Day: December 15, 2023

बीजेपी की तीन राज्यों में जीत के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ क्यों चर्चा में, जानिए वजह.

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उत्तर प्रदेश का ‘योगी मॉडल’ मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ को अब बूस्टर देने की तैयारी में है। योगी आदित्यनाथ के इसी मॉडल की तर्ज पर अब इन राज्यों में आगे की सियासत का पूरा ताना-बाना बुना जा रहा है। मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार ने तो बाकायदा योगी मॉडल के तर्ज पर ही फैसले लेने शुरू भी कर दिए हैं। पहला फैसला धार्मिक स्थलों पर बजाए जाने वाले लाउडस्पीकर और उससे होने वाले ध्वनि प्रदूषण पर सख्ती के साथ लिया गया है। मध्य प्रदेश में भी बुलडोजर एक्शन शुरू हो गया है तो कहीं खुले में मांस बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके अलावा कई और मॉडल को आगे किए जाने की योजनाएं बनाई जा रही हैं। कहा ये भी जा रहा है कि इन सभी राज्यों में कानून व्यवस्था के लिहाज से उत्तर प्रदेश सरकार में अपनाए जाने वाले सख्त मॉडल को भी आगे किया जाएगा।

भाजपा के तीन राज्यों में बनी सरकार अब अपने नए मॉडल के साथ जनता से कनेक्ट करने  के लिए तैयार हो चुकी है। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकारें वैसे तो डबल इंजन की सरकार के बूते आगे का अपना पूरा सफर तय करने का दावा कर रही हैं, लेकिन इन सब के बीच चर्चा इस बात की भी सबसे ज्यादा हो रही है कि इसमें योगी मॉडल को भी शामिल किया जाएगा। हालांकि उसकी शुरुआत मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कर भी दी है। मध्यप्रदेश में कुछ दिनों के भीतर धार्मिक स्थलों से बजने वाले लाउडस्पीकर की संख्या कम हो जाएगी। यही नहीं मध्यप्रदेश सरकार के आदेश के मुताबिक एक लाउडस्पीकर के साथ तय मानकों में ही धार्मिक स्थलों से आवाज की जा सकेगी। राजनीतिक जानकार बृजेंद्र शुक्ला कहते हैं कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपने राज्य में यह मॉडल सबसे पहले शुरू किया था।

मध्य प्रदेश में भी यूपी मॉडल की तैयारी-

इसके अलावा मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में धार्मिक स्थलों के तय दायरे के भीतर मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में योगी मॉडल के भीतर भी इसी का प्रावधान है। उत्तर प्रदेश में भाजपा नेता मानते  हैं कि राज्य में योगी सरकार ने मांस की बिक्री के लिए जो कानून लागू किए हैं, वह बेहतर हैं। जैसे कि बगैर लाइसेंस और स्क्रीनिंग के कोई भी मांस की दुकान खुले में नहीं लगाई जा सकती है। मिश्रा कहते हैं कि मध्य प्रदेश की सरकार ने भी इसी आदेश को पूरे राज्य में लगाने की योजना बनाई है। शुरुआत में भोपाल में इसे लेकर सख्ती भी बढ़ाई गई और जुर्माना भी लगाया गया। वे कहते हैं कि मिशन शक्ति के माध्यम से जिस तरीके से उत्तर प्रदेश में महिलाओं को मजबूत करने की शुरुआत की गई, वह पूरे देश में आज मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है। उनका मानना है कि भाजपा शासित राज्यों में तो कम से कम इन मॉडल को अपनाया ही जाना चाहिए।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के कई ऐसे मॉडल हैं, जिसे लेकर देश के अलग-अलग राज्यों में भाजपा की सरकारें उन्हें गाहे बगाहे अपनाती ही रहती हैं। भारतीय जनता पार्टी पिछड़ा वर्ग के सचिव मनोज कनौजिया कहते हैं कि भाजपा शासित राज्यों में कानून व्यवस्था एक महत्वपूर्ण और भरोसेमंद व्यवस्था बनकर उभरी है। वे कहते हैं कि जिस तरीके से कानून की धज्जियां उड़ाने वालों पर योगी का बुलडोजर चला है इसी तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी अब मोहन यादव का बुलडोजर गरज रहा है। उन्होंने बताया कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश में जो मॉडल तैयार हुआ, उसे अलग-अलग राज्यों के साथ देश में तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा 2022 में भाजपा की यूपी में वापसी, महिला सुरक्षा और कानून व्यवस्था के नाम पर ही हुई थी। इसलिए इस मॉडल की सब जगह प्रशंसा भी हो रही है। हालांकि उनका तर्क है कि योगी और मोदी सरकार के कामकाज की योजनाओं को जनता ने पसंद किया था।

सियासी जानकार भी मानते हैं कि मोदी और योगी मॉडल भाजपा की सरकारों को और आगे ले जाने में बेहतर साबित होगा। जानकारों का मानना है  कि तीनों राज्यों में चुनावों के दौरान योगी सरकार की कानून व्यवस्था को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा सुनने को मिली थी। वह कहते हैं कि निश्चित तौर पर सभी राज्यों में अब कानून व्यवस्था के उसी मॉडल पर लागू करने की उम्मीदें तो राज्य की जनता में होगी। शर्मा कहते हैं कि जिस तरीके से खुले में मांस बेचे जाने से लेकर धार्मिक स्थलों पर ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने की व्यवस्था मध्यप्रदेश सरकार ने की है उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि योगी मॉडल के ऐसे और भी कई महत्वपूर्ण पहलू होंगे  जिन्हें सभी राज्यों में आगे बढ़ाया जाएगा।

क्या राजस्थान भी यूपी मॉडल की तर्ज पर ?

राजस्थान में भी कई सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग मानते हैं कि राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर योगी मॉडल को अपनाना चाहिए। उनका कहना है कि कानून व्यवस्था के लिहाज से राजस्थान में सख्त कदम उठाए जाने जरूरी है। मध्यप्रदेश में जिस तरीके से उत्तर प्रदेश की तरह खुले में मांस पर प्रतिबंध लगाया गया है, उसी तरीके से राजस्थान में भी यह शुरू किया जाना चाहिए। जबकि धार्मिक स्थलों पर आवाज नियंत्रित किए जाने की बेहद आवश्यकता है। इसी तरह कानून व्यवस्था के लिहाज से मध्यप्रदेश में भी योगी मॉडल की चर्चा शुरुआत से हो रही है। इसी तरह एमपी के नर्मदा पुरम के होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन का कहना है  कि मध्यप्रदेश में पहले से यह मांग की जा रही थी कि कानून व्यवस्था के लिहाज से योगी मॉडल को अपनाया जाना चाहिए। वह कहते हैं कि अब उम्मीद लग रही है कि उसी तर्ज पर राज्य की व्यवस्थाएं आगे बढ़ेंगी।

इन सभी से यही लगता है कि भले भाजपा मोदी के नाम पर जीत कर आयी हो लेकिन लोगों को सरकार चलाने का अंदाज योगी का अधिक पसंद है. मतलब भले ही मुख्यमंत्री मोदी ने बनाए हों लेकिन वो काम योगी स्टाइल में करने की अपनी मंशा जता चुके हैं मतलब साफ है कि योगी मॉडल का डंका सब जगह बजना शुरू हो गया है।

मथुरा शाही ईदगाह के सर्वे पर 18 दिसंबर की सुनवाई में तय होंगे मुद्दे, जानिए क्या हैं फैसले के मायने.

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बाबरी मस्जिद और ज्ञानवापी मस्जिद के बाद अब मथुरा के शाही ईदगाह का भी सर्वे होगा,, इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले ने मुस्लिम पक्ष को झटका तो दिया है लेकिन कई सवाल भी खड़े कर दिये है, और जो सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है वो ये कि आखिर ये सिलसिला कब तक चलेगा, क्या अयोध्या के बाद अब मथुरा के शाही ईदगाह को भी गिराने की तैयारी हो गयी है, क्या शाही ईदगाह का नामो निशान मिटा दिया जायेगा, क्या ये सब कभी खत्म हो पायेगा या फिर ये सब सिर्फ राजनीति है.

अयोध्या में बाबरी मस्जिद और वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे के बाद अब मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के ASI सर्वे को भी मंजूरी दे दी गयी है. दरसल ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे के फैसले के बाद से इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया था इस बात की चर्चा ने जोर पकड़ा था की अब मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद गहरा जायेगा और हुआ भी ठीक वैसा ही,, लंबी सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आ गया और विवादित परिसर का सर्वेक्षण कराने की मांग इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली और ज्ञानवापी की तर्ज पर ही मथुरा के विवादित परिसर का भी अब सर्वे होगा एडवोकेट कमिश्नर अब वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के जरिये यहां का सर्वेक्षण कर सकेंगे, एडवोकेट कमिश्नर कौन होगा और कब से सर्वेक्षण शुरू होगा इस पर हाईकोर्ट 18 दिसंबर को सुनवाई करेगा।

इसके साथ ही 18 दिसंबर को ही हाई कोर्ट एडवोकेट कमिश्नर द्वारा किए जाने वाले सर्वेक्षण के रूपरेखा तय करेगा कोर्ट 18 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में सभी पक्षों से इस बारे में राय भी मांगेगा सभी पक्षों की राय सुनने के बाद ही अदालत इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी आपको बता दे कि हिंदू पक्ष  के  कटरा केशव देव की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी जिस पर जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बैंच ने इस मामले में फैसला सुनाया। 16 नवंबर को सुनवाई होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था हिंदू पक्ष की याचिका में दावा किया गया है कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली उस मस्जिद के नीचे मौजूद है और ऐसे कई संकेत हैं जो ये साबित करते हैं कि वो मस्जिद एक हिंदू मंदिर है.

 

क्या ये एक रणनीति है ?

आखिर क्यों एक के बाद एक ऐसे विवाद खड़े हो रहे हैं, क्या यह सिर्फ एक खास समुदाय को निशाना बनाने की साजिश है या फिर धार्मिक कार्ड खेल कर हिंदुओं को अपने पक्ष में करने की रणनीति। दरअसल ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि 1991 में तत्कालीन कांग्रेस प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव सरकार के समय आया प्लेसे ऑफ वर्शिप एक्ट कहता है की 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता यह कानून तब आया था जब देश में बाबरी मस्जिद और अयोध्या का मुद्दा बेहद गरम था. हालांकि राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले को इस एक्ट से बाहर रखा गया था और नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के पाँच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। फैसले के मुताबिक 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिलेगी, मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश था.

इस फैसले के बाद कुछ जानकारों का मानना था कि अब इस तरह के विवाद नहीं खड़े होंगे वही कुछ का दावा था कि अब ऐसे कई मामले सामने आएंगे जिसकी वजह थी वो नारा जो बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला आने के बाद लगा था,, और वो नारा था अयोध्या तो बस झांकी है, काशी मथुरा बाकी है. ये नारा काफी दिनों तक भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों की जुबांन पर चढ़ा रहा. हिन्दू संघटनों ने पहले ज्ञानवापी मस्जिद पर दावा किया इसके बाद उनके निशाने पर आ गया मथुरा का श्री कृष्ण शाही ईदगाह मस्जिद।

कहीं ये 2024 की तैयारी तो नहीं ?

इसलिए सवाल उठने लगे हैं कि क्या ये सिलसिला कभी रुक पायेगा, वहीं कुछ लोगों का दावा है की 2024 चुनाव नजदीक आते-आते अभी ऐसे तमाम विवाद खड़े होंगे जिससे हिंदू -मुस्लिम  का माहौल पैदा हो सके. जिसका फायदा लोकसभा चुनावों मे मिल सके. जैसे-जैसे चुनावों का समय पास आयेगा मुद्दे तूल पकड़ेंगे। इस  मुद्दे पर मूल बात की सुनवाई सीधे तौर पर हाई कोर्ट में हो रही है. दूसरी अर्जियों में अमीन के जरिये सर्वेक्षण कराये जाने की भी मांग की गयी है अमीन सर्वेक्षण और दूसरी अर्जियों पर हाई कोर्ट 18  दिसम्बर के बाद सुनवाई करेगा।

श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जमीन विवाद को लेकर हिन्दू पक्ष की तरफ से उत्तर प्रदेश के मथुरा की अदालत में कई याचिकाएं दाखिल की गयी. वहीँ दूसरी तरफ इस फैसले के आने के बाद AIMIM  सांसद असुद्दीन ओवेसी का भी बयान सामने आ गया.  उन्होंने ट्वीट कर सवाल उठाते हुए कहा की क़ानून का मजाक बना दिया है हैदराबाद सांसद असुदुद्दीन ओवेसी ने कहा की इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने की इजाजत दे दी. बाबरी मस्जिद केस के फैसले के बाद मैने कहा था ” कि बाबरी फ़ैसले से अब और मुश्किलें पैदा होंगी क्योंकि वो फ़ैसला धार्मिक आस्था के आधार पर दिया गया था.

” दरअसल वाराणसी की ज़िला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में देवी-देवताओं की पूजा की मांग को लेकर की गई पाँच महिलाओं की याचिका को सुनवाई के लिए सोमवार को स्वीकार कर लिया और मुस्लिम पक्ष की अपील को खारिज कर दी. ओवेसी ने आगे  कहा की मथुरा विवाद दशकों पहले कमेटी और मंदिर ट्रस्ट ने आपसी सहमति से सुलझा लिया था. काशी मथुरा या फिर लखनऊ की मस्जिद हो कोई भी इस समझौते को पढ़ सकता है, प्लेस ऑफ वर्शिश  एक्ट अभी भी है लेकिन इस ग्रुप ने क़ानून और न्याय प्रक्रिया का मजाक बना दिया है।

सुप्रीम कोर्ट को मामले में 9 जनवरी को सुनवाई करनी थी तो फिर  ऐसी क्या जल्दी थी कि सर्वे कराने का फैसला देना पड़ा। यानी ओवेसी का कहना है कि ये सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ साजिश हो रही है सभी दल इस तरह के मुद्दे को गरमा कर अपनी रोटियां सेक रहे हैं. ओवेसी ने आगे कहा की जब एक पक्ष मुस्लिमों को लगातार निशाना बनाने में रूचि रखता है तो कृपया हमें गिव एंड टेक यानी देने लेने का उपदेश ना दें क़ानून मायने नहीं रखता मुसलमानों के सम्मान को ठेस पहुँचाना ही मकसद है.

संसद सुरक्षा मामला: मास्टरमाइंड ललित झा का परिवार हैरान, जानिए बड़े भाई ने उसकी गिरफ्तारी पर क्या कहा.

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संसद में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा सदन में बुधवार को एक घटना ने सुरक्षा एजेंसियों पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। लोकसभा कार्यवाही के दौरान सुरक्षा में चूक का मामला सामने आया है। दर्शक दीर्घा में बैठे दो व्यक्ति ने सभी को उस वक्त चौंका दिया, जब वे अचानक वहां से कूदकर सांसदों के बीच जा पहुंचे थे। इस दौरान आरोपियों ने जमकर हंगामा किया।
बुधवार सदन के भीतर मौजूद दो आरोपियों में से एक आरोपी सांसदों की सीट पर जा पहुंचा। इस घटना को देखकर वहां पर मौजूद सांसदों और सुरक्षाकर्मियों के हाथ पांव फूल गए थे। हालांकि दो आरोपियों में से एक आरोपी को वहां मौजूद सांसदों और सुरक्षा कर्मियों ने काफी मशक्कत के बाद पकड़ लिया और जमकर धुनाई की थी।

संसद की सुरक्षा में चूक के मास्टरमाइंड ललित मोहन झा के आत्मसमर्पण के बाद उसके परिवार को विश्वास नहीं हो रहा है। आरोपी के बड़े भाई शंभू झा ने संसद की सुरक्षा में चूक मामले पर अपने भाई के शामिल होने पर हैरानी जताई है। बता दें गुरुवार को नई दिल्ली में गिरफ्तारी देने के बाद आरोपी ललित को विशेष सेल को सौंप दिया गया है।

क्या कहा आरोपी के बड़े भाई ने-


समाचार चैनलों पर भाई की तस्वीरों को देख आरोपी के बड़े भाई शंभू झा हैरान हो गए हैं। उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता कि वह इस तरह के कृत्यों में कैसे शामिल हुआ। वह बचपन से ही शांत स्वभाव का बच्चा था। हम इतना जानते हैं कि वह एक निजी शिक्षक होने के साथ-साथ एक गैर सरकारी संगठन के साथ जुड़ा था। पूरा परिवार को इस बात पर हैरानी हो रही है। आरोपी ललित के बड़े भाई ने कहा कि आखिरी बार दस दिसंबर को ललित से मुलाकात हुई थी। वह सियालदह स्टेशन पर हमें छोड़ने के लिए आया था। अगले दिन भाई ने सिर्फ इतना कहा था कि वह निजी काम से दिल्ली जा रहा है। जिसके बाद कभी उससे बात नहीं हो पाई।  

न्यूज़ चैनलों पर तस्वीरें देख पड़ोसी भी हैरान-

ललित की तस्वीरें वायरल होने के बाद उसके पड़ोसी भी हैरान है। उन्होंने कहा कि कोलकाता के बड़ा बाजार में समुदाय के साथ शायद ही कभी जुड़ा था। बाद में परिवार उत्तर चौबीस परगना जिले के बागुईआटी में स्थानांतरित हो गया। शहर में स्थित एक चाय की दुकान के मालिक पापोन शॉ ने कहा, वह एक शिक्षक के रूप में जाने जाते थे, स्थानीय छात्रों को पढ़ाते थे। उसने बताया वह स्थानीय लोगों के साथ कम ही बातचीत करते थे। हां इतना जरूर है कि वह मेरी दुकान पर चाय पीते थे। दो साल पहले ही वहां यहां से चला गया, फिर उसके बाद उसे कभी नहीं देखा गया।  

आरोपियों के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज-


संसद की सुरक्षा में चूक मामले में गिरफ्तार चार आरोपियों पर आईपीसी की धाराओं के अलावा आतंकवाद विरोधी कानून (यूएपीए) के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। साथ ही फरार चल रहे ललित झा को पकड़ने के लिए कई स्थानों पर छापेमारी की जा रही है। पुलिस सूत्रों ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी। बता दें इस अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध गैर जमानती हैं। एक अधिकारी ने कहा कि हालांकि अभी तक की जांच में सुरक्षा एजेंसियों को किसी आतंकी समूह से संबंध होने का सबूत नहीं मिला है। जांच में दो अन्य लोगों के कृत्य में शामिल होने की जानकारी मिली है।

किशोरी से दुष्कर्म मामले में दोषी भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को 25 साल की कैद, दस लाख रुपये का जुर्माना

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उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में दुद्धी सीट से भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को किशोरी से दुष्कर्म मामले में सजा का एलान हो गया है। भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को कोर्ट ने 25 साल की कैद तथा 10 लाख रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड की धनराशि पीड़िता को मिलेगी।किशोरी से दुष्कर्म के मामले में सोनभद्र की एमपी-एमएलए कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है। नवंबर 2014 में म्योरपुर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था और आठ सालों की लंबी सुनवाई के बाद फैसला आया है।

 

एमपी-एमएलए कोर्ट ने भाजपा विधायक रामदुलार गोंड के 25 वर्ष कैद और दस लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। विधायक को किशोरी के साथ दुष्कर्म का दोषी पाया गया है। आठ साल तक चली लंबी कानूनी लड़ाई के बाद बृहस्पतिवार को कोर्ट ने फैसला सुनाया। एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश एहसानुल्लाह खां ने अर्थदंड की समूची राशि पीड़िता को देने का आदेश दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा और विधायक समर्थकों को तगड़ा झटका लगा है। आदेश के बाद रामदुलार गोंड की विधायकी जानी तय मानी जा रही है। विधायक के अधिवक्ता ने फैसले को उच्च अदालत में चुनौती देने की बात कही है।

बता दें कि किशोरी से दुष्कर्म के मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने 12 दिसंबर को भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को दोषी करार दिया था। मंगलवार को सुनवाई के बाद एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश एहसानुल्लाह खान ने सजा सुनाने के लिए 15 दिसंबर की तिथि निर्धारित की थी।

 

पीड़िता के भाई ने जाहिर की खुशी, कहा नौ साल बाद न्याय मिला
एमपी-एमएलए कोर्ट से विधायक रामदुलार गोंड को सजा होने पर पीड़िता के भाई ने खुशी जाहिर की। सुनवाई के दौरान मंगलवार को आए पीड़िता के भाई जब इस संबंध में वार्ता की गई तो उनका कहना था कि अदालत के फैसले वे वह बेहद खुश है। नौ साल के संघर्ष के बाद आज उसे न्याय मिला है। बता दें कि पीड़िता के भाई की शिकायत पर ही नौ साल पहले रामदुलार गोंड के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ था।