Day: March 23, 2024

Election 2024: तिरस्कार नहीं, सम्मान से जीने का अधिकार चाहिए, जानिए चुनाव में किन्नरों की भूमिका और क्या हैं उम्मीदें।

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उत्तराखंड में 19 अप्रैल को पहले चरण में पांचों लोस सीटों पर मतदान है। आम चुनाव में एक-एक वोट का महत्व है। चुनाव आयोग से लेकर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि हर वर्ग, धर्म, जाति और उम्र के वोटरों को मतदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं। जागरूकता अभियान चला रहे हैं। लोकतंत्र के इस महापर्व में अगर कहीं किसी वोटर की चर्चा नहीं हो रही है, तो वह ट्रांसजेंडर (किन्नर) मतदाता हैं। किन्नर का वोट भी सामान्य वोटर की तरह सरकार बनाने में भूमिका निभाता है। उत्तराखंड में 297 किन्नर मतदाता हैं। किन्नर सरकार से क्या चाहते हैं? किन्नर अखाड़ा परिषद की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से अमर उजाला की खास बातचीत।

समाज में किन्नरों की क्या भूमिका है ?

किन्नर भी इंसान हैं। सामाजिक भेदभाव से किन्नर हाशिये पर हैं। उनको तिरस्कार झेलना पड़ता है। बदलते वक्त के साथ कुछ लोगों का नजरिया उनके प्रति बदला है। खासकर 2021 में हरिद्वार कुंभ मेले में किन्नर अखाड़ा के शाही स्नान और पेशवाई में लोगों ने किन्नरों को बहुत करीब से देखा और समझा है। इससे लोगों में किन्नरों के प्रति भ्रांतियां कम हुई हैं। अधिकतर लोगों की सोच अभी बदलनी बाकी है।

सरकार और राजनीतिक दलों का किन्नरों के प्रति क्या नजरिया है?

सुप्रीम कोर्ट ने किन्नरों को थर्ड जेंडर के रूप में मान्यता दी है। लोकतंत्र में एक आम वोटर की तरह मतदान का अधिकार मिला है। किन्नर सरकार चुनने में अपनी भूमिका निभाते हैं। कोई भी दल वोट मांगने उनके पास नहीं आता है। किन्नर सजग नागरिक की भूमिका निभाते खुद वोट डालने जाते हैं। सरकारों की नजर में किन्नर उपेक्षित हैं। हालांकि, सरकार ने किन्नरों को कुछ अधिकार जरूर दिए हैं, लेकिन धरातल में उनको लागू नहीं किया जाता है।

वोट के बदले नई सरकार से किन्नरों को क्या उम्मीदें हैं?

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की तरह सरकार को किन्नर बचाओ-किन्नर पढ़ाओ जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। किन्नर बच्चे भी पढ़ना चाहते हैं, लेकिन उनके लिए माहौल नहीं होता। स्कूलों में शिक्षक से लेकर बाकी छात्रों के बीच भेदभाव झेलना पड़ता है। जिसके चलते किन्नर के बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं। अशिक्षा से समाज की मुख्य धारा से कट जाते हैं। किन्नर बच्चों के लिए अलग से योजना बनाने की जरूरत है।क्या नाच-गाना ही किन्नरों का पेशा है या मजबूरी ?

कई किन्नर पढ़े-लिखे हैं। कॉरपोरेट जगत ने उनके लिए नौकरी के दरवाजे खोले हैं। कई शहरों में किन्नर नौकरी कर आम इंसान की तरह जीवन यापन कर रहे हैं। सरकार को भी चाहिए कि किन्नरों के लिए हर विभाग में नौकरी के दरवाजे खोले। उनके लिए अल्पसंख्यक कोटे का आरक्षण लागू किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यक का दर्जा देने के आदेश दिए भी हैं। कोई भी किन्नर अपनी मर्जी से नाच-गाना या ताली बजाकर मांगकर खाना नहीं चाहता है। वह भी सिर उठाकर समाज में जीना चाहता है।

 

किन्नरों की आबादी अधिक और वोटर संख्या कम क्यों है और क्या वजह है ?

किन्नरों की वास्तविक संख्या आयोग की मतदाता सूची की तुलना में काफी अधिक है। कुछ किन्नर जागरूकता के अभाव में अपना नाम वोटर लिस्ट में दर्ज नहीं करा पाते हैं। आयोग की ओर से किन्नरों को वोटर आईडी बनाने के लिए जागरूक भी नहीं किया जाता है, जबकि काफी संख्या में किन्नर महिला और पुरुष वोटर के रूप में दर्ज हैं।क्या किन्नर बीमार नहीं पड़ते, कहां इलाज करवाते हैं?

किन्नर भी हाड़-मांस के बने हैं और उनके शरीर में भी खून दौड़ता है। आम इंसान की तरह उनको भी बीपी, शुगर और अन्य बीमारियां होती हैं। अस्पताल में उनके साथ भेदभाव होता है। अपमानजनक शब्दों से पुकारते हैं। किन्नरों के इलाज के लिए अस्पताल में अलग व्यवस्था होनी चाहिए।

किन्नर मतदाताओं के लिए कोई पैगाम देना चाहें तो क्या कहेंगी?

मैं खुद हर चुनाव में मतदान करती हूं। अखाड़ों से जुड़े किन्नरों को इसके लिए प्रेरित करती हूं। लोस चुनाव से किन्नरों से निवेदन करूंगी कि वह मताधिकार जरूर करें। अपने अधिकार पाने के लिए वोट ही उनका सबसे बड़ा हथियार है। उम्मीद करूंगी कि आयोग भी किन्नरों की बस्ती में जाकर उनको मताधिकार का लिए जागरूक कराए।

भरतनाट्यम पोस्ट ग्रेजुएट हैं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी-

लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ब्राह्मण परिवार से हैं। महाराष्ट्र के ठाणे में 13 दिसंबर 1978 को जन्मी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी भरतनाट्यम में पोस्ट ग्रेजुएट हैं। पहली बार टीवी शो बिग बॉस के पांचवें सीजन में कंटेस्टेंट रहने के बाद चर्चाओं में आई। उनकी लिखी किताब ”मी हिजड़ा, मी लक्ष्मी” ने उनको देशभर में सुर्खियां दिलाई। 2021 में किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर की पदवी पर बैठने से देश-दुनिया उनसे रूबरू हुई। लक्ष्मी नारायण 2008 में संयुक्त राष्ट्र के एशिया पैसिफिक सम्मेलन में प्रतिनिधित्व करने वाली पहली ट्रांसजेंडर हैं। वो कोरियोग्राफर और मॉडल के रूप में कार्य भी कर चुकी हैं। हिंदी, मराठी, गुजराती, बांग्ला, अंग्रेजी, जर्मन और फ्रेंच जैसी भाषा बोलती हैं।

 

Election 2024: भाजपा से अल्मोड़ा लोकसभा सीट के प्रत्याशी अजय टम्टा की 5 साल में चार गुना हो गई संपत्ति।जानिए कितनी है उनकी संपत्ति.

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भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा की पांच वर्ष में चल संपत्ति में चार गुना तो अचल संपत्ति दो गुना से ज्यादा बढ़ गई है। वर्ष 2019 में अजय टम्टा ने नामांकन के समय जो शपथ पत्र प्रस्तुत किए उसके अनुसार उनके पास 6,49,744 रुपये की चल संपत्ति थी जो सिर्फ पांच साल में चार गुना बढ़कर 26,58,611 पहुंच गई है। उनकी अचल संपत्ति में भी करीब 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

राज्य गठन के बाद अल्मोड़ा संसदीय सीट वर्ष 2009 में पहली बार आरक्षित हुई। कांग्रेस ने प्रदीप टम्टा तो भाजपा ने अजय टम्टा को मैदान में उतारा। कड़े मुकाबले में प्रदीप टम्टा ने अजय टम्टा को हराकर संसद का सफर तय किया। इसके ठीक पांच वर्ष बाद 2014 हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने फिर से अजय टम्टा पर भरोसा जताते हुए उन्हें मैदान में उतारा, जिस पर वह खरे उतरे और अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी को हरा दिया।  इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार दूसरी बार 2019 में भी जीत दर्ज की। इस चुनाव में नामांकन पत्र दाखिल करते समय उन्होंने संपत्ति का ब्योरा भी प्रस्तुत किया। इसके तहत तब उनके पास 6,49,744 और 37,31,375 रुपये कीमत की अचल संपत्ति थी। इस बार के लोकसभा चुनाव में उनकी चल संपत्ति 26,58,611 रुपये है जबकि अचल संपत्ति दो गुना से ज्यादा बढ़कर 75,40,000 रुपये हो गई है।

स्नातक भी बने अजय-


अल्मोड़ा संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा ने पांच सालों में संपत्ति के साथ ही शैक्षिक योग्यता भी बढ़ाई है। उन्होंने पांच सालों के बीच स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ से स्नातक की डिग्री भी हासिल की है। 2019 के लोकसभा चुनाव तक उनकी शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट थी।  1993 में सक्रिय राजनीति में उतरने के चलते वह आगे की पढ़ाई नहीं कर सके। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में भरे शपथ पत्र में अपनी शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट दर्ज की थी। इस बार स्नातक की डिग्री के साथ वह मैदान में हैं।

संपत्ति का ब्योरा-


नकदी 10,50,000 रुपये
वाहन : मारुति स्विफ्ट डिजायर, टोयोटा फार्चूनर
जेवरात-
सोना : सात तोला
चांदी : 20 ग्राम
पत्नी की संपत्ति
सोना : 10 तोला
चांदी : 50 ग्राम
कुल चल संपत्ति की कीमत
26,58,611 रुपये,
पत्नी के नाम-10,51,877,
पुत्री के नाम-11,31,173 रुपये
अचल संपत्ति
75,40000 रुपये
बैंक ऋण-19,09,642 रुपये

अजय टम्टा ने किया नामांकन पत्र दाखिल-
अल्मोड़ा संसदीय सीट पर भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा ने नामांकन पत्र दाखिल किया। सादगी के साथ वह नामांकन पत्र दाखिल करने कलेक्ट्रेट पहुंचे और जिला निर्वाचन अधिकारी विनीत तोमर को नामांकन पत्र सौंपा। इस दौरान उनकी पत्नी सोनम टम्टा भी मौजूद रहीं। अल्मोड़ा संसदीय सीट पर भाजपा नामांकन पत्र दाखिल करने में अव्वल रही।

पार्टी प्रत्याशी अजय टम्टा ने शुक्रवार को विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद कलेक्ट्रेट पहुंचकर नामांकन पत्र दाखिल किया। उनके साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या, डीडीहाट विधायक विशन सिंह चुफाल, कपकोट विधायक सुरेश गढ़िया, रानीखेत विधायक डॉ. प्रमोद नैनवाल, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष कैलाश शर्मा भी कलेक्ट्रेट पहुंचे। उनके नामांकन पत्र दाखिल करने पर सभी नेताओं के साथ ही पार्टी पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं ने उन्हें बधाई दी।