Category Archive : ब्रेकिंग न्यूज

‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ बना उत्तराखंड के उत्पादों का ब्रांड, पीएम मोदी ने किया लॉन्च

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राज्य के सभी उत्पादों को अब एक नाम से पहचाना जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शुक्रवार को वैश्विक निवेशक सम्मेलन के दौरान हाउस ऑफ हिमालयाज की लांचिंग की। अभी तक हिमाद्री, हिलांस, ग्राम्यश्री जैसे तमाम उत्पाद अलग-अलग नाम से बाजार में जाते हैं, लेकिन अब सभी हाउस ऑफ हिमालयाज के नाम से पहचाने जाएंगे।

फरवरी में धामी कैबिनेट ने एक निर्णय लिया था कि प्रदेश के सभी उत्पादों की क्वालिटी, मार्केटिंग व ब्रांडिंग के लिए समिति का गठन किया जाए। इस आधार पर एक समिति का गठन किया गया है। इस समिति ने हाउस ऑफ हिमालयाज नाम पर मुहर लगाई। इस नाम का रजिस्ट्रेशन करा दिया गया है। ट्रेडमार्क के लिए आवेदन भी कर दिया गया है।

सचिव ग्राम्य विकास राधिका झा ने बताया कि अब हाउस ऑफ हिमालयाज उत्तराखंड का ब्रांड होगा। हिमाद्री, हिलांस समेत तमाम समितियों, स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को इसी ब्रांड नाम के साथ बाजार में उतारा जाएगा। इससे न केवल राष्ट्रीय, बल्कि भविष्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उत्पादों को बेहतर बाजार मिलेगा।अपर सचिव ग्राम्य विकास नितिका खंडेलवाल ने बताया, हाउस ऑफ हिमालयाज उत्तराखंड का ब्रांड नाम हो गया है। जैसे टाटा या अन्य कंपनियों का एक नाम चलता है और विभिन्न उत्पाद बाजार में आते हैं। उसी तरह यह ब्रांड नाम चलेगा। उन्होंने कहा, सभी उत्पादों की अपनी पहचान के साथ हाउस ऑफ हिमालयाज का टैग उनके साथ रहेगा।

Uttarkashi Tunnel: 2 रोबोट जाएंगे सुरंग के अंदर, कल फिर होगी ड्रोन उड़ाने की कवायद .

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 दिवाली के दिन उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में फंसे  41 श्रमिकों को अभी तक बाहर नहीं निकाला जा सका है। रेस्क्यू ऑपरेशन का आज नौवां दिन है। अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स भी आज उत्तरकाशी पहुंचे हैं। उन्होंने भी यहां पहुंचकर हालात का जायजा लिया।
कल फिर होगी ड्रोन उड़ाने की कवायद-

ऑपरेशन सिल्क्यारा के तहत कल यानी मंगलवार को विशेषज्ञों की टीम अत्याधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल करेगी। इसके लिए जहां डीआरडीओ के 70 किलो के दो रोबोट पहुंच चुके हैं, वहीं ड्रोन को भी नए सिरे से उड़ाया जाएगा। एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खलखो ने कहा, सुरंग के भीतर डीआरडीओ के 2  रोबोट आए हैं, जिनमें एक 50 किलो और दूसरा 20 किलो का है। कहा कि, ड्रोन पहले दिन अच्छे नतीजे नहीं दे पाया। लेकिन न अब उन्हें मंगलवार को फिर से उड़ाया जाएगा।

57 मीटर लंबा पाइप हुआ सुरंग के आर पार-

सिल्क्यारा सुरंग में 6 इंच का एक अतिरिक्त पाइप आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए ड्रिल किया जा रहा था। वह अब आर-पार हो गया है। इसकी कुल लंबाई 57 मीटर है। इस पाइप से मजदूरों को खाद्य सामग्री भेजी जाएगी। पहले लगाया गया पाइप छोटा होने की वजह से उन्हें केवल ड्राई फ्रूट और मुरमुरे ही भेजे जा रहे थे। अब उन्हें अन्य खाने की वस्तुएं भी भेजी जा सकेंगी।

2 रोबोट पहुंचे सिल्क्यारा-

एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशू मनीष ने कहा कि डीआरडीओ ने 20 किलो और 50 किलो वजन वाले दो रोबोट भेजे हैं। रोबोट जमीन पर चलते हैं और जमीन रेत की तरह काम कर रही है, हमें आशंका है कि रोबोट वहां चल पाएंगे या नहीं।

रोबोटिक्स मशीन पहुंची सिल्क्यारा-

उत्तरकाशी सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए रोबोटिक्स मशीन सिल्क्यारा सुरंग स्थल पहुंच गई है। बीतते वक्त के साथ खतरा बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी लाई जा रही है।

दो से तीन दिन में पूरी हो सकेगी ड्रिल-

सुरंग के ऊपर ड्रिलिंग के लिए जगह चुन ली गई है। 1.2 मीटर डायमीटर की ड्रिल होगी। जिसका सेटअप अगले 24 घंटे में होने की संभावना है। अब दो से तीन दिन में ड्रिल पूरी हो सकेगी।

क्या कहा अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने- 
अंतर्राष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स आज उत्तरकाशी पहुंचे। उन्होंने यहां पर निरीक्षण करने के बाद कहा कि हम श्रमिकों को बाहर निकालने की कोशिश में जुटे हैं। कहा कि मेरे साथ हिमालय भूविज्ञान के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञ हैं। हमें तुलना करने की आवश्यकता है। हमने यहां सुरंग के ऊपर जो देखा है और जो हम जानते हैं कि सुरंग के अंदर क्या हो रहा है। हम उन 41 लोगों को बचा रहे हैं और ऐसा करते समय हम किसी को भी चोट नहीं पहुंचने देंगे। यह किसी भी जटिल काम की तरह है। जहां हमें चारों ओर ऊपर से नीचे तक देखना होता है। यहां की टीम बचाव पर इतना ध्यान केंद्रित कर रही है और इतना ध्यान केंद्रित कर रही है कि किसी और को चोट न पहुंचे। फिलहाल, यह सकारात्मक दिख रहा है। हम सभी एक टीम हैं। टनल के ऊपर 320 मीटर दूरी पर टीम ने ड्रिल के लिए स्थान चुना है। यहां से 89 मीटर गहराई तक ड्रिल होगी।

उत्‍तरकाशी टनल में 41 जान: मजदूरों का फूटा गुस्सा, बोले- मजदूर नहीं टनल बचाना चाहते हैं.

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देहरादून: उत्तरकाशी टनल में फंसे मजदूरों को लेकर कंपनी की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। सिल्क्यारा सुरंग में 40 नहीं बल्कि 41 श्रमिक फंसे हुए हैं। मजदूरों के फंसने के सातवें दिन यह खुलासा हुआ है जिससे साफ जाहिर होता है कि एनएचआईडीसीएल और निर्माण कंपनी नवयुग कंस्ट्रक्शन ने इस मामले में कितनी बड़ी लापरवाही की है। डीएम अभिषेक रोहिल्ला के अनुसार, बिहार मुजफ्फरपुर निवासी श्रमिक के बारे में पता चला है कि वह भी सुरंग में फंसा हुआ है।
सिल्क्यारा सुरंग में 12 नवंबर की सुबह से श्रमिक फंसे हुए हैं। पूर्व में कंपनी ने 40 श्रमिकों की सूची जारी की थी, लेकिन शनिवार सुबह यह बड़ा खुलासा हुआ है कि सुरंग में 40 नहीं बल्कि 41 मजदूर फंसे हुए हैं। 41वें श्रमिक की पहचान बिहार मुजफ्फरपुर के गिजास टोला निवासी दीपक कुमार के रूप में हुई है।

सिल्क्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में देरी से साथी मजदूरों में आक्रोश है। शनिवार को मजदूरों ने सुरंग निर्माण से जुड़ी एनएचआईडीसीएल व निर्माण कंपनी नवयुगा के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि कंपनी गरीब मजदूरों को नहीं बल्कि सुरंग बचाना चाहती है। इसी कारण मजदूरों को बाहर निकालने में देरी की जा रही है। अंदर फंसे उनके साथियों का हौसला टूट रहा है और वह रो रहे हैं। 

अंदर फंसे साथियों की चिंता कर रहे कुछ मजदूर रोने लगे, जिन्हें अधिकारियों ने ढांढस बंधाया। यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने का रेस्क्यू ऑपरेशन शनिवार को सातवें दिन में प्रवेश कर चुका है। लेकिन अब तक कोई सफलता मिलती नजर नहीं आ रही है। इससे गुस्साए मजदूरों ने शनिवार को एकजुट होकर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत प्रसाद के नेतृत्व में एनएचआईडीसीएल व नवयुगा कंपनी के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारी प्रशांत ने आरोप लगाया कि कंपनी यहां मजदूरों को नहीं बल्कि सुरंग को बचाना चाहती है। मजदूर हंसराज ने कहा कि यहां रेस्क्यू ऑपरेशन को गंभीरता से नहीं चल रहा है। अधिकारी पिकनिक मना रहे हैं। चंदन ने कहा कि अंदर फंसे उनके साथियों का हौसला अब टूट रहा है और वह रो रहे हैं। कहा कि एक मशीन फेल हो रही है तो दूसरी आती है। अंदर फंसे आदमी को कैसे समझाएं। वह तो यही कहते हैं कि हमको निकाल लो भाई।

चंदन ने बताया कि उनका इलेक्ट्रिशियन दोस्त सोनू कुमार हिम्मत हार रहा है। वह कह रहा है कि हमें कब तक बाहर निकालोगे, अंदर दम घुट रहा है। मजदूरों ने बैठक कर रहे अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन किया। बाद में एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक मोहम्मद अहमद व अधिशासी निदेशक संदीप सुगेरा ने रेस्क्यू के तहत किए जा रहे कार्यों की विस्तार से जानकारी दी। 

ईडी संदीप सुगेरा ने कहा कि अंदर फंसे सभी लड़के उनके बच्चें की तरह हैं। वह भी उन्हें सुरंग से जल्द से जल्द बाहर निकालने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने रेस्क्यू के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। प्रबंधक निदेशक मोहम्मद अहमद ने सभी मजदूरों से रेस्क्यू ऑपरेशन में सहयेाग की अपील की। इस दौरान अंदर फंसे साथियों की चिंता कर रहे कुछ मजदूर रोने लगे। जिन्हें ईडी]संदीप सुगेरा ने ढांढस बंधाया कि सब को जल्द बाहर निकालेंगे।

J&k: जम्मू-कश्मीर में भयानक हादसा, 36 लोगों की मौत, 19 लोग बुरी तरह घायल.

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डोडा में एक बस अनियंत्रित होकर करीब 300 फीट गहरी खाई में जा गिरी है। इस हादसे में 36 लोगों मौत हो गई है जबकि 19 लोग घायल हुए हैं। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घटना पर शोक जताया है।

श्रीनगर- जम्मू संभाग के जिला डोडा में बड़ा सड़क हादसा हो गया है। जिले के अस्सर में एक बस अनियंत्रित होकर करीब 300 फीट गहरी खाई में जा गिरी। बस किश्तवाड़ से जम्मू की ओर जा रही थी। हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई है जबकि 19 लोग घायल हो गए हैं। सभी घायलों को किश्तवाड और डोडा के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। गंभीर रूप से घायलों को एयरलिफ्ट कर जम्मू भेजा गया है।

ओवरटेक के चलते हुआ हादसा-

पुलिस ने बताया कि शुरुआती जानकारी में पता चला है कि इस मार्ग पर तीन बसें एक साथ चल रही थी और एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में यह बड़ा हादसा हो गया। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हादसे पर दुख जताया-

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हादसे पर शोक जताया। उन्होंने कहा कि इस घटना से बेहद दुखी हूं। पीड़ित परिवारों के प्रति मेरी संवेदना है। घायलों के जल्दी ठीक होने की कामना करता हूं। बता दें कि उपराज्यपाल ने सभी घायलों को तुरंत मदद पहुंचाने का निर्देश दिया है।

गृहमंत्री अमित शाह ने भी जताया दुख-

गृहमंत्री शाह ने भी हादसे पर दुःख जताया है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के डोडा में सड़क हादसे की घटना जानकर बहुत दुख हुआ। स्थानीय प्रशासन उस खाई में बचाव अभियान चला रहा है जहां बस हादसे का शिकार हुई है। उन्होंने कहा कि मृतकों के परिवारों के प्रति मेरी संवेदना है और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।

विधानसभा में ये क्या बोल गए CM नीतीश कुमार, मुंह दबाकर हंसने लगे पुरुष विधायक; झेंप गईं महिलाएं

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Nitish Kumar Viral Statement- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को विधानसभा में जाति आधारित गणना की रिपोर्ट पेश की। जब जाति आधारित गणना पर चर्चा चल रही थी तो सीएम नीतीश कुमार ने ऐसा बयान दे दिया, जिसे सुन हर कोई हैरान है। इस दौरान उन्होंने प्रजनन दर पर भी चर्चा की। चर्चा के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने पति-पत्नी के बीच बनने वाले शारीरिक संबंधों पर टिप्पणी की। उनके बयान सुन पूरे सदन का माहौल एकाएक बदल गया। पुरुष विधायक हंसने लगे तो महिलाएं झेंप गईं।

सदन में बोलते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि सब लोग ठीक से समझ लीजिए। यहां जो पत्रकार लोग बैठे हैं, वो लोग भी समझ लें। दरअसल, नीतीश कुमार ने प्रजनन दर पर चर्चा करते हुए हाथों से कुछ इशारे किए और कहा, “हम चाहते हैं लड़की पढ़ाई करे। जब शादी होगा लड़का-लड़की में, तो जो पुरुष है वो तो रोज रात में करता है ना… तो उसी में और (बच्चा) पैदा हो जाता है। और लड़की पढ़ लेती है तो उसको मालूम रहेगा कि ऊ (पति) करेगा ठीक है, लेकिन अंतिम में भीतर मत घुसाओ, उसको बाहर कर दो। उसी वजह से संख्या घट रही है।
पूरे सदन में इस बयान के दौरान अजीब स्थिति देखने को मिली. नीतीश कुमार जब जनसंख्या नियंत्रण पर ज्ञान दे रहे थे, उस वक्त उनके पीछे बैठे मंत्री और विधायक मुस्कुरा रहे थे। हालांकि जब उन्हें लगा कि नीतीश कुमार कंट्रोल खो दिए हैं, तो वो झेंप गए। जिस वक्त नीतीश कुमार सदन में बोल रहे थे, उस वक्त महिला विधायक भी मौजूद थीं।
अपने संबोधन में नीतीश ने कहा कि 2011 की जनगणना की तुलना में साक्षरता दर 61 फीसदी से बढ़कर 79 फीसदी से ऊपर हो गई है.महिला शिक्षा की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है. मैट्रिक पास संख्या 24 लाख से बढ़कर 55 लाख से ऊपर है. इंटर पास महिलाओं की संख्या पहले 12 लाख 55 हजार थी. अब 42 लाख से ऊपर है. ग्रैजुएट महिलाओं की संख्या 4 लाख 35 हजार से बढ़कर 34 लाख के पार हो गई है.
 
बीजेपी विधायकों ने सीएम को घेरा
नीतीश के बयान पर विधायकों की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं. पूरे सदन में इस बयान के दौरान अजीब स्थिति देखने को मिली. महिला विधायक इसपर नाराज दिखीं. वहीं कुछ अन्य विधायक हंस रहे थे. नीतीश के बयान पर विधायकों की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं. बीजेपी नेता तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि इस बात को सीएम और अच्छे तरीके से कह सकते थे. वहीं बीजेपी विधायक निक्की हेम्ब्रम ने कहा कि इस बात को सीएम मर्यादित तरीके से कह सकते थे. महिलाओं के प्रति उनके मन में सम्मान नजर नहीं आया.

Vikram-1: जनवरी 2024 में लॉन्च होगा विक्रम-1,  जानिए क्यों खास है ये 7 मंजिला रॉकेट?

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भारत विश्व भर में अंतरिक्ष के क्षेत्र में लगातार इतिहास रच रहा है। देश की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने हाल ही में चंद्रयान-3 को चन्द्रमा की सतह पर उतारा था। इसके बाद देश के पहले सौर मिशन आदित्य-एल 1 की लॉन्चिंग भी चर्चा का विषय बनी। इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए अब निजी क्षेत्र की कंपनी स्काई रूट भी विक्रम-1 रॉकेट को लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। 
विक्रम-1 क्यों है चर्चा में ?

भारतीय स्टार्टअप स्काईरूट ने पिछले दिनों दक्षिण हैदराबाद में जीएमआर एयरोस्पेस और औद्योगिक पार्क में विक्रम-1 रॉकेट का अनावरण किया। इस दौरान विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने स्काईरूट के नए मुख्यालय ‘द मैक्स-क्यू कैंपस’ का भी उद्घाटन किया।

इस मौके पर जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत अब अंतरिक्ष क्षेत्र में अन्य देशों का नेतृत्व करने की स्थिति में है। अपने संबोधन में उन्होंने उम्मीद जताई कि स्काईरूट संस्था जल्द ही विक्रम-1 ऑर्बिटल लॉन्च व्हीकल का प्रक्षेपण भी करेगी।

क्या है विक्रम-1 रॉकेट ? 

विक्रम-1 एक छोटा लॉन्च व्हीकल है जो 480 किलोग्राम तक के पेलोड को अंतरिक्ष में 500 किलोमीटर की ऊंचाई तक ले जा सकेगा। इसका उद्देश्य छोटे सैटेलाइट को लॉन्च करना है। इसका नाम भारतीय अंतरिक्ष अभियान के जनक कहे जाने वाले विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। यह देश का पहला निजी तौर पर निर्मित सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल है। कंपनी विक्रम सीरीज के तीन लॉन्च व्हीकल बना रही है। विक्रम-2 रॉकेट का पेलोड 595 किलोग्राम और विक्रम-3 का पेलोड 815 किलोग्राम होगा।

क्या है इस रॉकेट की खासियत ?

स्काईरूट के अनुसार, विक्रम-1 के प्रणोदन चरण पूरी तरह से विश्वसनीय हैं। यान में इस्तेमाल किए गए इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम आधुनिक और आकार में छोटे हैं। यह बेहद हल्के झटके में हवा में अलग होने की क्षमता रखता है।यह कई मायनों में लचीला है। विक्रम-1 दोबारा स्टार्ट होने की क्षमता रखता है जिसके जरिए रॉकेट का एक साथ कई कक्षाओं में प्रवेश कराया जा सकता है। आर्थिक दृष्टि से भी यह कम लागत में पेलोड भेज सकता है। रॉकेट न्यूनतम श्रेणी के बुनियादी ढांचे में भी काम कर सकता है। इसे किसी भी लॉन्च साइट से 24 घंटे के भीतर असेंबल और लॉन्च किया जा सकता है।

मिशन को कब किया जाएगा लॉन्च ?
स्काईरूट के सीओओ भरत ढाका ने कहा कि विक्रम-1 अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान का अनावरण बहुत गर्व का क्षण है। उन्होंने कहा कि विक्रम-1 के निर्माण में हमारी डिजाइन क्षमता और अत्याधुनिक घरेलू तकनीक अभिन्न अंग रही है।  हम 2024 की शुरुआत में लॉन्च के लिए इसकी तैयारी कर रहे हैं।

आखिर क्या है स्काई रूट ?

इसरो के पूर्व इंजीनियरों पवन कुमार चंदाना और भरत ढाका ने 2018 में स्काईरूट एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड नामक स्टार्टअप बनाया था। चंदाना आईआईटी खड़गपुर और ढाका आईआईटी मद्रास से पढ़े हैं। इसरो में चंदाना ने देश के सबसे बड़े रॉकेट जीएसएलवी एमके-3 जैसे अहम प्रोजेक्ट पर काम किया जबकि ढाका ने इसरो में फ्लाइट कंप्यूटर इंजीनियर के तौर पर तमाम अहम हार्डवेयर और सॉफ्टवेयरों पर काम किया। स्काईरूट पहला ऐसा स्टार्टअप है जिसने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ रॉकेट बनाने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं।
10 कंपनियां बना रही हैं सैटेलाइट और रॉकेट-
 
इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ के मुताबिक, अंतरिक्ष तकनीक और नवोन्मेष के क्षेत्र में इसरो के साथ काम करने के लिए 100 स्टार्ट-अप समझौता कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि 100 में से करीब 10 ऐसी कंपनियां हैं, जो सैटेलाइट और रॉकेट विकसित करने में जुटी हैं।

उत्तराखंड के कई जिलों में झमाझम बारिश और बर्फबारी, जानिए कैसा रहेगा अगले 2 दिनों तक मौसम का हाल.

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उत्तराखंड में मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है। राजधानी देहरादून समेत प्रदेशभर के कई जिलों में भारी बारिश के साथ ही तेज गर्जना हो रही है। बारिश के बीच अचानक राजधानी देहरादून में अंधेरा छा गया। वाहनों को दिन में हेडलाइट जलानी पड़ी। तो वहीं सभी जगह सड़कों पर स्ट्रीट लाइटें जलाई गयी.

उत्तराखंड में बदला मौसम का मिजाज-

सोमवार उत्तराखंड में भारी बारिश के साथ ही तेज हवाएं चलने से मौसम ठंडा हो गया है। बदले मौसम के मिजाज के चलते ठंड बढ़ने से लैंसडाउन चौक के पास लोगों ने अलाव का सहारा लिया। वहीं धुंध के कारण अंधेरा होने से वाहनों को दिन में हेडलाइट जलानी पड़ी। बारिश होने से तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है। सुबह स्कूली बच्चों और नौकरीपेशा लोगों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। राजधानी देहरादून सहित प्रदेश के कई जिलों में झमाझम बारिश का सिलसिला जारी है। हरिद्वार में तेज तूफान से धूल मिट्टी, कूड़ा तेज शहर के रोड और गलियों में पसर गया।

तेज आंधी के चलते कई जगह पेड़ की शाखाएं टूट कर गिर गई है। उत्तरकाशी में बादल छाए हुए हैं साथ ही ठंडी हवाएं चल रही है। वहीं विकासनगर में मूसलाधार बारिश हो रही है।मौसम विभाग की ओर से आज सोमवार को बारिश होने के आसार बताए गए थे। केंद्र ने पर्वतीय जिलों में बारिश का ऑरेंज और मैदानी इलाकों में येलो अलर्ट जारी किया है।

कई जिलों में कल येलो अलर्ट- 

मौसम के पूर्वानुमान के अनुसार कल यानी 17 अक्तूबर को भी ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले को छोड़ अन्य सभी जिलों में भी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है।हालांकि 18 अक्टूबर से प्रदेशभर का मौसम शुष्क रहेगा।

चारों धामों में बारिश और बर्फबारी- 

वहीं केदारनाथ और यमुनोत्री में बारिश बर्फबारी का सिलसिला जारी है। इस मौसम में भी धामों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद हैं। एक ओर जहां श्रद्धालु बर्फबारी देख उत्साहित नजर आए तो वहीं दूसरी तरफ सुविधाओं के अभाव में उन्हें परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है।

यमुनोत्री सहित यमुना घाटी में एक घंटे से झमाझम बारिश हो रही है। यमुनोत्री धाम के ऊपर बुग्यालों चोटियों सप्त ऋषि कुंड, बंदरपूंछ, कालिंदी पर्वत, गरुड़ गंगा टाप पर बर्फबारी जारी है। बारिश बर्फबारी के चलते तापमान में गिरावट आ गई। ठंड से लोग घरों में दुबके हैं।

यमुनोत्री धाम में बर्फबारी का श्रद्धालु लुत्फ उठा रहे हैं, लेकिन वहीं पर्याप्त सुविधाएं न होने से श्रद्धालुओं को बारिश बर्फबारी में दिक्कतों का सामना करना रहना पड़ रहा है। देहरादून सहित प्रदेश के कई जिलों में बारिश के साथ ही तेज गर्जना हो रही है।

 

बद्रीनाथ धाम में भी बर्फबारी- 

बदले मौसम के मिजाज के चलते ठंड बढ़ने से लैंसडाउन चौक के पास लोगों ने अलाव का सहारा लिया। वहीं धुंध के कारण अंधेरा होने से वाहनों को दिन में हेडलाइट जलानी पड़ी। बारिश होने से तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है। वहीं दोपहर के बाद बदरीनाथ धाम में भी खूब बर्फबारी हुई है। बर्फबारी के बाद धाम में तेज ठंड बढ़ गयी है, श्रद्धालु भी इस बर्फ को देखकर उत्साहित हो रहे हैं.

न्यायिक सेवा की परीक्षा में एक सवाल पर विवाद पहुंचा कोर्ट,मामला देख जज भी हैरान !

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अगर आपसे सवाल पूछा जाय कि बम धमाके से मारना हत्या है या कुछ और ? तो आपका जवाब क्या होगा ? शायद अधिकतर लोग इसको हत्या ही कहेंगे,लेकिन अगर इस सवाल को थोड़ा और घुमा कर कुछ इस तरह पूछा जाय जैसे जैसे की  “‘A ‘ एक मेडिकल स्टोर में बम रख देता है और विस्फोट से पहले लोगों को बाहर निकलने के लिए 3 मिनट का समय देता है। ‘B ‘ जो गठिया का मरीज है, वह भागने में विफल रहता है और मारा जाता है। ऐसे में ‘A ‘ के खिलाफ आईपीसी की किस धारा के तहत केस दर्ज किया जा सकता है?”  इस सवाल पर अब आपका जवाब क्या होगा ? निश्चित रूप से आप का सर घूम जायेगा और आप सोच रहे होंगे ये कैसा सवाल है ? तो आप बिलकुल सही सोच रहे हैं,,, ये कोई कल्पना या सिर्फ बोलने भर की बात नहीं है बल्कि ये सवाल सच में एक परीक्षा के दौरान पूछा गया,,कई छात्र इस सवाल से इतने परेशान हो गए कि उनकी समझ में कुछ आया ही नहीं,कि इसका जवाब क्या हो सकता है,,,इस सवाल से हैरान और असंतुष्ट छात्र कोर्ट पहुंच गए,कोर्ट में मामला सुनकर जज भी हैरान रह गए,आगे जो हुआ वो आपको चौंका देगा,,,

 

 

सवाल पर विवाद पहुंचा हाईकोर्ट 

दरअसल , उत्तराखंड न्यायिक सेवा सिविल जज प्रारंभिक परीक्षा में तीन सवालों को लेकर असफल आवेदकों ने आपत्ति जताई और  इससे संबंधित याचिका भी नैनीताल हाई कोर्ट में दायर की है। इस पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष विकट समस्या खड़ी हो गई, कि आखिर इस पर क्या फैसला दिया जाय,,,जिस सवाल पर आपत्ति जताई गई थी, उसने हाई कोर्ट के जजों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया।

हुआ कुछ यूँ कि उत्तराखंड न्यायिक सेवा की परीक्षा में एक सवाल पर विवाद सामने आया है। परीक्षा में पूछा गया था कि एक मेडिकल स्टोर में बम रखने वाले और विस्फोट से पहले लोगों को बाहर निकलने के लिए 3 मिनट का समय देने वाले एक व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की किस धारा के तहत केस दर्ज किया जा सकता है? सवाल उत्तराखंड की न्यायिक सेवा की परीक्षा में पूछा गया था, जिसे लेकर विवाद अदालत की चौखट तक पहुंच गया । परीक्षा में असफल रहने वाले छात्रों ने विषय-विशेषज्ञों द्वारा बताए गए इस सवाल के जवाब पर असंतोष जताया है और दो अन्य सवालों पर आपत्ति के साथ कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। कोर्ट ने आयोग को दो सवालों पर फिर से विचार करने का सुझाव भी दे दिया है।

ऐसा सवाल जिस पर जज भी हो गए कन्फ्यूज 

जिस तीसरे सवाल को लेकर जज भी दुविधा में आ गए वो सवाल हम एक बार फिर हूबहू दोहराते हैं जो शायद आपको भी पूरी तरफ कन्फूज कर देगा, दरसल सवाल ये था कि अगर   ‘A ‘ एक मेडिकल स्टोर में बम रख देता है और विस्फोट से पहले लोगों को बाहर निकलने के लिए 3 मिनट का समय देता है। ऐसे में ‘बी’ जो गठिया का मरीज है, वह भागने में विफल रहता है और मारा जाता है। ऐसे में ‘ए’ के खिलाफ आईपीसी की किस धारा के तहत केस दर्ज किया जा सकता है?  जवाब के लिए जो विकल्प दिए गए थे, उनमें से एक ये था  कि आरोपी के खिलाफ धारा 302 के तहत केस दर्ज किया जाना चाहिए जो हत्या के आरोपियों पर लगायी जाती है।

याचिकाकर्ताओं ने उत्तर के रूप में इसी विकल्प को चुना था लेकिन आयोग की ओर से जो उत्तर उपलब्ध कराया गया था, उसमें इस विकल्प को सही नहीं माना गया था। आयोग के अनुसार सही जवाब धारा 304 था, जो हत्या की श्रेणी में नहीं बल्कि गैर-इरादतन हत्या के मामलों में लगाया जाता है। आयोग का तर्क है कि उपर्युक्त मामला आईपीसी की धारा 302 से संबंधित नहीं है बल्कि यह इरादे के अभाव में या फिर लापरवाही के कारण मौत से संबंधित है।  मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि हमारे लिए यह कहना पर्याप्त है कि विषय विशेषज्ञ ने मोहम्मद रफीक के मामले में 2021 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया है। यह अदालत द्वारा दी गई राय के संबंध में कोई भी विचार देने से बचती है।

बता दें कि मोहम्मद रफीक मामले में मध्य प्रदेश में एक पुलिस अधिकारी को एक तेज रफ्तार ट्रक ने कुचल दिया था, जब उन्होंने वाहन पर चढ़ने की कोशिश की थी। ड्राइवर रफीक ने अधिकारी को धक्का देकर गिरा दिया था।
इस बीच याचिका ने कानूनी हलकों में इस बात पर बहस छेड़ दी है कि क्या किसी आतंकवादी कृत्य को ‘हत्या’ की बजाय ‘लापरवाही के कारण मौत’ के रूप में देखा जा सकता है। हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील  बताते हैं  कि यह स्पष्ट रूप से लापरवाही का मामला नहीं है क्योंकि अधिनियम स्वयं इरादे को दर्शाता है। ‘ए’ द्वारा किया गया  काम ऐक्ट के परिणामों को जानता था। ऐसे में बिना किसी संदेह के यह मामला आईपीसी की धारा 302 यानी हत्या के दायरे में आता है।

 

आयोग के जवाब पर इस तरह उठे सवाल 

आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए जवाब जिसे आयोग की ओर से सही जवाब बताया गया है. उसको 
हाईकोर्ट के वकील की दलील गलत साबित करती दिखाई देती है. हाई कोर्ट ने आयोग को दोनों सवालों पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है। जबकि तीसरे प्रश्न के संबंध में कोर्ट ने कहा कि इसे पूरी तरह से संवेदनहीन तरीके से तैयार किया गया था। अदालत ने कहा कि हमें यह देखकर दुख होता है कि प्रश्न को पूरी तरह से कैजुअल अप्रोच के साथ तैयार किया गया है। अदालत ने कहा कि पूरी प्रक्रिया चार सप्ताह के भीतर पूरी की जानी चाहिए और एक नई मेरिट सूची तैयार की जानी चाहिए जिसके आधार पर चयन प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए।

अब इस सवाल के बाद एक नई बहस कानून के नियमों को लेकर भी शुरू हो गयी है तो दूसरी तरफ आयोग की काम करने सहित प्रश्नपत्र बनाने को लेकर उनकी गंभीरता पर भी सवाल खड़े हो गए हैं,,,कोर्ट ने भी आयोग की सवेंदनहीनता को माना है,,,आयोगों पर उत्तराखंड में सवाल उठना कोई नई बात नहीं है बल्कि उत्तराखंड में परीक्षा आयोजित करने वाले आयोग पिछले काफी समय से सवालों के घेरे में हैं, चाहे वो uksssc रहा हो या अब ukpsc हो, इन आयोगों की विश्वसनीयता पिछले काफी समय से  सवालों के घेरे में रही है, हाल ही में सामने आये भर्ती घोटालों ने तो वैसे भी उत्तराखंड का नाम पूरे देश में प्रसिद्ध कर  दिया है, इन भर्ती घोटालों के खिलाफ बेरोजगार छात्र कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं,और आज भी उनका प्रदर्शन जारी है, बेरोजगारों की सिर्फ यही मांग है कि इन भर्ती घोटालों की  निष्पक्ष जांच सीबीआई से करवाई जाय,पर आज तक उत्तराखंड की सरकार उनकी मांगों को मानना तो दूर आंदोलन कर रहे बेरोजगारों से मिलने तक नहीं गयी,,,आयोगों की घटती निष्ठा इस प्रदेश के बेरोजगार छात्रों के भविष्य के लिए एक बड़ी चिंता है और प्रदेश सरकार पर लगता एक बड़ा प्रश्न चिन्ह,,,जो परीक्षाये एक पारदर्शी तरिके से कराने में नाकमयाब साबित हुई है,,, बाकी रही सही कसर इस तरह के सवाल पूरे कर रहे  है,,,    

मोदी सरकार में बढ़ रही सीनियर नेताओं की नारजगी,अब ये नेता भी खुल कर बोली…

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मोदी सरकार में नाराजगी- 

मोदी सरकार में 2024 से पहले बगावत के सुर उभरने लगे हैं,कई वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी खुल कर सामने आने लगी है,पहले नितिन गडकरी का एक मंच पर प्रधानमंत्री मोदी के नमस्कार का जवाब न देना और अब भाजपा की बड़ी और फायरब्रांड नेता उमा भारती का खुल कर सामने आना कहीं न कहीं ये साफ़ संकेत देता है कि मोदी की भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा और कई दिग्गज नेताओं की पार्टी में अनदेखी के चलते शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ नाराजगी बढ़ रही है,जो कि एकजुट विपक्ष के साथ -साथ अपनों की नारजगी  मोदी सरकार  के लिए नई मुसीबत खड़ी कर सकती है

 

उमा भारती को मनाना आसान नहीं- 

उमा भारती,,, भाजपा का वो बड़ा चेहरा और वो नाम जो राम मंदिर आंदोलन के दौरान पुरे देश ने देखा,,और इसी आंदोलन ने उमा भारती को भाजपा और भारतीय राजनीती में उस मुकाम तक पहुंचाया जहां से आज उनकी अनदेखी भाजपा इतनी आसानी से नहीं कर सकती,,, उमा भारती 27 साल की उम्र में पहली बार चुनाव लड़ी. 6 बार सांसद, 2 बार विधायक बनी. 11 साल केंद्र में मंत्री रहीं और मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री भी रहीं. जहां से बेहद नाटकीय ढंग से उनको हटाया गया,उस दौरान भी उमा भारती का अड़ियल रुख भाजपा हाईकमान से लेकर सबने देखा था,इससे ये तो साफ़ है अगर उमा भारती किसी चीज को लेकर अड़ गयी तो मोदी के लिए भी उनको मनाना आसान नहीं है

 

उमा के तीखे तेवर,अनदेखी से नाराज-

एक बार फिर उमा भारती के कड़े तेवर दिखने शुरू हो गए हैं,,उमा भारती साफ़ कर चुकी हैं कि , मैंने 2019 में ही कहा था कि 2019 में चुनाव नहीं लड़ूंगी. मुझे 5 साल का ब्रेक दे दो, गंगा का काम करूंगी. यात्रा करूंगी. लेकिन मैं 2024 का चुनाव जरूर लड़ूंगी. मुझे कोई किनारे नहीं कर सकता’,,,, उमा भारती का ऐसा कहना यूँ अचानक नहीं हुआ,जिस तरह से पार्टी में कई पुराने नेता मार्गदर्शक मंडल में दाल दिए गए,कई और सीनियर नेता हाशिये पर डाल  दिए गए उससे संकेत मिल रहे हैं कि कई नेताओं को 24 चुनाव में छुट्टी हो सकती है,लेकिन 24 के आम चुनाव से पहले जिस तरह उमा भारती को किनारे लगाया जा रहा है उससे उमा बेहद खपा हैं और वो भी उस राज्य से जहां की वो मुख़्यमंत्री रही हों सांसद रही हों

क्यों नाराज है उमा भारती ?

मोदी सरकार में मंत्री रह चुकी उमा भारती ने मध्य प्रदेश में पार्टी द्वारा शुरू की गई जन आशीर्वाद यात्रा में शामिल होने के लिए निमंत्रण नहीं दिए जाने पर विधानसभा चुनाव से जुड़ी इस महत्वपूर्ण यात्रा का बहिष्कार करने की घोषणा कर दी है। उमा भारती पार्टी से इस हद तक नाराज हैं कि उन्होंने जन आशीर्वाद यात्रा के 25 सितंबर को होने वाले समापन समारोह में भी नहीं जाने की घोषणा कर दी है। समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी शामिल होने की संभावना है।आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रविवार को राज्य के सतना जिले से पार्टी के राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत पहली जन आशीर्वाद यात्रा का शुभारंभ किया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को राज्य के नीमच से दूसरी जन आशीर्वाद यात्रा का शुभारंभ करने जा रहे हैं।लेकिन इन सभी कार्यक्रमों से भाजपा ने उमा भर्ती से दुरी बनाये रखी हुई है,जिससे उमा बेहद नाराज दिखाई दे रही हैं

पार्टी द्वारा चुनावी रणनीति के लिहाज से शुरू की गई इन महत्वपूर्ण यात्राओं के लिए निमंत्रण नहीं मिलने पर नाराजगी जताते हुए उमा भारती ने कहा, ”आज बीजेपी की यात्राएं निकल रही। इनमें मुझे कहीं नहीं बुलाया। इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। उनको ये ध्यान तो रखना था। मुझे नहीं जाना था। वो घबराते है कि मैं पहुंच जाऊंगी तो सारा ध्यान मेरी तरफ चला जाएगा। मुझे नहीं जाना था। कम से कम निमंत्रण देने की औपचारिकता पूरी करनी चाहिए थी।

” उमा भारती ने सोमवार सुबह ट्वीट (एक्स) कर कहा, “मुझे जन आशीर्वाद यात्रा के शुभारंभ में निमंत्रण नहीं मिला, यह सच्चाई है कि ऐसा मैंने कहा है, लेकिन निमंत्रण मिलने या ना मिलने से मैं कम ज्यादा नहीं हो जाती। हां अब यदि मुझे निमंत्रण दिया गया तो मैं कहीं नहीं जाऊंगी। ना शुभारंभ में ना 25 सितंबर के समापन समारोह में।” हालांकि इसके बाद अपने अगले ट्वीट में उमा भारती ने यह भी कहा, “मेरे मन में शिवराज के प्रति सम्मान एवं उनके मन में मेरे प्रति स्नेह की डोर अटूट और मज़बूत है। शिवराज जब और जहां मुझे चुनाव प्रचार करने के लिए कहेंगे मैं उनका मान रखते हुए उनकी बात मानकर चुनाव प्रचार कर सकती हूं।” भाजपा नेताओं के फाइव स्टार होटलों में रुकने पर फिर से सवाल उठाते हुए उमा भारती ने अगले ट्वीट में कहा, “शादियों की फ़िज़ूल खर्ची और हमारे नेताओं का 5 स्टार होटलों में रुकना इसको मैं शुरू से ही ग़लत मानती हूं।

 

उमा की चेतावनी-

उन्होंने एक चैनल  से बातचीत में कहा कि अगर आप यानी बीजेपी उन नेताओं के वजूद को पीछे धकेल देंगे, जिनके दम पर पार्टी का वजूद खड़ा है, तो आप एक दिन खुद खत्म हो जायेंगे,उमा भारती से पूछा गया कि वे बैठकों में नजर नहीं आ रही हैं, रणनीतियों से दूर रह रही हैं क्या उमा भारती को दरकिनार किया गया, या खुद दूरी बनाए हुए हैं? इस पर चेतावनी वाले लहजे में उमा भर्ती ने जवाब दिया कि   मैं 2024 का चुनाव जरूर लड़ूंगी. इसलिए मैंने खुद को किनारे नहीं लगाया. और न कोई मुझे किनारे लगा सकता है

गडकरी की नारजगी भी दिखाई दे रही- 

 

ऐसा नहीं है कि सिर्फ उमा भारती ही नाराज हैं,गडकरी की नाराजगी भी अब खुल कर सामने दिखाई दे रही है,एक मंच पर प्रधानमंत्री मोदी जब सबको अभिवादन कर रहे थे और मंच पर खड़े सभी नेता भी प्रधानमंत्री का स्वागत कर रहे थे तो उसी मंच पर मौजूद गडकरी ने न तो पीएम मोदी को अभिवादन किया और न मोदी की तरफ देखा,इससे ये तो साफ़ है कि कहीं न कहीं पार्टी के भीतर ही विरोध बढ़ रहा है,,ऐसा नहीं है कि सिर्फ बड़े स्तर पर ही नाराजगी दिखाई दे रही है बल्कि छोटे स्तर पर भी नेता अब अपनी आवाज खुल कर उठाने लगे हैं

 

कई अन्य नेता भी चल रहे नाराज- 

भाजपा ने नाराज नेताओं को अलग-अलग समितियों में स्थान देकर खुश करने की कोशिश की गई है। कुछ तो मान गए हैं, लेकिन नाराज नेताओं की लिस्ट इतनी लंबी है कि उन्हें मनाने के लिए भाजपा को बकायदा रणनीति बनानी पड़ी है। उसी के मुताबिक रूठों को मनाने की तैयारी की जा रही है। चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में बीजेपी के 60 से ज्यादा नेता नाराज बताये जा रहे हैं,,पूर्व विधानसभा अध्यक्ष  के भाई और पूर्व विधायक गिरिजाशंकर शर्मा फिर कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। उन्होंने खुद इसके संकेत दिए हैं।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में सरकार और संगठन की स्थिति खराब है। 7 -7 बार विधायक बन क्र जितने वाले नेता भी पार्टी की बेरुखी से नारज लग रहे हैं,कभी प्रदेश सरकार में प्रभावी मंत्री रहे डॉ. गौरीशंकर शेजवार अपने राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। चुनाव के लिए बनी समितियों में उन्हें जगह नहीं दी गई है। बीजेपी के संस्थापक और पार्टी के सबसे बड़े नेता रहे पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा ने साफ शब्दों में इरादे एक साल पहले ही जाहिर कर दिए थे। उन्होंने एक बयान में कहा था कि मैं चुनाव लड़ूंगा यह तो तय है। अब पार्टी को सोचना है कि वह कहां से लड़ाना चाहती है। उनके यह तेवर अब पार्टी नेतृत्व के लिए उलझन बढ़ा सकते हैं, क्योंकि अनूप अभी तक ग्वालियर पूर्व विधानसभा से चुनाव लड़ते आए हैं।ऐसे कई नेता हैं जो अब खुलकर बोल रहे हैं जिससे बीजेपी मुश्किलें लगातार बढ़ रही है और इनका असर भी चुनावों पर पद सकता है

 

भाजपा के लिए बनता सरदर्द- 

चुनावी साल में वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी से भारतीय जनता पार्टी परेशान है. यही वजह है कि इंदौर में बीजेपी को नई गाइडलाइन जारी करना पड़ी. पार्टी ने यहां अब अपने हर कार्यक्रम में मंच पर पुराने नेताओं को बैठाने औऱ उन्हें पूरा सम्मान देने के निर्देश जारी किए हैं. पार्षदों से लेकर मंडल अध्यक्षों तक को वरिष्ठ नेताओं का विशेष ध्यान रखने के लिए कहा गया है.बीजेपी के वरिष्ठों की नाराजगी पर कांग्रेस चुटकी ले रही है. कांग्रेस प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला का कहना है वरिष्ठ नेताओं के सम्मान की परंपरा तो बीजेपी में कभी की खत्म हो चुकी है. वरिष्ठ नेताओं को मार्ग दर्शक मंडल में बैठाकर उनके घरों का मार्ग ही भूल चुके हैं. कई वरिष्ठ नेता पार्टी को लेकर मुखर भी हो चुके हैं. खुद कैलाश विजयवर्गीय ने स्वीकार किया कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओ में खासा असंतोष है. विधानसभा चुनाव में बीजेपी को लग रहा है कि वरिष्ठों की नाराजगी भारी पड़ सकती है. इसलिए उन्हें मंच पर बैठाकर सम्मान का लॉलीपाप दिया जा रहा है. कुल मिलाकर राजनैतिक ड्रामेबाजी की जा रही है. कहीं भी इनके मन के अंदर वरिष्ठों को लेकर सम्मान नहीं है।

कर्नाटक और हिमाचल  चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल कम हुआ है. वहीं बीजेपी के पुराने नेता रही सही कसर पूरी कर रहे हैं. ऐसे में पार्टी पशोपेश में है.  कई नेता है, जो अपनी उपेक्षा से नाराज है,ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा की बीजेपी इन्हें मनाने में किस हद तक कामयाब होती है

 

ISRO का नया मिशन उठाएगा सूर्य से पर्दा ! जाने मिशन से जुड़ी पूरी जानकारी…

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अब भारत नए मिशन को तैयार-

चंद्रयान की सफलता से भारत की स्पेस एजेंसी इसरो की तारीफ विश्व के हर देश में हो रही है, भारत की इस कामयाबी के पीछे हमारे वैज्ञानिकों का अथक परिश्रम है, तभी जाकर भारत वो कारनामा करने में कामयाब हो पाया जो विश्व का कोई देश नहीं कर पाया, चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद ISRO ने अब सूरज के राज खोलने की भी तैयारी कर ली है. और इस मिशन का नाम होगा आदित्य L1 मिशन, सूरज में चल रही उथल-पुथल और स्पेस क्लाइमेट का अध्ययन करने के लिए भारत के आदित्य L1 मिशन 2 सितंबर को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर से मिशन को लॉन्च किया जाएगा. पृथ्वी से सूरज की दूरी 15 करोड़ किलोमीटर है यानी चांद की तुलना में 4 गुना ज्यादा दूर है. पहले भी कई मिशन लॉन्च किए जा चुके हैं. सूरज पर इतनी ज्यादा गर्मी है. इससे ये तो साफ है कि मिशन सन मिशन मून की तुलना में ज्यादा मुश्किल भरा होने वाला है

2 सितंबर को रवाना होगा आदित्य L1 मिशन-
 
 

विज्ञान के साथ ही हमारे और आपके जीवन के लिए भी ये अभियान बेहद महत्व रखता है। सूरज में चल रही उथल-पुथल और स्पेस क्लाइमेट का अध्ययन करने के लिए भारत का आदित्य L-1 मिशन 2 सितंबर को रवाना होगा। आदित्य-एल-1 अंतरिक्ष में एक स्पेस स्टेशन की तरह काम करेगा। भारत में अब तक वैज्ञानिक सूरज का अध्ययन ऑब्सर्वेटरी में लगी दूरबीनों के जरिए कर रहे हैं। इसकी कई सारी सीमाएं हैं। सूरज का आकार इतना बड़ा है कि लाखों पृथ्वी इसमें समा सकती हैं. स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, सूर्य का व्यास पृथ्वी से करीब 109 गुना ज्यादा है. करीब 13 लाख पृथ्वी सूर्य में समा सकती है


नासा ने सूर्य के अध्ययन के लिए किए कई शोध-
 

हमारा ब्रह्मांड असंख्य तारों से बना है. वैज्ञानिक ब्रह्मांड का भविष्य जानने में जुटे हैं. इसी क्रम में जिस सौर मंडल में हम रहते हैं उसे समझने के लिए सूर्य को जानना बेहद जरूरी है.. सूर्य से जितनी मात्रा में ऊर्जा और तापमान निकलता है उसका अध्ययन धरती पर नहीं किया जा सकता. लिहाजा दुनिया भर की अंतरिक्ष एजेंसियां जितना संभव है उतना सूर्य के पास जाकर अध्ययन करना चाहती हैं. नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए कई शोध किए हैं. इसरो भी आदित्य एल-1 के जरिए सूर्य का विस्तृत अध्ययन करना चाहता है  

 

 

आदित्य एल-1 को पृथ्वी से सूर्य की ओर क़रीब 15 लाख किलोमीटर पर स्थित लैंग्रेंज-1 पॉइंट तक पहुंचना है. यह वो कक्षा में स्थापित हो जाएगा और वहीं से सूर्य पर नज़र बनाते हुए उसका चक्कर लगाएगा.

4 अरब साल पहले हुआ था सूर्य का जन्म-
 

सूर्य पर तापमान की बात करें तो यह 10 हजार फारेन हाइट यानी 5,500 डिग्री सेल्सियस के लगभग  है. यहां पर हो रही न्यूक्लियर रिएक्शन की वजह से सूर्य के कोर का तापमान 7 मिलियन फारेनहाइट या 15 मिलियन सेल्सियस तक पहुंच जाता है. नासा के मुताबिक, 100 बिलियन टन डायनामाइट के विस्फोट से जितनी गर्मी पैदा होती है, ये तापमान उसके बराबर है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, सूर्य का जन्म लगभग 4.6 अरब साल पहले हुआ था. उनका ऐसा मानना है कि सूर्य और सौर मंडल का बाकी हिस्सा गैस और धूल के एक विशाल गोले से बना है, जिसे सोलर नेब्यूला के तौर पर जाना जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक, सूर्य के पास इतना न्यूक्लियर फ्युअल है कि वह इसी अवस्था में अगले 50 लाख सालों तक रह सकता है. इसके बाद वह एक लाल गोले में तब्दील हो जाएगा और आखिर में इसका बाहरी सतहें खत्म हो जाएंगी और इसका छोटा सा बस सफेद कोर रह जाएगा. धीरे-धीरे यह कोर फीका पड़ना शुरू होगा और अपने अंतिम चरण की तरफ बढ़ना शुरू होगा

भारत के इस मिशन का सबको इंतजार-

 

ये तो थी सूर्य के बारे में कुछ जानकारियां जो विश्व के वैज्ञानिकों ने अब तक जुटाई  है, अब बात भारत के उस मिशन की जिसका इन्तजार न केवल देश के लोगों बल्कि पूरे विश्व को है. चांद को तो भारत ने मुट्ठी में कर लिया है.. आदित्य L-1 के जरिये अब सूरज की बारी है. ये काफी मुश्किल टास्क है लेकिन जिस तरह भारत ने चंद्रयान मिशन को कामयाब बनाया इससे अब एक बार फिर पूरे विश्व को भारत से उम्मीद जग गई है और  हमारे देश के वैज्ञानिकों का इरादा और दृढ़ संकल्प यही दर्शाता है।

आदित्य L1 को लॉन्च करने का मकसद आखिर है क्या?

आदित्य एल-1 भारत का पहला सूर्य मिशन है। इसे लॉन्च करके भारत सौर वायुमंडल यानी क्रोमोस्फेयर और कोरोना की गतिशीलता का अध्ययन करना चाहता है। इसके साथ ही, वह कोरोना से बड़े पैमाने पर निकलने वाली ऊर्जा के रहस्यों से भी पर्दा उठाना चाहता है। इसके अलावा, आदित्य एल-1 के जरिए इसरो आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा की भौतिकी और अंतरिक्ष के मौसम की गतिशीलता के बारे में जानकारी इकट्ठा करना चाहता है। इसके साथ ही, वह सौर वातावरण से प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्रों के बड़े पैमाने पर विस्फोट का अध्ययन करना चाहता है।

क्या है मिशन का बजट?

 

आदित्य एल-1 करीब 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित सूर्य के रहस्यों से पर्दा उठाएगा। इसे लैंग्रेज बिंदु यानी एल-1 तक पहुंचने में 4 महीने लगेंगे। आदित्य एल-1 को लैंग्रेज बिंदु की पास की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। लैंग्रेज बिंदु का मतलब अंतरिक्ष में मौजूद उस प्वाइंट से होता है, जहां दो अंतरिक्ष निकायों जैसे सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण आकर्षण और प्रतिकर्षण का क्षेत्र उत्पन्न होता है। इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफ-लुइस लैंग्रेंज के नाम पर इसका नामकरण किया गया है। आदित्य एल-1 सात पेलोड लेकर अपनी मंजिल तक पहुंचेगा। इन पेलोड के जरिए इसरो को फोटो स्फेयर यानी प्रकाश मंडल, और क्रोमोस्फेयर यानी सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपर की सतह और कोरोना यानी सूर्य की सबसे बाहरी परत के अध्ययन में मदद मिलेगी। आदित्य एल-1 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-सी – 57 के जरिए लॉन्च किया जाएगा। इससे पहले चंद्रयान-3 को भी यहां से लॉन्च किया गया था। आदित्य एल-1 मिशन का बजट करीब 400 करोड़ रुपये हैं। आदित्य एल-1 को दिसंबर 2019 से बनाना शुरू किया गया था।

कहां से होगी मिशन सन की लैंडिंग-

 

चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को दोपहर दो बजकर 35 मिनट पर श्रीहरिकोटा स्थित स्पेस सेंटर से LVM-3 के जरिए लॉन्च किया गया था। यह 23 अगस्त को शाम 6 बजकर चार मिनट पर चांद की सतह पर लैंड किया। साथ ही भारत चौथा देश बन गया, जिसने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की हो। इसी के साथ भारत के नाम एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज हुई। भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। चंद्रयान-3 जहां चांद के रहस्यों से पर्दा उठाएगा, वहीं आदित्य एल-1 सूर्य के राज को दुनिया के सामने खोलेगा। सूर्य के उन रहस्यों से पर्दा उठेगा, जिससे दुनिया अब तक अनजान है। इसरो के मुताबिक, इस मिशन को सूर्य की तरफ लगभग 15 लाख किलोमीटर तक भेजा जाएगा. जिस जगह पर आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान जाएगा उसे एल-1.. यानी लाग्रेंज प्वाइंट वन कहते हैं. ये दूरी पृथ्वी और सूर्य की दूरी का महज 1 प्रतिशत है  

इन वजह से सूर्य को देखा जा सकता है-

 

धरती और सूर्य के बीच की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है. इस दूरी के बीच में कई ऐसे बिंदु हैं जहां से सूर्य को स्पष्ट देखा जाता है. धरती और सूर्य के बीच लैग्रेंज प्वाइंट ही वो जगह है जहां से सूर्य को बिना किसी ग्रहण या अवरोध के देखा जा सकता है. धरती और सूर्य के बीच पांच लैग्रेंज प्वाइंट है. इस पर किसी अंतरिक्ष यान का गुरुत्वाकर्षण सेंट्रिपेटल फोर्स के बराबर हो जाता है. जिसकी वजह से यहां कोई भी यान लंबे समय तक रुक कर शोध कर सकता है. इस जगह को ‘अंतरिक्ष का पार्किंग’ भी कहा जाता है, क्योंकि बेहद कम ईंधन के साथ इस जगह पर अंतरिक्ष यान को स्थिर किया जा सकता है. एल 1, एल 2 और एल 3 प्वाइंट स्थिर नहीं है. इसकी स्थिति बदलती रहती है. जबकि एल 4 और एल 5 स्थिर है और अपनी स्थिति नहीं बदलते हैं

आंध्र-प्रदेश के श्रीहरिकोटा से होगा लॉन्च-

 
आदित्य-एल-1 मिशन को इसरो के PSLV-XL रॉकेट में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा. शुरुआत में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की लोअर आर्बिट में रखा जाएगा इसके बाद इस कक्षा को कई राउंड में पृथ्वी की कक्षा से बाहर ले जाने के लायक बनाया जाएगा उसके बाद स्पेस क्राफ्ट में ऑनबोर्ड इग्निशन का उपयोग करके लैग्रेंज बिंदु (एल1) की ओर प्रक्षेपित कर दिया जाएगा

ये है आदित्य L1 मिशन का लक्ष्य-

 

सूर्य और उसके अस्तित्व के बारे में मानव मन की जिज्ञासाओं को शांत करने में इसरो इस मिशन पर 400 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है, वहीं अगर इस पर लगने वाले समय की बात करें तो आदित्य एल-1 को दिसंबर 2019 से बनाने पर काम चल रहा है. जो कि इसके प्रक्षेपण के बाद ही पूरा होगा. आदित्य-एल1 मिशन का लक्ष्य एल1 के पास की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है.. यह मिशन सात पेलोड लेकर जाएगा, जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर, क्रोमोस्फेयर और सूर्य की सबसे बाहरी परत पर रिसर्च करने में मदद करेंगे  

 

इसरो के अनुसार, एल1 रिसर्च मिशन में आदित्य-1 यह पता लगाएगा कि सूर्य की बाहरी सतह का तापमान लगभग दस लाख डिग्री तक कैसे पहुंच सकता है, जबकि सूर्य की सतह का तापमान 6000 डिग्री सेंटीग्रेड से थोड़ा अधिक रहता है. आदित्य-एल1 यूवी पेलोड का उपयोग करके कोरोना और सौर क्रोमोस्फीयर पर एक्स-रे पेलोड का उपयोग करके लपटों का अवलोकन कर सकता है. कण संसूचक और मैग्नेटो मीटर पेलोड आवेशित कणों और एल1 के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा तक पहुंचने वाले चुंबकीय क्षेत्र के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं

क्या है इन प्वाइंट्स का काम-
 

L-3 प्वाइंट सूर्य के पीछे के हिस्से में है. जबकि एल 1 और एल 2 प्वाइंट सूर्य के सीध में सामने हैं. एल 2 प्वाइंट पृथ्वी के पीछे के हिस्से में हैं, मतलब एल 2 प्वाइंट के सामने पृथ्वी और सूर्य दोनों आते हैं. यह प्वाइंट भी रिसर्च के लिहाज से काफी मुफीद माना जाता है, क्योंकि यह पृथ्वी के नजदीक है और यहां से संचार में काफी आसानी होती है. दरअसल इसरो उन सौर गतिविधियों की स्टडी करना चाहता है जो उसकी सतह से बाहर निकल कर अंतरिक्ष में फैल जाते हैं और कई बार धरती की तरफ भी आ जाते हैं, जैसे कोरोनल मास इजेक्शन, सोलर फ्लेयर्स, सौर तूफान आदि. इसलिए लाग्रेंज प्वाइंट 1  इस लिहाज से खास जगह है, क्योंकि सूर्य से निकलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन और सौर तूफान इसी रास्ते से होकर धरती की ओर जाते हैं

 
अगर भारत इस मिशन में कामयाब हुआ तो-
 

सूर्य के वातावरण से निकलकर अंतरिक्ष में फैलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन और सौर तूफानों में कई तरह के रेडियोएक्टिव तत्व होते हैं, जो पृथ्वी के लिहाज से नुकसानदेह होते हैं. सौर तूफान और कोरोनल मास इजेक्शन की वजह से पृथ्वी के बाहरी वायुमंडल में चक्कर काट रही सैटेलाइट में खराबी आ सकती है. इसके अलावा अगर कोरोनल मास इजेक्शन और सौर तूफान धरती के वातावरण में दाखिल हो जाए तब पृथ्वी पर शार्ट वेब कम्यूनिकेशन, मोबाइल सिग्नल, इलेक्ट्रिक पॉवर ग्रिड सिस्टम पूरी तरह से ठप पड़ जाएगा

अगर भारत इस मिशन में सक्सेज होता है तो भारत की स्पेस एजेंसी का लोहा पूरा विश्व मानेगा,, जैसा की उम्मीद भी है कि इसरो इस मुश्किल काम में जीत हासिल करेगा,,, सूर्य से मिलने वाली जानकारी से न केवल इसरो और भारत बल्कि पुरे विश्व को काफी फायदा पहुंचेगा, फिलहाल इसरो के इस मिशन की कामयाबी को लेकर सारा देश प्रार्थना कर रहा है