Uttarakhand: अभावों से संघर्ष कर मिसाल पेश करने वाली लड़की अंजना आज चुनावी मैदान में.
उत्तराखंड प्रदेश के अंदर एक ऐसी लड़की भी चुनाव मैदान में हैं जिसकी कहानी न केवल आपको सोचने को मजबूर कर देगी बल्कि इस प्रदेश की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा भी साबित होगी. तमाम लड़के लड़कियां आजकल रील्स बनाकर वायरल होना चाहते हैं, हालाँकि इसमें कोई बुराई भी नहीं है. लेकिन ये भी सच है कि जब वो सच में सफल हो जाते हैं, तो खुद-ब-खुद उनको प्रसिद्धि मिल जाती है।
इसका जीता-जागता उदाहरण हैं श्रीनगर गढ़वाल की लड़की अंजना चायवाली, अभावों से भरा जीवन और कम उम्र में मिली जिम्मेदारियां व्यक्ति को जो सीख देती हैं उसे जीवन की कोई पाठशाला नहीं दे सकती है, अभावों एवं जिम्मेदारियों से भरी जीवन की इसी पाठशाला से बनी और तपी वीरांगना तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित अंजना रावत जिनके संघर्षों की कहानी समाज को प्रेरणा देती है, आज वो छोटी सरकार के चुनावी समर में हैं।
साल 2011 में अंजना के पिता जिन्दगी की जंग हार गए। लेकिन अंजना नहीं हारी. उसने चाय की दुकान के साथ साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखी, समाज शास्त्र में एमए किया, और साथ ही एम एस डब्ल्यू का डिप्लोमा भी हासिल किया, कम उम्र में पहाड़ सी जिम्मेदारियों को बखूबी संभाला, पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने अपनी बड़ी बहिन की शादी की और छोटे भाई को अपने पैरों पर खड़े होने लायक बनाया, जिस उम्र में लड़कियां अक्सर घूमना फिरना और मौजमस्ती से अपना जीवन काटती हैं उस उम्र में अंजना ने एक छोटी सी चाय की दुकान चलाकर,दुकानों में जाकर चाय बाँटकर न केवल अपने परिवार का भरण पोषण किया बल्कि अपने भाई की पढ़ाई से लेकर अपनी बड़ी बहिन की शादी कर अपने पिता की जिम्मेदारियां निभाई और खुद की भी पढ़ाई पूरी की।
स्वभाव से बेहद शालीन अंजना अनेक समस्याओं से पार पाते हुए आज लोगों के कहने पर अपने वार्ड से पार्षद का चुनाव लड़ रही है, उम्मीद है इसमें भी उनको सफलता मिलेगी निश्चित ही अंजना की कहानी इस पहाड़ की नारियों के लिए एक प्रेरणा है जो किसी मुश्किल में होने पर उनका हौसला बढ़ाएगी।