अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने बताया कि, प्रदेश में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए होटल एसोसिएशन ने 20 अप्रैल को होटल और रेस्टोरेंट में आने वाले ग्राहकों को 20 प्रतिशत छूट देने का प्रस्ताव दिया है। जल्द ही एसोसिएशन के साथ वार्ता करने के बाद मानकों के अनुसार इसकी जानकारी जारी की जाएगी।
सचिवालय में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान जोगदंडे ने बताया, राज्य में मतदान प्रतिशत को बढ़ाने के लिए विभिन्न संगठनों का सहयोग किया जा रहा है। उत्तराखंड होटल एसोसिएशन ने आग्रह किया कि मतदाताओं को मतदान के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए ग्राहकों को 20 प्रतिशत छूट दिया जाएगा। मतदान के बाद 20 अप्रैल को होटल व रेस्टोरेंट में आने वाले ग्राहकों को इस छूट का लाभ मिलेगा।
उन्होंने कहा, इस प्रस्ताव पर एसोसिएशन के साथ वार्ता होगी। मानकों के अनुरूप इस पर निर्णय लिया जाएगा। बताया, चुनाव ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों को आपातकालीन स्थिति में मेडिकल इमरजेंसी के लिए राज्य में दो हेलीकॉप्टर तैनात किए जाएंगे। मतदान दलों के प्रस्थान से लेकर मतदान दलों की वापसी तक ये हेलिकॉप्टर उपलब्ध रहेंगे। किसी भी आपातकालीन स्थिति में इनका प्रयोग किया जा सकता है।
बताया, इसके अलावा मतदान से 48 घंटे पूर्व और मतदान समाप्ति तक ड्राई डे घोषित रहेगा। बताया, उत्तराखंड की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश के उन जिलों में जहां 19 अप्रैल को मतदान होना है। उन क्षेत्रों में 17 अप्रैल को शाम पांच बजे से लेकर 19 अप्रैल को शाम छह बजे तक ड्राई डे प्रभावी रहेगा। सात मई को उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद में मतदान के चलते पांच मई को शाम छह बजे से सात मई शाम छह बजे तक ऊधमसिंह नगर क्षेत्र में ड्राई डे प्रभावी रहेगा।
इसके अलावा हरियाणा में 25 मई को होने वाले मतदान को देखते हुए 23 मई को शाम छह बजे से 25 मई को शाम छह बजे तक और हिमाचल प्रदेश में एक जून को होने वाले मतदान के चलते 30 मई को शाम छह बजे से एक जून 2024 को शाम छह बजे तक देहरादून के क्षेत्र में ड्राई डे प्रभावी रहेगा। अन्य राज्यों में कई चरणों में होने वाले मतदान के दौरान उनकी सीमा से उत्तराखंड के जो जनपद लगे हैं, उन जनपदों कि किमी की परिधि के भीतर ड्राई डे प्रभावी होगा।
उत्तराखंड में कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है। रुदपुर में जिला पंचायत अध्यक्ष रेनू गंगवार और उनके पति ओबीसी विंग के राष्ट्रीय सह समन्वयक सुरेश गंगवार ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पार्टी पर उपेक्षा का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा कि पार्टी लगातार उनकी उपेक्षा कर रही है। पार्टी प्रत्याशी प्रकाश जोशी के उनके क्षेत्र में रोड शो करने के बावजूद उनको ना सूचना दी गई और ना ही बुलाया गया। प्रत्याशी के नामांकन में भी उनको नहीं बुलाया गया। गंगवार परिवार का चार बार से जिला पंचायत की कुर्सी पर कब्जा है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रेनू और सुरेश गंगवार भाजपा से कांग्रेस में आए थे। सुरेश गंगवार ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष करन माहरा को इस्तीफा भेज दिया गया है।
लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक पार्टियां महिलाओं के अधिक से अधिक वोट लेने को जितने बेताब दिख रहे हैं, उनकी वैसी इच्छा या बेताबी उन्हें टिकट देने में नहीं दिखाई देती है। उत्तराखंड राज्य में कुल मतदाताओं में 48 फीसदी महिला वोटर्स हैं, जो किसी को भी हराने या जिताने का पूरा दमखम रखती हैं, लेकिन राज्य की सभी पांच लोकसभा सीटों पर 55 प्रत्याशियों में से केवल चार ही महिलाएं हैं।
साफ है कि राज्य की महिलाओं को सही मायने में अभी तक अपना हक नहीं मिल पाया है। राज्य की 40 लाख से अधिक महिला मतदाताओं को शायद अभी और इंतजार करना होगा। जहां तक राज्य की महिलाओं की राजनीतिक जागरूकता का मसला है तो यह देखा गया है कि पुरुष मतदाताओं की तरह राज्य की महिलाएं भी मतदान करने के प्रति काफी सजग रही हैं।
सामाजिक और पर्यावरणीय सरोकारों से जुड़े आंदोलनों में उनकी सक्रिय भागीदारी रही। इस कारण वे राजनीतिक मुद्दों की भी समझ रखती हैं। राज्य की 50 फीसदी पंचायतों का प्रतिनिधित्व महिलाओं के हाथों में है और वे कुशलतापूर्वक अपने दायित्व का निर्वहन कर रहीं हैं। लेकिन विधायिका के मोर्चे पर अपनी क्षमताओं और योग्यता के मामले में अभी वे राजनीतिक दलों में भरोसा नहीं बना पाई हैं। यही कारण है कि महिलाओं को बराबरी का हक देने का नारा बुलंद करने वाले राजनीतिक दल भी उन्हें प्रत्याशी बनाने से हिचक रहे हैं। इसकी तस्दीक लोकसभा सीटों पर उतरे प्रत्याशियों से हो रही है।
अब तक तीन महिलाएं ही पहुंचीं लोकसभा-
आपको बता दें कि पहले लोकसभा चुनाव में टिहरी संसदीय सीट से कमलेन्दुमति शाह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीतने में सफल रहीं। इसके बाद नैनीताल सीट से ईला पंत और फिर राज्य गठन के बाद महज एक महिला माला राज्यलक्ष्मी शाह संसद पहुंच पाईं। सालों बाद भी महिलाओं को लोकसभा या राज्य विधानसभा में उनकी आबादी के अनुसार प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया।
राजनीतिक दलों ने किया परहेज-
उत्तराखंड में महिला उम्मीदवारों पर दांव लगाने में प्रमुख दलों ने परहेज किया है। हालांकि महिला अधिकार, सशक्तिकरण और महिलाओं से जुड़ी योजनाओं की बात जोरों से की जाती है लेकिन जब चुनाव मैदान में उतारने की बात आती है तो राजनीतिक दलों की प्राथमिकता बदल जाती है। केवल टिहरी लोकसभा सीट इसका अपवाद है, जहां से प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा ने माला राज्यलक्ष्मी शाह पर दांव खेला है। गढ़वाल सीट से पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया डेमोक्रेटिक ने सुरेशी देवी, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया ने रेशमा और अल्मोड़ा से उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने किरण आर्य को मैदान में उतारा है।
उत्तराखंड में लोकसभा चुनावों का शंखनाद हो चुका है लेकिन इस बार पिछले 2019 की तरह कोई ख़ास तरह का रुझान नहीं देखने को मिल रहा है,,जिससे अंदाजा लगाया जा सके कि किस सीट पर किसका पलड़ा भारी है लेकिन 3 सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प होता दिखाई दे रहा है।
सबसे पहले बात टिहरी सीट की –
सबसे पहले टिहरी सीट की बात करें तो यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है एक तरफ बीजेपी की नहारानी जो लगातार इस क्षेत्र से जीतती रही है और आजादी के बाद से ही इस सीट पर उनके परिवार का एकतरफा वर्चस्व रहा है या ये कहें वो जिस भी दल में रहे हैं जीत उनके परिवार की हुई है लेकिन इस बार उनको इस प्रदेश के सबसे युवा प्रत्याशी और बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार से कड़ी चुनौती मिलती दिखाई दे रही है जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस के प्रत्याशी गुनसोला हैं जो अपनी साफ़ छवि के लिए जाने जाते हैं. कुल मिलाकर इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय होने की उम्मीद है।
पौड़ी गढ़वाल सीट-
दूसरी सीट आती है पौड़ी गढ़वाल जहां एक तरह अनिल बलूनी और गणेश गोदियाल आमने सामने हैं,,,वर्तमान हालात में इस सीट पर सबसे जबरदस्त लड़ाई देखने को मिल रही है जहां अनिल बलूनी के लिए स्मृति ईरानी से लेकर कई बड़े नेता चुनाव प्रचार कर रहे हैं. मुख़्यमंत्री धामी भी लगातार रोड शो कर रहे हैं. बीजेपी का मजबूत संगठन लगातार अनिल बलूनी के लिए काम कर रहा है और उसके बावजूद गणेश गोदियाल अकेले ही अनिल बलूनी को चुनौती दे रहे हैं कांग्रेस के पास इस समय न तो भाजपा जैसा मजबूत संगठन है न ही किसी बड़े नेता ने गणेश गोदियाल के लिए प्रचार किया है फिर भी गणेश गोदियाल अकेले ही बीजेपी पर भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण गणेश गोदियाल की व्यक्तिगत छवि और उनका स्थानीय मुद्दों को लगातार उठाना उनको इस चुनाव में मजबूती दे रहा है।
हरिद्वार सीट-
तीसरी सीट पर हरिद्वार जहां एक तरफ दो पूर्व रावत मुख्यमंत्री और एक तरफ निर्दलीय विधायक उमेश कुमार हैं,,,उमेश कुमार ने जहां धीरे धीरे अपना एक मजबूत किला हरिद्वार में बनाया है उससे बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी की हैं. हरीश रावत जहां धीरे धीरे ही सही अब धड़ों और खेमों में बंटी हरिद्वार कांग्रेस को एक करने में कामयाब हो रहे हैं उससे वो बेहद कम समय में मुकाबले में खड़े हो गए हैं,,,जबकि योगी और मोदी की रैलियों के जरिये त्रिवेंद्र सिंह बीजेपी के लिए चुनौती बनी हरिद्वार सीट पर परचम लहराने की तैयारी कर रहे हैं।
लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड की जनता जब अपने पर आई तो उसने फिर प्रत्याशी का कद या पद नहीं देखा, जिसे पसंद किया उसे जिताया और जो नापसंद था उसे हरा दिया। एक जमाने में भाजपा की राजनीति के तीसरे बड़े ध्रुव डॉ.मुरली मनोहर जोशी रहे हों या खांटी राजनीतिज्ञ नारायण दत्त तिवारी या फिर दिग्गज हरीश रावत, लोकसभा चुनाव में इन सभी दिग्गजों ने करारी शिकस्त का सामना किया।
1984 के लोकसभा चुनाव में अल्मोड़ा सीट पर उस दौर के नौजवान नेता हरीश रावत को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया। हरीश ने खांटी राजनीतिज्ञ डॉ.मुरली मनोहर जोशी को न सिर्फ हराया, बल्कि उनकी जमानत तक जब्त करा दी। जोशी को महज 14.79 फीसदी वोट पर संतोष करना पड़ा। इसी सीट पर 1989 के चुनाव में भगत सिंह कोश्यारी को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। वह तीसरे स्थान पर रहे। यही वह चुनाव था, जिसमें निर्दलीय चुनाव लड़े काशी सिंह ऐरी ने 39 फीसदी से अधिक वोट लेकर अपने विरोधियों को हैरान कर दिया था।
टिहरी लोस सीट पर आठ बार के सांसद रहे महाराजा मानवेंद्र शाह को भी पराजय का सामना करना पड़ा था। उन्हें 1971 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार से मात मिली। उन्हें स्वतंत्रता सेनानी परिपूर्णानंद पैन्यूली ने पराजित कर दिया। दिग्गज राजनेता एनडी तिवारी की चुनावी हार का भी अपना इतिहास है। राम लहर के रथ पर सवार भाजपा ने 1991 के लोस चुनाव में बलराज पासी को कांग्रेस के एनडी तिवारी के खिलाफ मैदान में उतारा। पासी ने एनडी तिवारी को पराजित कर दिया।
कद्दावर मुरली मनोहर जोशी को हराने वाले हरीश रावत भी चुनावी पराजयों से महफूज नहीं रहे। अल्मोड़ा सीट पर ही उन्हें भाजपा के बची सिंह रावत के हाथों लगातार तीन हार का सामना करना पड़ा। 2019 के लोकसभा चुनाव में हरीश रावत नैनीताल-उधम सिंह नगर सीट पर भी चुनाव हार गए।
दिग्गजों की चुनावी पराजयों का इतिहास यहीं नहीं थमा है। हरिद्वार लोस सीट पर 1989 और 1991 में मायावती बसपा के टिकट पर दो बार चुनाव हार गईं। बसपा सुप्रीमो की 1991 के चुनाव में तो जमानत तक जब्त हो गई थी। उन्हें महज चार फीसदी वोट ही नसीब हुए।
लोकसभा चुनाव आते ही सभी पार्टियों ने लोगों से वादों की झड़ी लगानी शुरू कर दी है। कांग्रेस ने भी चुनावी रैलियों में लोगों से कई तरह के वादे किए हैं। इस बीच कांग्रेस ने आज अपना घोषणापत्र भी जारी कर दिया है। कांग्रेस ने इस घोषणा पत्र को न्याय पत्र नाम दिया गया है।
10 न्याय और 25 गारंटियों का किया वादा-
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने आज घोषणा पत्र जारी किया। घोषणापत्र में पार्टी ने 10 न्याय और 25 गारंटियों का वादा किया है।
गरीब लड़कियों को 1 लाख की मदद, आरक्षण पर भी गारंटी-
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में गरीब लड़कियों को 1 लाख रुपये सालाना मदद देने की घोषणा की है।
इसके साथ ही देश में आरक्षण की सीमा 50 फीसद से बढ़ाने का वादा किया गया है।
घोषणा पत्र में कहा गया है कि केंद्र की सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 50 फीसद तक आरक्षण की व्यवस्था की जाएगी।
युवाओं के लिए पहली नौकरी पक्की देने का वादा किया गया है।
10 न्याय का वादा-
कांग्रेस ने 10 न्याय का वादा किया है। इसमें हिस्सेदारी न्याय, युवा न्याय, नारी न्याय, किसान न्याय, श्रमिक न्याय, संवैधानिक न्याय, आर्थिक न्याय, राज्य न्याय, रक्षा न्याय, पर्यावरण न्याय शामिल है।
चिदंबरम बोले- हमारा नौकरियों पर ही ध्यान-
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने घोषणा पत्र जारी किए जाने के बाद भाजपा पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि देश में महंगाई बढ़ रही है और नौकरियों में इजाफा नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि हम वादा करते हैं कि देश में रोजगार के अवसर बढ़ाने में कदम उठाएंगे।
लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी हमेशा से ही पहाड़ में अपने प्रत्याशी खड़ी करती आई है, लेकिन आज तक हाथी पहाड़ नहीं चढ़ पाया। स्थिति ये रही कि बसपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भी 2014 के लोकसभा चुनावों में 25 हजारत मतों पर सिमटकर रह गए थे।
वहीं, इस बार चुनाव में पहली बार बसपा ने सीमांत जनपद के दूरस्थ क्षेत्र के प्रत्याशी पर अपना विश्वास जताया है। उत्तराखंड बनने के बाद बसपा लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव, प्रदेश में अपनी पैठ बनाने की कोशिश करती रहती है। विधानसभा चुनाव में प्रदेश के मैदानी जिले हरिद्वार से एक बार बसपा को सफलता भी मिली, लेकिन लोकसभा चुनाव में पहाड़ में बसपा के वोट हर बार घटते रहे। बसपा ने वर्ष 2004 में टिहरी लोकसभा से प्रत्याशी मैदान में उतारा, लेकिन उन्होंने नाम वापस ले लिया था।
मुन्ना सिंह चौहान वर्ष 2009 में बसपा के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरे-
इसके बाद वर्ष 2009 में भाजपा से बगावत कर मुन्ना सिंह चौहान वर्ष 2009 में बसपा के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरे। जिन्हें जौनसार पृष्ठभूमि और देहरादून जिले के नाते करीब 90 हजार के आसपास मत मिले। उसके बाद वर्ष 2014 में टिहरी लोकसभा सीट पर बसपा से वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष शीशपाल चौधरी ने चुनाव लड़ा, लेकिन वह 25 हजार मतों पर अटक गए थे।
बसपा ने फिर वर्ष 2019 में तत्कालीन देहरादून के जिलाध्यक्ष सत्यपाल को मैदान में उतारा, जो 15 हजार मत पर अटक गए। अब वर्तमान में बसपा ने मैदानी इलाकों को छोड़ सीमांत जनपद उत्तरकाशी के पुरोला विधानसभा से प्रत्याशी मैदान में उतारा है। अब यह तो मतगणना के दिन ही पता लग पाएगा कि क्या बसपा पहाड़ के प्रत्याशी के नाम पर मतों की संख्या बढ़ा पाएगी या नहीं। संवाद
उत्तराखंड की जनता भाजपा और कांग्रेस के कार्यकाल से परेशान हो गई है, इसलिए बसपा लगातार जनता के बीच आकर इन दोनों की कमियों को उजागर कर रही है।-सतेंद्र खत्री, प्रदेश सचिव बसपा।
लोकसभा के चुनावी महाभारत के लिए भाजपा ने अपना चक्रव्यूह तैयार कर दिया है। कांग्रेस और विपक्षी दलों के प्रत्याशियों के कड़ी चुनौती पेश करने के लिए पार्टी ने रणनीति के तहत उन चेहरों पार्टी में शामिल कराया, जिन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस व निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोकी थी और अच्छे-खासे वोट हासिल किए थे।
लोकसभा चुनाव से ठीक पूर्व विधानसभा चुनाव के दूसरे या तीसरे स्थान पर रहे इन चेहरों के दम पर पार्टी अपनी चुनावी राह को आसान बनाने की कोशिश कर रही है। पार्टी के ज्वाइनिंग अभियान की गति बेशक अभी कुछ धीमी दिखाई दे रही है, लेकिन इसे भी सुनियोजित रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है।
भाजपा ने करीब 12,500 नए लोगों को पार्टी की सदस्यता-
सियासी हलकों में ये चर्चाएं अब खासी गरमा रहीं कि कांग्रेस के कुछ और बड़े चेहरे जिनमें विधायक भी बताए जा रहे हैं, कभी भी भाजपा का दामन थाम सकते हैं। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस संभावना से इन्कार भी नहीं कर रहा है। गढ़वाल मंडल की तीन लोकसभा सीटों में से दो में सबसे अधिक राजनीतिक चेहरे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए। कुछ ने घर वापसी की है। लोस चुनाव से पूर्व भाजपा ने करीब 12,500 नए लोगों को पार्टी की सदस्यता दिलाई।
विरोधी पार्टी से तोड़ने और अपने संग जोड़ने की यह कवायद इसलिए भी अहम मानी जा रही कि बदरीनाथ सीट पर कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े राजेंद्र भंडारी को पार्टी में शामिल करा दिया। भंडारी ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ले ली।
गढ़वाल लोस सीट से कुछ चेहरे भाजपा में आए-
बदरीनाथ ही नहीं गढ़वाल लोस क्षेत्र के अंतर्गत कुछ और विधानसभा क्षेत्रों से भी कुछ चेहरे भाजपा में शामिल हुए। इनमें केदारनाथ विस से 2022 का चुनाव लड़े कुलदीप रावत ने भाजपा की सदस्यता ली। वह चुनाव में दूसरे स्थान पर थे और उन्होंने 12,323 वोट हासिल किए थे। इसी तरह चौबट्टाखाल से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे केसर सिंह नेगी भाजपा में चले गए। उन्हें 1,3497 वोट मिले थे। पौड़ी विस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी रहे नवल किशोर ने भी भाजपा का दामन थाम लिया। उन्होंने 20,127 वोट हासिल किए थे। यमकेश्वर सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े शैलेंद्र सिंह रावत की भी भाजपा में वापसी हो गई। शैलेंद्र ने 17,980 वोट लिए थे। श्रीनगर गढ़वाल सीट से यूकेडी छोड़ कर आए मोहन काला भी भाजपा के हो गए। काला को विस चुनाव में 4271 वोट मिले थे
टिहरी लोकसभा सीट में भी लगी कांग्रेस में सेंध
कांग्रेस में सबसे बड़ी सेंध टिहरी लोकसभा क्षेत्र में लगी। यहां पुरोला सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी रहे मालचंद ने भाजपा में वापसी कर ली। मालचंद ने विस में 21,560 वोट लिए थे। गंगोत्री में खांटी कांग्रेसी रहे पूर्व विधायक विजय पाल सजवाण भी भाजपा में शामिल हो गए। गंगोत्री सीट पर दूसरे स्थान पर थे और उन्होंने 21,590 वोट हासिल किए थे। टिहरी लोस सीट पर दूसरे स्थान पर रहे दिनेश धनै भी भाजपा में शामिल हो गए। उन्हें 18,851 वोट मिले थे। इसके अलावा इसी सीट पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े धन सिंह नेगी ने भी भाजपा में वापसी कर ली। उन्होंने 6,385 वोट मिले थे। धनोल्टी सीट पर चुनाव लड़े जोत सिंह बिष्ट भी आम आदमी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। बिष्ट ने 2022 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था और 18,143 वोट लेकर वह दूसरे स्थान पर थे। इस सीट पर नंबर तीन रहे महावीर सिंह रांगड ने भी भाजपा में घर वापसी कर ली। रांगण ने भी 12,644 वोट हासिल किए थे।
हरिद्वार लोस में कुछ ही प्रत्याशी भाजपा में आए
हरिद्वार संसदीय क्षेत्र में बड़ी संख्या में पंचायत जनप्रतिनिधियों ने भाजपा का दामन थामा, लेकिन विस चुनाव के पूर्व प्रत्याशियों की संख्या गढ़वाल और टिहरी सीट से कम रही। टिहरी से पिता दिनेश धनै के भाजपा में शामिल होने के साथ ऋषिकेश से चुनाव लड़े कनक धनै भी भाजपा के हो गए। कनक ने 2022 के विस चुनाव में 13,080 वोट हासिल किए थे। भगवानपुर सीट पर अपनी भाभी कांग्रेस की ममता राकेश से हारे सुबोध राकेश ने बसपा छोड़कर भाजपा में वापसी कर ली। सुबोध राकेश को 39,997 वोट मिले थे। खानपुर सीट के पूर्व प्रत्याशी सुभाष चौधरी ने भाजपा में जा चुके हैं। उन्हें छह हजार से अधिक वोट मिले थे।
कुमाऊं में बेअसर रहा भाजपा के ज्वाइनिंग अभियान
गढ़वाल मंडल तुलना में भाजपा का ज्वाइनिंग अभियान कुमाऊं मंडल में प्रभावी नहीं रहा। नैनीताल लोस क्षेत्र में कालाढूंगी विस से महेश चंद्र शर्मा ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा। महेश चंद्र को 2022 के चुनाव में 43 हजार से अधिक वोट मिले थे। भीमताल विस सीट पर कांग्रेस से चुनाव लड़े दान सिंह भंडारी ने भी भाजपा में वापसी कर ली। भंडारी को 15 हजार से अधिक वोट मिले थे। किच्छा से प्रत्याशी रहे अजय तिवारी ने भी भाजपा की सदस्यता ली। उन्हें 6,000 से अधिक वोट मिले थे। इनके अलावा कुमाऊं मंडल से कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा भाजपा में शामिल नहीं हुआ।
आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह को आखिरकार दिल्ली के कथित शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में जमानत मिल गई। वह करीब पिछले छह महीनों से जेल में बंद थे। संजय सिंह को जमानत मिलने के बाद उनकी पत्नी अनीता सिंह का बयान चर्चा में है। उन्होंने कहा है कि हम सभी अभी खुशी नहीं मनाएंगे। आइए जानते हैं उन्होंने ऐसा क्यों कहा है।
अनीता सिंह से जब संजय सिंह के जेल से बाहर आने के बाद पूछा गया कि कितनी खुशी है तो उन्होंने कहा कि अभी खुशी हमारी अधूरी है। अभी हमारी लड़ाई बहुत लंबी है, क्योंकि हमारे तीन बड़े भाई, अरविंद केजरीवाल, सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया अभी जेल में हैं। जब तक हमारे तीनों भाई जेल से बाहर नहीं आएंगे तब तक हमारी खुशी अधूरी है। साथ ही तब तक कोई जश्न नहीं मनाएंगे। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। देश की जनता सब कुछ देख रही है।
बता दें कि जस्टिस संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ ने मंगलवार को छह महीने से जेल में बंद संजय सिंह को जमानत देने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि अगर आप नेता को मामले में जमानत दी जाती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने छह महीने से जेल में बंद संजय सिंह को रिहा करने का आदेश दिया।
उत्तराखंड के रुद्रपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी जनसभा की। पीएम मोदी ने देसी अंदाज में हाल चाल लिया। पीएम मोदी ने कहा कि भीड़ को देखकर यह तय नहीं हो पा रहा कि यह प्रचार सभा या विजय रैली।
मैदान में बैठे लोगों को धूप लगने पर पीएम मोदी ने कहा कि भीड़ के लिए पंडाल छोटा पड़ गया है। जितने लोग अंदर बैठे हैं उससे ज्यादा लोग बाहर धूप में तप रहे हैं। हमारी व्यवस्था में कुछ कमी रही इसके लिए मैं क्षमा मांगता हूं। आपको विश्वास दिलाता हूं कि धूप में तपने की आपकी तपस्या को बेकार नहीं जाने दूंगा। मैं इसे विकास कर करके लौटा दूंगा।
आपके प्यार के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। कहा कि यह चुनावी सभा भी ऐसे क्षेत्र में हो रही है जिसे मिनी इंडिया कहा जाता है। कहा कि यह देवभूमि और मिनी इंडिया का ही आशीर्वाद है कि वह उत्तराखंड की पवित्र धरती पर आए हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के प्रति भाजपा का जो प्रेम जग जाहिर है।
हमें उत्तराखंड को विकसित राज्य बनाकर सबसे आगे लेकर जाना है। इसके लिए केंद्र की भाजपा सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। पिछले दस वर्षों में जितना विकास उत्तराखंड का हुआ है उतना आजादी के बाद के 60-65 साल में भी नहीं हुआ।
‘दस साल में जितना विकास हुआ आज तक नहीं-
पीएम मोदी ने कहा कि हमें उत्तराखंड को विकसित बनाना है, केंद्र सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही। दस साल में जितना विकास हुआ आज तक नहीं हुआ। 12 लाख घरों को पानी कनेक्शन दिया। तीन लाख को स्वामित्व योजना का लाभ मिला। 35 लाख लोगों को बैंक खाते खोले गए। छोटे किसानों के खाते में किसान निधि दी। नियत सही होती है तो काम ऐसे ही होते हैं। नियत सही तो नतीजे भी सही।
पीएम मोदी ने कहा कि आज उत्तराखंड हर प्रकार की आधुनिक कनेक्टिविटी से जुड़ रहा है। भाजपा ने प्रदेश के गरीबों को 85000 घर बनाकर दिए हैं। 12 लाख घरों तक पानी का कनेक्शन पहुंचाया है। इसके अलावा भाजपा सरकार ने साढे पांच लाख से ज्यादा शौचालयों का निर्माण कराया है। इसके अलावा यहां की पांच लाख से ज्यादा महिलाओं को उज्जवला गैस मुक्त कनेक्शन दिया गया है। करीब 3 लाख लोगों को स्वामित्व योजना के तहत उनकी प्रॉपर्टी के कार्ड दिए गए हैं। उत्तराखंड के 35 लाख लोगों के पास पहले बैंक में खाता तक नहीं थे। भाजपा सरकार ने 35 लाख लोगों के बैंक खाते खुलवाए और उन्हें बैंकों से जोड़ा। कहा कि इतने सारे काम तब होते हैं जब नीयत सही होती है। इसलिए मैं कहता हूं नियत सही तो नतीजे भी।
‘मोदी की गारंटी ने उत्तराखंड के घर-घर में सुविधा पहुंचाई‘–
पीएम ने कहा कि मोदी की गारंटी यानी पूरा होने की गारंटी है। मोदी की गारंटी ने उत्तराखंड के घर-घर में सुविधा पहुंचाई है, लोगों का स्वाभिमान बढ़ाया है। अब तीसरे टर्म में आपका ये बेटा एक और बड़ा काम करने जा रहा है। आपको 24 घंटे बिजली मिले, बिजली का बिल जीरो हो और बिजली से कमाई भी हो। इसके लिए मोदी ने ‘पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ शुरू की है।
‘भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बनाने की गारंटी दी‘–
पीएम ने कहा कि मोदी ने भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बनाने की गारंटी दी है। तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत का मतलब है, लोगों की कमाई बढ़ेगी। नौकरी के अवसर बढ़ेंगे। गांव-शहर में सुविधा बढ़ेगी। इसका बड़ा फायदा उत्तराखंड को भी होगा। ‘उत्तराखंड की पवित्र धरती पर खुद को बहुत धन्य महसूस करता हूं‘–
पीएम मोदी ने कहा कि मैं जब भी उत्तराखंड की पवित्र धरती पर आता हूं, खुद को बहुत धन्य महसूस करता हूं। इसलिए मेरे दिल की गहराई से एक बात निकली थी- देवभूमि के ध्यान से ही मैं सदा धन्य हो जाता हूं, है भाग्य मेरा सौभाग्य मेरा, मैं तुमको शीश नवाता हूं।
पीएम मोदी ने कांग्रेस पर बोला हमला-
पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने मां भारती के टुकड़े किए। उत्तराखंड वीर संतान को जन्म देती है, कांग्रेस ने तमिलनाडु के पास समुंद्र में द्वीप भारत का हिस्सा श्रीलंका को दिया। कोई मछुआरे जाता है तो वो वाह जेल में है। लोगों से पूछा क्या कांग्रेस भारत की रक्षा कर सकती है, मोदी ने सैनिक परिवारों को वन रैंक वन पेंशन दी। नियत सही तो नतीजे सही।
तीसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार पर तेज प्रहार होगा- PM
पीएम मोदी ने कहा कि इस चुनाव में दो खेमे हैं। हम लोग ईमानदारी दूसरी तरफ भ्रष्टाचारी, धमकी और गाली दे रहे हैं। हम कह रहे भ्रष्टाचार हटाओ, वो कह रहे भष्टाचारी बचाओ। मोदी देश की आवाज सुनता है। मोदी को कितनी गलियां और धमकी दी जाए, मैं डरने वाला नहीं। पीएम मोदी ने कहा कि तीसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार पर तेज प्रहार होगा। आगे आना वाला पांच साल देश हित में बड़े फैसलों के होंगे।
इस बार लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी मैदानी प्रभाव वाली हरिद्वार और नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीटों पर सबसे ज्यादा स्टार प्रचारक उतारेगी। 2017 के मुकाबले 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन गिरने के बाद पार्टी ने ये रणनीति बनाई है। दोनों सीटों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक को लाने की तैयारी है।
हरिद्वार लोकसभा सीट में कुल 14 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 2017 के विस चुनाव में भाजपा के पास 11 व कांग्रेस के पास तीन थीं। 2022 के विस चुनाव में लोकसभा में छह सीटें भाजपा के पास रह गई थीं। पांच सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था। दो पर बसपा और एक निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। इसी प्रकार, नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा में कुल 14 विधानसभा सीटें हैं।
इनमें से 2017 के विस चुनाव में भाजपा के पास 11, कांग्रेस के पास दो और एक निर्दलीय विधायक था, लेकिन 2022 के विस चुनाव में इस लोकसभा के अंतर्गत आने वालीं 14 सीटों में से भाजपा के पास आठ रह गईं और कांग्रेस की दो से बढ़कर छह हो गई थीं। लिहाजा, लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने इन दोनों जिलों के लिए खास प्लान तैयार किया है।
पार्टी जल्द ही जारी करेगी शेड्यूल
हरिद्वार में कार्यकर्ताओं के बीच प्रचार करने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा अप्रैल के पहले सप्ताह में रोड शो करेंगे। इसके बाद यहां भगवानपुर में गृह मंत्री अमित शाह और रुड़की में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को बतौर स्टार प्रचारक लाने की तैयारी हो रही है। वहीं, ऊधमसिंह नगर जिले में पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रुद्रपुर, अमित शाह, राजनाथ सिंह को लाने की तैयारी में जुट गई है। पार्टी जल्द ही इसका शेड्यूल जारी करेगी।
2022 विस चुनाव में गढ़वाल-कुमाऊं में भाजपा-कांग्रेस
गढ़वाल मंडल
कुल सीटें- 41
भाजपा- 28
कांग्रेस-8 (एक विधायक के भाजपा में जाने से सीट खाली)