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Kedarnath By Election Result 2024: भाजपा को मिला बाबा केदार का आशीर्वाद, 5623 वोटों से की जीत दर्ज, केदारनाथ में खिला कमल.

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विधानसभा की केदारनाथ सीट के उपचुनाव में बाजी भाजपा के हाथ लग चुकी है। भाजपा प्रत्‍याशी आशा नौटियाल ने कांग्रेस प्रत्‍याशी मनोज रातव को हराकर जीत दर्ज की है। भाजपा प्रत्‍याशी आशा नौटियाल को 23814 वोट‍ मिले। वहीं कांग्रेस प्रत्‍याशी मनोज रावत को 18191 मत प्राप्‍त हुए हैं। भाजपा ने 5623 वोटों से जीत दर्ज की है।

90 हजार से अधिक मतदाता वाली केदारनाथ विधानसभा की जनता ने शनिवार को अपना जनादेश दिया। जनता ने भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल को अपना विधायक चुना है। इसी के साथ केदारनाथ विधानसभा में महिला प्रत्याशी की जीत का मिथक भी भाजपा ने दोहराया।
पिछले करीब तीन महीने से उपचुनाव की तैयारी में जुटे सियासी दलों की तैयारियों और प्रत्याशियों और उनके समर्थकों के लगातार 17 दिन तक किए धुआंधार प्रचार का फल जनता ने भाजपा की झोली में डाला। अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए भाजपा ने कई कसर नहीं छोड़ी। वहींकेदारनाथ उपचुनाव के दौरान कांग्रेस ने नई दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के शिलान्यास को मुद्दा बनाने पर पूरा जोर दिया। लेकिन केदारनाथ मंदिर के चक्रव्यूह में कांग्रेस खुद ही फंस गई और पार नहीं पा पाई। 

तीन महीने पहले चुनावी प्रबंधन के रणनीतिकारों को मैदान में उतारा-
उपचुनाव का विधिवत एलान से तकरीबन तीन महीने पहले चुनावी प्रबंधन के रणनीतिकारों को मैदान में उतार दिया था। युवा मंत्री सौरभ बहुगुणा और प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी संग विधायक भरत चौधरी का वहां प्रचार थमने तक अधिकतम समय गुजरा है।

महिला प्रत्याशी पर लगाया दांव-
महिला मतदाता बहुल सीट पर दो बार की विधायक रही महिला चेहरे आशा नौटियाल पर लगाया गया दांव भाजपा का मजबूत पक्ष बना। भाजपा को उम्मीद थी कि  महिला प्रत्याशी पर लगाया गया दांव सही साबित होगा और महिला उम्मीदवार की जीत का मिथक दोहराएगा।

ये प्रत्याशी थे मैदान में-

उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने आशा नौटियाल, कांग्रेस ने मनोज रावत और उत्तराखंड क्रांति दल ने डा. आशुतोष भंडारी को मैदान में उतारा है। तीन अन्य उम्मीदवार आरपी सिंह, त्रिभुवन सिंह चौहान और प्रदीप रोशन रुड़िया निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।

Maharashtra Election Result: महाराष्ट्र में किसके सिर सजेगा ताज ? क्या फडणवीस बनेंगे अगले CM या फिर शिंदे के सिर ही रहेगा ताज?

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Maharashtra Election Result 2024 महाराष्ट्र के चुनावी दंगल में भाजपा नीत महायुति गठबंधन की बंपर जीत होती दिख रही है। महायुति महाराष्ट्र विधानसभा की कुल 288 सीटों में से 223 पर आगे चल रही है। वहीं, एमवीए को बड़ी हार मिलती दिख रही है।
इस बीच चुनावी नतीजों के बाद सबसे बड़ा सवाल अब ये है कि महाराष्ट्र की सत्ता कौन संभालेगा। क्या एकनाथ शिंदे ही सीएम बनेंगे या देवेंद्र फडणवीस के सिर ये ताज सजेगा।

फडणवीस का पलड़ा भारी

सीएम की रेस में देवेंद्र फडणवीस का पलड़ा भारी दिख रहा है। दरअसल, महाराष्ट्र में भाजपा 145 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और वो 127 सीटों पर आगे चल रही है। भाजपा का जीत का स्ट्राइक रेट सबसे ज्यादा है। वहीं, एकनाथ शिंदे की शिवसेना 81 सीटों पर लड़कर 53 सीटों पर आगे चल रही है।

जीत के अंतर को देखते हुए फडणवीस का पलड़ा भारी दिख रहा है, क्योंकि वो भाजपा के सबसे बड़े चेहरे हैं।

शिंदे को भी मिल सकता है इनाम-

भाजपा ने पिछली बार फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाकर चौंकाया था, हालांकि देवेंद्र खुद सरकार में शामिल नहीं होना चाहते थे, लेकिन आलाकमान के दबाव के बाद उन्होंने अपना फैसला पलटा था।

वहीं, एकनाथ शिंदे को भी सीएम बनने की रेस में पीछे नहीं माना जा सकता है। दरअसल, शिंदे ने ऐसे समय में भाजपा का साथ दिया था, जब उन्हें सबसे ज्यादा जरूरत थी। शिंदे ने शिवसेना को तोड़कर उद्धव ठाकरे को सबसे बड़ा झटका दिया था। इसी कारण भाजपा उन्हें इनाम दे सकती है।

वहीं, महायुति की एकता को बनाए रखने के लिए भी भाजपा शिंदे को ही दौबारा सीएम बना सकती है। भाजपा नहीं चाहती कि कोई बगावत करे।

CM पद पर फडणवीस का बयान, बोले- उम्मीद से बड़ी जीत

महाराष्ट्र में बड़ी जीत की ओर बढ़ रही महायुति को लेकर फडणवीस का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि ये उम्मीद से बड़ी जीत है। हम अब मिलकर अगले सीएम का फैसला करेंगे। वहीं, देवेंद्र फडणवीस के करीबी नेता प्रवीन दरेकर ने कहा है कि अगले मुख्यमंत्री ही देवेंद्र फडणवीस हो सकते हैं।

Maharashtra Result: महाराष्ट्र में लाडकी बहीण योजना ने कैसे बदला खेल, जानिए लोकसभा के बाद महायुति ने कैसे पलटी बाजी?

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आज आ रहे हैं। शुरुआती दौर में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति नतीजों में बहुत आगे दिख रही है तो महाविकस अघाड़ी काफी पीछे है। एमवीए में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शपा) जैसे दल शामिल हैं। चुनाव से पहले महायुति सरकार ने महिलाओं के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री- माझी लाडकी बहीण योजना को ‘गेमचेंजर’ बताया था और इसे पूरे प्रचार में एक अहम मुद्दा बनाया था। यह योजना महायुति और एमवीए के लिए इस लिहाज से भी अहम रही कि दोनों ने इस योजना को अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल किया। सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने महाराष्ट्र के नतीजों के पीछे लाडकी बहीण योजना को बताया है।

क्या है माझी लाडकी बहीण योजना जो बनी ‘गेमचेंजर’?
महाराष्ट्र सरकार ने 28 जून 2024 को ‘मुख्यमंत्री माझी लड़की बहीण’ योजना शुरू करने को मंजूरी दी थी। इस योजना के जरिए महाराष्ट्र में 21 से 65 साल की पात्र महिलाओं को 1,500 रुपये की आर्थिक मदद दी जा रही है। इस योजना का लाभ सीधे डीबीटी द्वारा महिलाओं को उनके खाते में दिया जा रहा है। सरकार का कहना है कि राज्य में महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता, उनके स्वास्थ्य और पोषण में सुधार और परिवार में उनकी अहम भूमिका को मजबूत करने के लिए यह योजना शुरू की गई थी।
किन महिलाओं को योजना का लाभ मिला?
1. लाभार्थी महाराष्ट्र राज्य का निवासी होना चाहिए।
2. राज्य में विवाहित, विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्ता एवं निराश्रित महिलाएं और परिवार में केवल एक अविवाहित महिला।
3. न्यूनतम आयु 21 वर्ष और अधिकतम आयु 65 वर्ष पूरी होने तक।
4. लाभार्थी के पास आधार लिंक के साथ अपना बैंक खाता होना चाहिए।
5. लाभार्थी परिवार की वार्षिक आय रु. 2.50 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए।

इस योजना की कितनी महिलाएं लाभार्थी बनीं?
माझी लाडकी बहीण योजना के पोर्टल पर मौजूद जानकारी के अनुसार इस योजना के लिए कुल 1.12 करोड़ प्राप्त आवेदन मिले थे। वहीं पोर्टल पर स्वीकृत आवेदनों की कुल संख्या 1.06 करोड़ है। वहीं, महाराष्ट्र की महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने बताया कि मुख्यमंत्री माझी लड़की बहीण योजना का उद्देश्य 2.34 करोड़ पात्र महिलाओं को आर्थिक लाभ देना है।

रक्षा बंधन पर शुरू की गई इस योजना को सरकार द्वारा महाराष्ट्र के अनुपूरक बजट में शामिल किया गया है। इस योजना के लिए राज्य के खजाने से सालाना 46,000 करोड़ रुपये के आवंटन की आवश्यकता होगी। महाराष्ट्र सरकार ने योजना के तहत दिवाली बोनस 2024 की घोषणा भी की थी। पात्र महिलाओं को लाडकी बहीण योजना दिवाली बोनस 2024 पहल के जरिए चौथी और पांचवीं किस्त के भुगतान में 3,000 रुपये सीधे उनके बैंक खातों में जमा किए गए थे।

चुनाव में लाडकी बहीण योजना कैसे मुद्दा बनी?
सत्ताधारी महायुति ने अपने पूरे प्रचार के दौरान लाडकी बहीण योजना को चुनावी मुद्दा बनाकर इसका प्रचार किया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने चुनावी अभियान में कहा कि यह योजना चुनाव में सरकार के लिए गेमचेंजर साबित होगी। वहीं विधानसभा चुनाव के लिए जारी घोषणा पत्र में महायुति ने लाडकी बहना योजना के तहत महिलाओं को हर माह 2,100 रुपये देने का वादे किया था। वहीं महाविकास अघाड़ी (एमवीए) ने भी अपने चुनावी घोषणा पत्र ‘महाराष्ट्रनामा’ में मुख्यत: पांच गारंटियों पर केंद्रित किया था। इस घोषणा पत्र में महिलाओं को हर माह 3,000 रुपये देने का वादा किया गया था।

महाराष्ट्र में बुधवार को विधानसभा चुनाव 2024 के लिए मतदान कराया गया था। राज्य के 36 जिलों की सभी 288 सीटों पर वोटिंग हुई जहां कई जिलों के मतदाताओं में जबरदस्त रुझान दिखा। आंकड़े के अनुसार राज्य में कुल 66.05% मतदान दर्ज किया गया। महाराष्ट्र के इस चुनाव में 9.70 करोड़ से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए पात्र थे। इनमें से 5.00 करोड़ पुरुष, 4.69 करोड़ महिलाएं और 6,101 थर्ड जेंडर मतदाता थे। 2019 में महाराष्ट्र में कुल 61.44% वोटिंग दर्ज की गई थी। इस तरह से राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव में मुकाबले 4.61% ज्यादा वोटिंग हुई।

महाराष्ट्र में इस विधानसभा चुनाव में कुल मतदान में लगभग 4.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, लेकिन इस वृद्धि में महिलाओं का योगदान अहम है। 2019 के चुनावों में महिला मतदाताओं का मतदान प्रतिशत 59.26 प्रतिशत से बढ़कर इस साल 65.21 प्रतिशत हो गया है। यानी 5.95 प्रतिशत अंकों की वृद्धि हुई है। मुंबई, इसके उपनगरों और इसके आस-पास के जिलों में भी महिला मतदाताओं की संख्या में काफी वृद्धि देखी गई। इसमें ठाणे जिले में 11 प्रतिशत अंकों की वृद्धि देखी गई, इसके बाद आदिवासी जिले पालघर में नौ प्रतिशत अंकों की वृद्धि हुई और मुंबई महानगर क्षेत्र में 2019 के चुनावों की तुलना में कम से कम सात प्रतिशत अंकों की वृद्धि हुई।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने विधानसभा चुनावों के दौरान मतदान में हुई वृद्धि का श्रेय ‘सत्ता समर्थक भावना’ को दिया। उन्होंने दावा किया, ‘प्रारंभिक फीडबैक से पता चलता है कि मतदाताओं, विशेषकर महिलाओं के बीच मतदान प्रतिशत में वृद्धि हुई है। हमें जानकारी मिली है कि लाडकी बहीण योजना के कारण हमारे लिए वोट करने वाली महिलाओं का प्रतिशत बढ़ा है।’

Kedarnath Assembly By Election: केदारघाटी की जनता ने आशा नौटियाल पर दिखाया विश्वास, जानिए यहां पर कब से है महिला प्रत्याशी की जीत का मिथक बरकरार.

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हॉट सीट केदारनाथ विधानसभा में महिला प्रत्याशी की जीत का मिथक भाजपा ने दोहराया है। धुआंधार प्रचार का फल भाजपा को मिला और केदारघाटी की जनता ने आशा पर उम्मीद जताई। केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व विधायक आशा नौटियाल को प्रत्याशी बनाया। वर्ष 2017 के बाद वह एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरीं।

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में वह केदारनाथ विस की पहली विधायक चुनी गईं, तब वह भाजपा से प्रत्याशी थीं। वर्ष 2007 में भी उन्हें क्षेत्रीय जनता ने अपना विधायक चुना था। इसके बाद दो बार चुनाव में उन्हें पराजय मिली। ऊखीमठ विकासखंड के दिलमी गांव निवासी आशा नौटियाल एक सामान्य परिवार से संबंध रखती हैं।
उनके पति रमेश नौटियाल पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं। वह वर्ष 1996 में पहली बार ऊखीमठ वार्ड से निर्विरोध जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं।इसके बाद वर्ष 1997-98 में उन्हें भाजपा ने जिला उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी और वर्ष 1999 में उन्हें महिला मोर्चा का जिलाध्यक्ष चुना गया। सौम्य व्यवहार और निरंतर जनसंपर्क की वजह से वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में आशा नौटियाल को भाजपा ने केदारनाथ विस से प्रत्याशी बनाया और वह विजयी हुईं। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी दिवंगत विधायक शैलारानी रावत को पराजित किया था।
आशा नौटियाल की जब पुन: पार्टी में हुई वापसी-
वर्ष 2007 में भी भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया और उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी कुंवर सिंह नेगी को पराजित कर विजयश्री हासिल की। वर्ष 2012 में लगातार तीसरी बार वह भाजपा की प्रत्याशी घोषित हुईं, पर इस बार उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी शैलारानी रावत से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद वर्ष 2016 में शैलारानी रावत भाजपा में शामिल हो गईं और वर्ष 2017 में भाजपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बना दिया, जिस पर आशा नौटियाल ने पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहीं। तब, कांग्रेस से मनोज रावत विधायक चुने गए और निर्दलीय कुलदीप रावत दूसरे स्थान पर रहे।
कुछ समय बाद आशा नौटियाल की पुन: पार्टी में वापसी हुई और वह क्षेत्र में सक्रिय हो गईं। वर्ष 2022 में पार्टी ने पुन: शैलारानी रावत को प्रत्याशी बनाया और वह जीत गईं। वहीं, आशा नौटियाल को महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया, जिसके बाद वह सीधे हाईकमान के संपर्क में आ गईं। इस बार सदस्यता अभियान में भी वह गांव-गांव संपर्क करती दिखीं। विस क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है।

Kedarnath Assembly By Election: चुनाव परिणाम तय करेगा बीजेपी और कांग्रेस की 2027 की राह, जानिए अब तक कैसा रहा इस सीट का इतिहास.

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केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव का परिणाम भाजपा और कांग्रेस की 2027 की राह भी तय करेगा। साथ ही दोनों के प्रत्याशियों के राजनीतिक जीवन के लिए भी यह उपचुनाव परिणाम अहम है। राज्य बनने के बाद हुए विस चुनाव में अभी तक केदारनाथ विस चुनाव में तीन बार भाजपा और दो बार कांग्रेस को जीत मिली है। बीते दो विस चुनाव में निर्दलीय ने दोनों दलों के पसीने छुड़ाए थे।

पहले विस चुनाव से लेकर बीते चुनाव तक केदारनाथ विधानसभा में राजनीतिक रूप से भाजपा और कांग्रेस का ही दबदबा देखने को मिला है। यहां पहले व दूसरे विस चुनाव में भाजपा से आशा नौटियाल विधायक चुनी गईं। वर्ष 2012 में कांग्रेस ने पहली बार जीत दर्ज करने के साथ अपने वोट बैंक में सुधार किया। तब शैलारानी रावत ने आशा नौटियाल को पराजित किया।
वर्ष 2017 में यहां भाजपा को हार का सामान करना पड़ा और पार्टी चौथे स्थान पर रही। तब भाजपा ने शैलारानी रावत पर दांव खेला, जिससे आशा नौटियाल बागी होकर निर्दलीय मैदान में उतरी। लेकिन दोनों महिला उम्मीदवार हार गईं और कांग्रेस के मनोज रावत विधायक चुने गए।
वर्ष 2022 में कांग्रेस तीसरे स्थान पर खिसक गई। भाजपा की शैलारानी रावत निर्दलीय कुलदीप रावत को पराजित कर दूसरी बार विधायक चुनी गई। इस वर्ष शैलारानी रावत के निधन के बाद केदारनाथ विस में उपचुनाव हो रहा है, जिसमें भाजपा से आशा नौटियाल और कांग्रेस से मनोज रावत में सीधा मुकाबला है। 

Uttarakhand: निकाय चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा, पर्यवेक्षकों सर्वे रिपोर्ट पर बनेगा प्रत्याशियों का पैनल.

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केदारनाथ उपचुनाव के बाद अब भाजपा निकाय चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं। बृहस्पतिवार को भाजपा मुख्यालय में 19 सांगठनिक जिलों के पदाधिकारियों के साथ नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायत अध्यक्ष पद के संभावित प्रत्याशियों पर मंथन किया गया।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा, पहले चरण में निकाय चुनाव के लिए निगम, पालिका व नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद के दावेदारों की जानकारी ली जा रही है। बैठक में संभावित प्रत्याशियों को लेकर जिला पदाधिकारियों के साथ पर गहन विचार विमर्श किया गया।

 

प्रत्याशियों का पैनल होगा तैयार-

इसके बाद पर्यवेक्षकों की टोली भी सभी निकायों में जाकर मंडल पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं व वार्ड सदस्यों से प्रत्याशी को लेकर फीडबैक लेगी। पार्टी की ओर से प्रत्याशी चयन के लिए सर्वे कराया जाएगा। पर्यवेक्षक और सर्वे रिपोर्ट के आधार पर प्रत्याशियों का पैनल तैयार होगा।

बैठक में 19 सांगठनिक जिलों के अध्यक्ष, महामंत्री समेत जिलों के पार्टी विधायक शामिल हुए, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष ने चुनाव तैयारियों की जानकारी ली। भट्ट ने बताया, पार्टी सभी निकायों में जीत हासिल करने के लिए अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रही है। बैठक में जिला वार स्थानीय राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों पर फीड बैक लिया गया।

निकाय चुनाव की घोषणा के बाद पर्यवेक्षकों की टोली निकायों में भेजी जाएगी। इसके बाद प्रदेश पार्लियामेंट्री बोर्ड से केंद्रीय नेतृत्व को प्रत्याशियों का पैनल भेजा जाएगा। बैठक में प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार, प्रदेश उपाध्यक्ष कुलदीप कुमार, प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान समेत जिलों के पदाधिकारी मौजूद रहे।

Kedarnath By-Poll: केदारनाथ उपचुनाव के परिणाम को लेकर भाजपा और कांग्रेस को है इंतजार, दोनों पार्टियों ने चुनाव में लगाया जोर.

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केदारनाथ विधानसभा सीट पर बुधवार को हुए उपचुनाव का ऊंट किस करवट बैठेगा, इसे लेकर तस्वीर शनिवार को साफ होगी। उपचुनाव को लेकर अक्सर उदासीन दिखने वाले मतदाताओं ने जिस उत्साह के साथ मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, उससे सत्ताधारी दल भाजपा और विपक्ष कांग्रेस के खेमों में नई उम्मीद के साथ हलचल भी बढ़ा दी है। अब दोनों ही दलों की नजरें 23 नवंबर को उपचुनाव के परिणाम पर टिक गई हैं।

 

केदारनाथ विधानसभा सीट भाजपा विधायक शैलारानी रावत के निधन से रिक्त हुई है। यह उपचुनाव हाई प्रोफाइल बन गया है तो उसके कारण हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का केदारनाथ धाम से विशेष लगाव रहा है। सक्रिय राजनीति में कदम रखने से पहले नरेन्द्र मोदी इस स्थान पर साधना कर चुके हैं।

वर्ष 2013 की आपदा से तहस-नहस हुए केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही मोदी की शीर्ष प्राथमिकता में रहा है। बाबा केदार के धाम के पुनर्निर्माण और पुनर्विकास कार्यों में रुचि और यहां उनके आगमन को भाजपा के पक्ष में हिंदू मतों के ध्रुवीकरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण आंका जाता रहा है।
लगातार तीसरे लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड की समस्त पांच सीट जीतने के बाद भाजपा को गत जुलाई माह में हुए उपचुनाव से खासा झटका लगा। यद्यपि, बदरीनाथ सीट कांग्रेस के कब्जे में ही थी, लेकिन कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी के भाजपा में सम्मिलित होने के बाद इस सीट पर मिली हार ने भाजपा को पर्वतीय क्षेत्रों में जनाधार को बचाने के लिए सोचने पर विवश किया है।
केदारनाथ उपचुनाव इसी दृष्टि से भाजपा के लिए महत्वपूर्ण बन चुका है। सरकार और सत्ताधारी दल के बहुमत या मजबूती को लेकर यह उपचुनाव भले ही बड़ी चुनौती न हो, लेकिन इस सीट के परिणाम काे हिंदू मतों पर भाजपा की पकड़ को लेकर विपक्ष के नजरिये को प्रभावित अवश्य करेगा। इस रणनीति के आधार पर भाजपा ने उपचुनाव में पूरी सतर्कता तो बरती ही, ढील भी नहीं छोड़ने दी।
कांग्रेस का मनोबल गत जुलाई माह में बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीटों पर मिली जीत से बढ़ा हुआ है। बदरीनाथ धाम से जुड़ी सीट पर विजय मिलने के बाद कांग्रेस ने इसे हिंदू मतों पर भाजपा की ढीली होती पकड़ के रूप में प्रचारित किया था। केदारनाथ उपचुनाव के बहाने कांग्रेस के निशाने पर भाजपा के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी हैं।
कांग्रेस हाईकमान ने इसी कारण उपचुनाव को पार्टी की प्रतिष्ठा से जोड़ने में कसर नहीं छोड़ी। प्रदेश में पार्टी के सभी दिग्गजों को चुनाव प्रचार में झोंका गया। बदरीनाथ की सफलता ने गढ़वाल के पर्वतीय क्षेत्रों में जनाधार वापस पाने की आशा कांग्रेस में नए सिरे से जगाई हैं। पौड़ी व टिहरी लोकसभा क्षेत्रों की कुल 28 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के पास मात्र तीन सीट हैं। केदारनाथ में सफलता मिली तो यह कांग्रेस के लिए संजीवनी से कम नहीं होगा।

Kedarnath By Election: मतदान जारी, घाटी में उत्साह भी भारी, तस्वीरों के साथ जानिए इस उपचुनाव की खास बातें।

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केदारनाथ विधानसभा सीट पर सुबह आठ बजे से मतदान शुरू हुआ, जोकि शाम छह बजे तक जारी रहेगा। सुबह नौ बजे तक 4.30 प्रतिशत मतदान हुआ। जबकि 11 बजे तक 17.6 प्रतिशत मतदान हुआ। मतदाता पोलिंग बूथों पर पहुंच रहे हैं। बुजुर्ग मतदाताओं को भी पोलिंग बूथों तक छात्रों द्वारा पहुंचाया जा रहा है।

मतदाताओं में उत्साह भी नजर आ रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत और भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल ने अपना वोट डाल दिया है। 90875 मतदाता भाजपा, कांग्रेस सहित छह प्रत्याशियों के राजनीतिक जीवन का फैसला करेंगे। इसमें 44919 पुरुष और 45956 महिला मतदाता अपने विधायक का चुनाव करेंगे। मतदान के लिए 173 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। सभी पोलिंग पार्टियां अपने गंतव्यों पर पहुंच गई हैं।

 

भाजपा की विचारधारा भी दांव पर, कांग्रेस की है ये चाहत
केदारनाथ उपचुनाव सिर्फ एक विस सीट नहीं है। इस सीट पर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा की प्रतिष्ठा नहीं विचारधारा भी दांव पर है। वहीं कांग्रेस की चाहत केदारनाथ में जीत के साथ 2027 के लिए एक बड़ा संदेश देने की भी है। लोस चुनाव में पांचों सीट हारने के बाद कांग्रेस के हौसले पस्त थे, लेकिन बदरीनाथ व मंगलौर विस उपचुनाव में जीत ने उम्मीदों से भर दिया। उसने मिशन केदारनाथ के लिए प्रचार में पूरी ताकत झोंकी। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने मोर्चा संभाला।

ऐश्वर्य और कुलदीप की भी असली परीक्षा

केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव कई मयानों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। खासकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ उप चुनाव में जिस तरह से बगावत को बड़ी सूझबूझ से संभाला है, उसका पार्टी संगठन से लेकर विपक्ष के बीच भी बड़ा संदेश गया है। ऐसे में अब उप चुनाव के लिए प्रबल दावेदारी करने वाले दो चेहरे कुलदीप रावत और ऐश्वर्य रावत की भूमिका न केवल पार्टी, बल्कि उनके भविष्य को लेकर भी अहम मानी जा रही है। चुनाव परिणाम से भाजपा से ज्यादा दोनों नेताओं की अस्मिता जुड़ी है। उपचुनाव में जहां भाजपा और कांग्रेस जान फूंके है, वहीं पार्टी प्रत्याशियों के अलावा कुछ उभरते नेताओं की साख से भी जुड़ा है।

 

मिथक दोहराएगा या फिर टूट जाएगा

हॉट सीट बनी केदारनाथ विधानसभा में महिला प्रत्याशी की जीत का मिथक भाजपा दोहराएगी या फिर कांग्रेस इसे फिर तोड़ने में कामयाब रहेगी। पिछले करीब तीन महीने से उपचुनाव की तैयारी में जुटे सियासी दलों की तैयारियों और प्रत्याशियों और उनके समर्थकों के लगातार 17 दिन तक किए धुआंधार प्रचार का फल किस दल की झोली में जाएगा, इसका खुलासा 23 नवंबर को मतगणना के बाद हो जाएगा। बहरहाल उपचुनाव में ताल ठोंक रहे छह प्रत्याशियों ने अपने पक्ष में हवा बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। हालांकि, मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच में ही माना जा रहा है।
भाजपा की ये ताकत और ये कमजोरी
उपचुनाव में भाजपा की ताकत का जिक्र करें तो प्रदेश और केंद्र में सरकार, केदारनाथ से सीधे पीएम मोदी का जुड़ाव, सीएम, मंत्री, विधायक और पार्टी पदाधिकारियों का प्रचार, महिला मतदाता बहुल सीट पर दो बार की विधायक रही महिला चेहरे आशा नौटियाल पर लगाया गया दांव, कराए गए विकास कार्य मजबूत पक्ष माने जा रहे हैं। भाजपा उम्मीद कर रही कि एक बार महिला प्रत्याशी पर लगाया गया दांव सही साबित होगा और महिला उम्मीदवार की जीत का मिथक दोहराएगा, जबकि नई दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का शिलान्यास भाजपा का कमजोर पक्ष माना जा रहा।
1982 के संसदीय उपचुनाव की यादें ताजा हुईं
केदारनाथ विस उपचुनाव ने वर्ष 1982 में गढ़वाल लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव की यादें ताजा कर दी हैं। 42 वर्ष पूर्व लोस उप चुनाव पर देश की नजर थी, आज वहीं स्थिति केदारनाथ विस की है। यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है और दिल्ली तक इसकी गूंज हो रही है।

Kedarnath By Election: केदारनाथ में 11 बजे तक 17.69 फीसदी हुआ मतदान, कांग्रेस-बीजेपी के प्रत्याशियों ने भी डाला वोट.

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केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव के ल‍िए बुधवार सुबह से मतदान जारी है। सुबह 11 बजे तक 17.69 फीसदी मतदाताओं ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल किया।मतदान सेंटर्स पर लगी लाइनों में लोगों की संख्या बढ़ती हुई प्रतीत हो रही है। मौसम साफ होने के कारण अनुमान है कि कुल मतदान प्रतिशत ठीक रहेगा। कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत और बीजेपी प्रत्याशी आशा नौटियाल ने भी वोट डाला।

कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत ने डाला वोट- 

इस सीट पर कुल 90875 मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे। जिसमें 45956 महिला मतदाता प्रत्याशी प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। मतदान के बाद कुल 6 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम मशीन में बंद हो जाएगा।जनपद की कुल 173 पोलिंग बूथों पर हो रहे मतदान को लेकर केदारनाथ सीट से 6 प्रत्याशी मैदान में है। जिसमें भाजपा आशा नौटियाल, कांग्रेस मनोज रावत, उक्रांद आशुतोष भंडारी, पीपीआई(डेमोक्रेटिक)प्रदीप रोशन रूडिया, निर्दलीय त्रिभुवन चौहान व कैप्टेन आरपी सिंह चुनाव मैदान में है। सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे मतदान किया जाएगा।

केदारनाथ विधानसभा में 90875 पंजीकृत है, जिसमें मतदाता 44919 पुरूष, 45956 मतदाता, 2949 सर्विस मतदाता, 1092 दिव्यांग मतदाता शामिल है। इस चुनाव में महिला मतदाता ही प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।

 

Kedarnath By-Election 2024- किसे मिलेगी केदारनाथ की कमान ?

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