हल्द्वानी के बनभूलपुरा में गुरुवार शाम को अतिक्रमण हटाने को लेकर हुए बवाल के बाद प्रशासन ने उपद्रवियों के पैर में गोली मारने के आदेश जारी किए थे। हल्द्वानी हिंसा में पांच लोगों की गोली लगने से मौत हो गई थी, जबकि तीन लोगों का एसटीएच में इलाज चल रहा है। इनमें दो की हालत गंभीर बनी हुई है। आज एक की मौत हो गई है। इशरार के सिर में गोली लगी थी जो आर-पार हो गई थी। वहीं एसएसपी ने कहा कि मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक को जल्द अरेस्ट किया जाएगा।
मिली जानकारी के अनुसार, आठ फरवरी को हिंसा के दौरान घायल हुए बनभूलपुरा निवासी अलबसर, इसरार और शाहनवाज को इलाज के लिए अस्पताल लाया गया था। तीनों की हालत गंभीर थी। इसरार के सिर में गोली लगी थी जो आर-पार हो गई थी और इलाज के दौरान आज उसकी मौत हो गई है।
एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा ने कहा कि बनभूलपुरा दंगे में अब तक कुल छह लोगों की मौत हुई है। वहीं, कर्फ्यू क्षेत्र में आवश्यक सेवाएं सुचारू की गई है। आगजनी करने वालों को चिन्हित किया जा रहा। पुलिस दंगाइयों को पकड़ने का काम कर रही है।
पुलिस ने 7 फरवरी को महिला की गंग नहर में धक्का देकर हत्या के मामले में आरोपी पति और उसके दोस्त को गिरफ्तार कर राजफाश कर दिया। पुलिस के मुताबिक, आरोपी ने पत्नी के नाम पर लिए ऋण को जमा करने से बचने के लिए हत्या की घटना को अंजाम दिया। पुलिस के मुताबिक, हत्या में प्रयुक्त कार और बाइक समेत अन्य सामान बरामद कर दोनों को जेल भेज दिया गया।
वार को एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल ने सिविल लाइंस कोतवाली में पत्रकारों को बताया, सात फरवरी की रात मंगलौर कोतवाली पुलिस को सूचना मिली थी कि नसीरपुर गंगनहर पटरी पर महिला डूबकर लापता हो गई, जबकि युवक डूबने से बच गया। मामले में महिला के पिता मुजफ्फरनगर के के रामराजपुर थाना क्षेत्र जलालपुर गांव निवासी सुशील कुमार ने शक जताते हुए दामाद और उसके दोस्त पर हत्या का आरोप लगाया था।
पुलिस ने मनीषा के पति जितेंद्र और उसके दोस्त अजय प्रकाश उर्फ रवि निवासी गांव झडका, थाना हस्तिनापुर जिला मेरठ के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। पूछताछ में जितेंद्र ने बताया, उसने हरिद्वार में आटा चक्की लगाने के लिए पत्नी मनीषा के नाम से 44 लाख रुपये का ऋण बैंक से लिया था। इस बीच उसके हरिद्वार में एक बैंक महिला कर्मचारी से अवैध संबंध हो गए थे।
महिला के शव की गंग नहर में की जा रही तलाश-
मनीषा को इस बारे में पता चल गया था। बैंक कर्मी प्रेमिका ने बताया था कि अगर उसकी पत्नी की मौत हो जाए, तो ऋण नहीं चुकाना होगा। इस पर उसने अपने दोस्त रवि के साथ मिलकर मनीषा की हत्या की योजना बनाई। इसके बाद सात फरवरी को दोनों मनीषा को कार से गंग नहर किनारे लाए और उसे जबरन शराब पिलाई। इसके बाद नशे की हालत में उसे गंगनहर में धक्का देकर हत्या कर दी।
एसएसपी ने बताया, हत्या को हादसा दिखाने के लिए आरोपी का दोस्त रवि बाइक से आया था। आरोपी ने रवि को हत्या में शामिल होने के लिए पांच लाख रुपये देने का वादा किया था। इसके बाद दोनों हरिद्वार चले गए थे। बताया, आरोपियों की निशानदेही पर मनीषा की कैप, बैग, घटना में प्रयुक्त कार और बाइक बरामद की गई है। महिला के शव की गंग नहर में तलाश की जा रही है।
सीआईडी धारावाहिक देख बनाई योजना-
एसएसपी ने बताया, आरोपी जितेंद्र ने हत्या की योजना बनाने से पहले सीआईडी धारावाहिक देखा था। इसके बाद उसने दोस्त के साथ मिलकर पत्नी की हत्या कर दी। एक साल से बना रहा था योजना-
एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल ने बताया, आरोपी जितेंद्र एक साल से पत्नी की हत्या की योजना बना रहा था। इसके लिए वह पत्नी को कोल्ड ड्रिंक में शराब मिलाकर पिलाता था। इसके बाद पत्नी नशे की आदी हो गई थी। हत्या वाले दिन भी आरोपी ने पत्नी को शराब पिलाई थी।
हल्द्वानी में हुई हिंसा और कर्फ्यू का असर नैनीताल के पर्यटन पर पड़ा है। होटल और रिजॉर्ट में सप्ताहांत और वैलेंटाइन वीक के लिए जिन सैलानियों ने एडवांस बुकिंग कराई थी वे उसे कैंसिल करने लगे हैं। होटल संचालकों के अनुसार करीब 50 फीसदी एडवांस बुकिंग कैंसिल हो गई है।
उत्तराखंड से बाहर के सैलानी होटल कारोबारियों से हिंसा और कर्फ्यू का अपटेड भी ले रहे हैं। शुक्रवार को शहर और यहां के पिकनिक स्पॉटों में सैलानियों की आवाजाही कम रही। ऐसे में इस सप्ताहांत (शनिवार व रविवार) के साथ-साथ वैलेंटाइन वीक का पर्यटक सीजन प्रभावित होने के आसार हैं। पर्यटन कारोबारियों का कहना है कि अब नहीं लगता कि सप्ताहांत और वैलेंटाइन के मौके पर सैलानी नैनीताल पहुंचेंगे।
बाहरी इलाकों से कर्फ्यू हटाया गया-
उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में कर्फ्यू जारी है। हालांकि बाहरी इलाकों से कर्फ्यू हटा दिया गया है। बनभूलपुरा में ही धार्मिक स्थल तोड़ने पर भीड़ ने गुरुवार को आगजनी और तोड़फोड़ की थी। हल्द्वानी के बनभूलपुरा हिंसा मामले में पुलिस ने एसओ मुखानी, सहायक नगर आयुक्त और एसओ बनभूलपुरा की तहरीर पर 18 नामजद समेत पांच हजार उपद्रवियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। घटनास्थल और आसपास के इलाके से पांच शव बरामद कर लिए गए हैं। पुलिस ने चार लोगों को हिरासत में लेकर सीसीटीवी फुटेज और वीडियो रिकॉर्डिंग कब्जे में ले ली है।
हल्द्वानी हिंसा के बाद कम आए सैलानी
हल्द्वानी में हुई हिंसा की खबर सुर्खियों में रही है। जिसका असर यह हुआ कि वीकेंड पर नैनीताल आने वाले सैलानी इस बार नहीं आए। बृहस्पतिवार को चुंगी से दो से ढाई सौ गाड़ियां पास हुई थी जबकि शुक्रवार को यह संख्या बमुश्किल सौ का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई।
कैंसिल हो रही है बुकिंग- हल्द्वानी की हिंसा ने वीकेंड और वैलेंटाइन वीक का पर्यटन कारोबार ठप कर दिया है। चौबीस घंटे में नैनीताल के होटलों में 50 फीसदी एडवांस बुकिंग कैंसिल हो चुकी है।
कुछ दिनों से पर्यटन कारोबार मंदा चल रहा था लेकिन बीते एक दो दिन से सैलानियों की आवाजाही बढ़ने लगी थी। हिंसा और कर्फ्यू की खबर मिलने के बाद जो सैलानी नैनीताल पहुंचे भी थे वे शुक्रवार की सुबह से ही लौटने लगे हैं। कई सैलानियों ने होटलों में एडवांस बुकिंग भी कैंसिल करा दी है।
भारी हिंसा के बाद शुक्रवार को शांत रहा शहर-
बृहस्पतिवार को हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में हुई भारी हिंसा के बाद शुक्रवार को शहर शांत रहा। कर्फ्यू का संबंधित क्षेत्र में सख्ती से पालन कराया गया जबकि शेष शहर में वाहनों की आवाजाही होती रही और दुकानें बंद रहीं। दोपहर करीब 12 बजे मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और डीजीपी अभिनव कुमार बनभूलपुरा पहुंचे और थाने का जायजा लिया।
हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में हुए बवाल के बाद सुरक्षा के दृष्टिगत शहर में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई। इससे लोगों का आमजीवन काफी प्रभावित रहा। कर्फ्यू लगने से घरों में कैद लोग बिना इंटरनेट के काफी परेशान रहे। बता दें कि, बनभूलपुरा हिंसा मामले में पुलिस ने 18 नामजद समेत पांच हजार उपद्रवियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया।
शहर में बृहस्पतिवार रात करीब दस बजे से इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी। बीएसएनएल, वोडाफोन, एयरटेल, जियो समेत अन्य नेटवर्क पर इंटरनेट सेवा संचालित नहीं हो पाई। ऐसे में सैकड़ों यूजर्स सूचना न मिल पाने के कारण परेशान रहे। इंटरनेट सेवा बंद होने से वर्क फ्राॅम होम से जुड़े लोगों का काम प्रभावित रहा वहीं परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को भी खासी दिक्कत हुई।
बीएसएनएल के डीजीएम भीम बहादुर ने बताया कि पुलिस प्रशासन की ओर से जब तक अनुमति नहीं दी जाएगी तब तक संचार सेवा सुचारु नहीं होगी। बताया कि शहर के बाहरी क्षेत्र में भी इंटरनेट को बंद किया जा रहा है, जिस कारण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से शहर में अराजकता का माहौल न बने।
बता दें कि, बनभूलपुरा हिंसा मामले में पुलिस ने 18 नामजद समेत पांच हजार उपद्रवियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। घटनास्थल और आसपास के इलाके से पांच शव बरामद कर लिए गए हैं। एक व्यक्ति की मौत बरेली ले जाते समय हो गई, हालांकि प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की है। पुलिस ने चार लोगों को हिरासत में लेकर सीसीटीवी फुटेज और वीडियो रिकॉर्डिंग कब्जे में ले ली है। पुलिस ने कई डीबीआर की हार्ड डिस्क कब्जे में ली है।
हल्द्वानी शहर में जब अचानक पत्थर बरसने लगे और महिला पुलिसकर्मी शहर की गलियों में फंस गईं। आस- पास के घरों की छत से बरसते पत्थरों की बारिश से किसी तरह महिला पुलिसकर्मी बचती रहीं लेकिन जब फोर्स तितर-बितर हुई तो स्थानीय लोगों ने 4 महिला पुलिसकर्मियों को घर के अंदर रुकने के लिए जगह दी। इससे उन सभी महिला पुलिसकर्मियों की जान बच सकी जिन पर पथराव हो रहा था। रात में पुलिस फोर्स पहुंचने पर उन महिला पुलिसकर्मियों के कपड़े बदलवाकर तब उन्हें घर से भेजा गया।
बनभूलपुरा में अतिक्रमण हटाने गई पुलिस टीम के साथ पुलिस फोर्स में महिला जवान भी शामिल थीं। विरोध कर रही महिलाओं को रोकने के लिए महिला पुलिस जवान भी मोर्चे पर डटी रही। तभी उपद्रवियों ने पथराव करना शुरू कर दिया। इसमें कई महिला पुलिसकर्मी भी घायल हो गईं। वहीं 5 महिला पुलिसकर्मी सहित करीब 30 से ज्यादा पुलिसकर्मी गलियों में फंस गईं।
उन महिला पुलिसकर्मियों को किसी तरह इलाके की महिलाओं ने अपने घरों में छिपाया। इस दौरान पथराव और उपद्रव करने वाले लोग क्षेत्र में फंसे पुलिसकर्मियों को ढूंढते रहे। इसके साथ ही उपद्रवियों ने कई घरों के दरवाजे भी खटखटाए। इस बीच फंसी महिला पुलिसकर्मियों को बचाने के लिए एक परिवार की महिलाओं ने उनका पूरा हुलिया बदलवा दिया।
एक घर में 3 और एक घर में 1 महिला पुलिसकर्मी को सहारा दिया गया। कर्फ्यू लगने के बाद अपने जवानों को खोजते हुए पहुंची पुलिस फोर्स के जवानों को देखकर उन परिवारों ने पुलिसकर्मियों को सुरक्षित उन्हें सौंपा।
पथराव के दौरान नई बस्ती में एक परिवार को भी उपद्रवियों ने अपना निशाना बनाया। दरअसल परिवार ने पथराव में फंसी एक महिला और एक पुरुष पुलिसकर्मी को उस परिवार के लोगों ने अपने घर में रहने के लिए शरण दी थी। इसकी जानकारी मिलते ही उपद्रवी उस घर के पास पहुंच गए और उन्होंने घर पर पथराव कर दिया। इसके बाद उन्होंने घर में आग लगा दी।
वहीँ हिंसा की घटना के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हल्द्वानी पहुंचे और यहां घायलों व पीड़ितों से उनके हालातों के बारे में जानकारी ली। साथ ही सभी पुलिस अधिकारियों से इस मामले की जानकारी भी ली। उन्होंने कहा कि अतिक्रमण हटाने का काम कोर्ट के आदेश पर पहले से हो रहा था। लेकिन ये हमला सुनियोजित था। जिस तरह से हमारी पुलिस पर हमला हुआ है। यह बहुत ही दुख की बात है।
यह देवभूमि है। इन लोगों ने कानून तोड़ा है और देवभूमि की छवि को खराब करने का काम किया है। कई पत्रकारों को भी बुरी तरह से पीटा गया है। जिस तरह से उनकी हत्या का प्रयास हुआ है। जिन लोगों ने संपत्ति जलाई है। वीडियो फुटेज के आधार पर उनकी पहचान हो रही है। उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। वहां जो भी सामान एकत्रित किया गया था उस पर कार्रवाई होगी।
हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में गुरुवार को बवाल हो गया। मलिक के बगीचे में अवैध कब्जे तोड़ने गई नगर निगम और पुलिस की टीम पर स्थानीय लोगों ने पथराव किया । इस दौरान 20 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए। पथराव के बाद शुरू हुई हिंसा आसपास के कई इलाकों में फैल गई। जिसके बाद दंगाइयों ने बनभूलपुरा थाना फूंक दिया है। मामले का संज्ञान लेते हुए सीएम धामी ने उच्च स्तरीय बैठक बुलाई. दिए. जिसमें सीएम ने अराजक तत्वों से सख्ती से निपटने के निर्देश दिए
वहीं, नैनीताल डीएम ने शहर में कर्फ्यू लगा दिया है। दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए है।
सीएम ने दिए सख़्ती से निपटने के निर्देश-
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा में अवैध निर्माण को हटाये जाने के दौरान पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों एवं कर्मियों पर हुए हमले तथा क्षेत्र में अशांति फैलाने की घटना को गंभीरता से लिया है। सीएम ने सभी संबंधित अधिकारियों को क्षेत्र में शांति एवं कानून व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने के सख्त निर्देश भी दिये है।
CM धामी ने की स्थिति की समीक्षा-सीएम ने इस संबंध में गुरुवार शाम मुख्यमंत्री आवास में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार और अन्य उच्चाधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने स्थानीय लोगों से शान्ति बनाये रखने की अपील करते हुए अराजक तत्वों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही के निर्देश दिये है। सीएम ने कहा कि इस घटना के दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही कर क्षेत्र में शांति व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिये कि प्रदेश में किसी को भी कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने की छूट नहीं दी जानी चाहिए।
दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के दिए निर्देश-
सीएम ने स्पष्ट निर्देश दिये कि प्रदेश में किसी को भी कानून व्यवस्था से खिलवाड करने की छूट नहीं दी जानी चाहिए। प्रशासनिक अधिकारी निरंतर क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये प्रयासरत रहे। डीएम वंदना ने फ़ोन पर सीएम धामी को अवगत कराया कि अशान्ति वाले क्षेत्र बनभूलपुरा में कर्फ्यू लगाया गया है तथा स्थिति को सामान्य बनाये रखने के लिये दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिये गये है।
केंद्रीय जांच एजेंसी ‘ईडी’, के रडार पर विभिन्न राज्यों के 17 मौजूदा एवं पूर्व मुख्यमंत्री हैं। इनमें कुछ मुख्यमंत्रियों से पूछताछ हो चुकी है, तो कई सियासतदानों का नंबर लगना बाकी है। ईडी जांच की रडार, केवल मुख्यमंत्रियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके निशाने पर पूर्व केंद्रीय गृह/वित्त/रेलवे जैसे बड़े मंत्रालयों का कार्यभार संभाल चुके नेता भी रहे हैं। जांच एजेंसी की इस फेहरिस्त में चार मौजूदा एवं पूर्व डिप्टी सीएम भी शामिल हैं। इनके अलावा देश के अन्य सियासतदान व उनके परिजन भी जांच एजेंसी के निशाने पर आ चुके हैं।
सोनिया गांधी से लेकर खरगे तक-
ईडी के निशाने पर आने वाले विपक्षी नेताओं में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, लालू प्रसाद यादव और राकांपा संस्थापक शरद पवार जैसे कई दिग्गज नेता रहे हैं। गत वर्ष केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाने वाली कई विपक्षी पार्टियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी थी। इनमें टीएमसी, आप, आरजेडी, नेशनल कांफ्रेंस, केसीआर की पार्टी, सपा और उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) आदि दल शामिल थे। इन सभी दलों के नेता जांच एजेंसियों के निशाने पर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल ने कहा था, हमारे देश के प्रधानमंत्री ने ठान लिया है कि अगर भाजपा को वोट नहीं दोगे और किसी दूसरी पार्टी को वोट दोगे, तो उस सरकार को किसी भी हाल में काम नहीं करने दिया जाएगा। किसी राज्य में दूसरी पार्टी की सरकार बनती है, तो उसके नेताओं के पीछे ईडी और सीबीआई छोड़ दी जाती है। अब केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि उन पर भाजपा में शामिल होने का दबाव बनाया जा रहा है। आप विधायकों को लालच देने की कोशिश हो रही है।
ईडी के रडार पर आए मौजूदा एवं पूर्व मुख्यमंत्री-
बिहार के पूर्व सीएम एवं केंद्रीय रेल मंत्री रहे लालू प्रसाद यादव एवं उनके परिवार के सदस्यों से जमीन के बदले नौकरी, घोटाले में पूछताछ की जा रही है। यह मामला सीबीआई द्वारा दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में ईडी ने भी इस केस की जांच शुरू की। छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ भी ईडी की जांच चल रही है। इनमें कोयला ट्रांसपोर्टेशन व महादेव गेमिंग एप आदि शामिल हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मानेसर जमीन मामला और पंचकुला के ‘एजेएल’ केस में ईडी को जांच का सामना करना पड़ रहा है। राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत भी जांच एजेंसियों के निशाने पर रहे हैं। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में लिए गए कई फैसलों और विकास योजनाओं के मामले की जांच केंद्रीय एजेंसियां कर चुकी हैं। सपा प्रमुख और पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी सीबीआई व ईडी के रडार पर रहे हैं। इनमें गोमती रिवर फ्रंट और माइनिंग घोटाला जैसे केस शामिल हैं।
ये मुख्यमंत्री/पूर्व सीएम भी जांच से अछूते नहीं-
पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी से अवैध रेत खनन मामले में ईडी पूछताछ कर चुकी है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी ईडी जांच का सामना कर रहे हैं। इन केसों में जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन और जम्मू कश्मीर बैंक से जुड़ा मामला शामिल हैं। अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नेबाम टुकी के खिलाफ 2019 में सीबीआई ने जांच शुरू की थी। उसी आधार पर ईडी ने भी मामले की जांच प्रारंभ की। मणिपुर के पूर्व सीएम ओकराम इबोबी पर भ्रष्टाचार के आरोप में पहले सीबीआई ने केस दर्ज किया था। उसके बाद ईडी ने पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया। गुजरात के पूर्व सीएम शंकर सिंह वाघेला भी सीबीआई व ईडी के रडार पर आ चुके हैं। उन पर केंद्रीय मंत्री रहते हुए मुंबई में जमीन घोटाले का आरोप लगा था। तत्कालीन केंद्रीय टेक्सटाइल मंत्री रहे वघेला पर जमीन की खरीद फरोख्त में सरकारी खजाने को 709 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप था। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री रहे शरद पवार भी ईडी जांच के दायरे में आ चुके हैं।
ईडी की हिरासत में सोरेन तो केजरीवाल को समन-
तेलंगाना के मुख्यमंत्री सीएम रेवंथ रेड्डी भी ईडी के रडार पर रहे हैं। उन पर आरोप था कि उन्होंने 2015 में एमएलसी इलेक्शन में पचास लाख रुपये की रिश्वत दी थी। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री का पद छोड़ा है। उन्हें जमीन घोटाले में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कथित शराब घोटाले में ईडी की तरफ से पांच समन जारी हो चुके हैं। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन भी जांच एजेंसी के निशाने पर रहे हैं। गोल्ड स्मगलिंग केस सहित दूसरे मामलों में वे ईडी जांच का सामना कर रहे हैं। हाल ही में उनकी बेटी वीणा विजयन की कंपनी के खिलाफ केंद्र सरकार ने जांच का आदेश दिया है। एसएनसी-लवलीन केरल जलविद्युत घोटाला, इस केस में भी पिनाराई विजयन को जांच का सामना करना पड़ा है। आंध्रप्रदेश के पूर्व सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी भी कई तरह के वित्तीय मामलों को लेकर ईडी जांच का सामना कर रहे हैं।
ईडी के निशाने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री व डिप्टी सीएम भी-
पूर्व केंद्रीय गृह/वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री पवन बंसल और पूर्व केंद्रीय रेल एवं श्रम और रोजगार मंत्री मल्लिकार्जुन खरगे को भी ईडी जांच का सामना करना पड़ा है। महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख, ईडी के मामले में जेल जा चुके हैं। कर्नाटक के मौजूदा डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को भी ईडी जांच का सामना करना पड़ा है। बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से भी ईडी द्वारा पूछताछ की जा रही है। दिल्ली के पूर्व सीएम मनीष सिसोदिया, ईडी के केस में जेल में हैं। महाराष्ट्र के मौजूदा डिप्टी सीएम अजित पवार के खिलाफ भी ईडी का मामला रहा है।
इन नेताओं को करना पड़ा जांच का सामना-
महाराष्ट्र में पूर्व मंत्री नवाब मलिक, ईडी केस में जेल जा चुके हैं। पश्चिम बंगाल के शारदा चिटफंड घोटाले में सीबीआई व ईडी की जांच के दायरे की आंच, कई नेताओं तक पहुंच चुकी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबियों को जांच का सामना करना पड़ा है। पश्चिम बंगाल पुलिस और ईडी की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि 80 फीसदी जमाकर्ताओं के पैसे का भुगतान किया जाना बाकी है। जब सीबीआई टीम ने पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के खिलाफ कार्रवाई की, तो जांच एजेंसी के अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में सीएम ममता बनर्जी धरने पर भी बैठी थीं। तेलंगाना के सीएम की बेटी के. कविता, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शरद पवार के पोते रोहित, पश्चिम बंगाल सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पार्थ चटर्जी, शिवसेना के सांसद संजय राउत, टीएमसी सांसद अभिषेक, आरजेडी के एमएलसी सुनील सिंह, सांसद अशफाक करीम, फैयाज अहमद और पूर्व एमएलसी सुबोध राय भी जांच एजेंसी की रडार पर रहे हैं।
जांच एजेंसी के निशाने पर 95 फीसदी विपक्षी नेता-
कांग्रेस नेता अजय माकन के मुताबिक, विपक्षी नेताओं के पीछे जांच एजेंसी लगी रहती है। नतीजा, कई नेता, भाजपा की शरण में चले गए। आज उनसे जांच एजेंसी पूछताछ नहीं कर रही। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट बताती है कि गत आठ वर्ष में लगभग 225 चुनावी उम्मीदवारों ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। 45 फीसदी नेताओं ने भाजपा ज्वाइन की है। पार्टी छोड़ने वालों में हार्दिक पटेल, अश्विनी कुमार, आरपीएन सिंह, गुलाम नबी आजाद, जयवीर शेरगिल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुनील जाखड़, जितिन प्रसाद, सुष्मिता देव, कीर्ति आजाद, अदिति सिंह, कैप्टन अमरिंदर सिंह, उर्मिला मातोंडकर, हिमंत बिस्व सरमा, हरक सिंह रावत, जयंती नटराजन, एन बीरेन सिंह और दिवंगत अजीत जोगी आदि शामिल हैं। माकन का कहना था कि मोदी सरकार में ईडी ने जिन राजनेताओं के यहां पर रेड की है या उनसे पूछताछ की है, उनमें 95 फीसदी विपक्ष के नेता हैं। इसमें सबसे ज्यादा रेड तो कांग्रेस पार्टी के नेताओं के घरों और दफ्तरों पर की गई हैं। पार्टी ने आशंका जताई है कि 2024 के लोकसभा चुनाव तक, विपक्ष के अनेक नेता, केंद्रीय जांच एजेंसियों के जाल में फंस सकते हैं। असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा, नारायण राणे, रमन सिंह, मुकुल रॉय और सुवेंदु अधिकारी, आदि नेताओं के पीछे अब ईडी नहीं है। जनता सब समझती है कि ये नेता, अब ईडी की जांच से क्यों बच हुए हैं।
हल्द्वानी में देर शाम सात बजे एक युवती का अपहरण हो जाता है। उसे कार में हल्द्वानी की सड़कों पर तीन घंटे घुमाया जाता है। तीन घंटे उसके साथ गैंगरेप होता है। उधर पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगती है। इस पर पुलिस की गश्त और हल्द्वानी क्षेत्र में लगे सैकड़ों सीसीटीवी की मॉनिटरिंग पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
हल्द्वानी की शांत गलियों में इससे पहले सड़क से अपहरण और कार में तीन घंटे तक गैंगरेप का मामला सामने नहीं आया है। एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा ने हाल ही में क्राइम मीटिंग ली थी। क्राइम मीटिंग में अधीनस्थों को रात में गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए थे। एसएसपी के आदेशों का अधीनस्थों में कोई असर नहीं दिखा।हाल ही में एसपी सिटी हरबंस सिंह ने लामाचौड़ चौकी में छापा मारा था। छापे में सभी पुलिसकर्मी जुआ खेलते मिले थे। एसपी सिटी की रिपोर्ट पर एसएसपी ने पूरी चौकी लाइन हाजिर कर दी। इसके बाद भी पुलिस कर्मियों में खौफ नहीं दिखा।
शनिवार देर शाम एक युवती का अपहरण हो जाता है। हल्द्वानी की गलियों में उसके साथ चलती कार में गैंगरेप किया जाता है। पीड़िता की तहरीर के अनुसार उसे शराब पिलाई जाती है। उसे हल्द्वानी शहर की कई सड़कों पर तीन घंटे कर दौड़ती रहती है। कार की स्पीड 20 किलोमीटर प्रति घंटा भी मान ली जाए तो शहर में कार तीन घंटे में 60 किलोमीटर चली होगी। इस दौरान युवती भी चिल्लाई होगी। कई बार ये कार कई चौराहे से गुजरी होगी। मुखानी चौराहे पर युवती को उतार दिया जाता है। तो उसके कपड़े भी तितर-बितर हुए होंगे। इसके बाद भी पुलिस और लोगों की नजर उस युवती पर क्यों नहीं पड़ी। कोई उसकी मदद को क्यों नहीं आया।
यहां पर लड़की बदहवास हालत में अपने दोस्त को फोन करती है। उसका दोस्त आता है और उसे लेकर जाता है। जबकि मुखानी चौराहे पर पुलिस का कैमरा लगा हुआ है। ये कैमरा ऐसा है कि इस पर नंबर प्लेट तक साफ दिख जाती है। नियमानुसार इस चौराहे पर पुलिस होनी चाहिए। लेकिन यहां पुलिस नहीं थी। कैमरों की निगरानी पर भी सवाल उठ रहे हैं कि इतनी बड़ी घटना हो गई। सीसीटीवी की निगरानी करने वालों को ये घटना क्यों नहीं दिखी। क्यों उस समय पुलिस नहीं दौड़ाई गई। चौराहे में पुलिस तो दूर गश्ती वाहन तक को यह नहीं पता चला।
युवती सिडकुल में करती है काम-
पुलिस सूत्रों की माने तो युवती सिडकुल रुद्रपुर में एक कंपनी में काम करती है। वह एक शादी समारोह में जाने के लिए घर से आई थी।
ढाई साल में 271 दुष्कर्म के मामले आए सामने-
हल्द्वानी में ढाई साल की बात करें तो नाबालिग से दुष्कर्म के 271 मामले सामने आए। इन घटनाओं में पुलिस ने 375 लोगों पर मुकदमा कर जेल भेजा है। मानवता और मर्यादा को शर्मसार करने वाली इन घटनाओं पर लगाम लगाने में सिस्टम की नाकामी साफ झलकती है। महिला अपराध लगातार बढ़ने से नैनीताल जिला असुरक्षित होता जा रहा है। किशोरियों से दुष्कर्म के बढ़ते मामले पुलिस के साथ समाज की चिंता बढ़ा रहे हैं। यह हम नहीं बल्कि पिछले सालों के महिला अपराध के आंकड़े बताते हैं। जिले में बीते ढाई साल में पॉक्सो से जुड़े 271 मामलों में 375 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है।
महिला सुरक्षा को लेकर सरकार से लेकर पुलिस-प्रशासन की ओर से तमाम दावे किए जाते हैं लेकिन जमीनी हकीकत रोंगटे खड़े करने वाली है। हाल ही में दृष्टिबाधित बच्चों के संस्थान में बच्ची से यौन शोषण के मामले ने एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। पुलिस विभाग के आंकड़ों की माने तो हर साल नाबालिग से दुष्कर्म के मामले बढ़ रहे हैं। हालांकि पुलिस कार्रवाई भी कर रही है लेकिन बच्चियों से दरिंदगी के बढ़ते मामले कम न होना चिंताजनक है।
पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में वर्ष 2020 में पॉक्सो के 573 मुकदमे दर्ज हुए थे। 2021 में संख्या 25 फीसदी बढ़कर 712 हो गई। 2022 में प्रदेश के सभी थानों में 19 फीसदी बढ़ोत्तरी के साथ 851 मुकदमे दर्ज हुए। सभी प्रकार के यौन अपराधों में मुकदमों के निस्तारण की दर 78.4 फीसदी है। यौन अपराध के निस्तारण के मामले में उत्तराखंड देश में चौथे नंबर पर है। क्राइम इन इंडिया-2021 की रिपोर्ट के अनुसार नाबालिगों से यौन उत्पीड़न के मामलों में 93.35 फीसदी मामलों में आरोपी परिचित होते हैं।
हरिद्वार में बुधवार को सनसनीखेज मामला सामने आया है। जहां एक परिवार ने अपने ही पांच साल के बच्चे को हरकी पैड़ी पर गंगा में डुबोकर मार डाला। पुलिस ने फिलहाल बच्चे के शव को कब्जे में ले लिया है।
पुलिस के अनुसार, घटना बुधवार दोपहर की है। एक परिवार बच्चे को लेकर हरकी पैड़ी पर आया। बच्चे की मां के अलावा अन्य परिजन भी साथ थे। उन्होंने बच्चे को ब्रह्मकुंड में ले जाकर डुबो दिया। इतना ही नहीं उसे लगातार डुबोते रहे। आस-पास के लोगों ने जब ये देखा वहां अफरा-तफरी मच गई। बच्चे को तुरंत बाहर निकाला गया।
सूचना मिलने पर नगर कोतवाली प्रभारी भावना कैंथोला, हरकी पैड़ी चौकी इंचार्ज संजीव चौहान टीम के साथ मौके पर पहुंचे। बच्चे को तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। कोतवाली प्रभारी भावना कैंथोला ने बताया कि शव को कब्जे में ले लिया गया है। साथ में आए परिजनों को हिरासत में लेते हुए पूछताछ शुरू कर दी गई है। उनके बात के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
भीड़ ने आरोपियों को पकड़ा-
घटना का पता लगते ही मौके पर सैकड़ों लोगों की भीड़ वहां जुट गई। इस दौरान लोगों ने आरोपियों को पकड़ लिया और पीट दिया।
मणिपुर के कांगपोकपी जिले में दो गुटों के बीच गोलीबारी हुई। इस गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई। गोलीबारी बुधवार रात को हुई, जब संदिग्ध उग्रवादियों ने कांगचुप इलाके में हमला किया। इसके जवाब में विलेज वॉलंटियर्स ने जवाब में गोलीबारी की। दोनों तरफ से हुई फायरिंग में एक विलेज वालंटियर की गोली लगने से मौत हो गई। मृतक की पहचान टी मनोरंजन के रूप में हुई है।
महिलाओं ने किया विरोध प्रदर्शन-
बुधवार रात को इंफाल में कई जगह गोलीबारी की घटनाएं हुईं। हिंसा में हो रहीं हत्याओं के खिलाफ इंफाल घाटी में गुरुवार को बड़ी संख्या में महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने मांग की है कि हिंसा बंद होनी चाहिए और साथ ही उन्होंने इंटर एजेंसी यूनिफाइड कमांड के चेयरमैन को पद से हटाने की भी मांग की। बीते साल मणिपुर सरकार ने इंटर एजेंसी यूनिफाइड कमांड का प्रमुख कुलदीप सिंह को नियुक्त किया था। महिलाओं ने इंफाल के मुख्य बाजार से लेकर सीएम आवास और राजभवन तक मार्च किया। राजभवन से 300 मीटर दूर महिला प्रदर्शनकारियों को रोक दिया गया। जिसके चलते प्रदर्शनकारी महिलाएं और सुरक्षाकर्मियों में झड़प भी हुई।
प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिसकर्मियों ने आंसू गैस के गोले छोड़े।