Month: February 2024

केंद्र सरकार के लिए फिर मुसीबत बनेंगे किसान, संसद को घेरने की तैयारी.

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नोएडा और ग्रेटर नोएडा में प्राधिकरण से बेहतर मुआवजे की मांग को लेकर किसान दिल्ली के लिए कूच कर चुके हैं। इस कारण नोएडा से दिल्ली आने वाले रास्तों पर भारी जाम लग गया है। प्रशासन ने सख्ती से किसानों को दिल्ली आने से रोकने की कोशिश कर उन्हें दिल्ली बॉर्डर पर ही रोक दिया है। इससे किसान आंदोलन जैसी स्थिति बनती दिख रही है। लेकिन सरकार के लिए आने वाले समय में किसानों के मोर्चे पर परेशानी बढ़ सकती है। संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी को पूरे देश में राष्ट्रीय स्तर पर ग्रामीण भारत बंद करने का निर्णय लिया है। इस आंदोलन को विपक्ष के कुछ बड़े राजनीतिक दलों का समर्थन भी मिलने का दावा किया जा रहा है।

मिली जानकारी के अनुसार, 16  फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसान संगठन एक दिन के लिए भारत बंद रखेंगे। सुबह नौ बजे से शाम चार बजे के बीच पूरे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदर्शन और रैलियां निकाले जाने की योजना है। इसका आयोजन भी स्वामीनाथन आयोग के अनुसार सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा और मनरेगा से किसानी को जोड़ने जैसी मांगों को लेकर की जायेगी। किसानों का आरोप है कि उनके आंदोलन को समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार ने जो वादे किए थे, वह पूरे नहीं हुए।इसी दिन विभिन्न विभागों के वामपंथी श्रमिक संगठनों ने भी एक दिन के बंद का आह्वान किया है। इससे भी किसान आंदोलन को मजबूती मिल सकती है। इसके साथ कुछ अन्य वर्गों को भी जोड़ने की कोशिश की जा रही है। बेरोजगारी के मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे युवाओं को भी इससे जोड़ने की तैयारी की जा रही है।
संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके सहित कुछ विपक्षी दलों का भी इस आंदोलन को समर्थन मिल सकता है। इससे इसका असर बढ़ सकता है। विशेषकर दक्षिण भारत और पूर्वी हिस्से में इसका असर होने की बात कही जा रही है। लोकसभा चुनावों के ठीक पहले इस तरह का प्रदर्शन कर किसान सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति अपना रहे हैं। किसानों ने पश्चिम बंगाल चुनाव के पहले इसी तरह अभियान चलाया था। माना जाता है कि तृणमूल कांग्रेस को इसका लाभ मिला था। अब लोकसभा चुनाव के ठीक पहले भी किसानों का मुद्दा गरमाने की कोशिश की जा रही है।

किसानों के लिए बड़े काम का दावा-

किसान संगठनों के आरोपों से उलट केंद्र सरकार का दावा है कि उसने किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिए बड़ा काम किया है। किसानों को प्रतिवर्ष 6000 रुपये की नकद आर्थिक सहायता, किसान क्रेडिट कार्ड देकर खाद-बीज खरीदने में सहायता, पीएम आवास के तहत गरीब किसानों को आवासीय सहायता, आयुष्मान योजना के जरिये बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सहायता दी जा रही है। मिलेट फ़ूड को बढ़ावा देकर भी गरीब किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने की कोशिश हुई है।

ED: कांग्रेस नेता हरक सिंह के घर पर ईडी की छापेमारी से हड़कंप, उत्तराखंड से दिल्ली तक 15 से अधिक ठिकानों पर छापा।

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उत्तराखंड  में भी प्रवर्तन निदेशालय यानी ED की एंट्री हो गई है ईडी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस के नेता हरक सिंह रावत  के 10 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी है. उत्तराखंड से लेकर दिल्ली और चंडीगढ़ में छापा मारा है। तीन राज्यों के 15 से अधिक ठिकानों पर ईडी का तलाशी अभियान चल रहा है। 


उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व  में 6000 पेड़ों के अवैध कटान और इसके आसपास अवैध रूप से निर्माण के मामले में जांच चल रही है सीबीआई इस पूरे प्रकरण पर पहले ही नैनीताल हाई कोर्ट  के निर्देश पर जांच कर रही है जबकि कई गड़बड़ियां पकड़े जाने के बाद उत्तराखंड वन विभाग के कई IFS अधिकारियों को ED ने रडार पर ले लिया था और अब हरक सिंह रावत  के ठिकानों पर छापेमारी की गई है हालाँकि ये अभी साफ़ नहीं है कि हरक सिंह रावत के घर  किस मामले की जांच में ED ने दबिश दी है लेकिन इस छापेमारी में एक शख्स का बयान सामने आया है इस शख्स का दावा था कि उसे किसी अलमारी की चाबी बनाने के लीये हरक सिंह के आवास पर बुलाया गया जिसमें कई फाइलें मौजूद थी जिस समय ED ने हरक सिंह के आवास पर छापा मारा उस समय उनकी पत्नी ही घर पर मौजूद रही।

हरक सिंह की छापेमारी की  खबर  के बाद उत्तराखंड में तहलका मच गया इस मामले में पूरी कांग्रेस हरक सिंह रावत के साथ एकजुट दिखाई दी सभी कांग्रेसी विधायक उनसे मिलने उनके आवास पहुंचे सभी ने इस कार्रवाई को बदले की कार्रवाई बताया।

पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के अलावा वन विभाग के वरिष्ठ आइएफएस अधिकारी सुशांत पटनायक के घर पर भी ED की रेड की खबर है सुशांत पटनायक एक युवती से छेड़छाड़ के मामले में चर्चाओं में  आए थे कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और पेड़ कटान के मामले में भी डीजी फॉरेस्ट की जांच में सुशांत पटनायक का  नाम है सुशांत पटनायक उत्तराखंड में ताकतवर अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं हालांकि अभी तक ED की उनके घर पर छापेमारी की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

दिल्ली, उत्तराखंड, चंडीगढ़ समेत 16 जगहों पर  ED की छापेमारी चल रही है हरक सिंह रावत के बिधौली स्थित हॉस्टल, और  श्रीनगर में उनके होटल, गहेड गांव स्थित उनके पैतृक घर और सहसपुर में उनके आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में भी ईडी की टीम गई है हरक सिंह के बाद ईडी ने पूर्व आएफएस अधिकारी किशन चंद के आवास पर छापा मारा,,मामले में पूर्व डीएफओ किशनचंद की संपत्ति को भी पहले अटैच किया जा चुका है।

हरक सिंह रावत 2022 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इसके बाद से ही ऐसा लगता है कि उनकी मुश्किल बढ़ गई हैं. हरक सिंह रावत अभी लोकसभा चुनाव  लड़ने की तैयारी में भी जुटे हुए हैं. हरिद्वार सीट से उनकी तैयारी चल रही हैं।

Uttarakhand: UCC विधेयक हुआ पेश, शादी और तलाक से लेकर उत्तराधिकार तक बदल जाएंगे नियम, जानिए UCC से उत्तराखंड में क्या कुछ बदलेगा?

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उत्तराखंड देश का पहला वो राज्य बन सकता है जो सबसे पहले समान नागरिक संहिता यानी (यूसीसी) लागू कर सकता है। चार फरवरी को उत्तराखंड कैबिनेट से यूसीसी विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद उसे आज विधानसभा में पेश किया गया। अब राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद विधेयक कानून बन जाएगा।

आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पेश किया। समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पेश करने के बाद राज्य विधानसभा में विधायकों ने वंदे मातरम और जय श्री राम के खूब नारे लगाए। जानिए उत्तराखंड में UCC लागू होने से क्या कुछ बदलेगा।

मसौदे में 400 से अधिक धाराएं- 
 

समान नागरिक संहिता विधेयक पास होने के बाद ये कानून बन जाएगा। इसके साथ ही उत्तराखंड देश में यूसीसी लागू करने वाला आजादी के बाद पहला राज्य होगा। सूत्रों के अनुसार, मसौदे में 400 से ज्यादा धाराएं हैं, जिसका लक्ष्य पारंपरिक रीति-रिवाजों से पैदा होने वाली विसंगतियों को दूर करना है।

इन समस्याओं के कारण हो रही UCC की वकालत-


समान नागरिक संहिता के प्रबल हिमायती एडवोकेट अश्वनी उपाध्याय के मुताबिक, समान नागरिक संहिता लागू नहीं होने से कई समस्याएं हैं। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं।

UCC लागू होने के बाद बहुविवाह पर लगेगी रोक-


कुछ कानून में बहुविवाह करने की छूट है। चूंकि हिंदू, ईसाई और पारसी के लिए दूसरा विवाह अपराध है और सात वर्ष की सजा का प्रावधान है। इसलिए कुछ लोग दूसरा विवाह करने के लिए धर्म बदल लेते हैं। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने के बाद बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी।

शादी के लिए अब कानूनी उम्र 21 साल होगी तय-


विवाह की न्यूनतम उम्र कहीं तय तो कहीं तय नहीं है। एक धर्म में छोटी उम्र में भी लड़कियों की शादी हो जाती है। वे शारीरिक व मानसिक रूप से परिपक्व नहीं होतीं। जबकि अन्य धर्मों में लड़कियों के 18 और लड़कों के लिए 21 वर्ष की उम्र लागू है। कानून बनने के बाद युवतियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल तय हो जाएगी।

 

बिना रजिस्ट्रेशन के लिव इन रिलेशन में रहने पर अब होगी जेल-


इसके साथ ही लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद उत्तराखंड में लिव इन रिलेशनशिप का वेब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। रजिस्ट्रेशन न कराने पर युगल को छह महीने का कारावास और 25 हजार का दंड या दोनों हो सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के तौर पर जो रसीद युगल को मिलेगी उसी के आधार पर उन्हें किराए पर घर, हॉस्टल या पीजी मिल सकेगा। यूसीसी में लिव इन रिलेशनशिप को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। इसके मुताबिक, सिर्फ एक व्यस्क पुरुष व वयस्क महिला ही लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे। वे पहले से विवाहित या किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप या प्रोहिबिटेड डिग्रीस ऑफ रिलेशनशिप में नहीं होने चाहिए। पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।

विवाह पंजीकरण कराना होगा जरूरी-


कानून लागू होने के बाद विवाह पंजीकरण कराना होगा। अगर ऐसा नहीं कराया तो किसी भी सरकारी सुविधा से वंचित होना पड़ सकता है।

UCC लागू होने के बाद उत्तराधिकार की प्रक्रिया होगी सरल-


एक कानून में मौखिक वसीयत व दान मान्य है। जबकि दूसरे कानूनों में शत प्रतिशत संपत्ति का वसीयत किया जा सकता है। यह धार्मिक यह मजहबी विषय नहीं बल्कि सिविल राइट या मानवाधिकार का मामला है। एक कानून में उत्तराधिकार की व्यवस्था अत्यधिक जटिल है। पैतृक संपत्ति में पुत्र व पुत्रियों के मध्य अत्यधिक भेदभाव है। कई धर्मों में विवाहोपरांत अर्जित संपत्ति में पत्नी के अधिकार परिभाषित नहीं हैं। विवाह के बाद बेटियों के पैतृक संपत्ति में अधिकार सुरक्षित रखने की व्यवस्था नहीं है। ये अपरिभाषित हैं। इस कानून के लागू होने के बाद उत्तराधिकार की प्रक्रिया सरल बन जाएगी।

बुजुर्ग मां-बाप के भरण-पोषण की जिम्मेदारी होगी पत्नी पर –


कानून लागू होने के बाद नौकरीपेशा बेटे की मौत की स्थिति में बुजुर्ग मां-बाप के भरण-पोषण की पत्नी पर जिम्मेदारी होगी। उसे मुआवजा भी मिलेगा। पति की मौत की स्थिति में यदि पत्नी दोबारा विवाह करती है तो उसे मिला हुआ मुआवजा मां-बाप के साथ साझा किया जाएगा।

गोद लेने का बदलेगा नियम – 


कानून लागू होने के बाद राज्य में मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार मिलेगा। गोद लेने की प्रक्रिया आसान होगी। इसके साथ ही अनाथ बच्चों के लिए संरक्षकता की प्रक्रिया सरल होगी। कानून लागू होने के बाद दंपति के बीच झगड़े के मामलों में उनके बच्चों की कस्टडी उनके दादा-दादी को दी जा सकती है।

UCC में होगी तलाक लेने की प्रक्रिया-

पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग-अलग ग्राउंड हैं।

UCC से पहले की तलाक लेने की प्रक्रिया-


अगर इस्लाम के तीनों तलाक प्रक्रिया की तुलना करें तो ये काफी अलग हैं। तीन तलाक झटके में किसी भी माध्यम से तीन बार तलाक बोलकर दिया जा सकता है। इसमें तो कई बार लोग फोन पर मैसेज या कॉल के माध्यम से तलाक दे दिया करते थे। तलाक-ए-हसन और तलाक-ए-अहसन में तलाक की एक प्रक्रिया और निश्चित अवधि होती है। इन दोनों प्रक्रियाओं में पति पत्नी को फैसला लेने के लिए वक्त मिलता है। इसके अलावा मुस्लिम समाज में महिलाओं के तलाक लेने के लिए भी विकल्प है। महिलाएं खुला तलाक ले सकती हैं। कोर्ट के हस्तक्षेप के बिना कोई महिला खुला तलाक के तहत पति से तलाक लेने की बात कर सकती है। हालांकि इस तरह के तलाक में महिला को मेहर यानी निकाह के समय पति की तरफ से दिए गए पैसे चुकाने होते हैं। साथ ही खुला तलाक में पति की रजामंदी भी जरूरी होती है।

मई 2022 में UCC पर समिति का हुआ था गठन-


दरअसल, उत्तराखंड सरकार ने मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी। सरकार ने एक अधिसूचना 27 मई 2022 को जारी की गई थी और शर्तें 10 जून 202 को अधिसूचित की गई थीं। समिति ने बैठकों, परामर्शों, क्षेत्र के दौरे और विशेषज्ञों और जनता के साथ बातचीत के बाद मसौदा तैयार किया। इस प्रक्रिया में 13 महीने से अधिक का समय लगा। जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी पहली बैठक 4 जुलाई 2022 को दिल्ली में की थी। मसौदे के महत्वपूर्ण पहलुओं पर जुलाई 2023 में एक मैराथन बैठक में विचार-विमर्श किया गया और इसे अंतिम रूप दिया गया। कमेटी को समान नागरिक संहिता पर ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से करीब 20 लाख सुझाव मिले हैं। इनमें से कमेटी ने लगभग ढाई लाख लोगों से सीधे मिलकर इस मुद्दे पर उनकी राय जानी है।

जानिए क्या है समान नागरिक संहिता ?

समान नागरिक संहिता का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता लागू होने से सभी धर्मों का एक कानून होगा। शादी, तलाक, गोद लेने और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा।

यह मुद्दा कई दशकों से राजनीतिक बहस के केंद्र में रहा है। UCC केंद्र की मौजूदा सत्ताधारी भाजपा के लिए जनसंघ के जमाने से प्राथमिकता वाला एजेंडा रहा है।  भाजपा सत्ता में आने पर UCC को लागू करने का वादा करने वाली पहली पार्टी थी और यह मुद्दा उसके 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणा पत्र का भी हिस्सा था।

ED की रडार पर 17 सीएम और पूर्व CM समेत कई सियासतदान, कई पूर्व मंत्री भी शामिल.

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केंद्रीय जांच एजेंसी ‘ईडी’, के रडार पर विभिन्न राज्यों के 17 मौजूदा एवं पूर्व मुख्यमंत्री हैं। इनमें कुछ मुख्यमंत्रियों से पूछताछ हो चुकी है, तो कई सियासतदानों का नंबर लगना बाकी है। ईडी जांच की रडार, केवल मुख्यमंत्रियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके निशाने पर पूर्व केंद्रीय गृह/वित्त/रेलवे जैसे बड़े मंत्रालयों का कार्यभार संभाल चुके नेता भी रहे हैं। जांच एजेंसी की इस फेहरिस्त में चार मौजूदा एवं पूर्व डिप्टी सीएम भी शामिल हैं। इनके अलावा देश के अन्य सियासतदान व उनके परिजन भी जांच एजेंसी के निशाने पर आ चुके हैं।

सोनिया गांधी से लेकर खरगे तक-

ईडी के निशाने पर आने वाले विपक्षी नेताओं में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, लालू प्रसाद यादव और राकांपा संस्थापक शरद पवार जैसे कई दिग्गज नेता रहे हैं। गत वर्ष केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाने वाली कई विपक्षी पार्टियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी थी। इनमें टीएमसी, आप, आरजेडी, नेशनल कांफ्रेंस, केसीआर की पार्टी, सपा और उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) आदि दल शामिल थे। इन सभी दलों के नेता जांच एजेंसियों के निशाने पर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल ने कहा था, हमारे देश के प्रधानमंत्री ने ठान लिया है कि अगर भाजपा को वोट नहीं दोगे और किसी दूसरी पार्टी को वोट दोगे, तो उस सरकार को किसी भी हाल में काम नहीं करने दिया जाएगा। किसी राज्य में दूसरी पार्टी की सरकार बनती है, तो उसके नेताओं के पीछे ईडी और सीबीआई छोड़ दी जाती है। अब केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि उन पर भाजपा में शामिल होने का दबाव बनाया जा रहा है। आप विधायकों को लालच देने की कोशिश हो रही है।

ईडी के रडार पर आए मौजूदा एवं पूर्व मुख्यमंत्री-

बिहार के पूर्व सीएम एवं केंद्रीय रेल मंत्री रहे लालू प्रसाद यादव एवं उनके परिवार के सदस्यों से जमीन के बदले नौकरी, घोटाले में पूछताछ की जा रही है। यह मामला सीबीआई द्वारा दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में ईडी ने भी इस केस की जांच शुरू की। छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ भी ईडी की जांच चल रही है। इनमें कोयला ट्रांसपोर्टेशन व महादेव गेमिंग एप आदि शामिल हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मानेसर जमीन मामला और पंचकुला के ‘एजेएल’ केस में ईडी को जांच का सामना करना पड़ रहा है। राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत भी जांच एजेंसियों के निशाने पर रहे हैं। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में लिए गए कई फैसलों और विकास योजनाओं के मामले की जांच केंद्रीय एजेंसियां कर चुकी हैं। सपा प्रमुख और पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी सीबीआई व ईडी के रडार पर रहे हैं। इनमें गोमती रिवर फ्रंट और माइनिंग घोटाला जैसे केस शामिल हैं।

ये मुख्यमंत्री/पूर्व सीएम भी जांच से अछूते नहीं-

पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी से अवैध रेत खनन मामले में ईडी पूछताछ कर चुकी है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी ईडी जांच का सामना कर रहे हैं। इन केसों में जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन और जम्मू कश्मीर बैंक से जुड़ा मामला शामिल हैं। अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नेबाम टुकी के खिलाफ 2019 में सीबीआई ने जांच शुरू की थी। उसी आधार पर ईडी ने भी मामले की जांच प्रारंभ की। मणिपुर के पूर्व सीएम ओकराम इबोबी पर भ्रष्टाचार के आरोप में पहले सीबीआई ने केस दर्ज किया था। उसके बाद ईडी ने पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया। गुजरात के पूर्व सीएम शंकर सिंह वाघेला भी सीबीआई व ईडी के रडार पर आ चुके हैं। उन पर केंद्रीय मंत्री रहते हुए मुंबई में जमीन घोटाले का आरोप लगा था। तत्कालीन केंद्रीय टेक्सटाइल मंत्री रहे वघेला पर जमीन की खरीद फरोख्त में सरकारी खजाने को 709 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप था। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री रहे शरद पवार भी ईडी जांच के दायरे में आ चुके हैं।

ईडी की हिरासत में सोरेन तो केजरीवाल को समन-

तेलंगाना के मुख्यमंत्री सीएम रेवंथ रेड्डी भी ईडी के रडार पर रहे हैं। उन पर आरोप था कि उन्होंने 2015 में एमएलसी इलेक्शन में पचास लाख रुपये की रिश्वत दी थी। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री का पद छोड़ा है। उन्हें जमीन घोटाले में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कथित शराब घोटाले में ईडी की तरफ से पांच समन जारी हो चुके हैं। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन भी जांच एजेंसी के निशाने पर रहे हैं। गोल्ड स्मगलिंग केस सहित दूसरे मामलों में वे ईडी जांच का सामना कर रहे हैं। हाल ही में उनकी बेटी वीणा विजयन की कंपनी के खिलाफ केंद्र सरकार ने जांच का आदेश दिया है। एसएनसी-लवलीन केरल जलविद्युत घोटाला, इस केस में भी पिनाराई विजयन को जांच का सामना करना पड़ा है। आंध्रप्रदेश के पूर्व सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी भी कई तरह के वित्तीय मामलों को लेकर ईडी जांच का सामना कर रहे हैं।

ईडी के निशाने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री व डिप्टी सीएम भी-

पूर्व केंद्रीय गृह/वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री पवन बंसल और पूर्व केंद्रीय रेल एवं श्रम और रोजगार मंत्री मल्लिकार्जुन खरगे को भी ईडी जांच का सामना करना पड़ा है। महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख, ईडी के मामले में जेल जा चुके हैं। कर्नाटक के मौजूदा डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को भी ईडी जांच का सामना करना पड़ा है। बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से भी ईडी द्वारा पूछताछ की जा रही है। दिल्ली के पूर्व सीएम मनीष सिसोदिया, ईडी के केस में जेल में हैं। महाराष्ट्र के मौजूदा डिप्टी सीएम अजित पवार के खिलाफ भी ईडी का मामला रहा है।

इन नेताओं को करना पड़ा जांच का सामना-

महाराष्ट्र में पूर्व मंत्री नवाब मलिक, ईडी केस में जेल जा चुके हैं। पश्चिम बंगाल के शारदा चिटफंड घोटाले में सीबीआई व ईडी की जांच के दायरे की आंच, कई नेताओं तक पहुंच चुकी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबियों को जांच का सामना करना पड़ा है। पश्चिम बंगाल पुलिस और ईडी की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि 80 फीसदी जमाकर्ताओं के पैसे का भुगतान किया जाना बाकी है। जब सीबीआई टीम ने पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के खिलाफ कार्रवाई की, तो जांच एजेंसी के अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में सीएम ममता बनर्जी धरने पर भी बैठी थीं। तेलंगाना के सीएम की बेटी के. कविता, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शरद पवार के पोते रोहित, पश्चिम बंगाल सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पार्थ चटर्जी, शिवसेना के सांसद संजय राउत, टीएमसी सांसद अभिषेक, आरजेडी के एमएलसी सुनील सिंह, सांसद अशफाक करीम, फैयाज अहमद और पूर्व एमएलसी सुबोध राय भी जांच एजेंसी की रडार पर रहे हैं।

जांच एजेंसी के निशाने पर 95 फीसदी विपक्षी नेता-

कांग्रेस नेता अजय माकन के मुताबिक, विपक्षी नेताओं के पीछे जांच एजेंसी लगी रहती है। नतीजा, कई नेता, भाजपा की शरण में चले गए। आज उनसे जांच एजेंसी पूछताछ नहीं कर रही। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट बताती है कि गत आठ वर्ष में लगभग 225 चुनावी उम्मीदवारों ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। 45 फीसदी नेताओं ने भाजपा ज्वाइन की है। पार्टी छोड़ने वालों में हार्दिक पटेल, अश्विनी कुमार, आरपीएन सिंह, गुलाम नबी आजाद, जयवीर शेरगिल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुनील जाखड़, जितिन प्रसाद, सुष्मिता देव, कीर्ति आजाद, अदिति सिंह, कैप्टन अमरिंदर सिंह, उर्मिला मातोंडकर, हिमंत बिस्व सरमा, हरक सिंह रावत, जयंती नटराजन, एन बीरेन सिंह और दिवंगत अजीत जोगी आदि शामिल हैं। माकन का कहना था कि मोदी सरकार में ईडी ने जिन राजनेताओं के यहां पर रेड की है या उनसे पूछताछ की है, उनमें 95 फीसदी विपक्ष के नेता हैं। इसमें सबसे ज्यादा रेड तो कांग्रेस पार्टी के नेताओं के घरों और दफ्तरों पर की गई हैं। पार्टी ने आशंका जताई है कि 2024 के लोकसभा चुनाव तक, विपक्ष के अनेक नेता, केंद्रीय जांच एजेंसियों के जाल में फंस सकते हैं। असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा, नारायण राणे, रमन सिंह, मुकुल रॉय और सुवेंदु अधिकारी, आदि नेताओं के पीछे अब ईडी नहीं है। जनता सब समझती है कि ये नेता, अब ईडी की जांच से क्यों बच हुए हैं।

अब झारखंड में चंपई सरकार, विधानसभा में हासिल किया बहुमत, जानिए किसके साथ कितने विधायक?

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 हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद से झारखंड में चल रहे सियासी उथल-पुथल का दौर आखिरकार थम गया है। सियासी रस्साकशी के बीच चंपई सोरन की सरकार सदन में बहुमत साबित करने में सफल हो गई। उनके पक्ष में कुल 47 वोट पड़े। वहीं, विपक्ष में 29 वोट पड़े।
बता दें कि बहुमत परीक्षण से पहले राजनीति गलियारों में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे। विधायकों के टूटने के डर था। इस वजह से सभी विधायकों को हैदराबाद भेजा गया था। हालांकि, फ्लोर टेस्ट से एक दिन पहले यानि रविवार की रात सभी विधायक रांची पहुंचे।

इन विधायकों के टूटने की थी संभावनाएं –

फ्लोर टेस्ट से पहले यह संभावना जताई जा रही थी कि लोबिन हेम्ब्रम, सीता सोरेन और बसंत सोरेन चंपई सोरेन की सरकार को झटका दे सकते हैं और समर्थन करने से इनका कर सकते हैं, लेकिन वैसी नौबत नहीं आई। लोबिन हेम्ब्रम ने चंपई सोरेन सरकार को समर्थन देने का एलान किया।

हालांकि, चंपई सोरेन को फ्लोर टेस्ट से पहले जमशेदपुर पूर्वी के विधायक ने झटका दिया था। जमशेदपुर पर्वी से विधायक रहे और पूर्व सीएम रघुवर दास को हराने वाले विधायक सरयू राय ने चंपई सोरेन की सरकार को समर्थन देने से इनकार कर दिया था।

Uttarakhand Crime: उत्तराखंड के इस शहर में सुरक्षित नहीं हैं बेटियां, चौंका देगा ढाई साल का आंकड़ा।

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17 फरवरी को वायु सेना पोखरण में करेगी अपनी शक्ति का प्रदर्शन; राफेल, प्रचंड-अपाचे भी दिखाएंगे ताकत.

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भारतीय वायु सेना 17 फरवरी को पोखरन फायरिंग रेंज में अभ्यास ‘वायु शक्ति 2024’ के दौरान अपनी शक्ति का प्रदर्शन करेगी। वायु सेना इस दौरान अपनी युद्धक और प्रहार क्षमता दुनिया को दिखाएगी। 

वायु सेना प्रमुख एयर मार्शल एपी सिंह ने बताया कि लड़ाकू विमान राफेल भी इस अभ्यास में शिरकत करेगा। इसके अलावा प्रचंड और अपाचे हेलीकॉप्टर भी पहली बार अभ्यास में हिस्सा लेंगे। पोखरन फायरिंग रेंज राजस्थान में भारत पाकिस्तान सीमा के नजदीक है।

उन्होंने बताया कि यह अभ्यास दिन, शाम और रात के वक्त दो घंटे 15 मिनट का होगा। हम उन अभियानों को दिखाने के लिए अभ्यास ‘वायु शक्ति’ आयोजित करने की योजना बना रहे हैं, जिन्हें भारतीय वायु सेना अंजाम दे सकती है। इस अभ्यास में लगभग 100 से ज्यादा विमान-हेलीकॉप्टर हिस्सा लेंगे। पिछली बार यह अभ्यास 2019 में आयोजित किया गया था।

Budget 2024: बजट से बदल जाएगी 11 करोड़ किसानों की किस्मत, इन कदमों से मिलेगी अन्नदाताओं को मजबूती.

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एक फरवरी को पेश किए गए अंतरिम बजट में कहने के लिए सरकार ने कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है, लेकिन इसके बाद भी बजट की तमाम योजनाओं से किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत करने का काम किया गया है। सीधे तौर पर किसानों और ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था से जुड़े कई ऐसे कदम इस अंतरिम बजट में उठाए गए हैं, जिससे किसानों को आर्थिक तौर पर सशक्त करने में मदद मिलेगी।

सरकार ने रखी अंतरिम बजट की मर्यादा-

कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि कोई नई बड़ी घोषणा न करके सरकार ने इस बार अंतरिम बजट की मर्यादा रखी है। यह केवल लोकसभा चुनाव होने तक आवश्यक खर्च के लिए संसद से अनुमति लेने का बजट होता है। सरकार इसमें कोई नई बड़ी घोषणा नहीं कर सकती। चुनावी साल में यह अधिकार आने वाली नई सरकार के पास होता है। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले पीएम किसान सम्मान निधि की बड़ी घोषणा कर सरकार ने यह मर्यादा तोड़ी थी। माना जाता है कि उसे इस चुनावी घोषणा का बड़ा लाभ मिला था।

कोई बड़ी घोषणा न करने से मोदी सरकार का यह आत्मविश्वास भी साफ़ दिखाई पड़ता है कि वह किसी लोकप्रिय घोषणा के बिना भी चुनाव जीत सकती है। पीएम किसान सम्मान निधि, पीएम आवास योजना, उज्ज्वला योजना और राशन योजना जैसी कई योजनाएं हैं जिसका लाभ करोड़ों लोगों को मिल रहा है। सरकार का अनुमान है कि ये लाभार्थी उसे दोबारा सरकार में आने में मदद करेंगे।
हालांकि, कृषि क्षेत्र के लोग यह मान रहे थे कि केंद्र सरकार पीएम किसान निधि के अंतर्गत किसानों को दी जा रही आर्थिक सहायता (6,000 रुपये प्रति वर्ष) की राशि बढ़ा सकती है। फिलहाल आवश्यक खर्चों के दबाव में सरकार ने ऐसी कोई लोकप्रिय घोषणा करने से परहेज बरता है। लेकिन इसके बाद भी बजट में ऐसे कई प्रावधान किये गए हैं जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर करने में मदद मिलेगी।

देविंदर शर्मा के अनुसार, बजट में ग्रामीण क्षेत्रों में दो करोड़ पीएम आवास बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इन घरों को बनाने में ग्रामीण लोगों को ही रोजगार मिलेगा। साथ ही गृह निर्माण की वस्तुओं की खपत बढ़ेगी। इससे भी इन क्षेत्रों के उद्योगों और ग्रामीणों को आर्थिक मदद मिलेगी। सरकार ने घर निर्माण में भी सहायता देने की घोषणा की है। इसका असर भी ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति बेहतर करेगी।

स्वयं सहायता समूहों से ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। वे अपने घर को संभालने के साथ-साथ रोजगार के काम कर पाती हैं। इन समूहों में किसानों के घरों की महिलाएं ही काम करती हैं। इसलिए इससे भी किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।

आशा बहनों को आयुष्मान योजना का लाभ –

सरकार ने सभी आशा बहनों को आयुष्मान योजना का लाभ देने का निर्णय लिया है। इससे ग्रामीण महिलाओं को अपना इलाज कराने में पैसा नहीं खर्च करना पड़ेगा। अब तक इलाज में भारी पैसा खर्च होने से लोगों की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती थी। लेकिन अब आशा बहनों के परिवारों के साथ ऐसा नहीं होगा।

मछली पालन का काम ज्यादातर मामलों में बड़े औद्योगिक घरानों के कारोबारी नहीं करते। यह काम गांव-देहात में बसे छोटे-छोटे किसान ही करते हैं। केंद्र सरकार ने मत्स्य योजना को ज्यादा बढ़ावा देने की रणनीति बनाई है। किसानों को इसका भी लाभ मिलेगा। साथ ही जैविक क्षेत्र को बढ़ावा देकर, नैनो खादों का विकास कर भी किसानों की लागत कम करने की कोशिश की गई है।

सरकार ने एक करोड़ घरों में सौर ऊर्जा संयंत्रों को बढ़ावा देने का लक्ष्य निर्धारित किया है। यानी, अब किसान अपने घरों या खाली जमीन पर सोलर प्लांट लगाकर न केवल मुफ्त बिजली प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि अतिरिक्त बिजली को बेचकर हर महीने 15-20 हजार रुपये की कमाई भी कर सकते हैं। इससे देश के किसानों की तस्वीर बदल सकती है।

ये है चुनौती-

देश की 60 फीसदी आबादी आज भी गांवों में रहती है। इन्हें रोजगार के लिए कृषि क्षेत्र पर ही निर्भर करना पड़ता है। लेकिन कृषि क्षेत्र में केवल 1.8 फीसदी की वृद्धि हो रही है, जबकि आबादी का अनुपात कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। यानी इसके बाद भी कृषि क्षेत्र में कम तेज वृद्धि के कारण रोजगार की चुनौती बनी रह सकती है।

 

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