राज्य में विधानसभा उप चुनाव के लिए आज से नामांकन शुरू होने जा रहे हैं। 21 जून तक प्रत्याशी नामांकन कर सकते हैं। चुनाव आयोग ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है।
चुनाव आयोग के मुताबिक, शुक्रवार को बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा उप चुनाव की अधिसूचना जारी होगी। इसके साथ ही नामांकन पत्रों की बिक्री, नामांकन भी शुरू हो जाएगा जो 21 जून तक चलेगा। 24 जून तक नामांकन पत्रों की जांच होगी। जो प्रत्याशी नाम वापस लेना चाहेंगे, उनके लिए नाम वापसी की अंतिम तिथि 26 जून तक होगी।
दोनों विधानसभा सीट पर 10 जुलाई को मतदान होगा और 13 जुलाई को मतगणना होगी। मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया, विस उप चुनाव के लिए बदरीनाथ में 210 पोलिंग बूथ पर एक लाख दो हजार 145 मतदाता, 2,566 सर्विस मतदाता हैं। मंगलौर विधानसभा क्षेत्र में 132 पोलिंग बूथ और एक लाख 19 हजार 930 मतदाता व 255 सर्विस मतदाता होंगे।
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी बिहार में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। आप के राज्यसभा सांसद संजय कुमार सिंह ने स्पष्ट कहा है कि बिहार में हमारी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। आम आदमी पार्टी के चुनावी तैयारी शुरू कर दे। ताकि आगामी चुनाव के बाद अरविंद केजरीवाल द्वारा दिल्ली में दिए जा रहे गुड गवर्नेंस का लाभ बिहार को भी मिल सके।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को देंगे चुनौती- बताया जा रहा है कि इंडी गठबंधन की सहयोगी पार्टियों में से एक आम आदमी पार्टी बिहार में भी गठबंधन धर्म का पालन करेगी। इंडी गठबंधन में सीट बंटवारे के फॉर्मूला तय होने के बाद ही आप अपनी सीटों का खुलासा करेगी। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी बिहार विधानसभा में उतरती है तो सीधे तौर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को ही टक्कर देगी। खास तौर पर केजरीवाल सीएम नीतीश कुमार की पार्टी और पीएम मोदी की नेतृत्व वाली भाजपा को चुनौती देंगे।
पिछले साल पटना आए थे केजरीवाल-
आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पिछले साल 22 जून को पटना आए थे। केजरीवाल को सीएम नीतीश कुमार ने न्योता दिया था। उस वक्त सीएम नीतीश कुमार इंडी गठबंधन के साथ थे। केजरीवाल भी इंडी गठबंधन की मीटिंग में शामिल होने आए थे। हालांकि, उस वक्त उन्होंने बिहार विधानसभा के बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं थी। केवल लोकसभा पर फोकस करने की बात कही। अब उनकी पार्टी के सांसद संजय सिंह के बयान ने सियासी गलियारे में हलचल पैदा कर दी है। हालांकि, आम आदमी पार्टी इससे पहले भी बिहार विधानसभा चुनाव अपना भाग्य आजमा चुकी है। लेकिन, उसमें सफलता हाथ नहीं लगी थी।
कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की बैठक शनिवार को दिल्ली में है। इस बैठक में पार्टी के सभी नवनिर्वाचित सांसद राहुल गांधी से नेता विपक्ष पद स्वीकार करने की मांग करेंगे। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि इससे राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने होंगे और वे उन मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठा सकेंगे, जिनके आधार पर पार्टी ने इन चुनावों में बेहतर सफलता हासिल की है। राहुल गांधी लगातार पांच साल तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर रहेंगे, तो इससे आने वाले चुनाव में वे विपक्षी गठबंधन की तरफ से प्रधानमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार होंगे। इससे पार्टी को आगे के चुनावों में लाभ मिलेगा।
संविधान के अनुसार नेता विपक्ष आधिकारिक पद होता है। इसे कैबिनेट मंत्री के बराबर का दर्जा और उसे मिलने वाली सभी सुविधाएं हासिल होती हैं। नेता विपक्ष ईडी-सीबीआई के प्रमुख की नियुक्ति सहित कई महत्त्वपूर्ण समितियों में शामिल होता है। नेता विपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी लोकसभा के पटल से लेकर संसद के बाहर तक मजबूती के साथ अपनी बात रख सकेंगे और महत्त्वपूर्ण मुद्दों को उठा सकेंगे।
उत्तर-दक्षिण भारत का पार्टी में संतुलन-
साथ ही राहुल गांधी के नेता विपक्ष बनने से पार्टी में उत्तर और दक्षिण भारत का संतुलन बनाने में भी मदद मिलेगी। अभी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और महासचिव केसी वेणुगोपाल दक्षिण से हैं, जबकि उत्तर भारत से पार्टी का कोई बड़ा नेता पार्टी के बड़े पद पर मौजूद नहीं है। दिग्विजय सिंह, आनंद शर्मा जैसे उत्तर भारत के नेता चुनाव हार गए हैं, तो अशोक गहलोत जैसे नेता चुनाव में उतरे ही नहीं थे। इससे उत्तर भारत का पार्टी में प्रतिनिधित्व कमजोर पड़ गया है।
गांधी परिवार कांग्रेस में सबसे मजबूत हैं, लेकिन आधिकारिक तौर पर सोनिया गांधी या राहुल गांधी पार्टी के किसी आधिकारिक पद पर नहीं हैं, जबकि प्रियंका गांधी महासचिव हैं। चुनावों की दृष्टि से उत्तर भारत में पार्टी का मजबूत होना जरूरी है और इसको ध्यान में रखकर ही राहुल गांधी को नेता विपक्ष का पद स्वीकार करने का आग्रह किया जा रहा है।
कांग्रेस नेताओं के अनुसार, राहुल गांधी से यह आग्रह किया जा रहा है कि वे रायबरेली की सीट भी अपने पास रखें। इससे भी पार्टी को उत्तर भारत में मजबूत करने में मदद मिलेगी। इसके पहले चर्चा थी कि राहुल गांधी रायबरेली की सीट छोड़ेंगे और प्रियंका गांधी इस सीट पर चुनाव लड़कर परिवार की राजनीति को आगे बढ़ाएंगी।
गरीब, वंचित, बेरोजगारों की आवाज है राहुल गांधी- विश्व विजय सिंह-
उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेता विश्व विजय सिंह ने कहा कि राहुल गांधी इस समय देश की राजनीति में गरीबों, वंचितों, बेरोजगार युवाओं, आदिवासियों, अनुसूचित जातियों-जनजातियों और अल्पसंख्यकों की सबसे मजबूत आवाज बनकर उभरे हैं। कांग्रेस ने इन्हीं वर्गों के मुद्दों को उठाते हुए लोकसभा चुनाव लड़ा और सफलता हासिल की। ऐसे में यदि राहुल गांधी नेता विपक्ष की भूमिका में होंगे, तो वे संसद से लेकर सड़क तक सरकार पर लगातार इन वर्गों के लिए काम करने का दबाव बनाने में सफल होंगे। इससे कांग्रेस पार्टी को उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।
विश्व विजय सिंह ने कहा कि राहुल गांधी के नेता विपक्ष बनने से केवल कांग्रेस को ही लाभ नहीं मिलेगा। इंडिया गठबंधन के सभी सहयोगी दल कमोबेस इन्हीं वर्गों के मुद्दों पर चुनाव लड़ते रहे हैं। इसलिए यदि राहुल गांधी इन मुद्दों को उठाएंगे तो इससे गठबंधन के सभी सहयोगियों को भी लाभ होगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि इस बार एनडीए के 293 सीटों के मुकाबले इंडिया गठबंधन 234 सीटों तक पहुंचने में सफल रहा है, जो कि बहुमत के बहुत करीब है। उन्होंने दावा किया कि इन वर्गों की आवाज उठाकर हम अगली बार केंद्र में सरकार बनाने में सफल रहेंगे।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) संसदीय दल ने नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुना। भाजपा के वरिष्ठ भाजपा नेता राजनाथ सिंह ने लोकसभा में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और भाजपा के नेता के रूप में नरेंद्र मोदी के नाम का प्रस्ताव रखा। इसके बाद वरिष्ठ भाजपा नेता अमित शाह, नितिन गडकरी और राजद के साथी तेदेपा के चंद्रबाबू नायडू, जदयू के नीतीश कुमार, शिवसेना के एकनाथ शिंदे समेत अन्य नेताओं ने प्रस्ताव का समर्थन किया।
इस दौरान कार्यवाहक पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि जो साथ विजय होकर आए हैं, वो सभी अभिनंदन के अधिकारी हैं। जिन लाखों कार्यकर्ताओं ने दिन-रात परिश्रम किया है, उन लोगों ने न दिन देखा, न रात देखी। इतनी भयंकर गर्मी में हर दल के कार्यकर्ता ने जो पुरुषार्थ, परिश्रम किया है, मैं आज संविधान सदन से उन्हें सिर झुकाकर प्रणाम करता हूं। साथियों मेरा बहुत सौभाग्य है कि एनडीए के नेता के रूप में आप सब साथियों ने सर्वसम्मति से चुनकर मुझे नया दायित्व दिया है। इसके लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं।
सांसदों-सहयोगियों के लिए कहा, जितना धन्यवाद करूं, उतना कम है-PM
उन्होंने कहा, ”व्यक्तिगत जीवन में मुझे जवाबदारी का एहसास करता हूं। 2019 में जब आप सभी ने मुझे नेता के रूप में चुना था, तब मैंने एक बात पर बल दिया था- विश्वास। आज जब आप मुझे फिर से एक बार ये दायित्व दे रहे हैं तो इसका मतलब है कि हमारे बीच विश्वास का सेतु बहुत मजबूत है। अटूट रिश्ता विश्वास के मजबूत धरातल पर है। ये पल भावुक करने वाला भी है। आप सबके प्रति जितना धन्यवाद करूं, उतना कम है।”
एनडीए के लिए कहा- महान लोकतंत्र की ताकत देखिए- PM
पीएम मोदी ने कहा, ”बहुत कम लोग इन बातों की चर्चा करते हैं, उन्हें शायद सूट नहीं करता होगा। इतने महान लोकतंत्र की ताकत देखिए। एनडीए को आज देश के 22 राज्यों में लोगों ने सरकार बनवाकर सेवा का मौका दिया है। हमारा गठबंधन सच्चे अर्थ में भारत की असली आत्मा, भारत की जड़ों में जो रचा-बसा है, उसका प्रतिबिंब है। हमारे देश में 10 ऐसे राज्य हैं, जहां आदिवासी बंधुओं की संख्या प्रभावी रूप से है, निर्णायक रूप से है। जहां आदिवासियों की आबादी ज्यादा है, ऐसे 10 राज्यों में से सात में एनडीए सेवा कर रहा है। हम सर्वधर्म समभाव वाले संविधान को समर्पित हैं। गोवा हो, पूर्वोत्तर हो, जहां बहुत बड़ी मात्रा में ईसाई भाई-बहन रहते हैं, उन राज्यों में भी एनडीए के रूप में हमें सेवा का अवसर मिला है।”
‘देश चलाने के लिए सर्वमत बहुत जरूरी’- PM
पीएम मोदी ने कहा, ”हिंदुस्तान के राजनीतिक इतिहास में और गठबंधन की राजनीति के इतिहास में चुनाव पूर्व गठबंधन इतना कभी मजबूत नहीं हुआ, जितना एनडीए हुआ है। यह गठबंधन की जीत है। हमने बहुमत हासिल किया है। मैं कई बार कह चुका हूं। सरकार चलाने के लिए बहुमत आवश्यक है, लोकतंत्र का वही एक सिद्धांत है। देश चलाने के लिए सर्वमत बहुत जरूरी होता है। मैं आज देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि आपने जिस तरह बहुमत देकर सरकार चलाने का सौभाग्य दिया है, हम सभी का दायित्व है कि सर्वमत का सम्मान कर देश को आगे ले जाने की कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। एनडीए को करीब-करीब तीन दशक हो चुके हैं। आजादी के 75 साल में तीन दशक एनडीए का होना सामान्य घटना नहीं है। विविधता के बीच तीन दशक की यह यात्रा बहुत बड़ी मजबूती का संदेश देती है। आज गर्व के साथ कहता हूं कि एक समय संगठन के कार्यकर्ता के रूप में मैं इस गठबंधन का हिस्सा था और आज सदन में बैठकर आपके साथ काम करते-करते मेरा भी नाता इससे तीस सालों का हो गया है। मैं कह सकता हूं कि यह सबसे सफल गठबंधन है। पांच साल का कार्यकाल होता है, लेकिन इस गठबंधन ने तीस साल में से पांच-पांच साल के तीन कार्यकाल पूरे किए हैं और गठबंधन चौथे कार्यकाल में प्रवेश कर रहा है।”
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए को लोकसभा चुनाव में 293 सीटें मिली है। नरेंद्र मोदी को एनडीए का नेता चुना गया। सभी घटक दलों ने अपने समर्थन का पत्र सौंप दिया है। अब मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। हालांकि उनके शपथ ग्रहण समारोह की तारीख को लेकर अभी तक संशय बना हुआ है। बताया जा रहा है कि शपथ ग्रहण समारोह की तारीख में बदलाव कर दिया गया है। अब मोदी 9 जून को तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह को भव्य बनाने की तैयारियां तेजी से शुरू हो चुकी हैं।
राष्ट्रपति को सौंपा था त्यागपत्र-
मोदी ने शपथ ग्रहण समारोह से पहले बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना त्यागपत्र सौंप दिया था। राष्ट्रपति ने नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रियों के त्यागपत्र को स्वीकार कर लिया और साथ ही नए सरकार के गठन तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहने का आग्रह किया।
21 नेताओं ने हस्ताक्षर करके मोदी को गठबंधन का नेता स्वीकार किया-
एक दिन पहले ही एनडीए ने सर्वसम्मति से नरेंद्र मोदी को अपना नेता मान लिया है। नई दिल्ली में बुधवार को हुई बैठक में एनडीए के 21 नेताओं ने एक पत्र पर हस्ताक्षर करके मोदी को अपना नेता स्वीकार किया। जिससे नरेंद्र मोदी के एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। बैठक में सभी नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को पिछले 10 सालों में उनके कार्यकाल और देश में विकास कार्यों के लिए उन्हें बधाई भी दी है।
भारत निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को लोकसभा 2024 के चुनाव परिणाम का एलान किया थे। इसमें भाजपा को सबसे ज्यादा 240 सीटें और इसके बाद दूसरे नंबर पर 99 सीटों के साथ कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही। हालांकि पिछली बार की अपेक्षा इस बार के चुनाव में भाजपा को 32 सीटों का नुकसान हुआ है। 2014 के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिली।
लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद भाजपा के नेतृत्व वाले NDA ने सरकार बनाने की कवायद तेज कर दी है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत सभी नवनिर्वाचित सांसदों को अब दिल्ली तलब किया गया है। इस बीच अटकलें लगाई जा रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई कैबिनेट में शिवराज चौहान को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है। जेपी नड्डा का कार्यकाल भी 30 जून को खत्म होने वाला है। इस वजह से शिवराज को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की अटकलें भी तेज हो गई हैं।
भले ही भाजपा को अपने दम पर बहुमत न मिला हो, भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को स्पष्ट बहुमत मिल चुका है। इस वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार एनडीए सरकार बनने का रास्ता भी साफ हो गया है। सरकार बनाने की तैयारियों के बीच भाजपा ने अपने सभी नवनिर्वाचित सांसदों को दिल्ली तलब किया है।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी दिल्ली के लिए रवाना होने वाले हैं। खबरें यह भी आ रही हैं कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और खजुराहो से सांसद वीडी शर्मा भी दिल्ली पहुंच रहे हैं। दिल्ली में शुक्रवार को भाजपा संसदीय दल की बैठक होनी है। इससे पहले भाजपा की गुरुवार को बैठक प्रस्तावित है। इसमें मध्य प्रदेश से चौहान, डॉ. यादव समेत बड़े नेता शामिल होने वाले हैं। मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की है। 1984 के बाद पहला मौका है जब मध्य प्रदेश में किसी एक पार्टी ने लोकसभा की सभी सीटों पर जीत हासिल की है।
कांग्रेसियों की मांगः शिवराज को बनाया जाए पीएम-
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 8.21 लाख वोट से जीत दर्ज की है। वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत 1.52 लाख मतों से हुई है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मीडिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ज्यादा शिवराज सिंह चौहान छाए हुए है। शिवराज ओबीसी हैं, मोदी से आठ साल युवा हैं। खाटी संघी हैं। मोदी सिर्फ 1.5 लाख से चुनाव जीते, जबकि शिवराज 8.21 लाख से जीते हैं। दिल्ली का मौसम बदल रहा है। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने भी लिखा कि शिवराज सिंह चौहान परिपक्व नेता हैं। विधानसभा चुनाव की जीत का भी कारण रहे थे। आरएसएस के प्रिय हैं। कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में 66 और लोकसभा चुनाव में 0 करने के मुख्य किरदार हैं। पूर्व सांसद उदित राज ने लिखा कि देशहित में राहुल गांधी जी या मल्लिकार्जुन खरगे जी को पीएम बनना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो पाता तो अखिलेश यादव या चंद्रबाबू नायडू या नीतीश कुमार को पीएम बनना चाहिए। भाजपा का पीएम नहीं होना चाहिए। अगर होता है तो नितिन गडकरी या शिवराज सिंह चौहान बनें।
शिवराज की संगठन या सत्ता में बड़ी भूमिका तय –
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान छठी बार विदिशा से लोकसभा का चुनाव जीते हैं। वह सात बार विधायक और प्रदेश के चार बार मुख्यमंत्री रहे हैं। मध्य प्रदेश में भाजपा को सभी 29 पर जीत मिली है। इसका एक कारण शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते शुरू हुई लाडली बहना को भी बताया जा रहा है।
नड्डा का कार्यकाल 30 जून तक –
जेपी नड्डा 2012 में राज्यसभा के सदस्य बने थे। 2014 में जब अमित शाह ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाला तो नड्डा को संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया था। 2019 में अमित शाह गृहमंत्री बने तो नड्डा को भाजपा का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। 2020 में उन्हें फुलटाइम अध्यक्ष चुना गया। वैसे, भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है और किसी भी अध्यक्ष को लगातार दो कार्यकाल ही मिल सकते हैं। नड्डा का कार्यकाल पहले ही खत्म हो चुका है। लोकसभा चुनावों को देखते हुए जून 2024 तक उनका कार्यकाल बढ़ाया गया था। इसका मतलब है कि जून के अंत से पहले ही भाजपा के नए अध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा।
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में अब तक 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की 93 सीटों पर मंगलवार को औसतन 64.58 फीसदी मतदान हुआ है। असम में सबसे अधिक 81.71 फीसदी और उत्तर प्रदेश में सबसे कम 57.34 फीसदी मत पड़े हैं। पश्चिम बंगाल में भी मतदान शांतिपूर्ण रहा है। मतदान प्रतिशत में अभी बदलाव की उम्मीद है क्योंकि चुनाव आयोग की तरफ से अंतिम आंकड़े नहीं जारी किए गए हैं।तीसरे चरण में 280 सीटों पर मतदान के साथ ही लोकसभा की आधी से अधिक सीटों पर चुनाव पूरा हो गया।
ईवीएम से साफ़ होंगी दिग्गजों की तस्वीरें-
इस चरण में गृह मंत्री अमित शाह समेत कई केंद्रीय मंत्रियों की किस्मत ईवीएम से साफ़ होंगी। अमित शाह गांधीनगर से चुनावी मैदान में हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना, मनसुख मांडविया पोरबंदर, पुरुषोत्तम रुपाला राजकोट, प्रहलाद जोशी धारवाड़ और एसपी सिंह बघेल आगरा से मैदान में हैं। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज चौहान विदिशा, दिग्विजय सिंह राजगढ़, एनसीपी नेता सुप्रिया सुले बारामती से प्रत्याशी हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर में किया मतदान-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर में व गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को अहमदाबाद में वोट डाला। कर्नाटक में सबसे पहले वोट डालने वालों में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी व राज्य के मंत्री प्रियांक खरगे प्रमुख रहे। महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बारामती से एनडीए प्रत्याशी अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार के साथ मतदान किया। एनसीपी के दूसरे धड़े के अध्यक्ष शरद पवार ने भी बारामती के मालेगांव में वोट दिया। असम में सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने पत्नी रिनिकी भुइयां व बेटी सुकन्या के साथ बारपेटा सीट के अमीन गांव में वोट डाला।
बैतूल में मतदान दल को वापस ला रही बस आग में जलकर खाक-
तीसरे चरण का मतदान पूरा होने के बाद बैतूल में छह मतदान केंद्रों से मतदान सामग्री और कर्मचारियों को लेकर लौट रही बस में मंगलवार रात आग लग गई। आग में बस पूरी तरह खाक हो गई। हादसे में सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं। मतदान सामग्री को आंशिक नुकसान होने की खबर है। हालांकि, अभी मतदान सामग्री को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। चुनाव कर्मचारियों और ईवीएम को लाने के लिए दूसरी बस मौके पर बुलवाई गई। हादसा साईंखेड़ा थानाक्षेत्र के बिसनूर और पौनी गौला गांवों के बीच हुआ। बस का ड्राइवर जलती बस से कूद गया था, जबकि कर्मचारियों ने मुश्किल से जान बचाई। सूचना मिलते ही बैतूल से अधिकारी और पुलिस मौके पर पहुंची। बैतूल, मुलताई और आठनेर से फायर ब्रिगेड बुलाकर आग पर काबू किया गया।
कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता रहीं राधिका खेड़ा भाजपा में शामिल हो गयी हैं। राधिका खेड़ा ने दो दिन पहले ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया था। राधिका ने कांग्रेस पर अपने साथ छत्तीसगढ़ में दुर्व्यवहार करने और साजिश रचने का आरोप लगाया था।
कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होने के बाद राधिका खेड़ा ने कहा कि राम भक्त होने के नाते रामलला के दर्शन करने पर कौशल्या माता की धरती पर मेरे साथ दुर्व्यवहार किया गया। खेड़ा ने कहा कि मुझे भाजपा सरकार, मोदी सरकार का संरक्षण नहीं मिला था। आज की कांग्रेस महात्मा गांधी की कांग्रेस नहीं है, यह राम विरोधी, हिंदू विरोधी कांग्रेस है।
इससे पहले राधिका खेड़ा ने कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद कहा था कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस के संचार विभाग के चेयरमैन सुशील आनंद शुक्ला ने अपने दो साथियों के साथ रायपुर के पार्टी ऑफिस में उनके साथ अभद्रता करने की कोशिश की। जब उन्होंने इसके बारे में पार्टी के शीर्ष नेताओं को जानकारी दी, तब आरोपी नेताओं के ऊपर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। यहां तक कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और जयराम रमेश तक सबको इस आपत्तिजनक घटना के बारे में बताया गया, लेकिन आरोपी नेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद हताश होकर उन्होंने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया।
राधिका खेड़ा ने कहा था कि घटना 30 अप्रैल की है। शाम को लगभग छह बज रहे थे। मैं पार्टी ऑफिस में कुछ काम कर रही थी। उसी समय छत्तीसगढ़ कांग्रेस का प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला अपने दो साथियों – नितिन भंसाली और सुरेंद्र वर्मा – के साथ कमरे में आया। ये दोनों लोग भी छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रवक्ता हैं। इसके एक साथी ने कमरा पीछे से बंद कर लिया। कमरा किसने बंद किया, यह मैं नहीं देख पाई, लेकिन कमरा बंद होने की आवाज सुनते ही मैंने अपना फोन निकाल लिया और कैमरा चालू कर दिया। मैंने चिल्लाना शुरू कर दिया। इसके बाद बाहर निकलकर मैंने इस घटना की जानकारी सबको दी। लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। जब इस घटना के छह दिन बीत जाने के बाद भी ऐसे अपराधियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, मैंने कांग्रेस छोड़ने का फैसला कर लिया।
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में अपनी दो प्रतिष्ठित सीटों- अमेठी और रायबरेली के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इसके साथ पार्टी की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के चुनावी पदार्पण की अटकलों पर भी प्रभावी रूप से विराम लग गया है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिरकार प्रियंका गांधी वाड्रा ने चुनाव से अपने कदम पीछे क्यों हटा लिए ? वो भी तब जब उनकी चुनाव लड़ने की मांग की जा रही थी और उनके पास रायबरेली जैसी मजबूत सीट थी जहां से वो शायद आसानी से चुनाव जीत सकती थी इसके बावजूद प्रियंका गाँधी का चुनाव न लड़ना पार्टी की समझ से परे है आज के समय जब टिकट पाने के लिए नेता अपने सगे संबंधियों के खिलाफ हो जा रहे हैं।
प्रियंका गांधी के चुनाव न लड़ने की वजह-
प्रियंका गांधी के चुनाव नहीं लड़ने की 2 बड़ी वजह मानी जा रही है. सोनिया गांधी के राजस्थान से राज्यसभा सदस्य चुने जाने के बाद से रायबरेली में कांग्रेस प्रत्याशी की तलाश शुरू हो गई थी पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रियंका गांधी से अमेठी या रायबरेली से चुनाव लड़ने का अनुरोध किया था लेकिन तब उन्होंने इनकार कर दिया था बाद में प्रियंका गांधी की टीम ने उन्हें रायबरेली, प्रयागराज, फूलपुर और वाराणसी का सर्वे कराया और इसकी रिपोर्ट उन्हें सौंपी गई. तब प्रियंका गांधी ने रायबरेली से चुनाव लड़ने में रुचि दिखा रही थीं वह रायबरेली से चुनाव लड़ना चाहती थीं लेकिन इसी बीच राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू हो गई पार्टी के नेताओं ने प्रियंका के बजाय राहुल गांधी का नाम रायबरेली के लिए आगे बढ़ा दिया।
इस पर प्रियंका ने चुप्पी साध ली और वह धीरे-धीरे यूपी चुनाव से दूर होती चली गई. इसकी वजह साफ थी कि प्रियंका गांधी नहीं चाहती थीं उनके और भाई राहुल गांधी के बीच कोई सियासी टकराव हो ऐसे में उन्होंने अपनी टीम से कहा कि चुनाव तो कभी भी लड़ लेंगे।
प्रियंका गाँधी के चुनाव न लड़ने की दूसरी वजह-
प्रियंका गाँधी की चुनाव लड़ने से इंकार की दूसरी वजह वंशवाद के आरोप हैं जो अक्सर पीएम मोदी और भाजपा लगाती रहती है प्रियंका का मानना था कि उनकी और उनके भाई राहुल गांधी की जीत से गांधी परिवार के तीन सदस्य संसद में पहुंच जाएंगे उनकी मां सोनिया गांधी अब राज्यसभा में हैं उन्होंने तर्क दिया कि इससे भाजपा के वंशवादी राजनीति के आरोप को बल मिलेगा। प्रियंका गांधी वाड्रा बड़े पैमाने पर प्रचार कर रही हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ग्रैंड ओल्ड पार्टी पर ‘मंगलसूत्र’ आरोप के बाद कांग्रेस के जवाबी हमले का चेहरा रही हैं. कई लोगों का मानना है कि अगर वह चुनाव लड़ती तो कांग्रेस को उनकी स्टार पावर से फायदा हो सकता था।
प्रियंका गाँधी का ये फैसला भले ही पार्टी को नुकसान पहुंचा दे पर उनका ये फैसला दोनों भाई बहनो के जुड़ाव को भी दर्शाता है इस फैसले से ये भी प्रतीत होता है कि सत्ता से पहले प्रियंका अपने रिश्तों को तवज्जो देती हैं. कई मंचों पर दोनों भाई बहनों का प्रेम जनता के सामने भी दिखा है. हालाँकि अब भी प्रियंका के संसद पहुंचने की काफी संम्भावना है अगर राहुल गांधी वायनाड और रायबरेली दोनों सीट से चुनाव जीतते हैं तो उनको भी एक सीट खाली करनी पड़ेगी ऐसे में प्रियंका के लिए रायबरेली सीट राहुल छोड़ सकते हैं जहां से उपचुनाव जीतकर प्रियंका सदन में पहुंच सकती है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा, कम मतदान और इसके बहिष्कार के मामलों का सरकार ने संज्ञान लिया है। उन्होंने यह बात भाजपा प्रदेश कार्यालय में मीडिया से वार्ता के दौरान कही। दावा किया कि कुल मतदान का 75 प्रतिशत मत भाजपा के पक्ष में हुआ। कम मतदान की एक वजह उन्होंने कांग्रेस की निराशा को बताया।
कहा, प्रतिस्पर्धा के अभाव में विपक्ष के समर्थक मतदान से दूर रहे। चुनाव के बाद पहली बार पार्टी मुख्यालय में मीडिया से मुखातिब भट्ट ने कहा, देवभूमि ने दिल खोलकर मोदी के लिए मतदान किया है। हमेशा सक्रिय रहने वाले भाजपा के बूथ अध्यक्ष, पन्ना प्रमुख एवं शक्ति केंद्रों ने बेहतर कार्य करते हुए मतदाताओं को बूथ तक पहुंचाने के लिए कार्य किया है। सभी पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं ने दिए गए दायित्व को जिम्मेदारी के साथ निभाया।
भट्ट ने कहा, वोट न देना किसी समस्या का समाधान नहीं है, क्योंकि इनमें अधिकतर जगह पर्यावरण, कानूनी, जियोग्राफिक एवं तकनीकी कारणों से सड़क एवं विकास कार्यों में गतिरोध आया है। सीएम ने इसका संज्ञान लिया है, जल्द ही समस्याओं का समाधान किया जाएगा। कम मतदान को उन्होंने प्रतिस्पर्धा का अभाव बताया। कहा, विपक्ष विशेषकर कांग्रेस ने चुनाव से पहले ही हार मान ली। कहा, इससे राज्य में प्रतिस्पर्धा का अभाव दिखाई दिया। यही वजह है कि लोग मतदान के लिए थोड़ा कम निकले।
विपक्ष के बस्ते तक नहीं दिखे-
मतदान केंद्रों के पास बड़ी संख्या में विपक्ष के बस्ते तक नहीं दिखे। कम मतदान का सबसे बड़ा कारण कांग्रेस समर्थकों की उदासीनता रही है। इस मौके पर प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी, विधायक विनोद चमोली, प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान, सह प्रभारी राजेंद्र नेगी, प्रदेश प्रवक्ता कमलेश रमन आदि मौजूद रहे।
‘हारी हुई 23 विस सीटों में मत प्रतिशत बढ़ा’-
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, जहां-जहां प्रतिस्पर्धा नजर आई वहां वोट प्रतिशत बढ़ा। विधानसभा चुनाव में हारी हुई 23 सीटों पर प्रतिस्पर्धा नजर आई यही वजह रही यहां मत प्रतिशत अधिक रहा।
चुनाव आयोग को भी नए उपायों पर करना होगा विचार-
भट्ट ने कहा, भविष्य में मत प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग के साथ सभी पार्टियों को प्रयास करना चाहिए। हमें मतदाताओं को जागरूक करना चाहिए। चुनाव आयोग को भी अपनी पद्धति में बदलाव की जरूरत है। बताया, उनके गांव में 334 में से 134 मतदाता थे, लेकिन उन सबके वोट देहरादून के बने हैं। वहीं, मतदान वाले दिन दो सौ से अधिक विवाह थे, इसके अलावा लगातार तीन दिन छुट्टियां थी।