Author: News Desk

Uttarakhand: प्रदेश में आपातकालीन सेवाओं के लिए बनेगा स्वास्थ्य परिचालन केंद्र, चारधाम यात्रियों को मिलेगी मदद.

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चारधाम यात्रा के दौरान आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी के लिए पहली बार उत्तराखंड में स्वास्थ्य परिचालन केंद्र बनाया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। लगभग पांच करोड़ की लागत से इस केंद्र को स्थापित किया जाएगा।

इस बार चारधाम यात्रा की शुरुआत 30 अप्रैल से हो रही है। यात्रा के दौरान उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ठंड के साथ ऑक्सीजन की कमी से तीर्थ यात्रियों की अचानक तबीयत बिगड़ने से हार्ट अटैक का खतरा रहता है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से चारधाम यात्रा मार्ग पर 26 मेडिकल रिस्पांस प्वाइंट व 50 स्क्रीनिंग सेंटर बनाए जाते हैं।

इसके अलावा मार्गों पर स्थायी स्वास्थ्य केंद्र व अस्पताल भी हैं। लेकिन अभी तक यात्रा के दौरान आपात स्थिति में तत्काल स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए अपना परिचालन केंद्र नहीं है। राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य परिचालन केंद्र को मंजूरी दे दी है। इसके लिए पांच करोड़ की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाएगी।

स्वास्थ्य विभाग ने परिचालन केंद्र के लिए महानिदेशालय में जगह उपलब्ध करा दी है। प्रदेश सरकार का प्रयास है कि चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले परिपालन केंद्र को संचालित किया जाए। जिससे एक ही जगह से चारधामों में स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी हो सकेगी। इसके साथ ही आपात स्थिति में किसी श्रद्धालुओं को हायर सेंटर रेफर करना है या एयर लिफ्ट की आवश्यकता है तो परिचालन केंद्र से त्वरित कार्रवाई की जाएगी।
 

परिचालन केंद्र से 24 घंटे चारधाम यात्रा के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी की जाएगी। अभी तक यह व्यवस्था नहीं थी। केंद्र सरकार के सहयोग से प्रदेश में पहली बार यह केंद्र स्थापित किया जा रहा है। इस बार हमारा प्रयास है कि यात्रा के दौरान किसी भी तीर्थयात्री की मौत न हो। -डॉ. आर. राजेश कुमार, सचिव स्वास्थ्य

Uttarakhand: कई मंत्री व विधायक आधे कार्यकाल में नहीं खर्च कर पाए 50 प्रतिशत धनराशि।

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कई मंत्री व विधायक आधे कार्यकाल में नहीं खर्च कर पाए 50 प्रतिशत धनराशि

सूचना के जन अधिकार में हुआ खुलासा

वर्ष 2022-23 से दिसम्बर 24 तक का विवरण

 

उत्तराखंड के विधायकों का आधा कार्यकाल पूर्ण हो चुका हैं लेकिन अभी तक विधायक निधि में से कुल 61 प्रतिशत विधायक निधि ही खर्च हुई हैं।उत्तराखंड में सबसे कम विधायक निधि खर्च होने वाले विधायकों में किशोर उपाध्याय (15 प्रतिशत) डाॅ धन सिंह रावत (29), प्रेम चन्द्र अग्रवाल (33) डाॅ मोहन सिंह बिष्ट (34), खुशाल सिंह (34), प्रीतम सिंह (37), सरिता आर्य (40), सुरेश गडिया (42), बंशीधर भगत (43), भरत सिंह चौधरी (43), राजेन्द्र सिंह (44) तथा शक्ति लाल शाह (44) शामिल है।

 

देखें कुल खर्च विधायक निधि-

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने उत्तराखंड के ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय से विधायक निधि खर्च सम्बन्धी विवरणों की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में उपायुक्त (प्रशासक) हेमन्ती गुंजियाल ने अपने पत्रांक 20211 के साथ वर्तमान विधायक निधि विवरण की फोटो प्रति उपलब्ध करायी है।

 

नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार वर्ष 2022-23 से 2024-25 में माह दिसम्बर 2024 तक 96400 लाख की विधायक निधि उपलब्ध हुई लेकिन इसमें से केवल 61 प्रतिशत 58926.35 लाख की विधायक निधि ही खर्च हुई है जबकि 39 प्रतिशत 37459.65 लाख की विधायक निधि खर्च होने को शेष हैं।

 

सीएम धामी की 53 प्रतिशत, ऋषिकेश विधायक, वित्त मंत्री प्रेम चन्द्र अग्रवाल की 33 प्रतिशत, अन्य मंत्रियों में चौबट्टाखाल विधायक सतपाल महाराज की 56 प्रतिशत, मंसूरी विधायक गणेश जोशी की 72 प्रतिशत, श्रीनगर विधायक धन सिंह रावत की 29 प्रतिशत, नरेन्द्र नगर विधायक सुबोध उनियाल की 57 प्रतिशत, सोमेश्वर विधायक रेखा आर्य की 64 प्रतिशत, बागेश्वर विधायक चन्दन रामदास की 84 प्रतिशत तथा सितारगंज विधायक सौरभ बहुगणा की 85 प्रतिशत विधायक निधि खर्च हुई है।

 

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उत्तराखंड में सर्वाधिक विधायक निधि खर्च होने वाले विधायकों में प्रदीप बत्रा (90 प्रतिशत), अरविन्द पाण्डे (87), रवि बहादुर (85), सौरभ बहुगुणा (85), चन्दन रामदास (84), फुरकान अहमद (84), गोपाल सिंह राणा (83), उमेश कुमार (82), राजकुमार (81), उमेश शर्मा (80) शामिल है। प्रदेश के औसत 61 प्रतिशत से कम विधायक निधि खर्च होने वाले अन्य विधायकों में यशपाल आर्य (45), सुमित ह्रदयेश (46), रामसिंह कैड़ा (46), दुर्गेश पाल (47), सुरेश चैहान(47), श्रीमति शैला रानी (48), संजय डोभाल (49), श्रीमति रेणु सिंह (51), पुष्कर सिंह धामी (53), भोपाल राम टम्टा (55), सतपाल महराज (56), मनोज तिवारी (56), त्रिलोक सिंह चीमा (56),सुबोध उनियाल (57), मदन कौशिक (57), श्रीमति सविता कपूर (58), विनोद कण्डारी (58), दीवान सिंह बिष्ट (58), मयूख महर (60) तथा दिलीप सिंह (60 प्रतिशत) शामिल है।

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रक्षा भू सूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान चंडीगढ़ ने उत्तराखंड के तीन जिलों में हिमस्खलन को लेकर चेतावनी दी है। कहा गया है कि चमोली, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ जिले में अगले 24 घंटे में 2950 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में हिमस्खलन हो सकता है।

चीन सीमा पर माणा के पास बीते सप्ताह हिमस्खलन हुआ था, जिसकी चपेट में 55 मजदूर आ गए थे। इनमें से 46 को सुरक्षित निकाला गया, जबकि आठ की मौत हो गई थी। श्रमिकों को निकालने के लिए तीन दिन तक रेस्क्यू अभियान चला।

 

 

माणा हिमस्खलन की घटना के बाद माणा-माणा पास हाईवे का चौड़ीकरण कार्य पीछे खिसक गया है। हाईवे पर सुधारीकरण व चौड़ीकरण कार्य वर्ष 2027 के अक्तूबर माह में पूर्ण होना था, लेकिन इस घटना से कार्य की रफ्तार धीमी पड़ने के आसार हैं। बीआरओ ने मजदूरों के ठहरने के लिए नए कंटेनर स्थापित करने के लिए बदरीनाथ से माणा के बीच सुरक्षित स्थान की ढूंढ भी शुरू कर दी है।

दो से तीन फीट तक बर्फ जमी-

अभी इस क्षेत्र में दो से तीन फीट तक बर्फ जमी है। बर्फ पिघलने के बाद सबसे पहले मजदूरों को रहने के लिए नए कंटेनर स्थापित किए जाएंगे। पिछले दो साल से माणा गांव-माणा पास हाईवे का सुधारीकरण और चौड़ीकरण कार्य चल रहा है। बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) की ओर से प्राइवेट फर्म को हाईवे चौड़ीकरण का काम सौंपा गया है।इसके लिए क्षेत्र में मजदूर निवासरत थे। ये मजदूर हाईवे चौड़ीकरण कार्य करने के बाद रात्रि विश्राम के लिए माणा पास इंट्री गेट के समीप स्थापित कंटेनर में पहुंच जाते हैं। यहां मजदूरों के आठ कंटेनर और एक शेल्टर था। जो अब हिमस्खलन की चपेट में आने से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। यदि मौसम साफ रहा तो अप्रैल माह के अंत तक सीमा क्षेत्र में बर्फ पिघल सकेगी।

Vasantotsav 2025: राजभवन में आज से शुरु हुआ वसंतोत्सव का आगाज.. राज्यपाल ने किया 3 दिवसीय पुष्प प्रदर्शनी का शुभारंभ.

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राजभवन में आज शुक्रवार से रंग-बिरंगे फूलों का मेला लग गया है। तीन दिवसीय वसंतोत्सव-2025 (पुष्प प्रदर्शनी) का शुभारंभ राज्यपाल ने किया। पहले दिन दोपहर एक से शाम छह बजे और आठ व नौ मार्च को सुबह नौ से शाम छह बजे तक जनसामान्य को राजभवन में निशुल्क प्रवेश मिलेगा।

इस आयोजन में 15 मुख्य प्रतियोगिताओं की कुल 55 उप-श्रेणियां शामिल हैं, जिनमें प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया जाएगा। निर्णायक मंडल की ओर से चयनित विजेताओं को नौ मार्च को कुल 165 पुरस्कार दिए जाएंगे।

वेबसाइट पर कर सकते हैं पंजीकरण-

राज्यपाल के निर्देशन में इस वर्ष वसंतोत्सव में कई नवीन पहल शुरू की गई हैं। उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय ने इस आयोजन में आने वाले लोगों की गणना के लिए एआई एप्लिकेशन तैयार किया है। जिसके लिए राजभवन के मुख्य द्वार पर एआई इनेबल कैमरे लगाए गए हैं। इसके अलावा वसंतोत्सव में आने वाले आगंतुक वेबसाइट www.vmsbutu.it.com पर भी पंजीकरण कर सकते हैं, जहां रजिस्ट्रेशन करने पर आगंतुक की सुविधा के लिए एक आई-कार्ड जनरेट होगा, यह रजिस्ट्रेशन ऐच्छिक होगा।

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आईटीडीए की ओर से फीडबैक सिस्टम के लिए क्यूआर कोड लगाए गए हैं, जिससे आगंतुक अपने सुझाव और अनुभव साझा कर सकते हैं। इस पहल का उद्देश्य वसंतोत्सव को और अधिक प्रभावी और आकर्षक बनाना है। वसंतोत्सव-2025 न केवल पुष्प प्रेमियों के लिए एक अद्भुत अनुभव होगा, बल्कि यह नवाचार और तकनीकी विकास के नए आयाम भी स्थापित करेगा।

 

राजभवन में वसंतोत्सव के दौरान छावनी क्षेत्र में मार्ग रहेंगे परिवर्तित-

न्यू कैंट रोड स्थित राजभवन में वसंतोत्सव के तहत आयोजित होने वाली पुष्प प्रदर्शनी को लेकर पुलिस ने यातायात प्लान लागू किया है। कैंट क्षेत्र में कई मार्ग परिवर्तित रहेंगे। पुष्प प्रदर्शनी में आने वाले अधिकारियों के वाहन शौर्य स्थल के पास खाली मैदान में खड़े कराए जाएंगे। इसके अलावा प्रदर्शनी में आने वाले लोगों के निजी वाहन एनेक्सी तिराहा से आठवीं गढ़वाल राइफल के फुटबाल ग्राउंड में खड़े कराए जाएंगे। वहीं, बिंदाल और गढ़ी कैंट की ओर से आने वाले लोगों के वाहन महिंद्रा पार्क में खड़े कराए जाएंगे। एनेक्सी तिराहा से बीजापुर गेस्ट हाउस की ओर जाने वाले वाहनों को एनेक्सी तिराहा से सीएसडी तिराहा की ओर भेजा जाएगा। इस दौरान एनेक्सी तिराहा से बीजापुर गेस्ट हाउस की ओर वन-वे रहेगा। राजभवन के बाहर यातायात का दबाव होने पर प्लान के अनुसार वाहन भेजे जाएंगे। इस दौरान महिंद्रा ग्राउंड और आरटी ग्राउंड से शटल सेवा भी मिलेगी।

PM Modi Uttarkashi Visit: देश तक पहुंचा शीतकालीन यात्रा का संदेश, चारधाम यात्रा का आधार भी होगा तैयार.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की केमेस्ट्री से बहुत कम समय में उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा देश-दुनिया की नजरों में आ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा और खूबसूरत हर्षिल से पूरे देश में शीतकालीन यात्रा का संदेश पहुंचा। उन्होंने जिस अंदाज में उत्तराखंड की यात्रा का प्रमोशन किया है, वह अभूतपूर्व है। इसके बाद उत्तराखंड के शीतकालीन पर्यटन के सरपट दौड़ने की पूरी उम्मीद की जा रही है। इससे चारधाम यात्रा की मजबूती का आधार पर तैयार होगा।

प्रधानमंत्री का यह प्रवास उस वक्त हुआ है, जब दो महीने की शीतकालीन यात्रा शेष है। इसके बाद 30 अप्रैल से चारधाम यात्रा का श्रीगणेश होना है। ऐसे में प्रधानमंत्री के एक प्रवास ने उत्तराखंड की दोनों यात्राओं के लिए बेहतर आधार तैयार कर दिया है। प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड का हर तरह से प्रमोशन किया। प्रमोशन के लिए घाम तापो पर्यटन की बात हो, धर्माचार्यों और योगाचार्यों से शीतकाल में योग शिविर आयोजित करने की बात हो, कॉरपोरेट को सेमिनार का सुझाव हो, फिल्म निर्माताओं को फिल्मों की शूटिंग के लिए आह्वान हो या फिर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर से अपील हो, सबने अपना अलग प्रभाव छोड़ा है।

रजत जयंती वर्ष में सबसे गंभीर प्रयास-

उत्तराखंड के रजत जयंती वर्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शीतकालीन यात्रा का सबसे बड़ा प्रमोशन कर दिया है। इस यात्रा के प्रमोशन के लिए इससे पहले कभी इतने गंभीर प्रयास नहीं हुए। उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा के साथ प्रधानमंत्री के जुड़ाव के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जो प्रयास किए थे, उसका सार्थक परिणाम सामने आया है। बहुत कम समय में उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा और पर्यटन देश-दुनिया की नजरों में आ गए हैं।

 

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फिर साबित हुए सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर-

प्रधानमंत्री एक बार फिर उत्तराखंड के लिए सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर साबित हुए हैं। केदारनाथ धाम का उदाहरण सामने है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रियता से श्रद्धालुओं के पहुंचने के नए रिकार्ड बने हैं। शीतकालीन यात्रा का हिस्सा बनने की इच्छा प्रधानमंत्री ने 28 जनवरी को राष्ट्रीय खेलों के शुभारंभ के मौके पर ही जाहिर कर दी थी। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड से भावनात्मक लगाव ही है, वह कार्यक्रम में बदलाव के बावजूद मुखवा-हर्षिल पहुंच गए।

मुखबा हर्षिल निहाल, पीएम-सीएम का आभार-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखवा आगमन से पूरा क्षेत्र निहाल है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह पहला अवसर है, जबकि कोई प्रधानमंत्री मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल पर पूजा-अर्चना के लिए पहुंचा हो। गंगोेत्री मंदिर के सचिव सुरेश सेमवाल का कहना है-यह अवसर गौरवान्वित करने वाला है। तीर्थ पुरोहित और लोक कलाकार रजनीकांत सेमवाल कहते हैं-मुखवा का चयन करने के लिए पीएम व सीएम के प्रति हम आभारी हैं।

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एक दिवसीय दौरे पर मुखबा-हर्षिल पहुंचे प्रधानमंत्री, उत्तराखंड में अब घाम तापो पर्यटन, नए विजन का मंत्र दे गए। उन्होंने कहा कि ये दशक उत्तराखंड का है, प्रगति के लिए नए रास्ते खुले हैं। उनका दौरा कई मायनों में यादगार बन गया। जाते-जाते वह शीतकाली यात्रा के लिए सीएम धामी की पीठ थपथपाकर भी गए। वे देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो भारत-तिब्बत सीमा से जुड़े उत्तराखंड के चमोली और पिथौरागढ़ सीमावर्ती जिलों के बाद अब उत्तरकाशी के मुखबा और हर्षिल पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री के नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज होगा। वो देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो गंगा के शीतकालीन पूजा स्थल पहुंचेंगे।

चारधाम शीतकालीन यात्रा का संदेश देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को सीमांत जिले उत्तरकाशी के गंगोत्री धाम के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा और हर्षिल की यात्रा पर पहुंचे। पीएम सुबह भारतीय वायु सेना के विशेष विमान से सुबह जौलीग्रांट स्थित देहरादून एयपोर्ट पहुंचे। यहां से उन्होंने एमआई-17 से उत्तरकाशी के लिए उड़ान भरी।

गंगा मंदिर में पूजा अर्चना की-
प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा में दर्शन किए। उन्होंने करीब बीस मिनट तक गर्भगृह में पूजा-अर्चना की। इसके साथ ही पीएम मोदी के नाम एक रिकॉर्ड दर्ज हो गया। वह देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो  मां गंगा के शीतकालीन पूजा स्थल पहुंचे। यहां उन्होंने सबसे पहले मां गंगा के शीतकालीन प्रवासस्थल मुखबा स्थित गंगा मंदिर में पूजा अर्चना की।

पीएम ने 20 मिनट तक मां गंगा की विशेष पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद पीएम मोदी ने हर्षिल की खूबसूरत वादियों का दीदार किया। पीएम ने मुखबा मंदिर और हर्षिल व्यू प्वाइंट से वादियों का निहारा। इसके बाद पीएम ने हर्षिल में ट्रैकिंग व बाइक रैली को फ्लैग ऑफ किया। गंगा आरती के बाद प्रधानमंत्री ने हर्षिल में जनसभा को संबोधित किया।

पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें-

 

  • पीएम मोदी ने गढ़वाली भाषा में अपने भाषण की शुरुआत की। कहा- म्यारा प्यारा भाई भेणी, मेरी सयवा सोंदी।
  • कहा कि मां गंगा ने मुझे बुलाया है। मुझे लगता है कि मां गंगा ने मुझे गोद ले लिया है।
  • पीएम मोदी ने सरकार को बारहमासी पर्यटन का विजन दिया। कहा इससे सालभर रहने वाले रोजगार के अवसर मिलेगा।
  • पीएम ने कहा कि यह दशक उत्तराखंड का बन रहा है। कहा कि उत्तराखंड की प्रगति के लिए नए रास्ते खुले हैं। उन्होंने शीतकालीन पर्यटन को महत्वपूर्ण कदम है।
  • पीएम ने कहा कि घाम तापो पर्यटन उत्तराखंड के नया आमाम लेकर आएगा।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि माणा, जादूंग, टिम्मरसैंण में तेजी से पर्यटन बढ़ रहा है। ऐसी व्यवस्था करेंगे जिससे  उत्तराखंड हर सीजन में ऑन सीजन रहेगा।
  • प्रधानमंत्री ने लोगों से उत्तराखंड में आकर शादी करने की अपील की। उन्होंने कहा कि डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए उत्तराखंड को चुने। साथ ही उन्होंने फिल्मों की शूटिंग के लिए उत्तराखंड को बेहतर बताया।
  • उत्तराखंड में 50 टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित करने की बात पीएम मोदी ने कही। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या बढ़ी है।
  • कॉरपोरेट घरानों से आग्रह किया कि वह अपनी बैठकों के लिए उत्तराखंड आएं।
  • पीएम मोदी ने कहा कि यहां विंटर योगा सेशन आयोजित किए जाएं।
  • पीएम ने सरकार से कहा कि सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर के लिए प्रतियोगिता आयोजित करें। वह उत्तराखंड के विंटर टूरिज्म पर शॉर्ट फिल्म बनाएं। जो सबसे अच्छी बनाएं उन्हें इनाम दें। इससे प्रदेश के खूबसूरत स्थलों की जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी।

चीणा का भात और फाफरे के पोले…पहाड़ी भोज के मुरीद हुए मोदी-

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहाड़ से हमेशा ही प्रेम रहा है। वह यहां जब भी आते हैं तो कुछ नया जरूर करते हैं। आज वह सीमांत गांव उत्तरकाशी के मुखबा में मां गंगा की पूजा के लिए पहुंचे। पूजा के बाद उन्होंने पहाड़ी खाने का स्वाद चखा। जानकारी के अनुसार, पीएम मोदी ने स्थानीय उत्पाद चीणा का भात और फाफरे के पोले और क्षेत्र की स्वादिष्ट राजमा के साथ बद्री गाय की दही मठ्ठा का सेवन किया। चीणा और फाफरा का उत्पादन जनपद के हर्षिल घाटी और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में होता है। तो वहीं यह स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होता है। मुखबा में स्थानीय महिलाओं ने यह पकवान तैयार कर पीएम मोदी को परोसा।

पीएम मोदी ने किया हर्षिल की मनमोहक वादियों का दीदार, नजारा देख हुए मंत्रमुग्ध

प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले मां गंगा के शीतकालीन प्रवासस्थल मुखबा स्थित गंगा मंदिर में पूजा अर्चना की। पीएम ने 20 मिनट तक मां गंगा की विशेष पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद पीएम मोदी ने हर्षिल की खूबसूरत वादियों का दीदार किया। पीएम ने मुखबा मंदिर और हर्षिल व्यू प्वाइंट से वादियों का निहारा। इसके बाद पीएम ने हर्षिल में ट्रैकिंग व बाइक रैली को फ्लैग ऑफ किया। हर्षिल उत्तराखंड का ऐसा पर्यटन स्थल है जो हिमालय की गोद में शांति और सुकून की तलाश करने वाले लोगों के लिए एक दम मुफीद है। यह समुद्र तल से 2500 मीटर से भी अधिक ऊंचाई पर भागीरथी नदी के तट पर स्थित है। सर्दियों में यहां की वादियां बर्फ से लकदक नजर आती हैं। वहीं, गर्मियों में यहां का नजारा हरियाली से भरपूर दिखता है। यहां कई ट्रेकिंग रूट भी हैं जहां का पर्यटक दीदार कर सकते हैं।

 उत्तराखंड में अब घाम तापो पर्यटन, नए विजन का मंत्र दे गए मोदी

हर्षिल में जनसभा को संबोधिl करते हुए पीएम मोदी ने जहां सरकार को विंटर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए खास मंत्र दिया वहीं, लोगों से विंटर सीजन में उत्तराखंड आने की अपील भी की।

Haridwar News: सीएम धामी बोले- इस बार चारधाम यात्रा होगी और बेहतर, लगातार की जा रही है समीक्षा.

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चारधाम यात्रा इस बार सुगम होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आश्वस्त किया कि चारधाम यात्रा को लेकर लगातार समीक्षा की जा रही है, जिससे कि यात्रियों को किसी भी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़ा।

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस बार चार धाम यात्रा और बेहतर होगी। आने वाले सभी श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों के लिए हर चीज व्यवस्थित हो, सुविधाजनक यात्रा हो, लोगों को कम से कम कष्टों का सामना करना पड़े, हर मामले में हम लगातार समीक्षा कर रहे हैं।

 

 

सीएम धामी ने कहा कि पिछले वर्षों के अनुभव के आधार पर यात्रा को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

Uttarakhand: प्रदेश में इस साल नहीं बढ़ेगा गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य, धामी कैबिनेट में लिया गया ये निर्णय.

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प्रदेश में इस साल गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं बढ़ेगा। धामी कैबिनेट ने पिछले साल के मूल्य को इस बार भी यथावत रखने का निर्णय लिया है। जिसके तहत अगेती का 375 और सामान्य प्रजाति का 365 रुपये प्रति क्विंटल मूल्य मिलेगा।

कैबिनेट में आए प्रस्ताव में कहा गया कि राज्य की सहकारी सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की चीनी मिलों की ओर से पेराई सत्रों के दौरान क्रय किए जाने वाले गन्ने का राज्य परामर्शित मूल्य इसके लिए गठित राज्य परामर्शी समिति की संस्तुति के आधार पर तय किया जाता है।

राज्य परामर्शी समिति की संस्तुति के आधार पर पिछले पेराई सत्र के लिए तय गन्ने के राज्य परामर्शित मूल्य को चालू पेराई सत्र 2024-25 में यथावत रखे जाने का निर्णय लिया गया है। वहीं, पिछले पेराई सत्र की तरह गन्ना विकास अंशदान (कमीशन) की दर 5.50 रुपए प्रति क्विंटल तय किए जाने की भी मंजूरी दी गई।

 

Uttarakhand: प्रमोशन की चाह रखने वाले सभी कर्मचारियों की मुराद होगी पूरी…पूरे सेवा काल में एक बार मिलेगी प्रमोशन के मानकों में छूट.

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प्रमोशन की चाह रखने वाले उन सभी कर्मचारियों की मुराद अब पूरी हो जाएगी, जिनके विभाग में ऊपर का पद खाली है और वे इस पद पर प्रमोशन के लिए तय अहर्ता का 50 फीसदी पूरा करते हैं। प्रदेश मंत्रिमंडल ने राज्य कर्मचारियों को उनके पूरे सेवाकाल में एक बार प्रमोशन के मानकों में छूट देने का फैसला किया है।

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद समेत कई अन्य कर्मचारी संगठन पिछले काफी समय से पदोन्नति में शिथिलीकरण की नियमावली को लागू करने की मांग कर रहे थे। उनकी मांग पर सरकार ने इसे लागू किया भी था। लेकिन इसके लिए एक निश्चित समयावधि तय कर दी थी। लेकिन कर्मचारियों की लगातार मांग के बाद अब सरकार ने इसे फिर से लागू कर दिया है और इसके लिए कोई समय अवधि तय नहीं की है।

इस निर्णय से उन कर्मचारियों को लाभ होगा, जिनके पद से ऊपर वाला पद लंबे समय से खाली है और वे उस पद के लिए 50 प्रतिशत अहर्ता पूरी करते हैं। मिसाल के तौर पर यदि किसी पद पर पदोन्नति के लिए 10 साल की सेवा निर्धारित है और वह पद रिक्त है तो इससे नीचे के पद पर कार्यरत कर्मचारी सिर्फ पांच साल की सेवा अवधि में पदोन्नति के लिए पात्र हो जाएगा। लेकिन यह छूट उन कर्मचारियों व अधिकारियों को नहीं मिलेगी, जो प्रोबेशन अवधि में हैं।

मांग पूरी होने पर कर्मचारी संगठनों में खुशी-

प्रमोशन में शिथिलीकरण की मांग पूरी होने पर कर्मचारी संगठनों में खुशी की लहर है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अरुण पांडेय ने कहा कि उनके अधिवेशन में इस मांग को प्रमुखता से रखा गया था और सरकार से शिथिलीकरण सेवा नियमावली को लागू करने की मांग की गई थी। हमें खुशी है कि अधिवेशन के बाद हमारी यह मांग मान ली गई।

Uttarakhand: वन विभाग में करोड़ों का घोटाला, अपने  ऐशो-आराम पर लुटा दिया फंड !

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वन विभाग में करोड़ों का घोटाला,अपने  ऐशो-आराम पर लुटा दिया फंड !

उत्तराखंड में कैग यानि CAG की रिपोर्ट आने के बाद उत्तराखंड सरकार के वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. कैग ने राज्य में 2019-20 से 2021-23 के दौरान कैंपा के तहत हुए कार्याें का मूल्यांकन किया है। इसमें कई अनियमितता का खुलासा किया.. CAG रिपोर्ट में वन विभाग के CAMPA फंड में घोटालों की लंबी फेहरिस्त सामने आयी जिससे वन विभाग के अधिकारीयों के साथ-साथ वन मंत्री सुबोध उनियाल पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

उत्तराखंड में वनों के संरक्षण और पुनर्वनीकरण के लिए आवंटित फंड को घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ताजा रिपोर्ट (2019-2022) में ₹13.86 करोड़ की अवैध निकासी और वित्तीय अनियमितताओं का पर्दाफाश हुआ है, सवाल यही है कि क्या वन मंत्री को इस घोटाले का कुछ भी पता नहीं था, जो इतने साल तक उनके सामने नहीं आ सका.. सबसे पहले आपको बताते हैं कि CAMPA फंड कहां-कहां बर्बाद हुआ।

पर्यावरण संरक्षण के नाम पर सरकारी अधिकारी ऐशो-आराम का सामान खरीदते रहे जिनमें iPhones, लैपटॉप, फ्रिज और कूलर की खरीद की बात सामने आयी है सरकारी इमारतों की मरम्मत और साज-सज्जा के पैसे से वन विभाग के ऑफिस और अफसरों के आवास चमकते रहे, लेकिन जंगल उजड़ते रहे जंगल बचाने के बजाय CAMPA फंड को कानूनी लड़ाइयों पर लुटाया गया ऐसी जगह को पौध रोपण के लिए चुना गया जहां  हकीकत में  पेड़ टिक ही नहीं सकते थे. 7 मामलों में 8 साल से ज्यादा की देरी से वृक्षारोपण किया गया.. देर से वृक्षारोपण, लागत में बेतहाशा बढ़ोतरी से धन को लुटाया गया वनीकरण की स्थिति एकदम नाकाम रही. CAG के अनुसार, लगाए गए पेड़ों का सिर्फ 33.51% ही जिंदा बचा, जबकि Forest Research Institute के मानकों के अनुसार 60-65% सफलता दर होनी चाहिए थी.. मतलब वन विभाग लगाए गए पेड़ों को भी बचाने में नाकमयाब रहा, अफसरों की मिलीभगत ऐसी कि बिना सही जांच किए ही भूमि को उपयुक्त बताया गया और ऐसे अधिकारीयों के  खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

 

कैग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा-

इतना ही नहीं सरकार की बड़ी लापरवाही और वित्तीय घोटाले का भी कैग की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है विभाग द्वारा  275 करोड़ का ब्याज नहीं चुकाया गया CAMPA ने कई बार अनुरोध किया, लेकिन राज्य सरकार ने 2019-22 के दौरान ब्याज नहीं चुकाया. 76.35 करोड़ के मंजूर प्लान पर कोई फंड जारी नहीं किया गया.  सरकार ने स्वीकृत योजनाओं पर भी पैसा नहीं दिया, जिससे परियोजनाएं ठप पड़ी रहीं जबकि जुलाई 2020 से नवंबर 2021 के बीच CEO ने Head of Forest Force की अनुमति के बिना फंड जारी किया, जो नियमों के खिलाफ था बिना केंद्र की मंजूरी के जंगलों की कटाई की गयी, राज्य सरकार ने केंद्र की मंजूरी के बिना ही जंगलों को उद्योगों और इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए सौंप दिया।

ये हाल वन विभाग के तब हैं जब उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाओं में साल दर साल बेतहाशा वृद्धि हो रही है। 2002 में जंगल की आग की 922 घटनाएं हुई थीं जिनकी संख्या 2024 में 21 हजार पार हो गई। इन घटनाओं में एक लाख 80 हजार हेक्टेयर से अधिक जंगल जल गए, भारतीय वन सर्वेक्षण  की हाल में जारी हुई रिपोर्ट पर गौर करें तो नवंबर 2023 से जून 2024 के बीच देश में वनों में दो लाख से अधिक घटनाएं हुईं। इनमें सर्वाधिक 74% की वृद्धि उत्तराखंड में रिकॉर्ड की गई। इसी कारण वनाग्नि में पिछले वर्ष 13वें नंबर पर रहा उत्तराखंड अब पहले स्थान पर है, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी में न्याय मित्र की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि उत्तराखंड में वनाग्नि प्रबंधन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी है इसमें अग्निशमन उपकरणों, गश्ती वाहन और समन्वय के लिए संचार उपकरणों की कमी शामिल है.. लेकिन इस पर धायण देने के बजाय अधिकारी पैसा अपने ऐशो-आराम का सामान जुटाने में पैसे लुटा रहे हैं।

 

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वन विभाग का काम करने का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अभी हाल ही में हल्द्वानी में आग से बचाने के लिए की जाने वाली कंट्रोल बर्निग में कई नए लगाए पौधे भी जल गए इस पुरे घटनाक्रम से वन विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं कि वन विभाग आग बुझाने के बजाय नए पौधे ही जलाने में लग गया है,,, अब सवाल ये है इस सबके  जिम्मेदारों पर क्या कोई कार्रवाई होगी भी या नहीं CAG की रिपोर्ट ने वन विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है,,, क्या उत्तराखंड सरकार दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करेगी या ये रिपोर्ट भी अन्य घोटालों की तरह फाइलों में ही दफन हो जाएगी ?