Author: Akash Tomar

Haldwani Mamla: नैनीताल जेल के बैरक नंबर 1 में रखा गया अब्दुल मलिक, सीसीटीवी से रखी जा रही है नजर.

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पुलिस ने हल्द्वानी हिंसा के मोस्ट वांटेड अब्दुल मलिक को उपद्रव के 81 आरोपियों से अलग रखा है।मलिक को शनिवार देर रात नैनीताल जेल में दाखिल किया गया। मलिक को छोड़कर उपद्रव के सभी आरोपियों को हल्द्वानी उप कारागार में रखा गया है।

लाइन नंबर 8 बनभूलपुरा निवासी अब्दुल मलिक को पुलिस ने शनिवार को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। मलिक आठ फरवरी को बनभूलपुरा में हुए उपद्रव के पहले से ही फरार चल रहा था। इसके बाद इस मामले के आरोपी 81 लोगों को गिरफ्तार किया गया और सभी को उप कारागार हल्द्वानी में रखा गया। उम्मीद जताई जा रही थी कि मलिक को भी हल्द्वानी में ही अन्य उपद्रवियों के साथ रखा जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। गिरफ्तारी और कोर्ट में पेश करने के बाद अब्दुल मलिक को पुलिस ने शनिवार रात जिला जेल नैनीताल में दाखिल किया। मलिक को वहां बैरक नंबर एक में रखा गया है।

अब्दुल मलिक को सुरक्षित बैरक में रखा गया है। बैरक में लगे सीसीटीवी से भी लगातार निगरानी की जा रही है। जो भोजन अन्य बंदी व कैदियों को दिया जा रहा है, वही मलिक को भी दिया गया।

-संजीव ह्यांकी, जेल अधीक्षक नैनीताल

बता दें कि, पुलिस अब्दुल मलिक को पूछताछ के लिए जल्द रिमांड पर लेगी। इसके लिए पुलिस जल्द ही कोर्ट में अर्जी दायर कर सकती है। फिलहाल मलिक को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में नैनीताल जेल भेजा गया है।पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद मलिक से शनिवार को पांच से सात घंटे पूछताछ की थी। मलिक से अभी केस में कई चीजें पूछी जानी है। इसमें मलिक की संपत्ति, मलिक घटना के दिन कहां था, क्या उसने उपद्रव के लिए फंडिंग तो नहीं की, लोगों को उसने कैसे भड़काया आदि सवाल के जवाब से पुलिस काफी दूर है।

पुलिस सूत्र बताते हैं कि सोमवार या मंगलवार को पुलिस कोर्ट जा सकती है। कोर्ट से उसे पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया जाएगा। एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा का कहना है कि मलिक से पूछताछ में जो बातें सामने आई थी, पुलिस उस दिशा में काम कर रही है। जरूरत पड़ने पर दोबारा मलिक को पूछताछ के लिए रिमांड में लिया जा सकता है।

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Uttarakhand Weather: सफेद चादर में लिपटा औली, चारों धाम में भी  हुई बर्फबारी, मैदान में बारिश से बढ़ी ठंड.

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उत्तराखंड में आज सोमवार शाम को मौसम ने फिर करवट ली। पहाड़ में दूसरे दिन भी मौसम खराब रहा और चारों धामों में बर्फबारी हुई। वहीं हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी, औली, नंदा घुंघटी, रुद्रनाथ, लाल माटी, नीती व माणा घाटी में बर्फ गिरी जबकि निचले क्षेत्रों में बारिश हुई। बदरीनाथ में आधा फीट, केदारनाथ में एक फीट, औली में दो इंच, गंगोत्री-यमुनोत्री में छह इंच ताजी बर्फ जमी। जबकि निचले क्षेत्रों में बारिश हुई जिससे ठंड लौट आई है।

बदरीनाथ धाम में भी हुई बर्फबारी- 

बदरीनाथ धाम में दिनभर रुक-रुककर बर्फबारी हुई जो देर शाम तक जारी रही। बर्फबारी से हनुमान चट्टी से बदरीनाथ धाम तक हाईवे फिसलन भरा हो गया है। हाईवे पर करीब आधा फीट तक बर्फ जम गई है। गोपेश्वर-मंडल-चोपता और जोशीमठ-मलारी हाईवे पर भी बर्फ जम गई है।

वहीं जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पर्यटन ग्राम रामणी, घूनी, पडेरगांव, ईराणी, पाणा, झींझी आदि गांवों में भी बर्फबारी हुई लेकिन बर्फ जल्दी पिघल गई। बाजारों में ठंड से बचने के लिए दुकानदारों व राहगीरों ने अलाव का सहारा लिया। पोखरी, नंदानगर, पीपलकोटी, नंदप्रयाग आदि क्षेत्रों में भी दिनभर रुक-रुक कर बारिश हुई।

 हर्षिल घाटी में भी खूब बर्फबारी-

गंगोत्री और यमुनोत्री धाम, हर्षिल घाटी और अन्य ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हुई। हालांकि अभी तक सभी सड़कों पर आवाजाही सुचारु है। पिछले दो दिन से जिले में गर्मी का अहसास होने लगा था।

अब बर्फबारी हुई तो ठंड लौट आई। वहीं आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि बर्फबारी को देखते हुए सभी विभाग अलर्ट मोड पर हैं। सभी बर्फीले इलाकों में विभागों से सड़क, बिजली, पानी और राशन की आपूर्ति की जानकारी ली जा रही है।

सोमवार को केदारनाथ धाम सहित मद्महेश्वर, तुंगनाथ, चंद्रशिला आदि क्षेत्रों में बर्फबारी हुई जबकि पर्यटक स्थल चोपता दुगलविट्टा में भी हल्की बर्फ गिरी।

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आगामी चार धाम यात्रा सीजन में भारत-चीन सीमा पर बजेगी फोन की घंटी, पहले चरण का काम हुआ शुरू

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आगामी यात्रा सीजन में भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर जल्द ही मोबाइल की घंटी बजेगी। इसके लिए भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) नेलांग और जादूंग में मोबाइल टावर लगा रहा है। बीएसएनएल के अधिकारियों का कहना कि नेलांग में टावर लगाने का करीब 70 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। वहीं जादूंग में प्रथम चरण शुरू कर दिया गया है।

आगामी चारधाम यात्रा सीजन के दौरान अंतरराष्ट्रीय सीमा के नेलांग और जादूंग गांवों में मोबाइल की घंटी बज जाएगी। इसके साथ ही भटवाड़ी विकासखंड के सबसे दूरस्थ जौड़ाव और सिल्ला सहित धौंतरी क्षेत्र के उलण गांव में भी दो से तीन माह के भीतर मोबाइल के सिग्नल मिलने लगेंगे। यह दूरस्थ गांव सड़क मार्ग से 10 से 12 किमी की दूरी पर हैं। जहां पर अभी सड़क, संचार जैसी मूलभूत सुविधाएं शुरू नहीं हो पाई हैं। इन सभी गांवों में मोबाइल सेवा देने के लिए टावर लगने के दूसरे चरण का कार्य चल रहा है।

जनकताल ट्रैक तक सिग्नल मिलने लगेंगे-

नेलांग और जादूंग गांव को दोबारा बसाने के लिए केंद्र सरकार वाइब्रेंट योजना के तहत कार्य कर रही है। जो कि सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होगा। यात्रा सीजन में नेलांग क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। वहीं टावर लग जाने से गरतांग गली, नागा, नीला पानी, जनकताल ट्रैक तक सिग्नल मिलने लगेंगे और लोग मोबाइल पर बात कर सकेंगे। इसका फायदा सेना सहित गंगोत्री नेशनल पार्क के कर्मचारियों को भी मिलेगा। कोई घटना होने पर आसानी से इसकी सूचना मुख्यालय और अपने साथियों को दी जा सकेगी।

नेलांग में मोबाइल टावर लगाने के लिए पुटिंग का कार्य पूर्ण हो चुका है। ऊंचाई के कारण अभी वहां पर बर्फ जमा है। बर्फ कम होते ही टावर खड़ा कर दिया जाएगा। इस यात्रा सीजन तक नेलांग में मोबाइल टॉवर की सेवा शुरू कर दी जाएगी। नेलांग सहित जादूंग और जौड़ाव आदि क्षेत्रों में मोबाइल टावर लगाने के लिए निजी कंपनी को कार्यदायी संस्था बनाया गया है। सभी स्थानों पर एक-एक नाली भूमि उपलब्ध करवाई गई है। -अनिल कुमार, एसडीओ बीएसएनएल

Haldwani Violence: बनभूलपुरा में 127 शस्त्र लाइसेंस निलंबित, पुलिस ने चलाया सर्च ऑपरेशन, 27 लोग हिरासत में।

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हल्द्वानी हिंसा मामले में प्रशासन ने बनभूलपुरा क्षेत्र के 120 लोगों के 127 शस्त्र लाइसेंस को निरस्त कर दिया है। पुलिस को 24 घंटे के अंदर संबंधित शस्त्रों को कब्जे में लेने के निर्देश दिए हैं। पुलिस ने इलाके में फिर सर्च ऑपरेशन चलाया। इसमें 27 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया। सोमवार को बनभूलपुरा थाना क्षेत्र को छोड़कर नगर के अन्य क्षेत्रों से पूरी तरह कर्फ्यू हटाने के साथ इंटरनेट सेवा को बहाल कर दिया। इससे जनजीवन सामान्य होने लगा है।

एडीएम फिंचाराम चौहान की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि आठ फरवरी को उपद्रवियों की ओर से की गई हिंसा में पुलिस, प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी घायल हो गए हैं। मामले में मुकदमा भी दर्ज किया गया है। स्थानीय निवासियों ने अपने लाइसेंसी शस्त्रों की शर्तों का उल्लंघन किया है। भविष्य में इसी प्रकार सार्वजनिक संपत्तियों से अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाने की दशा में उनके लाइसेंसी शस्त्रों के दुरुपयोग करने की संभावना है, ऐसे में जिला मजिस्ट्रेट ने 120 लोगों के 127 शस्त्र लाइसेंस को अग्रिम आदेशों तक निलंबित कर दिया है।

एसएसपी को निलंबित किए गए शस्त्रों एवं शस्त्र लाइसेंस को 24 घंटे में कब्जे में लेने के लिए कहा गया है। पुलिस ने सोमवार को बनभूलपुरा क्षेत्र में फिर सर्च ऑपरेशन चलाकर 27 संदिग्ध लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। 11 फरवरी को गिरफ्तार 25 आरोपियों का मेडिकल कराने के बाद जेल भेज दिया गया। वहीं, नगर निगम सभागार में अमन कमेटी की बैठक में हुई है, इसमें पुलिस-प्रशासन के अधिकारी के साथ बनभूलपुरा के संभ्रांत लोग शामिल हुए। लोगों ने कर्फ्यू में ढील देने की मांग की है। प्रभावित क्षेत्र में जाने के लिए पास जारी करने की मांग की गई है।

आज बाजार खुलने के बाद बना असमंजस-

जिला प्रशासन ने बनभूलपुरा थाना क्षेत्र को छोड़कर अन्य जगहों से कर्फ्यू हटा लिया गया था लेकिन संबंधित क्षेत्र से सटे बाजार क्षेत्र में असमंजस की स्थिति बनी रही। सुबह जब दुकान खोलने के लिए व्यापारी पहुंचे तो पुलिस ने मना कर दिया। बाद में दुकानें खुली लेकिन ग्राहकों की संख्या कम रही। अस्पताल में भी अन्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा रोगी पहुंचे।

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पुलिस ने 7 फरवरी को महिला की गंग नहर में धक्का देकर हत्या के मामले में आरोपी पति और उसके दोस्त को गिरफ्तार कर राजफाश कर दिया। पुलिस के मुताबिक, आरोपी ने पत्नी के नाम पर लिए ऋण को जमा करने से बचने के लिए हत्या की घटना को अंजाम दिया। पुलिस के मुताबिक, हत्या में प्रयुक्त कार और बाइक समेत अन्य सामान बरामद कर दोनों को जेल भेज दिया गया।

वार को एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल ने सिविल लाइंस कोतवाली में पत्रकारों को बताया, सात फरवरी की रात मंगलौर कोतवाली पुलिस को सूचना मिली थी कि नसीरपुर गंगनहर पटरी पर महिला डूबकर लापता हो गई, जबकि युवक डूबने से बच गया। मामले में महिला के पिता मुजफ्फरनगर के के रामराजपुर थाना क्षेत्र जलालपुर गांव निवासी सुशील कुमार ने शक जताते हुए दामाद और उसके दोस्त पर हत्या का आरोप लगाया था।

पुलिस ने मनीषा के पति जितेंद्र और उसके दोस्त अजय प्रकाश उर्फ रवि निवासी गांव झडका, थाना हस्तिनापुर जिला मेरठ के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। पूछताछ में जितेंद्र ने बताया, उसने हरिद्वार में आटा चक्की लगाने के लिए पत्नी मनीषा के नाम से 44 लाख रुपये का ऋण बैंक से लिया था। इस बीच उसके हरिद्वार में एक बैंक महिला कर्मचारी से अवैध संबंध हो गए थे।

महिला के शव की गंग नहर में की जा रही तलाश-

मनीषा को इस बारे में पता चल गया था। बैंक कर्मी प्रेमिका ने बताया था कि अगर उसकी पत्नी की मौत हो जाए, तो ऋण नहीं चुकाना होगा। इस पर उसने अपने दोस्त रवि के साथ मिलकर मनीषा की हत्या की योजना बनाई। इसके बाद सात फरवरी को दोनों मनीषा को कार से गंग नहर किनारे लाए और उसे जबरन शराब पिलाई। इसके बाद नशे की हालत में उसे गंगनहर में धक्का देकर हत्या कर दी।
एसएसपी ने बताया, हत्या को हादसा दिखाने के लिए आरोपी का दोस्त रवि बाइक से आया था। आरोपी ने रवि को हत्या में शामिल होने के लिए पांच लाख रुपये देने का वादा किया था। इसके बाद दोनों हरिद्वार चले गए थे। बताया, आरोपियों की निशानदेही पर मनीषा की कैप, बैग, घटना में प्रयुक्त कार और बाइक बरामद की गई है। महिला के शव की गंग नहर में तलाश की जा रही है।

सीआईडी धारावाहिक देख बनाई योजना-

एसएसपी ने बताया, आरोपी जितेंद्र ने हत्या की योजना बनाने से पहले सीआईडी धारावाहिक देखा था। इसके बाद उसने दोस्त के साथ मिलकर पत्नी की हत्या कर दी।
एक साल से बना रहा था योजना-
एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल ने बताया, आरोपी जितेंद्र एक साल से पत्नी की हत्या की योजना बना रहा था। इसके लिए वह पत्नी को कोल्ड ड्रिंक में शराब मिलाकर पिलाता था। इसके बाद पत्नी नशे की आदी हो गई थी। हत्या वाले दिन भी आरोपी ने पत्नी को शराब पिलाई थी।

Uttarakhand: UCC विधेयक हुआ पेश, शादी और तलाक से लेकर उत्तराधिकार तक बदल जाएंगे नियम, जानिए UCC से उत्तराखंड में क्या कुछ बदलेगा?

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उत्तराखंड देश का पहला वो राज्य बन सकता है जो सबसे पहले समान नागरिक संहिता यानी (यूसीसी) लागू कर सकता है। चार फरवरी को उत्तराखंड कैबिनेट से यूसीसी विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद उसे आज विधानसभा में पेश किया गया। अब राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद विधेयक कानून बन जाएगा।

आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पेश किया। समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पेश करने के बाद राज्य विधानसभा में विधायकों ने वंदे मातरम और जय श्री राम के खूब नारे लगाए। जानिए उत्तराखंड में UCC लागू होने से क्या कुछ बदलेगा।

मसौदे में 400 से अधिक धाराएं- 
 

समान नागरिक संहिता विधेयक पास होने के बाद ये कानून बन जाएगा। इसके साथ ही उत्तराखंड देश में यूसीसी लागू करने वाला आजादी के बाद पहला राज्य होगा। सूत्रों के अनुसार, मसौदे में 400 से ज्यादा धाराएं हैं, जिसका लक्ष्य पारंपरिक रीति-रिवाजों से पैदा होने वाली विसंगतियों को दूर करना है।

इन समस्याओं के कारण हो रही UCC की वकालत-


समान नागरिक संहिता के प्रबल हिमायती एडवोकेट अश्वनी उपाध्याय के मुताबिक, समान नागरिक संहिता लागू नहीं होने से कई समस्याएं हैं। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं।

UCC लागू होने के बाद बहुविवाह पर लगेगी रोक-


कुछ कानून में बहुविवाह करने की छूट है। चूंकि हिंदू, ईसाई और पारसी के लिए दूसरा विवाह अपराध है और सात वर्ष की सजा का प्रावधान है। इसलिए कुछ लोग दूसरा विवाह करने के लिए धर्म बदल लेते हैं। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने के बाद बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी।

शादी के लिए अब कानूनी उम्र 21 साल होगी तय-


विवाह की न्यूनतम उम्र कहीं तय तो कहीं तय नहीं है। एक धर्म में छोटी उम्र में भी लड़कियों की शादी हो जाती है। वे शारीरिक व मानसिक रूप से परिपक्व नहीं होतीं। जबकि अन्य धर्मों में लड़कियों के 18 और लड़कों के लिए 21 वर्ष की उम्र लागू है। कानून बनने के बाद युवतियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल तय हो जाएगी।

 

बिना रजिस्ट्रेशन के लिव इन रिलेशन में रहने पर अब होगी जेल-


इसके साथ ही लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद उत्तराखंड में लिव इन रिलेशनशिप का वेब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। रजिस्ट्रेशन न कराने पर युगल को छह महीने का कारावास और 25 हजार का दंड या दोनों हो सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के तौर पर जो रसीद युगल को मिलेगी उसी के आधार पर उन्हें किराए पर घर, हॉस्टल या पीजी मिल सकेगा। यूसीसी में लिव इन रिलेशनशिप को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। इसके मुताबिक, सिर्फ एक व्यस्क पुरुष व वयस्क महिला ही लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे। वे पहले से विवाहित या किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप या प्रोहिबिटेड डिग्रीस ऑफ रिलेशनशिप में नहीं होने चाहिए। पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।

विवाह पंजीकरण कराना होगा जरूरी-


कानून लागू होने के बाद विवाह पंजीकरण कराना होगा। अगर ऐसा नहीं कराया तो किसी भी सरकारी सुविधा से वंचित होना पड़ सकता है।

UCC लागू होने के बाद उत्तराधिकार की प्रक्रिया होगी सरल-


एक कानून में मौखिक वसीयत व दान मान्य है। जबकि दूसरे कानूनों में शत प्रतिशत संपत्ति का वसीयत किया जा सकता है। यह धार्मिक यह मजहबी विषय नहीं बल्कि सिविल राइट या मानवाधिकार का मामला है। एक कानून में उत्तराधिकार की व्यवस्था अत्यधिक जटिल है। पैतृक संपत्ति में पुत्र व पुत्रियों के मध्य अत्यधिक भेदभाव है। कई धर्मों में विवाहोपरांत अर्जित संपत्ति में पत्नी के अधिकार परिभाषित नहीं हैं। विवाह के बाद बेटियों के पैतृक संपत्ति में अधिकार सुरक्षित रखने की व्यवस्था नहीं है। ये अपरिभाषित हैं। इस कानून के लागू होने के बाद उत्तराधिकार की प्रक्रिया सरल बन जाएगी।

बुजुर्ग मां-बाप के भरण-पोषण की जिम्मेदारी होगी पत्नी पर –


कानून लागू होने के बाद नौकरीपेशा बेटे की मौत की स्थिति में बुजुर्ग मां-बाप के भरण-पोषण की पत्नी पर जिम्मेदारी होगी। उसे मुआवजा भी मिलेगा। पति की मौत की स्थिति में यदि पत्नी दोबारा विवाह करती है तो उसे मिला हुआ मुआवजा मां-बाप के साथ साझा किया जाएगा।

गोद लेने का बदलेगा नियम – 


कानून लागू होने के बाद राज्य में मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार मिलेगा। गोद लेने की प्रक्रिया आसान होगी। इसके साथ ही अनाथ बच्चों के लिए संरक्षकता की प्रक्रिया सरल होगी। कानून लागू होने के बाद दंपति के बीच झगड़े के मामलों में उनके बच्चों की कस्टडी उनके दादा-दादी को दी जा सकती है।

UCC में होगी तलाक लेने की प्रक्रिया-

पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग-अलग ग्राउंड हैं।

UCC से पहले की तलाक लेने की प्रक्रिया-


अगर इस्लाम के तीनों तलाक प्रक्रिया की तुलना करें तो ये काफी अलग हैं। तीन तलाक झटके में किसी भी माध्यम से तीन बार तलाक बोलकर दिया जा सकता है। इसमें तो कई बार लोग फोन पर मैसेज या कॉल के माध्यम से तलाक दे दिया करते थे। तलाक-ए-हसन और तलाक-ए-अहसन में तलाक की एक प्रक्रिया और निश्चित अवधि होती है। इन दोनों प्रक्रियाओं में पति पत्नी को फैसला लेने के लिए वक्त मिलता है। इसके अलावा मुस्लिम समाज में महिलाओं के तलाक लेने के लिए भी विकल्प है। महिलाएं खुला तलाक ले सकती हैं। कोर्ट के हस्तक्षेप के बिना कोई महिला खुला तलाक के तहत पति से तलाक लेने की बात कर सकती है। हालांकि इस तरह के तलाक में महिला को मेहर यानी निकाह के समय पति की तरफ से दिए गए पैसे चुकाने होते हैं। साथ ही खुला तलाक में पति की रजामंदी भी जरूरी होती है।

मई 2022 में UCC पर समिति का हुआ था गठन-


दरअसल, उत्तराखंड सरकार ने मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी। सरकार ने एक अधिसूचना 27 मई 2022 को जारी की गई थी और शर्तें 10 जून 202 को अधिसूचित की गई थीं। समिति ने बैठकों, परामर्शों, क्षेत्र के दौरे और विशेषज्ञों और जनता के साथ बातचीत के बाद मसौदा तैयार किया। इस प्रक्रिया में 13 महीने से अधिक का समय लगा। जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी पहली बैठक 4 जुलाई 2022 को दिल्ली में की थी। मसौदे के महत्वपूर्ण पहलुओं पर जुलाई 2023 में एक मैराथन बैठक में विचार-विमर्श किया गया और इसे अंतिम रूप दिया गया। कमेटी को समान नागरिक संहिता पर ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से करीब 20 लाख सुझाव मिले हैं। इनमें से कमेटी ने लगभग ढाई लाख लोगों से सीधे मिलकर इस मुद्दे पर उनकी राय जानी है।

जानिए क्या है समान नागरिक संहिता ?

समान नागरिक संहिता का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता लागू होने से सभी धर्मों का एक कानून होगा। शादी, तलाक, गोद लेने और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा।

यह मुद्दा कई दशकों से राजनीतिक बहस के केंद्र में रहा है। UCC केंद्र की मौजूदा सत्ताधारी भाजपा के लिए जनसंघ के जमाने से प्राथमिकता वाला एजेंडा रहा है।  भाजपा सत्ता में आने पर UCC को लागू करने का वादा करने वाली पहली पार्टी थी और यह मुद्दा उसके 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणा पत्र का भी हिस्सा था।

Budget 2024: बजट से बदल जाएगी 11 करोड़ किसानों की किस्मत, इन कदमों से मिलेगी अन्नदाताओं को मजबूती.

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एक फरवरी को पेश किए गए अंतरिम बजट में कहने के लिए सरकार ने कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है, लेकिन इसके बाद भी बजट की तमाम योजनाओं से किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत करने का काम किया गया है। सीधे तौर पर किसानों और ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था से जुड़े कई ऐसे कदम इस अंतरिम बजट में उठाए गए हैं, जिससे किसानों को आर्थिक तौर पर सशक्त करने में मदद मिलेगी।

सरकार ने रखी अंतरिम बजट की मर्यादा-

कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि कोई नई बड़ी घोषणा न करके सरकार ने इस बार अंतरिम बजट की मर्यादा रखी है। यह केवल लोकसभा चुनाव होने तक आवश्यक खर्च के लिए संसद से अनुमति लेने का बजट होता है। सरकार इसमें कोई नई बड़ी घोषणा नहीं कर सकती। चुनावी साल में यह अधिकार आने वाली नई सरकार के पास होता है। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले पीएम किसान सम्मान निधि की बड़ी घोषणा कर सरकार ने यह मर्यादा तोड़ी थी। माना जाता है कि उसे इस चुनावी घोषणा का बड़ा लाभ मिला था।

कोई बड़ी घोषणा न करने से मोदी सरकार का यह आत्मविश्वास भी साफ़ दिखाई पड़ता है कि वह किसी लोकप्रिय घोषणा के बिना भी चुनाव जीत सकती है। पीएम किसान सम्मान निधि, पीएम आवास योजना, उज्ज्वला योजना और राशन योजना जैसी कई योजनाएं हैं जिसका लाभ करोड़ों लोगों को मिल रहा है। सरकार का अनुमान है कि ये लाभार्थी उसे दोबारा सरकार में आने में मदद करेंगे।
हालांकि, कृषि क्षेत्र के लोग यह मान रहे थे कि केंद्र सरकार पीएम किसान निधि के अंतर्गत किसानों को दी जा रही आर्थिक सहायता (6,000 रुपये प्रति वर्ष) की राशि बढ़ा सकती है। फिलहाल आवश्यक खर्चों के दबाव में सरकार ने ऐसी कोई लोकप्रिय घोषणा करने से परहेज बरता है। लेकिन इसके बाद भी बजट में ऐसे कई प्रावधान किये गए हैं जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर करने में मदद मिलेगी।

देविंदर शर्मा के अनुसार, बजट में ग्रामीण क्षेत्रों में दो करोड़ पीएम आवास बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इन घरों को बनाने में ग्रामीण लोगों को ही रोजगार मिलेगा। साथ ही गृह निर्माण की वस्तुओं की खपत बढ़ेगी। इससे भी इन क्षेत्रों के उद्योगों और ग्रामीणों को आर्थिक मदद मिलेगी। सरकार ने घर निर्माण में भी सहायता देने की घोषणा की है। इसका असर भी ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति बेहतर करेगी।

स्वयं सहायता समूहों से ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। वे अपने घर को संभालने के साथ-साथ रोजगार के काम कर पाती हैं। इन समूहों में किसानों के घरों की महिलाएं ही काम करती हैं। इसलिए इससे भी किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।

आशा बहनों को आयुष्मान योजना का लाभ –

सरकार ने सभी आशा बहनों को आयुष्मान योजना का लाभ देने का निर्णय लिया है। इससे ग्रामीण महिलाओं को अपना इलाज कराने में पैसा नहीं खर्च करना पड़ेगा। अब तक इलाज में भारी पैसा खर्च होने से लोगों की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती थी। लेकिन अब आशा बहनों के परिवारों के साथ ऐसा नहीं होगा।

मछली पालन का काम ज्यादातर मामलों में बड़े औद्योगिक घरानों के कारोबारी नहीं करते। यह काम गांव-देहात में बसे छोटे-छोटे किसान ही करते हैं। केंद्र सरकार ने मत्स्य योजना को ज्यादा बढ़ावा देने की रणनीति बनाई है। किसानों को इसका भी लाभ मिलेगा। साथ ही जैविक क्षेत्र को बढ़ावा देकर, नैनो खादों का विकास कर भी किसानों की लागत कम करने की कोशिश की गई है।

सरकार ने एक करोड़ घरों में सौर ऊर्जा संयंत्रों को बढ़ावा देने का लक्ष्य निर्धारित किया है। यानी, अब किसान अपने घरों या खाली जमीन पर सोलर प्लांट लगाकर न केवल मुफ्त बिजली प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि अतिरिक्त बिजली को बेचकर हर महीने 15-20 हजार रुपये की कमाई भी कर सकते हैं। इससे देश के किसानों की तस्वीर बदल सकती है।

ये है चुनौती-

देश की 60 फीसदी आबादी आज भी गांवों में रहती है। इन्हें रोजगार के लिए कृषि क्षेत्र पर ही निर्भर करना पड़ता है। लेकिन कृषि क्षेत्र में केवल 1.8 फीसदी की वृद्धि हो रही है, जबकि आबादी का अनुपात कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। यानी इसके बाद भी कृषि क्षेत्र में कम तेज वृद्धि के कारण रोजगार की चुनौती बनी रह सकती है।

 

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