Month: November 2023

Rajasthan Election: मायावती के इस खेल से क्यों बेचैन है कांग्रेस !

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पांच चुनावी राज्यों में एक राजस्थान में जंग बेहद दिलचस्प मोड़ की तरफ बढ़ रही है यहां  भाजपा और कांग्रेस दोनों की बेचैनी बढ़ गयी है क्योंकि राजस्थान की सियासत में दलितों और पिछड़ों की सबसे बड़ी पार्टी माने जाने वाली बहुजन समाज पार्टी यानी BSP की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती  की एंट्री होने जा रही है. राजस्थान का इतिहास गवाह है कि जब भी मायावती यहां किसी सीट पर प्रचार के लिए गयी हैं उनमे अधिकतर सीट बसपा जीती है, ऐसे में भाजपा और कांग्रेस के खेमे में सेंध लगने की उम्मीद है, इसका सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस को हो सकता है क्योंकि दलित वोटर राजस्थान में कांग्रेस का मुख्य वोटर भी माना जाता है ऐसे में जिनके दम पर कांग्रेस को सत्ता में वापसी की उम्मीद है,वो वोटर उनसे छिटक सकता है.

ऐसा पहले भी कई बार हुआ है,,ऐसे में जब मुकाबला कांटे का दिखाई दे रहा है तो एक एक सीट दोनों पार्टियों के लिए बड़ा महत्व रखती है,,,पिछली बार के चुनाव में भी बसपा 6 सीटें जीती थी,जबकि एक दर्जन सीटों पर उसके प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे थे,,राजस्थान में 39  सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं ऐसे में मायावती का फोकस इन सीटों पर है ऊपर से जिन नेताओं को टिकट नहीं मिल रहे वो बसपा में शामिल हो रहे हैं. इनमें सबसे अधिक कांग्रेस के विधायक हैं मायावती और अशोक गहलोत के बीच की अदावत जग जाहिर है,,सियासी जानकार मानते हैं कि मायावती गहलोत से बहुत नाराज है क्योकि उन्होंने दो बार उनके जीते विधायकों को कांग्रेस में शामिल कराया,ऐसे में इस बार मायावती ने खुद मोर्चा संभाला है.

 40 सीटों पर खुद प्रचार करेंगी मायावती –

मायावती इस बार 40 सीटों पर खुद प्रचार करेंगी,,,इनमें पूर्वी राजस्थान में बसपा का सबसे बड़ा असर है,,यहां बसपा के टिकट पर लड़ने वाला कोई भी उम्मीदवार आसानी से 10 से 15 हजार वोट हासिल कर लेता है, सियासी जानकार ये भी मानते हैं कि बसपा सबसे अधिक डैमेज कांग्रेस को पहुंचाती है,,कुल मिलाकर ये भी कहा जा सकता है कि मायावती अशोक गहलोत की सत्ता वापसी के सपने को तोड़ भी सकती हैं मायावती 5 साल बाद भरतपुर शहर के नदबई कस्बे में आ रही हैं और उनका मकसद 7 विधानसभा सीटों पर 4 लाख एससी वोटो को साधना है. मायावती ने 2018 के विधानसभा चुनावों में नदबई कस्बे में बसपा प्रत्याशी जोगिंदर सिंह अवाना के समर्थन में जनसभा को संबोधित किया था और जोगिंदर सिंह अवाना विजय हुए थे. बसपा पार्टी से विजय होने के बाद जोगिंदर सिंह अवाना कांग्रेस में शामिल हो गए. इस बार 2023 के चुनाव में नदबई विधानसभा से खेमकरण तौली को उम्मीदवार बनाया है. इस जनसभा में जिले की सात विधानसभा क्षेत्रों से बहुजन समाज के कार्यकर्ता व समर्थक बड़ी संख्या में शामिल हुए .

राष्ट्रीय अध्यक्ष सुप्रीमो मायावती की भरतपुर जिले में प्रत्येक विधानसभा चुनाव में जनसभा आयोजित करवाई जाती है, क्योंकि यहां बीएसपी पार्टी को काफी फायदा मिलता है और सात विधानसभा क्षेत्र में से दो या तीन  सीटों पर इन्हें विजय हासिल होती है. 2018 के चुनाव में नगर और नदबई विधानसभा क्षेत्र से बसपा को विजय हासिल हुई थी.भरतपुर की सातों विधानसभा सीटों पर एससी वोट बड़ी संख्या में हैं. यही वजह है कि सुप्रीमो मायावती भरतपुर में जनसभा को संबोधित करने जा रही हैं. जनसभा आयोजित होने से जिले की कई विधानसभा सीटों का गणित बदलेगा.

क्या राजस्थान में किंग मेकर की भूमिका में आ सकती हैं मायावती-

बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती 17 से 20 नवंबर तक राजस्थान के दौरे पर रहेंगी, जहां वे बसपा प्रत्याशियों के समर्थन में आम सभाएं और रैलियां करेंगी. मायावती अपने चार दिवसीय राजस्थान दौरे के दौरान 20 नवंबर को लाडनूं आएंगी. वे यहां बसपा प्रत्याशी नियाज मोहम्मद खान के समर्थन में जनसभा को संबोधित करेंगी. बहुजन समाज पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष भगवान सिंह बाबा के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती राज्य में 17 से 20 नवम्बर तक बसपा प्रत्याशियों के समर्थन में 8 जनसभाओं को सम्बोधित करेंगी.

यूपी के आगरा से राजस्थान के भरतपुर व धौलपुर के 50 से अधिक गांवों की सीमाएं जुड़ीं हैं. इसलिए आगरा के कई बसपा नेता राजस्थान चुनाव में विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव प्रबंधन में शामिल हैं. इसका भी फायदा उनको मिल सकता है, बता दें कि राजस्थान में 25 नवंबर को 200 सीटों के लिए मतदान होगा, ऐसे में जब बसपा पहले ही ऐलान कर चुकी है कि इस बार वो सरकार में शामिल होगी तो मतलब साफ़ है अगर बसपा राजस्थान में कुछ सीट जीत जाती है और किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो ऐसे में मायावती किंग मेकर की भूमिका में आ सकती हैं और अगर ऐसा हुआ तो निश्चित तौर पर 2024 चुनाव में भी मायावती अहम भूमिका में आ सकती हैं क्योंकि उन्होंने अभी तक अपने पत्ते साफ़ नहीं किये हैं कि 2024 में उनका रुख किस ओर होगा। बहरहाल आने वाला समय साफ़ कर देगा कि मायावती राजस्थान में किसको डेंट मारने जा रही है.

World Cup: राहुल द्रविड़ फाइनल मैच के बाद टीम इंडिया से हो जाएंगे अलग ? BCCI ने नहीं दिया नया ऑफर.

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भारतीय क्रिकेट टीम विश्व कप के फाइनल में पहुंच गई है। उसने बुधवार (15 नवंबर) को खेले गए सेमीफाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंड को 70 रन से हरा दिया। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में मिली जीत के बाद भारतीय टीम फाइनल में पहुंच गई है। 19 नवंबर को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में उसका मुकाबला ऑस्ट्रेलिया या दक्षिण अफ्रीका से होगा। वह भारत के मौजूदा कोच राहुल द्रविड़ का आखिरी मैच हो सकता है।

 
विश्व कप के बाद राहुल द्रविड़ का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। वह 2021 में टी20 विश्व कप के बाद टीम के कोच बने थे। रवि शास्त्री की जगह उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बीसीसीआई ने द्रविड़ के साथ दो साल का अनुबंध किया था, जो विश्व कप के बाद समाप्त हो जाएगा। ऐसे में अगर उन्हें नया अनुबंध नहीं मिलता है तो बतौर भारतीय कोच यह उनका आखिरी मुकाबला होगा। वह ट्रॉफी के साथ विदा होना चाहेंगे।

राहुल ने बदली बोर्ड के अधिकारियों की धारणा-
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीसीसीआई ने द्रविड़ के साथ अब तक नए अनुबंध को लेकर कोई बात नहीं की है। भारत के पूर्व कप्तान और उनके सहयोगी स्टाफ के पास विश्व कप तक का अनुबंध था और कोचिंग टीम के भविष्य को लेकर बीसीसीआई के भीतर अलग-अलग दृष्टिकोण थे। शुरुआत में द्रविड़ की कोचिंग शैली को लेकर बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारियों को आपत्ति थी, लेकिन भारतीय टीम के हालिया प्रदर्शन ने उन धारणाओं को बदल दिया है। 

क्या द्रविड़ कोच पद पर बने रहना चाहते हैं? 
भारत विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और पूरे टूर्नामेंट में अब तक एक भी मैच नहीं हारा है। ऐसे में अनुबंध नवीनीकरण या विस्तार की संभावना प्रबल हो सकती है। हालांकि, अहम सवाल यह है कि क्या द्रविड़ खुद भी पद पर बने रहने के इच्छुक हैं। जब उन्होंने 2021 में पदभार संभाला तो शुरुआती धारणा यह थी कि वह एक अनिच्छुक कोच थे। उनके कुछ करीबी लोगों ने सुझाव दिया था कि टीम के प्रदर्शन की परवाह किए बिना वह विश्व कप के बाद स्वेच्छा से पद छोड़ सकते हैं। हालांकि, संभावित विस्तार पर द्रविड़ का वर्तमान रुख किसी को पता नहीं है। पिछले महीने या उससे पहले द्रविड़ से उनके भविष्य को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने अपने काम पर ध्यान केंद्रित किया है। 

द्रविड़ कोच पद पर रहे या नहीं, यह अनुमान है कि उनके सहयोगी स्टाफ के सदस्यों का अनुबंध बढ़ाया जा सकता है। बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौड़, गेंदबाजी कोच पारस म्हाम्ब्रे और क्षेत्ररक्षण कोच टी दिलीप को आगे टीम के साथ जोड़े रखा जा सकता है।  

ऑस्ट्रेलिया सीरीज में लक्ष्मण हो सकते हैं कोच –
वीवीएस लक्ष्मण के नेतृत्व में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के कोच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 23 नवंबर से शुरू होने वाली टी20 सीरीज के दौरान टीम इंडिया के साथ रहेंगे। यह व्यवस्था बीसीसीआई को द्रविड़ के भविष्य पर निर्णय को अंतिम रूप देने के लिए कुछ समय देती है। बीसीसीआई ने अभी तक टी20 सीरीज के लिए टीम के चयन की तारीख की पुष्टि नहीं की है। अनुमान है कि टीम की घोषणा फाइनल के अगले दिन यानी 20 नवंबर को हो सकती है। इसके दो दिन बाद विशाखापत्तनम में पहला मैच होगा।

MP Election: पत्रकार ने किया ऐसा सवाल कि अखिलेश यादव ने कह दिया बीजेपी का एजेंट ?

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मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में ताल ठोक रही सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव् इन दिनों अपने एक वीडियो को लेकर चर्चाओं में है वीडियो भी कुछ ऐसा है कि जमकर वायरल हो रहा है और इस पर तरह तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही है. आएं भी क्यों नहीं क्योंकि वीडियो है ही कुछ ऐसा,, दरअसल सपा प्रमुख अखिलेश यादव मध्य प्रदेश में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे, इस दौरान उनसे एक पत्रकार ने एक अजीब सा सवाल पूछ दिया. सवाल सुनकर अखिलेश यादव तमतमा गए.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वह एक सवाल पूछे जाने पर बुरी तरह भड़कते दिखाई दे रहे हैं। इतना ही नहीं, सवाल सुनकर अखिलेश यादव इतने भड़क गए कि उन्होंने भाषा की मर्यादा का भी ख्याल नहीं रखा. चुनावी सभा को संबोधित करने मध्य प्रदेश के पन्ना पहुंचे अखिलेश यादव से एक पत्रकार ने ये सवाल पूछ लिया  कि ‘योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आप टोंटी चोर हैं। बस फिर क्या था अखिलेश का पारा चढ़ गया और अखिलेश यादव ने इस पर जवाब देते हुए कहा, ‘तुम पत्रकार नहीं हो,, तुम ये महंगा चश्मा लगाए बीजेपी के एजेंट हो बेटा ‘ अखिलेश यादव ने पत्रकार का नाम पूछा तो उसने बताया कि ‘मेरा नाम नूर काजी है।’ अखिलेश ने इस पर अपने सहयोगियों से पत्रकार की तस्वीर खींचने के लिए कहा। अखिलेश ने कहा, ‘मुस्लिम हो आप, ऐसी भाषा होती है मुसलमानों की क्या? तुम तो बिके हुए हो.. पता नहीं तुम पत्रकार हो भी या नहीं.. जब मैंने सीएम आवास छोड़ा था तो बीजेपी ने इसे धुलवाया था।’ इतना ही नहीं, समाजवादी पार्टी के ट्विटर हैंडल से पत्रकार की तस्वीर को शेयर कर मध्य प्रदेश पुलिस से कार्रवाई की मांग की गई है ।
पत्रकार का कहना है कि वह पत्रकारिता कर रहे हैं,, साथ ही कहा कि मेरा शौक है पत्रकारिता और मैं कोई भी चश्मा पहन सकता हूं। अब सोशल मीडिया पर अखिलेश यादव का वीडियो खूब वायरल हो रहा है, जिस पर लोगों की खूब प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं, कोई कह रहा है कि ‘अखिलेश यादव कितने बड़े जातिवादी नेता हो सकते हैं इसका पता चलता है पत्रकार का पूरा नाम जानने की इच्छा से.. कुछ लोग कह रहे हैं कि अखिलेश यादव को लगा कि सवाल पूछने वाला ये पत्रकार ब्राह्मण होगा लेकिन इस बार दांव उल्टा पड़ गया,  ये पत्रकार मुस्लिम निकला, साथ ही कुछ लोग तर्क दे रहे हैं कि युवा पत्रकार ने अतिउत्साह में यूपी के सीएम की टिप्पणी बताओ जो सवाल किया, वो आरोप योगी आदित्यनाथ ने कभी लगाया ही नहीं। सवाल से पहले पत्रकार को तथ्य जांचना चाहिए था. अधूरी जानकारी वाले सवाल से पूर्व CM अखिलेश यादव भड़के जो स्वाभाविक था, इससे पूरी पत्रकार बिरादरी असहज हुई!”
हालांकि मध्य प्रदेश चुनाव में अखिलेश यादव द्वारा पत्रकार के साथ किए गए इस बर्ताव की खूब चर्चा हो रही है। कुछ लोग अखिलेश यादव के व्यवहार की निंदा कर रहे हैं तो कुछ कह रहे हैं कि उल्टा-सीधा सवाल पूछे जाने पर इस तरह की प्रतिक्रिया स्वाभाविक है.

क्या 2024 चुनाव के बाद मोदी होंगे रिटायर, 70 पार के उम्मीदवारों को जगह देकर क्या संदेश देने की कोशिश कर रही BJP !

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क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बढ़ती हुई उम्र उनके और उनकी कुर्सी के बीच में आ रही है क्या बढ़ती उम्र में रिटायरमेंट लेकर घर बैठने का पीएम मोदी का दिया फार्मूला अब उन्हीं के गले की फांस बन गया है. और इसलिए क्या मोदी आगे के लिए अपना रास्ता साफ कर रहे हैं, यह सवाल उठने शुरू हुए मध्य प्रदेश चुनाव में बीजेपी प्रत्याशियों की सूची सामने आने के बाद क्योंकि इस सूची में करीब 15 ऐसे लोगों को टिकट दिया गया है जिनकी उम्र 70 साल से ज्यादा है बल्कि ये भी कहा जा सकता है कि थोड़ी बहुत नहीं बहुत ज्यादा है, क्योंकि ये सूची बता रही है कि भाजपा अपने ही संकल्प से पीछे हट रही है इसलिए ही सूची कई सवाल खड़े कर रही है और सबसे ज्यादा सवाल उठ रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर, लोग कह रहे हैं कि कहीं इस बदलाव की बढ़ती वजह पीएम मोदी  की बढ़ती हुई उम्र तो नहीं,,  वो 73 के हो चुके हैं और जब अगला लोकसभा चुनाव लड़ेंगे तब तक 74 के हो जाएंगे मतलब उन्हीं के जन्म प्रमाण पत्र के हिसाब से मोदी अगर 2024 में जीते भी 5 साल के शासन के अंत में 80 साल के हो चुके होंगे,, इस उम्र का आदमी भारत जैसे बड़े देश को चलाने के लिए शारीरिक और मानसिक तौर पर कितना फिट होता है यह सवाल संघ, भाजपा और देश की जनता के सामने है.  क्योंकि ये तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही बता चुके थे कि इतनी ज्यादा उम्र राजनीति के लिए सही नहीं होती.

 

इस सवाल के बाद दो और सवाल खड़े होते हैं,, की क्या ये बदलाव मोदी के लिए खुशी से किया जा रहा है,, सहमति से किया जा रहा है,, या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह बदलाव खुद करवा रहे हैं यानी कि दबाव में करवाया जा रहा है.. अब पहले यह जान लेते हैं की सूची पर सवाल क्यों खड़े हो रहे हैं,, मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं और भाजपा राज्य में जीतने के लिए सभी तरीके अपना रही है लेकिन पार्टी के प्रत्याशियों की सूची शुरुआत से ही वादों में घिरी हुई है पहले तो सूची सामने आने के बाद बीजेपी की अंतर्कलह खुलकर सामने आ गई खुद अमित शाह को नाराज नेताओं को मनाने के लिए मध्य प्रदेश में आना पड़ा,, ऐसे में अब पार्टी अपने प्रत्याशियों की उम्र को लेकर सवालों में घिर गई है.

दरअसल पार्टी ने तीन केंद्रीय मंत्रियों और एक महासचिव समेत 7 सांसदों को मैदान में उतारा है,, बीजेपी ने इस बार 70 से ज्यादा उम्र के 14 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है जिनमें सबसे उम्र दराज 80 साल है,, इसके बाद से हर तरफ से इसी सूची की चर्चाएं हैं. सवाल उठ रहे हैं कि आखिर भाजपा अपने ही संकल्प से पीछे क्यों हट रही है,, क्या यह पार्टी की मजबूरी है या उसकी जरूरत,, सवाल उठने की सबसे बड़ी वजह पार्टी का अपना ही संकल्प है. दरअसल पार्टी ने तय किया था कि 70 से ज्यादा उम्र के होने पर नेता सक्रिय राजनीति से हटकर नई पीढ़ी को आगे बढ़ाएंगे, इस से युवाओं को मौका मिलेगा जिससे नई सोच, नए विचारों के साथ पार्टी आगे बढ़ेगी लेकिन अब जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है पार्टी तो उलटी गंगा बहा रही है. देखने को मिल रहा है कि पार्टी उन्ही पुराने चेहरों पर दाव लगा रही है.

 

इसको लेकर तमाम तरह के कयास लग रहे हैं लेकिन ज्यादातर लोगों का मानना है कि यह सब मोदी की वजह से हो रहा है इसे ऐसे समझिए कि पार्टी ने कह तो दिया था कि 70 से ऊपर के लोगों को टिकट नहीं दिया जाएगा लेकिन मोदी की ही उम्र अब 73 हो चुकी है उस हिसाब से अब 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिलना चाहिए, लेकिन मोदी तो तीसरे टर्म का सपना सजा रहे हैं बाकायदा लाल किले से उन्होंने इसका ऐलान किया था ऐसे में अगर बढ़ती उम्र की वजह से उन्हें टिकट ही नहीं मिलेगा तो उनका सपना कैसे पूरा होगा. यही वजह है कि पार्टी अभी से मोदी का रास्ता क्लियर करने में लग गई है या ये भी कह सकते हैं कि पीएम मोदी खुद ही ऐसा करवा रहे हैं,, हालांकि इसके कयास तभी से लगने लगे थे जब कर्नाटक चुनाव में येदियुरप्पा को भाजपा ने अपना पोस्टर बॉय बनाया था जबकि उनकी उम्र 80 साल थी मजाक की बात तो यह है कि उन्हें सीएम की कुर्सी से हटाया गया था बढ़ती उम्र का हवाला देकर. लेकिन जैसे ही चुनाव आए और कर्नाटक में बिना येदुरप्पा के नाव डूबती दिखाई दी तो भाजपा ने उन्हें माथे पर बैठा लिया हालांकि तब तक बहुत देर हो चुकी थी और कांग्रेस ने भाजपा के छक्के छुड़ा दिए लेकिन अब तो बीजेपी 70 पार को आउट करने के खुद मोदी के ही संकल्प से पीछे हटती हुई नजर आ रही है.

इस पर राजनीति के जानकारों के कान खड़े हो गए हैं क्योंकि भाजपा ने केवल कुछ विधायकों की जीत के लिए मोदी का बनाया हुआ संकल्प नहीं तोड़ा है खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बढ़ती हुई उम्र के उठने वाले सवालों को किनारे करने के लिए तोड़ा है क्योंकि यदुरप्पा से पहले भी ऐसे कई नाम है जिन्हे पार्टी ने उम्र का हवाला देकर भाजपा की सक्रिय राजनीति से आउट कर दिया था. लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है.  2014 के बाद पार्टी बार-बार यह संदेश देती रही कि वो किसी  विरासत,, परंपरागत राजनीति और तौर तरीकों को ढोने की बजाय लगातार बदलाव,, युवाओं और नए चेहरों को वरीयता देने में विश्वास रखती है, और इसी के तहत पार्टी ने पहले अपने राष्ट्र कार्यकारिणी से अपने मुखर राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी और सख्त तेवर वाली नेता मेनका गांधी और राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले विनय कटिहार को बाहर कर दिया,  इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में उम्र का ख्याल रखा गया पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी को मार्गदर्शक मंडल में बैठा दिया उनके मंत्रिमंडल के कई चेहरों को 75 साल के होने की वजह से अपना पद खोना पड़ा,  कलराज मिश्रा के अलावा कई मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा.

दूसरा बड़ा उदाहरण 2019 में टिकट बंटवारे का था, वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और डॉ मुरली मनोहर जोशी को भी टिकट नहीं मिला.. पार्टी ने वजह बताई थी कि जब पुराने लोग अपनी सीट छोड़ेंगे नहीं तो युवाओं को कैसे मौका मिलेगा लेकिन मध्य प्रदेश के लिए प्रत्याशियों की लिस्ट आने के बाद लोग तंज कस रहे हैं कि मोदी है तो मुमकिन है. पीएम मोदी के लिए अपने ही बनाए नियमों और संकल्पों का कोई मतलब नहीं है.

2024 आने से पहले ही फिल्डिंग शुरू हो गयी है, जिससे जब 2024 में मोदी को टिकट मिले तो कोई बीजेपी नेता और विपक्ष के नेता उंगली ना उठा सके. हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि कर्नाटक चुनाव में हार के बाद से पार्टी ने थोड़ा सबक लिया है कर्नाटक में उसने पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार जिनकी उम्र 67 और पूर्व उपमुख्यमंत्री केसी सुरप्पा जिनकी उम्र 74 थी उन जैसे दिग्गज और पुराने नेताओं के बजाय युवा उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी थी इससे पार्टी को नुकसान हुआ,, इसलिए पुराने चेहरों पर दाव लगाना पार्टी की मजबूरी भी है लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी कुर्सी,, अपनी जगह छोड़ना नहीं चाहते इसलिए अभी से माहौल बनना शुरू हो गया है. खैर जो भी हो पार्टी को इससे फायदा होगा या नहीं ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन इस लिस्ट ने बीजेपी की चारों तरफ फजीहत जरुर करवा दी है की ये पार्टी सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें और दावे करना जानती हैं उस पर टिकना नहीं जानती.

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J&k: जम्मू-कश्मीर में भयानक हादसा, 36 लोगों की मौत, 19 लोग बुरी तरह घायल.

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डोडा में एक बस अनियंत्रित होकर करीब 300 फीट गहरी खाई में जा गिरी है। इस हादसे में 36 लोगों मौत हो गई है जबकि 19 लोग घायल हुए हैं। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घटना पर शोक जताया है।

श्रीनगर- जम्मू संभाग के जिला डोडा में बड़ा सड़क हादसा हो गया है। जिले के अस्सर में एक बस अनियंत्रित होकर करीब 300 फीट गहरी खाई में जा गिरी। बस किश्तवाड़ से जम्मू की ओर जा रही थी। हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई है जबकि 19 लोग घायल हो गए हैं। सभी घायलों को किश्तवाड और डोडा के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। गंभीर रूप से घायलों को एयरलिफ्ट कर जम्मू भेजा गया है।

ओवरटेक के चलते हुआ हादसा-

पुलिस ने बताया कि शुरुआती जानकारी में पता चला है कि इस मार्ग पर तीन बसें एक साथ चल रही थी और एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में यह बड़ा हादसा हो गया। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हादसे पर दुख जताया-

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हादसे पर शोक जताया। उन्होंने कहा कि इस घटना से बेहद दुखी हूं। पीड़ित परिवारों के प्रति मेरी संवेदना है। घायलों के जल्दी ठीक होने की कामना करता हूं। बता दें कि उपराज्यपाल ने सभी घायलों को तुरंत मदद पहुंचाने का निर्देश दिया है।

गृहमंत्री अमित शाह ने भी जताया दुख-

गृहमंत्री शाह ने भी हादसे पर दुःख जताया है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के डोडा में सड़क हादसे की घटना जानकर बहुत दुख हुआ। स्थानीय प्रशासन उस खाई में बचाव अभियान चला रहा है जहां बस हादसे का शिकार हुई है। उन्होंने कहा कि मृतकों के परिवारों के प्रति मेरी संवेदना है और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।

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Uttarakhand: 23 साल बाद भी 75 स्कूलों और 12 कॉलेजों को नहीं मिली अपनी छत, बुनियादी सुविधाओं को तरसे छात्र.

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उत्तराखंड राज्य गठन के 23 साल बीत चुके हैं लेकिन इसके बाद भी प्रदेश के विद्यालयों और महाविद्यालयों के हजारों छात्र बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे हैं। आज भी ऐसे कई स्कूल- कॉलेज हैं जहाँ पर पढ़ने वाले छात्रों के पास अपनी छत नहीं है. 1056 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बिजली नहीं है। पेयजल, भवन और फर्नीचर की भी पिछले कई वर्षों से समस्या बनी हुई है। 75 विद्यालयों और 12 कॉलेजों के पास तो अभी तक अपनी छत भी नहीं है।

इन सुविधाओं के लिए छात्र-छात्राओं को अभी 2025-26 तक इंतजार करना होगा। शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत के मुताबिक, अगले दो वर्षों के भीतर शत प्रतिशत सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएंगी। प्रदेश के विद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के दावों के बीच 114 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय में पेयजल सुविधा नहीं है।

1 स्कूल को लेकर न्यायालय में चल रहा वाद-

 21,528 छात्र-छात्राओं के लिए फर्नीचर नहीं है। 1,693 के पास कंप्यूटर और 75 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के पास अपना भवन नहीं है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, जिन विद्यालयों के पास अपना भवन नहीं हैं, उसमें 69 स्कूल वन भूमि क्षेत्र में हैं। एक स्कूल को लेकर न्यायालय में वाद चल रहा है। 

तीन स्कूलों की भूमि को लेकर विवाद है।एक स्कूल डूब क्षेत्र में है, जबकि एक स्कूल छात्र संख्या शून्य होने से उसका निर्माण नहीं हो पा रहा है। शिक्षा निदेशक आरके उनियाल के मुताबिक, राज्य के कुछ स्कूल भूमि मुहैया न होने से किराये के भवन में चल रहे हैं। खासकर हरिद्वार एवं कुछ अन्य जिलों में यह स्थिति है। इसके अलावा पेयजल स्रोत दूर होने से पेयजल और बिजली की लाइन न होने से बिजली की भी समस्या बनी है। धीरे-धीरे समस्याओं को दूर किया जा रहा है।

इन सभी कॉलेजों के पास नहीं है अपना भवन-

प्रदेश के 12 राजकीय महाविद्यालयों के पास अपना भवन नहीं है। इनमें राजकीय महाविद्यालय शीतलाखेत जिला अल्मोड़ा, मासी अल्मोड़ा, रामगढ़ नैनीताल, हल्द्वानी नैनीताल, नानकमत्ता उधम सिंह नगर, गदरपुर उधम सिंह नगर, मोरी उत्तरकाशी, खाड़ी टिहरी, पावकी देवी नई टिहरी, भूपतवाला हरिद्वार व सुद्धोवाला देहरादून के पास अपना भवन नहीं है।

इतने छात्रों के लिए नहीं है फर्नीचर-

प्रदेश में अल्मोड़ा जिले के 2,135, बागेश्वर के 848, चमोली के 2,891, चंपावत के 788, देहरादून के 2,432, हरिद्वार के 730, नैनीताल के 1,805, पौड़ी के 1,382, पिथौरागढ़ के 1,937, रुद्रप्रयाग के 1,236, टिहरी के 2,349, ऊधमसिंह नगर के 1,341 एवं उत्तरकाशी के 1,654 छात्र-छात्राओं के लिए फर्नीचर नहीं हैं।वहीँ शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत का कहना है कि प्रदेश के शत प्रतिशत विद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं के लिए 2025-26 तक का लक्ष्य रखा गया है। धीरे-धीरे सभी विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

 

विधानसभा में ये क्या बोल गए CM नीतीश कुमार, मुंह दबाकर हंसने लगे पुरुष विधायक; झेंप गईं महिलाएं

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Nitish Kumar Viral Statement- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को विधानसभा में जाति आधारित गणना की रिपोर्ट पेश की। जब जाति आधारित गणना पर चर्चा चल रही थी तो सीएम नीतीश कुमार ने ऐसा बयान दे दिया, जिसे सुन हर कोई हैरान है। इस दौरान उन्होंने प्रजनन दर पर भी चर्चा की। चर्चा के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने पति-पत्नी के बीच बनने वाले शारीरिक संबंधों पर टिप्पणी की। उनके बयान सुन पूरे सदन का माहौल एकाएक बदल गया। पुरुष विधायक हंसने लगे तो महिलाएं झेंप गईं।

सदन में बोलते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि सब लोग ठीक से समझ लीजिए। यहां जो पत्रकार लोग बैठे हैं, वो लोग भी समझ लें। दरअसल, नीतीश कुमार ने प्रजनन दर पर चर्चा करते हुए हाथों से कुछ इशारे किए और कहा, “हम चाहते हैं लड़की पढ़ाई करे। जब शादी होगा लड़का-लड़की में, तो जो पुरुष है वो तो रोज रात में करता है ना… तो उसी में और (बच्चा) पैदा हो जाता है। और लड़की पढ़ लेती है तो उसको मालूम रहेगा कि ऊ (पति) करेगा ठीक है, लेकिन अंतिम में भीतर मत घुसाओ, उसको बाहर कर दो। उसी वजह से संख्या घट रही है।
पूरे सदन में इस बयान के दौरान अजीब स्थिति देखने को मिली. नीतीश कुमार जब जनसंख्या नियंत्रण पर ज्ञान दे रहे थे, उस वक्त उनके पीछे बैठे मंत्री और विधायक मुस्कुरा रहे थे। हालांकि जब उन्हें लगा कि नीतीश कुमार कंट्रोल खो दिए हैं, तो वो झेंप गए। जिस वक्त नीतीश कुमार सदन में बोल रहे थे, उस वक्त महिला विधायक भी मौजूद थीं।
अपने संबोधन में नीतीश ने कहा कि 2011 की जनगणना की तुलना में साक्षरता दर 61 फीसदी से बढ़कर 79 फीसदी से ऊपर हो गई है.महिला शिक्षा की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है. मैट्रिक पास संख्या 24 लाख से बढ़कर 55 लाख से ऊपर है. इंटर पास महिलाओं की संख्या पहले 12 लाख 55 हजार थी. अब 42 लाख से ऊपर है. ग्रैजुएट महिलाओं की संख्या 4 लाख 35 हजार से बढ़कर 34 लाख के पार हो गई है.
 
बीजेपी विधायकों ने सीएम को घेरा
नीतीश के बयान पर विधायकों की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं. पूरे सदन में इस बयान के दौरान अजीब स्थिति देखने को मिली. महिला विधायक इसपर नाराज दिखीं. वहीं कुछ अन्य विधायक हंस रहे थे. नीतीश के बयान पर विधायकों की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं. बीजेपी नेता तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि इस बात को सीएम और अच्छे तरीके से कह सकते थे. वहीं बीजेपी विधायक निक्की हेम्ब्रम ने कहा कि इस बात को सीएम मर्यादित तरीके से कह सकते थे. महिलाओं के प्रति उनके मन में सम्मान नजर नहीं आया.

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