Day: January 18, 2024

Manipur: मणिपुर में फिर हुई हिंसा, उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ में एक वालंटियर की मौत.

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मणिपुर के कांगपोकपी जिले में दो गुटों के बीच गोलीबारी हुई। इस गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई। गोलीबारी बुधवार रात को हुई, जब संदिग्ध उग्रवादियों ने कांगचुप इलाके में हमला किया। इसके जवाब में विलेज वॉलंटियर्स ने जवाब में गोलीबारी की। दोनों तरफ से हुई फायरिंग में एक विलेज वालंटियर की गोली लगने से मौत हो गई। मृतक की पहचान टी मनोरंजन के रूप में हुई है।

महिलाओं ने किया विरोध प्रदर्शन-

 
बुधवार रात को इंफाल में कई जगह गोलीबारी की घटनाएं हुईं। हिंसा में हो रहीं हत्याओं के खिलाफ इंफाल घाटी में गुरुवार को बड़ी संख्या में महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने मांग की है कि हिंसा बंद होनी चाहिए और साथ ही उन्होंने इंटर एजेंसी यूनिफाइड कमांड के चेयरमैन को पद से हटाने की भी मांग की। बीते साल मणिपुर सरकार ने इंटर एजेंसी यूनिफाइड कमांड का प्रमुख कुलदीप सिंह को नियुक्त किया था। महिलाओं ने इंफाल के मुख्य बाजार से लेकर सीएम आवास और राजभवन तक मार्च किया। राजभवन से 300 मीटर दूर महिला प्रदर्शनकारियों को रोक दिया गया। जिसके चलते प्रदर्शनकारी महिलाएं और सुरक्षाकर्मियों में झड़प भी हुई।

प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिसकर्मियों ने आंसू गैस के गोले छोड़े।  

जोशीमठ के बाद अब नैनीताल शहर पर मंडराया खतरा, जानिए क्यों जोशीमठ बनने की राह पर है नैनीताल।

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जोशीमठ भू-धंसाव के बाद खतरे की जद में नजर आ रहे नैनीताल शहर को बचाने और भविष्य की निर्माण योजनाओं को तैयार करने के लिए इसका भू-तकनीकी एवं भू-भौतिकीय सर्वेक्षण होगा। इसके अलावा नैनीताल में स्लोप स्थायित्व का भी सर्वेक्षण होगा। इसके लिए भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। साथ ही शहर का लाइडर मैप भी तैयार किया जाएगा।

 

दरअसल, जोशीमठ भू-धंसाव के बाद सरकार ने तय किया था कि सभी पर्वतीय शहरों की धारण क्षमता का आकलन कराया जाएगा। इस कड़ी में पहले चरण में 15 शहरों का चयन किया गया था। सबसे पहले नैनीताल की धारण क्षमता के आकलन के साथ ही इसे भू-धंसाव से बचाने के लिए सर्वेक्षण होगा। इसके तहत नैनीताल का लाइडर (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) मैप तैयार किया जाएगा। इस तकनीक का उपयोग उच्च-रिजॉल्यूशन वाले मानचित्र बनाने में किया जाता है।

यहां पैदा हो रहा है खतरा-

नैनीताल की बुनियाद समझा जाने वाला बलिया नाला लगातार भू-स्खलन की जद में आ रहा है, इसका ट्रीटमेंट भी शुरू किया गया है। वहीं, नैनीताल का शीर्ष नैना पीक, भुजा टिफ्फन टॉप व स्नो व्यू की रमणीक पहाड़ी में भूस्खलन सक्रिय है।

यह होगा फायदा-

भू-सर्वेक्षण के बाद लाइडर मैप बनने से यह स्पष्ट हो सकेगा कि शहर में कितनी ऊंचाई तक के भवन सुरक्षित हैं। पहले से जो भवन बने हुए हैं, उनका शहर पर कितना बोझ है। कितने ढलान पर कितनी मंजिल के ऐसे भवन हैं, जो आपदा के लिहाज से खतरे में हैं। कितने डिग्री ढलान पर कितनी मंजिल के भवन बनाए जाने चाहिए। पर्वतीय शहरों में वह कौन सी भूमि व स्थान हैं, जहां भवन बनाना खतरनाक हो सकता है। भविष्य में नए निर्माण से लेकर सीवर, पेयजल तक का पूरा काम उसी मैप के हिसाब से होगा। इसके लिए मास्टर प्लान भी उसी के अनुसार बनाया जाएगा।

पहले चरण में इन 15 शहरों का होगा अध्ययन-

गोपेश्वर, पौड़ी, श्रीनगर, कर्णप्रयाग, नई टिहरी, उत्तरकाशी, लैंसडौन, रानीखेत, नैनीताल, कपकोट, धारचूला, चंपावत, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, भवाली।

हमने नैनीताल के भू-सर्वेक्षण व लाइडर मैपिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए जल्द एजेंसी का चयन कर लिया जाएगा। इसके बाद बाकी अन्य शहरों के लिए भी यह प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
-डॉ. रंजीत सिन्हा, सचिव, आपदा प्रबंधन