Month: December 2023

मथुरा शाही ईदगाह के सर्वे पर 18 दिसंबर की सुनवाई में तय होंगे मुद्दे, जानिए क्या हैं फैसले के मायने.

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बाबरी मस्जिद और ज्ञानवापी मस्जिद के बाद अब मथुरा के शाही ईदगाह का भी सर्वे होगा,, इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले ने मुस्लिम पक्ष को झटका तो दिया है लेकिन कई सवाल भी खड़े कर दिये है, और जो सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है वो ये कि आखिर ये सिलसिला कब तक चलेगा, क्या अयोध्या के बाद अब मथुरा के शाही ईदगाह को भी गिराने की तैयारी हो गयी है, क्या शाही ईदगाह का नामो निशान मिटा दिया जायेगा, क्या ये सब कभी खत्म हो पायेगा या फिर ये सब सिर्फ राजनीति है.

अयोध्या में बाबरी मस्जिद और वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे के बाद अब मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के ASI सर्वे को भी मंजूरी दे दी गयी है. दरसल ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे के फैसले के बाद से इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया था इस बात की चर्चा ने जोर पकड़ा था की अब मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद गहरा जायेगा और हुआ भी ठीक वैसा ही,, लंबी सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आ गया और विवादित परिसर का सर्वेक्षण कराने की मांग इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली और ज्ञानवापी की तर्ज पर ही मथुरा के विवादित परिसर का भी अब सर्वे होगा एडवोकेट कमिश्नर अब वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के जरिये यहां का सर्वेक्षण कर सकेंगे, एडवोकेट कमिश्नर कौन होगा और कब से सर्वेक्षण शुरू होगा इस पर हाईकोर्ट 18 दिसंबर को सुनवाई करेगा।

इसके साथ ही 18 दिसंबर को ही हाई कोर्ट एडवोकेट कमिश्नर द्वारा किए जाने वाले सर्वेक्षण के रूपरेखा तय करेगा कोर्ट 18 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में सभी पक्षों से इस बारे में राय भी मांगेगा सभी पक्षों की राय सुनने के बाद ही अदालत इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी आपको बता दे कि हिंदू पक्ष  के  कटरा केशव देव की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी जिस पर जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बैंच ने इस मामले में फैसला सुनाया। 16 नवंबर को सुनवाई होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था हिंदू पक्ष की याचिका में दावा किया गया है कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली उस मस्जिद के नीचे मौजूद है और ऐसे कई संकेत हैं जो ये साबित करते हैं कि वो मस्जिद एक हिंदू मंदिर है.

 

क्या ये एक रणनीति है ?

आखिर क्यों एक के बाद एक ऐसे विवाद खड़े हो रहे हैं, क्या यह सिर्फ एक खास समुदाय को निशाना बनाने की साजिश है या फिर धार्मिक कार्ड खेल कर हिंदुओं को अपने पक्ष में करने की रणनीति। दरअसल ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि 1991 में तत्कालीन कांग्रेस प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव सरकार के समय आया प्लेसे ऑफ वर्शिप एक्ट कहता है की 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता यह कानून तब आया था जब देश में बाबरी मस्जिद और अयोध्या का मुद्दा बेहद गरम था. हालांकि राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले को इस एक्ट से बाहर रखा गया था और नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के पाँच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। फैसले के मुताबिक 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिलेगी, मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश था.

इस फैसले के बाद कुछ जानकारों का मानना था कि अब इस तरह के विवाद नहीं खड़े होंगे वही कुछ का दावा था कि अब ऐसे कई मामले सामने आएंगे जिसकी वजह थी वो नारा जो बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला आने के बाद लगा था,, और वो नारा था अयोध्या तो बस झांकी है, काशी मथुरा बाकी है. ये नारा काफी दिनों तक भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों की जुबांन पर चढ़ा रहा. हिन्दू संघटनों ने पहले ज्ञानवापी मस्जिद पर दावा किया इसके बाद उनके निशाने पर आ गया मथुरा का श्री कृष्ण शाही ईदगाह मस्जिद।

कहीं ये 2024 की तैयारी तो नहीं ?

इसलिए सवाल उठने लगे हैं कि क्या ये सिलसिला कभी रुक पायेगा, वहीं कुछ लोगों का दावा है की 2024 चुनाव नजदीक आते-आते अभी ऐसे तमाम विवाद खड़े होंगे जिससे हिंदू -मुस्लिम  का माहौल पैदा हो सके. जिसका फायदा लोकसभा चुनावों मे मिल सके. जैसे-जैसे चुनावों का समय पास आयेगा मुद्दे तूल पकड़ेंगे। इस  मुद्दे पर मूल बात की सुनवाई सीधे तौर पर हाई कोर्ट में हो रही है. दूसरी अर्जियों में अमीन के जरिये सर्वेक्षण कराये जाने की भी मांग की गयी है अमीन सर्वेक्षण और दूसरी अर्जियों पर हाई कोर्ट 18  दिसम्बर के बाद सुनवाई करेगा।

श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जमीन विवाद को लेकर हिन्दू पक्ष की तरफ से उत्तर प्रदेश के मथुरा की अदालत में कई याचिकाएं दाखिल की गयी. वहीँ दूसरी तरफ इस फैसले के आने के बाद AIMIM  सांसद असुद्दीन ओवेसी का भी बयान सामने आ गया.  उन्होंने ट्वीट कर सवाल उठाते हुए कहा की क़ानून का मजाक बना दिया है हैदराबाद सांसद असुदुद्दीन ओवेसी ने कहा की इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने की इजाजत दे दी. बाबरी मस्जिद केस के फैसले के बाद मैने कहा था ” कि बाबरी फ़ैसले से अब और मुश्किलें पैदा होंगी क्योंकि वो फ़ैसला धार्मिक आस्था के आधार पर दिया गया था.

” दरअसल वाराणसी की ज़िला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में देवी-देवताओं की पूजा की मांग को लेकर की गई पाँच महिलाओं की याचिका को सुनवाई के लिए सोमवार को स्वीकार कर लिया और मुस्लिम पक्ष की अपील को खारिज कर दी. ओवेसी ने आगे  कहा की मथुरा विवाद दशकों पहले कमेटी और मंदिर ट्रस्ट ने आपसी सहमति से सुलझा लिया था. काशी मथुरा या फिर लखनऊ की मस्जिद हो कोई भी इस समझौते को पढ़ सकता है, प्लेस ऑफ वर्शिश  एक्ट अभी भी है लेकिन इस ग्रुप ने क़ानून और न्याय प्रक्रिया का मजाक बना दिया है।

सुप्रीम कोर्ट को मामले में 9 जनवरी को सुनवाई करनी थी तो फिर  ऐसी क्या जल्दी थी कि सर्वे कराने का फैसला देना पड़ा। यानी ओवेसी का कहना है कि ये सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ साजिश हो रही है सभी दल इस तरह के मुद्दे को गरमा कर अपनी रोटियां सेक रहे हैं. ओवेसी ने आगे कहा की जब एक पक्ष मुस्लिमों को लगातार निशाना बनाने में रूचि रखता है तो कृपया हमें गिव एंड टेक यानी देने लेने का उपदेश ना दें क़ानून मायने नहीं रखता मुसलमानों के सम्मान को ठेस पहुँचाना ही मकसद है.

संसद सुरक्षा मामला: मास्टरमाइंड ललित झा का परिवार हैरान, जानिए बड़े भाई ने उसकी गिरफ्तारी पर क्या कहा.

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संसद में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा सदन में बुधवार को एक घटना ने सुरक्षा एजेंसियों पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। लोकसभा कार्यवाही के दौरान सुरक्षा में चूक का मामला सामने आया है। दर्शक दीर्घा में बैठे दो व्यक्ति ने सभी को उस वक्त चौंका दिया, जब वे अचानक वहां से कूदकर सांसदों के बीच जा पहुंचे थे। इस दौरान आरोपियों ने जमकर हंगामा किया।
बुधवार सदन के भीतर मौजूद दो आरोपियों में से एक आरोपी सांसदों की सीट पर जा पहुंचा। इस घटना को देखकर वहां पर मौजूद सांसदों और सुरक्षाकर्मियों के हाथ पांव फूल गए थे। हालांकि दो आरोपियों में से एक आरोपी को वहां मौजूद सांसदों और सुरक्षा कर्मियों ने काफी मशक्कत के बाद पकड़ लिया और जमकर धुनाई की थी।

संसद की सुरक्षा में चूक के मास्टरमाइंड ललित मोहन झा के आत्मसमर्पण के बाद उसके परिवार को विश्वास नहीं हो रहा है। आरोपी के बड़े भाई शंभू झा ने संसद की सुरक्षा में चूक मामले पर अपने भाई के शामिल होने पर हैरानी जताई है। बता दें गुरुवार को नई दिल्ली में गिरफ्तारी देने के बाद आरोपी ललित को विशेष सेल को सौंप दिया गया है।

क्या कहा आरोपी के बड़े भाई ने-


समाचार चैनलों पर भाई की तस्वीरों को देख आरोपी के बड़े भाई शंभू झा हैरान हो गए हैं। उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता कि वह इस तरह के कृत्यों में कैसे शामिल हुआ। वह बचपन से ही शांत स्वभाव का बच्चा था। हम इतना जानते हैं कि वह एक निजी शिक्षक होने के साथ-साथ एक गैर सरकारी संगठन के साथ जुड़ा था। पूरा परिवार को इस बात पर हैरानी हो रही है। आरोपी ललित के बड़े भाई ने कहा कि आखिरी बार दस दिसंबर को ललित से मुलाकात हुई थी। वह सियालदह स्टेशन पर हमें छोड़ने के लिए आया था। अगले दिन भाई ने सिर्फ इतना कहा था कि वह निजी काम से दिल्ली जा रहा है। जिसके बाद कभी उससे बात नहीं हो पाई।  

न्यूज़ चैनलों पर तस्वीरें देख पड़ोसी भी हैरान-

ललित की तस्वीरें वायरल होने के बाद उसके पड़ोसी भी हैरान है। उन्होंने कहा कि कोलकाता के बड़ा बाजार में समुदाय के साथ शायद ही कभी जुड़ा था। बाद में परिवार उत्तर चौबीस परगना जिले के बागुईआटी में स्थानांतरित हो गया। शहर में स्थित एक चाय की दुकान के मालिक पापोन शॉ ने कहा, वह एक शिक्षक के रूप में जाने जाते थे, स्थानीय छात्रों को पढ़ाते थे। उसने बताया वह स्थानीय लोगों के साथ कम ही बातचीत करते थे। हां इतना जरूर है कि वह मेरी दुकान पर चाय पीते थे। दो साल पहले ही वहां यहां से चला गया, फिर उसके बाद उसे कभी नहीं देखा गया।  

आरोपियों के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज-


संसद की सुरक्षा में चूक मामले में गिरफ्तार चार आरोपियों पर आईपीसी की धाराओं के अलावा आतंकवाद विरोधी कानून (यूएपीए) के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। साथ ही फरार चल रहे ललित झा को पकड़ने के लिए कई स्थानों पर छापेमारी की जा रही है। पुलिस सूत्रों ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी। बता दें इस अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध गैर जमानती हैं। एक अधिकारी ने कहा कि हालांकि अभी तक की जांच में सुरक्षा एजेंसियों को किसी आतंकी समूह से संबंध होने का सबूत नहीं मिला है। जांच में दो अन्य लोगों के कृत्य में शामिल होने की जानकारी मिली है।

किशोरी से दुष्कर्म मामले में दोषी भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को 25 साल की कैद, दस लाख रुपये का जुर्माना

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उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में दुद्धी सीट से भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को किशोरी से दुष्कर्म मामले में सजा का एलान हो गया है। भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को कोर्ट ने 25 साल की कैद तथा 10 लाख रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड की धनराशि पीड़िता को मिलेगी।किशोरी से दुष्कर्म के मामले में सोनभद्र की एमपी-एमएलए कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है। नवंबर 2014 में म्योरपुर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था और आठ सालों की लंबी सुनवाई के बाद फैसला आया है।

 

एमपी-एमएलए कोर्ट ने भाजपा विधायक रामदुलार गोंड के 25 वर्ष कैद और दस लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। विधायक को किशोरी के साथ दुष्कर्म का दोषी पाया गया है। आठ साल तक चली लंबी कानूनी लड़ाई के बाद बृहस्पतिवार को कोर्ट ने फैसला सुनाया। एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश एहसानुल्लाह खां ने अर्थदंड की समूची राशि पीड़िता को देने का आदेश दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा और विधायक समर्थकों को तगड़ा झटका लगा है। आदेश के बाद रामदुलार गोंड की विधायकी जानी तय मानी जा रही है। विधायक के अधिवक्ता ने फैसले को उच्च अदालत में चुनौती देने की बात कही है।

बता दें कि किशोरी से दुष्कर्म के मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने 12 दिसंबर को भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को दोषी करार दिया था। मंगलवार को सुनवाई के बाद एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश एहसानुल्लाह खान ने सजा सुनाने के लिए 15 दिसंबर की तिथि निर्धारित की थी।

 

पीड़िता के भाई ने जाहिर की खुशी, कहा नौ साल बाद न्याय मिला
एमपी-एमएलए कोर्ट से विधायक रामदुलार गोंड को सजा होने पर पीड़िता के भाई ने खुशी जाहिर की। सुनवाई के दौरान मंगलवार को आए पीड़िता के भाई जब इस संबंध में वार्ता की गई तो उनका कहना था कि अदालत के फैसले वे वह बेहद खुश है। नौ साल के संघर्ष के बाद आज उसे न्याय मिला है। बता दें कि पीड़िता के भाई की शिकायत पर ही नौ साल पहले रामदुलार गोंड के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ था।

Parliament: विपक्ष के 14 सांसद लोकसभा से निलंबित, गलत बर्ताव के चलते कार्रवाई; पूरे सत्र से रहेंगे आउट.

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लोकसभा में गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें विपक्ष के 14 सांसदों को बाकी शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया गया है। हालांकि, बाद में एक डीएमके सांसद एसआर पार्थिवन का नाम सूची से हटा दिया गया। इससे पहले कांग्रेस के नौ सांसदों और अन्य विपक्षी दलों के पांच सांसदों के खिलाफ सदन की कार्यवाही बाधित करने के आरोप में यह कार्रवाई की गई। पहले विपक्ष के पांच सांसदों और फिर नौ अन्य सांसदों को निलंबित कर दिया गया था।

इन सांसदों को किया गया निलंबित- 
संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में एक प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव में गलत बर्ताव के चलते पांच सदस्यों टीएन प्रथापन, हिबी एडेन, जोथिमनी, राम्या हरिदास  और डीन कुरियाकोस को निलंबित किया गया। इस दौरान बी महताब सदन की अध्यक्षता कर रहे थे। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। इस पर स्पीकर बी महताब ने कांग्रेस के नौ अन्य सांसदों को भी निलंबित कर दिया। इनमें बेनी बेहानन, वीके श्रीधरन, मोहम्मद जावेद, पीआर नटराजन, कनिमोझी करुणानिधि, के सुब्रमण्यन, एसआर पार्थीबन, एस वेंकटेशन और मणिकम टैगोर के नाम शामिल हैं।

लोकसभा से कुल 13 सांसदों को निलंबित कर दिया गया: मंत्री 
सांसदों के निलंबन पर प्रह्लाद जोशी ने कहा कि लोकसभा से कुल 13 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। एक सांसद जो वेल में मौजूद नहीं थे, उसे भी निलंबित कर दिया गया, हमने लोकसभा अध्यक्ष से उस नाम को हटाने का अनुरोध किया और अध्यक्ष ने इसे स्वीकार कर लिया। 

संसद की सुरक्षा में चूक पर कही यह बात-
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि पहले भी घटना घटी है, 1974 में रतन चंद्र गुप्ता ने नारेबाजी की थी और पिस्तल और बम जैसे दिखने वाली कोई चीज लाए थे, तब भी स्पीकर ने ही निर्णय लिया। सरकार का इसमें कुछ नहीं है, क्योंकि यह स्पीकर का अधिकार क्षेत्र है। 26 नवंबर 1974 को भी ऐसा हुआ था, तब भी स्पीकर ने कार्रवाई की थी। मेरा कहना बस इतना है कि स्पीकर सदन का संरक्षक होता है, पूरा सदन स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में है। मामले का राजनीतिकरण न करें। हम इस मामले पर बेहद संवेदनशील हैं।

 
सांसद हनुमान बेनीवाल ने स्पीकर के पोडियम पर चढ़ने की कोशिश की-
संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर लोकसभा में गुरुवार को जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी सांसदों ने खूब नारेबाजी की। इसी दौरान राजस्थान से आरएलपी पार्टी के सांसद हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा की कार्यवाही के दौरान स्पीकर के पोडियम पर चढ़ने की कोशिश की। नारेबाजी करते हुए विपक्षी सांसद वेल में आ गए। विपक्षी सांसदों की मांग थी कि अमित शाह इस मुद्दे पर सदन में आकर बयान  दें।  

राज्यसभा से सस्पेंड हुए डेरेक ओ ब्रायन-
इससे पहले आज ही राज्यसभा से तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन को सस्पेंड कर दिया गया। संसद में सुरक्षा चूक के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के दौरान ओ ब्रायन प्रदर्शन करते हुए सभापति के पास तक आ गए। इसके बाद उन्हें सदन से निलंबित कर दिया गया।  

राज्यसभा से डेरेक ओ ब्रायन को निलंबित करने का प्रस्ताव भाजपा की तरफ से सांसद पीयूष गोयल ने पेश किया। बताया गया है कि संसद में सुरक्षा में चूक के मुद्दे को लेकर ब्रायन प्रदर्शन करते हुए सभापति के पास वेल तक पहुंच गए थे। इस दौरान उन्होंने नारेबाजी की और सदन की कार्यवाही को स्थगित करने की कोशिश की। इसी के बाद टीएमसी सांसद को निलंबित करने का प्रस्ताव सदन में लाया गया।

उत्तराखंड में बर्फबारी: खूबसूरत बर्फीली वादियों में हो रही है जमकर बर्फ़बारी, क्रिसमस-नए साल के लिए कर सकते हैं प्लान.

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मौसम के बदले मिजाज के साथ ही मंगलवार को चारों धामों के साथ ही हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी और औली में जमकर बर्फबारी हुई। केदारनाथ में जहां चार इंच नई बर्फ जम गई है वहीं तापमान माइनस 7 तक रहा है। 

वहीं निचले क्षेत्रों में हुई बारिश और पहाड़ों में बर्फबारी से कड़ाके की ठंड पड़ने लगी है। ठंड से बचने के लिए लोगों ने अलाव का सहारा लिया। गोपेश्वर/जोशीमठ में मंगलवार को सुबह से बादल छाए थे और दोपहर बाद चमोली जिले में बदरीनाथ धाम, हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी, रुद्रनाथ, काली माटी, औली, गोरसों बुग्याल सहित ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जमकर बर्फबारी हुई, जबकि निचले क्षेत्रों में बारिश हुई।

गोपेश्वर, जोशीमठ, पोखरी, नंदानगर, पीपलकोटी आदि क्षेत्रों में ठंडी हवाएं चलीं। ठंड से बचने के लिए लोग घरों में ही दुबके रहे और बाजारों में सन्नाटा छाया रहा। बदरीनाथ में तापमान अधिकतम -1 और न्यूनतम – 8 डिग्री, औली में अधिकतम 3, न्यूनतम -3 और , जोशीमठ में अधिकतम 9 , न्यूनतम – 2 रहा। 

रुद्रप्रयाग केदारनाथ धाम में दोपहर बाद 12 बजे बर्फबारी हुई जो देर शाम तक होती रही। धाम में लगभग चार इंच नई बर्फ जमी। वहीं, द्वितीय केदार व तृतीय केदार में भी बर्फ गिरी। धाम में तापमान अधिकतम 1 डिग्री व न्यूनतम -7 डिग्री दर्ज किया गया। 

उत्तरकाशी/बड़कोट स्थित गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में इस सीजन की दूसरी बर्फबारी हुई जबकि हर्षिल में भी बर्फबारी हुई। गंगोत्री धाम में अधिकतम तापमान -3 और न्यूनतम -8 दर्ज किया गया है। वहीं यमुनोत्री धाम में अधिकतम -1 व न्यूनतम तापमान -7 दर्ज किया गया है। 

बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान का काम हुआ प्रभावित-

गोपेश्वर में बर्फबारी से बदरीनाथ धाम में महायोजना मास्टर प्लान का काम प्रभावित हो गया है और मजदूर काम नहीं कर पाए। मास्टर प्लान के कार्य में लगे वाहन और उपकरणों पर भी बर्फ की मोटी चादर बिछ गई है।

क्रिसमस और नए वर्ष से पहले औली की पहाड़ियां बर्फ से ढकीं-

औली में क्रिसमस और नए वर्ष के आगमन से पहले बर्फबारी होने से पर्यटन से जुड़े व्यापारियों के चेहरे खिल गए हैं। बर्फबारी से औली में पर्यटकों के बढ़ने की उम्मीद है। मंगलवार को हुई बर्फबारी से औली के साथ ही समीपवर्ती पहाड़ियां बर्फ से ढक गई हैं।

पर्यटकों में होगा इजाफा-

औली में स्कीइंग की ढलानें भी बर्फ से ढक गई हैं। बर्फबारी के बीच कई पर्यटक चेयर लिफ्ट से औली का दीदार कर रहे थे। औली में पर्यटन व्यवसायियों का कहना है कि क्रिसमस से पहले बर्फबारी शुभ संकेत है। दिसंबर माह के अंत में भी बर्फबारी होती है तो पर्यटकों में इजाफा हो जाएगा। 

चमोली में 50 से अधिक गांवों में गिरी बर्फ- 

चमोली जनपद के 50 से अधिक गांवों में बर्फबारी हुई है। निजमुला घाटी के ईराणी, पाणा, झींझी, रामणी, ल्वाणी, घूनी, पडेरगांव, सुंग, कनोल, सुतोल, पेरी के साथ ही जोशीमठ क्षेत्र के नीती घाटी के गांवों में भी बर्फबारी हुई है। गांवों को जाने वाले पैदल रास्तों में भी बर्फ जम गई है। रामणी गांव के ग्राम प्रधान सूरज पंवार ने बताया कि बर्फबारी से कड़ाके की ठंड शुरू हो गई है।

Parliament Security Breach: लोकसभा की सुरक्षा में बड़ी चूक! विजिटर गैलरी से चैंबर में कूदे 2 लोग, बेंच पर चढ़ कर छिड़की गैस.

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Parliament Security Breach: संसद भवन की सुरक्षा में उस वक्त बड़ी चूक देखने को मिली है, एक ओर जहां 2 युवकों ने लोकसभा के अंदर सांसदों के बीच में विजिटर गैलरी से उस वक्त छलांग लगा दी जब सदन की कार्यवाही जारी थी। जब सुरक्षा घेरा तोड़कर लोकसभा में विजिटर गैलरी से 2 संदिग्ध कूद पड़े. बुधवार को संसद की कार्यवाही के दौरान 2 शख्स सुरक्षा घेरा तोड़कर जैसे ही लोकसभा में घुसे और बेंच पर चढ़कर कूदने लगे, तभी हड़कंप मच गया. आनन-फानन में सुरक्षाकर्मी दौड़े और दोनों आरोपियों को पकड़ लिया गया. संसद की सुरक्षा में चूक का मामला ऐसे वक्त में आया है, जब आज ही के दिन यानी 13 दिसंबर को संसद भवन पर आतंकी हमला हुआ था और 9 जवान शहीद हुए थे. बताया जा रहा है कि लोकसभा में घुसने के दौरान आरोपी शख्स ने स्प्रे भी किया है. उनके हाथ में टियर गैस कनस्तर  भी था. 


दरअसल, संसद में चल रहे शीतकालीन सत्र की कार्यवाही के दौरान बुधवार को विजिटर गैलरी से अचानक 2 युवक कूद गए और लोकसभा में सांसदों तक पहुंच गए. इतना ही नहीं, स्पीकर की ओर बेंच पर चढ़कर दौड़ने लगे. इसके चलते सदन में अफरा-तफरी मच गई. हालांकि, समय रहते सुरक्षाकर्मियों ने दोनों आरोपियों को पकड़ लिया. बताया जा रहा है कि इस दौरान युवकों ने स्प्रे का भी इस्तेमाल किया और युवकों ने नारेबाजी भी की. हालांकि, इस घटना के बाद लोकसभा की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया.

इस घटना ने एक बार फिर से 22 साल पुराने आतंकी घटना की याद ताजा कर दी है, जब पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने 13 दिसंबर, 2001 को भारतीय संसद परिसर पर हमला किया था और गोलियों की तड़तड़ाहट से देश सहम उठा था. इस आतंकी हमले में दिल्ली पुलिस के कई जवान समेत नौ लोग शहीद हुए थे. हालांकि, सुरक्षाबलों ने पांचों आतंकवादियों को मार गिराया था.

बता दें कि कुछ दिन पहले खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक वीडियो जारी कर अपने खिलाफ एक असफल हत्या की साजिश के जवाब में 13 दिसंबर को नए संसद भवन पर हमला करने की धमकी दी थी. संसद में प्रवेश द्वार पर तीन स्तरीय सुरक्षा जांच की व्यवस्था है, जिसमें मेटल डिटेक्टर और हाथ से पकड़े जाने वाले मेटल डिटेक्टर से जांच शामिल हैं. संसद भवन के प्रवेश द्वार पर भी यही कवायद दोहराई जाती है. विभिन्न आगंतुक दीर्घाओं की ओर जाने वाले गलियारे पर भी सुरक्षा मौजूद है. इन स्थानों पर आगंतुकों को मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं है.

सामने आई आरोपियों की पहचान-
संसद की सुरक्षा में चूक को लेकर बुधवार को दो मामले सामने आए। एक मामले में सदन के बाहर दो लोगों ने तानाशाही नहीं चलेगी का नारा लगाते हुए प्रदर्शन शुरू किया। इनके प्रदर्शन शुरू करते ही पुलिस के जवानों ने हिरासत में ले लिया। इन दो प्रदर्शनकारियों में एक महिला भी थी। इनकी पहचान नीलम (42) निवासी हिसार के रूप में हुई है। वहीं दूसरे प्रदर्शनकारी की पहचान अनमोल शिंदे (25) निवासी लातूर, महाराष्ट्र के रूप में हुई है।
एजेंसियां कर रहीं पूछताछ-
ये चारों कब और कैसे दिल्ली पहुंचे इस बारे में अलग-अलग एजेंसी इनसे पूछताछ कर रही है। चारों के खिलाफ किन धाराओं में किस थाने में मुकदमा दर्ज किया जाए, इस पर फैसला भी जल्द लिया जाएगा। फिलहाल संसद भवन थाने के बाहर मीडियाकर्मियों का जमावड़ा होने के कारण मुख्य द्वार पर बैरिकेड लगाकर एंट्री बंद कर दी गई. लोकसभा के अंदर कलर क्रैकर लेकर पहुंचे शख्स का नाम सागर शर्मा बताया जा रहा है। हालांकि यह अभी पता नहीं चल सका है कि सागर कहां का रहने वाला है और किस उद्देश्य उसने इस घटना को अंजाम दिया। आशंका है कि चोरों लोग एक ही ग्रुप के हो सकते हैं। 

Rajasthan Politics- भाजपा समर्थकों का फूटा गुस्सा, राजस्थान में बगावत शुरू !

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एमपी  और छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने टॉप तीन पदों में से दो OBC, SC या ST को दिए हैं. यह शायद पहला मौका है जब बीजेपी ने अपर कास्ट को ‘साइड’ करने में ज्यादा विचार नहीं किया. क्या ये बीजेपी के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित होगा या इससे आने वाले समय में बड़ा नुकसान. ये तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन जिस तरह से राजस्थान के नए सीएम के नाम पर राजस्थान में भजन लाल पर मोहर लगी उसके बाद राजस्थान भाजपा में बगावत के सुर साफ़ दिखाई देने लगे हैं. ये खबर आपको शायद ही किसी भी मेन स्ट्रीम मीडिया ने नहीं दिखाई होगी राजस्थान भाजपा के कार्यकर्ता  भजन लाल की घोषणा के बाद सीधे मोदी को ही 2024 में जवाब देने की खुले कैमरे पर चेतावनी दे रहे हैं.

सबसे पहले बात नए मुख्यमंत्री की,, राजस्थान के नए सीएम बने भजनलाल शर्मा  के राजनीतिक करियर के साथ एक बड़ा दिलचस्प पहलू जुड़ा हुआ है. भजन लाल पहली बार विधायक बने हैं और पहली ही बार में उनकी लाटरी लग गयी है.

क्या आप जानते हैं कि इससे पहले भजन लाल बीजेपी से ही बगावत कर चुनाव लड़ चुके हैं. जी हाँ भजनलाल शर्मा ने अपना पहला चुनाव बीजेपी से बगावत कर भरतपुर की नदबई विधानसभा सीट से लड़ा था. भजनलाल शर्मा ने वो चुनाव सामाजिक न्याय मंच के बैनर तले लड़ा था लेकिन वे हार गए थे. उन्होंने पहला चुनाव 27 वर्ष की उम्र में लड़ा था. साल 2003 में भरतपुर के नदबई से बीजेपी से बगावत कर सामाजिक न्याय मंच पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. तब भजन लाल शर्मा की जमानत जब्त हो गई थी. भरतपुर की नदबई सीट पर कुल मतदाता 95 हजार 018 थे. इसमें भजनलाल शर्मा को 5 हजार 969 वोट मिले थे. उन्होंने इस सीट से बीजेपी की जितेन्द्र सिंह और कांग्रेस के यशवंत सिंह को चुनौती दी थी. इस बार  भजन लाल शर्मा ने बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर जयपुर के सांगानेर से चुनाव लड़ा और जीते. भजनलाल शर्मा राजस्थान के वो शख्स हैं जो पहली बार विधायक बनते ही सीधे सीएम बने हैं.

अब बात राजस्थान में शुरू हुए घमासान की,,,नए मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद राजस्थान में कई दिग्गज नेता नाराज दिखाई दे रहे हैं,,हालाँकि खुल कर कोई भी नहीं बोल रहा है,लेकिन पार्टी कार्यकर्ता खुल कर मोदी के इस फैसले के खिलाफ बोल रहे हैं और 2024 में जवाब देने की चेतावनी भी दे रहे हैं.

किरोड़ी लाल मीणा के  हाव भाव से साफ जाहिर है कि उनको हाईकमान का ये फैसला रास नहीं आया है,,,हालांकि वो कुछ भी ऐसा नहीं बोल रहे जिससे नाराजगी प्रकट हो लेकिन जिस तरह से जवाब दे रहे हैं उससे आप समझ ही सकते हैं कि इस फैसले से मीणा आहत हैं. अब जरा किरोड़ी लाल मीणा के समर्थकों को भी सुन लीजिए जो इस फैसले से बेहद आक्रोशित हैं और सीधे नरेंद्र मोदी को ही चुनौती दे रहे हैं.

तो देखा आपने किस तरह की तस्वीरें राजस्थान से आ रही हैं लेकिन मेन स्ट्रीम मीडिया आपको ये सब नहीं दिखायेगा,, अब जरा सीएम रेस में रहे बाबा बालकनाथ को भी सुन लीजिये कि वो किस तरह मीडिया पर ही अपनी खीज निकाल रहे हैं.

नए सीएम के ऐलान के साथ ही राजस्थान भाजपा की सबसे बड़ी नेता वसुंधरा की तस्वीरें सभी ने देखी ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये सारे नेता भजनलाल शर्मा के साथ कन्धे से कंधा मिलाकर 2024 में जीत दिलाने की भरसक कोशिश करेंगे। सबसे बड़ा सवाल यही कि क्या वसुंधरा, किरोड़ी लाल मीणा या कई अन्य बड़े आलाकमान के इस फैसले से नाराज हैं और अगर ऐसा है तो फिर आने वाले दिनों में राजस्थान की  राजनीति में कई मोड़ देखने को मिल सकते हैं.

राजस्थान में सरकार की तस्वीर साफ, भजन लाल शर्मा होंगे राजस्थान के नए मुख्यमंत्री, दिया और बैरवा बनेंगे डिप्टी सीएम.

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राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान कर दिया गया है। भजन लाल शर्मा के हाथों में अब राज्य की सत्ता की कमान होगी। भाजपा विधायक दल की बैठक में भजन लाल शर्मा के नाम पर सर्वसम्मति से मुहर लगाई गई। वे सांगानेर विधानसभा सीट से विधायक हैं। इनके नाम का प्रस्ताव पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने रखा। इसके साथ ही पार्टी ने तय किया है कि राजस्थान में दो डिप्टी सीएम भी होंगे। इसके लिए प्रेम चंद बैरवा और दीया कुमारी के नाम पर मुहर लगी है। स्पीकर के लिए वासुदेव देवनानी का नाम फाइनल किया गया है।

इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। वसुंधरा ने चुनावी नजीतों के बाद पार्टी के कई विधायकों को डिनर पार्टी दी थी, जिसे दबाव की राजनीति के तौर पर देखा गया था। हालांकि, नड्डा से मुलाकात के बाद वसुंधरा के सुर बदले-बदले नजर आए थे और उन्होंने खुद को पार्टी का अनुशासित कार्यकर्ता बताया था।

 

 

विधायक दल की बैठक में चुना गया नेता 
इसके बाद पार्टी ने राज्य के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी थी। उन्हें राज्य में मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी सस्पेंस पर विराम लगाने और विधायक दल का नेता चुनने के लिए सभी की सहमति बनाने का जिम्मा सौंपा गया था। इसके बाद मंगलवार को हुई विधायक दल की बैठक में भजन लाल शर्मा को चुना गया। 

विधायक बने सांसदों के इस्तीफे ने बढ़ा दी थी सरगर्मी 
इससे पहले राजस्थान के राजसमंद की सांसद दीया कुमारी, जयपुर के सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़, राज्यसभा सदस्य किरोड़ी लाल मीणा और अलवर के सांसद बाबा बालक नाथ ने विधानसभा चुनाव जीतने के बाद इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि पार्टी वसुंधरा के अलावा किसी दूसरे चेहरे पर दांव खेल सकती है। 

21 सांसदों को उम्मीदवार बनाया था 
भाजपा ने मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनावों में कुल 21 सांसदों को उम्मीदवार बनाया था। इनमें से 12 ने जीत दर्ज की है। भाजपा ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में सात-सात, छत्तीसगढ़ में चार और तेलंगाना में तीन सांसदों को विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारा था। 

मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में चौंकाया 
इससे पहले भाजपा ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर मोहन यादव के नाम पर मुहर लगाकर सभी चौंका दिया था। मोहन यादव उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक हैं। यह भी तय किया गया कि मध्य प्रदेश में दो उपमुख्यमंत्री भी होंगे। इनके लिए जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला का चुना गया। जगदीश देवड़ा मल्हारगढ़ और राजेंद्र शुक्ला रीवा से विधायक हैं। इसके अलावा स्पीकर पद के लिए नरेंद्र सिंह तोमर के नाम का एलान किया गया था। 

वहीं, छत्तीसगढ़ में भाजपा ने विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री के लिए चुनकर सियासी गलियारे में हलचल मचा दी थी। इसके साथ ही यह भी बताया गया कि राज्य में दो डिप्टी सीएम होंगे और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह स्पीकर हो सकते हैं।  

25 नवंबर को मतदान, तीन दिसंबर को आए थे नतीजे 
राजस्थान में करणपुर विधानसभा सीट को छोड़कर बाकी सभी 199 सीटों पर 25 नवंबर को चुनाव कराए गए थे।इसके नतीजे 3 दिसंबर को आए। राजस्थान विधानसभा चुनाव के सियासी घमासान में कांग्रेस को पछाड़ कर भाजपा ने 115 सीटें जीतीं। वहीं कांग्रेस को 69 सीटें ही मिल सकीं। इसके अलावा 15 सीटें अन्य के खाते में गईं।

Dhiraj Sahu: कांग्रेस नेता धीरज साहू के घर से भारी नगदी बरामद, करोड़ों कैश के बीच 5 लाख का पैकेट, इंस्पेक्टर तिवारी का नाम. 

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कांग्रेसी नेता और कारोबारी धीरज साहू के घर मिली अकूत संपत्ति इन दिनों सुर्खियों में हैं. आयकर विभाग ने उनके कई ठिकानों पर छापेमारी करके अरबों की नकदी बरामद की है. बताया जा रहा है कि पांच दिन तक चली छापेमारी के दौरान कुल 351 करोड़ रुपए जब्त किए गए है. छापेमारी की कार्रवाई ओडिशा, पश्चिम बंगाल और झारखंड में स्थित साहू ग्रुप की कंपनियों में हुई है. इस दौरान एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से 300 करोड़ रुपए मिले थे. इन पैसों को 176 बैग में भरकर रखा गया था. यहां से बरामद किए गए पैसों की गिनती के लिए 80 अफसरों की 9 टीमें लगाई गई थीं, जिन्होंने 24 घंटे की शिफ्ट में काम किया है.

जानकारी के मुताबिक, उड़ीसा के बलांगीर के सुदापाड़ा में शराब कंपनी के कार्यालय में एक लोहे के लॉकर को काटकर भारी नकदी बरामद की गई. इसमें एक पैकेट में अलग से पांच लाख रुपए रखे मिले. इस पैकेट के ऊपर ‘इंस्पेक्टर तिवारी’ लिखा हुआ था. इसको देखकर आयकर अधिकारी भी हैरान रह गए. सबके जेहन में एक ही सवाल कौंध रहा था कि आखिर ये ‘इंस्पेक्टर तिवारी’ कौन है, जिसके लिए अलग से पैसे रखे हैं. फिलहाल आयकर अधिकारी ‘इंस्पेक्टर तिवारी’ की सच्चाई पता करने की कोशिश में हैं. आशंका जताई जा रही है कि यह शख्स पुलिस, उत्पाद शुल्क या आबकारी विभाग से जुड़ा कोई इंस्पेक्टर हो सकता है. हो सकता है कि काली कमाई को छिपाने के लिए उसे हर महीने पांच लाख रुपए दिए जाते हों. ‘इंस्पेक्टर तिवारी’ के रहस्य ने इस छापेमारी में नया ट्विस्ट ला दिया है.

ओडिशा से कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य संबलपुर के बड़ा बाजार स्थित मेसर्स बलदेव साहू एंड संस की शराब भट्ठी के दफ्तर से भी नोटों से भरे कई बैग जब्त किए गए. माना जा रहा है कि किसी भी एक मामले में आयकर विभाग की छापेमारी में बरामद यह सबसे बड़ी रकम है.बरामद नकदी में ज्यादातर 500 रुपए के हैं. 100 और 200 रुपए मूल्य के नोटों की भी काफी संख्या है. इससे पहले आयकर विभाग ने उसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और बलदेव साहू इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड के दफ्तरों से 10 से ज्यादा अलमारियों में रखे गए नोटों के बंडल बरामद किए.

कांग्रेस की राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र होने की वजह से उनके पुश्तैनी मकान को लोहरदगा का ‘व्हाइट हाउस’ भी कहा जाता है. इनके यहां फिल्म स्टार और क्रिकेटर भी आते रहते हैं. रांची से सांसद रहे शिव प्रसाद साहू को इंदिरा गांधी का काफी करीबी माना जाता था. देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद भी लोहरदगा मे इनके घर आ चुके हैं. राजेंद्र बाबू आजादी के पहले और आजादी के बाद उनके घर आए थे. ऐसा कहा जाता है कि साल 1947 में देश की आजादी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए इनके पिता ने 47 लाख रुपए और 47 किलो सोना दान में दिया था. इनका परिवार मुख्य रुप से शराब के कारोबार से जुड़ा हुआ है.

साहू परिवार राजनीति और व्यापार दोनों में ही सक्रिय भूमिका निभा रहा है. इनका परिवार शुरू से ही कांग्रेस से जुड़ा रहा है. किसी जमाने में चुनाव प्रचार के दौरान देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी इनके यहां रुकती थीं. देश के पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद भी धीरज साहू के घर आ चुके हैं.धीरज साहू के भाई के जमाने में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के टिकट से लेकर मंत्री पद तक के लिए इस परिवार से सिफारिश कराई जाती थी.चुनावी राजनीति और वित्तीय पोषण में साहू परिवार की अहम भूमिका हमेशा से रही है.

कांग्रेस को एक और बड़ा झटका, 50 विधायक बीजेपी में जाने को तैयार, कुमारस्वामी ने किया सनसनीखेज खुलासा.

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पांच राज्यों में चुनावी नतीजे आने के बाद जिस तरह कांग्रेस के लिए नतीजे निराश करने वाले रहे हैं उससे कहीं न कहीं कांग्रेस में चिंता बनी हुई है,इन नतीजों ने उनके 2024 के मिशन को भी झटका लगा है. लेकिन अब दक्षिण से भी कांग्रेस को बड़ा झटका लगने की तैयारी है पांच राज्यों से पहले हुए चुनावों में कांग्रेस हिमाचल और कर्नाटक में जीत से काफी उत्साहित थी, लेकिन हाल ही में आये इन  चुनाव नतीजों ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है इन झटकों से कांग्रेस उबर पाती उससे पहले कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगने का दावा किया जा रहा है,,कहा जा रहा है कि जिस कर्नाटक जीत से कांग्रेस में उत्साह था वो कर्नाटक अब उनके हाथ से निकल सकता है क्योंकि यहां के 50 से 60 कांग्रेसी विधायक पार्टी का साथ छोड़ भाजपा में शामिल होने की तैयारी में हैं. मतलब जो खेला महाराष्ट्र में हुआ वो अब कर्नाटक में होने जा रहा है.

जनता दल S  के नेता एचडी कुमारस्वामी के रविवार को एक चौंकाने वाला दावा सामने आया है। उनका कहना है कि कर्नाटक में कांग्रेस सरकार कभी भी गिर सकती है। कुमारस्वामी ने कहा कि केंद्र द्वारा शुरू की गई कानूनी परेशानियों से बचने के लिए सत्तारूढ़ कांग्रेस के एक प्रभावशाली मंत्री भाजपा में शामिल होने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि मंत्री ‘50 से 60 विधायकों’ के साथ कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इसके लिए वह भाजपा के नेताओं के साथ बातचीत कर रहे हैं।

जेडीएस नेता ने पत्रकारों से कहा कि कांग्रेस सरकार में सब कुछ ठीक नहीं है। उन्हें नहीं पता कि यह सरकार कब गिर जाएगी। एक मंत्री अपने खिलाफ दर्ज मामलों से बचने के लिए बेताब हैं। कुमारस्वामी ने कहा कि केंद्र ने उनके खिलाफ ऐसे मामले दर्ज किए हैं, जिनसे बच निकलने की कोई संभावना नहीं है। जब पत्रकारों ने नेता का नाम पूछा तो उन्होंने कहा कि छोटे नेताओं से ऐसे कदम की उम्मीद नहीं की जा सकती। केवल प्रभावशाली लोग ही ऐसा कर सकते हैं।

जनता दल एस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कर्नाटक में किसी भी समय महाराष्ट्र जैसा कुछ हो सकता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा राजनीतिक माहौल को देखते हुए, कुछ भी हो सकता है।कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे  ने कहा कि चुनाव के बाद कर्नाटक में जेडीएस का कोई अस्तित्व नहीं बचा है। अस्तित्व बचाने के लिए पार्टी संघर्ष कर रही है।जब कुमारस्वामी से नेता का नाम पूछा गया तो उन्होंने कहा कि छोटे नेताओं से ऐसे ‘निर्भीक’ कदम की उम्मीद नहीं की जा सकती उन्होंने कहा कि केवल ‘प्रभावशाली लोग’ ही ऐसा कर सकते हैं. जनता दल एस  के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कर्नाटक में किसी भी समय ‘महाराष्ट्र जैसा कुछ’ हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘मौजूदा राजनीतिक माहौल को देखते हुए कुछ भी हो सकता है.’

खरगे ने आगे कहा कि बीआरएस ने भाजपा के साथ गठबंधन किया। एक पार्टी के रूप में बने रहें इसे सुनिश्चित करने के लिए जो कर सकते हैं वह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस का सफाया होने की बात भूल जाइए। चुनाव से पहले न तो जेडीएस और न ही भाजपा रहेगी।

कुल मिलाकर कर्नाटक में कांग्रेस के साथ खेला हो सकता है अगर कुमार स्वामी का दावा सही है तो फिर 2024 से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है और दक्षिण में कमजोर पड़ती भाजपा के लिए ये बड़ा फायदा हो सकता है. कुमारस्वामी के दावे में कितना दम है ये तो आने वाले वक्त में पता चल जायेगा। लेकिन अगर ये दावा सही है तो कांग्रेस के लिए कर्नाटक में बड़ी चुनौती होगी अपने विधायकों को जोड़े रखने की क्योंकि जरा सी चूक और बीजेपी को मौका,, और कांग्रेस जानती है कि इस तरह के मौके बीजेपी को देना कितनी बड़ी भूल साबित हो सकती है.