Day: September 30, 2024

उत्तराखंड में 6.55 लाख लोगों के घर लगाए जाएंगे स्मार्ट मीटर, अब फोन से कर सकेंगे रिचार्ज।

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र्जा निगम ने प्रदेश में बिजली के पुराने मीटरों को बदलकर स्मार्ट मीटर लगाने की कवायद प्रारंभ कर दी है। कुमाऊं में 6.55 लाख उपभोक्ताओं को नए मीटरों से जोड़ा जाना है। इसके लिए निगम ने अडानी समूह की कंपनी से अनुबंध किया है।

अनुबंध होने के बाद कंपनी ने उपभोक्ताओं के स्तर पर सर्वे शुरू कर दिया है। मैदानी में नगर व ग्रामीण दोनों इलाकों में स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे, जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में सिर्फ नगर की परिधि में आने वाले घरों व प्रतिष्ठानों में मीटर बदले जाएंगे।   केंद्र सरकार की पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के अंतर्गत स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाया जा रहा है।

मीटर बदलने का कार्य जारी-

अनुबंधित कंपनी के सर्किल प्रभारी हरीश तिवारी ने बताया कि पहले चरण में ऊर्जा निगम के सभी विद्युत उपकेंद्र को स्मार्ट मीटर के लिए विकसित किया जाना है। इसे लेकर सर्वे हो चुका है और हल्द्वानी क्षेत्र के कुछ उपकेंद्रों में नए स्मार्ट वितरण मीटर लगा दिए गए हैं। साथ ही कुमाऊं के अन्य उपकेंद्रों में भी मीटर बदलने का काम चरणबद्ध तरीके से हो रहा है।

वहीं, उपभोक्ता स्तर का सर्वे प्रारंभ कर दिया गया है। इसमें कंपनी की ओर से नियुक्त सर्वेकर्मी घर-घर जाकर सर्वेक्षण कर रहे हैं। एप्लिकेशन के माध्यम से सर्वे किया जा रहा है और पूरा रिकार्ड आनलाइन दर्ज कर रहे हैं। मंडल में 20 हजार सर्वे पूरा होने पर नए मीटर लगाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी। इसमें सर्वे और मीटर लगाने का काम समानांतर चलेगा।

ऐसे काम करेगा स्मार्ट प्रीपेड मीटर-

घरों में लगे बिजली के मीटर की प्रत्येक माह रीडिंग लेकर मीटर रीडर बिल प्रदान करता है। इसमें महीने में उपयोग की गई बिजली के अनुसार बिल प्राप्त होता है, जबकि स्मार्ट मीटर रिचार्ज आधारित होंगे। जिस तरह से मोबाइल फोन रिचार्ज करने पर संचालित होता है, ठीक उसी प्रकार बिजली के मीटर को भी रीचार्ज करना होगा। ऐसे में रिचार्ज के अनुसार ही बिजली आपूर्ति होगी।

अधिकारियों के अनुसार रिचार्ज खत्म होने के 48 घंटे के भीतर भुगतान करने का मौका मिलेगा। इस अवधि में सप्लाई चालू रहेगी।

मोबाइल एप से कर सकेंगे मीटर रीचार्ज-

स्मार्ट मीटर लगने के बाद उपभोक्ता मोबाइल एप से बिजली खर्च के पल-पल का रिकार्ड देख पाएंगे। इसी से मीटर रिचार्ज भी कर पाएंगे। एप में रिचार्ज खत्म होने को लेकर अलर्ट भी मिलता रहेगा। अनुबंधित कंपनी एप तैयार कर रही है। गूगल प्ले स्टोर और एप स्टोर से इसे डाउनलोड कर पाएंगे।

उपभोक्ता सर्वे में यह पूछा जाएगा-

  • उपभोक्ता संख्या एवं वर्तमान मीटर संख्या
  • उपभोक्ता का मोबाइल नंबर
  • मीटर की वर्तमान रीडिंग
  • बिजली के पुराने बिल

मीटर में लगाया जाएगा एयरटेल का सिम-

स्मार्ट मीटर में मोबाइल की तरह ही सिम कार्ड लगाया जाएगा। मीटर लगा रही कंपनी ने कुमाऊं में निजी दूरसंचार कंपनी एयरटेल के साथ इसके लिए अनुबंध किया है। ऐसे में मंडल के सभी क्षेत्रों में संबंधित कंपनी को अपने नेटवर्क की सुविधा बेहतर तरीके से प्रदान करनी होगी।

सर्वे कर्मियों को बताएं सही मोबाइल नंबर-

स्मार्ट मीटर लगने के बाद उपभोक्ता मोबाइल नंबर काफी अहम हो जाएगा। मीटर रिचार्ज करने के साथ ही उपयोग का विवरण देखने के लिए भी मोबाइल नंबर से ही एप में लागिन करना होगा। ऐसे में घर में सर्वे करने आने वाले कर्मचारी को अपना सही मोबाइल नंबर बताएं। यदि पुराना नंबर या अन्य विवरण परिवर्तित कराना है तो सर्वे के दौरान ही कराया जा सकता है।

 

Uttarakhand: अल्मोड़ा के इस गांव में ग्रामीणों ने लगाया बोर्ड, अब बाहरी व्यक्ति को नहीं बेचेंगे जमीन ।

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प्रदेश में बीते कुछ दिनों से गढ़वाल मंडल के कुछ जिलों में गांवों में बाहरी व्यक्ति के प्रवेश और बाहरी लोगों को जमीन ना बेचने के बोर्ड लगाने का मामले सामने आए थे। ऐसा ही एक मामला अब कुमाऊं से भी सामने आया है। अल्मोड़ा जिले के सल्ट में कालीगाड़ के ग्रामीणों ने भी गांव के प्रवेश पर एक बोर्ड लगाया है। जिसमें लिखा है कि बाहरी व्यक्ति को कोई भी ग्रामीण जमीन नहीं बेचेगा और ना ही अपनी पहचान छिपाकर गांव में घूम सकता है।

अब अल्मोड़ा के इस गांव में भी ग्रामीणों ने लगाया बोर्ड-

प्रदेश में बाहरी व्यक्तियों को जमीन बा बेचने के लिए गांव में लगाए गए बीते कुछ दिनों से चर्चाओं के विषय बने हुए हैं। कुछ गावों में तो विशेष समुदाय के लोगों के आने पर बैन की बातें तक लिखी थी। इसी तरह से कुछ सल्ट के कालीगाड़ के ग्रामीणों ने भी किया है।

अंधाधुंध जमीनों की हो रही खरीद फरोख्त, गांव का माहौल बिगड़ने और प्राकृतिक संसाधनों को दोहन होने से गांव वाले परेशान हैं। जिस कारण उन्होंने गांव में जमीन की खरीद फरोख्त पर रोक लगा दी है। बकायदा इसके लिए गांव के प्रवेश पर एक बड़ा बोर्ड भी लगाया गया है।

पहचान छुपा कर गांव में प्रवेश पर भी बैन-

जहां एक ओर बाहरी व्यक्तियों द्वारा यहां जमीन खरीदने पर बैन लगा दिया गया है। तो वहीं दूसरी ओर पहचान छिपाकर भी कोई बाहरी व्यक्ति गांव में नहीं घूम सकता। अगर कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की बात भी बोर्ड पर लिखी गई है। इस बारे में जब ग्रामीणों से पूछा गया तो उनका कहना है कि अपनी प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने के लिए उन्हें ऐसा कदम उठाना पड़ा है।

सर्वसम्मति से लिया गया है फैसला-

गांव वालों का कहना है कि वो अपने ग्राम प्रधान के आदेश को मानते हैं। लेकिन इसके साथ ही ये फैसला पूरे गांव की सहमति से लिया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सर्व सहमति से लिया गया ये फैसला गांव की भलाई के लिए ही है। इसके साख ही ये कदम उत्तराखंड की उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने का भी एक प्रयास है।