नोएडा और ग्रेटर नोएडा में प्राधिकरण से बेहतर मुआवजे की मांग को लेकर किसान दिल्ली के लिए कूच कर चुके हैं। इस कारण नोएडा से दिल्ली आने वाले रास्तों पर भारी जाम लग गया है। प्रशासन ने सख्ती से किसानों को दिल्ली आने से रोकने की कोशिश कर उन्हें दिल्ली बॉर्डर पर ही रोक दिया है। इससे किसान आंदोलन जैसी स्थिति बनती दिख रही है। लेकिन सरकार के लिए आने वाले समय में किसानों के मोर्चे पर परेशानी बढ़ सकती है। संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी को पूरे देश में राष्ट्रीय स्तर पर ग्रामीण भारत बंद करने का निर्णय लिया है। इस आंदोलन को विपक्ष के कुछ बड़े राजनीतिक दलों का समर्थन भी मिलने का दावा किया जा रहा है।
उत्तराखंड में भी प्रवर्तन निदेशालय यानी ED की एंट्री हो गई है ईडी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस के नेता हरक सिंह रावत के 10 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी है. उत्तराखंड से लेकर दिल्ली और चंडीगढ़ में छापा मारा है। तीन राज्यों के 15 से अधिक ठिकानों पर ईडी का तलाशी अभियान चल रहा है।
उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 6000 पेड़ों के अवैध कटान और इसके आसपास अवैध रूप से निर्माण के मामले में जांच चल रही है सीबीआई इस पूरे प्रकरण पर पहले ही नैनीताल हाई कोर्ट के निर्देश पर जांच कर रही है जबकि कई गड़बड़ियां पकड़े जाने के बाद उत्तराखंड वन विभाग के कई IFS अधिकारियों को ED ने रडार पर ले लिया था और अब हरक सिंह रावत के ठिकानों पर छापेमारी की गई है हालाँकि ये अभी साफ़ नहीं है कि हरक सिंह रावत के घर किस मामले की जांच में ED ने दबिश दी है लेकिन इस छापेमारी में एक शख्स का बयान सामने आया है इस शख्स का दावा था कि उसे किसी अलमारी की चाबी बनाने के लीये हरक सिंह के आवास पर बुलाया गया जिसमें कई फाइलें मौजूद थी जिस समय ED ने हरक सिंह के आवास पर छापा मारा उस समय उनकी पत्नी ही घर पर मौजूद रही।
हरक सिंह की छापेमारी की खबर के बाद उत्तराखंड में तहलका मच गया इस मामले में पूरी कांग्रेस हरक सिंह रावत के साथ एकजुट दिखाई दी सभी कांग्रेसी विधायक उनसे मिलने उनके आवास पहुंचे सभी ने इस कार्रवाई को बदले की कार्रवाई बताया।
पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के अलावा वन विभाग के वरिष्ठ आइएफएस अधिकारी सुशांत पटनायक के घर पर भी ED की रेड की खबर है सुशांत पटनायक एक युवती से छेड़छाड़ के मामले में चर्चाओं में आए थे कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और पेड़ कटान के मामले में भी डीजी फॉरेस्ट की जांच में सुशांत पटनायक का नाम है सुशांत पटनायक उत्तराखंड में ताकतवर अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं हालांकि अभी तक ED की उनके घर पर छापेमारी की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
दिल्ली, उत्तराखंड, चंडीगढ़ समेत 16 जगहों पर ED की छापेमारी चल रही है हरक सिंह रावत के बिधौली स्थित हॉस्टल, और श्रीनगर में उनके होटल, गहेड गांव स्थित उनके पैतृक घर और सहसपुर में उनके आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में भी ईडी की टीम गई है हरक सिंह के बाद ईडी ने पूर्व आएफएस अधिकारी किशन चंद के आवास पर छापा मारा,,मामले में पूर्व डीएफओ किशनचंद की संपत्ति को भी पहले अटैच किया जा चुका है।
हरक सिंह रावत 2022 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इसके बाद से ही ऐसा लगता है कि उनकी मुश्किल बढ़ गई हैं. हरक सिंह रावत अभी लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में भी जुटे हुए हैं. हरिद्वार सीट से उनकी तैयारी चल रही हैं।
उत्तराखंड देश का पहला वो राज्य बन सकता है जो सबसे पहले समान नागरिक संहिता यानी (यूसीसी) लागू कर सकता है। चार फरवरी को उत्तराखंड कैबिनेट से यूसीसी विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद उसे आज विधानसभा में पेश किया गया। अब राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद विधेयक कानून बन जाएगा।
आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पेश किया। समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पेश करने के बाद राज्य विधानसभा में विधायकों ने वंदे मातरम और जय श्री राम के खूब नारे लगाए। जानिए उत्तराखंड में UCC लागू होने से क्या कुछ बदलेगा।
समान नागरिक संहिता विधेयक पास होने के बाद ये कानून बन जाएगा। इसके साथ ही उत्तराखंड देश में यूसीसी लागू करने वाला आजादी के बाद पहला राज्य होगा। सूत्रों के अनुसार, मसौदे में 400 से ज्यादा धाराएं हैं, जिसका लक्ष्य पारंपरिक रीति-रिवाजों से पैदा होने वाली विसंगतियों को दूर करना है।
समान नागरिक संहिता के प्रबल हिमायती एडवोकेट अश्वनी उपाध्याय के मुताबिक, समान नागरिक संहिता लागू नहीं होने से कई समस्याएं हैं। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं।
कुछ कानून में बहुविवाह करने की छूट है। चूंकि हिंदू, ईसाई और पारसी के लिए दूसरा विवाह अपराध है और सात वर्ष की सजा का प्रावधान है। इसलिए कुछ लोग दूसरा विवाह करने के लिए धर्म बदल लेते हैं। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने के बाद बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी।
विवाह की न्यूनतम उम्र कहीं तय तो कहीं तय नहीं है। एक धर्म में छोटी उम्र में भी लड़कियों की शादी हो जाती है। वे शारीरिक व मानसिक रूप से परिपक्व नहीं होतीं। जबकि अन्य धर्मों में लड़कियों के 18 और लड़कों के लिए 21 वर्ष की उम्र लागू है। कानून बनने के बाद युवतियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल तय हो जाएगी।
इसके साथ ही लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद उत्तराखंड में लिव इन रिलेशनशिप का वेब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। रजिस्ट्रेशन न कराने पर युगल को छह महीने का कारावास और 25 हजार का दंड या दोनों हो सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के तौर पर जो रसीद युगल को मिलेगी उसी के आधार पर उन्हें किराए पर घर, हॉस्टल या पीजी मिल सकेगा। यूसीसी में लिव इन रिलेशनशिप को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। इसके मुताबिक, सिर्फ एक व्यस्क पुरुष व वयस्क महिला ही लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे। वे पहले से विवाहित या किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप या प्रोहिबिटेड डिग्रीस ऑफ रिलेशनशिप में नहीं होने चाहिए। पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।
कानून लागू होने के बाद विवाह पंजीकरण कराना होगा। अगर ऐसा नहीं कराया तो किसी भी सरकारी सुविधा से वंचित होना पड़ सकता है।
एक कानून में मौखिक वसीयत व दान मान्य है। जबकि दूसरे कानूनों में शत प्रतिशत संपत्ति का वसीयत किया जा सकता है। यह धार्मिक यह मजहबी विषय नहीं बल्कि सिविल राइट या मानवाधिकार का मामला है। एक कानून में उत्तराधिकार की व्यवस्था अत्यधिक जटिल है। पैतृक संपत्ति में पुत्र व पुत्रियों के मध्य अत्यधिक भेदभाव है। कई धर्मों में विवाहोपरांत अर्जित संपत्ति में पत्नी के अधिकार परिभाषित नहीं हैं। विवाह के बाद बेटियों के पैतृक संपत्ति में अधिकार सुरक्षित रखने की व्यवस्था नहीं है। ये अपरिभाषित हैं। इस कानून के लागू होने के बाद उत्तराधिकार की प्रक्रिया सरल बन जाएगी।
कानून लागू होने के बाद नौकरीपेशा बेटे की मौत की स्थिति में बुजुर्ग मां-बाप के भरण-पोषण की पत्नी पर जिम्मेदारी होगी। उसे मुआवजा भी मिलेगा। पति की मौत की स्थिति में यदि पत्नी दोबारा विवाह करती है तो उसे मिला हुआ मुआवजा मां-बाप के साथ साझा किया जाएगा।
कानून लागू होने के बाद राज्य में मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार मिलेगा। गोद लेने की प्रक्रिया आसान होगी। इसके साथ ही अनाथ बच्चों के लिए संरक्षकता की प्रक्रिया सरल होगी। कानून लागू होने के बाद दंपति के बीच झगड़े के मामलों में उनके बच्चों की कस्टडी उनके दादा-दादी को दी जा सकती है।
पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग-अलग ग्राउंड हैं।
UCC से पहले की तलाक लेने की प्रक्रिया-
अगर इस्लाम के तीनों तलाक प्रक्रिया की तुलना करें तो ये काफी अलग हैं। तीन तलाक झटके में किसी भी माध्यम से तीन बार तलाक बोलकर दिया जा सकता है। इसमें तो कई बार लोग फोन पर मैसेज या कॉल के माध्यम से तलाक दे दिया करते थे। तलाक-ए-हसन और तलाक-ए-अहसन में तलाक की एक प्रक्रिया और निश्चित अवधि होती है। इन दोनों प्रक्रियाओं में पति पत्नी को फैसला लेने के लिए वक्त मिलता है। इसके अलावा मुस्लिम समाज में महिलाओं के तलाक लेने के लिए भी विकल्प है। महिलाएं खुला तलाक ले सकती हैं। कोर्ट के हस्तक्षेप के बिना कोई महिला खुला तलाक के तहत पति से तलाक लेने की बात कर सकती है। हालांकि इस तरह के तलाक में महिला को मेहर यानी निकाह के समय पति की तरफ से दिए गए पैसे चुकाने होते हैं। साथ ही खुला तलाक में पति की रजामंदी भी जरूरी होती है।
दरअसल, उत्तराखंड सरकार ने मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी। सरकार ने एक अधिसूचना 27 मई 2022 को जारी की गई थी और शर्तें 10 जून 202 को अधिसूचित की गई थीं। समिति ने बैठकों, परामर्शों, क्षेत्र के दौरे और विशेषज्ञों और जनता के साथ बातचीत के बाद मसौदा तैयार किया। इस प्रक्रिया में 13 महीने से अधिक का समय लगा। जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी पहली बैठक 4 जुलाई 2022 को दिल्ली में की थी। मसौदे के महत्वपूर्ण पहलुओं पर जुलाई 2023 में एक मैराथन बैठक में विचार-विमर्श किया गया और इसे अंतिम रूप दिया गया। कमेटी को समान नागरिक संहिता पर ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से करीब 20 लाख सुझाव मिले हैं। इनमें से कमेटी ने लगभग ढाई लाख लोगों से सीधे मिलकर इस मुद्दे पर उनकी राय जानी है।
जानिए क्या है समान नागरिक संहिता ?
समान नागरिक संहिता का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता लागू होने से सभी धर्मों का एक कानून होगा। शादी, तलाक, गोद लेने और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा।
यह मुद्दा कई दशकों से राजनीतिक बहस के केंद्र में रहा है। UCC केंद्र की मौजूदा सत्ताधारी भाजपा के लिए जनसंघ के जमाने से प्राथमिकता वाला एजेंडा रहा है। भाजपा सत्ता में आने पर UCC को लागू करने का वादा करने वाली पहली पार्टी थी और यह मुद्दा उसके 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणा पत्र का भी हिस्सा था।
केंद्रीय जांच एजेंसी ‘ईडी’, के रडार पर विभिन्न राज्यों के 17 मौजूदा एवं पूर्व मुख्यमंत्री हैं। इनमें कुछ मुख्यमंत्रियों से पूछताछ हो चुकी है, तो कई सियासतदानों का नंबर लगना बाकी है। ईडी जांच की रडार, केवल मुख्यमंत्रियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके निशाने पर पूर्व केंद्रीय गृह/वित्त/रेलवे जैसे बड़े मंत्रालयों का कार्यभार संभाल चुके नेता भी रहे हैं। जांच एजेंसी की इस फेहरिस्त में चार मौजूदा एवं पूर्व डिप्टी सीएम भी शामिल हैं। इनके अलावा देश के अन्य सियासतदान व उनके परिजन भी जांच एजेंसी के निशाने पर आ चुके हैं।
सोनिया गांधी से लेकर खरगे तक-
ईडी के निशाने पर आने वाले विपक्षी नेताओं में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, लालू प्रसाद यादव और राकांपा संस्थापक शरद पवार जैसे कई दिग्गज नेता रहे हैं। गत वर्ष केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाने वाली कई विपक्षी पार्टियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी थी। इनमें टीएमसी, आप, आरजेडी, नेशनल कांफ्रेंस, केसीआर की पार्टी, सपा और उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) आदि दल शामिल थे। इन सभी दलों के नेता जांच एजेंसियों के निशाने पर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल ने कहा था, हमारे देश के प्रधानमंत्री ने ठान लिया है कि अगर भाजपा को वोट नहीं दोगे और किसी दूसरी पार्टी को वोट दोगे, तो उस सरकार को किसी भी हाल में काम नहीं करने दिया जाएगा। किसी राज्य में दूसरी पार्टी की सरकार बनती है, तो उसके नेताओं के पीछे ईडी और सीबीआई छोड़ दी जाती है। अब केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि उन पर भाजपा में शामिल होने का दबाव बनाया जा रहा है। आप विधायकों को लालच देने की कोशिश हो रही है।
ईडी के रडार पर आए मौजूदा एवं पूर्व मुख्यमंत्री-
बिहार के पूर्व सीएम एवं केंद्रीय रेल मंत्री रहे लालू प्रसाद यादव एवं उनके परिवार के सदस्यों से जमीन के बदले नौकरी, घोटाले में पूछताछ की जा रही है। यह मामला सीबीआई द्वारा दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में ईडी ने भी इस केस की जांच शुरू की। छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ भी ईडी की जांच चल रही है। इनमें कोयला ट्रांसपोर्टेशन व महादेव गेमिंग एप आदि शामिल हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मानेसर जमीन मामला और पंचकुला के ‘एजेएल’ केस में ईडी को जांच का सामना करना पड़ रहा है। राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत भी जांच एजेंसियों के निशाने पर रहे हैं। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में लिए गए कई फैसलों और विकास योजनाओं के मामले की जांच केंद्रीय एजेंसियां कर चुकी हैं। सपा प्रमुख और पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी सीबीआई व ईडी के रडार पर रहे हैं। इनमें गोमती रिवर फ्रंट और माइनिंग घोटाला जैसे केस शामिल हैं।
हल्द्वानी में देर शाम सात बजे एक युवती का अपहरण हो जाता है। उसे कार में हल्द्वानी की सड़कों पर तीन घंटे घुमाया जाता है। तीन घंटे उसके साथ गैंगरेप होता है। उधर पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगती है। इस पर पुलिस की गश्त और हल्द्वानी क्षेत्र में लगे सैकड़ों सीसीटीवी की मॉनिटरिंग पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
हल्द्वानी की शांत गलियों में इससे पहले सड़क से अपहरण और कार में तीन घंटे तक गैंगरेप का मामला सामने नहीं आया है। एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा ने हाल ही में क्राइम मीटिंग ली थी। क्राइम मीटिंग में अधीनस्थों को रात में गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए थे। एसएसपी के आदेशों का अधीनस्थों में कोई असर नहीं दिखा।हाल ही में एसपी सिटी हरबंस सिंह ने लामाचौड़ चौकी में छापा मारा था। छापे में सभी पुलिसकर्मी जुआ खेलते मिले थे। एसपी सिटी की रिपोर्ट पर एसएसपी ने पूरी चौकी लाइन हाजिर कर दी। इसके बाद भी पुलिस कर्मियों में खौफ नहीं दिखा।
शनिवार देर शाम एक युवती का अपहरण हो जाता है। हल्द्वानी की गलियों में उसके साथ चलती कार में गैंगरेप किया जाता है। पीड़िता की तहरीर के अनुसार उसे शराब पिलाई जाती है। उसे हल्द्वानी शहर की कई सड़कों पर तीन घंटे कर दौड़ती रहती है। कार की स्पीड 20 किलोमीटर प्रति घंटा भी मान ली जाए तो शहर में कार तीन घंटे में 60 किलोमीटर चली होगी। इस दौरान युवती भी चिल्लाई होगी। कई बार ये कार कई चौराहे से गुजरी होगी। मुखानी चौराहे पर युवती को उतार दिया जाता है। तो उसके कपड़े भी तितर-बितर हुए होंगे। इसके बाद भी पुलिस और लोगों की नजर उस युवती पर क्यों नहीं पड़ी। कोई उसकी मदद को क्यों नहीं आया।
ढाई साल में 271 दुष्कर्म के मामले आए सामने-
हल्द्वानी में ढाई साल की बात करें तो नाबालिग से दुष्कर्म के 271 मामले सामने आए। इन घटनाओं में पुलिस ने 375 लोगों पर मुकदमा कर जेल भेजा है। मानवता और मर्यादा को शर्मसार करने वाली इन घटनाओं पर लगाम लगाने में सिस्टम की नाकामी साफ झलकती है। महिला अपराध लगातार बढ़ने से नैनीताल जिला असुरक्षित होता जा रहा है। किशोरियों से दुष्कर्म के बढ़ते मामले पुलिस के साथ समाज की चिंता बढ़ा रहे हैं। यह हम नहीं बल्कि पिछले सालों के महिला अपराध के आंकड़े बताते हैं। जिले में बीते ढाई साल में पॉक्सो से जुड़े 271 मामलों में 375 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है।
भारतीय वायु सेना 17 फरवरी को पोखरन फायरिंग रेंज में अभ्यास ‘वायु शक्ति 2024’ के दौरान अपनी शक्ति का प्रदर्शन करेगी। वायु सेना इस दौरान अपनी युद्धक और प्रहार क्षमता दुनिया को दिखाएगी।
वायु सेना प्रमुख एयर मार्शल एपी सिंह ने बताया कि लड़ाकू विमान राफेल भी इस अभ्यास में शिरकत करेगा। इसके अलावा प्रचंड और अपाचे हेलीकॉप्टर भी पहली बार अभ्यास में हिस्सा लेंगे। पोखरन फायरिंग रेंज राजस्थान में भारत पाकिस्तान सीमा के नजदीक है।
एक फरवरी को पेश किए गए अंतरिम बजट में कहने के लिए सरकार ने कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है, लेकिन इसके बाद भी बजट की तमाम योजनाओं से किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत करने का काम किया गया है। सीधे तौर पर किसानों और ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था से जुड़े कई ऐसे कदम इस अंतरिम बजट में उठाए गए हैं, जिससे किसानों को आर्थिक तौर पर सशक्त करने में मदद मिलेगी।
कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि कोई नई बड़ी घोषणा न करके सरकार ने इस बार अंतरिम बजट की मर्यादा रखी है। यह केवल लोकसभा चुनाव होने तक आवश्यक खर्च के लिए संसद से अनुमति लेने का बजट होता है। सरकार इसमें कोई नई बड़ी घोषणा नहीं कर सकती। चुनावी साल में यह अधिकार आने वाली नई सरकार के पास होता है। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले पीएम किसान सम्मान निधि की बड़ी घोषणा कर सरकार ने यह मर्यादा तोड़ी थी। माना जाता है कि उसे इस चुनावी घोषणा का बड़ा लाभ मिला था।
कोई बड़ी घोषणा न करने से मोदी सरकार का यह आत्मविश्वास भी साफ़ दिखाई पड़ता है कि वह किसी लोकप्रिय घोषणा के बिना भी चुनाव जीत सकती है। पीएम किसान सम्मान निधि, पीएम आवास योजना, उज्ज्वला योजना और राशन योजना जैसी कई योजनाएं हैं जिसका लाभ करोड़ों लोगों को मिल रहा है। सरकार का अनुमान है कि ये लाभार्थी उसे दोबारा सरकार में आने में मदद करेंगे।
हालांकि, कृषि क्षेत्र के लोग यह मान रहे थे कि केंद्र सरकार पीएम किसान निधि के अंतर्गत किसानों को दी जा रही आर्थिक सहायता (6,000 रुपये प्रति वर्ष) की राशि बढ़ा सकती है। फिलहाल आवश्यक खर्चों के दबाव में सरकार ने ऐसी कोई लोकप्रिय घोषणा करने से परहेज बरता है। लेकिन इसके बाद भी बजट में ऐसे कई प्रावधान किये गए हैं जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर करने में मदद मिलेगी।
देविंदर शर्मा के अनुसार, बजट में ग्रामीण क्षेत्रों में दो करोड़ पीएम आवास बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इन घरों को बनाने में ग्रामीण लोगों को ही रोजगार मिलेगा। साथ ही गृह निर्माण की वस्तुओं की खपत बढ़ेगी। इससे भी इन क्षेत्रों के उद्योगों और ग्रामीणों को आर्थिक मदद मिलेगी। सरकार ने घर निर्माण में भी सहायता देने की घोषणा की है। इसका असर भी ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति बेहतर करेगी।
स्वयं सहायता समूहों से ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। वे अपने घर को संभालने के साथ-साथ रोजगार के काम कर पाती हैं। इन समूहों में किसानों के घरों की महिलाएं ही काम करती हैं। इसलिए इससे भी किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।
आशा बहनों को आयुष्मान योजना का लाभ –
सरकार ने सभी आशा बहनों को आयुष्मान योजना का लाभ देने का निर्णय लिया है। इससे ग्रामीण महिलाओं को अपना इलाज कराने में पैसा नहीं खर्च करना पड़ेगा। अब तक इलाज में भारी पैसा खर्च होने से लोगों की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती थी। लेकिन अब आशा बहनों के परिवारों के साथ ऐसा नहीं होगा।
मछली पालन का काम ज्यादातर मामलों में बड़े औद्योगिक घरानों के कारोबारी नहीं करते। यह काम गांव-देहात में बसे छोटे-छोटे किसान ही करते हैं। केंद्र सरकार ने मत्स्य योजना को ज्यादा बढ़ावा देने की रणनीति बनाई है। किसानों को इसका भी लाभ मिलेगा। साथ ही जैविक क्षेत्र को बढ़ावा देकर, नैनो खादों का विकास कर भी किसानों की लागत कम करने की कोशिश की गई है।
सरकार ने एक करोड़ घरों में सौर ऊर्जा संयंत्रों को बढ़ावा देने का लक्ष्य निर्धारित किया है। यानी, अब किसान अपने घरों या खाली जमीन पर सोलर प्लांट लगाकर न केवल मुफ्त बिजली प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि अतिरिक्त बिजली को बेचकर हर महीने 15-20 हजार रुपये की कमाई भी कर सकते हैं। इससे देश के किसानों की तस्वीर बदल सकती है।
ये है चुनौती-
देश की 60 फीसदी आबादी आज भी गांवों में रहती है। इन्हें रोजगार के लिए कृषि क्षेत्र पर ही निर्भर करना पड़ता है। लेकिन कृषि क्षेत्र में केवल 1.8 फीसदी की वृद्धि हो रही है, जबकि आबादी का अनुपात कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। यानी इसके बाद भी कृषि क्षेत्र में कम तेज वृद्धि के कारण रोजगार की चुनौती बनी रह सकती है।
वित्त मंत्री ने संसद में पेश बजट के दौरान कहा कि गरीबों, महिलाओं, युवाओं और किसानों की आवश्यकताएं, आकांक्षाएं और कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए बताया…
- हमारी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में करीब 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं।
- 78 लाख स्ट्रीट वेंडर को मदद दी गई है।
- मत्स्य संपदा योजना से 55 लाख लोगों को नया रोजगार मिला।
- पीएम आवास योजना के तहत तीन करोड़ घर बनाए गए हैं।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत अगले 5 साल में ग्रामीण इलाकों में दो करोड़ घर बनाए जाएंगे।
- सरकार मध्यमवर्गीय लोगों के लिए भी आवासीय योजना लाएगी।
महिलाओं को बनाया जा रहा आत्मनिर्भर-
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में बताया कि पिछले 10 वर्षों में सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए बहुत सारे कार्य किए गए हैं। पीएम आवास योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में 70% से अधिक घरों की मालकिन महिलाएं हैं।
उन्होंने बताया कि मुद्रा योजना के अंतर्गत महिलाओं को 30 करोड़ रुपये से अधिक ऋण दिए गए हैं। करीब एक करोड़ महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं। अब हमारी सरकार का लक्ष्य तीन करोड़ लखपति दीदी बनाने का है। इस योजना से महिलाओं के जीवन में बदलाव और आत्मनिर्भरता आई है।
वित्त मंत्री के मुताबिक, हमारी सरकार सर्वाइकल कैंसर के टीकाकरण पर ध्यान देगी। मातृ और शिशु देखरेख की योजनाओं को व्यापक कार्यक्रम के अंतर्गत लागू किया जाएगा। 9-14 साल की लड़कियों के टीकाकरण पर ध्यान दिया जाएगा।
सीतारमण ने कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें उनके अधिकार दिलाने के लिए तीन तलाक को गैरकानूनी घोषित किया है। महिलाओं को संसद में आरक्षण देने के लिए कानून लाया गया है।
किसानों को मिली ये सौगात-
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट पेश करते हुए बताया कि चार करोड़ किसानों को पीएम फसल बीमा योजना का लाभ दिया जा रहा है। पीएम किसान योजना से 11.8 करोड़ लोगों को आर्थिक मदद मिली है। आम लोगों के जीवन में बदलाव लाने का प्रयास किया जा रहा है।
युवाओं के लिए भी खुले अवसर-
युवाओं को सशक्त बनाने पर भी काम किया है। 3000 नए आईटीआई खोले गए हैं। 54 लाख युवाओं को कौशल योजना के तहत प्रशिक्षित किया गया है। एशियाई खेलों में भारत के युवाओं को कामयाबी मिली है।