उत्तराखंड में बिजली इस सप्ताह से महंगी हो सकती है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग नई विद्युत दरें जारी करने जा रहा, जो एक अप्रैल से लागू मानी जाएंगी। आचार संहिता के बीच चुनाव आयोग ने नियामक आयोग को इसकी अनुमति दे दी है।
27 लाख से अधिक उपभोक्ताओं के लिए ये दरें जारी होंगी। दरअसल, यूपीसीएल को राज्य की मांग पूरी करने के लिए बिजली खरीद पर 1281 करोड़ ज्यादा देने पड़ रहे हैं। इसकी भरपाई के लिए एक अप्रैल से शुरू हुए वित्तीय वर्ष में यूपीसीएल ने बिजली दरों में 23 से 27 प्रतिशत बढ़ोतरी की सिफारिश की थी।
इस बढ़ोतरी को लेकर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर नियामक आयोग ने प्रदेशभर में जनसुनवाई की। इसके अलावा सभी हितधारकों से भी बातचीत करके सुझाव लिए। यह दरें एक अप्रैल से लागू की जानी थीं, लेकिन इससे पहले ही लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई।
19 अप्रैल को राज्य में लोस चुनाव संपन्न होने के बाद नियामक आयोग ने चुनाव आयोग से नई विद्युत दरें जारी करने को लेकर निर्देश मांगे थे। नियामक आयोग के सचिव नीरज सती ने बताया, चुनाव आयोग ने अनुमति दे दी है। अब वह तैयारी कर रहे हैं। इस सप्ताह के अंत तक नई दरों की घोषणा की जा सकती है, जो एक अप्रैल से लागू मानी जाएंगी।
उत्तराखंड में जंगल इस साल पूरी गर्मी धधकते रहेंगे, लेकिन आग बुझाने के लिए हेलिकॉप्टर नहीं आएंगे। मुख्य वन संरक्षक वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन निशांत वर्मा बताते हैं कि जंगलों की आग पर काबू पाने के लिए हेलिकॉप्टरों से मदद लिए जाने का कोई प्रस्ताव नहीं है, विभाग को इसकी जरूरत नहीं है।
प्रदेश के जंगलों में आग के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। गर्मी तेज होते ही जगह-जगह से आग के प्रकरण सामने आ रहे हैं। बुधवार को गढ़वाल और कुमाऊं में 31 जगह जंगलों में आग लगी। हालांकि बृहस्पतिवार को वनाग्नि के प्रकरणों में राहत है। गढ़वाल, कुमाऊं और वन्यजीव क्षेत्र में पिछले 24 घंटे में वनाग्नि के 9 प्रकरण सामने आए हैं, जिससे 10 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा बताते हैं कि जंगल में आग लगने की सूचना मिलते ही क्रू टीम मौके पर जाकर आग बुझा रही है। विभाग के पास फायर वाचर हैं, कुछ नए कर्मचारी भी मिले हैं। राज्य वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन कक्ष को जहां कहीं से भी जंगल में आग लगने की सूचना मिलती है, प्रयास किया जाता है कि जल्द से जल्द टीम मौके पर पहुंचे। कुछ जगह जंगलों के नजदीक खेतों में खरपतवार जलाने से जंगलों में आग फैलने की शिकायत मिली है, इसके लिए ग्रामीणों को भी जागरूक किया जा रहा है।
2020-21 में वनाग्नि बुझाने के लिए लगाए थे हेलीकॉप्टर-
दुनियाभर में जंगलों में आग लगने पर हेलीकॉप्टरों की मदद ली जाती है। इसमें लचीली बाल्टी या बेली टैंक होता है। हर बार आग पर उड़ान भरने पर ये हेलीकॉप्टर चार हजार लीटर तक पानी गिराते हैं। देश में जंगलों की आग बुझाने में वायुसेना के एमआई 17-वी 5 हेलीकॉप्टर काफी उपयोगी रहे हैं। वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि उत्तराखंड में वर्ष 2020-21 में हेलीकॉप्टर से जंगलों की आग बुझाने के प्रयास किए गए थे, लेकिन पहाड़ में इस तरह के प्रयास सफल नहीं रहे।
उत्तराखंड में तीन दिन में जंगलों में 56 जगह लगी आग-
उत्तराखंड में पिछले तीन दिन में 56 स्थानों पर जंगल में आग लगने के मामले सामने आए हैं। जिससे 73 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। इसे मिलाकर अब तक वनाग्नि की 131 घटनाओं में 188 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र प्रभावित हो चुका है। बृहस्पतिवार को नैनीताल वन प्रभाग के आरक्षित क्षेत्र में दो, तराई पूर्वी वन प्रभाग में पांच, लैंसडाउन वन प्रभाग में एक और राजाजी टाइगर रिजर्व आरक्षित क्षेत्र में वनाग्नि का एक मामला सामने आया है।
चुनाव प्रचार अभियान को धार देने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गौचर पहुंचे। यहां चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि “मैं आप सभी को बस एक बात याद दिलाना चाहता हूं, मैं कभी भी किसी भी पीएम की आलोचना नहीं करता, चाहे वह कांग्रेस का हो या किसी अन्य पार्टी का।
रक्षा मंत्री ने कहा कि एक बार बहुत ईमानदारी से राजीव गांधी ने इस बात को स्वीकार किया था। उन्होंने 100 पैसे भेजे, लेकिन लोगों तक केवल 14 पैसे ही पहुंच पाए। किसी ने भी उस चुनौती को स्वीकार नहीं किया, लेकिन पहली बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिए एक जन धन खाता खोला जाना चाहिए यहां तक कि मैं भी यह नहीं समझ पा रहा था कि प्रधानमंत्री हर किसी के लिए खाता क्यों खोल रहे हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तराखंड अध्यात्मिक भूमि है। देश की सीमाओं को सुरक्षित करने का काम उत्तराखंड करता है। इस देवभूमि के लोग जान हथेली पर रख कर देश की रक्षा करते हैं।कहा कि उत्तराखंड के लोग भी सेवा के प्रति समर्पित होते हैं और पीएम मोदी भी देश और देशवासियों कि सेवा के लिए ही पीएम हैं। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी के लिए जनसमर्थन मांगते हुए कहा कि उत्तराखंड के इगास पर्व को अनिल बलूनी ने पहचान दिलाई है। यहां जनसभा के बाद वह लोहाघाट और काशीपुर में रैली करेंगी।
14 अप्रैल को तीन जनसभाएं करेंगे सीएम योगी
उत्तराखंड में भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद अब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रचार मैदान में नजर आएंगे। रविवार को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देहरादून में जनसभा करेंगे। इससे पहले शनिवार को उनकी हल्द्वानी में जनसभा होगी। योगी 14 अप्रैल को तीन जनसभाएं करेंगे। सबसे पहले वह श्रीनगर गढ़वाल में जनसभा करेंगे।इसके बाद उनकी रुड़की में जनसभा होगी और फिर शाम को वह देहरादून के बन्नू स्कूल में जनसभा को संबोधित करेंगे। 16 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कोटद्वार में रोड शो करेंगे। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर 17 अप्रैल को चकराता में जनसभा करेंगे। उनका सहसपुर में भी रोड शो होगा।
पीएम नरेंद्र मोदी ने ऋषिकेश में आयोजित जनसभा में कहा कि जब-जब देश में कमजोर और अस्थिर सरकारें रहीं, तब-तब दुश्मनों ने फायदा उठाया। आतंकवाद ने पैर पसारे। आज भारत में मोदी की मजबूत सरकार है, इसलिए आतंकवादियों को घर में घुस कर मारा जाता है। उन्होंने ऐलान किया कि अगले पांच साल तक लोगों को इलाज और राशन मुफ्त मिलता रहेगा। चुनाव में भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस पर उन्होंने जमकर निशाने साधे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकारों में सब कुछ लुट जाता था। लेकिन मोदी ने यह लूट बंद कर दी है। इसलिए उनका गुस्सा सातवें आसमान पर है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ब्रह्म कमल की भूमि है।
ऋषिकेश में हुई पीएम की रैली में गढ़वाल की तीन सीटों हरिद्वार, टिहरी और गढ़वाल लोस सीट की 24 विधानसभा क्षेत्रों से पार्टी कार्यकर्ता पहुंचे थे। प्रधानमंत्री के मंच पर पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें पहाड़ी वाद्य यंत्र हुडका उपहार स्वरूप दिया। पीएम ने अपने भाषण की शुरुआत हुड़का से की। कहा, उत्तराखंड देवभूमि है और देवभूमि में देवताओं का आह्वान करने की परंपरा है। हुड़का की थाप से देवताओं का आह्वान किया जाता है। मुझे देवता रूपी जनता जनार्दन का आह्वान करने के लिए हुड़का बजाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
कांग्रेस सरकार होती तो वन रैंक वन पेंशन कभी भी लागू नहीं होता-
मोदी कांग्रेस पर जमकर बरसे। कहा, कांग्रेस की सरकार होती तो वन रैंक वन पेंशन कभी भी लागू नहीं होता। मोदी यह गांरटी दी थी, इसे पूरा किया। कांग्रेस कहती थी कि ओआरपी लागू करक पूर्व सैनिकों को 500 करोड़ रुपये देंगे। हमने पूर्व सैनिकों के बैंक खातों में एक लाख करोड़ रुपये ज्यादा पहुंचा दिए। उत्तराखंड में पूर्व सैनिक परिवारों को 3500 करोड़ रुपये से ज्यादा मिले। कांग्रेस के समय तो जवानों के पास बुलेट प्रूफ जैकेट तक की कमी थी। दुश्मन की गोली से बचाने का पुख्ता इंतजाम नहीं था।
कांग्रेस विकास और विरासत दोनों की है विरोधी-
उन्होंने कांग्रेस को विकास और विरासत विरोधी करार दिया। कहा, कांग्रेस ने राम के अस्तित्व पर सवाल उठाए। यह कांग्रेस ही है जिसने पहले राम मंदिर का विरोध किया। जितने अड़ंगे डाल सकते थे डाले। अदालतों में रुकावट डालने की कोशिश की। लेकिन राम मंदिर बनाने वालों ने कांग्रेस के सारे गुनाह माफ करके उनके घर जा कर निमंत्रण दिया। इनका दिमाग कैसा है, पता नहीं। राम के प्राण प्रतिष्ठा का अवसर था, उन्होंने उसका भी बहिष्कार किया।
कांग्रेस कहती है भ्रष्टाचारियों को बचाओ-
मोदी ने कहा कि कांग्रेसी कुछ भी बोलते जा रहे हैं। जब मैं कहता हूं कि भ्रष्टाचार हटाओ तो वह कह रहे हैं भ्रष्टाचारी बचाओ। उन्होंने भीड़ से प्रश्न किया कि भ्रष्टाचार हमारे देश के लिए विनाशक है कि नहीं है? भ्रष्टाचार खत्म होना चाहिए कि नहीं?
धामी सरकार अच्छा काम कर रही है-
पीएम ने कहा कि अब आपको राशन और दवा की चिंता करने की जरूरत नहीं रही। आने वाले पांच साल तक मुफ्त राशन और अस्पताल में मुफ्त इलाज मिलता रहेगा। धामी और उनकी सरकार इन सारी बातों के लिए बहुत मेहनत करके शानदार काम कर रही है।
पीएम मोदी का परिवारवाद पर निशाना-
पीएम ने कांग्रेस के परिवारवाद पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पहले दिल्ली का शाही परिवार फिर खुद का परिवार यही सब कुछ कांग्रेस की परंपरा में है। लेकिन मोदी के लिए तो मेरा भारत ही मेरा परिवार है।
उन्होंने कहा, विकसित भारत के संकल्प के लिए विकसित उत्तराखंड हमारी प्राथमिकता है। इस काम के लिए मेरा पल-पल आपके नाम है। मेरा पल-पल देश के नाम है। मेरी गारंटी है 24×7 और 2047 ये मोदी की आपको गारंटी है। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि पांचों सीटों पर पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दें। उन्हें पोलिंग बूथ को जीतना है।
पर्यटन को दिया जा रहा बढ़ावा –
पर्यटन और चारधाम यात्रा का उत्तराखंड को विकसित करने में बड़ा योगदान है। इसलिए हम यहां रोडवेज, रेलवे, एयरवेज की लगातार सुविधा दे रहे हैं। यहां ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन पर तेजी से काम हो रहा है। दिल्ली से देहरादून की दूरी सिमट रही है। उत्तराखंड के सीमावर्ती गांव को कांग्रेस अंतिम गांव कहती थी, हमने उसे पहला गांव बनाकर विकास किया है। आदि कैलाश के लिए हेलीकॉप्टर सेवा शुरू हो गई है। चारधाम यात्रा को भी सुगम बनाने की ओर सरकार काम कर रही है। यह सब इसलिए हो रहा भाजपा की नियत सही है। जब नियत सही होती है तो नतीजे भी सही मिलते हैं। केदारनाथ में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है। बीते वर्ष 55 लाख तीर्थयात्री यहां पहुंचे। मानसखंड में आदि कैलाश और ओम पर्वत की यात्रा पर भी यात्रियों की संख्या बढ़ रही है। पर्यटन बढ़ने का मतलब है रोजगार का बढ़ना। उत्तराखंड में हो रहे विकास में अब पलायन की जड़ों को बीते दिनों बात बताया गया है। उत्तराखंड के नौजवानों ने स्टार्टअप शुरू किए। यहां बेटियां आगे बढ़ रही हैं।
लोकसभा चुनाव प्रचार के सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तराखंड पहुंचे। इस दाैरान उन्होंने ऋषिकेश में जनसभा को संबोधित किया। पीएम मोदी की जनसभा में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। इस दाैरान मोदी-मोदी के नारे लगते रहे। यहां पीएम मोदी ने जहां एक तरफ सरकार के काम गिनाए, वहीं, कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा। साथ ही कहा कि अगर विकसित भारत बनाना है तो कमल खिलाना होगा। वहीं, पीएम ने जनसभा में आए कार्यकर्ताओं से सवाल किया कि मेरा एक पर्सनल काम है, आप करोगे? उन्होंने कहा कि राम नवमी आने वाली है। गांव-गांव जाकर मेरी तरफ से देवता के आगे माथा टेक कर प्रणाम करना है। हर घर जाकर बड़े बुजुर्गों को कहना मोदी जी ऋषिकेश आए थे, उन्होंने आपको राम-राम भेजा है।
पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें…
पीएम ने कहा कि कांग्रेस विकास और विरासत की विरोधी है।
कांग्रेस ने राम मंदिर का निमंत्रण अस्वीकार किया। अब ये लोग गंगा के अस्तित्व पर सवाल उठा रहे हैं।
तब सीमा पर विकास नहीं हो रहा था, आज सीमाओं पर सड़कें चकाचक बनी हैं
‘मोदी कह रहा भ्रष्टाचार हटाओ, कांग्रेस कह रही भ्रष्टचारी बचाओ’: पीएम मोदी
तब सेना के पास अच्छे बूट तक नहीं होते थे, अब हम दुश्मनों को घर में घुसकर जवाब दे रहे।
पीएम ने कहा कि मोदी सरकार ना होती तो वन रैंक वन पेंशन कभी लागू ना होता।
भाजपा की नीयत सही है। जब नीयत सही होती है तो नतीजे भी सही मिलते हैं।
उत्तराखंड में हो रहे विकास में अब पलायन की जड़ें बीते दिनों की बात हो गई है।
हमनें देश में लूट को बंद किया। इसलिए उनका गुस्सा सातवें आसमान पर है।
पीएम ने कहा कि लोग कुछ भी कहें, मेरा भारत ही मेरा परिवार है।
उत्तराखंड में लोकसभा चुनावों का शंखनाद हो चुका है लेकिन इस बार पिछले 2019 की तरह कोई ख़ास तरह का रुझान नहीं देखने को मिल रहा है,,जिससे अंदाजा लगाया जा सके कि किस सीट पर किसका पलड़ा भारी है लेकिन 3 सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प होता दिखाई दे रहा है।
सबसे पहले बात टिहरी सीट की –
सबसे पहले टिहरी सीट की बात करें तो यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है एक तरफ बीजेपी की नहारानी जो लगातार इस क्षेत्र से जीतती रही है और आजादी के बाद से ही इस सीट पर उनके परिवार का एकतरफा वर्चस्व रहा है या ये कहें वो जिस भी दल में रहे हैं जीत उनके परिवार की हुई है लेकिन इस बार उनको इस प्रदेश के सबसे युवा प्रत्याशी और बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार से कड़ी चुनौती मिलती दिखाई दे रही है जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस के प्रत्याशी गुनसोला हैं जो अपनी साफ़ छवि के लिए जाने जाते हैं. कुल मिलाकर इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय होने की उम्मीद है।
पौड़ी गढ़वाल सीट-
दूसरी सीट आती है पौड़ी गढ़वाल जहां एक तरह अनिल बलूनी और गणेश गोदियाल आमने सामने हैं,,,वर्तमान हालात में इस सीट पर सबसे जबरदस्त लड़ाई देखने को मिल रही है जहां अनिल बलूनी के लिए स्मृति ईरानी से लेकर कई बड़े नेता चुनाव प्रचार कर रहे हैं. मुख़्यमंत्री धामी भी लगातार रोड शो कर रहे हैं. बीजेपी का मजबूत संगठन लगातार अनिल बलूनी के लिए काम कर रहा है और उसके बावजूद गणेश गोदियाल अकेले ही अनिल बलूनी को चुनौती दे रहे हैं कांग्रेस के पास इस समय न तो भाजपा जैसा मजबूत संगठन है न ही किसी बड़े नेता ने गणेश गोदियाल के लिए प्रचार किया है फिर भी गणेश गोदियाल अकेले ही बीजेपी पर भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण गणेश गोदियाल की व्यक्तिगत छवि और उनका स्थानीय मुद्दों को लगातार उठाना उनको इस चुनाव में मजबूती दे रहा है।
हरिद्वार सीट-
तीसरी सीट पर हरिद्वार जहां एक तरफ दो पूर्व रावत मुख्यमंत्री और एक तरफ निर्दलीय विधायक उमेश कुमार हैं,,,उमेश कुमार ने जहां धीरे धीरे अपना एक मजबूत किला हरिद्वार में बनाया है उससे बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी की हैं. हरीश रावत जहां धीरे धीरे ही सही अब धड़ों और खेमों में बंटी हरिद्वार कांग्रेस को एक करने में कामयाब हो रहे हैं उससे वो बेहद कम समय में मुकाबले में खड़े हो गए हैं,,,जबकि योगी और मोदी की रैलियों के जरिये त्रिवेंद्र सिंह बीजेपी के लिए चुनौती बनी हरिद्वार सीट पर परचम लहराने की तैयारी कर रहे हैं।
लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड की जनता जब अपने पर आई तो उसने फिर प्रत्याशी का कद या पद नहीं देखा, जिसे पसंद किया उसे जिताया और जो नापसंद था उसे हरा दिया। एक जमाने में भाजपा की राजनीति के तीसरे बड़े ध्रुव डॉ.मुरली मनोहर जोशी रहे हों या खांटी राजनीतिज्ञ नारायण दत्त तिवारी या फिर दिग्गज हरीश रावत, लोकसभा चुनाव में इन सभी दिग्गजों ने करारी शिकस्त का सामना किया।
1984 के लोकसभा चुनाव में अल्मोड़ा सीट पर उस दौर के नौजवान नेता हरीश रावत को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया। हरीश ने खांटी राजनीतिज्ञ डॉ.मुरली मनोहर जोशी को न सिर्फ हराया, बल्कि उनकी जमानत तक जब्त करा दी। जोशी को महज 14.79 फीसदी वोट पर संतोष करना पड़ा। इसी सीट पर 1989 के चुनाव में भगत सिंह कोश्यारी को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। वह तीसरे स्थान पर रहे। यही वह चुनाव था, जिसमें निर्दलीय चुनाव लड़े काशी सिंह ऐरी ने 39 फीसदी से अधिक वोट लेकर अपने विरोधियों को हैरान कर दिया था।
टिहरी लोस सीट पर आठ बार के सांसद रहे महाराजा मानवेंद्र शाह को भी पराजय का सामना करना पड़ा था। उन्हें 1971 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार से मात मिली। उन्हें स्वतंत्रता सेनानी परिपूर्णानंद पैन्यूली ने पराजित कर दिया। दिग्गज राजनेता एनडी तिवारी की चुनावी हार का भी अपना इतिहास है। राम लहर के रथ पर सवार भाजपा ने 1991 के लोस चुनाव में बलराज पासी को कांग्रेस के एनडी तिवारी के खिलाफ मैदान में उतारा। पासी ने एनडी तिवारी को पराजित कर दिया।
कद्दावर मुरली मनोहर जोशी को हराने वाले हरीश रावत भी चुनावी पराजयों से महफूज नहीं रहे। अल्मोड़ा सीट पर ही उन्हें भाजपा के बची सिंह रावत के हाथों लगातार तीन हार का सामना करना पड़ा। 2019 के लोकसभा चुनाव में हरीश रावत नैनीताल-उधम सिंह नगर सीट पर भी चुनाव हार गए।
दिग्गजों की चुनावी पराजयों का इतिहास यहीं नहीं थमा है। हरिद्वार लोस सीट पर 1989 और 1991 में मायावती बसपा के टिकट पर दो बार चुनाव हार गईं। बसपा सुप्रीमो की 1991 के चुनाव में तो जमानत तक जब्त हो गई थी। उन्हें महज चार फीसदी वोट ही नसीब हुए।
लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी हमेशा से ही पहाड़ में अपने प्रत्याशी खड़ी करती आई है, लेकिन आज तक हाथी पहाड़ नहीं चढ़ पाया। स्थिति ये रही कि बसपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भी 2014 के लोकसभा चुनावों में 25 हजारत मतों पर सिमटकर रह गए थे।
वहीं, इस बार चुनाव में पहली बार बसपा ने सीमांत जनपद के दूरस्थ क्षेत्र के प्रत्याशी पर अपना विश्वास जताया है। उत्तराखंड बनने के बाद बसपा लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव, प्रदेश में अपनी पैठ बनाने की कोशिश करती रहती है। विधानसभा चुनाव में प्रदेश के मैदानी जिले हरिद्वार से एक बार बसपा को सफलता भी मिली, लेकिन लोकसभा चुनाव में पहाड़ में बसपा के वोट हर बार घटते रहे। बसपा ने वर्ष 2004 में टिहरी लोकसभा से प्रत्याशी मैदान में उतारा, लेकिन उन्होंने नाम वापस ले लिया था।
मुन्ना सिंह चौहान वर्ष 2009 में बसपा के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरे-
इसके बाद वर्ष 2009 में भाजपा से बगावत कर मुन्ना सिंह चौहान वर्ष 2009 में बसपा के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरे। जिन्हें जौनसार पृष्ठभूमि और देहरादून जिले के नाते करीब 90 हजार के आसपास मत मिले। उसके बाद वर्ष 2014 में टिहरी लोकसभा सीट पर बसपा से वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष शीशपाल चौधरी ने चुनाव लड़ा, लेकिन वह 25 हजार मतों पर अटक गए थे।
बसपा ने फिर वर्ष 2019 में तत्कालीन देहरादून के जिलाध्यक्ष सत्यपाल को मैदान में उतारा, जो 15 हजार मत पर अटक गए। अब वर्तमान में बसपा ने मैदानी इलाकों को छोड़ सीमांत जनपद उत्तरकाशी के पुरोला विधानसभा से प्रत्याशी मैदान में उतारा है। अब यह तो मतगणना के दिन ही पता लग पाएगा कि क्या बसपा पहाड़ के प्रत्याशी के नाम पर मतों की संख्या बढ़ा पाएगी या नहीं। संवाद
उत्तराखंड की जनता भाजपा और कांग्रेस के कार्यकाल से परेशान हो गई है, इसलिए बसपा लगातार जनता के बीच आकर इन दोनों की कमियों को उजागर कर रही है।-सतेंद्र खत्री, प्रदेश सचिव बसपा।
लोकसभा के चुनावी महाभारत के लिए भाजपा ने अपना चक्रव्यूह तैयार कर दिया है। कांग्रेस और विपक्षी दलों के प्रत्याशियों के कड़ी चुनौती पेश करने के लिए पार्टी ने रणनीति के तहत उन चेहरों पार्टी में शामिल कराया, जिन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस व निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोकी थी और अच्छे-खासे वोट हासिल किए थे।
लोकसभा चुनाव से ठीक पूर्व विधानसभा चुनाव के दूसरे या तीसरे स्थान पर रहे इन चेहरों के दम पर पार्टी अपनी चुनावी राह को आसान बनाने की कोशिश कर रही है। पार्टी के ज्वाइनिंग अभियान की गति बेशक अभी कुछ धीमी दिखाई दे रही है, लेकिन इसे भी सुनियोजित रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है।
भाजपा ने करीब 12,500 नए लोगों को पार्टी की सदस्यता-
सियासी हलकों में ये चर्चाएं अब खासी गरमा रहीं कि कांग्रेस के कुछ और बड़े चेहरे जिनमें विधायक भी बताए जा रहे हैं, कभी भी भाजपा का दामन थाम सकते हैं। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस संभावना से इन्कार भी नहीं कर रहा है। गढ़वाल मंडल की तीन लोकसभा सीटों में से दो में सबसे अधिक राजनीतिक चेहरे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए। कुछ ने घर वापसी की है। लोस चुनाव से पूर्व भाजपा ने करीब 12,500 नए लोगों को पार्टी की सदस्यता दिलाई।
विरोधी पार्टी से तोड़ने और अपने संग जोड़ने की यह कवायद इसलिए भी अहम मानी जा रही कि बदरीनाथ सीट पर कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े राजेंद्र भंडारी को पार्टी में शामिल करा दिया। भंडारी ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ले ली।
गढ़वाल लोस सीट से कुछ चेहरे भाजपा में आए-
बदरीनाथ ही नहीं गढ़वाल लोस क्षेत्र के अंतर्गत कुछ और विधानसभा क्षेत्रों से भी कुछ चेहरे भाजपा में शामिल हुए। इनमें केदारनाथ विस से 2022 का चुनाव लड़े कुलदीप रावत ने भाजपा की सदस्यता ली। वह चुनाव में दूसरे स्थान पर थे और उन्होंने 12,323 वोट हासिल किए थे। इसी तरह चौबट्टाखाल से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे केसर सिंह नेगी भाजपा में चले गए। उन्हें 1,3497 वोट मिले थे। पौड़ी विस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी रहे नवल किशोर ने भी भाजपा का दामन थाम लिया। उन्होंने 20,127 वोट हासिल किए थे। यमकेश्वर सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े शैलेंद्र सिंह रावत की भी भाजपा में वापसी हो गई। शैलेंद्र ने 17,980 वोट लिए थे। श्रीनगर गढ़वाल सीट से यूकेडी छोड़ कर आए मोहन काला भी भाजपा के हो गए। काला को विस चुनाव में 4271 वोट मिले थे
टिहरी लोकसभा सीट में भी लगी कांग्रेस में सेंध
कांग्रेस में सबसे बड़ी सेंध टिहरी लोकसभा क्षेत्र में लगी। यहां पुरोला सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी रहे मालचंद ने भाजपा में वापसी कर ली। मालचंद ने विस में 21,560 वोट लिए थे। गंगोत्री में खांटी कांग्रेसी रहे पूर्व विधायक विजय पाल सजवाण भी भाजपा में शामिल हो गए। गंगोत्री सीट पर दूसरे स्थान पर थे और उन्होंने 21,590 वोट हासिल किए थे। टिहरी लोस सीट पर दूसरे स्थान पर रहे दिनेश धनै भी भाजपा में शामिल हो गए। उन्हें 18,851 वोट मिले थे। इसके अलावा इसी सीट पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े धन सिंह नेगी ने भी भाजपा में वापसी कर ली। उन्होंने 6,385 वोट मिले थे। धनोल्टी सीट पर चुनाव लड़े जोत सिंह बिष्ट भी आम आदमी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। बिष्ट ने 2022 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था और 18,143 वोट लेकर वह दूसरे स्थान पर थे। इस सीट पर नंबर तीन रहे महावीर सिंह रांगड ने भी भाजपा में घर वापसी कर ली। रांगण ने भी 12,644 वोट हासिल किए थे।
हरिद्वार लोस में कुछ ही प्रत्याशी भाजपा में आए
हरिद्वार संसदीय क्षेत्र में बड़ी संख्या में पंचायत जनप्रतिनिधियों ने भाजपा का दामन थामा, लेकिन विस चुनाव के पूर्व प्रत्याशियों की संख्या गढ़वाल और टिहरी सीट से कम रही। टिहरी से पिता दिनेश धनै के भाजपा में शामिल होने के साथ ऋषिकेश से चुनाव लड़े कनक धनै भी भाजपा के हो गए। कनक ने 2022 के विस चुनाव में 13,080 वोट हासिल किए थे। भगवानपुर सीट पर अपनी भाभी कांग्रेस की ममता राकेश से हारे सुबोध राकेश ने बसपा छोड़कर भाजपा में वापसी कर ली। सुबोध राकेश को 39,997 वोट मिले थे। खानपुर सीट के पूर्व प्रत्याशी सुभाष चौधरी ने भाजपा में जा चुके हैं। उन्हें छह हजार से अधिक वोट मिले थे।
कुमाऊं में बेअसर रहा भाजपा के ज्वाइनिंग अभियान
गढ़वाल मंडल तुलना में भाजपा का ज्वाइनिंग अभियान कुमाऊं मंडल में प्रभावी नहीं रहा। नैनीताल लोस क्षेत्र में कालाढूंगी विस से महेश चंद्र शर्मा ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा। महेश चंद्र को 2022 के चुनाव में 43 हजार से अधिक वोट मिले थे। भीमताल विस सीट पर कांग्रेस से चुनाव लड़े दान सिंह भंडारी ने भी भाजपा में वापसी कर ली। भंडारी को 15 हजार से अधिक वोट मिले थे। किच्छा से प्रत्याशी रहे अजय तिवारी ने भी भाजपा की सदस्यता ली। उन्हें 6,000 से अधिक वोट मिले थे। इनके अलावा कुमाऊं मंडल से कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा भाजपा में शामिल नहीं हुआ।
इस बार लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी मैदानी प्रभाव वाली हरिद्वार और नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीटों पर सबसे ज्यादा स्टार प्रचारक उतारेगी। 2017 के मुकाबले 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन गिरने के बाद पार्टी ने ये रणनीति बनाई है। दोनों सीटों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक को लाने की तैयारी है।
हरिद्वार लोकसभा सीट में कुल 14 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 2017 के विस चुनाव में भाजपा के पास 11 व कांग्रेस के पास तीन थीं। 2022 के विस चुनाव में लोकसभा में छह सीटें भाजपा के पास रह गई थीं। पांच सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था। दो पर बसपा और एक निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। इसी प्रकार, नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा में कुल 14 विधानसभा सीटें हैं।
इनमें से 2017 के विस चुनाव में भाजपा के पास 11, कांग्रेस के पास दो और एक निर्दलीय विधायक था, लेकिन 2022 के विस चुनाव में इस लोकसभा के अंतर्गत आने वालीं 14 सीटों में से भाजपा के पास आठ रह गईं और कांग्रेस की दो से बढ़कर छह हो गई थीं। लिहाजा, लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने इन दोनों जिलों के लिए खास प्लान तैयार किया है।
पार्टी जल्द ही जारी करेगी शेड्यूल
हरिद्वार में कार्यकर्ताओं के बीच प्रचार करने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा अप्रैल के पहले सप्ताह में रोड शो करेंगे। इसके बाद यहां भगवानपुर में गृह मंत्री अमित शाह और रुड़की में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को बतौर स्टार प्रचारक लाने की तैयारी हो रही है। वहीं, ऊधमसिंह नगर जिले में पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रुद्रपुर, अमित शाह, राजनाथ सिंह को लाने की तैयारी में जुट गई है। पार्टी जल्द ही इसका शेड्यूल जारी करेगी।
2022 विस चुनाव में गढ़वाल-कुमाऊं में भाजपा-कांग्रेस
गढ़वाल मंडल
कुल सीटें- 41
भाजपा- 28
कांग्रेस-8 (एक विधायक के भाजपा में जाने से सीट खाली)
कांग्रेस के गढ़वाल सीट से लोकसभा प्रत्याशी गणेश गोदियाल ने बुधवार को नामांकन किया। इसके बाद उन्होंने रामलीला मैदान में जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमें स्टार प्रचारकों की जरूरत नहीं है। उत्तराखंड की जनता व संगठन के लोग ही उनके स्टार प्रचारक है।
कहा कि बीजेपी की सरकार 10 साल से है लेकिन इस कार्यकाल में अच्छे दिन क्या हुआ। इसके साथ उन्होंने काला धन पर भी भाजपा को आड़े हाथों लिया। कहा कि पीएम मोदी ने विदेशों से काला धन लाने की बात कही थी, साथ ही लोगों के खाते में 15- 15 लाख रुपये आने का वादा किया था, लेकिन आज तक न तो काला धन वापस आया, ना ही लोगों के खाते में 15 लाख रुपये आए।
इसके अलावा उन्होंने भू कानून, मूल निवास समेत तमाम मुद्दों पर बात कही। साथ ही प्रथम सीडीएस बिपिन रावत की मौत की जांच पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि उनकी मौत कैसे हुई। इसका खुलासा नहीं हो पाया। इस दौरान पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण, सुरेंद्र सिंह नेगी, नरेंद्र नगर से पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत ,रणजीत रावत, प्रो. जीतराम, मनोज रावत आदि ने जनता को संबोधित किया।