Uttarakhand: हिमालयी राज्यों को पछाड़ उत्तराखंड बना नंबर-1, NCRB की रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा.
उत्तराखंड तरक्की कर रहा है या नहीं ये तो नहीं पता लेकिन कुछ चीजें ऐसी है जिसमें प्रदेश का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है और अब तो उत्तराखंड हिमालयी राज्यों में टॉप पर पहुंच चुका है. पर इसमें खुश होने की नहीं बल्कि शर्म करने की जरूरत है क्योकि जिसमें उत्तराखंड नंबर 1 बना है उसमें कोई भी राज्य नंबर 1 नहीं बनना चाहता। अभी हाल ही NCRB की रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है जिसने कानून व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है और पूरे प्रदेश को शर्मसार कर दिया है।
उत्तराखंड में महिलाओं और बच्चों के साथ बलात्कार के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए। इसमें हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, लद्दाख सहित 9 राज्य शामिल हैं। इसके तहत वर्ष 2022 में प्रदेश में महिला अपराध का ग्राफ वर्ष 2021 के मुकाबले 26 प्रतिशत ऊपर पहुंच गया है ।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट तो यही बता रही है। इसके तहत वर्ष 2022 में प्रदेश में महिला अपराध का ग्राफ वर्ष 2021 के मुकाबले 26 प्रतिशत ऊपर पहुंच गया। एनसीआरबी की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में महिला अपराध के 3431 मामले सामने आए थे, जबकि वर्ष 2022 में ये संख्या बढ़कर 4 हजार 337 पहुंच गई, यानी एक वर्ष में 906 मामलों की बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले वर्ष 2020 में 2 हजार 846 मामले सामने आए थे। इतना ही नहीं महिला अपराध में बढ़ोतरी को लेकर देशभर में स्थिति की बात करें तो उत्तराखंड छठे पायदान पर है। इस मामले में आंध्र प्रदेश सबसे ऊपर है, जहां महिला अपराध में 43.66 प्रतिशत का उछाल आया है।उत्तराखंड प्रदेश में बड़ी संख्या में विवाहित महिलाओं को घर के भीतर प्रताड़ना झेलनी पड़ी है हालांकि, कई राज्य ऐसे भी हैं जहां महिला अपराध में कमी आई है। सबसे अधिक 51 प्रतिशत की कमी असम में आई है।साल दर साल प्रदेश में मामले बढ़ रहे हैं बात करें तो साल 2020 में 2 हजार 446 जबकि साल 2021 में 3 हजार 431 जबकि यही आंकड़ा साल 2022 में बढ़कर 4 हजार 337 हो गयी है।
वर्ष 2022 में पुलिस के समक्ष 956 ऐसे मामले पहुंचे। इनमें महिलाओं को पति या उसके रिश्तेदार ने पीटा या अन्य प्रकार से प्रताड़ित किया। यही नहीं, उत्पीड़न से तंग आकर या अन्य कारणों से वर्षभर में 24 महिलाओं ने आत्महत्या जैसा कदम भी उठाया। तो वहीं अपहरण के मामले भी बढ़े, वर्ष 2022 में प्रदेश में महिला अपहरण के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई। वर्ष 2021 में 696 अपहरण के मामले सामने आए थे, जबकि वर्ष 2022 में 778 महिलाओं का अपहरण हुआ वहीं दुष्कर्म की कोशिश के भी 18 मामले सामने आए हैं।
उत्तराखंड जिसे देवभूमि कहा जाता है और अमूमन इसको एक अपराध मुक्त और शांत प्रदेश कहा जाता है,,लेकिन जिस तरह से प्रदेश में अपराध बढ़ रहे हैं उसने कही न कहीं चिंता जरूर पैदा कर दी है,,वो भी खासकर महिला अपराध जिस तरह से प्रदेश में बढ़ा है वो काफी चिंताजनक है जिस तरह अब ये अपराध मैदानों से लेकर पहाड़ की शांत वादियों तक पहुंच चुके हैं उससे प्रदेश की चिंताएं जरूर बढ़ रही है,,,साथ ही एक सवालिया निशान प्रदेश की कानून व्यवस्था पर भी खड़े हो रहे हैं सरकार या उसका क़ानूनी तंत्र पूरी तरह से इन अपराधों के आगे बेबस नजर आ रहा है पिछले साल ही जिस तरह से अंकिता भंडारी केस हुआ था उसके बाद उम्मीद लगाई जा रही थी कि प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम उठाया जायेगा लेकिन ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा है उल्टा सरकार अंकिता के दोषियों को अभी तक सजा नहीं दिला पाई है।इस तरह की हीलाहवाली भी कहीं न कहीं अपराधियों का हौसला बढ़ाने जैसा है।