Uttarakhand: यमुनोत्री क्षेत्र में भोजपत्र के जंगलों पर संकट, ध्यान नहीं दिया तो हो सकते हैं विलुप्त.

Uttarakhand: यमुनोत्री क्षेत्र में भोजपत्र के जंगलों पर संकट, ध्यान नहीं दिया तो हो सकते हैं विलुप्त.

651 Views -

यमुनोत्री क्षेत्र में भूस्खलन और यमुना नदी के कटाव से बेशकीमती भोजपत्र के जंगल पर खतरा मंडरा रहा है। गढ़वाल के साथ ही कुमाऊं के आदि कैलाश को जाने वाले मार्ग पर भी इसके जंगल हैं लेकिन जलवायु परिवर्तन, सड़कों के निर्माण व यात्रा मार्ग में जाने वाले पर्यटकों द्वारा इसे पहुंचाए जाने वाले नुकसान एवं मलबे के चलते इसका अस्तित्व संकट में पड़ रहा है।भोजपत्र के पेड़ों के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए शीघ्र पहल नहीं की गई तो यह विलुप्ति की कगार पर पहुंच जाएंगे। समुद्रतल से करीब चार हजार मीटर ऊंचाई पर पाए जाने वाले भोजपत्र का जंगल यमुनोत्री धाम से लगे गरुड़ गंगा के दाईं ओर फैला है।

 

2012 में जब यमुना नदी में बाढ़ आई थी, तब भी भू-कटाव से जंगल को काफी नुकसान पहुंचा था। हनुमान चट्टी डोडीताल ट्रैक रूट पर भी भोजपत्र के पेड़ों को हानि पहुंची थी। बावजूद इसके भोजपत्र के जंगलों के संरक्षण व संवर्धन के लिए कोई ठोस योजना नहीं बन पाई। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि भोजपत्र के जंगलों को आपदा और उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भू-कटाव के कारण बहुत नुकसान पहुंचा लेकिन संरक्षण के लिए योजना नहीं बनी। उन्होंने शासन-प्रशासन से भोजपत्र के जंगलों के संरक्षण के लिए योजना बनाने की मांग की है। 
पूर्व प्रधानमंत्री को भोजपत्र पर भेंट किया गया अभिनंदन पत्र-
1985 में जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार उत्तराखंड भ्रमण पर आए थे तो उस वक्त भाजपा नेता व चकबंदी के प्रेरणास्रोत स्व. राजेंद्र सिंह रावत ने उन्हें भोजपत्र पर लिखा अभिनंदन पत्र भेंट किया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


*