय मीडिया उत्तराखंड की खबर पर मौन हो जाता है, क्यों यहां की घटना राष्ट्रिय मीडिया के लिए एक मुद्दा नहीं बनती।
उत्तराखंड में भी एक और मामला-
निर्भया केस ने जहां भारत की पूरी जनता को झकझोर कर रख दिया था,,,अब एक बार ऐसा ही केस उत्तराखंड में देखने को मिला लेकिन इसकी कोई आवाज हमें सुनाई नहीं देगी, हालाँकि इसके अपराधियों को पुलिस पकड़ चुकी है लेकिन फिर भी क्या इसको लेकर चिंता नहीं की जानी चाहिए। देवभूमि जो महिलाओं की सुरक्षा के मामले में सबसे सुरक्षित मानी जाती थी अचानक उसकी फिजा क्यों बदलने लगी है, जब एक लड़की बस स्टेशन जैसी जगह पर सेफ नहीं है तो फिर कहां सुरक्षित होगी।
उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून के बस अड्डे पर जो कुछ हुआ वो महिला सुरक्षा के दावों का मजाक उड़ाता है. देहरादून की सबसे व्यस्त रहने वाले आईएसबीटी में किशोरी को तनिक भी आभास नहीं था कि जिस ड्राइवर अंकल से उसने मदद ली वह ही हैवान बन जाएगा। दिल्ली से देहरादून का सफर तय कर वह आईएसबीटी पहुंची तो आधी रात को पांच हैवानों ने बस में ही दुष्कर्म किया। किशोरी चिल्लाई लेकिन अंधेरी रात में उसकी चीख कोई सुन न सका,,,इसमें बस ड्राइवर और कंडक्टर सहित बस अड्डे पर टिकट काउंटर वाला तक शामिल रहा.
15 अगस्त को एक और मामला हुआ था दर्ज-
कोलकत्ता में जिस तरह महिला डाक्टर के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गयी उसी तरह का केस उत्तराखंड के उधमसिंह नगर में 15 अगस्त के दिन ही एक ऐसे ही मामले का खुलासा उधमसिंह नगर पुलिस ने किया है. यहां पर कार्यरत एक नर्स के साथ उत्तर प्रदेश के बिलासपुर में एक निर्मम कृत्य किया गया. पहले तो नर्स को बलात्कार किया गया, उसके बाद उसकी हत्या कर दी गई.
एक हप्ते में उत्तराखंड में दो इतनी बड़ी घटनाएं हो गयी और इस पर कोई नेता बोला नहीं न ही उतनी आवाज विरोध स्वरूप उठी जो उठनी चाहिए थी, न राष्ट्रिय मिडिया ने इनको तवज्जो देना उचित समझा।
ऐसा नहीं है कि ये पहली बार हुआ है,,,उत्तराखंड के अस्पतालों में कई बार इस तरह की घटनाएं सामने आयी है एम्स ऋषिकेश में ड्यूटी कर रही महिला डॉक्टर के साथ यह छेड़छाड़ उस वक्त हुई थी, जब वह पुरुष नर्सिंग ऑफिसर के साथ मिलकर एक ऑपरेशन कर रही थी. आरोप था कि इसी दौरान पुरुष नर्सिंग ऑफिसर ने महिला डॉक्टर के साथ छेड़छाड़ और अभद्रता की. इसके बाद मामला एक तरफा लग रहा था. लेकिन मामले ने तूल तब पकड़ा जब महिला डॉक्टर ने कुछ व्हाट्सएप के चैट दिखाए और यह बताया कि कैसे पुरुष नर्सिंग ऑफिसर उसको लगातार अश्लील मैसेज भेज रहा है.
इस घटना ने यह बता दिया था कि एम्स जैसे नामचीन और बड़े अस्पताल में भी इस तरह की घटना हो सकती है. अस्पताल कितने सुरक्षित हैं इसका पता एक और घटना से हमें लगता है. इसी साल 4 जुलाई के दिन उधमसिंह नगर के सितारगंज क्षेत्र में एक निजी अस्पताल में एक युवती अपने इलाज के लिए जाती है. तभी एक विवाद खड़ा हो जाता है. युवती ने अस्पताल के अटेंडेंट पर आरोप लगाया था कि उसके साथ अस्पताल के अंदर छेड़छाड़ की गई है.
15 जून को हरिद्वार में भी हुआ था मामला दर्ज-
एक और घटना हरिद्वार में इसी साल 15 जून 2024 को घटित हुई थी. साल 2023 से तैनात एक इंटर्न जब शाम 7:30 पर वहां पहुंची, तो अस्पताल का ही डॉक्टर ड्यूटी के बहाने उसे एक कमरे में लेकर चला गया. फिर दरवाजा बंद कर लिया. इसके बाद डॉक्टर, इंटर्न के साथ बदतमीजी और अश्लील हरकतें करने लगा. जब इंटर्न ने इसका विरोध किया तो उसे डराया और धमकाया गया. किसी तरह से इंटर्न उस कमरे से बाहर निकली और अपनी पूरी आपबीती स्टाफ और अपने परिवार के सदस्यों को बताई. इस घटना के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया था.
हरिद्वार के बाद हल्द्वानी में भी इसी साल 23 जुलाई 2024 के दिन प्रतिष्ठित न्यूरोसर्जन पर एक महिला ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया था. महिला का आरोप था कि हल्द्वानी में एक बड़ा अस्पताल चला रहे डॉक्टर और अस्पताल के मालिक ने उसके साथ पहले अभद्रता की और उसे जान से मारने की धमकी दी. यह घटना तब हुई, जब महिला अपने इलाज के लिए गई थी.
अगर बात पूरे उत्तराखंड में महिला अपराध की करें, तो हर साल उत्तराखंड में महिला अपराध की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. नेशनल क्राइम ब्यूरो की साल 2023 की रिपोर्ट बताती है कि उत्तराखंड महिला अपराध के मामले में छठे नंबर पर है.देहरादून जिला इस मामले में नंबर 1 पर हैं जहां इस साल सबसे ज्यादा महिला अपराध के मामले सामने आये हैं,,,,उत्तराखंड में महिला अपराध के मामले एक वर्ष में 26 प्रतिशत बढ़े हैं,,,जिसमें 905 महिलाओं से दुष्कर्म व 778 का अपहरण हुआ है. सवाल ये है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा सिर्फ नारा बनकर रह गया है, न तो बेटियां बच पा रही है और पढ़ गयी तो भी उनकी सुरक्षा नहीं हो पा रही है. महिलाओं की आवाज उठाने वाले राजैनतिक दल भी अपनी सहूलियत और राज्य देखकर ही आवाज उठाते हैं. ये आंकड़े बताते हैं उत्तराखंड में महिलाएं कितनी सुरक्षित रह गयी हैं लेकिन इन आंकड़ों की कोई परवाह नहीं करता न सरकार और न जनता।
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में बीते दिनों एक महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या की घटना से पूरे देश में गुस्सा है। इसे लेकर जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। खासकर डॉक्टर्स और मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोग लगातार कोलकाता मामले में न्याय की मांग उठा रहे हैं। अब यह विरोध प्रदर्शन वैश्विक स्तर पर पहुंच गया है। दुनियाभर में फैले भारतीय मूल के लोग इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठा रहे हैं और दोषियों को सख्त सजा देने की मांग कर रहे हैं।
न्यूयॉर्क के टाइम्स स्कवायर पर हुआ प्रदर्शन-
कोलकाता की घटना के विरोध में 14 अगस्त की रात को न्यूयॉर्क के टाइम्स स्कवायर पर एक धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया। इस दौरान करीब 40 लोग इकट्ठा हुए और बंगाल में प्रदर्शन कर रहे छात्रों और डॉक्टर्स के प्रति अपना समर्थन जाहिर किया। अमेरिका के लॉस एंजेल्स में लेक हॉलीवुड पार्क में भी प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए और कोलकाता की घटना को लेकर प्रदर्शन किया। इस दौरान करीब 250 भारतीय मूल के लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने अपने हाथों में प्लेकार्ड और बैनर पकड़े हुए थे।
इसी तरह ह्यूस्टन में रहने वाले भारतीय समुदाय ने भी आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना को लेकर अपना विरोध जताया। प्रदर्शनकारियों ने एक महिला डॉक्टर की मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी पर दुष्कर्म और हत्या को सिस्टम की असफलता करार दिया और सख्त कार्रवाई की मांग की। शिकागो में बंगाली समुदाय के लोगों ने गुरुवार को एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया। साथ ही अटलांटा में भी कोलकाता की घटना को लेकर लोगों ने प्रदर्शन किया।
जर्मनी, पौलेंड और कनाडा में भी प्रदर्शन-
जर्मनी के कोलोग्ने में भी भारतीय मूल के लोग इकट्ठा हुए और डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या की घटना पर नाराजगी जाहिर की। ब्रिटेन के लीड्स में भी बीती 14 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना को लेकर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान लोगों ने कहा कि वह घटना को लेकर दुखी और गुस्से में हैं। लोगों ने इस दौरान अपनी बांह पर विरोध स्वरूप काली पट्टी बांध रखी थी और पीड़िता की याद में एक मिनट का मौन धारण किया। लीड्स के साथ ही मैनचेस्टर में भी लोगों ने कैंडल मार्च निकाला। साथ ही लंदन के ट्रिनिटी चर्च, एडिनबर्ग की प्रिंसेस स्ट्रीट, पौलेंड के कराकोव, कनाडा के ऑस्टिन में भी लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया।