Author: Pravesh Rana

Uttarakhand: जंगल की आग से झुलसे वन कर्मियों को किया गया एयरलिफ्ट, दिल्ली एम्स में किया गया रेफर।

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गुरुवार को अल्मोड़ा के बिनसर अभयारण्य में भीषण आग से चार कर्मिकों की दर्दनाक मौत हुई है, जबकि चार लोग गंभीर रूप से झुलस गए थे। सभी घायलों को हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, वहीं, घायलों की हालत गंभीर देखते हुए सीएम धामी ने उनको एम्स दिल्ली एयरलिफ्ट करने के निर्देश दिए थे।

सीएम के निर्देश के बाद शुक्रवार को वनाग्नि में झुलसे सभी वन कर्मियों को एयरलिफ्ट करके दिल्ली भेजा गया है। सबसे पहले गंभीर रूप से झुलसे कृष्ण कुमार (44) और पीआरडी जवान कुंदन सिंह को एयरलिफ्ट करके दिल्ली एम्स भेजा गया। इसके बाद कैलाश भट्ट और भगवत सिंह को भेजा गया। बता दें कि, कृष्ण कुमार फायर वाचर निवासी भेटुली अल्मोड़ा 82 प्रतिशत जले हैं। इनकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। उधर कैलाश भट्ट उम्र (45) दैनिक श्रमिक निवासी घनेली अल्मोड़ा 42% प्रतिशत, कुंदन सिंह (42) पीआरडी जवान निवासी खाखरी 40% जबकि भगवत सिंह (36) चालक निवासी भेटुली आयरपानी 50% प्रतिशत जले हैं।

बता दें कि, अल्मोड़ा बिनसर अभयारण्य वनाग्नि में झुलसे हुए वन कर्मियों को शुक्रवार को एयरलिफ्ट कर दिल्ली एम्स भेजा गया है। इस दौरान हल्द्वानी के सिटी मजिस्ट्रेट एबी वाजपेयी और एसडीएम रुद्रपुर मनीष बिष्ट मौजूद रहे।

सीटी मजिस्ट्रेट एबी बाजपेई ने बताया की गुरुवार हादसे में चार वन कर्मियों की मौत हो गई थी जबकि चार वनकर्मी आग की चपेट में आने से झुलस गए थे। सरकार के निर्णय के बाद झुलसे हुए चारों वनकर्मियों को एयरलिफ्ट कर दिल्ली एम्स भेजा जा रहा है।

वहीं, उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जंगल की आग की चपेट में आकर चार वन कर्मियों की माैत के मामले में सीएम धामी ने सख्त रुख अपनाया है। कुमाऊं के तीन अधिकारियों पर गाज गिरी है। चीफ कंजरवेटर नॉर्थ और डीएफओ अल्मोड़ा को निलंबित कर दिया है। वहीं, सीसीएफ कुमाऊं को अटैच किया है। सीएम धामी के निर्देश के बाद अब विभाग इनपर कार्रवाई करने जा रहा है।

PM Modi: NDA संसदीय दल की बैठक में पीएम मोदी ने कहा- ‘सरकार चलाने के लिए बहुमत आवश्यक और देश चलाने के लिए सर्वमत।

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राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) संसदीय दल ने नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुना। भाजपा के वरिष्ठ भाजपा नेता राजनाथ सिंह ने लोकसभा में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और भाजपा के नेता के रूप में नरेंद्र मोदी के नाम का प्रस्ताव रखा। इसके बाद वरिष्ठ भाजपा नेता अमित शाह, नितिन गडकरी और राजद के साथी तेदेपा के चंद्रबाबू नायडू, जदयू के नीतीश कुमार, शिवसेना के एकनाथ शिंदे समेत अन्य नेताओं ने प्रस्ताव का समर्थन किया।

 

इस दौरान कार्यवाहक पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि जो साथ विजय होकर आए हैं, वो सभी अभिनंदन के अधिकारी हैं। जिन लाखों कार्यकर्ताओं ने दिन-रात परिश्रम किया है, उन लोगों ने न दिन देखा, न रात देखी। इतनी भयंकर गर्मी में हर दल के कार्यकर्ता ने जो पुरुषार्थ, परिश्रम किया है, मैं आज संविधान सदन से उन्हें सिर झुकाकर प्रणाम करता हूं। साथियों मेरा बहुत सौभाग्य है कि एनडीए के नेता के रूप में आप सब साथियों ने सर्वसम्मति से चुनकर मुझे नया दायित्व दिया है। इसके लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं।

 

सांसदों-सहयोगियों के लिए कहा, जितना धन्यवाद करूं, उतना कम है-PM
उन्होंने कहा, ”व्यक्तिगत जीवन में मुझे जवाबदारी का एहसास करता हूं। 2019 में जब आप सभी ने मुझे नेता के रूप में चुना था, तब मैंने एक बात पर बल दिया था- विश्वास। आज जब आप मुझे फिर से एक बार ये दायित्व दे रहे हैं तो इसका मतलब है कि हमारे बीच विश्वास का सेतु बहुत मजबूत है। अटूट रिश्ता विश्वास के मजबूत धरातल पर है। ये पल भावुक करने वाला भी है। आप सबके प्रति जितना धन्यवाद करूं, उतना कम है।”

एनडीए के लिए कहा- महान लोकतंत्र की ताकत देखिए- PM
पीएम मोदी ने कहा, ”बहुत कम लोग इन बातों की चर्चा करते हैं, उन्हें शायद सूट नहीं करता होगा। इतने महान लोकतंत्र की ताकत देखिए। एनडीए को आज देश के 22 राज्यों में लोगों ने सरकार बनवाकर सेवा का मौका दिया है। हमारा गठबंधन सच्चे अर्थ में भारत की असली आत्मा, भारत की जड़ों में जो रचा-बसा है, उसका प्रतिबिंब है। हमारे देश में 10 ऐसे राज्य हैं, जहां आदिवासी बंधुओं की संख्या प्रभावी रूप से है, निर्णायक रूप से है। जहां आदिवासियों की आबादी ज्यादा है, ऐसे 10 राज्यों में से सात में एनडीए सेवा कर रहा है। हम सर्वधर्म समभाव वाले संविधान को समर्पित हैं। गोवा हो, पूर्वोत्तर हो, जहां बहुत बड़ी मात्रा में ईसाई भाई-बहन रहते हैं, उन राज्यों में भी एनडीए के रूप में हमें सेवा का अवसर मिला है।”

‘देश चलाने के लिए सर्वमत बहुत जरूरी’- PM
पीएम मोदी ने कहा, ”हिंदुस्तान के राजनीतिक इतिहास में और गठबंधन की राजनीति के इतिहास में चुनाव पूर्व गठबंधन इतना कभी मजबूत नहीं हुआ, जितना एनडीए हुआ है। यह गठबंधन की जीत है। हमने बहुमत हासिल किया है। मैं कई बार कह चुका हूं। सरकार चलाने के लिए बहुमत आवश्यक है, लोकतंत्र का वही एक सिद्धांत है। देश चलाने के लिए सर्वमत बहुत जरूरी होता है। मैं आज देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि आपने जिस तरह बहुमत देकर सरकार चलाने का सौभाग्य दिया है, हम सभी का दायित्व है कि सर्वमत का सम्मान कर देश को आगे ले जाने की कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। एनडीए को करीब-करीब तीन दशक हो चुके हैं। आजादी के 75 साल में तीन दशक एनडीए का होना सामान्य घटना नहीं है। विविधता के बीच तीन दशक की यह यात्रा बहुत बड़ी मजबूती का संदेश देती है। आज गर्व के साथ कहता हूं कि एक समय संगठन के कार्यकर्ता के रूप में मैं इस गठबंधन का हिस्सा था और आज सदन में बैठकर आपके साथ काम करते-करते मेरा भी नाता इससे तीस सालों का हो गया है। मैं कह सकता हूं कि यह सबसे सफल गठबंधन है। पांच साल का कार्यकाल होता है, लेकिन इस गठबंधन ने तीस साल में से पांच-पांच साल के तीन कार्यकाल पूरे किए हैं और गठबंधन चौथे कार्यकाल में प्रवेश कर रहा है।”

Uttarakahnd: सहस्त्रताल ट्रैक पर 22 सदस्यीय दल में से 9 ट्रैकर्स की मौत, 10 ट्रैकर्स सुरक्षित, द्रौपदी का डांडा हिमस्खलन के बाद दूसरा बड़ा हादसा।

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उत्तरकाशी-टिहरी जनपद की सीमा पर करीब 14500 फीट की ऊंचाई पर स्थित सहस्त्रताल ट्रैक पर गए 22 सदस्यीय दल में से नौ ट्रैकर्स की मौत हो गई। दस ट्रैकर्स को सुरक्षित वापस लाया जा चुका है। वर्ष 2022 में हुए निम के द्रौपदी का डांडा हिमस्खलन हादसे के बाद यह दूसरा बड़ा हादसा है।

चार अक्तूबर 2022 को निम के इतिहास में वह तारीख है जिसने निम प्रबंधन को कभी न भूलने वाला गम दिया। हादसे में निम के 34 प्रशिक्षुओं का दल द्रौपदी का डांडा-2 चोटी आरोहण के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आ गया था जिसमें कुल 27 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं दो लोग अब भी लापता चल रहे हैं।

इनमें उत्तराखंड से नौसेना में नाविक विनय पंवार व हिमाचल निवासी लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक वशिष्ट शामिल थे। हालांकि उस दौरान निम के साथ एसडीआरएफ की टीम ने दोनों लापता लोगों की खोजबीन के लिए माइनस 25 डिग्री तापमान में भी विशेष अभियान चलाया।

अब एक और हादसे के खबर उत्तरकाशी-टिहरी जनपद की सीमा पर करीब 14500 फीट की ऊंचाई पर स्थित सहस्त्रताल ट्रैक से आई।
कल मंगलवार को चार ट्रैकर की ठंड लगने से मौत हो गई। वहीं आज पांच ट्रैकर्स की और मौत हो गई। दस ट्रैकर्स को सुरक्षित लाया जा चुका है। मौसम खराब होने के कारण ट्रैकर्स रास्ता भटक गए थे। जिले की ट्रैकिंग एजेंसियों के माध्यम से जिला आपदा प्रबंधन को इसकी सूचना मिली। जिससे विभाग ने रेस्क्यू के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है।
 29 मई को एक 22 सदस्यीय दल मल्ला-सिल्ला से कुश कुल्याण बुग्याल होते हुए सहस्त्रताल की ट्रैकिंग के लिए निकला था। दो जून को यह दल सहस्त्रताल के कोखली टॉप बेस कैंप पहुंचा।
तीन जून को वह सहस्त्रताल के लिए रवाना हुए। वहां अचानक मौसम खराब होने, घने कोहरे और बर्फबारी के बीच ट्रैकर फंस गतए। पूरी रात उन्हें ठंड में बितानी पड़ी। ट्रैकर्स में से किसी ने इसकी सूचना दल को ले जाने वाली गढ़वाल माउंटनेरिंग एवं ट्रैकिंग एजेंसी के मालिक को दी। बताया कि ठंड लगने से चार ट्रैकर की मौत हो गई है जबकि सात की तबीयत खराब है और 11 वहां फंसे हुए हैं।

Uttarakhand News: प्रदेश में जुलाई महीने में महंगा आएगा बिजली का बिल, मांग ने तोड़े सारे रिकॉर्ड।

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उत्तराखंड प्रदेश में जुलाई के माह में बिजली का बिल महंगा आएगा। फ्यूल और पावर परचेज कॉस्ट एडजस्टमेंट (एफपीपीसीए) के तहत उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने उपभोक्ताओं से 14 करोड़ 21 लाख रुपये वसूली की अनुमति दे दी है।

दरअसल, केंद्र के नियमों के तहत अब यूपीसीएल निर्धारित मूल्य के सापेक्ष जिस दर पर बिजली खरीदता है, उसकी वसूली उपभोक्ताओं से की जाती है। यूपीसीएल ने नियामक आयोग में एक याचिका दायर की थी, जिसमें बताया गया था कि दिसंबर, जनवरी और फरवरी की तिमाही में यूपीसीएल ने जो बिजली खरीदी है, उसका 14 करोड़ 21 लाख रुपये बकाया है।

यूपीसीएल ने आयोग से इस रकम की वसूली की मांग की थी। आयोग अध्यक्ष एमएल प्रसाद ने एफपीपीसीए नियमों के तहत इस रकम को जुलाई माह के बिल में वसूली करने की अनुमति दे दी है। साथ ही ये भी निर्देश दिए कि इसका रिकॉर्ड अलग से मेंटेन रखा जाए। इस रकम के हिसाब से प्रति उपभोक्ता जुलाई के बिल में चार पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी हो जाएगी।

बिजली की मांग ने तोड़े रिकॉर्ड, 6.2 करोड़ पहुंची-

प्रदेश में बिजली की मांग ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। बृहस्पतिवार को मांग 6.2 करोड़ यूनिट पर पहुंच गई। यूपीसीएल के निदेशक परिचालन एमआर आर्य ने बताया, इतनी मांग के सापेक्ष पूरी उपलब्धता है। कहीं भी बिजली की किल्लत की वजह से कटौती नहीं की जा रही है। बताया, चारधाम यात्रा के मद्देनजर सुचारू विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। उन्होंने उपभोक्ताओं से अपील की कि प्रदेश हित में वे बिजली बचाएं।

 

June 2024: 1 जून से बदलने वाले हैं ये सभी नियम, जानिए किन-किन चीजों में होगा बदलाव।

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चारधाम हेली सेवा बुकिंग के लिए खुद को IRCTC का अधिकारी बता कर सोशल मीडिया पर जाल फैला रहे ठग, जानिए बचाव के लिए क्या करें।

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फर्जी वेबसाइट पर पुलिस ने नकेल कसना शुरू किया तो साइबर ठगों ने नया पैंतरा अपना लिया है। ठग अब खुद को आईआरसीटीसी का अधिकारी बताकर लोगों को फंसाने में लगे हैं। इसके लिए पहले सच्ची बात बताई जा रही है ताकि लोगों को यकीन हो सके।

बताया जा रहा है कि चारधाम के लिए टिकटों की बुकिंग फुल हो चुकी है। लेकिन, अब कंपनी अपने कोटे के टिकटों को बेचकर यात्रा करा सकती है। इसके लिए ठगों ने सोशल मीडिया पर हेली बुकिंग के नाम से इश्तिहार प्रसारित किए हैं। ठगों के इस जाल से लोगों को बचाया जा सके इसके लिए अमर उजाला ने इस इश्तिहार के नंबर पर कॉल कर सारी स्थिति जानी। जो बात निकलकर सामने आई उससे यही लगा कि जरा सी सावधानी हटी तो ठगी का शिकार आसानी से बना जा सकता है।

हेली टिकट के लिए फेसबुक पर एक पेज मिला था। यहां पर हेलीकॉप्टर की फोटो के साथ डिस्प्ले पिक्चर में श्रीकेदारनाथ धाम का फोटो भी लगा था। नीचे एक मोबाइल नंबर लिखा हुआ था। अमर उजाला की ओर से इस नंबर पर कॉल की गई तो दूसरी ओर से परिचय आईआरसीटीसी के अधिकारी के रूप में दिया गया। अमर उजाला के प्रतिनिधि को अब तक की सारी बातों का पता था। ऐसे में ठग को इन बातों की जानकारी दी गई। उसे यह समझते देर न लगी कि यह वह मछली नहीं है जो उनके जाल में फंस जाए। ऐसे में एकाएक उसने फोन काट दिया।

ज्यादातर प्रदेश के बाहर के लोग हो रहे शिकार

फर्जी रजिस्ट्रेशन हो या फिर हेली टिकट का फर्जीवाड़ा। सभी मामलों में ज्यादातर ठगी के शिकार प्रदेश के बाहर के ही लोग हो रहे हैं। इसका कारण है कि प्रचार-प्रसार में कमी। प्रदेश के बाहर के लोगों में अब भी केदारनाथ व अन्य धामों की व्यवस्था के बारे में कम ही जानकारी है। यही नहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो किसी तरह जुगाड़ करने के चक्कर में जाल में फंस रहे हैं।

बचाव के लिए क्या करें

-आईआरसीटीसी की अधिकारिक वेबसाइट पर सर्च करें।

-आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर कोई भी मोबाइल नंबर नहीं है।

-फर्जी वेबसाइट पर मोबाइल नंबर लिखे होते हैं जो कि ठगों के होते हैं।

-सोशल मीडिया फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम आदि पर कोई टिकट बुकिंग की व्यवस्था नहीं है।

-किसी भी नंबर के संदिग्ध होने पर तत्काल पुलिस को सूचित करें।

-साइबर वित्तीय हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें।

एसटीएफ और साइबर पुलिस लगातार फर्जी वेबसाइट की निगरानी कर रही है। अपने फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया हैंडल से भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जो शिकायतें आ रही हैं उनकी भी जांच की जा रही है। इस साल अब तक 20 फर्जी वेबसाइट ब्लॉक की जा चुकी हैं। यदि कोई ठगी का शिकार होता है या आशंका है तो साइबर वित्तीय हेल्पलाइन पर मदद मांग सकता है। एसटीएफ की ओर से मोबाइल नंबर भी जारी किए गए हैं। – आयुष अग्रवाल, एसएसपी, एसटीएफ

 

Lok Sabha 2024: तीसरे चरण में 93 सीटों पर 64.58 फीसदी तक हुआ मतदान, जानिए सबसे ज्यादा कहां और कितनी प्रतिशत हुई वोटिंग.

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लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में अब तक 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की 93 सीटों पर मंगलवार को औसतन 64.58 फीसदी मतदान हुआ है। असम में सबसे अधिक 81.71 फीसदी और उत्तर प्रदेश में सबसे कम 57.34 फीसदी मत पड़े हैं। पश्चिम बंगाल में भी मतदान शांतिपूर्ण रहा है। मतदान प्रतिशत में अभी बदलाव की उम्मीद है क्योंकि चुनाव आयोग की तरफ से अंतिम आंकड़े नहीं जारी किए गए हैं।तीसरे चरण में 280 सीटों पर मतदान के साथ ही लोकसभा की आधी से अधिक सीटों पर चुनाव पूरा हो गया।

ईवीएम से साफ़ होंगी दिग्गजों की तस्वीरें- 
इस चरण में गृह मंत्री अमित शाह समेत कई केंद्रीय मंत्रियों की किस्मत ईवीएम से साफ़ होंगी। अमित शाह गांधीनगर से चुनावी मैदान में हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना, मनसुख मांडविया पोरबंदर, पुरुषोत्तम रुपाला राजकोट, प्रहलाद जोशी धारवाड़ और एसपी सिंह बघेल आगरा से मैदान में हैं। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज चौहान विदिशा, दिग्विजय सिंह राजगढ़, एनसीपी नेता सुप्रिया सुले बारामती से प्रत्याशी हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर में किया मतदान-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर में व गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को अहमदाबाद में वोट डाला। कर्नाटक में सबसे पहले वोट डालने वालों में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी व राज्य के मंत्री प्रियांक खरगे प्रमुख रहे। महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बारामती से एनडीए प्रत्याशी अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार के साथ मतदान किया। एनसीपी के दूसरे धड़े के अध्यक्ष शरद पवार ने भी बारामती के मालेगांव में वोट दिया। असम में सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने पत्नी रिनिकी भुइयां व बेटी सुकन्या के साथ बारपेटा सीट के अमीन गांव में वोट डाला।

बैतूल में मतदान दल को वापस ला रही बस आग में जलकर खाक-
तीसरे चरण का मतदान पूरा होने के बाद बैतूल में छह मतदान केंद्रों से मतदान सामग्री और कर्मचारियों को लेकर लौट रही बस में मंगलवार रात आग लग गई। आग में बस पूरी तरह खाक हो गई। हादसे में सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं। मतदान सामग्री को आंशिक नुकसान होने की खबर है। हालांकि, अभी मतदान सामग्री को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। चुनाव कर्मचारियों और ईवीएम को लाने के लिए दूसरी बस मौके पर बुलवाई गई। हादसा साईंखेड़ा थानाक्षेत्र के बिसनूर और पौनी गौला गांवों के बीच हुआ। बस का ड्राइवर जलती बस से कूद गया था, जबकि कर्मचारियों ने मुश्किल से जान बचाई। सूचना मिलते ही बैतूल से अधिकारी और पुलिस मौके पर पहुंची। बैतूल, मुलताई और आठनेर से फायर ब्रिगेड बुलाकर आग पर काबू किया गया।

 

UKSSSC: समूह-ग की 9 भर्तियों का कैलेंडर हुआ जारी, मई से अगस्त के बीच में होंगी परीक्षाएं, यहां पढ़ें पूरी डिटेल।

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उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने समूह-ग की नौ भर्तियों का कैलेंडर जारी कर दिया है। इस साल मई से अगस्त के बीच में ये भर्ती परीक्षाएं कराई जाएंगी। आयोग के सचिव सुरेंद्र सिंह रावत की ओर से जारी कैलेंडर में बताया गया है कि वन विभाग स्केलर भर्ती के लिए शारीरिक नाप जोख परीक्षा 15 मई को होगी।

हवलदार प्रशिक्षक की शारीरिक नाप जोख परीक्षा एक जून को, आबकारी सिपाही, परिवहन आरक्षी, उप आबकारी निरीक्षक, हॉस्टल मैनेजर ग्रेड-3, गृह माता भर्ती की परीक्षा नौ जून को, अनुदेशक विद्युतकार, फिटर व अन्य की परीक्षा 26 से 29 जून को, सहायक अध्यापक एलटी भर्ती परीक्षा 30 जून को, वाहन चालक भर्ती परीक्षा सात जुलाई को, सहायक भंडारी भर्ती परीक्षा 14 जुलाई को, स्केलर भर्ती की परीक्षा चार अगस्त को और हवलदार प्रशिक्षक भर्ती की परीक्षा 11 अगस्त को होगी।

 

Uttarakhand Forest Fire: उत्तराखंड में धधक रहे हैं जंगल, कुमाऊं में 24 घंटे में 14 जगह आग का तांडव, प्रदेश में 24 घंटे में 40 नई घटनाएं।

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 उत्तराखंड में गर्मी से राहत मिली है, लेकिन जंगलों के धधकने का सिलसिला थम  नहीं रहा है। बुधवार को 24 घंटे के भीतर प्रदेश में आग की 40 नई घटनाएं हुईं, जिनमें कुल 46 हेक्टेयर वन क्षेत्र को क्षति पहुंची है। वन विभाग की ओर से जंगल में आग लगाने वालों की गिरफ्तारी और मुकदमा दर्ज कराने की कार्रवाई भी जारी है।

अब तक जंगल में आग लगाने पर वन अपराध के तहत कुल 315 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं और 52 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं, फायर सीजन में अब तक कुल 761 घटनाओं में 949 हेक्टेयर वन क्षेत्र जल चुका है। उत्तराखंड में जंगलों के झुलसने का सिलसिला जारी है। वन विभाग सेना के सहयोग से लगातार आग पर काबू पाने का प्रयास कर रहा है।

केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग आदि में जंगल धधक रहे-

टिहरी बांध प्रथम वन प्रभाग, नैनीताल वन प्रभाग, भूमि संरक्षण रानीखेत वन प्रभाग, अल्मोड़ा वन प्रभाग, सिविल सोयम अल्मोड़ा वन प्रभाग, तराई पूर्वी वन प्रभाग, रामनगर वन प्रभाग, मसूरी वन प्रभाग, लैंसडौन भूमि संरक्षण वन प्रभाग, सिविल सोयम पौड़ी वन प्रभाग, केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग आदि में जंगल धधक रहे हैं। अब तक दो फायर वाचर समेत चार लोग आग से झुलस चुके हैं।

52 व्यक्तियों को जंगल में आग लगाने पर गिरफ्तार किया-

अब तक इस सीजन में जंगल में आग लगाने पर वन संरक्षण अधिनियम और वन अपराध के तहत 315 मुकदमे दर्ज कराए जा चुके हैं। जिनमें 267 मुकदमे अज्ञात और 48 मुकदमे ज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध कराए गए हैं। साथ ही अब तक कुल 52 व्यक्तियों को जंगल में आग लगाने पर गिरफ्तार किया जा चुका है। वन विभाग की ओर से मुख्यालय में कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। साथ ही जंगल की आग की सूचना देने के लिए नंबर भी जारी किए गए हैं।

इन नंबरों पर करें शिकायत-

18001804141, 01352744558 पर काल कर कोई भी विभाग को जंगल की आग की सूचना दे सकता है। साथ ही 9389337488 व 7668304788 पर व्हाट्सएप के माध्यम से भी सूचित कर सकते हैं। इसके अलावा राज्य आपदा कंट्रोल रूम देहरादून को भी 9557444486 और हेल्पलाइन 112 पर भी आग की घटना के बारे में जानकारी दी जा सकती है।

जंगलों की आग पर मानव अधिकार आयोग हुआ सख्त-

उत्तराखंड के जंगलों में लगातार आग लगने का मामला उत्तराखंड मानव अधिकार आयोग देहरादून पहुंच चुका है। आयोग ने जंगलों में लग रही आग पर सख्त रूप अपनाते हुए वन अग्निकांड पर प्रमुख सचिव वन और प्रमुख मुख्य वन संरक्षक से छह बिंदुओं पर आख्या मांगी है।

उत्तराखंड मानव अधिकार आयोग ने ग्रीष्म ऋतु में लगने वाले इस अग्निकांड को वन संपदा, पर्यावरण, वन्य जीवों और मानव जीवन के लिए घातक बताया है और प्रथम दृष्टतया वृहद रूप से मानवाधिकारों को विपरीत रूप से प्रभावित करने वाला बताया है।

इस ज्वलंत समस्या पर मानव अधिकार आयोग सदस्य पूर्व जज गिरधर सिंह धर्मशक्तू के समक्ष आयोग ने स्वतः इसका संज्ञान लेकर एक आदेश जारी करते हुए वन अग्निकांड पर प्रमुख सचिव वन एवं प्रमुख मुख्य वन संरक्षक उत्तराखंड को छह बिंदुओं पर आख्या मांगी है।

 

दक्षिण भारत कई इलाकों में गहराया जल संकट, जलाशयों का स्तर घटकर सिर्फ 17 प्रतिशत बचा. जानिए कौन हैं वो राज्य।

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गर्मियां शुरू होने के साथ ही देश में जल संकट गहराना शुरू हो गया है। दक्षिण भारत में स्थिति ज्यादा खराब है। दक्षिण भारत के राज्य गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं और स्थिति ये है कि जल भंडारण जलाशयों की क्षमता घटकर केवल 17 प्रतिशत रह गई है। केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने यह जानकारी मिली।

दक्षिणी राज्यों में जलसंकट की स्थिति गंभीर
दक्षिण भारत के राज्यों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु आते हैं। सीडब्ल्यूसी द्वारा भारत के विभिन्न क्षेत्रों के जलाशयों के भंडारण स्तर के संबंध में बृहस्पतिवार को जारी बुलेटिन में बताया गया कि दक्षिणी क्षेत्र में आयोग की निगरानी के तहत 42 जलाशय हैं जिनकी कुल भंडारण क्षमता 53.334 बीसीएम (अरब घन मीटर) है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इन जलाशयों में मौजूदा कुल भंडारण 8.865 बीसीएम है, जो उनकी कुल क्षमता का केवल 17 प्रतिशत ही है।

यह आंकड़ा पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान भंडारण स्तर (29 प्रतिशत) और इसी अवधि के दस साल के औसत (23 प्रतिशत) की तुलना में काफी कम है। दक्षिणी क्षेत्र के जलाशयों में भंडारण का कम स्तर इन राज्यों में पानी की बढ़ती कमी और सिंचाई, पेयजल और पनबिजली के लिए संभावित चुनौतियों का संकेत है।

पूर्वी क्षेत्र में हालात थोड़े सुधरे
पूर्वी क्षेत्र, जिसमें असम, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य आते हैं, में पिछले साल और दस साल के औसत की तुलना में जल भंडारण स्तर में सकारात्मक सुधार दर्ज किया गया है। आयोग ने कहा कि इस क्षेत्र में, 20.430 बीसीएम की कुल भंडारण क्षमता वाले 23 निगरानी जलाशयों में अभी 7.889 बीसीएम पानी है, जो उनकी कुल क्षमता का 39 प्रतिशत है। यह पिछले वर्ष की समान अवधि (34 प्रतिशत) और दस साल के औसत (34 प्रतिशत) की तुलना में सुधार का संकेत है।
पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात और महाराष्ट्र शामिल हैं और वहां भंडारण स्तर 11.771 बीसीएम है जो 49 निगरानी जलाशयों की कुल क्षमता का 31.7 प्रतिशत है। यह पिछले वर्ष के भंडारण स्तर (38 प्रतिशत) और दस साल के औसत (32.1 प्रतिशत) की तुलना में कम है। इसी तरह, उत्तरी और मध्य क्षेत्रों में भी जल भंडारण स्तर में गिरावट देखी गई है।