Category Archive : राजनीति

Maharashtra: मराठा आरक्षण समर्थकों ने नगरपालिका भवन को किया आग के हवाले, NCP विधायक का घर जला डाला.

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मराठा आरक्षण की मांग को लेकर इन दिनों महाराष्ट्र की सियासत गरम है। महाराष्ट्र के बीड़ जिले में कथित तौर पर मराठा आरक्षण की मांग कर रहे लोगों ने NCP विधायक प्रकाश सोलंके के घर को आग लगा दी (Maratha Reservation NCP MLA house set on fire). प्रकाश सोलंके महाराष्ट्र के डेप्युटी सीएम अजित पवार के खेमे के विधायक बताए जाते हैं. खबर के मुताबिक मराठा समुदाय के लोग सोलंके के घर के बाहर आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन प्रदर्शन उग्र हो गया. मराठा आरक्षण समर्थकों ने प्रकाश सोलंके के घर पर पहले पथराव किया, कुछ देर बाद पता चला कि प्रदर्शनकारियों ने उनके घर को आग के हवाले कर दिया है.

उन्होंने बताया कि लकड़ी के डंडों से लैस मराठा आरक्षण समर्थकों ने छत्रपति संभाजीनगर जिले के गंगापुर में भाजपा विधायक प्रशांत बांब के कार्यालय में भी तोड़फोड़ की। दोनों घटनाओं में कोई हताहत नहीं हुआ। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि विधायक सोलंकी के आवास में आग लगाने के बाद आरक्षण कार्यकर्ताओं का एक समूह पराली  रोड स्थित माजलगांव नगर परिषद भवन में गया और तोड़फोड़ शुरू कर दी।

 

यह घटना मुंबई से चार सौ किलोमीटर से ज्यादा दूर माजलगांव में दोपहर करीब डेढ़ बजे हुई। उन्होंने बताया कि  कार्यकर्ताओं का समूह लकड़ी के डंडों और पत्थरों से लैस था और खिड़कियों को क्षतिग्रस्त किया गया। अधिकारी ने बताया कि तोड़फोड़ करने वाले लोग इमार की पहली मंजिल पर गए और उसमें आग लगा दी, जिससे वहां का फर्नीचर जलकर खाक हो गया।

उन्होंने बताया कि दमकल कर्मी मौके पर पहुंचे और आग पर काबू पा लिया गया। हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ। अधिकाी ने कहा, पुलिस ने नगर परिषद भवन में आग लगाने में शामिल लोगों की पहचान करने के लिए इलाके के सीसीटीवी फुटेज की जांच शुरू कर दी है और उनके खिलाफ अपराध दर्ज करने की प्रक्रिया जारी है। 

पुलिस ने बताया कि छत्रपति संभाजीनगर जिले के गंगापुर में दूसरी घटना में मराठा आरक्षण समर्थकों के एक समूह ने भाजपा विधायक बांब के कार्यालय के अंदर खिड़की के शीशे और फर्नीचर को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसके बाद दो लोगों को हिरासत में लिया गया। हिंसा और आगजनी की घटनाएं ऐसे समय में सामने आई हैं, जब मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन दूसरे चरण में है। आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे 25 अक्तूबर से जालना जिले के अंतरावाली सरती गांव में अनिश्चितकालीन उपवास पर हैं। 

पिछले 48 घंटों में एमएसआरटीसी की 13 बसें क्षतिग्रस्त, 30 डिपो में परिचालन बंद-

मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान पिछले 48 घंटों में एमएसआरटीसी की कम से कम 13 बसें क्षतिग्रस्त हो गई हैं, जिसमें सोमवार की चार बसें भी शामिल हैं। एक अधिकारी ने बताया कि इसके चलते राज्य संचालित परिवहन निगम ने अपने 250 डिटो में से 30 में परिचालन बंद करने का फैसला लिया है।उन्होंने कहा कि रविवार को नौ बसें क्षतिग्रस्त हो गईं, जिन तीस डिपो पर परिचालन बंद कर दिया गया है, वे महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) के छत्रपति संभाजीनगर डिवीजन में हैं। छत्रपति संभाजीनगर डिवीजन में बीड, धाराशिव और छत्रपति संभाजीनगर जोन के 17 डिपो को छोड़कर सभी एमएसआरटीसी डिपो बंद कर दिए गए हैं। एमएसआरटीसी के पास 15 हजार बसें हैं और यह राज्यभर के मार्गों पर प्रति दिन करीब साठ लाख लोगों को यात्रा कराती हैं। मराठा समुदाय के लिए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर राज्य के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

RSS: राम मंदिर पर खास योजना बनाने के लिए संघ की बड़ी बैठक, मोहन भागवत भी होंगे शामिल.

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राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होने की घोषणा के तुरंत बाद आरएसएस के शीर्ष पदाधिकारियों की एक शीर्ष बैठक हो रही है। बैठक में राम मंदिर उद्घाटन समारोह को भव्य बनाने के लिए खास योजना तैयार की जाएगी। इस बैठक में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल होंगे। वे पहले ही विजयादशमी पर राम मंदिर उद्घाटन के दिन पूरे देश के मंदिरों में खास पूजा कार्यक्रम आयोजित करने की बात कह चुके हैं। आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी सुनील आंबेकर ने बताया है कि इस बैठक में संघ के सभी वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहेंगे।

 

 

जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक इस वर्ष गुजरात के कच्छ क्षेत्र भुज में हो रही है। यह बैठक 5, 6 और 7 नवंबर 2023 को होगी, जिसमें संघ के 45 सांगठनिक प्रांतों से प्रांत संघचालक, कार्यवाह एवं प्रांत प्रचारक, उनके सरसंघचालक, सहकार्यवाह और सह प्रांत प्रचारक सहभागी होंगे। आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और  सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले एवं सभी अखिल भारतीय पदाधिकारियों सहित कार्यकारिणी के सभी सदस्य भी उपस्थित रहेंगे। कुछ विविध संगठन के चयनित संगठन मंत्री भी बैठक में भाग लेने वाले हैं।

बैठक में संघ के सांगठनिक कामकाज की समीक्षा के साथ ही सितंबर में पुणे में सम्पन्न हुई अखिल भारतीय समन्वय बैठक में कई विषयों पर चर्चा होगी। विजयादशमी उत्सव पर मोहन भागवत के संबोधन के उल्लेखनीय मुद्दों पर भी चर्चा होगी। 22 जनवरी 2024 को हो रहे श्री राम मंदिर प्रतिष्ठापना समारोह और उससे जुड़े देश भर में प्रस्तावित कार्यक्रम आदि विषयों पर भी इस बैठक में चर्चा होगी।

 

MP Election: मध्य प्रदेश चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस को बड़ा झटका, जानिए क्या थी वजह.

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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को मतदान होना है। हालांकि, मतदान से पहले ही मध्य प्रदेश में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। मध्य प्रदेश में टिकट वितरण होते ही कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में बगावत की आग भड़क गई है। इस आग की तपिश में उनके झुलसने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है।

राज्य में विधानसभा की 230 सीटें हैं और भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस अब तक 228-228 विधानसभा क्षेत्र के लिए अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने विधायकों के टिकट काटे हैं। वहीं कई दावेदारों की मंशा को पूरा नहीं होने दिया। लिहाजा आक्रोश और असंतोष चरम पर पहुंच गया है।

बीजेपी के कई कार्यकर्ताओं ने दिए इस्तीफे-
 

बीजेपी की पांचवी सूची जारी होते ही प्रत्याशियों के समर्थकों ने बवाल खड़ा कर दिया है,,और ये बवाल बीजेपी के बड़े बड़े नेताओं और मंत्रियों को झेलना पड़ रहा है,,21 अक्टूबर को जहां धर्मेंद्र यादव के साथ धक्का मुक्की हुई तो 22 अक्टूबर को ज्योतिरादित्य सिंधिया के घर के बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन हुए जिसके बाद खुद संधिया को बाहर आना पड़ा और अब खबर है कि bjp से हजारों कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा दे कर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी है.

बीजेपी के नाराज प्रत्याशियों ने किया हंगामा-

पांचवी सूची जारी होने के बाद बीजेपी दफ्तर में जमकर बवाल हुआ,,केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के साथ भी धक्का मुक्की की गयी,उनके गनमैन के साथ मारपीट भी की गयी. दरअसल शहर की उत्तर मध्य विधानसभा सीट से बाहरी प्रत्याशी को टिकट देने से नाराज बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश चुनाव के प्रभारी भूपेंद्र यादव के साथ भी धक्का मुक्की की गई. साथ ही उनके गनमैन के साथ मारपीट भी की. इस दौरान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु शर्मा के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी और आपत्तिजनक टिप्पणी की गई.

बीजेपी से हैं कई समर्थक नाराज-

बीजेपी ने अपनी पांचवीं लिस्ट घोषित की, जिसमें जबलपुर की उत्तर मध्य विधानसभा सीट से अभिलाष पांडेय को उम्मीदवार बनाया गया. बताया जाता है कि इसके बाद पूर्व मंत्री शरद जैन, अब पार्टी में वापसी कर चुके पूर्व बागी नेता धीरज पटेरिया और एक पार्षद कमलेश अग्रवाल के नाराज समर्थक बीजेपी के संभागीय बैठक में जबरन घुस गए. उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए हंगामा किया।

इस दौरान बैठक में मौजूद केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश चुनाव के प्रभारी भूपेंद्र यादव के साथ भी नाराज कार्यकर्ताओं ने धक्का मुक्की कर दी. बीजेपी के संभागीय दफ्तर में तकरीबन एक घंटे तक हंगामा होता रहा. इस दौरान जमकर गाली गलौज भी हुई. नाराज कार्यकर्ताओं ने एक सिक्योरिटी गार्ड को भी धक्का मुक्की देते हुए नीचे गिरा दिया पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.

कांग्रेस के भी कई विधायकों ने दिए इस्तीफे-

ऐसा नहीं है कि सिर्फ अकेले  बीजेपी का ये हाल है,बल्कि कांग्रेस में भी अब उम्मीदवारों  की पहली  सूची जारी होने के बाद बगावत शुरू हो गयी है. कांग्रेस में पहली सूची जारी होते ही धड़ाधड़ तीन विकेट गिर गए. नारयोली और नागौद विधानसभा क्षेत्र से टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस के दो नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। इसके साथ ही कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष ने भी इस्तीफा दे दिया है। 

कांग्रेस पार्टी के एक पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह ने सतना जिले  के नागौद विधानसभा क्षेत्र से टिकट नहीं मिलने पर पार्टी से इस्तीफा दे दिया। रविवार को ही बहुजन समाज पार्टी  में शामिल हो गए। ग्रेस की 144 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी करने के कुछ घंटों बाद ही पार्टी को पहला झटका लग गया था। कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अजय सिंह यादव ने पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ अन्याय का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

कांग्रेस ने अपने इन 6 विधायकों को नहीं दिए टिकट-

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने गुरुवार को देर रात अपनी दूसरी सूची जारी की थी. इसके बाद से ही पार्टी को कई जगहों पर विरोध का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, कांग्रेस ने अपने छह विधायकों को टिकट नहीं दिया. इसके चलते राज्य में इन विधायकों ने पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी है.

 

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक बगावत करने वाले विधायकों में से चार ने नवंबर 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफादारों के खिलाफ विधानसभा उपचुनाव जीते थे. इनमें सुमावली विधायक अजब सिंह कुशवाह, ब्यावरा विधायक रामचंद्र दांगी, गोहद के मेवाराम जाटव और मुरैना के राकेश मावई शामिल हैं. इस सूची में शामिल विधायकों में बड़नगर सीट से मुरली मोरवाल और सेंधवा सीट से ग्यारसी लाल रावत भी शामिल हैं.

एक तरफ जहां भाजपा में असंतोष उभर रहा है तो दूसरी तरफ कांग्रेस में भी नाराजगी लगातार बढ़ रही है और यही कारण रहा कि पार्टी को तीन उम्मीदवारों में बदलाव लाना पड़ा है। इसके अलावा कई कार्यकर्ता तो प्रदेश कार्यालय भी पहुंच गए और उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए पुतलों का दहन भी किया। कांग्रेस और भाजपा में बढ़ते असंतोष और विरोध प्रदर्शन के चलते दोनों ही राजनीतिक दल चिंतित हैं। इस बार का चुनाव कांटे का है और हार जीत में ज्यादा अंतर न रहने की संभावना जताई जा रही है।

Rajasthan Election: BJP ने राजस्थान में आज अपने 83 उम्मीदवारों की सूची की जारी, वसुंधरा पांचवीं बार झालरापाटन से मैदान में.

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अब राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने भी 83 उम्मीदवारों की सूची आज जारी कर दी है. एक दिन पहले ही दिल्ली में भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई थी, जिसमें इन नामों पर अंतिम मुहर लगी थी। पहली सूची में भाजपा ने 41 उम्मीदवार घोषित किए थे। भाजपा अब तक 124 नामों का ऐलान कर चुकी है, जबकि 76 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा होना बाकी है।

यहां से लड़ेंगी वसुंधरा चुनाव-

चुनाव की सरगर्मी जब से शुरू हुई, तब से सबसे बड़ा सवाल यही था कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की क्या भूमिका होगी और क्या वे विधानसभा चुनाव लड़ेंगी? भाजपा की दूसरी सूची में सबसे बड़ा नाम वसुंधरा राजे का ही है। वे झालावाड़ की झालरापाटन विधानसभा सीट से पांचवीं बार चुनाव लड़ेंगी।

 

पूनिया को आमेर से टिकट-

नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की सीट बदल दी गई है। वे इस बार चूरू जिले की तारानगर से चुनाव लड़ेंगे। पिछली बार वे चुरू से जीते थे। चुरू से उनकी जगह हरलाल सहारण को टिकट दिया गया है। आमेर से भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को टिकट दिया गया है।

 

राजवी की सीट बदली, कांग्रेस से आईं ज्योति मिर्धा नागौर से उम्मीदवार-

कांग्रेस से भाजपा में आईं पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा को नागौर से उम्मीदवार बनाया गया है।  पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी को चित्तौड़गढ़ से उम्मीदवार बनाया गया है। वे पिछली बार जयपुर की विद्याधर नगर सीट से चुनाव लड़े थे, जहां से इस बार भाजपा ने सांसद और जयपुर के पूर्व शाही घराने से ताल्लुक रखने वाली दीया कुमारी को टिकट दिया है। राजसमंद से दीप्ति माहेश्वरी को टिकट दिया गया है। वे दिवंगत भाजपा नेता रहीं किरण माहेश्वरी की बेटी हैं। यहां हुए उपचुनाव में दीप्ति ही निर्वाचित हुई थीं।

पूर्व राजघराने से जुड़े मेवाड़ और सिद्धि कुमारी यहां से लड़ेंगे चुनाव-

नाथरद्वारा से कुंवर विश्वराज सिंह मेवाड़ को टिकट दिया गया है। मेवाड़ के पूर्व शाही घराने से ताल्लुक रखने वाली विश्वराज कुछ दिन पहले भाजपा में शामिल हुए थे। यहां से विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी कांग्रेस के मौजूदा विधायक हैं। कांग्रेस ने दोबारा जोशी को ही यहां से मैदान में उतारा है। बीकानेर के पूर्व राजघराने से संबंध रखने वाली सिद्धि कुमारी को बीकानेर पूर्व से फिर से चुनाव लड़ेंगी। पिछली बार वे इस सीट से जीती थीं।

वसुंधरा के इन समर्थकों को भी मिला टिकट-

वसुंधरा के समर्थकों को भी भाजपा की दूसरी सूची में मौका मिला है। प्रताप सिंह सिंघवी को छाबड़ा सीट से फिर से टिकट मिला है। वे यहीं से मौजूदा विधायक हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कालीचरण सराफ को भी मालवीय नगर से फिर से टिकट मिला है।

 

 

Rajasthan Election: कांग्रेस की उम्मीदवारों की पहली सूची हुई जारी, जानिए कौन कहां से लड़ेंगे चुनाव.

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Rajasthan Election 2023- राजस्थान में अब लंबे समय के इंतजार के बाद आखिरकार कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी गई। इस पहली लिस्ट में पार्टी ने 33 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है। कांग्रेस की पहली सूची में अशोक गहलोत के साथ ही सचिन पायलट, दिव्या मदेरणा, गोविंद सिंह डोटासरा, डॉ. अर्चना शर्मा, ममता भूपेश के साथ ही अशोक चांदना का नाम भी शामिल है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरदारपुरा से चुनाव लड़ेंगे। वहीं, सचिन पायलट टोंक से, ममता भूपेश सिकराय से, दिव्या मदेरणा ओसियां से चुनाव मैदान में उतारी गई हैं। पहली सूची में सीपी जोशी का नाम भी शामिल है, जिनके नाम को लेकर आशंकाएं जताई जा रही थी।

2020 में बागी विधायकों को भी टिकट-


2020 में सचिन पायलट के साथ बगावत करने वाले कई विधायकों को भी कांग्रेस की पहली सूची में टिकट मिला है।  विराटनगर सीट इंद्राज गुर्जर को फिर से टिकट मिल गया है। इसी तरह लाडनू सीट से मुकेश भाकर फिर से टिकट पाने में सफल रहे हैं। वहीं, वल्लभनगर से विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत का टिकट जरूर कट गया है, लेकिन उनकी जगह उनकी पत्नी प्रीति को टिकट दिया गया है। इसी तरह परबतसर से विधायक रामनिवास गावड़िया भी फिर से टिकट पा गए हैं।

 

पायलट को चुनौती देने वाले को भी टिकट-


सचिन पायलट का साथ देने वालों को टिकट मिला है, साथ ही उनको चुनौती देने वाले अशोक चांदना को भी पार्टी ने टिकट दिया है। राजस्थान के सियासी हलके में अक्सर कहा जाता है कि सचिन पायलट के सामने गुर्जर नेता के रूप में अशोक गहलोत चांदना को आगे बढ़ाते रहे हैं। पायलट और चांदना के बीच 2022 में तल्खी तब सामने आई थी जब पुष्कर में कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के अस्थि विसर्जन कार्यक्रम में खेल राज्य मंत्री अशोक चांदना पर जूते-चप्पल फेंकने की घटना हुई थी। तब चंदाना ने ट्वीट कर पायलट को खुली चुनौती दी थी। चांदाना ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा ” मुझ पर जूता फेंकवाकर सचिन पायलट यदि मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं तो जल्दी से बन जाए, क्योंकि आज मेरा लड़ने का मन नहीं है। जिस दिन मैं लड़ने पर आ गया तो फिर एक ही बचेगा और यह मैं चाहता नहीं हूं।”

CM गहलोत ने दौसा में किया प्रत्याशियों का एलान-


आज यानी शुक्रवार को प्रियंका गांधी की जनसभा में सीएम अशोक गहलोत ने इशारों ही इशारों में दौसा जिले की पांच विधानसभा के टिकट बांट दिए। जिनमें चार कांग्रेस के वर्तमान विधायकों और पांचवां टिकट महवा विधानसभा से निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुडला को देने की बात कही। भाषण के आखिर में गहलोत ने कहा- आप लोग दौसा से हमारे ममता भूपेश, मुरारी मीणा, गजराज खटाना और मुरारी लाल मीणा को जिताकर भेजो।

जानिए, राजस्थान का चुनावी कार्यक्रम-


30 अक्टूबर को अधिसूचना जारी की जाएगी। छह नवंबर तक नामांकन किया जा सकता है। सात नवंबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी। नौ नवंबर नाम वापसी की आखिरी तारीख है। 25 नवंबर को मतदान होगा, जबकि नतीजे तीन दिसंबर को सामने आएंगे

M.P Election- पहले टिकट फंसा अब खुद फंस गए, शिवराज की विधानसभा में ताबडतोड़ छापेमारी.

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मध्य प्रदेश में दिया शिवराज सिंह का एक बयान अब बड़ी तेजी  से वायरल हो रहा है, एक तरफ मामा जी ने ये बयान  दिया दूसरी तरफ उनके विधानसभा क्षेत्र बुधनी में ED ने छापेमारी कर दी. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ये अब तक का सबसे बड़ा एक्शन है और जैसे ही ये छापेमारी की गयी वैसे ही कांग्रेस की तरफ से इस पर खूब चुटकी ली गयी है. कांग्रेस कह रही है कि मोदी जी ने आखिरकार शिवराज को ठिकाने लगा ही दिया. 

ED ने की छापेमारी-


अब मामा जी के विधानसभा क्षेत्र बुधनी में ED  की छापेमारी हुई है, बड़ा एक्शन है, बड़ी खबर है, इस खबर से मध्य प्रदेश में हल्ला मचा हुआ है. मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के चुनावी क्षेत्र दतिया में एक दिन पहले  ED ने रेड किया था. अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चुनावी क्षेत्र में भी आईटी टीम ने छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दिया. जिसको लेकर कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर जोरदार तंज कसा है. कांग्रेस नेता पीयूष बबेले ने सोशल मीडिया पर लिखा, ”मोई जी ने ठाना है, मामा को निपटाना है.”
कांग्रेस के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किये गए संदेश में आगे लिखा कि मुख्यमंत्री के चुनाव क्षेत्र बुधनी में ट्राइडेंट कंपनी पर आयकर का छापा.

सोमवार को गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के चुनाव क्षेत्र दतिया में कारोबारी के यहां ईडी का छापा पड़ा था. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ”स्थानीय लोगों को पता है कि नरोत्तम मिश्रा और शिवराज सिंह चौहान का छापा पड़ने वालों से क्या संबंध है.

 
शिवराज और मोदी के बीच खींचतान-

“दसरल शिवराज सिंह चौहान ने मंच से जो कहा वो कथित बगावत कही जा सकती है. आपको बता दें कि नरेंद्र मोदी और शिवराज के बीच खींचतान साफ़ दिखाई देती है,पहले mp को लेकर बने थीम सांग से शिवराज को गायब किया गया,फिर टिकट में देरी की गयी, इतना ही नहीं मोदी जब भी प्रचार में मध्य प्रदेश आते हैं  मंच से शिवराज या उनकी योजनाओं का कभी भी नाम नहीं लेते। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान ने कथित तौर पर बगावती तेवर दिखाए और अब खबर निकल कर सामने आ रही है कि उनके विधानसभा क्षेत्र बुधनी में ED की छापेमारी हुई है और इसके बाद शिवराज का ये बयान वायरल हो रहा है.

एक दिन पहले प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के विधानसभा चुनावी क्षेत्र दतिया में ईडी ने रेड मारी थी. 16 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय  की टीम ने दतिया शहर के काले महादेव मंदिर के पास रहने वाले बीजेपी पार्षद के भाई के घर पर छापा मारा था. टीम सुबह 6 बजे उनके घर पर पहुंची और 11 घंटे बाद शाम पांच बजे बाहर निकाली. ईडी घर से बड़ा बैग लेकर निकली, जिसमें लाखों रुपए नकदी और जमीन व बैंकों से जुड़े दस्तावेज थे. अब इनकम टैक्स टीम ने बुधनी विधानसभा क्षेत्र में स्थित ट्राइडेंट कंपनी में छापेमारी की कार्रवाई की है.

इनकम टैक्स टीम के अफसर 60 गाड़ियों से ट्राइडेंट कंपनी के कार्यालय पहुंचे हैं. इस दौरान कंपनी कैंपस को जांच के लिए सील कर दिया गया था. इनकम टैक्स की टीम कंपनी के दस्तावेजों की पड़ताल करने में जुट गई है.

ED की कार्रवाई ने बढ़ाई शिवराज की मुश्किलें-

दरअसल, ये जो  ट्राइडेंट कंपनी है ये शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र में पड़ती है और शिवराज ने ही इसको यहां स्थापित किया है लेकिन ये कम्पनी शिवराज के करीबी की बताई जाती है. अब इस पर ED की छापेमारी हुई है, आज तक खबरें आ रही थी कि विपक्ष पर छापेमारी हो रही है लेकिन अब जिस तरह से शिवराज के ही करीबियों पर ही छापेमारी की जा रही है ये अपने आप में समझने के लिए काफी है कि ये चुनाव किस दिशा में जा रहा है.

राजनीतिक विश्लेषक भी समझते हैं कि चुनाव से ठीक पहले इस तरह की छापेमारी करके क्या संदेश देने की कोशिश की जा रही है. बुधनी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और शिवराज की मुश्किलें पहले ही बढ़ी हुई है क्योकि यहां के सांसद ने पार्टी छोड़ दी है, यहां से एक बड़े काफिले के साथ राजेश पटेल ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है. पहले ही शिवराज यहां फंसे हुए हैं ऊपर से ed की कार्रवाई ने शिवराज की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

क्या MP में BJP हारने वाली है ?

अब ऐसे में सवाल उठता है कि जिस तरह से मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री की खिलाफत की गयी है क्या वो भारी पड़ती नजर आ रही है? क्या मध्य प्रदेश में भाजपा बुरी तरीके से हारने वाली है. इसलिए अब छापेमारी पर छापेमारी की जा रही है ताकि बाद में सफाई देने के लिए खबरें रहे, कई सवाल इससे निकल कर सामने आ रहे हैं क्या मध्य प्रदेश के जरिये अन्य राज्यों में पार्टी की खिलाफत करने वालों को संदेश दिया जा रहा है कि आप भी सम्भल जाइये नहीं तो आपकी भी मुश्किलें पैदा हो सकती है.

परिवारवाद पर राहुल गांधी का जवाब सुनकर पसरा सन्नाटा. राहुल गांधी का ऐसा भाषण नहीं सुना होगा.

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देश की राजनीति में परिवारवाद एक बड़ा मुद्दा बनकर पिछले काफी समय से उठता आ रहा है,जिसको लेकर सबसे अधिक आरोप भाजपा की ओर से कांग्रेस पर लगते है जिस पर कांग्रेस कई बार बैकफुट पर नजर आयी है,लेकिन पिछले कुछ समय से जिस तरह से कांग्रेस ने आक्रामक रुख अपनाया है उससे भाजपा को करारा जवाब मिल रहा है.

कांग्रेस भी अब इस पर भाजपा को मुंहतोड़ जवाब दे रही है और सबसे अधिक हमलावर राहुल गांधी लग रहे हैं जो लगातार मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं,चाहे वो बेरोजगारी हो या महंगाई या फिर अडानी मुद्दा हो, राहुल लगातार भाजपा और मोदी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं, राहुल गांधी देश के हर हिस्से में जहां भी वो जा रहे हैं प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं और हर सवाल का जवाब दे रहे है. इस बीच एक प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी से जब परिवारवाद पर सवाल किया गया तो उनका जवाब सुन कर वहां सन्नाटा पसर गया.

राहुल गांधी का जवाब सुनकर पसरा सन्नाटा-

दरअसल एक रिपोर्टर ने जब परिवारवाद पर राहुल गांधी से सवाल किया तो जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि ”’अमित शाह का बेटा क्या कर रहा है, राजनाथ सिंह का बेटा क्या कर रहा है. मैने सुना अमित शाह का बेटा भारतीय क्रिकेट चला रहा है, बीजेपी नेता के कई बेटे वंशवादी हैं. कृपया निष्पक्ष रहें और यही सवाल भाजपा से पूछिए कि उनके बच्चे क्या कर रहे हैं ””राहुल गांधी का ये जवाब सुनते ही हॉल में सन्नाटा फ़ैल गया क्योंकि पहली बार राहुल गांधी ने भाजपा के लहजे में ही भाजपा को जवाब दिया और वंशवाद के नाम पर राहुल गांधी ने सीधे अमित शाह को टारगेट किया,राजनाथ सिंह को टारगेट किया,इस बार राहुल गांधी डिफेंसिव नहीं बल्कि अटैकिंग मोड़ में दिखे।

फिलहाल आपको बता दें कि दो दिवसीय दौरे पर राहुल गांधी मिजोरम गए थे जहां उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस की थी और उनसे ये सवाल पूछे गए थे, वहीं पांच राज्यों के चुनावों को लेकर भी राहुल गांधी से सवाल पूछे गए. इस पर भी राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस की विचारधारा को कम मत आंकिये, हम सभी राज्यों में जीत दर्ज करने वाले हैं. राहुल गांधी ने कहा कि हमने कर्नाटक में बीजेपी को हराया, हिमाचल में बीजेपी को हराया और अब यही हम नार्थ ईस्ट में भी प्लान कर रहे हैं. यहां भी हम बीजेपी को हराएंगे और सभी राज्यों में जीत हासिल करेंगे। मणिपुर के मुद्दे पर भी राहुल गांधी ने बीजेपी को जमकर घेरा।

जब वंशवाद की बात हो ही रही है और बीजेपी वंशवाद को लेकर कांग्रेस को हमेशा घेरती है तो कुछ तथ्य हम भी आपके सामने रखना चाहते हैं. जिससे वंशवाद पर कांग्रेस और विपक्ष पर हमेशा हमला करने वाली बीजेपी को शायद खुद का वंशवाद भी दिखाई दे.

कई नेता और परिवारवाद-

सबसे पहले आपको कुछ बड़े नेताओं के नाम और उनके वंशवाद के बारे में भी बताते हैं। सबसे पहले अमित शाह जिनके बेटे हैं जय शाह, राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह हैं, ऐसे ही नारायण राणे के बेटे निलेश राणे, हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर, और उनके भाई अरुण कुमार धूमल, वेद प्रकाश गोयल के बेटे पीयूष गोयल, पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे देवेंद्र प्रधान के बेटे धर्मेंद्र प्रधान, कैलाश विजयवर्गीय के बेटे अक्ष विजयवर्गीय, गंगाधर फडणवीस के बेटे देवेंद्र फडणवीस, माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिराज सिंधिया, रिनचिन खारू के बेटे  किरण रिजिजू और चाहे फिर वो  बी. एस येदुरप्पा हो या यशवंत सिन्हा से लेकर इनके बेटे जयंत सिन्हा हो या फिर विजयाराजे से लेकर वसुंधरा राजे या फिर रमन सिंह से लेकर उनके बेटे अभिषेक सिंह हो.

ये सभी भाजपा के वो नेता हैं जो अपने वंश के नेताओं के दम पर ही राजनीति में आये हैं और अच्छे मुकाम पर है, सिर्फ ये ही नहीं कई और नेता इस लिस्ट में शामिल हैं लेकिन लगता है कि भाजपा को शायद ये वंशवाद नहीं लगता इसलिए अक्सर वो कांग्रेस या विपक्ष को ही निशाने पर रखते हैं. लेकिन अब कांग्रेस भी भाजपा को उसी के अंदाज में जवाब देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही जिसका एक छोटा सा उदाहरण राहुल गांधी के जवाब को देखकर लगता है और शायद जिसका जवाब बीजेपी के पास भी नहीं है.

बेटों के टिकट बंटवारे में उलझी भाजपा-

अब इस खबर को देखिये जिसमें लिखा है ये खबर इंदौर के एक अखबार में छपी है. जिसमें लिखा है कि भाजपा ने 24 टिकट बेटों और 15 टिकट रिश्तेदारों को बाँट दिए खबर में लिखा है कि बेटों के टिकट बंटवारे में उलझी भाजपा की सूची में न अगड़ों का वर्चस्व है न पिछड़ों का, इसमें तो वर्चस्व है परिवारवाद का. कांग्रेस को वंशवाद पर कोसने वाली पार्टी में अब तक 193 प्रत्याशियों में 39 नेताओं के परिवार के लोगों को ही टिकट दिए हैं. यानी हर पांचवा उम्मीदवार किसी नेता का रिश्तेदार है.

कुल मिलाकर कांग्रेस और विपक्षी दलों को कोसने वाली बीजेपी भी इस राजनीतिक हमाम में नग्न नजर आती है, लेकिन इस बार राहुल गांधी का जवाब बीजेपी के लिए संकेत भी है कि अब कांग्रेस ने परिवारवाद का  जवाब भी ढूंढ लिया है.

Rajasthan Election- राजस्थान में वसुंधरा मुख्यमंत्री की रेस में शामिल, गुजरात लॉबी बेबस !

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राजस्थान में भाजपा में मची खुली बगावत के बाद आखिरकार क्या राजस्थान लॉबी के आगे गुजरात लॉबी को हार माननी पड़ गयी है ? जिस तरह से संकेत मिल रहे रहे हैं उससे तो यही लगता है कि भाजपा आलाकमान ने जिस तरह से शिवराज को किनारे लगाया उस तरह से वसुंधरा को भी किनारे लगाने की कोशिश कामयाब होती नहीं दिखाई दे रही.

बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ अनबन की खबरों के बीच राजस्थान की पूर्व सीएम रही वसुंधरा राजे एक बार फिर रेस में वापसी करती हुई दिखाई दे रही हैं. राजस्थान में इस साल नवंबर अंत विधानसभा चुनाव हो सकते हैं जिसको लेकर पूरे राजस्थान में राजनीतिक सरगर्मी उफान पर है राजस्थान बीजेपी में राज्य की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और केंद्रीय नेतृत्व के बीच सब कुछ ठीक नहीं था. लेकिन अमित शाह-वसुंधरा राजे के बीच मीटिंग हुई और वसुंधरा राजे यह कहते हुई निकलीं कि मीटिंग बहुत अच्छी रही.
रात 2 बजे तक चली मीटिंग-

बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक शुरू होने के बाद जब बैठक की तस्वीरें सामने आईं तो लोगों की निगाह सिर्फ वसुंधरा के हाव-भाव पर थी. लोग उनकी बॉडी लैंग्वेज को देखना और समझना चाह रहे थे. मीटिंग में देखा गया  कि वसुंधरा के एक तरफ गजेंद्र सिंह शेखावत बैठे हैं और दूसरी तरफ राज्यवर्धन राठौड़. ये सीटिंग अरेंजमेंट तब तक का है, जब तक अमित शाह और जेपी नड्डा मीटिंग के लिए पहुंचे नहीं थे. जैसे ही दोनों नेता मीटिंग के लिए पहुंचे सीटिंग अरेंजमेंट बदल गया. शाम करीब साढ़े सात बजे शुरू हुई यह बैठक रात दो बजे तक चलती रही. उम्मीदवारों से लेकर प्रचार की रणनीति तक पर चर्चा हुई. कोर ग्रुप की बैठक में अमित शाह और जेपी नड्डा समेत राज्य और केंद्र सरकार के करीब 17-18 लोग मौजूद थे.

जब मीटिंग खत्म हुई और नेता होटल से बाहर निकलने लगे तो मीडिया के कैमरे में वसुंधरा, गजेंद्र सिंह शेखावत और कुलदीप बिश्नोई नजर आए. पत्रकारों ने वसुंधरा से सवाल पूछना चाहा, लेकिन उन्होंने दिलचस्पी नहीं दिखाई. वो ये कहते हुए गाड़ी में बैठ गई कि मीटिंग बहुत अच्छी रही.

क्या वसुंधरा सच में रेस में वापस आ गयी हैं ?

जानकारी के मुताबिक  मीटिंग में बनी रणनीति ने वसुंधरा को फिर से रेस में वापस ला दिया है. बुधवार की रात कोर कमेटी की मीटिंग के बीच अमित शाह, जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष के बीच गुप्त मीटिंग हुई. माना जा रहा है कि इस मीटिंग में वसुंधरा को भरोसा दिया गया है कि पार्टी चुनाव में उनके सम्मान का पूरा ख्याल रखेगी. ऐसे में सवाल है कि क्या राजस्थान में इस बार वसुंधरा राजे एक बार फिर चुनावी कमान संभालेंगी. क्या प्रदेश में एक बार फिर से उनके चेहरे को कमान दी जाएगी.

राजस्थान में वसुंधरा क्यों अहम ?  
 राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा बीजेपी की सबसे बड़ी नेता हैं. प्रदेश में अब भी उनको भीड़ जुटाने वाली नेता के तौर पर जाना जाता है. पार्टी पॉलिटिक्स में वो भले ही खुद को साइड लाइन समझ रहीं थीं लेकिन समर्थकों के बीच उनकी लोकप्रियता बनी हुई है और माना जा रहा है कि इसी लोकप्रियता की बदौलत उन्होंने चुनावी रेस में वापसी की है. माना जा रहा है कि आरएसएस नेताओं ने वसुंधरा की पैरवी की है. संघ का भी पहले से मानना है कि बिना क्षेत्रीय क्षत्रप को आगे रखे सिर्फ प्रधानमंत्री के नाम पर विधानसभा का चुनाव नहीं जीता जा सकता.
कई सर्वे में वसुंधरा सबसे बड़ा चेहरा-

ऐसे में राजस्थान में चेहरे के नाम पर किये गए अलग अलग सर्वे में वसुंधरा सबसे बड़ा चेहरा सामने आ रहा है. अभी हाल ही में भी एबीपी न्यूज के सर्वे में 36 फीसदी लोगों ने माना था कि वसुंधरा ही पार्टी का सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं, जबकि गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम लेने वाले महज 9 फीसदी लोग ही थे. वहीं राजेंद्र राठौर और अर्जुन मेघवाल का नाम 7 फीसदी लोगों ने लिया था. यही वजह है कि प्रधानमंत्री के चेहरे को ही आगे रखकर चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई जा रही है. हालांकि 200 सीटों वाले राजस्थान में सिर्फ इतने से काम नहीं चलने वाला और ये सच्चाई पार्टी भी समझती है. बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व जानता है कि राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा की जड़ें काफी गहरी हैं. इसलिए उनको नजरअंदाज करके सत्ता हासिल करना आसान नहीं रहने वाला.

राजस्थान में नाराज चल रही वसुंधरा राजे को साधने से लिए भाजपा के भीतर मंथन चल रहा है। चर्चा है कि भाजपा यहां कर्नाटक फॉर्मूला अपना सकती है। इसके तहत जैसे वहां बीएस येदियुरप्पा को साधा गया था वैसा ही प्रयोग राजस्थान में हो सकता है.

जानकारी के अनुसार, शीर्ष स्तर पर विचार चल रहा है कि वसुंधरा राजे को कैम्पेन कमेटी का मुखिया बना कर पार्टी सामूहिक नेतृत्व में लड़े. वसुंधरा राजे का पार्टी पूरा सम्मान रखेगी कुछ ऐसा ही प्रयोग भाजपा ने येदियुरप्पा को साधने के लिए किया था. सियासी जानकारों का कहना है कि भाजपा आलाकमान जिस तरह से वसुंधरा राजे की अनदेखी कर रहा है, उससे पार्टी को नुकसान हो सकता है। भाजपा ने जिन 41  लोगों की पहली सूची जारी की है उसमें वसुंधरा समर्थकों के टिकट काट दिए गए हैं। ऐसे में वसुंधरा पर उनके समर्थकों का दबाव भी है हाल ही में बड़ी संख्या में वसुंधरा समर्थक जयपुर स्थित आवास पर भी आए थे।

वसुंधरा की अनदेखी चुनाव में पड़ सकती है भारी-

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वसुंधरा से बड़ा राजस्थान भाजपा में कोई नेता नहीं है। ऐसे में अगर वसुंधरा राजे की पार्टी अनदेखी करती है तो उसे सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए भाजपा के रणनीतिकार वसुंधरा को साधने के तरीके खोज रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा राजस्थान के नेताओं से संपर्क में हैं और लगातार फीडबैक ले रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, कार्यकर्ताओं ने साफ कह दिया है कि वसुंधरा राजे की अनदेखी चुनाव में भारी पड़ सकती है. कांग्रेस को कम नहीं आंकना चाहिए। अति आत्मविश्वास से पार्टी को नुकसान हो सकता है.

बता दें कि हाल ही में वसुंधरा राजे की नई दिल्ली में संगठन महामंत्री बीएल संतोष, राज्य के प्रभारी महासचिव अरुण सिंह और अन्य नेताओं से बैठक हुई। सूत्रों के अनुसार बैठक में कर्नाटक मॉडल पर विस्तार से चर्चा हुई. वसुंधरा आश्वस्त नजर आई.

दोनों की मुलाकात के बाद कई तरह के कयास-

इस सब के बीच वसुंधरा भी प्रेशर पॉलिटिक्स जारी रखे हुए हैं, इस कड़ी में उन्होंने गत रविवार को राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे अचानक अपने पूर्व प्रतिद्वंद्वी और वर्तमान में असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया के उदयपुर स्थित आवास पर पहुंच गई। दोनों की इस मुलाकात के बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कटारिया और वसुंधरा राजे की मुलाकात करीब 40  मिनट तक चली. इस मीटिंग में दोनों के बीच क्या बातचीत हुई इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है।

वसुंधरा राजे के उदयपुर दौरे के बारे में किसी को पहले से कोई जानकारी नहीं थी। कहा जा रहा है कि उनका यह दौरा पहले से गुप्त था। गुलाब चंद कटारिया ने अपनी और वसुंधरा राजे की मुलाकात की पुष्टि करते हुए उन्होंने कहा, ‘दोनों एक ही परिवार से संबंध रखते हैं और एक–दूसरे से मिलते रहते हैं। आजकल मैं सियासत पर चर्चा नहीं करता, क्योंकि मैंने अपनी लाइन बदल ली है।’

भाजपा हाईकमान ने जिस तरह से वसुंधरा को साइड लाइन लगाने की काफी कोशिश की वो कहीं न कहीं सफल नहीं होती नजर आ रही. इसलिए अब वसुंधरा को साधने की कोशिश की जा रही है. वसुंधरा के अडिग रवैये और विरोध के चलते आखिरकार भाजपा हाईकमान को झुकना पड़ा और शायद अब उनको भी लगने लगा है कि बिना वसुंधरा राजस्थान जीतना मुश्किल है या यूँ कहें कि वसुंधरा को राजस्थान से अलग करना संभव नहीं है.

राजस्थान में अचानक क्यों बदली 200 सीटों पर होने वाले चुनावों की तारीख ? जानिए अब कब होंगे चुनाव.

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5 राज्यों के चुनावों की तारीखों के ऐलान के बाद 11 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने एक बदलाव किया है. राजस्थान में होने वाले चुनाव की तारीख बदली गई है. राज्य में अब 23 नवंबर की जगह 25 नवंबर को मतदान होगा। चुनाव आयोग ने कहा है कि चुनाव तारीखों के ऐलान के बाद कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने चुनाव की तारीख बदलने की अपील की थी, क्योंकि इस दिन बड़े पैमाने पर शादियां और सामाजिक कार्यक्रम हैं। इसे देखते हुए आयोग ने मतदान की तारीख को अब शनिवार यानी 25 नवंबर कर दिया है. 

 

नए चुनाव कार्यक्रम के मुताबिक 30 अक्तूबर को अधिसूचना जारी होगी। छह नवंबर तक नामांकन किया जा सकता है। नामांकन पत्रों की जांच सात नवंबर को होगी। 9 नवंबर नाम वापसी की आखिरी तारीख है। 25 नवंबर को मतदान होगा। वहीं, नतीजे पहले की ही तरह तीन दिसंबर को आएंगे।पांचों राज्यों को मिलाकर कुल 679 विधानसभा सीटें हैं. इन राज्यों में कुल वोटर्स की संख्या 16 करोड़ 20 लाख है.

 

इससे पहले चुनाव आयोग ने 9 अक्टूबर को पांच राज्यों के चुनावों की तारीख का ऐलान किया था. चुनाव आयोग के अनुसार, मिजोरम में 7 नवंबर को वोटिंग होगी. छत्तीसगढ़ में दो चरण में 7 और 17 नवंबर को वोटिंग होगी. मध्य प्रदेश और राजस्थान में एक चरण में चुनाव होंगे. मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. जिसके बाद राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान किया जाएगा. सबसे आखिर में तेलंगाना में 30 नवंबर को चुनाव होगा.

राजस्थान-
अगर राजस्थान की बात करें तो वहां पर कुल 200 विधानसभा सीटें हैं. 2018 में यहां 199 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए थे. अलवर की रामगढ़ सीट पर बसपा प्रत्याशी का हार्ट अटैक से निधन हो गया था. जिसके चलते एक सीट पर चुनाव स्थगित कर दिए गए थे. 199 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस को 99 सीटें मिली थीं.

 

मध्यप्रदेश-

मध्यप्रदेश में पिछले चुनाव में कांग्रेस को BJP से 5 सीटें ज्यादा मिली थीं. कांग्रेस के पास 114 सीटें थीं वहीं BJP के खाते में 109 सीटें आईं थीं. बसपा को दो और सपा को एक सीट पर जीत मिली थी. कांग्रेस ने गठजोड़ करके बहुमत का 116 का आंकड़ा पा लिया और कमलनाथ राज्य के मुख्यमंत्री बन गए. लेकिन बाद में BJP ने बागी विधायकों को मिलाकर अपने पास 127 विधायक कर लिए और सरकार बनाई. 

 

छत्तीसगढ़-

छत्तीसगढ़ में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 15 साल बाद सत्ता में वापसी की. 90 सीटों पर हुए विधानसभा चुनाव नतीजे में कांग्रेस को दो- तिहाई बहुमत मिला. BJP के खाते में जहां सिर्फ 15 सीटें आईं, वहीं कांग्रेस को 68 सीटें मिली थीं.

 

तेलंगाना

तेलंगाना विधानसभा का कार्यकाल 16 जनवरी 2024 को खत्म होने वाला है. 119 सीटों वाले तेलंगाना में दिसंबर 2018 में विधानसभा चुनाव हुए थे और तेलंगाना राष्ट्र समिति ने राज्य में सरकार बनाई थी. इसका नाम अभी भारत राष्ट्र समिति कर दिया गया. 

 

मिजोरम

40 सीटों वाले मिजोरम में भी इस साल के अंत में चुनाव होना है. मिजोरम विधानसभा का कार्यकाल 17 दिसंबर 2023 को खत्म होने वाला है. राज्य में पिछला विधानसभा चुनाव नवंबर में 2018 में हुआ था, जिसमें मिजो नेशनल फ्रंट ने जीत हासिल की थी और राज्य में सरकार बनाई थी. तब जोरमथांगा मुख्यमंत्री बने थे.

पुरानी पेंशन को लेकर 3 नवंबर की तीसरी बड़ी रैली का गवाह बनेगा रामलीला मैदान, इन 7 मांगों को रखेंगे सरकार के समक्ष. 

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केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठन की लड़ाई पुरानी पेंशन को लेकर लगातार जारी है. पुरानी पेंशन कर्मियों की ये लड़ाई फिर एक बड़ा रूप लेने जा रही है. केंद्रीय कर्मियों की दो विशाल रैलियों के बाद अब उनकी जल्दी ही 3  नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में ही तीसरी बड़ी रैली होने जा रही है। कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज एंड वर्कर्स के बैनर तले होने वाली इस रैली में ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्प्लाइज फेडरेशन सहित कई दूसरे कई संगठन हिस्सा लेंगे। रैली में केंद्र सरकार के समक्ष 7 बड़ी मांगें रखी जाएंगी। 

 

ये होंगी वो सभी मांगे-

पहली मांग ‘एनपीएस’ की समाप्ति और ‘पुरानी पेंशन’ व्यवस्था को बहाल कराना है। इसके अलावा केंद्र सरकार में रिक्त पदों को नियमित भर्ती के जरिए भरना, निजीकरण पर रोक, आठवें वेतन आयोग का गठन और कोरोनाकाल में रोके गए 18 महीने के डीए का एरियर जारी करना, ये बातें भी कर्मचारियों की मुख्य मांगों में शामिल हैं।

एजेंडे में OPS के अलावा ये मांगें भी-

कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने बताया, सरकारी कर्मचारियों की लंबित मांगों को लेकर पिछले साल से ही चरणबद्ध तरीके से प्रदर्शन किए जा रहे हैं। दिसंबर 2022 को दिल्ली के तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में कर्मियों के ज्वाइंट नेशनल कन्वेंशन के घोषणा पत्र के मुताबिक, कर्मचारियों की मुहिम आगे बढ़ाई जा रही है। राज्यों में भी कर्मियों की मांगों के लिए सम्मेलन/सेमिनार और प्रदर्शन आयोजित किए गए हैं। इस कड़ी में अब तीन नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली आयोजित की जाएगी। रैली के एजेंडे में ओपीएस की मांग सबसे ऊपर रखी गई है। बतौर यादव, कर्मियों की मांग है कि पीएफआरडीए एक्ट में संशोधन किया जाए। एनपीएस को समाप्त करें और पुरानी पेंशन बहाल की जाए। केंद्र और राज्यों के जिस विभाग में अनुबंध पर या डेली वेजेज पर कर्मचारी हैं, उन्हें अविलंब नियमित किया जाए। निजीकरण पर रोक लगे और सरकारी उपक्रमों को नीचे करने की सरकार की मंशा बंद हो। डेमोक्रेटिक ट्रेड यूनियन के अधिकारों का पालन सुनिश्चित हो। राष्ट्रीय शिक्षा कार्यक्रम का त्याग किया जाए और आठवें वेतन आयोग का गठन हो।

OPS पर हो चुकी हैं कर्मियों की दो रैलियां-

केंद्र और राज्यों के कर्मचारी संगठनों ने सरकार को स्पष्ट तौर से बता दिया है कि उन्हें बिना गारंटी वाली ‘एनपीएस’ योजना को खत्म करने और परिभाषित एवं गारंटी वाली ‘पुरानी पेंशन योजना’ की बहाली से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। नई दिल्ली के रामलीला मैदान में दस अगस्त को कर्मियों की रैली हुई थी। ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के राष्ट्रीय संयोजक एवं स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद ‘जेसीएम’ के सचिव शिवगोपाल मिश्रा ने रैली में कहा था, लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन लागू नहीं होती है तो भाजपा को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के लिए यह संख्या निर्णायक है।

 

‘पेंशन शंखनाद महारैली’ में जुटे थे लाखों कर्मी-

एक अक्तूबर को रामलीला मैदान में ही ‘पेंशन शंखनाद महारैली’ आयोजित की गई। इसका आयोजन नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के बैनर तले हुआ था। एनएमओपीएस के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा, पुरानी पेंशन कर्मियों का अधिकार है। वे इसे लेकर ही रहेंगे। दोनों ही रैलियों में केंद्र एवं राज्य सरकारों के लाखों कर्मियों ने भाग लिया था। उसके बाद 20 सितंबर को हुई राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) स्टाफ साइड की बैठक के एजेंडे में ‘ओपीएस’ का मुद्दा टॉप पर रहा था। कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करते हुए अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा था, हमने सरकार के समक्ष एक बार फिर अपनी मांग दोहराई है। एनपीएस को खत्म किया जाए और पुरानी पेंशन योजना’ को जल्द से जल्द बहाल करें। अगर सरकार नहीं मानती है तो देश में कलम छोड़ हड़ताल होगी, रेल के पहिये रोक दिए जाएंगे।

भारत बंद जैसे कई कठोर कदम-

श्रीकुमार के मुताबिक, सरकार, पुरानी पेंशन लागू नहीं करती है, तो ‘भारत बंद’ जैसे कई कठोर कदम उठाए जाएंगे। पुरानी पेंशन के लिए कर्मचारी संगठन, राष्ट्रव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल कर सकते हैं। इसके लिए 20 और 21 नवंबर को देशभर में स्ट्राइक बैलेट होगा। कर्मचारियों की राय ली जाएगी। अगर बहुमत हड़ताल के पक्ष में होता है, तो केंद्र एवं राज्यों में सरकारी कर्मचारी, अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। उस अवस्था में रेल थम जाएंगी तो वहीं केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी ‘कलम’ छोड़ देंगे।

पुरानी पेंशन बहाली के लिए केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी एक साथ आ गए हैं। लगभग देश के सभी कर्मचारी संगठन इस मुद्दे पर एकमत हैं। केंद्र और राज्यों के विभिन्न निगमों और स्वायत्तता प्राप्त संगठनों ने भी ओपीएस की लड़ाई में शामिल होने की बात कही है। कर्मचारियों ने हर तरीके से सरकार के समक्ष पुरानी पेंशन बहाली की गुहार लगाई है, लेकिन उनकी बात सुनी नहीं गई। अब उनके पास अनिश्चितकालीन हड़ताल ही एक मात्र विकल्प बचता है। दस अगस्त और एक अक्तूबर की रैली में देशभर से आए लाखों कर्मियों ने ‘ओपीएस’ को लेकर हुंकार भरी थी।