उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसोनी ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के उस बयान को हास्यास्पद बताया है जिसमें उन्होंने बागीयों से नामांकन वापस लेने की बात कही है और नामांकन ना वापस लेने की सूरत में उन्हें पार्टी से निकाल बाहर करने की धमकी दी है। गरिमा ने कहा कि आखिर किस मुंह से महेंद्र भट्ट कार्यकर्ताओं पर कार्यवाही की बात कर रहे हैं?दसौनी ने भट्ट पर सवाल दागते हुए कहा कि पार्टी का अनुशासन तब कहां गया था जब मंत्री गणेश जोशी पर आय से अधिक संपत्ति होने का गंभीर आरोप लगा था? यह अनुशासन तब कहां गया था जब सीबीआई जांच में उद्यान विभाग में करोड़ों का घोटाला होने की पुष्टि हुई थी? यह अनुशासन की धमकी तब कहां थी जब रानीखेत के विधायक प्रमोद नैनवाल के भाई सतीश नैनवाल न सिर्फ भारत नेपाल बॉर्डर पर 40 जिंदा कारतूसों के संग पकड़े गए थे और तो और उद्यान घोटाले में पौध वितरण में भी उनका नाम आया था? और यह अनुशासन का डंडा लैंसडाउन विधायक महंत दिलीप रावत पर क्यों नहीं चला जिन्होंने सार्वजनिक सभा में अपने भाषण में पार्टी टिकट ना मिलने की स्थिति में कार्यकर्ताओं से निर्दलीय मैदान में कूदने का निर्देश दिया था, आरक्षण की अनंततिम सूची का विरोध करने वाले विकास नगर से विधायक मुन्ना सिंह चौहान के लिए यह अनुशासन का डंडा कहां चला गया था? भट्ट की यह धमकी मंत्री अरविंद पांडे के लिए क्यों नहीं चली? दसौनी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता इस बात को समझ चुका है कि पार्टी की कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क है। अनुशासन और राजनीतिक सुचिता का खौफ सिर्फ गरीब और छोटे कार्यकर्ताओं को दिखाया जाता है रसूखदार मंत्री और विधायकों के लिए दूसरा कानून और कार्यकर्ताओं के लिए पार्टी के अंदर दूसरे नियम हैं ,गरिमा ने कहा शायद यही कारण है कि भाजपा में कार्यकर्ता अब ना डरता है और ना ही घबराता है और खुलकर पार्टी के फैसलों का विरोध करता है क्योंकि जब बड़े नेताओं पर ही अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं हो रही है तो फिर छोटे कार्यकर्ताओं पर क्यों? गरिमा ने चुटकी लेते हुए कहा की कहीं महेंद्र भट्ट अनुशासन का डंडा चलाने में ढीले इसलिए तो नहीं पड़ रहे हैं क्योंकि वह अध्यक्ष पद से हटने वाले हैं और बड़े नेताओं से अपने संबंध बिगाड़ना नहीं चाहते?
राज्य भर में 270 केंद्रों के जरिए हुई मंडुआ की खरीद
सरकार ने किसानों से 4200 प्रति कुंतल के मूल्य पर की खरीद
कुछ समय पहले तक उपेक्षित रहने वाला मंडुआ अब हाथों हाथ बिक रहा है। राज्य सरकार ने ही इस साल विभिन्न सहकारी और किसान संघों के जरिए उत्तराखंड के किसानों से 3100 मीट्रिक टन से अधिक मंडुआ खरीदा है। सरकार ने इस साल किसानों को मंडुआ पर 4200 प्रति कुंतल का समर्थन मूल्य भी दिया है।
उत्तराखंड के सीढ़ीदार खेतों में परंपरागत रूप से मंडुआ की खेती होती रही है। लेकिन कुछ साल पहले तक मंडुआ फसल उपेक्षा का शिकार रहती थी, जिस कारण किसानों का भी मंडुआ उत्पादन के प्रति मोह भंग होने लगा था। लेकिन केंद्र और उत्तराखंड सरकार द्वारा अब मिलेट्स फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिस कारण उत्तराखंड में मंडुआ उत्पादक क्षेत्र के साथ ही उत्पादन भी बढ़ रहा है। मौजूदा सरकार ने मंडुआ उत्पादक किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए सबसे पहले 2022 इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत के तहत, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से खरीदना शुरू किया। साथ ही उपभोक्ताओं तक मिलेट्स उत्पाद पहुंचाने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली से लेकर मिड डे मील और आंगनबाड़ी केंद्रों के पोषण कार्यक्रम में इसे शामिल किया गया। इसी तरह सरकार ने स्टेट मिलेट मिशन शुरू करते हुए, उत्पादन बढ़ाने के साथ ही, मिलेट्स उत्पादों को अपनाने के लिए व्यापक प्रचार प्रसार, किसानों से खरीद से लेकर भंडारण तक की मजबूत व्यवस्था तैयार की। वहीं किसानों को बीज, खाद पर अस्सी प्रतिशत तक सब्सिडी दी गई।
270 केद्रों के जरिए खरीद
सरकार ने दूर दराज के किसानों से मंडुआ खरीदने के लिए बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों के सहयोग से जगह – जगह संग्रह केंद्र स्थापित किए। इस प्रयोग की सफलता की कहानी यूं कही जा सकती है कि 2020-21 में जहां इन केंद्रों की कुल संख्या 23 थी जो 2024-25 में बढ़कर 270 हो गई है। इन केद्रों के जरिए इस साल उत्तराखंड के किसानों से 3100.17 मीट्रिक टन, मंडुआ की खरीद की गई, इसके लिए किसानों को 42.46 प्रति किलो की दर से समर्थन मूल्य दिया गया। सरकार ने मंडुआ खरीद में सहयोग देने के लिए किसान संघों को 150 रुपए प्रति कुंतल और बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को प्रति केंद्र 50 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की। साथ ही सुनिश्चित किया गया कि केंद्रों का भुगतान 72 घंटे में कर दिया जाए।
समर्थन मूल्य में 68 प्रतिशत का उछाल
प्रदेश में 2021-22 में मंडुआ समर्थन मूल्य कुल 2500 प्रति कुंतल था, जो 2024-25 में 4200 प्रति कुंतल हो गया है। इस तरह दो साल के अंतराल में ही समर्थन मूल्य 68 प्रतिशत बढ़ गया है। किसानों तक इसका लाभ पहुंचने से मंडुआ उत्पादन क्षेत्र भी बढ़ रहा है। इसके साथ ही सरकार ओपर मार्केट और हाउस ऑफ हिमालय के जरिए भी मंडुआ उत्पादों को प्रोत्साहन दे रही है।
उत्तराखंड में मंडुआ परंपरागत तौर पर उगाया जाता है। यह पौष्टिक होने के साथ ही आर्गेनिक भी होता है। इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मिलेट्स उत्पादों को बढ़ावा दिए जाने के बाद भी मंडुआ की मांग बढ़ी है। इसलिए राज्य सरकार सीधे किसानों से मंडुआ खरीद करते हुए, उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं- पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मलारी, मुनस्यारी समेत प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में बने ट्वीड से बनी जैकेट पहनकर ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को बढ़ावा दे रहे हैं। लगातार सरकारी और राजनीतिक कार्यक्रमों में उन्हें राज्य के बने उत्पाद से तैयार वस्त्रों के पहने हुए देखा जा सकता है। यह पहल राज्य के स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन देने और उनकी ब्रांडिंग को मजबूत करने के उद्देश्य से की गई है। मुख्यमंत्री ने इसके पूर्व राज्य के सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे स्थानीय उत्पादों की खरीद को प्राथमिकता दें। यह कदम न केवल राज्य के पारंपरिक कारीगरों और उत्पादकों को आर्थिक समर्थन प्रदान करेगा, बल्कि उत्तराखंड के अनूठे हस्तशिल्प और उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में भी मदद करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन देकर उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा को जीवित रखें। मुनस्यारी के ट्वीड जैसे उत्पाद हमारी समृद्ध विरासत का प्रतीक हैं। सरकार हर संभव प्रयास करेगी कि स्थानीय कारीगरों और उद्यमियों को बढ़ावा मिले।”
सरकार के इस कदम से स्थानीय उद्योगों को नया जीवन मिलेगा और राज्य में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, इस पहल से राज्य के पर्यटन क्षेत्र को भी फायदा होने की उम्मीद है, क्योंकि स्थानीय उत्पाद पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकते हैं।इसी अभियान को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने राज्य के अधिकारियों, कर्मचारियों से भी अपेक्षा की है सभी लोग स्थानीय उत्पाद का उपयोग करें और कपड़े व स्थानीय ऊन से तैयार वस्त्रों को पहन कर इस अभियान को बढ़ावा दें।
विधायक के भाषण में हाल में क्षेत्र में खेल छात्रावास के उद्घाटन में न बुलाने की टीस भी दिखाई दी। पार्टी के एक गुट की ओर इशारा करते हुए कहा कि मंत्री पद से तो हटा दिया, अब तो चैन से रहने दो। कहा कि मैंने भाजपा को खड़ा करने के लिए पसीना बहाया है। पार्टी को यूं ही बर्बाद नहीं होने देंगे। कहा कि भाजपा बचनी चाहिए। गाड़ी के चार पहियों में से एक पहिया बनकर पार्टी को सही दिशा में ले जाया जाएगा। वर्तमान की पार्टी की स्थिति केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचनी चाहिए। बहुत हो गया, अब व्यवस्थाओं को बदलना होगा।
विधायक पांडेय ने कहा कि दिनेशपुर बंगाली बाहुल्य क्षेत्र होने के बाद भी वहां के लोगों की भावनाओं को दरकिनार करते हुए नशे के सौदागरों के लिए निकाय की सीट आरक्षित करा दी गई। वहीं गूलरभोज में भी ऐसे कार्यकर्ता के सिर पर हाथ रखा जा रहा है, जिससे उनको कमजोर किया जा सके।
विधायक के समक्ष शक्ति प्रदर्शन में जुटे दावेदार
भाजपा की ओर से चेयरमैन के दावेदार विधायक के आवास और उनके कार्यक्रम स्थलों पर शक्ति प्रदर्शन करने में जुट गए हैं। बृहस्पतिबार को एक दावेदार सतीश चुघ अपने समर्थकों के साथ विधायक अरविंद पांडेय से मिले और आशीर्वाद मांगा। वही दूसरे दावेदार संजीव भटेजा भी समर्थकों के विधायक के कार्यक्रम स्थल डल बाबा मंदिर पर समर्थकों के साथ पहुंचे। विधायक ने निकाय चुनाव के दावेदारों से गुटबाजी से दूर रहने की अपील भी की।
निकाय चुनाव के लिए भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची शुक्रवार को जारी होगी,,, पार्टी मुख्यालय में आयोजित प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में दिग्गजों ने पालिका और पंचायत के अध्यक्ष प्रत्याशियों के नामों को अंतिम रूप दिया तो मेयर पदों के पैनल केंद्रीय नेतृत्व को भेज दिए हैं,,,,
पार्टी मुख्यालय में हुई बैठक की जानकारी देते हुए प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने बताया, बैठक में सीएम पुष्कर सिंह धामी वर्चुअल शामिल हुए। इसके अलावा प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम, सह प्रभारी रेखा वर्मा, प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत, विजय बहुगुणा, तीरथ सिंह रावत, गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी, नैनीताल सांसद अजय भट्ट, मदन कौशिक, प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार, प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी, खिलेंद्र चौधरी, कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत, प्रदेश उपाध्यक्ष कुलदीप कुमार, महिला मोर्चा अध्यक्ष आशा नौटियाल ने नामों पर मंथन किया।
बैठक में प्रदेश के सभी निगमों के मेयर, पालिका अध्यक्ष एवं नगर पंचायत अध्यक्ष प्रत्याशियों को लेकर सामने आए नामों के पैनल पर विमर्श किया गया, जिसमें सर्वसम्मति से पालिका एवं नगर पंचायत के अध्यक्ष उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप दिया गया। वहीं, महापौर के नामों का पैनल केंद्रीय नेतृत्व की सहमति के लिए भेजा गया है। शुक्रवार की शाम को भाजपा पहली सूची में सभी प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करेगी। इसके अगले चरण में वार्डों के सभासद व सदस्य प्रत्याशियों के नामों की घोषणा होगी।
जानकारी के अनुसार, एनएचएआई आशारोड़ी से ही एलिवेटेड कॉरिडोर को अजबपुर तक ले जाने की योजना बनाई है। अजबपुर से और मोहकमपुर के बीच करीब तीन किमी का एरिया एनएच का है, जिस पर पहले एनएच को काम करने की योजना थी, क्योंकि अधिकांश काम एनएचएआई कर रहा था, ऐसे में यह हिस्सा भी एनएचएआई ही तैयार करे, इसे लेकर शासन स्तर पर एक संयुक्त बैठक हुई थी।

इसमें एनएच अपना हिस्सा एनएचएआई को देने को सहमत हो गया। इस सहमति के बाद लोक निर्माण विभाग के सचिव ने मंत्रालय में अफसरों से मुलाकात कर आशारोड़ी से मोहकमपुर तक करीब 14 किमी का पूरा एलिवेटेड काॅरिडोर को तैयार करने का अनुरोध किया है। अब संभावना व्यक्त की जा रही है कि मंत्रालय से भी अनुमति मिल जाएगी।
नये साल में यात्रा प्राधिकरण का गठन
तीर्थ पुरोहितों और स्टेक होल्डरों से सुझाव लेकर यात्रा प्रबंधन के लिए जो अच्छा हो सकता है, वह किया जाए। सुव्यवस्थित चारधाम यात्रा के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल कर यात्रा पंजीकरण की व्यवस्था मजबूत किया जाए।

प्रदेश के एक लाख से अधिक सरकारी कार्मिक कारपाेरेट सैलरी पैकेज के पात्र हो गए। वेतन खाताधारक के रूप में उन्हें और परिवार को 30 लाख से एक करोड़ की राशि तक व्यक्तिगत बीमा कवरेज एवं अन्य सुविधा मिलेंगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की उपस्थिति में बुधवार को पांच बैंकों एसबीआइ, बैंक आफ बड़ौदा, यूनियन बैंक आफ इंडिया, केनरा बैंक और जिला सहकारी बैंक के साथ सरकार ने अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर किए।
धामी सरकार ने प्रदेश के कार्मिकों की बहु प्रतीक्षित मांग पूरी कर दी। राज्य के लगभग 64 प्रतिशत सरकारी कार्मिक, जिनका खाता इन पांच बैंकों में है, वे इस अनुबंध से लाभान्वित होंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर कहा कि भविष्य में शत-प्रतिशत कर्मचारी इस पैकेज का लाभ उठाएं, यह प्रयास किया जाएगा।
इन सभी बैंकों की शाखाओं में वेतन खाताधारकों को बीमा कवर के साथ अन्य वित्तीय लाभ उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके अंतर्गत कार्मिकों को दुर्घटनास्वरूप मृत्यु, पूर्ण अपंगता और आंशिक अपंगता की स्थिति में उनके आश्रितों को क्षतिपूर्ति के रूप में देय लाभ और अन्य सुविधा बिना कोई प्रीमियम दिए, प्रदान की जाएंगी।
मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि ये सभी बैंक कारपोरेट सैलरी पैकेज को कर्मचारियों के लिए और लाभकारी बनाने के लिए निरंतर कार्य करते रहेंगे। बताया गया कि पूर्ण अपंगता की स्थिति 30 लाख से 50 लाख रुपये, आंशिक अपंगता की स्थिति में 10 लाख रुपये से 40 लाख रुपये तक वित्तीय सहायता पैकेज के अंतर्गत बैंक उपलब्ध कराएंगे।
साथ ही इस पैकेज में दुर्घटना के कारण चिकित्सा, एंबुलेंस की सुविधा, बच्चों की शिक्षा, पुत्री के विवाह जैसे अन्य आवश्यकताओं के लिए भी वित्तीय सहायता की व्यवस्था है। कार्मिकों की प्राकृतिक मृत्यु की स्थिति में भी उनके आश्रितों को बैंक तीन लाख से 10 लाख रुपये तक आर्थिक योगदान देगा।
कार्यक्रम में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव दिलीप जावलकर, अपर सचिव मनमोहन मैनाली, कोषागार निदेशक दिनेश लोहनी सम्मिलित रहे। एसबीआइ के महाप्रबंधक दीपेश राज, उप महाप्रबंधक विनोद कुमार, बैंक आफ बड़ौदा के महाप्रबंधक एम अनिल, यूनियन बैंक के महाप्रबंधक अमरेंद्र कुमार, केनरा बैंक के सहायक महाप्रबंधक मयंक मोहन कौशिक, सहकारी बैंक से नीरज बेलवाल, स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी से राजीव पंत उपस्थित थे।
खाद्य पदार्थों में थूकने की घटनाओं पर राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत के निर्देशानुसार खाद्य संरक्षा विभाग ने भी इसे लेकर विस्तृत गाइडलाइन जारी कर दी है।
इस तरह की घटनाओं में संलिप्त पाए जाने व्यक्ति पर अब 25 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा। खाद्य संरक्षा विभाग के आयुक्त डा. आर राजेश कुमार ने एसओपी को सख्ती से लागू करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए हैं।
खाद्य कारोबारियों को लाइसेंस लेना अनिवार्य-
खाद्य संरक्षा आयुक्त ने कहा हाल के दिनों में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में जूस और अन्य खानपान की वस्तुओं में मानव अपशिष्ट व अन्य गंदगी मिलाने के प्रकरण सामने आए हैं। यह खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम-2006 के प्राविधानों का स्पष्ट उल्लंघन है। कहा कि सभी खाद्य कारोबारियों को लाइसेंस लेना और उसकी शर्तों का पालन करना अनिवार्य है। साथ ही खाद्य पदार्थों में स्वच्छता व सफाई संबंधी अपेक्षाएं का अनुपालन करना भी अनिवार्य है।
नियमों का पालन न करने वाले खाद्य करोबारियों के खिलाफ खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के प्रावधानों के तहत दंडित किए जाने का प्राविधान है।
कहा कि आमजन को शुद्ध, स्वच्छ व सुरक्षित खाद्य पदार्थों की उपलब्धता सुनिश्चित कराए जाने के दृष्टिगत राज्य में संचालित होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा, कैंटीन, फूड वेंडिंग एजेनंसीज, फूड स्टाल, स्ट्रीट फूड वेंडर्स आदि में खाद्य सुरक्षा व स्वच्छता के मानकों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराए जाने का नियम है। जिसके लिए विभागीय टीमें लगातार अभियान चलाकर छापेमारी कर रही हैं। खाद्य पदार्थों की सैंपलिंग भी की जा रही है। जांच में दोषी पाए जाने वाले खाद्य कारोबारियो पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
ढाबे, रेस्टोरेंट को बताना होगा मीट झटका या हलाल-
खाद्य पदार्थ बेचने वालों के लिए पहचान पत्र पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा राज्य में किसी भी रूप में मीट बेचने वालों के लिए हलाल या झटका का उल्लेख करने के भी निर्देश दिए गए हैं। मीट कारोबारियों, ढाबे, होटल एवं रेस्टोरेंट संचालकों को अपने यहां लिखना होगा कि मीट हलाल का है या फिट झटका। साथ ही उन्हें दुकान का लाइसेंस भी ग्राहकों को प्रदर्शित करना होगा। सीसीटीवी कैमरे भी अनिवार्य रूप से लगाने होंगे।
इसका करना होगा पालन-
- भोजन बनाने और परोसने वाले कार्मिकों को अनिवार्य रूप से फेस मास्क/ ग्लव्स/हेड गियर का उपयोग करना होगा।
- खाद्य पदार्थों को हैंडल करते समय धूमपान, थूकना और डेयरी उत्पादों को प्रयोग में लाए जाने व छूने से पूर्व नाक खुजाना, बालों में हाथ फेरना, शरीर के अंगों को खुजाना आदि पर नियंत्रण रखें। इसे खाद्य पदार्थों में बैक्टीरियल संक्रमण हो सकता है।
- संक्रामक रोग से ग्रसित व्यक्तियों को खाद्य निर्माण/संग्रहण/वितरण स्थलों पर कदापि न रखा जाए।
- खाद्य प्रतिष्ठान में कार्यरत कार्मिकों की सूची चिकित्सकीय प्रमाण-पत्र सहित उपलब्ध कराएं।
- खाद्य प्रतिष्ठान में कार्यरत कार्मिकों को अनिवार्य रूप से फोटोयुक्त पहचान पत्र निर्गत किया जाए, जिसे कार्यस्थल पर अनिवार्य रूप से पहनना होगा।
- खाद्य पदार्थ निर्माण, परोसने व विक्रय करने वाले कार्मिकों को कार्यस्थल पर थूकने और अन्य किसी भी प्रकार की गंदगी फैलाने पर प्रतिबंध।
- खाद्य कारोबारी उत्पादन, कच्ची सामग्री का उपयोग और विक्रय का अलग-अलग दैनिक रिकार्ड रखेगा।