पुरानी पेंशन को लेकर 3 नवंबर की तीसरी बड़ी रैली का गवाह बनेगा रामलीला मैदान, इन 7 मांगों को रखेंगे सरकार के समक्ष.
केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठन की लड़ाई पुरानी पेंशन को लेकर लगातार जारी है. पुरानी पेंशन कर्मियों की ये लड़ाई फिर एक बड़ा रूप लेने जा रही है. केंद्रीय कर्मियों की दो विशाल रैलियों के बाद अब उनकी जल्दी ही 3 नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में ही तीसरी बड़ी रैली होने जा रही है। कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज एंड वर्कर्स के बैनर तले होने वाली इस रैली में ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्प्लाइज फेडरेशन सहित कई दूसरे कई संगठन हिस्सा लेंगे। रैली में केंद्र सरकार के समक्ष 7 बड़ी मांगें रखी जाएंगी।
ये होंगी वो सभी मांगे-
पहली मांग ‘एनपीएस’ की समाप्ति और ‘पुरानी पेंशन’ व्यवस्था को बहाल कराना है। इसके अलावा केंद्र सरकार में रिक्त पदों को नियमित भर्ती के जरिए भरना, निजीकरण पर रोक, आठवें वेतन आयोग का गठन और कोरोनाकाल में रोके गए 18 महीने के डीए का एरियर जारी करना, ये बातें भी कर्मचारियों की मुख्य मांगों में शामिल हैं।
कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने बताया, सरकारी कर्मचारियों की लंबित मांगों को लेकर पिछले साल से ही चरणबद्ध तरीके से प्रदर्शन किए जा रहे हैं। दिसंबर 2022 को दिल्ली के तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में कर्मियों के ज्वाइंट नेशनल कन्वेंशन के घोषणा पत्र के मुताबिक, कर्मचारियों की मुहिम आगे बढ़ाई जा रही है। राज्यों में भी कर्मियों की मांगों के लिए सम्मेलन/सेमिनार और प्रदर्शन आयोजित किए गए हैं। इस कड़ी में अब तीन नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली आयोजित की जाएगी। रैली के एजेंडे में ओपीएस की मांग सबसे ऊपर रखी गई है। बतौर यादव, कर्मियों की मांग है कि पीएफआरडीए एक्ट में संशोधन किया जाए। एनपीएस को समाप्त करें और पुरानी पेंशन बहाल की जाए। केंद्र और राज्यों के जिस विभाग में अनुबंध पर या डेली वेजेज पर कर्मचारी हैं, उन्हें अविलंब नियमित किया जाए। निजीकरण पर रोक लगे और सरकारी उपक्रमों को नीचे करने की सरकार की मंशा बंद हो। डेमोक्रेटिक ट्रेड यूनियन के अधिकारों का पालन सुनिश्चित हो। राष्ट्रीय शिक्षा कार्यक्रम का त्याग किया जाए और आठवें वेतन आयोग का गठन हो।
OPS पर हो चुकी हैं कर्मियों की दो रैलियां-
केंद्र और राज्यों के कर्मचारी संगठनों ने सरकार को स्पष्ट तौर से बता दिया है कि उन्हें बिना गारंटी वाली ‘एनपीएस’ योजना को खत्म करने और परिभाषित एवं गारंटी वाली ‘पुरानी पेंशन योजना’ की बहाली से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। नई दिल्ली के रामलीला मैदान में दस अगस्त को कर्मियों की रैली हुई थी। ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के राष्ट्रीय संयोजक एवं स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद ‘जेसीएम’ के सचिव शिवगोपाल मिश्रा ने रैली में कहा था, लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन लागू नहीं होती है तो भाजपा को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के लिए यह संख्या निर्णायक है।