उत्तराखंड बोर्ड का 10वीं और 12वीं का परीक्षा का परिणाम अभी घोषित नहीं हुआ, लेकिन 10वीं की परीक्षा दे चुके हजारों छात्र-छात्राओं को परीक्षा परिणाम घोषित होने से पहले 11वीं कक्षा में दाखिला मिलेगा।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक महावीर सिंह बिष्ट ने इस संबंध में सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किया है। उत्तराखंड बोर्ड की परीक्षा के बाद इन दिनों छात्र-छात्राओं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का काम चल रहा है। विभाग की ओर से इसके लिए 29 मूल्यांकन केंद्र बनाए गए हैं। जिसमें 16 मूल्यांकन केंद्र गढ़वाल और 13 कुमाऊं मंडल में हैं।
30 अप्रैल को होगा बोर्ड परीक्षा परिणाम घोषित-
विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, 27 मार्च से शुरू हुआ मूल्यांकन का काम 10 अप्रैल तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए 3574 शिक्षकों की डयूटी लगाई गई है। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के बाद 30 अप्रैल को बोर्ड परीक्षा परिणाम घोषित किया जाना है, जिसे घोषित होने में अभी समय है।
इस बीच छात्र-छात्राओं की पढ़ाई का नुकसान न हो, इसके लिए 10वीं की परीक्षा दे चुके छात्र-छात्राओं को परीक्षा परिणाम घोषित होने से पहले 11वीं में दाखिला दिया जाएगा। शिक्षा निदेशक महावीर सिंह बिष्ट के मुताबिक, 11वीं में दाखिले के बाद यदि कोई छात्र 10वीं में अधिकतम दो विषय में फेल होता है तो अंक सुधार परीक्षा के माध्यम से उसे पास होने का मौका दिया जाएगा।
पिछले साल 47 हजार से अधिक छात्र हुए थे फेल-
उत्तराखंड बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षा में पिछले साल 47 हजार से अधिक छात्र फेल हो गए थे। इसमें 12वीं में 19 हजार और 10वीं में 28 हजार छात्र-छात्राएं शामिल थे।
छात्र-छात्राओं की पढ़ाई का नुकसान न हो, इसके लिए छात्रहित में निर्णय लिया गया कि 10वीं के छात्र-छात्राओं का रिजल्ट आने से पहले उन्हें 11वीं कक्षा में दाखिला दिया जाए। इस संबंध में सभी सीईओ को निर्देश जारी कर दिया गया है। –महावीर सिंह बिष्ट, निदेशक माध्यमिक शिक्षा
उत्तराखंड में पटरी से उतर रही शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के भले हमेशा से दावे किए जाते रहे हो, लेकिन हालात सुधरने के बजाए बिगड़ते जा रहे हैं। विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के सरकारी स्कूल लगातार छात्रविहीन हो रहे हैं। हाल यह है कि 1,671 सरकारी विद्यालयों में ताला लटक गया है, जबकि अन्य 3573 बंद होने की कगार पर हैं।
हैरानी की बात यह है कि 102 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें हर स्कूल में मात्र एक-एक छात्र अध्ययनरत हैं। प्रदेश में एक अप्रैल 2024 से नया शिक्षा सत्र शुरू हो रहा है, लेकिन इस सत्र के शुरू होने से पहले राज्य के कई विद्यालयों में ताला लटक गया है। शिक्षा महानिदेशालय ने हाल ही में राज्य के सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों से जिलों में बंद हो चुके विद्यालयों की रिपोर्ट मांगी थी।
जिलों से मिली रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी विद्यालय छात्र विहीन होने से लगातार बंद हो रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 3,573 विद्यालयों में छात्र संख्या 10 या फिर इससे भी कम रह गई है। इसमें सबसे अधिक 785 स्कूल पौड़ी जिले के हैं, जबकि सबसे कम तीन स्कूल हरिद्वार जिले के हैं।
पौड़ी जिले में सबसे अधिक 315 स्कूल बंद-
राज्य में पौड़ी एकमात्र ऐसा जिला है, जिसमें सबसे अधिक 315 स्कूलों में ताला लटक चुका है, जबकि ऊधमसिंह नगर जिले में सबसे कम मात्र 21 स्कूल बंद हुए हैं। छात्र न होने की वजह से राज्यभर में 1,671 स्कूल बंद हो चुके हैं।
प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में छात्र संख्या तेजी से घट रही है। यही वजह है कि 640 से अधिक स्कूल बंद हो चुके हैं और कई बंदी की कगार पर हैं। शिक्षा महानिदेशक बंधीधर तिवारी के मुताबिक वर्तमान में कितने स्कूल बंद हैं और किस स्थिति में हैं। इस संबंध में सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों से 12 मार्च तक सूचना मांगी गई है।
इन विद्यालयों का होम स्टे एवं आंगनबाड़ी केंद्र के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। समग्र शिक्षा कार्यालय से अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा, गढ़वाल और कुमाऊं के साथ ही सभी सीईओ, डीईओ और खंड शिक्षा अधिकारियों को बंद विद्यालयों के संबंध में निर्देश जारी किया गया है। निर्देश में कहा है कि छात्र संख्या शून्य होने से बंद हुए विद्यालयों की सूचना उपलब्ध कराई जाए।
विभागीय अधिकारियों से यह भी कहा गया है कि पूर्व में राजकीय प्राथमिक विद्यालय, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एवं राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज जो छात्र संख्या शून्य होने के कारण बंद हो चुके हैं। उनके भवन और भूमि की स्थिति से अवगत कराया जाए। इस संबंध में सूचना ई मेल के माध्यम से भी उपलब्ध कराई जा सकती है।
उत्तराखंड प्रदेश के भाग्य निर्माण की जिम्मेदारी सबसे अधिक इस प्रदेश की सरकार की होती है सरकार की नीति ही प्रदेश का भविष्य तय करती है लेकिन जब इस पहाडी प्रदेश की दो मूलभूत सुविधाएं ही यहां से गायब दिखाई दें तो फिर किस विकास की आशा हम रख सकते हैं. प्रदेश के पर्वतीय जिलों में स्थायी शिक्षकों के 10,946 पद खाली हैं। इसमें 6,632 पद माध्यमिक और 4,314 बेसिक शिक्षा के हैं। पारदर्शी तबादलों के लिए तबादला एक्ट बनने के बाद भी शिक्षकों के पहाड़ न चढ़ने और राज्य लोक सेवा एवं अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से भर्ती में देरी इसकी वजह बताई जा रही है।
विधानसभा में प्रश्नकाल में विधायक संजय डोभाल के प्रदेश के पर्वतीय जिलों में शिक्षकों की कमी के सवाल पर शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने बताया, पर्वतीय जिलों में प्रवक्ताओं के 4,253 और सहायक अध्यापक एलटी के 2,379 पद खाली हैं। इन खाली पदों के विपरीत प्रवक्ता पद पर 2,594 और सहायक अध्यापक एलटी के पद पर 1,123 अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं।
45 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक ही नहीं-
बेसिक शिक्षा में 516 प्राथमिक विद्यालयों और 45 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक नहीं हैं। प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के 3,253 और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के 500 पद खाली हैं। शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने कहा, जिलों में शिक्षकों की समय-समय पर सेवानिवृत्ति, पदोन्नति, तबादले आदि से शिक्षकों के खाली पदों की संख्या बदलती रहती है।
कहा, सभी खाली पदों पर शिक्षकों की उपलब्धता की आदर्श स्थिति कभी संभव नहीं है। खाली पदों को स्थानांतरण, समायोजन, पदोन्नति और सीधी भर्ती आदि के माध्यम से भरे जाने का यथासंभव लगातार प्रयास किया जाता रहा, ताकि छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित न हो।
UP Police Bharti: सीएम योगी आदित्यनाथ का बड़ा फैसला, यूपी पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा-2023 हुई रद्द ।
युवाओं के हित में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बड़ा निर्णय लिया है। यूपी पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा-2023 को मुख्यमंत्री ने निरस्त कर दिया है। सीएम ने कहा कि 6 माह के भीतर ही पूर्ण शुचिता के साथ परीक्षा आयोजित की जाएगी । कहा, परीक्षा की गोपनीयता भंग करने वाले एसटीएफ की रडार में हैं कई बड़ी गिरफ्तारियां हो भी चुकी हैं।
परीक्षा के बाद हुआ था खूब प्रदर्शन-
यूपी आरक्षी भर्ती परीक्षा को निरस्त कर दिया गया। परीक्षा निरस्त करने की मांग को लेकर प्रदेश के कई जिलों के अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया। आरोप लगाया कि प्रश्न पत्र लीक होने के साथ ही परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली की गई है। हाल ही में प्रयागराज में सैकड़ों की संख्या में सिपाही भर्ती परीक्षा देने वाले अभ्यर्थी हाथ में तख्तियां लेकर परीक्षा निरस्त कराने की मांग को लेकर सड़क पर उतरे थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा बीते 11 फरवरी को आयोजित की गई समीक्षा अधिकारी/ सहायक समीक्षा अधिकारी (प्रारम्भिक) परीक्षा – 2023 से जुड़ी शिकायतों की भी जांच कराने का निर्णय लिया है।
- अपर मुख्य सचिव, नियुक्ति एवं कार्मिक ने आदेश जारी किया।
- समीक्षा अधिकारी/ सहायक समीक्षा अधिकारी (प्रारम्भिक) परीक्षा – 2023 की शुचिता व पारदर्शिता के उद्देश्य में निर्णय लिया गया है कि परीक्षा के संबंध में प्राप्त शिकायतों का शासन स्तर पर परीक्षण किया जाए।
- इस परीक्षा के संबंध में किसी भी प्रकार की शिकायत अथवा इसकी शुचिता को प्रभावित करने वाले तथ्यों को संज्ञान में लाना चाहे तो वह अपना नाम तथा पूरा पता तथा साक्ष्यों सहित कार्मिक तथा नियुक्ति विभाग के ई-मेल आई.डी. – secyappoint@nic.in पर 27 फरवरी 2024 तक उपलब्ध करा सकते हैं।
इतने थे अभ्यर्थी-
सिपाही भर्ती की लिखित परीक्षा निर्धारित तिथि 17 व 18 फरवरी को सभी जिलों में दो पालियों में हुई थी। प्रदेश में 2,385 परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा के दौरान बायोमैट्रिक वेरिफिकेशन के बाद ही अभ्यर्थी को प्रवेश दिया गया था। आरक्षी नागरिक पुलिस के 60,244 पदों पर भर्ती के लिए कुल 48,17,441 अभ्यर्थियों में 15,48,969 महिला अभ्यर्थी भी थे। प्रत्येक पाली में 12,04,360 अभ्यर्थी शामिल हुए थे।
वित्त मंत्री ने संसद में पेश बजट के दौरान कहा कि गरीबों, महिलाओं, युवाओं और किसानों की आवश्यकताएं, आकांक्षाएं और कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए बताया…
- हमारी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में करीब 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं।
- 78 लाख स्ट्रीट वेंडर को मदद दी गई है।
- मत्स्य संपदा योजना से 55 लाख लोगों को नया रोजगार मिला।
- पीएम आवास योजना के तहत तीन करोड़ घर बनाए गए हैं।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत अगले 5 साल में ग्रामीण इलाकों में दो करोड़ घर बनाए जाएंगे।
- सरकार मध्यमवर्गीय लोगों के लिए भी आवासीय योजना लाएगी।
महिलाओं को बनाया जा रहा आत्मनिर्भर-
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में बताया कि पिछले 10 वर्षों में सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए बहुत सारे कार्य किए गए हैं। पीएम आवास योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में 70% से अधिक घरों की मालकिन महिलाएं हैं।
उन्होंने बताया कि मुद्रा योजना के अंतर्गत महिलाओं को 30 करोड़ रुपये से अधिक ऋण दिए गए हैं। करीब एक करोड़ महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं। अब हमारी सरकार का लक्ष्य तीन करोड़ लखपति दीदी बनाने का है। इस योजना से महिलाओं के जीवन में बदलाव और आत्मनिर्भरता आई है।
वित्त मंत्री के मुताबिक, हमारी सरकार सर्वाइकल कैंसर के टीकाकरण पर ध्यान देगी। मातृ और शिशु देखरेख की योजनाओं को व्यापक कार्यक्रम के अंतर्गत लागू किया जाएगा। 9-14 साल की लड़कियों के टीकाकरण पर ध्यान दिया जाएगा।
सीतारमण ने कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें उनके अधिकार दिलाने के लिए तीन तलाक को गैरकानूनी घोषित किया है। महिलाओं को संसद में आरक्षण देने के लिए कानून लाया गया है।
किसानों को मिली ये सौगात-
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट पेश करते हुए बताया कि चार करोड़ किसानों को पीएम फसल बीमा योजना का लाभ दिया जा रहा है। पीएम किसान योजना से 11.8 करोड़ लोगों को आर्थिक मदद मिली है। आम लोगों के जीवन में बदलाव लाने का प्रयास किया जा रहा है।
युवाओं के लिए भी खुले अवसर-
युवाओं को सशक्त बनाने पर भी काम किया है। 3000 नए आईटीआई खोले गए हैं। 54 लाख युवाओं को कौशल योजना के तहत प्रशिक्षित किया गया है। एशियाई खेलों में भारत के युवाओं को कामयाबी मिली है।
प्रदेश में पुलिस व्यवस्था में होमगार्डों का काफी हद तक योगदान रहता है। इनके बूते ही थानों और यातायात समेत अन्य व्यवस्थाएं चलती हैं लेकिन इस महंगाई के दौर में होमगार्डों के कई होनहार बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी से वंचित रह जाते हैं। अब ऐसा नहीं होगा। आईजी केवल खुराना ने देश में ही नहीं बल्कि प्रदेश में भी पहली बार होमगार्डों के बच्चों को निशुल्क कोचिंग दिलाए जाने की पहल शुरू की है।
आवेदन दून मुख्यालय भेजे जाएंगे-
कोचिंग संस्थानों पर केंद्र सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है. अब कोई भी कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के छात्रों को अपने यहां नहीं पढ़ा सकते हैं. शिक्षा मंत्रालय द्वारा घोषित नए दिशानिर्देश के मुताबिक, देश के कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के विद्यार्थियों को अपने यहां दाखिल नहीं कर सकेंगे और अच्छे नंबर या रैंक दिलाने की गारंटी जैसे भ्रामक वादे भी नहीं कर सकेंगे. माना जा रहा है कोचिंग संस्थानों को विनियमित करने के लिए दिशानिर्देश एक कानूनी ढांचे की आवश्यकता को पूरा करने और बेतरतीब तरीके से निजी कोचिंग संस्थानों की बढ़ोतरी को रोकने के लिए हैं.
केंद्र सरकार के दिशा निर्देश में कहा गया, ‘कोई भी कोचिंग संस्थान स्नातक से कम योग्यता वाले शिक्षकों को नियुक्त नहीं करेगा. कोचिंग संस्थान विद्यार्थियों के नामांकन के लिए माता-पिता को भ्रामक वादे या रैंक या अच्छे अंक की गारंटी नहीं दे सकते. संस्थान 16 वर्ष से कम उम्र के छात्रों का नामांकन नहीं कर सकते. विद्यार्थियों का कोचिंग संस्थान में नामांकन माध्यमिक विद्यालय परीक्षा के बाद ही होना चाहिए.’
क्यों हुआ यह एक्शन-
अब सवाल उठता है कि आखिर सरकार ने कोचिंग संस्थानों पर यह एक्शन क्यों लिया है. बीते कुछ समय से कोटा में जिस तरह से बच्चों के आत्महत्या के मामले सामने आए हैं, उसने सरकार की चिंता बढ़ा दी थी. यही वजह है कि सरकार ने छात्रों के आत्महत्या के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह एक्शन लिया है. इतना ही नहीं, शिक्षा मंत्रालय ने यह दिशा निर्देश विद्यार्थियों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों, आग की घटनाओं, कोचिंग संस्थानों में सुविधाओं की कमी के साथ-साथ उनके द्वारा अपनाई जाने वाली शिक्षण पद्धतियों के बारे में सरकार को मिली शिकायतों के बाद तैयार किए हैं.
दिशानिर्देश में क्या-क्या है-
शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देश के मुताबिक, ‘कोचिंग संस्थान कोचिंग की गुणवत्ता या उसमें दी जाने वाली सुविधाओं या ऐसे कोचिंग संस्थान या उनके संस्थान में पढ़े छात्र द्वारा प्राप्त परिणाम के बारे में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी दावे को लेकर कोई भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित नहीं कर सकते हैं या प्रकाशित नहीं करवा सकते हैं या प्रकाशन में भाग नहीं ले सकते हैं.’ कोचिंग संस्थान किसी भी शिक्षक या ऐसे व्यक्ति की सेवाएं नहीं ले सकते, जो नैतिक कदाचार से जुड़े किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो. कोई भी संस्थान तब तक पंजीकृत नहीं होगा जब तक कि उसके पास इन दिशानिर्देशों की आवश्यकता के अनुसार परामर्श प्रणाली न हो. दिशानिर्देश में कहा गया, ‘कोचिंग संस्थानों की एक वेबसाइट होगी जिसमें पढ़ाने वाले शिक्षकों (ट्यूटर) की योग्यता, पाठ्यक्रम/पाठ्य सामग्री, पूरा होने की अवधि, छात्रावास सुविधाएं और लिए जाने वाले शुल्क का अद्यतन विवरण होगा.’ नए दिशानिर्देशों के अनुसार, विद्यार्थियों पर कड़ी प्रतिस्पर्धा और शैक्षणिक दबाव के कारण कोचिंग संस्थानों को उन्हें तनाव से बचाने के लिए कदम उठाने चाहिए और उन पर अनावश्यक दबाव डाले बिना कक्षाएं संचालित करनी चाहिए.
फीस को लेकर भी गाइडलाइन-
दिशानिर्देश में कहा गया, ‘कोचिंग संस्थानों को संकट और तनावपूर्ण स्थितियों में छात्रों को निरंतर सहायता प्रदान करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप के लिए एक तंत्र स्थापित करना चाहिए. सक्षम प्राधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा सकता है कि कोचिंग संस्थान द्वारा एक परामर्श प्रणाली विकसित की जाए जो छात्रों और अभिभावकों के लिए आसानी से उपलब्ध हो.’ दिशा निर्देश में विद्यार्थियों के मानसिक कल्याण को लेकर विस्तृत रूपरेखा पिछले साल कोटा में रिकॉर्ड संख्या में छात्रों की आत्महत्या करने की घटना के बाद आई है. दिशा निर्देश में कहा गया कि विभिन्न पाठ्यक्रमों का शुल्क पारदर्शी और तार्किक होना चाहिए और वसूले जाने वाले शुल्क की रसीद दी जानी चाहिए. इसमें साफ किया गया है कि अगर छात्र बीच में ही पाठ्यक्रम छोड़ता है तो उसकी बची हुई अवधि की फीस लौटाई जानी चाहिए.
राज्य सरकार को मिली जिम्मेदारी-
नीति को सशक्त बनाते हुए केंद्र ने सुझाव दिया है कि कोचिंग संस्थानों पर दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाना चाहिए या अत्यधिक शुल्क वसूलने पर उनका पंजीकरण रद्द कर दिया जाना चाहिए. कोचिंग संस्थानों की उचित निगरानी के लिए सरकार ने दिशानिर्देश के प्रभावी होने के तीन महीने के भीतर नए और मौजूदा कोचिंग संस्थानों का पंजीकरण करने का प्रस्ताव किया है. दिशानिर्देश के मुताबिक राज्य सरकार कोचिंग संस्थान की गतिविधियों की निगरानी के लिए जिम्मेदार होंगे.
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने सोमवार को इंटरमीडिएट स्तरीय भर्ती का विज्ञापन जारी किया। इसके तहत पशुधन प्रसार अधिकारी, सहायक प्रशिक्षण अधिकारी, प्रदर्शक और निरीक्षक के 136 पदों पर भर्ती का मौका मिलेगा। इसके लिए 10 जनवरी से आवेदन शुरू होने जा रहे हैं।
आयोग के सचिव सुरेंद्र सिंह रावत ने बताया कि इस भर्ती के तहत पशुपालन विभाग में पशुधन प्रसार अधिकारी के 120, उद्यान विभाग में सहायक प्रशिक्षण अधिकारी के तीन, रेशम विभाग में प्रदर्शक रेशम के 10 और निरीक्षक रेशम के तीन पदों पर मौका मिलेगा।
उन्होंने बताया कि इसके लिए 10 से 30 जनवरी तक ऑनलाइन आवेदन होंगे। एक से तीन फरवरी तक आवेदन में संशोधन का मौका मिलेगा। परीक्षा 11 फरवरी को प्रस्तावित की गई है। परीक्षा आवेदन में जनरल, ओबीसी को 300 रुपये, एससी, एसटी, ईडब्ल्यूएस व दिव्यांग अभ्यर्थियों को 150 रुपये शुल्क देय होगा। आयोग ने विज्ञापन के साथ ही सिलेबस भी जारी कर दिया है।