Author: Akash Tomar

Uttarakhand: लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, मनीष खंडूडी ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा।

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लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। पौड़ी लोकसभा सीट से प्रबल दावेदार माने जा रहे कांग्रेस सीट के दिग्गज नेता मनीष खंडूरी ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। 

मनीष खंडूरी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए ये बात शेयर की सोशल मीडिया पर जारी पोस्ट में उन्होंने बताया कि मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं। मेरा यह निर्णय बिना किसी व्यक्तिगत हित अथवा अपेक्षा से लिया गया है।

कांग्रेस के गढ़वाल लोकसभा प्रत्याशी मनीष खंडूरी का जन्म पूर्व मुख्यमंत्री व गढ़वाल सांसद मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी के घर 16 अक्टूबर 1968 को हुआ। शिक्षा में बचपन से ही अव्वल मनीष ने नेताजी सुभाष चंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीए की परीक्षा उत्तीर्ण की है।
उत्तराखंड में गढ़वाल लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मनीष खंडूरी को इंजीनियरिंग और मीडिया के क्षेत्र में महारत हासिल है। चुनाव से ठीक पहले पार्टी से इस्तीफा देने के अब कई राजनीतिक मायने सामने आ रहे हैं।

Uttarakhand: जोशीमठ पुनर्वास को लेकर इन अहम बिंदुओं पर बनी सहमति, मुख्य सचिव ने दिया कार्रवाई का भरोसा।

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Kedarnath Dham: 10 मई को खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट, महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर घोषित हुई तिथि।

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महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर आज शुक्रवार को पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि पंचांग गणना से तय कर घोषित की गई। 10 मई को बाबा केदार के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।

बाबा केदार के कपाट खुलने की तिथि तय होने के साथ ही बाबा केदार की पंचमुखी भोग मूर्ति के चल उत्सव विग्रह डोली में विराजमान होकर शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से अपने धाम के लिए प्रस्थान का दिन भी तय हुआ।

बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डां. हरीश चंद्र गौड़ ने बताया, आठ मार्च को महाशिवरात्रि पर्व पर ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में सुबह नौ बजे से धार्मिक अनुष्ठान शुरू हुए।

बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय की मौजूदगी में केदारनाथ के रावल भीमाशंकर के मार्गदर्शन में केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि घोषित की।

Uttarakhand: उत्तराखंड में तीन सीटों पर उम्मीदवारों के नामों पर लगी मुहर, 2 सीटों पर अभी सस्पेंस बरकरार।

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भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। इससे पहले गुरुवार को पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में देर रात तक इन नामों पर चर्चा की थी। उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में से 3 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की मुहर लग चुकी है.  जिसमे टिहरी, अल्मोड़ा और नैनीताल-उधम सिंह नगर सीट पर नाम फाइनल हो चुके हैं. टिहरी सीट से महारानी राज्य लक्ष्मी शाह, अल्मोड़ा सीट से अजय टम्टा, और नैनीताल उधम सिंह नगर सीट से अजय भट्ट का नाम घोषित हो चुका है. जबकि दो सीटें यानी पौड़ी और हरिद्वार सीट पर अभी सस्पेंस बना हुआ है.

 

टिहरी सीट से महारानी राज्य लक्ष्मी शाह

अल्मोड़ा सीट से अजय टम्टा

नैनीताल उधम सिंह नगर सीट से अजय भट्ट

BJP Candidates List: लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा का शंखनाद, पहली सूची जारी; इन दिग्गजों को चुनावी रण में उतारा, वाराणसी से पीएम मोदी लड़ेंगे चुनाव।

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भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 का शंखनाद कर दिया है। पार्टी ने शनिवार को अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने बताया कि 16 राज्य और दो केंद्र शासित प्रदेशों की 195 सीटों के उम्मीदवार तय कर दिए गए हैं। बाकी सीटों पर मंथन चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से चुनाव लड़ेंगे। 34 केंद्रीय एवं राज्य मंत्रियों के नाम भी इस सूची में हैं।

भाजपा की पहली सूची में क्या खास? 

  • 195 नामों की पहली सूची
  • 34 केंद्रीय मंत्रियों के नाम पहली सूची में
  • 28 महिलाओं को मौका
  • 47 युवा उम्मीदवार, जिनकी उम्र 50 साल से कम है
  • 27 नाम अनुसूचित जाति से
  • 18 प्रत्याशी अनुसूचित वर्ग से
  • 57 नाम अन्य पिछड़ वर्ग से

किस राज्य से कितनी सीटों पर प्रत्याशियों का एलान-
विनोद तावड़े ने बताया कि उत्तर प्रदेश की 51, पश्चिम बंगाल की 26, मध्य प्रदेश की 24, गुजरात की 15, राजस्थान की 15, केरल से 12, तेलंगाना से नौ, असम से 11, झारखंड से 11, छत्तीसगढ़ की 11, दिल्ली की पांच, जम्मू-कश्मीर की दाे, उत्तराखंड की तीन और अरुणाचल, गोवा, त्रिपुरा, अंडमान-निकोबार और दमन और दीव की एक-एक सीट पर प्रत्याशी तय किए गए हैं।

29 फरवरी को हुई थी अहम बैठक-
इससे पहले गुरुवार को पार्टी ने देर रात तक मंथन किया था। केंद्रीय चुनाव कमेटी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित अन्य सदस्यों ने कई नामों को अंतिम रूप दिया था।

बैठक के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी की ओर से लोकसभा चुनाव के लिए 100 से 125 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए जा सकते हैं। बैठक में 2014-2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हारी हुई सीटों पर चर्चा भी हुई थी। पार्टी लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा महिला प्रत्याशी उतारने की तैयारी भी कर रही है। 2019 के चुनाव में 53 महिलाएं भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव में उतरी थीं। 33 फीसदी के हिसाब से इस बार 70 महिलाओं को टिकट मिल सकता है।
2019 में भाजपा का प्रदर्शन-
भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव यानी 2019 में 543 सीटों में से 436 पर उम्मीदवार उतारे थे। बाकी सीटें पार्टी ने सहयोगी दलों को दी थीं। जिन 436 सीटों पर भाजपा ने चुनाव लड़ा था, उनमें से पार्टी को 303 पर जीत मिली थी। यह आंकड़ा लोकसभा में बहुमत के आंकड़े 272 से भी ज्यादा था। इसके अलावा 72 सीटों पर भाजपा दूसरे नंबर, 31 सीटों पर तीसरे नंबर और 30 सीटों पर इससे भी नीचे रही थी, जबकि 51 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गई थी।
2019 में किस गठबंधन का कैसा था प्रदर्शन?  
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को 351, कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) को 90 और सपा-बसपा के गठबंधन को 15 सीटें मिली थीं।
भाजपा को अकेले मिला था बहुमत-
2019 में भाजपा 303 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी और अकेले ही उसने बहुमत के जादुई आंकड़े (272) को पार कर लिया था। इसके बाद कांग्रेस 52 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही थी। डीएमके को 24, तृणमूल कांग्रेस को 22 और वाईएसआरसीपी को 22 सीटें मिली थीं।

सियासी संकट: ‘जल्द गिर सकती है हिमाचल सरकार, कांग्रेस के कई विधायक संपर्क में, बागी राजिंदर राणा ने किया ये दावा।

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हिमाचल प्रदेश के बागी विधायक राजिंदर राणा ने राज्य की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि सवा साल हो गए हैं। हमने कई बार हाईकमान को अवगत कराया कि प्रदेश में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। सीएम सुक्खू विधायकों को जलील और अपमानित करते हैं। यहां तक की विधायकों के काम नहीं करते हैं। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की कोई सरकार नहीं थी। यह सिर्फ सुक्खू के मित्रों की सरकार है। कई बार बोलने के बाद भी कोई असर नहीं हुआ। राणा ने दावा किया है कि कांग्रेस के कई विधायक संपर्क में हैं। हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार जल्द ही गिरने वाली है। 

राजिंदर राणा ने कहा कि हम सब ने राज्यसभा चुनाव में हिमाचल प्रदेश से प्रत्याशी बनाने की मांग की थी। अब नौ विधायकों ने हिमाचल प्रदेश के स्वाभिमान की रक्षा की और हिमाचल प्रदेश के व्यक्ति को राज्यसभा भेजा है।

राजिंदर राणा ने किया सीएम सुक्खू पर पलटवार-

सीएम के काले नाग बोलने पर राजिंदर राणा ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि पिछले सवा साल से प्रदेश की हालत क्या हो गई है? नौजवान परीक्षा देकर सड़कों पर बैठे हैं, उनके परिणाम जारी नहीं हो रहे हैं। प्रदेश की जनता को दी गई गारंटियां पूरी नहीं हो रही हैं। सिर्फ मित्रों के काम हो रहे हैं। विधायकों को जलील किया जा रहा है।

राणा ने कहा कि सभी नौ विधायक सीएम सुक्खू से परेशान हैं। इससे पहले भी हमने हाईकमान से कहा था कि अगर हिमाचल प्रदेश को बचाना है तो इस व्यक्ति को सीएम पद से हटाना होगा। मगर हाईकमान ने कोई सुनवाई नहीं की। पूरी देश की तरह हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस ताश के पत्तों की तरह बिखर गई है। राणा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के मौजूदा सीएम लगता है कि हिंदुस्तान में सबसे झूठ बोलने वाले मुख्यमंत्री हैं।

राजिंदर राणा ने बताया कि सीएम ने मीडिया में यह कहा कि बागी विधायक हमसे संपर्क कर रहे हैं और वह वापस आना चाहते हैं। मगर यह बिल्कुल झूठ है। कोई नहीं आना चाहता है। सभी विधायकों ने लंबे समय से सोच समझकर फैसला लिया है। सीएम ने काले नाग की संज्ञा दी है। इसका फैसला जनता की अदालत करेगी। हम हिमाचल की अस्मिता, जनता और हितों के साथ हैं।

 

राणा ने कहा कि पूरा देश जानता है कि विक्रमादित्य राजा वीरभद्र सिंह के पुत्र हैं। वीरभद्र सिंह के परिवार और समर्थकों को सीएम सुक्खू ने अपमानित किया है। यह पूरा प्रदेश जानता है। उन्होंने कहा कि कल विक्रमादित्य ने सभी विधायकों से मुलाकात की थी। वह इस सरकार से बहुत परेशान हैं। आने वाले समय में बहुत कुछ होने वाला है। कांग्रेस के कई विधायक संपर्क में हैं और आना चाहते हैं। हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार जल्द ही गिरने वाली है।

उत्तराखंड के इन जिलों में बर्फबारी का ऑरेंज अलर्ट, निचले इलाकों में बारिश, मौसम में आ रहा बड़ा बदलाव.

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उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में मार्च के महीने में जनवरी जैसा मौसम हो रहा है। इसका असर मैदानी इलाकों में भी देखने को मिल रहा है। मौसम विज्ञान केंद्र ने आज और कल (शनिवार और रविवार को) प्रदेशभर में मौसम बदलने की संभावना जताई है। पर्वतीय जिलों में भारी बर्फबारी की चेतावनी जारी कर दी है।

केंद्र की ओर से जारी पूर्वानुमान के अनुसार उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले 3200 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में भारी बर्फबारी का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। जबकि, इन जिलों के साथ देहरादून, हरिद्वार, टिहरी और नैनीताल जिले के कुछ इलाकों में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है।


इसके अलावा 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से झोंकेदार हवाएं भी चलने के आसार हैं। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि बीते कुछ वर्षों से जलवायु परिवर्तन और मौसम के बदलते चक्र के चलते मार्च में भी मौसम बदलने लगा है। इसका मुख्य कारण पश्चिमी विक्षोभ का सक्रिय होना है जिसकी वजह से बर्फबारी और बारिश की संभावनाएं बन रही हैं। 4 मार्च के बाद प्रदेश में मौसम साफ होने लगेगा।

तापमान पर नहीं पड़ रहा कोई खास असर-

पर्वतीय इलाकों में भले ही बर्फबारी-बारिश हो रही है लेकिन तापमान पर इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है। इसलिए ठंड से लोगों को राहत मिल रही है। बृहस्पतिवार के आंकड़ों की बात करें तो दून का अधिकतम तापमान 25.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से दो डिग्री अधिक है। मुक्तेश्वर का अधिकतम तापमान तो पांच डिग्री बढ़ोतरी के साथ 19.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। सिर्फ नई टिहरी का अधिकतम तापमान सामान्य से चार डिग्री की गिरावट के साथ 14.4 डिग्री रहा।

Uniform Civil Code: यूसीसी को मंजूरी के बाद उत्तराखंड में बढ़ी विवाह पंजीकरण की रफ्तार, आंकड़ों में आया 30% का उछाल।

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यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल (यूसीसी`) को मंजूरी के बाद से दून कलेक्ट्रेट में सब रजिस्ट्रार कार्यालय का नजारा बदला हुआ है। जमीन की रजिस्ट्री कराने वालों की भीड़ के साथ ही नवविवाहित जोड़े सब रजिस्ट्रार कार्यालय में बड़ी संख्या में पहुंचने पहुंचने लगे हैं। यूसीसी बिल विधानसभा में पास होने के बाद से ही विवाह पंजीकरण के आंकड़ों में 30 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है।
सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में विवाह पंजीकरण के लिए बेहतर व्यवस्था कर पृथक डेस्क बनवाई जा रही है। फरवरी में उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता बिल को मंजूरी दी गई। विवाह, तलाक और उत्तराधिकार को लेकर समान नागरिक संहिता वाले इस विधेयक में सभी वर्ग के लोगों के लिए एक समान प्रावधान किया जा रहा है। इस बिल के कानून बनते ही उत्तराखंड में रहने वाले सभी लोगों के लिए विवाह पंजीकरण अनिवार्य होगा।26 मार्च 2010 के बाद हुए विवाहों का पंजीकरण अनिवार्य होगा।

6 महीने के भीतर सभी को करना होगा पंजीकरण- 


यूसीसी लागू होने के बाद छह महीने के भीतर ऐसे सभी जोड़ों को पंजीकरण कराना होगा, जिनकी शादी 26 मार्च 2010 के बाद हुई है। वहीं 2010 से पूर्व हुए विवाह में भी दंपती चाहे तो अपना पंजीकरण करा सकेंगे। यूसीसी का बिल अभी बेशक कानून नहीं बना हो, लेकिन इसके प्रावधानों को देखते हुए लोगों में पहले से जागरूकता आ गई है। धार्मिक रीति-रिवाज से शादी के बाद जोड़े विवाह पंजीकृत कराने के लिए खुद पहुंच रहे हैं। 

एक महीने में ही बढ़ गए 130 जोड़े-

देहरादून कलेक्ट्रेट में सब रजिस्ट्रार-2, सब रजिस्ट्रार-3, सब रजिस्ट्रार-4 के कार्यालय में विवाहों का पंजीकरण होता है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार यूसीसी बिल पास होने से पहले प्रत्येक महीने 446 जोड़े अपने विवाह पंजीकृत कराने के लिए सब रजिस्ट्रार के यहां पहुंचते थे। यूसीसी बिल पास होने के बाद फरवरी में ही यह आंकड़ा 576 पर पहुंच चुका है, जो कि गत वर्ष की तुलना में करीब 30 फीसदी अधिक है।

एक तस्वीर ये भी- 

वैशाली की शादी आदित्य के साथ विधिवित धार्मिक रीति-रिवाज से हो चुकी है। लेकिन समान नागरिक संहिता बिल में विवाह पंजीकरण की अनिवार्यता के चलते वह विवाह का पंजीकरण कराना चाह रहे हैं। सब रजिस्ट्रार कार्यालय में यह लोग विवाह पंजीकरण की औपचारिकताओं की जानकारी करने पहुंचे।

दूसरी तस्वीर- 

रीना और प्रकाश के विवाह को पांच साल हो चुके हैं। लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड में मार्च 2010 के बाद हुए सभी विवाहों के पंजीकरण को अनिवार्य किया गया है, इसलिए यह दंपती भी विवाह पंजीकरण कराने पहुंचा। सभी औपचारिकताओं के बारे में इन्हें कार्यालय स्टाफ ने बताया। यूसीसी कानून बनने के बाद होने वाली भीड़ की संभावना के चलते यह पहले ही अपना पंजीकरण कराने के लिए पहुंचे।

तलाक का नहीं है रजिस्ट्रेशन, ले रहे जानकारी- 

यूसीसी में लागू होने के बाद तलाक आदेशों का भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा। लेकिन अभी तलाक के रजिस्ट्रेशन के लिए कोई नहीं पहुंच रहा है। इसके बारे में जानकारी अवश्य लोग कर रहे हैं।

विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। बढ़ती संख्या को देखते हुए व्यवस्था बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। आवेदकों को किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं हो, इसके लिए सभी सब रजिस्ट्रार को व्यवस्था बनाने के लिए कहा है। विवाह पंजीकरण के लिए अलग डेस्क बनाई जाएगी, ताकि आवेदक आसानी से कम समय में पंजीकरण करा सकें।-सोनिका, डीएम, देहरादून

पहाड़ की ठण्ड से कांपते उत्तराखंड के ये 36 विधायक, जानिये क्यों नहीं हुआ गैरसैण में विधानसभा का शीतकालीन सत्र।

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उत्तराखंड की राजनीति में गैरसैंण हमेशा एक बड़ा मुद्दा रहा है बावजूद इसके लिए धामी सरकार ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को लेकर काफी उदासीन दिखाई दे रही है ये बात ऐसे ही नहीं कही जा रही बल्कि इसके पीछे की बड़ी वजह भी है. जिन पहाड़ों की जनता वहां के विधायकों को जीताकर सदन भेजती है वही  विधायक चुनाव जीतने के बाद देहरादून छोड़कर पहाड़ नहीं चढ़ना चाहते। क्योंकि उनको वहां ठंड लगती है.

उत्तराखंड सरकार का बजट सत्र देहरादून में शुरू हो चुका है. बजट सत्र शुरू होने से पहले  इसके लिए सरकार ने विधायकों से राय मांगी थी कि बजट सत्र गैरसैंण में होना चाहिए या फिर देहरादून में इसी विषय को लेकर लगभग 36 विधायकों ने एक पत्र सरकार को सौंपा है विधायकों ने सत्र देहरादून में कराए जाने की बात कही. विधायकों का तर्क था कि गैरसैंण में काफी सर्दी है ऐसे में वहां सत्र करने में काफी मुश्किल होगी इसके बाद सरकार ने अपनी कैबिनेट में यह फैसला लिया कि सत्र इस बार देहरादून में होगा।

क्या कहा हरीश रावत ने- 

वहीं सत्र देहरादून में कराए जाने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत का कहना है कि ऐसे विधायकों को हिमालय राज्यों से चले जाना चाहिए जिन्हें यहां पर ठंड लगती है खास बात यह है कि चिट्ठी लिखने वाले विधायकों में छह विधायक कांग्रेस के भी शामिल है तो वहीं एक बसपा और दो निर्दलीय विधायक भी शामिल है, इन विधायकों के पत्र के आधार पर ही सत्र देहरादून में कराया जा रहा है वरना ये सत्र इस बार उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में होना था इसको लेकर पूर्व सीएम और कांग्रेस के नेता हरीश रावत ने साफ कहा है कि विधायकों की चिट्ठी  से क्या लेना देना सरकार को खुद फैसला करना चाहिए और सत्र गैरसैंण में करना चाहिए ये सरकार की विफलता है।

गांधी पार्क में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एक घंटे का सांकेतिक मौन व्रत रखा- 
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ गांधी पार्क में एक घंटे का सांकेतिक मौन व्रत रखा. मौन व्रत के समापन पर उपस्थित सभी कार्यकर्ताओं ने रघुपति राघव राजा राम भजन गाकर धामी सरकार की सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना की उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्य की अवधारणा के साथ बने राज्य की सरकार को गैरसैंण में ठंड लग रही है.
रावत ने कहा कि यह उत्तराखंड का दुर्भाग्य ही है की यहां के जनप्रतिनिधियों को कुछ ज्यादा ही ठंड लगती है उन्होंने बजट सत्र की अवधि को लेकर भी सवाल उठाए और कहा की प्रचंड बहुमत और डबल इंजन के 7 साल बाद भी प्रदेश सरकार यदि गैरसैंण में कर्मचारियों, पुलिस कर्मियों एवं पत्रकारों के लिए मूलभूत व्यवस्थाएं तक जुटा पाने में समर्थ नहीं रही तो दोष किसको दिया जाए. आम आदमी पार्टी के नेता ने भी अर्धनग्न होकर सरकार के इस फैसले के खिलाफ देहरादून विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया। और कहा कि पहाड़ियों को ठंड नहीं लगती मगर उत्तराखंड के विधायकों ने गैरसैण को लगभग पूरी तरह से गैर बना दिया है।
गैरसैंण में विधानसभा भवन बनाने के लिए करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाया गया है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर वहां सब कुछ जीरो है यही कारण है कि सत्र के अलावा कोई विधायक या मंत्री गैरसैंण की तरफ जाने को भी तैयार नहीं होता है गैरसैंण को लेकर वैसे तो सत्ताधारी दल कई दावे करता रहता है, लेकिन सत्र कराने तक में परहेज करने वाली सरकार से इसको लेकर बहुत उम्मीद करना बेमानी है ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित होने के बावजूद गैरसैंण से भराड़ीसैंण तक सिर्फ ठंड के सिवाय कोई सरगर्मी नहीं है सैकड़ों करोड़ के भव्य विधानमंडल भवन और आलीशान आवासीय परिसरों के निर्माण से आगे वहां सब कुछ ठहर सा गया है। 12 महीनों में सिर्फ चंद दिनों के लिए गर्मियों की यह राजधानी तभी गुलजार दिखती है जब सरकार यहां सत्र कराने पहुंचती है। सरकार के जाते ही फिर लंबा सन्नाटा पसर जाता है,,ऐसा लगता है मानो उत्तराखंड के माननीय विधायक यहां सिर्फ गर्मियों की छुटियाँ बिताने जाते हैं।
भराड़ीसैंण में विधानसभा सत्र का आयोजन होते कई वर्ष हो चुके हैं, लेकिन सरकारें वहां कभी व्यवस्थाएं नहीं बना पाईं। इन्हीं बदइंतजामी के बहाने अब विधायकों से लेकर अफसर तक वहां जाने से परहेज कर रहे हैं सिर्फ चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियां गैरसैंण को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती रही हैं 2020 में त्रिवेंद्र सरकार ने गैरसैंण को प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया. राजधानी बने हुए तीन वर्ष का वक्त हो गया लेकिन इन तीन सालों में गैरसैंण में विकास के नाम पर कितने बदलाव हुए यह सवाल आज भी बना है, लेकिन जब हमारे माननीयों को ही गैरसैण में ठंड लग रही हो तो इसके विकास की उम्मीद भी करना बेमानी है।

Uttarakhand: राज्यपाल के अभिभाषण के साथ आज से शुरू हुआ विधानसभा का बजट सत्र, 1 मार्च तक चलेगा सत्र.

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आज विधानसभा का बजट सत्र का पहला दिन है। राज्यपाल के अभिभाषण के साथ सदन में सत्र की शुरुआत हुई। राज्यपाल के अभिभाषण में सरकार के वर्ष 2025 तक उत्तराखंड को देश का श्रेष्ठ व सशक्त राज्य बनाने का रोडमैप दिखा।


विधानसभा का बजट सत्र आज यानी 26 फरवरी से 1 मार्च तक चलेगा। सोमवार को सुबह 11 बजे से विस का बजट सत्र शुरू हुआ। इसके बाद राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) का अभिभाषण शुरू हुआ।

इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि विकसित भारत के संकल्प में विकसित उत्तराखंड परिकल्पना नहीं विश्वास है। प्रदेश की तरक्की में अहम योगदान देने वालों का आभार जताते हुए उन्होंने कहा कि विगत वित्तीय वर्ष 2023-24 में कई उपलब्धि हासिल हुई है। हमारा प्रदेश सर्वश्रेष्ठ राज्यों की श्रेणी में खड़ा होगा। भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की कड़ी में सशक्त उत्तराखंड @ 2025 से कई आयाम हासिल किए गए।

महिलाओं को समान अधिकार दिए गए- राज्यपाल 
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा ने राज्य के सभी नागरिकों को समान अधिकार देने वाली समान नागरिक संहिता को पास करके देश का पहला राज्य बना दिया है। अब सभी धर्म-समुदायों की महिलाओं को समान अधिकार दिए गए।

 

  • अपने अभिभाषण में राज्यपाल ने कहा कि थाना स्तर पर महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने के लिए महिला डेस्क स्थापित है। पुलिस ने महिलाओं को कानूनी मदद के लिए टोल फ्री नम्बर जारी किया है। जेल विकास बोर्ड का गठन किया गया है। वहीं जी 20 की तीन बैठक से राज्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का सफल आयोजन किया गया।

 

  • राज्यपाल ने कहा कि राज्य में इज ऑफ डूइंग के साथ ही पीस ऑफ डूइंग का माहौल है। यूआईआईडीबी का गठन किया गया। आगामी पांच वर्ष में उत्तराखंड को देश के अग्रणी राज्य बनाने के लिए सशक्त उत्तराखंड पर काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि 1300 कानून चिन्हित करके 400 से ज्यादा का विलोपन किया जा चुका है।
  • उन्होंने बताया कि सीएम कॉन्क्लेव के एजेंडा बिंदु के अनुरूप, केंद्र व राज्यों की 12 विभागों की 20 योजनाओं का मूल्यांकन कराया जा रहा है। मानसखंड मंदिर माला मिशन के तहत 48 पुराने मंदिरों का चिन्हित किया गया है। पहले चरण में 16 मंदिरों के पुनरुद्धार किया जा रहा है। इसके अलावा बदरीनाथ धाम को स्मार्ट स्पिरिचुअल करने की दिशा में सरकार काम कर रही है।
  • टिहरी में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अपणु स्कूल अपणु प्रमाण शुरू किया गया है। जिसमें जरूरी प्रमाणपत्र स्कूल में ही बन रहे हैं। विद्या समीक्षा केंद्र स्थापित करने वाला उत्तराखंड देश का तीसरा राज्य बन गया है। अपणी सरकार के तहत डोर स्टेप डिलीवरी देहरादून नगर निगम के 100 वार्डों में चलाई जा रही है। जल्दी ही अन्य निकायों में इसे लागू किया जाएगा। प्रदेश में 12 इको टूरिज्म गंतव्यों को तैयार किया जा रहा है। 13 हेलिपैड तैयार हो चुके हैं। सात हेलीपोर्ट बनाने पर काम चल रहा है। जो पीपीपी मोड़ पर बनेंगे।

विधायकों की ओर से मिले 300 से अधिक प्रश्न-

पहले दिन अभिभाषण के अलावा अन्य कोई विधायी कार्य नहीं होंगे। राज्यपाल के अभिभाषण के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित हो जाएगी। भोजनावकाश के बाद तीन बजे से फिर से सदन चलेगा। सत्र के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली है। विधायकों की ओर से 300 से अधिक प्रश्न मिले हैं। रविवार देर रात विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण के यमुना कॉलोनी स्थित आवास पर कार्यमंत्रणा समिति की बैठक हुई, जिसमें एक मार्च तक सदन संचालित करने के लिए एजेंडा तय किया गया। बैठक में संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, विधायक खजना दास व उमेश शर्मा मौजूद रहे। विपक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने कार्यमंत्रणा से इस्तीफा दे रखा है, वह कार्यमंत्रणा में शामिल नहीं हुए।

27 फरवरी को होगा बजट पेश –

प्रदेश सरकार 27 फरवरी को बजट पेश करेगी। हालांकि, कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में तय किया गया कि बजट 27 को सदन में लाया जाएगा। 28 को राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव लाया जाएगा। 29 को विभागवार अनुदान मांगों पर चर्चा होगी, जबकि एक मार्च को बजट पारित किया जाएगा। सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 90 हजार करोड़ रुपये का अनुमानित बजट लाने की संभावना है। जिसमें सरकार का फोकस सशक्त उत्तराखंड का संकल्प रहेगा। इसके अलावा महिलाओं, युवाओं के लिए स्वरोजगार, किसानों के कल्याण, शिक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार नई योजनाओं की घोषणा कर सकती है।

कार्यमंत्रणा बैठक की कोई सूचना नहीं-

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का कहना है कि पहले ही कार्यमंत्रणा समिति से इस्तीफा दे दिया गया है, जिससे बैठक में जाने का कोई औचित्य नहीं है, लेकिन प्रदेश सरकार की तरफ से भी किसी तरह की कोई पहल नहीं की गई और न ही विधानसभा से बैठक की सूचना मिली है। संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने फोन कर इतना जरूर कहा कि विपक्ष को कार्यमंत्रणा बैठक में आना चाहिए।