मोदी सरकार में बढ़ रही सीनियर नेताओं की नारजगी,अब ये नेता भी खुल कर बोली…
मोदी सरकार में नाराजगी-
मोदी सरकार में 2024 से पहले बगावत के सुर उभरने लगे हैं,कई वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी खुल कर सामने आने लगी है,पहले नितिन गडकरी का एक मंच पर प्रधानमंत्री मोदी के नमस्कार का जवाब न देना और अब भाजपा की बड़ी और फायरब्रांड नेता उमा भारती का खुल कर सामने आना कहीं न कहीं ये साफ़ संकेत देता है कि मोदी की भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा और कई दिग्गज नेताओं की पार्टी में अनदेखी के चलते शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ नाराजगी बढ़ रही है,जो कि एकजुट विपक्ष के साथ -साथ अपनों की नारजगी मोदी सरकार के लिए नई मुसीबत खड़ी कर सकती है।
उमा भारती को मनाना आसान नहीं-
उमा भारती,,, भाजपा का वो बड़ा चेहरा और वो नाम जो राम मंदिर आंदोलन के दौरान पुरे देश ने देखा,,और इसी आंदोलन ने उमा भारती को भाजपा और भारतीय राजनीती में उस मुकाम तक पहुंचाया जहां से आज उनकी अनदेखी भाजपा इतनी आसानी से नहीं कर सकती,,, उमा भारती 27 साल की उम्र में पहली बार चुनाव लड़ी. 6 बार सांसद, 2 बार विधायक बनी. 11 साल केंद्र में मंत्री रहीं और मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री भी रहीं. जहां से बेहद नाटकीय ढंग से उनको हटाया गया,उस दौरान भी उमा भारती का अड़ियल रुख भाजपा हाईकमान से लेकर सबने देखा था,इससे ये तो साफ़ है अगर उमा भारती किसी चीज को लेकर अड़ गयी तो मोदी के लिए भी उनको मनाना आसान नहीं है।
उमा के तीखे तेवर,अनदेखी से नाराज-
एक बार फिर उमा भारती के कड़े तेवर दिखने शुरू हो गए हैं,,उमा भारती साफ़ कर चुकी हैं कि , मैंने 2019 में ही कहा था कि 2019 में चुनाव नहीं लड़ूंगी. मुझे 5 साल का ब्रेक दे दो, गंगा का काम करूंगी. यात्रा करूंगी. लेकिन मैं 2024 का चुनाव जरूर लड़ूंगी. मुझे कोई किनारे नहीं कर सकता’,,,, उमा भारती का ऐसा कहना यूँ अचानक नहीं हुआ,जिस तरह से पार्टी में कई पुराने नेता मार्गदर्शक मंडल में दाल दिए गए,कई और सीनियर नेता हाशिये पर डाल दिए गए उससे संकेत मिल रहे हैं कि कई नेताओं को 24 चुनाव में छुट्टी हो सकती है,लेकिन 24 के आम चुनाव से पहले जिस तरह उमा भारती को किनारे लगाया जा रहा है उससे उमा बेहद खपा हैं और वो भी उस राज्य से जहां की वो मुख़्यमंत्री रही हों सांसद रही हों।
क्यों नाराज है उमा भारती ?
मोदी सरकार में मंत्री रह चुकी उमा भारती ने मध्य प्रदेश में पार्टी द्वारा शुरू की गई जन आशीर्वाद यात्रा में शामिल होने के लिए निमंत्रण नहीं दिए जाने पर विधानसभा चुनाव से जुड़ी इस महत्वपूर्ण यात्रा का बहिष्कार करने की घोषणा कर दी है। उमा भारती पार्टी से इस हद तक नाराज हैं कि उन्होंने जन आशीर्वाद यात्रा के 25 सितंबर को होने वाले समापन समारोह में भी नहीं जाने की घोषणा कर दी है। समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी शामिल होने की संभावना है।आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रविवार को राज्य के सतना जिले से पार्टी के राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत पहली जन आशीर्वाद यात्रा का शुभारंभ किया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को राज्य के नीमच से दूसरी जन आशीर्वाद यात्रा का शुभारंभ करने जा रहे हैं।लेकिन इन सभी कार्यक्रमों से भाजपा ने उमा भर्ती से दुरी बनाये रखी हुई है,जिससे उमा बेहद नाराज दिखाई दे रही हैं।
पार्टी द्वारा चुनावी रणनीति के लिहाज से शुरू की गई इन महत्वपूर्ण यात्राओं के लिए निमंत्रण नहीं मिलने पर नाराजगी जताते हुए उमा भारती ने कहा, ”आज बीजेपी की यात्राएं निकल रही। इनमें मुझे कहीं नहीं बुलाया। इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। उनको ये ध्यान तो रखना था। मुझे नहीं जाना था। वो घबराते है कि मैं पहुंच जाऊंगी तो सारा ध्यान मेरी तरफ चला जाएगा। मुझे नहीं जाना था। कम से कम निमंत्रण देने की औपचारिकता पूरी करनी चाहिए थी।
” उमा भारती ने सोमवार सुबह ट्वीट (एक्स) कर कहा, “मुझे जन आशीर्वाद यात्रा के शुभारंभ में निमंत्रण नहीं मिला, यह सच्चाई है कि ऐसा मैंने कहा है, लेकिन निमंत्रण मिलने या ना मिलने से मैं कम ज्यादा नहीं हो जाती। हां अब यदि मुझे निमंत्रण दिया गया तो मैं कहीं नहीं जाऊंगी। ना शुभारंभ में ना 25 सितंबर के समापन समारोह में।” हालांकि इसके बाद अपने अगले ट्वीट में उमा भारती ने यह भी कहा, “मेरे मन में शिवराज के प्रति सम्मान एवं उनके मन में मेरे प्रति स्नेह की डोर अटूट और मज़बूत है। शिवराज जब और जहां मुझे चुनाव प्रचार करने के लिए कहेंगे मैं उनका मान रखते हुए उनकी बात मानकर चुनाव प्रचार कर सकती हूं।” भाजपा नेताओं के फाइव स्टार होटलों में रुकने पर फिर से सवाल उठाते हुए उमा भारती ने अगले ट्वीट में कहा, “शादियों की फ़िज़ूल खर्ची और हमारे नेताओं का 5 स्टार होटलों में रुकना इसको मैं शुरू से ही ग़लत मानती हूं।
उमा की चेतावनी-
उन्होंने एक चैनल से बातचीत में कहा कि अगर आप यानी बीजेपी उन नेताओं के वजूद को पीछे धकेल देंगे, जिनके दम पर पार्टी का वजूद खड़ा है, तो आप एक दिन खुद खत्म हो जायेंगे,उमा भारती से पूछा गया कि वे बैठकों में नजर नहीं आ रही हैं, रणनीतियों से दूर रह रही हैं क्या उमा भारती को दरकिनार किया गया, या खुद दूरी बनाए हुए हैं? इस पर चेतावनी वाले लहजे में उमा भर्ती ने जवाब दिया कि मैं 2024 का चुनाव जरूर लड़ूंगी. इसलिए मैंने खुद को किनारे नहीं लगाया. और न कोई मुझे किनारे लगा सकता है।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ उमा भारती ही नाराज हैं,गडकरी की नाराजगी भी अब खुल कर सामने दिखाई दे रही है,एक मंच पर प्रधानमंत्री मोदी जब सबको अभिवादन कर रहे थे और मंच पर खड़े सभी नेता भी प्रधानमंत्री का स्वागत कर रहे थे तो उसी मंच पर मौजूद गडकरी ने न तो पीएम मोदी को अभिवादन किया और न मोदी की तरफ देखा,इससे ये तो साफ़ है कि कहीं न कहीं पार्टी के भीतर ही विरोध बढ़ रहा है,,ऐसा नहीं है कि सिर्फ बड़े स्तर पर ही नाराजगी दिखाई दे रही है बल्कि छोटे स्तर पर भी नेता अब अपनी आवाज खुल कर उठाने लगे हैं।
कई अन्य नेता भी चल रहे नाराज-
भाजपा ने नाराज नेताओं को अलग-अलग समितियों में स्थान देकर खुश करने की कोशिश की गई है। कुछ तो मान गए हैं, लेकिन नाराज नेताओं की लिस्ट इतनी लंबी है कि उन्हें मनाने के लिए भाजपा को बकायदा रणनीति बनानी पड़ी है। उसी के मुताबिक रूठों को मनाने की तैयारी की जा रही है। चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में बीजेपी के 60 से ज्यादा नेता नाराज बताये जा रहे हैं,,पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के भाई और पूर्व विधायक गिरिजाशंकर शर्मा फिर कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। उन्होंने खुद इसके संकेत दिए हैं।
भाजपा के लिए बनता सरदर्द-
चुनावी साल में वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी से भारतीय जनता पार्टी परेशान है. यही वजह है कि इंदौर में बीजेपी को नई गाइडलाइन जारी करना पड़ी. पार्टी ने यहां अब अपने हर कार्यक्रम में मंच पर पुराने नेताओं को बैठाने औऱ उन्हें पूरा सम्मान देने के निर्देश जारी किए हैं. पार्षदों से लेकर मंडल अध्यक्षों तक को वरिष्ठ नेताओं का विशेष ध्यान रखने के लिए कहा गया है.बीजेपी के वरिष्ठों की नाराजगी पर कांग्रेस चुटकी ले रही है. कांग्रेस प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला का कहना है वरिष्ठ नेताओं के सम्मान की परंपरा तो बीजेपी में कभी की खत्म हो चुकी है. वरिष्ठ नेताओं को मार्ग दर्शक मंडल में बैठाकर उनके घरों का मार्ग ही भूल चुके हैं. कई वरिष्ठ नेता पार्टी को लेकर मुखर भी हो चुके हैं. खुद कैलाश विजयवर्गीय ने स्वीकार किया कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओ में खासा असंतोष है. विधानसभा चुनाव में बीजेपी को लग रहा है कि वरिष्ठों की नाराजगी भारी पड़ सकती है. इसलिए उन्हें मंच पर बैठाकर सम्मान का लॉलीपाप दिया जा रहा है. कुल मिलाकर राजनैतिक ड्रामेबाजी की जा रही है. कहीं भी इनके मन के अंदर वरिष्ठों को लेकर सम्मान नहीं है।
कर्नाटक और हिमाचल चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल कम हुआ है. वहीं बीजेपी के पुराने नेता रही सही कसर पूरी कर रहे हैं. ऐसे में पार्टी पशोपेश में है. कई नेता है, जो अपनी उपेक्षा से नाराज है,ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा की बीजेपी इन्हें मनाने में किस हद तक कामयाब होती है।