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Kedarnath By-Poll: केदारनाथ उपचुनाव के परिणाम को लेकर भाजपा और कांग्रेस को है इंतजार, दोनों पार्टियों ने चुनाव में लगाया जोर.

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केदारनाथ विधानसभा सीट पर बुधवार को हुए उपचुनाव का ऊंट किस करवट बैठेगा, इसे लेकर तस्वीर शनिवार को साफ होगी। उपचुनाव को लेकर अक्सर उदासीन दिखने वाले मतदाताओं ने जिस उत्साह के साथ मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, उससे सत्ताधारी दल भाजपा और विपक्ष कांग्रेस के खेमों में नई उम्मीद के साथ हलचल भी बढ़ा दी है। अब दोनों ही दलों की नजरें 23 नवंबर को उपचुनाव के परिणाम पर टिक गई हैं।

 

केदारनाथ विधानसभा सीट भाजपा विधायक शैलारानी रावत के निधन से रिक्त हुई है। यह उपचुनाव हाई प्रोफाइल बन गया है तो उसके कारण हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का केदारनाथ धाम से विशेष लगाव रहा है। सक्रिय राजनीति में कदम रखने से पहले नरेन्द्र मोदी इस स्थान पर साधना कर चुके हैं।

वर्ष 2013 की आपदा से तहस-नहस हुए केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही मोदी की शीर्ष प्राथमिकता में रहा है। बाबा केदार के धाम के पुनर्निर्माण और पुनर्विकास कार्यों में रुचि और यहां उनके आगमन को भाजपा के पक्ष में हिंदू मतों के ध्रुवीकरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण आंका जाता रहा है।
लगातार तीसरे लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड की समस्त पांच सीट जीतने के बाद भाजपा को गत जुलाई माह में हुए उपचुनाव से खासा झटका लगा। यद्यपि, बदरीनाथ सीट कांग्रेस के कब्जे में ही थी, लेकिन कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी के भाजपा में सम्मिलित होने के बाद इस सीट पर मिली हार ने भाजपा को पर्वतीय क्षेत्रों में जनाधार को बचाने के लिए सोचने पर विवश किया है।
केदारनाथ उपचुनाव इसी दृष्टि से भाजपा के लिए महत्वपूर्ण बन चुका है। सरकार और सत्ताधारी दल के बहुमत या मजबूती को लेकर यह उपचुनाव भले ही बड़ी चुनौती न हो, लेकिन इस सीट के परिणाम काे हिंदू मतों पर भाजपा की पकड़ को लेकर विपक्ष के नजरिये को प्रभावित अवश्य करेगा। इस रणनीति के आधार पर भाजपा ने उपचुनाव में पूरी सतर्कता तो बरती ही, ढील भी नहीं छोड़ने दी।
कांग्रेस का मनोबल गत जुलाई माह में बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीटों पर मिली जीत से बढ़ा हुआ है। बदरीनाथ धाम से जुड़ी सीट पर विजय मिलने के बाद कांग्रेस ने इसे हिंदू मतों पर भाजपा की ढीली होती पकड़ के रूप में प्रचारित किया था। केदारनाथ उपचुनाव के बहाने कांग्रेस के निशाने पर भाजपा के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी हैं।
कांग्रेस हाईकमान ने इसी कारण उपचुनाव को पार्टी की प्रतिष्ठा से जोड़ने में कसर नहीं छोड़ी। प्रदेश में पार्टी के सभी दिग्गजों को चुनाव प्रचार में झोंका गया। बदरीनाथ की सफलता ने गढ़वाल के पर्वतीय क्षेत्रों में जनाधार वापस पाने की आशा कांग्रेस में नए सिरे से जगाई हैं। पौड़ी व टिहरी लोकसभा क्षेत्रों की कुल 28 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के पास मात्र तीन सीट हैं। केदारनाथ में सफलता मिली तो यह कांग्रेस के लिए संजीवनी से कम नहीं होगा।

Kedarnath By Election: मतदान जारी, घाटी में उत्साह भी भारी, तस्वीरों के साथ जानिए इस उपचुनाव की खास बातें।

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केदारनाथ विधानसभा सीट पर सुबह आठ बजे से मतदान शुरू हुआ, जोकि शाम छह बजे तक जारी रहेगा। सुबह नौ बजे तक 4.30 प्रतिशत मतदान हुआ। जबकि 11 बजे तक 17.6 प्रतिशत मतदान हुआ। मतदाता पोलिंग बूथों पर पहुंच रहे हैं। बुजुर्ग मतदाताओं को भी पोलिंग बूथों तक छात्रों द्वारा पहुंचाया जा रहा है।

मतदाताओं में उत्साह भी नजर आ रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत और भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल ने अपना वोट डाल दिया है। 90875 मतदाता भाजपा, कांग्रेस सहित छह प्रत्याशियों के राजनीतिक जीवन का फैसला करेंगे। इसमें 44919 पुरुष और 45956 महिला मतदाता अपने विधायक का चुनाव करेंगे। मतदान के लिए 173 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। सभी पोलिंग पार्टियां अपने गंतव्यों पर पहुंच गई हैं।

 

भाजपा की विचारधारा भी दांव पर, कांग्रेस की है ये चाहत
केदारनाथ उपचुनाव सिर्फ एक विस सीट नहीं है। इस सीट पर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा की प्रतिष्ठा नहीं विचारधारा भी दांव पर है। वहीं कांग्रेस की चाहत केदारनाथ में जीत के साथ 2027 के लिए एक बड़ा संदेश देने की भी है। लोस चुनाव में पांचों सीट हारने के बाद कांग्रेस के हौसले पस्त थे, लेकिन बदरीनाथ व मंगलौर विस उपचुनाव में जीत ने उम्मीदों से भर दिया। उसने मिशन केदारनाथ के लिए प्रचार में पूरी ताकत झोंकी। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने मोर्चा संभाला।

ऐश्वर्य और कुलदीप की भी असली परीक्षा

केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव कई मयानों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। खासकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ उप चुनाव में जिस तरह से बगावत को बड़ी सूझबूझ से संभाला है, उसका पार्टी संगठन से लेकर विपक्ष के बीच भी बड़ा संदेश गया है। ऐसे में अब उप चुनाव के लिए प्रबल दावेदारी करने वाले दो चेहरे कुलदीप रावत और ऐश्वर्य रावत की भूमिका न केवल पार्टी, बल्कि उनके भविष्य को लेकर भी अहम मानी जा रही है। चुनाव परिणाम से भाजपा से ज्यादा दोनों नेताओं की अस्मिता जुड़ी है। उपचुनाव में जहां भाजपा और कांग्रेस जान फूंके है, वहीं पार्टी प्रत्याशियों के अलावा कुछ उभरते नेताओं की साख से भी जुड़ा है।

 

मिथक दोहराएगा या फिर टूट जाएगा

हॉट सीट बनी केदारनाथ विधानसभा में महिला प्रत्याशी की जीत का मिथक भाजपा दोहराएगी या फिर कांग्रेस इसे फिर तोड़ने में कामयाब रहेगी। पिछले करीब तीन महीने से उपचुनाव की तैयारी में जुटे सियासी दलों की तैयारियों और प्रत्याशियों और उनके समर्थकों के लगातार 17 दिन तक किए धुआंधार प्रचार का फल किस दल की झोली में जाएगा, इसका खुलासा 23 नवंबर को मतगणना के बाद हो जाएगा। बहरहाल उपचुनाव में ताल ठोंक रहे छह प्रत्याशियों ने अपने पक्ष में हवा बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। हालांकि, मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच में ही माना जा रहा है।
भाजपा की ये ताकत और ये कमजोरी
उपचुनाव में भाजपा की ताकत का जिक्र करें तो प्रदेश और केंद्र में सरकार, केदारनाथ से सीधे पीएम मोदी का जुड़ाव, सीएम, मंत्री, विधायक और पार्टी पदाधिकारियों का प्रचार, महिला मतदाता बहुल सीट पर दो बार की विधायक रही महिला चेहरे आशा नौटियाल पर लगाया गया दांव, कराए गए विकास कार्य मजबूत पक्ष माने जा रहे हैं। भाजपा उम्मीद कर रही कि एक बार महिला प्रत्याशी पर लगाया गया दांव सही साबित होगा और महिला उम्मीदवार की जीत का मिथक दोहराएगा, जबकि नई दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का शिलान्यास भाजपा का कमजोर पक्ष माना जा रहा।
1982 के संसदीय उपचुनाव की यादें ताजा हुईं
केदारनाथ विस उपचुनाव ने वर्ष 1982 में गढ़वाल लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव की यादें ताजा कर दी हैं। 42 वर्ष पूर्व लोस उप चुनाव पर देश की नजर थी, आज वहीं स्थिति केदारनाथ विस की है। यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है और दिल्ली तक इसकी गूंज हो रही है।

Kedarnath By Election: केदारनाथ में 11 बजे तक 17.69 फीसदी हुआ मतदान, कांग्रेस-बीजेपी के प्रत्याशियों ने भी डाला वोट.

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केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव के ल‍िए बुधवार सुबह से मतदान जारी है। सुबह 11 बजे तक 17.69 फीसदी मतदाताओं ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल किया।मतदान सेंटर्स पर लगी लाइनों में लोगों की संख्या बढ़ती हुई प्रतीत हो रही है। मौसम साफ होने के कारण अनुमान है कि कुल मतदान प्रतिशत ठीक रहेगा। कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत और बीजेपी प्रत्याशी आशा नौटियाल ने भी वोट डाला।

कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत ने डाला वोट- 

इस सीट पर कुल 90875 मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे। जिसमें 45956 महिला मतदाता प्रत्याशी प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। मतदान के बाद कुल 6 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम मशीन में बंद हो जाएगा।जनपद की कुल 173 पोलिंग बूथों पर हो रहे मतदान को लेकर केदारनाथ सीट से 6 प्रत्याशी मैदान में है। जिसमें भाजपा आशा नौटियाल, कांग्रेस मनोज रावत, उक्रांद आशुतोष भंडारी, पीपीआई(डेमोक्रेटिक)प्रदीप रोशन रूडिया, निर्दलीय त्रिभुवन चौहान व कैप्टेन आरपी सिंह चुनाव मैदान में है। सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे मतदान किया जाएगा।

केदारनाथ विधानसभा में 90875 पंजीकृत है, जिसमें मतदाता 44919 पुरूष, 45956 मतदाता, 2949 सर्विस मतदाता, 1092 दिव्यांग मतदाता शामिल है। इस चुनाव में महिला मतदाता ही प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।

 

Kedarnath By-Election 2024- किसे मिलेगी केदारनाथ की कमान ?

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Kedarnath By-Poll: भाजपा ने पूर्व विधायक आशा नौटियाल पर फिर जताया भरोसा, जानिए कैसी रही इनकी सियासी पारी।

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भाजपा की प्रतिष्ठा से जुड़ी विधानसभा की केदारनाथ सीट के उपचुनाव के लिए प्रत्याशी को लेकर लंबे मंथन के बाद पार्टी ने आखिरकार देर रात तस्वीर साफ कर दी। केदारनाथ से दो बार विधायक रह चुकीं आशा नौटियाल पर पार्टी ने भरोसा जताया है। लंबे राजनीतिक अनुभव व धरातल पर मजबूत पकड़ के साथ ही पार्टी की ओर से कराए गए सर्वे ने उनकी राह को आसान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

विधानसभा की केदारनाथ सीट भाजपा विधायक शैलारानी रावत के निधन के कारण रिक्त हुई है। हाल में संपन्न मंगलौर व बदरीनाथ सीटों के उपचुनाव में भाजपा को सफलता नहीं मिली थी। यद्यपि, यह पहले भी भाजपा के पास नहीं थीं, लेकिन केदारनाथ के मामले में ऐसा नहीं है। यही नहीं, बदरीनाथ सीट पर प्रत्याशी चयन को लेकर पार्टी कैडर के बीच से असंतोष के सुर भी उभरे थे। इस सबके मद्देनजर पार्टी ने केदारनाथ उपचुनाव के लिए सभी पहलुओं पर गंभीरता से मंथन किया। 

लंबे राजनीतिक अनुभव का मिला लाभ-

रविवार को दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व ने सभी समीकरणों पर विमर्श के साथ ही प्रांतीय नेतृत्व से बातचीत के बाद केदारनाथ सीट से पूर्व विधायक आशा नौटियाल को प्रत्याशी बनाने पर मुहर लगाई। यद्यपि, दिवंगत विधायक शैलारानी रावत की पुत्री ऐश्वर्य रावत के अलावा वर्ष 2017 व 2022 में निर्दलीय चुनाव लड़ चुके कुलदीप सिंह रावत भी दौड़ में थे, लेकिन पार्टी ने पूर्व विधायक आशा नौटियाल के लंबे राजनीतिक अनुभव, क्षेत्र में मजबूत पकड़ के अलावा चार बार कराए सर्वे रिपोर्ट को देखते हुए उन पर भरोसा जताया।

ये रहा है राजनीतिक जीवन-

  • भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत वर्ष 1990 में भाजपा की सदस्यता लेकर की।
  • वह वर्ष 1996 में रुद्रप्रयाग जिला पंचायत की सदस्य चुनी गईं।
  • उन्होंने भाजपा व महिला मोर्चा में विभिन्न पदों पर कार्य किया।
  • वर्ष 2002 में राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में वह केदारनाथ सीट से विजयी रहीं और विधानसभा पहुंची।
  • वर्ष 2007 में दोबारा विधायक चुनीं गई, लेकिन वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में वह मात्र 1900 मतों से हार गईं।
  • वर्ष 2017 में पार्टी टिकट कटने से नाराज होकर उन्होंने केदारनाथ सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन सफल नहीं हो पाईं।
  • यद्यपि, भाजपा के संपर्क में वह बराबर बनी रहीं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उनकी भाजपा में घर वापसी हुई।

Kedarnath By-Election: प्रत्याशियों को लेकर 24 तारीख को कांग्रेस की दिल्ली में होगी बैठक, चुनावी रणनीति पर भी चर्चा संभव।

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केदारनाथ उपचुनाव की रणनीति और प्रत्याशी को लेकर कांग्रेस की 24 अक्तूबर को दिल्ली में बैठक होगी। मंगलवार को प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा ने वर्चुअल बैठक में प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं से चुनावी तैयारियों पर चर्चा कर सुझाव भी लिए।

प्रदेश प्रभारी ने कहा, केदारनाथ उपचुनाव में सभी नेताओं को एकजुट होकर काम करना है। इसके लिए बूथ स्तर पर चुनाव की रणनीति बना कर चलना है। बैठक में प्रदेश सहप्रभारी परगट सिंह, सुरेंद्र शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, पूर्व सीएम हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व मंत्री नवप्रभात, विधायक प्रीतम सिंह, भुवन कापड़ी, वीरेंद्र जाती, लखपत बुटोला, प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन मथुरादत्त जोशी शामिल हुए।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा, 24 अक्तूबर को दिल्ली में प्रदेश प्रभारी ने बैठक रखी है, जिसमें नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, विधायक प्रीतम सिंह के अलावा चारों पर्यवेक्षक भी मौजूद रहेंगे। बैठक में चुनावी रणनीति के साथ प्रत्याशी को लेकर विस्तार से चर्चा की जाएगी।

Haryana New Government: हरियाणा में अब नायब सरकार, भाजपा विधायक दल की बैठक में लगी सैनी के नाम पर मुहर।

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Haryana New CM Biography: नायब सिंह सैनी हरियाणा के नए सीएम होंगे। प्रदेश के इतिहास में पहली बार भाजपा ने हैट्रिक लगाकर जीत हासिल की है। इस नायाब जीत के नायक बने नायब सिंह सैनी अब सीएम की कुर्सी संभालेंगे।

नायब सैनी लोकसभा चुनाव से पहले सीएम की कुर्सी पर बैठाए गए थे। पार्टी ने नायब सैनी को सीएम प्रोजेक्ट कर चुनाव लड़ा था।

आरएसएस से जुड़े हैं सैनी-

नायब सैनी 25 जनवरी 1970 को अंबाला के गांव मिर्जापुर माजरा में सैनी परिवार में जन्मे थे। वे बीए और एलएलबी हैं। सैनी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हैं। सैनी ओबीसी समुदाय से आते हैं। उन्हें संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है।

मनोहर लाल के है करीबी-

वे साल 2002 में युवा मोर्चा बीजेपी अंबाला से जिला महामंत्री बने। इसके बाद साल 2005 में युवा मोर्चा भाजपा अंबाला में जिला अध्यक्ष रहे। सैनी 2009 में किसान मोर्चा भाजपा हरियाणा के प्रदेश महामंत्री भी रहे। 2012 में वे अंबाला भाजपा के जिला अध्यक्ष बने। आरएसएस के समय से सैनी को मनोहर लाल का करीबी माना जाता है। सूत्र बताते हैं कि सीएम ने ही उन्हें कुरुक्षेत्र से टिकट देने की पैरवी की थी।

नारायणगढ़ से हारे थे चुनाव-

नायब सिंह ने 2009 में अंबाला के नारायणगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, लेकिन कुल 1,16,039 वोटों में से 3,028 वोट हासिल कर रामकिशन गुर्जर से हार गए थे। 2014 में उन्होंने 24,361 वोटों से इसी क्षेत्र से चुनाव जीता था, जिसके बाद वे प्रदेश सरकार में 24 जुलाई 2015 से तीन जून 2019 तक राज्यमंत्री भी रहे। उन्होंने प्रदेश में श्रम एवं रोजगार मंत्री स्वतंत्र प्रभार के अलावा खान एवं भू विज्ञान मंत्री व नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री के तौर पर भी कार्यभार संभाला।

Amit Shah: उत्‍तराखंड दौरे पर आने वाले हैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, तैयारियों में जुटे सभी विभाग।

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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह 13 अक्टूबर को उत्तराखंड के दौरे पर आ रहे हैं। उनका प्रस्तावित कार्यक्रम शासन को मिल गया है। इसे देखते हुए तैयारियां भी प्रारंभ कर दी गई हैं।

तमाम विभाग भी कसरत में जुटे-

माना जा रहा है कि वह देहरादून में पुलिस में लागू तीन नए कानूनों व साइबर अपराधों की चुनौतियों पर चर्चा के अलावा अन्य विभागों के साथ भी बैठक कर सकते हैं। इसे देखते हुए तमाम विभाग भी कसरत में जुटे हैं।   गृह मंत्री शाह 13 अक्टूबर को सुबह जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचेंगे और फिर उत्तरकाशी जिले के हर्षिल के लिए रवाना होंगे।

 

अर्द्ध सैनिक बलों के जवानों के बीच भी बिता सकते हैं समय-

वह हर्षिल में वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत संचालित योजनाओं की जानकारी लेंगे। साथ ही अर्द्ध सैनिक बलों के जवानों के बीच भी कुछ समय बिता सकते हैं। इसके बाद वह देहरादून में एफआरआइ में तीन नए कानून और साइबर अपराध की चुनौतियों पर अधिकारियों के साथ विमर्श करेंगे।

अन्य विभागों के साथ भी कर सकते हैं बैठकें-

माना जा रहा है कि अमित शाह अन्य विभागों के साथ भी बैठकें कर सकते हैं। इसे देखते हुए विभाग अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हैं। गृह मंत्री इसी दिन शाम को दिल्ली रवाना होंगे।

अभिनेता परेश रावल से महानिदेशक सूचना ने की मुलाकात-

प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता परेश रावल इन दिनों अपनी नई फिल्म पास्ट टेंस की शूटिंग के लिए देहरादून आए हुए हैं। इस फिल्म का निर्देश अनंत नारायण महादेवन कर रहे हैं। महानिदेशक सूचना और उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बंशीधर तिवारी ने उनसे मुलाकात की। इस दौरान अभिनेता परेश रावल ने उत्तराखंड में लागू हुई नई फिल्म नीति की सराहना की।

देहरादून-मसूरी रोड पर फिल्म के सेट पर हुई मुलाकात के दौरान अभिनेता परेश रावल ने महानिदेशक सूचना को बताया कि उन्होंने अपनी दो बालीवुड फिल्मों की शूटिंग कुछ समय पहले ही उत्तराखंड में पूरी की है। इनके पोस्ट प्रोडक्शन का कार्य चल रह है। ये जल्द रिलीज होने वाली हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में सभी फिल्मों की शूटिंग की अनुमति की प्रक्रिया सरल होने के कारण उत्तराखंड बालीवुड और देश के अन्य राज्यों के लिए संपूर्ण फिल्म फ्रेंडली डेस्टिनेशन के रूप में उभर रहा है।

महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी ने बताया कि सरकार ने नई नीति में फिल्मों के लिए पहले से अधिक अनुदान राशि को शामिल किया है। ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज होने वाली फिल्मों और वेब सीरीज को भी अनुदान के लिए शामिल किया गया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार सरकार फिल्म निर्माण से जुड़े प्रत्येक क्षेत्र में रोजगार की गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ ही पर्यटन को भी प्रोत्साहित कर रही है। फिल्म के बारे में बताया गया कि इस फिल्म में आदित्य रावल, आदिल हुसैन, शरीब हाशमी, तनिष्ठा चटर्जी, गगन देव, स्मिता तांबे, सतीश शर्मा व श्रद्धा भट्ट प्रमुख भूमिका में हैं। इस दौरान संयुक्त निदेशक सूचना डा नितिन उपाध्याय भी उपस्थित थे।

Delhi CM: आतिशी के साथ ये 5 नेता भी लेंगे मंत्री पद की शपथ, मंत्रिमंडल में होगा एक नया चेहरा शामिल।

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दिल्ली की भावी मुख्यमंत्री आतिशी और उनका मंत्रिमंडल 21 सितंबर को शपथ लेंगे। आतिशी मार्लेना अरविंद केजरीवाल की जगह लेंगी। कहा जा रहा है कि आतिशी के साथ 5 मंत्री शपथ ले सकते हैं।

कैबिनेट में शामिल होने वाले संभावित मंत्रियों के नामों पर चर्चा जोरों पर है। इन नामों में गोपाल राय (Gopal Rai), कैलाश गहलोत (Kailash Gehlot), सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj), इमरान हुसैन और मुकेश अहलावत (Mukesh Ahlawat) शपथ ले सकते हैं।

फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे केजरीवाल- आतिशी

दिल्ली (Delhi News) के अगले मुख्यमंत्री बनने का दावा पेश करने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी ने इससे पहले मंगलवार को कहा था कि वह निवर्तमान सीएम अरविंद केजरीवाल द्वारा उन पर जताए गए भरोसे से खुश हैं, लेकिन इस बात से भी दुखी हैं कि भ्रष्टाचार के झूठे आरोपों के चलते उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। आगामी विधानसभा चुनाव में जनता फिर से केजरीवाल को सीएम चुनेगी।

दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी आतिशी-

43 साल की आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी। इससे पहले सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित दिल्ली की सीएम रह चुकी हैं। आतिशी, मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के शिक्षा मंत्री रहते हुए उनकी सलाहकार के रूप में काम कर चुकी हैं।

Arvind Kejriwal: अरविंद केजरीवाल को मिली जमानत, SC ने दी राहत; 103 दिन बाद जेल से बाहर केजरीवाल।

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सुप्रीम कोर्ट से आबकारी नीति घोटाले मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दो याचिकाओं पर फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने आबकारी नीति भ्रष्टाचार मामले में मुख्यमंत्री केजरीवाल को नियमित जमानत देने का फैसला सुनाया। इस संबंध में न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने उनके फैसले पर सहमति जताई। कोर्ट ने केजरीवाल को 10 लाख रुपये के मुचलके और दो जमानत राशियों पर जमानत दी। सीबीआई की गिरफ्तारी से जुड़ी याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अपीलकर्ता की गिरफ्तारी अवैध नहीं थी।

ईडी मामले में केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से 12 जुलाई को जमानत मिली थी। ऐसे में अब उनके जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। उन्होंने 103 दिन पहले यानी 2 जून को अंतरिम जमानत की मियाद पूरी होने के बाद सरेंडर किया था। माना जा रहा है कि वे आज ही जेल से बाहर आ सकते हैं।

दरअसल, केजरीवाल ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में अपनी गिरफ्तारी और जमानत से दिल्ली हाईकोर्ट के इनकार को चुनौती देते हुए दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। पीठ ने पांच सितंबर को केजरीवाल की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई ने इस मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख को 26 जून को गिरफ्तार किया था।

जस्टिस कांत ने गिरफ्तारी को वैध माना-
जस्टिस कांत ने कहा कि तर्कों के आधार पर हमने 3 प्रश्न तैयार किए हैं। क्या गिरफ्तारी अवैधता थी? क्या अपीलकर्ता को नियमित जमानत दी जानी चाहिए? क्या आरोप पत्र दाखिल करना परिस्थितियों में इतना बदलाव है कि उसे ट्रायल कोर्ट में भेजा जा सके? उन्होंने आगे कहा कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति को गिरफ्तार करना कोई गलत बात नहीं है। हमने पाया है कि सीबीआई ने अपने आवेदन में उन कारणों को बताया है कि उन्हें क्यों ये जरूरी लगा। धारा 41ए (iii) का कोई उल्लंघन नहीं है। हमें इस तर्क में कोई दम नहीं लगता कि सीबीआई ने धारा 41ए सीआरपीसी का अनुपालन नहीं किया।

जमानत देने का फैसला सुनाया-
उन्होंने कहा कि जमानत पर हमने विचार किया है। मुद्दा स्वतंत्रता का है। लंबे समय तक कारावास आजादी से अन्याय के बराबर है। फिलहाल हमे लगता है कि केस का नतीजा जल्द निकलने की संभावना नहीं है। सबूतों और गवाहों से छेड़छाड़ को लेकर अभियोजन पक्ष की आशंकाओं पर विचार किया गया। उन्हें खारिज करते हुए हमने निष्कर्ष निकाला है कि अपीलकर्ता को जमानत दी जानी चाहिए।

कोर्ट ने कुछ शर्तें भी लगाईं-
कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता मामले के बारे में सार्वजनिक रूप से कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेगा। ईडी मामले में लगाई गई शर्तें इस मामले में भी लागू होंगी। वह ट्रायल कोर्ट के साथ पूरा सहयोग करेगा।

जस्टिस ने सीबीआई की गिरफ्तारी पर उठाए सवाल –
फैसला सुनाते हुए जस्टिस भुइयां ने कहा कि गिरफ्तारी की आवश्यकता और समय पर मेरा एक निश्चित दृष्टिकोण है। इसलिए मैं इस दृष्टिकोण से सहमत हूं कि अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। ऐसा प्रतीत होता है कि ईडी मामले में अपीलकर्ता को नियमित जमानत दिए जाने के बाद ही सीबीआई सक्रिय हुई और हिरासत की मांग की। ईडी मामले में रिहाई के समय केजरीवाल को गिरफ्तार करने की सीबीआई की जल्दबाजी समझ से परे है, जबकि 22 महीने तक उसने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया। इस तरह की कार्रवाई गिरफ्तारी पर गंभीर प्रश्न उठाती है।

जहां तक गिरफ्तारी के आधारों का सवाल है तो ये गिरफ्तारी की आवश्यकता को पूरा नहीं करते हैं। सीबीआई गिरफ्तारी को उचित नहीं ठहरा सकती है और टालमटोल वाले जवाबों का हवाला देते हुए हिरासत जारी रख सकती है। आरोपी को दोषपूर्ण बयान देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। इन आधारों पर अपीलकर्ता को हिरासत में रखना न्याय का उपहास है, खासकर तब जब उसे अधिक कठोर पीएमएलए में जमानत दी गई है।