Uttarakhand: उत्‍तराखंड के सरकारी स्कूलों के शर्मनाक हाल, एक हजार से ज्‍यादा प्राथमिक विद्यालयों में नहीं हैं शौचालय।

Uttarakhand: उत्‍तराखंड के सरकारी स्कूलों के शर्मनाक हाल, एक हजार से ज्‍यादा प्राथमिक विद्यालयों में नहीं हैं शौचालय।

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भारी बजट के बावजूद भी शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं को बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं करवा पाया। चालू वित्त वर्ष में विभाग को केंद्र सरकार से समग्र शिक्षा के तहत 1,196 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं।

लेकिन 1हजार से ज्यादा प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, जहां लड़कियों और 841 प्राथमिक विद्यालयों में लड़कों के लिए शौचालय सुविधा नहीं है। पिछले वर्ष की तुलना में इन विद्यालयों में लड़कियों के लिए 319 व लड़कों के लिए 248 शौचालय बन पाए।

जब बजट की कमी नहीं है तो एक साल के भीतर शौचालय निर्माण में शत-प्रतिशत सफलता क्यों नहीं मिल पा रही है। शौचालय निर्माण की यह स्थिति तब है जब पिछले एक वर्ष में 154 प्राथमिक विद्यालय बंद हो चुके हैं।

 

शौचालय निर्माण में उदासीनता-

विद्यालयों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय जैसे अति संवेदनशील विषय पर अभिभावकों, शिक्षा अधिकारियों और शिक्षकों का गंभीरता न दिखाना चिंता का विषय है। प्राथमिक विद्यालयों में शौचालय निर्माण के लिए बहुत अधिक स्थान की जरूरत नहीं पड़ती है और न बहुत अधिक लागत आती है। लेकिन फिर भी आज तक वहां शौचालय सुविधा नहीं है,

सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में लड़के और लड़कियों के लिए शौचालय सुविधा है या नहीं है, यह आंकड़े किसी निजी संस्थान ने नहीं, बल्कि शिक्षा विभाग ने स्वयं यूनिफाइड डिस्ट्रक इनर्फोमेशन सिस्टम फार एजूकेशन (यू-डायस) पर अपलोड किए हैं।

पिछले वर्ष जहां लड़कों के लिए 1,089 प्राथमिक विद्यालय शौचालय विहीन थे, उनमें से केवल 248 में ही एक वर्ष के भीतर शौचालय बन पाए। इसी प्रकार पिछले वर्ष 1330 विद्यालयों में छात्राओं के शौचालय नहीं थे, वहीं इस वर्ष 329 विद्यालयों में शौचालय बन पाए हैं। जब पिछले वर्ष की तुलना में 30 प्रतिशत प्राथमिक विद्यालयों में शौचालय बन सकते हैं तो अन्य विद्यालयों में अभी तक शौचालय क्यों नहीं बन पाए हैं?

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