Month: October 2023

ऑपरेशन अजय के तहत इज़रायल से सुरक्षित अपने वतन लौटे 212 भारतीय.

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इजरायल से भारतीयों को निकालने के लिए भारत सरकार का ऑपरेशन अजय शुरू हो चुका है। इस ऑपरेशन के तहत भारतीयों का पहला जत्था शुक्रवार सुबह विशेष विमान से नई दिल्ली पहुंच गया है। पहले जत्थे में महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को मिलाकार कुल 212 लोग भारत पहुंचे। एयरपोर्ट पर केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने लोगों का स्वागत किया और उनका हाल-चाल जाना। लोगों ने भी भारत सरकार को धन्यवाद दिया। उनका कहना है कि हम अब अपने देश में हैं, बहुत खुशी हो रही है।

 

ऑपरेशन अजय-

विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमारी प्राथमिकता इजरायल में फंसे सभी भारतीयों को सकुशल वापस लाने की है। जो लोग वतन लौटना चाहते हैं। जैसे-जैसे भारतीयों का लौटने का आग्रह मिलता रहेगा उसी हिसाब से फ्लाइट शेड्यूल कर दी जाएगी। मंत्रालय ने कहा कि भारतीयों की वापसी को सुविधाजनक बनाने के लिए ‘ऑपरेशन अजय’ शुरू किया गया है जो स्वदेश लौटना चाहते हैं।

 

ऑपरेशन अजय पर बोले केंद्रीय मंत्री- 

ऑपरेशन अजय पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि चाहे वह कोरोना का समय हो या यूक्रेन-रूस युद्ध का समय हो या अरब स्प्रिंग के दौरान, भारत ने एक के बाद एक ऑपरेशन किए हैं और भारतीयों को बचाया है। पिछले साढ़े 9 साल से यही हो रहा है। सिर्फ अपने नागरिकों को ही नहीं, हमने दूसरे देशों के नागरिकों को भी बचाया है। आज भारत मदद मांगता नहीं, मदद देता है।

 

इजरायल में भारत के कितने लोग-

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि अभी एयर इंडिया का विमान 212 भारतीयों के पहले जत्थे को लेकर दिल्ली पहुंचा है। हम स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए हैं।’ उन्होंने कहा कि लगभग 18,000 भारतीय वर्तमान में इजराइल में रह रहे हैं, जबकि लगभग 12 लोग वेस्ट बैंक में और तीन-चार लोग गाजा में हैं।

1300 लोगों की मौत-

इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध के छठे दिन इजरायली सेना ने कहा कि इजराइल में 222 सैनिकों सहित 1,300 से अधिक लोग मारे गए हैं। मिस्र और सीरिया के साथ 1973 में हफ्तों तक चले युद्ध के बाद इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौत नहीं देखी गई। वहां के अधिकारियों के अनुसार, हमास शासित गाजा पट्टी में महिलाओं और बच्चों सहित कम से कम 1,417 लोग मारे गए हैं।

 

Uttarakhand: पिथौरागढ़ को मिली 4200 करोड़ की सौगात, क्या कुछ खास रहा पढ़ें पूरी खबर.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तराखंड दौरे पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिथौरागढ़ के पार्वती कुंड में पूजा-अर्चना की। इसके बाद पीएम मोदी ने गुंजी में रं समाज के स्टाल में पारंपरिक वस्तुएं और उत्पाद देखे। साथ ही पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल भी बजाया। लोगों का हाथ हिलाकर स्वीकार अभिवादन किया। पीएम पिथौरागढ़ में लगभग 4,200 करोड़ रुपये की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।

 

पहाड़ी टोपी पहनाकर पीएम मोदी का स्वागत-

जब पीएम मोदी पिथौरागढ़ स्पोर्ट्स स्टेडियम स्थित जनसभा स्थल पहुंचे तब यहां पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंडी टोपी पहनाकर उनका स्वागत किया। इस अवसर पर स्थानीय कलाकारों द्वारा निर्मित नारायण आश्रम की कलाकृति प्रधानमंत्री मोदी को भेंट की गई।

4200 करोड़ की विकास योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिमोट का बटन दबाकर 4200 करोड़ की विकास योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया।

नया भारत डरी हुई सोच को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहा: PM मोदी

पीएम मोदी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि पहले की सरकारों ने इस डर से बॉर्डर एरिया का विकास नहीं किया कि कहीं दुश्मन इसका फायदा उठाकर अंदर ना आ जाए। आज का नया भारत पहले की सरकारों की इस डरी हुई सोच को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहा है।

 

आने वाला दशक उत्तराखंड का- 

पीएम मोदी ने कहा कि मैं जब भी उत्तराखंड आता हूं, देवभूमि का आशीर्वाद मुझे मिलता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का सामर्थ्य अद्भुत है, अतुलनीय है। निश्चित तौर पर अगला दशक उत्तराखंड का दशक होने वाला है। ऐसा मेरा विश्वास है। मैंने यह विश्वास बाबा केदार के चरणों में बैठकर जताया था। आज मैं आदि कैलाश के चरणों में बैठकर आया हूं और फिर से उसी विश्वास को दोहराता हूं। आपके जीवन को आसान बनाने के लिए हमारी सरकार लगातार काम कर रही है। हम पूरी ईमानदारी और समर्पण भाव से एक ही लक्ष्य को लेकर चल रहे हैं।

 

एशियन गेम्स में उत्तराखंड के खिलाड़ियों का ज‍िक्र-

पीएम ने कहा, हाल ही में एशियन गेम्स समाप्त हुए हैं इसमें भारत ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पहली बार भारत के खिलाड़ियों ने शतक लगाया। 100 से अधिक मेडल जीतने का रिकॉर्ड बनाया है इस खेल में उत्तराखंड की बेटियां और बेटे भी शामिल थे।

वन रैंक वन पेंशन की मांग को हमारी सरकार ने पूरा क‍िया: पीएम मोदी

वन रैंक-वन पेंशन की उनकी दशकों पुरानी मांग को हमारी ही सरकार ने पूरा किया है। अब तक वन रैंक-वन पेंशन के तहत 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि हमारी सरकार पूर्व सैनिकों को दे चुकी है। इसका लाभ उत्तराखंड के भी 75 हजार से ज्यादा पूर्व सैनिकों के परिवार को मिला है।

 

हमारी सरकार माताओं-बहनों की हर मुश्किल दूर करने को प्रतिबद्ध-

पीएम मोदी ने आगे कहा कि हमारी सरकार माताओं-बहनों की हर मुश्किल को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस साल लाल किले से मैंने महिला स्वयं सहायता समूह को ड्रोन देने की घोषणा की है। ड्रोन के माध्यम खेतों में दवा, खाद, बीज पहुंचाए जा सकेंगे।

 

पीएम ने किए आदि कैलाश के दर्शन –

बता दें आज सुबह पीएम मोदी ने पिथौरागढ़ के पार्वती कुंड में पूजा-अर्चना की। इसके बाद पीएम मोदी ने गुंजी में रं समाज के स्टाल में पारंपरिक वस्तुएं और उत्पाद देखे। साथ ही पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल भी बजाया।

 

हमारा तिरंगा हर जगह ऊंचाइयों पर उड़ रहा-

पीएम नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि आज हमारा तिरंगा हर जगह ऊंचाइयों पर उड़ रहा है। हमारा चंद्रयान तीन चांद पर पहुंचा। जहां दुनिया में अभी तक कोई नहीं पहुंचा है। भारत ने चांद की जमीन पर उतरे चंद्रयान तीन मिशन को शिव शक्ति नाम दिया। आज दुनिया भारत की ताकत को देख रहा है।

राजस्थान में अचानक क्यों बदली 200 सीटों पर होने वाले चुनावों की तारीख ? जानिए अब कब होंगे चुनाव.

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5 राज्यों के चुनावों की तारीखों के ऐलान के बाद 11 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने एक बदलाव किया है. राजस्थान में होने वाले चुनाव की तारीख बदली गई है. राज्य में अब 23 नवंबर की जगह 25 नवंबर को मतदान होगा। चुनाव आयोग ने कहा है कि चुनाव तारीखों के ऐलान के बाद कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने चुनाव की तारीख बदलने की अपील की थी, क्योंकि इस दिन बड़े पैमाने पर शादियां और सामाजिक कार्यक्रम हैं। इसे देखते हुए आयोग ने मतदान की तारीख को अब शनिवार यानी 25 नवंबर कर दिया है. 

 

नए चुनाव कार्यक्रम के मुताबिक 30 अक्तूबर को अधिसूचना जारी होगी। छह नवंबर तक नामांकन किया जा सकता है। नामांकन पत्रों की जांच सात नवंबर को होगी। 9 नवंबर नाम वापसी की आखिरी तारीख है। 25 नवंबर को मतदान होगा। वहीं, नतीजे पहले की ही तरह तीन दिसंबर को आएंगे।पांचों राज्यों को मिलाकर कुल 679 विधानसभा सीटें हैं. इन राज्यों में कुल वोटर्स की संख्या 16 करोड़ 20 लाख है.

 

इससे पहले चुनाव आयोग ने 9 अक्टूबर को पांच राज्यों के चुनावों की तारीख का ऐलान किया था. चुनाव आयोग के अनुसार, मिजोरम में 7 नवंबर को वोटिंग होगी. छत्तीसगढ़ में दो चरण में 7 और 17 नवंबर को वोटिंग होगी. मध्य प्रदेश और राजस्थान में एक चरण में चुनाव होंगे. मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. जिसके बाद राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान किया जाएगा. सबसे आखिर में तेलंगाना में 30 नवंबर को चुनाव होगा.

राजस्थान-
अगर राजस्थान की बात करें तो वहां पर कुल 200 विधानसभा सीटें हैं. 2018 में यहां 199 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए थे. अलवर की रामगढ़ सीट पर बसपा प्रत्याशी का हार्ट अटैक से निधन हो गया था. जिसके चलते एक सीट पर चुनाव स्थगित कर दिए गए थे. 199 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस को 99 सीटें मिली थीं.

 

मध्यप्रदेश-

मध्यप्रदेश में पिछले चुनाव में कांग्रेस को BJP से 5 सीटें ज्यादा मिली थीं. कांग्रेस के पास 114 सीटें थीं वहीं BJP के खाते में 109 सीटें आईं थीं. बसपा को दो और सपा को एक सीट पर जीत मिली थी. कांग्रेस ने गठजोड़ करके बहुमत का 116 का आंकड़ा पा लिया और कमलनाथ राज्य के मुख्यमंत्री बन गए. लेकिन बाद में BJP ने बागी विधायकों को मिलाकर अपने पास 127 विधायक कर लिए और सरकार बनाई. 

 

छत्तीसगढ़-

छत्तीसगढ़ में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 15 साल बाद सत्ता में वापसी की. 90 सीटों पर हुए विधानसभा चुनाव नतीजे में कांग्रेस को दो- तिहाई बहुमत मिला. BJP के खाते में जहां सिर्फ 15 सीटें आईं, वहीं कांग्रेस को 68 सीटें मिली थीं.

 

तेलंगाना

तेलंगाना विधानसभा का कार्यकाल 16 जनवरी 2024 को खत्म होने वाला है. 119 सीटों वाले तेलंगाना में दिसंबर 2018 में विधानसभा चुनाव हुए थे और तेलंगाना राष्ट्र समिति ने राज्य में सरकार बनाई थी. इसका नाम अभी भारत राष्ट्र समिति कर दिया गया. 

 

मिजोरम

40 सीटों वाले मिजोरम में भी इस साल के अंत में चुनाव होना है. मिजोरम विधानसभा का कार्यकाल 17 दिसंबर 2023 को खत्म होने वाला है. राज्य में पिछला विधानसभा चुनाव नवंबर में 2018 में हुआ था, जिसमें मिजो नेशनल फ्रंट ने जीत हासिल की थी और राज्य में सरकार बनाई थी. तब जोरमथांगा मुख्यमंत्री बने थे.

पुरानी पेंशन को लेकर 3 नवंबर की तीसरी बड़ी रैली का गवाह बनेगा रामलीला मैदान, इन 7 मांगों को रखेंगे सरकार के समक्ष. 

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केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठन की लड़ाई पुरानी पेंशन को लेकर लगातार जारी है. पुरानी पेंशन कर्मियों की ये लड़ाई फिर एक बड़ा रूप लेने जा रही है. केंद्रीय कर्मियों की दो विशाल रैलियों के बाद अब उनकी जल्दी ही 3  नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में ही तीसरी बड़ी रैली होने जा रही है। कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज एंड वर्कर्स के बैनर तले होने वाली इस रैली में ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्प्लाइज फेडरेशन सहित कई दूसरे कई संगठन हिस्सा लेंगे। रैली में केंद्र सरकार के समक्ष 7 बड़ी मांगें रखी जाएंगी। 

 

ये होंगी वो सभी मांगे-

पहली मांग ‘एनपीएस’ की समाप्ति और ‘पुरानी पेंशन’ व्यवस्था को बहाल कराना है। इसके अलावा केंद्र सरकार में रिक्त पदों को नियमित भर्ती के जरिए भरना, निजीकरण पर रोक, आठवें वेतन आयोग का गठन और कोरोनाकाल में रोके गए 18 महीने के डीए का एरियर जारी करना, ये बातें भी कर्मचारियों की मुख्य मांगों में शामिल हैं।

एजेंडे में OPS के अलावा ये मांगें भी-

कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने बताया, सरकारी कर्मचारियों की लंबित मांगों को लेकर पिछले साल से ही चरणबद्ध तरीके से प्रदर्शन किए जा रहे हैं। दिसंबर 2022 को दिल्ली के तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में कर्मियों के ज्वाइंट नेशनल कन्वेंशन के घोषणा पत्र के मुताबिक, कर्मचारियों की मुहिम आगे बढ़ाई जा रही है। राज्यों में भी कर्मियों की मांगों के लिए सम्मेलन/सेमिनार और प्रदर्शन आयोजित किए गए हैं। इस कड़ी में अब तीन नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली आयोजित की जाएगी। रैली के एजेंडे में ओपीएस की मांग सबसे ऊपर रखी गई है। बतौर यादव, कर्मियों की मांग है कि पीएफआरडीए एक्ट में संशोधन किया जाए। एनपीएस को समाप्त करें और पुरानी पेंशन बहाल की जाए। केंद्र और राज्यों के जिस विभाग में अनुबंध पर या डेली वेजेज पर कर्मचारी हैं, उन्हें अविलंब नियमित किया जाए। निजीकरण पर रोक लगे और सरकारी उपक्रमों को नीचे करने की सरकार की मंशा बंद हो। डेमोक्रेटिक ट्रेड यूनियन के अधिकारों का पालन सुनिश्चित हो। राष्ट्रीय शिक्षा कार्यक्रम का त्याग किया जाए और आठवें वेतन आयोग का गठन हो।

OPS पर हो चुकी हैं कर्मियों की दो रैलियां-

केंद्र और राज्यों के कर्मचारी संगठनों ने सरकार को स्पष्ट तौर से बता दिया है कि उन्हें बिना गारंटी वाली ‘एनपीएस’ योजना को खत्म करने और परिभाषित एवं गारंटी वाली ‘पुरानी पेंशन योजना’ की बहाली से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। नई दिल्ली के रामलीला मैदान में दस अगस्त को कर्मियों की रैली हुई थी। ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के राष्ट्रीय संयोजक एवं स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद ‘जेसीएम’ के सचिव शिवगोपाल मिश्रा ने रैली में कहा था, लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन लागू नहीं होती है तो भाजपा को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के लिए यह संख्या निर्णायक है।

 

‘पेंशन शंखनाद महारैली’ में जुटे थे लाखों कर्मी-

एक अक्तूबर को रामलीला मैदान में ही ‘पेंशन शंखनाद महारैली’ आयोजित की गई। इसका आयोजन नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के बैनर तले हुआ था। एनएमओपीएस के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा, पुरानी पेंशन कर्मियों का अधिकार है। वे इसे लेकर ही रहेंगे। दोनों ही रैलियों में केंद्र एवं राज्य सरकारों के लाखों कर्मियों ने भाग लिया था। उसके बाद 20 सितंबर को हुई राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) स्टाफ साइड की बैठक के एजेंडे में ‘ओपीएस’ का मुद्दा टॉप पर रहा था। कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करते हुए अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा था, हमने सरकार के समक्ष एक बार फिर अपनी मांग दोहराई है। एनपीएस को खत्म किया जाए और पुरानी पेंशन योजना’ को जल्द से जल्द बहाल करें। अगर सरकार नहीं मानती है तो देश में कलम छोड़ हड़ताल होगी, रेल के पहिये रोक दिए जाएंगे।

भारत बंद जैसे कई कठोर कदम-

श्रीकुमार के मुताबिक, सरकार, पुरानी पेंशन लागू नहीं करती है, तो ‘भारत बंद’ जैसे कई कठोर कदम उठाए जाएंगे। पुरानी पेंशन के लिए कर्मचारी संगठन, राष्ट्रव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल कर सकते हैं। इसके लिए 20 और 21 नवंबर को देशभर में स्ट्राइक बैलेट होगा। कर्मचारियों की राय ली जाएगी। अगर बहुमत हड़ताल के पक्ष में होता है, तो केंद्र एवं राज्यों में सरकारी कर्मचारी, अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। उस अवस्था में रेल थम जाएंगी तो वहीं केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी ‘कलम’ छोड़ देंगे।

पुरानी पेंशन बहाली के लिए केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी एक साथ आ गए हैं। लगभग देश के सभी कर्मचारी संगठन इस मुद्दे पर एकमत हैं। केंद्र और राज्यों के विभिन्न निगमों और स्वायत्तता प्राप्त संगठनों ने भी ओपीएस की लड़ाई में शामिल होने की बात कही है। कर्मचारियों ने हर तरीके से सरकार के समक्ष पुरानी पेंशन बहाली की गुहार लगाई है, लेकिन उनकी बात सुनी नहीं गई। अब उनके पास अनिश्चितकालीन हड़ताल ही एक मात्र विकल्प बचता है। दस अगस्त और एक अक्तूबर की रैली में देशभर से आए लाखों कर्मियों ने ‘ओपीएस’ को लेकर हुंकार भरी थी।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस- PMMVY में हजारों महिलाओं ने कराया पंजीकरण, किसी को नहीं मिला लाभ.

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अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर नहीं मिला लाभ.  

देश की बेटियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई तरह-तरह की योजनाएं ला रही है, लेकिन इसका लाभ पूरी तरह से नहीं मिल पा रहा है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना यानी की (पीएमवीवीवाई) भी इनमें से एक है। इसके तहत 14 हजार 841 महिलाएं पंजीकरण करवा चुकी हैं, लेकिन किसी को अभी तक लाभ नहीं मिल पाया है।

इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को पहले बच्चे में गर्भावस्था की शुरुआत से ही बच्चे के पहले टीकाकरण तक 5000 रुपये का लाभ अलग-अलग किस्तों में दिया जाता है। यह प्रक्रिया सिर्फ पहले बच्चे में होती थी, लेकिन सरकार ने इस योजना में बदलाव कर बेटियों को प्रोत्साहन देने के लिए 1 अप्रैल से योजना का दूसरा चरण शुरू किया है। दूसरे बच्चे के रूप यदि बेटी का जन्म होता है तो एक बार फिर इस योजना का लाभ मिलेगा। इसमें 6000 रुपये अलग-अलग किस्त में न देकर एक साथ दिए जाने का प्रावधान है। लेकिन डेढ़ साल बाद भी इसका कोई लाभ नहीं मिल पाया।

प्रथम प्रसव के तहत अभी तक सिर्फ 933 महिलाओं को मिला लाभ-

महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक देहरादून जिले में प्रथम प्रसव पंजीकरण पर 3586 और दूसरी बेटी के जन्म पर 2877 महिलाओं का नवीन पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण किया जा चुका है। वहीं, पूरे उत्तराखंड में प्रथम प्रसव पर 27 हजार 381 पंजीकरण और दूसरी बेटी के जन्म पर 14 हजार 841 महिलाओं के पंजीकरण हुए हैं। इसमें प्रथम प्रसव के तहत एक साल में सिर्फ 933 महिलाओं को योजना का लाभ मिला है। रायपुर की सीडीपीओ मंजेश्वरी ने बताया कि पोर्टल अपडेट हो रहा है, इस वजह से लंबे समय से प्रथम प्रसव का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। दूसरे चरण में भी अभी तक लाभ मिलना शुरू नहीं हो पाया है। 

महिलाओं के खाते में आता है पैसा-

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रजनी ने बताया योजना के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं गर्भवती महिलाओं के पास जाकर फॉर्म भरवाती हैं। इसका पैसा महिलाओं के बैंक खाते में आता है। महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की ओर से संचालित योजना बेटियों के प्रति सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देने का प्रयास है। 

यह है पात्रता-

-ऐसी महिलाएं जिनकी पारिवारिक आय आठ लाख रुपये प्रति वर्ष से कम है। 
-मनरेगा जॉब कार्ड धारक महिलाएं। 
-महिला किसान, जो किसान सम्मान निधि के तहत लाभार्थी हैं। 
-ई-श्रम कार्ड धारक महिलाएं। 
-आयुष्मान भारत के तहत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की लाभार्थी महिला भी इसके लिए पात्र है। 

पोर्टल अपडेट हो रहा है इसलिए दूसरे चरण का लाभ मिलने में दिक्कत आ रही है। बजट जारी हो चुका है। अगर किसी का जन्म 1 अप्रैल 2022 के बाद हुआ है तो उसका 31 अक्टूबर तक भी पंजीकरण किया जा सकता है।

 

Nipah Virus: क्या है निपाह वायरस ? केरल में इसकी दस्तक के बाद अब उत्तराखंड में अलर्ट.

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पढ़ें निपाह वायरस के लक्षण और बचाव के उपाय…

कोविड की तरह निपाह वायरस भी एक से दूसरे को संक्रमित कर सकता है। केरल में छह मरीज मिलने और दो मरीजों की मौत के बाद देश के कई राज्यों में अलर्ट जारी किया गया है। उत्तराखंड में भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से अस्पतालों में अलर्ट जारी किया है।

इसके लक्षण दिखने पर मरीजों को क्वारंटीन किया जाएगा। फिलहाल जिले में निपाह वायरस की जांच सुविधा नहीं है। अगर मरीज में लक्षण मिलते हैं तो जांच के लिए सैंपल ऋषिकेश एम्स भेजा जाएगा।

सीएमओ डॉ. संजय जैन ने बताया कि निपाह वायरस के मामले उत्तराखंड में अब तक सामने नहीं आए हैं, लेकिन अगर किसी भी मरीज में निपाह वायरस जैसे लक्षण दिखते हैं तो जांच के लिए ऋषिकेश एम्स भेजा जाएगा। दून मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दीपक जुयाल ने बताया कि भारत में 2001 से अब तक निपाह वायरस छह बार आ चुका है। केरल में 2018 के बाद यह चौथी बार आया है। 

 

यह चमगादड़ या सूअर से फैलता है। इसकी अबतक कोई दवा या वैक्सीन नहीं बनी है। लक्षण के आधार पर ही इलाज होता है। उमस और गर्मी वाले इलाकों में यह वायरस अधिक तेजी से फैलता है। ठंडे इलाकों में इसका प्रभाव कम रहता है। दून अस्पताल में अगर ऐसा कोई मरीज आता है और जांच की जरूरत पड़ी तो किट मंगाकर जांच की जाएगी.

हो सकती है मौत-

डॉ. दीपक ने बताया कि इस वायरस से दिमाग में सूजन आने पर मरीज की मौत भी हो सकती है। हालांकि, यह वायरस एक से दूसरे में तभी फैलता है जब नजदीक कॉन्टैक्ट हो। फिलहाल सरकार की ओर से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है।

  लक्षण-

बुखार, सिर दर्द, कफ, गले में खराश, उल्टी, सांस लेने में दिक्कत, निमोनिया और दिमाग में सूजन।

  उपचार-

  • मरीज का इलाज लक्षण के आधार पर होता है।
  • मरीज को अन्य लोगों से अलग 21 दिन के लिए क्वारंटीन किया जाता है।
  • अन्य लोगों को संक्रमित के संपर्क में आने से मना किया जाता है।
  • मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी होता है।

Dehradun: दून अस्पताल की इमरजेंसी का बुरा हाल, कंधे पर उठाकर ले जा रहे मरीज.

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उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के सबसे बड़े अस्पताल दून अस्पताल की इमरजेंसी और ओपीडी में आ रहे मरीजों के तीमारदारों को स्ट्रेचर, व्हीलचेयर के लिए परेशान होना पड़ता है। अस्पताल में मरीज आते हैं तो उन्हें तुरंत उपचार की जरूरत होती है, लेकिन अस्पताल के गेट पर कभी स्ट्रेचर और कभी व्हीलचेयर नहीं मिल पाती है। स्थिति यह है कि अस्पताल के गेट से मरीजों को गोद में उठाकर ट्रायज एरिया तक ले जाना पड़ता है।

दून अस्पताल की इमरजेंसी में रोजाना 200 से 300 मरीज और ओपीडी में 2000 से 2500 मरीज तक इलाज के लिए आते हैं। इसमें 50 फीसदी मरीज गंभीर अवस्था में होते हैं। मरीज को एंबुलेंस से लाने के बाद तीमारदार सबसे पहले गेट पर स्ट्रेचर और व्हीलचेयर ही खोजते हैं। लेकिन दून अस्पताल के गेट पर स्ट्रेचर और व्हीलचेयर कभी नहीं मिलती है। मरीज की गंभीर हालत देखते हुए तीमारदार मरीज को गोद में उठाकर ही ट्रायज एरिया तक ले जाते हैं। सोमवार को भी यही स्थिति देखने को मिली। एक मरीज के तीमारदार एंबुलेंस के स्ट्रेचर से मरीज को उठाकर अस्पताल के अंदर ले जा रहे थे। वहीं, दूसरी ओर ओपीडी में बुजुर्ग मरीज को कंधे पर उठाकर तीमारदार ले जा रहे थे। अस्पताल में यह भी देखने को मिला व्हीलचेयर पर सामान ढोया जा रहा है।

 

अस्पताल में जमा है 400 आधार कार्ड, वापस नहीं की व्हीलचेयर-

अस्पताल प्रशासन के मुताबिक इमरजेंसी के गेट पर स्ट्रेचर और व्हीलचेयर रखे जाते हैं। कोई एक मरीज आता है तो उसको स्ट्रेचर दे दिया जाता है। स्ट्रेचर और व्हीलचेयर देने पर मरीज के तीमारदार से आधार कार्ड जमा करवाया जाता है। यह भी कहा जाता है कि मरीज आधार कार्ड वापस लेने आए तो व्हीलचेयर और स्ट्रेचर वापस कर दे। फिलहाल स्थिति यह है कि तीमारदार न व्हीलचेयर, स्ट्रेचर वापस करने आते हैं और न ही अपना आधार कार्ड ले जाते हैं। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक इमरजेंसी में करीब 400 तीमारदारों के आधार कार्ड जमा हो गए हैं। 

इमरजेंसी के गेट पर मरीजों के लिए पांच व्हीलचेयर, पांच स्ट्रेचर और ओपीडी में दो स्ट्रेचर, दो व्हीलचेयर लगाने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। स्ट्रेचर और व्हीलचेयर पर सामान ढोते थे, इसलिए ट्राली मंगाई गई। इन व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए गार्ड को भी स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। 

Uttarakhand- कोरोना काल में बंद रहा काम, बिजली विभाग ने भेजा लाखों का बिल, हैरान हुआ कारोबारी

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उत्तराखंड में बिजली विभाग के अफसर उपभोक्ताओं को मनमर्जी से बिजली बिल थमा रहे हैं। धरातल पर मीटर नहीं बदलते, लेकिन कागजी खानापूरी करके रीडिंग बढ़ा देते हैं। उपभोक्ता जितना विरोध करते हैं, तो बिजली का बिल उतना हीं बढ़ता जाता है।

उत्तराखंड विद्युत लोकपाल सुभाष कुमार ने ऐसे तीन मामलों में उपभोक्ता फोरम के आदेश को रद्द कर दिया। यूपीसीएल के बिजली बिलों को भी निरस्त करते हुए उपभोक्ताओं को राहत दी है। रुद्रपुर निवासी थान सिंह का छोटा कारोबार है, जिसके लिए 10 किलोवाट का कनेक्शन लिया हुआ है।

मार्च में उन्हें 1,14,969 का बिल आया। साथ ही कहा गया कि कनेक्शन न कटे इसके लिए 75 हजार तत्काल जमा कराएं। इसके बाद उन्हें 28 मार्च को यूपीसीएल से एक पत्र आया, जिसमें कहा गया कि उनका फरवरी 2017 से नवंबर 2022 का 29,35,681 रुपये का बकाया है। 

वह उपभोक्ता फोरम गए, जहां से राहत नहीं मिली। विद्युत लोकपाल सुभाष कुमार ने माना कि यूपीसीएल ने गलत बिल थमाया है। उन्होंने इसे निरस्त करते हुए पिछले छह बिलिंग साइकिल के हिसाब से बिल देने को कहा है। उन्होंने फोरम का आदेश निरस्त कर दिया।

मीटर बदले बिना बिल बढ़ाकर 2 लाख पहुंचाया-


रुड़की के सिकंदरपुर निवासी किसान अय्यूब ने अपनी 30 बीघा जमीन पर निजी ट्यूबवेल लगाया। उन्हें बिजली विभाग ने पिछले साल 15 मार्च को 2,94,499 रुपये का बिल थमाया। जिस पर उन्होंने शिकायत की तो विभाग ने मीटर की गड़बड़ी मानते हुए इसमें से 91,704 रुपये की छूट करते हुए 2,02,795 रुपये जमा कराने को कहा। उपभोक्ता फोरम ने भी इसे सही ठहराया। अपील पर विद्युत लोकपाल सुभाष कुमार ने माना कि यूपीसीएल ने वहां बिजली का नया मीटर लगाया ही नहीं था। मनमाने तरीके से बिल थमा दिया। उस बिल व फोरम के आदेश को रद्द कर दिया। उन्होंने यूपीसीएल को आदेश दिया कि पुराने मीटर की रीडिंग के औसत के हिसाब से नया बिल दिया जाए।

इंजीनियरों की खींचतान में आठ लाख का बिल-


काशीपुर निवासी आशीष कुमार अरोड़ा की बिजली बिल की रीडिंग ठीक नहीं आ रहीं थीं। उन्होंने विभाग को शिकायत की तो चेक मीटर लगाया गया। इसके बावजूद बिजली विभाग ने नवंबर 2022 में आठ लाख 81 हजार 244 रुपये का बिल थमा दिया। उन्होंने विरोध करते हुए उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। बिजली कनेक्शन न कटे, इसके लिए उन्होंने दो लाख रुपये एडवांस भी जमा करा दिया। फोरम से राहत न मिलने पर वह विद्युत लोकपाल पहुंचे। लोकपाल सुभाष कुमार ने पाया कि यूपीसीएल के दो इंजीनियरों की आपसी खींचतान से उपभोक्ता को आठ लाख का बिल दिया गया। उन्होंने तत्काल फोरम के आदेश व इस बिल को निरस्त कर दिया। पूर्व से जमा दो लाख की राशि भी उपभोक्ता को लौटाने के आदेश दिए।

भाजपा ने सोशल मीडिया पर राहुल को बताया था रावण, जेपी नड्डा और अमित मालवीय पर केस.

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भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और आईटी सेल के हेड अमित मालवीय के खिलाफ जोधपुर कोर्ट में मानहानि का परिवाद दर्ज हो गया है। कांग्रेस नेता ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए राहुल गांधी को रावण बताने पर ये परिवाद दर्ज कराया है। अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट कोर्ट नंबर 1 में दायर इस परिवाद पर 11 अक्तूबर को सुनवाई होगी। परिवाद दर्ज कराने वाले कांग्रेस विधि विभाग के जिलाध्यक्ष और एडवोकेट दिनेश जोशी  का आरोप है कि भाजपा के एक्स अकाउंट (ट्विटर) से राहुल गांधी की छवि धूमिल करने के लिए ये पोस्ट डाली गई थी। इससे राजस्थान समेत देश भर के कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। बात दें कि 5 अक्तूबर को डाली गई इस पोस्ट में राहुल गांधी को सात सिर वाला व्यक्ति दिखाया गया है और उनकी तुलना रावण से की गई है। कांग्रेस नेता इसे सनातन धर्म और राहुल गांधी का अपमान बता रहे हैं।
बता दें कि कल शुक्रवार को इसी मामले को लेकर कांग्रेस नेता और वकील जसवंत गुर्जर ने जयपुर की एक कोर्ट में अर्जी दायर की थी। जिसमें राहुल गांधी को रावण बताने पर जेपी नड्डा और अमित मालवीय के खिलाफ धारा 499, 500 और 504 में केस दर्ज करने की मांग की गई है।
जयपुर कोर्ट में भी दायर की गई है अर्जी-
बता दें कि कल शुक्रवार को इसी मामले को लेकर कांग्रेस नेता और वकील जसवंत गुर्जर ने जयपुर की एक कोर्ट में अर्जी दायर की थी। जिसमें राहुल गांधी को रावण बताने पर जेपी नड्डा और अमित मालवीय के खिलाफ धारा 499, 500 और 504 में केस दर्ज करने की मांग की गई है।

कैलाश विजयवर्गीय के बयान से चढ़ा सियासी पारा, क्या शिवराज का पत्ता कटना तय है?

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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले नेताओं की बयानबाजी से सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। अब जैसे ही शिवराज को MP से किनारे लगाया गया, शिवराज ने अब सीधे मोदी को ही चुनौती दे डाली है. मध्य प्रदेश में चुनावी कार्यक्रम के एलान से पहले ही सरगर्मियां बढ़नी शुरू हो गयी हैं. भाजपा ने इस बार शिवराज को किनारे कर सिर्फ नरेंद्र मोदी के नाम पर ही विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है, इस बार बड़े-बड़े मंत्रियों को भी चुनावी मैदान में उतारा गया है, लेकिन सीएम शिवराज की दावेदारी को लेकर सस्पेंस अभी बरकरार है. कहा जा रहा है कि इस बार पीएम मोदी ने शिवराज से पूरी तरह किनारा कर दिया है.

 

क्या कहा कमलनाथ और पूर्व CM ने-

पूर्व सीएम और पीसीसी चीफ कमलनाथ ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मध्य प्रदेश भाजपा में हताशा चरम पर है। पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम लेना बंद कर दिया और उन्हें मुख्यमंत्री की दौड़ से बाहर कर दिया। इसके जवाब में प्रधानमंत्री पर दबाव बनाने के लिए पहले तो मुख्यमंत्री ने जनता के बीच यह पूछना शुरू किया कि मैं चुनाव लड़ूं या नहीं लड़ूं (Should I contest elections or not?) और अब सीधे पूछ रहे हैं कि मोदी जी को प्रधानमंत्री होना चाहिए या नहीं.

आखिर ऐसा क्यों कहा CM शिवराज ने-

भारतीय जनता पार्टी की तरफ से जो संकेत मिल रहे हैं वो शिवराज के लिए शुभ नहीं माने जा रहे हैं, खुद शिवराज सिंह चौहान को भी अपनी विदाई दिखाई दे रही है इसलिए कैबिनेट बैठक सहित सभाओं में वो भावुक नजर आ रहे हैं शिवराज ने कैबिनेट में सभी मंत्रियों सहित अधिकारियों को धन्यवाद किया था. वहीं 1 अक्टूबर को एक कार्यक्रम में उन्होने कहा था कि ऐसा भैया आपको दोबारा नहीं मिलेगा, जब  जाऊंगा तो बहुत याद आऊंगा, अभी एक दो दिन पहले उन्होंने अपने चुनावी क्षेत्र बुधनि में लोगों से पूछा था कि चुनाव लड़ूँ या नहीं, यहां से लड़ूँ या कहीं और से.

इस तरह के संकेत वो कई बार दे चुके हैं, जिस पर कांग्रेस कह रही है कि मामा जी अपनी विदाई के संकेत खुद दे रहे हैं और अब उनकी विदाई तय है,, इसलिए चुनाव से पहले शिवराज खूब घोषणाएं कर रहे हैं. लाड़ली बहन योजना भी चला रहे हैं, लेकिन मोदी ने उनको चुनाव से पूरी तरह साइडलाइन कर दिया है.

 

मोदी जी को पीएम बनना चाहिए शिवराज

कांग्रेस के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले ने एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि पीएम मोदी ने शिवराज जी का पत्ता काटा तो वो सीधे मोदी जी को ही चुनौती देने लग गए हैं और पूछ रहे हैं कि मोदी जी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए कि नहीं ? शिवराज जी ईंट का जवाब पत्थर से दे रहे हैं,, तो कांग्रेस का कहना है कि शिवराज जी मोदी के खिलाफ बिगुल फूंक चुके हैं और सीधे लोगों से ही पूछ रहे हैं कि मोदी जी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए कि नहीं.

अब बताइये वहां मुख़्यमंत्री का चुनाव होना है तो शिवराज प्रधानमंत्री बनने को लेकर ऐसा वक्तव्य या विचार अपने मन में क्यों लाएंगे, क्योकि ये बोलने का तो शिवराज का कोई मतलब नहीं बनता की मोदी जी पीएम बनेगें या नहीं.   इतना ही नहीं शिवराज ये भी कह रहे हैं कि जो हमारा साथ देगा हम भी उसी का साथ देंगे, जो नहीं देगा  हम भी उसका साथ नहीं देंगे.

 

मैं चुनाव लड़ूं या नहीं लड़ूं- शिवराज

कांग्रेस के पूर्व मुख़्यमंत्री कमलनाथ ने लिखा कि  मध्य प्रदेश भाजपा में हताशा अपने चरम पर है। पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम लेना बंद कर दिया और उन्हें मुख्यमंत्री की दौड़ से बाहर कर दिया।  इसके जवाब में प्रधानमंत्री पर दबाव बनाने के लिए पहले तो मुख्यमंत्री  ने जनता के बीच यह पूछना शुरू किया कि मैं चुनाव लड़ूं या नहीं लड़ूं और अब सीधे पूछ रहे हैं कि मोदी जी को प्रधानमंत्री होना चाहिए या नहीं। नाथ ने कहा कि पीएम और सीएम की जंग में  भाजपा में जंग होना तय है। जिन्हें टिकट मिला वह लड़ने को तैयार नहीं हैं, और जो टिकट की रेस से बाहर हैं, वह सबसे लड़ते फिर रहे हैं.

3 अक्टूबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुदनी में पूछा कि मैं चुनाव लड़ूं या नहीं? यहां से लड़ू या नहीं? 4 अक्टूबर को उन्होंने बुरहानपुर में कहा कि मैं देखने में दुबला पतला हूं, पर लड़ने में तेज हूं,, इससे पहले सीहोर में कहा था कि मैं चला जाऊंगा तो बहुत याद आऊंगा. शुक्रवार को डिंडोरी में जनता से पूछा कि सरकार कैसी चल रही है, सीएम बनूं या नहीं?

 

 

शिवराज की इस तरह की बयानबाजी से राजनीतिक माहौल गरमा गया है अब अगर बीजेपी सत्ता में आयी तो शिवराज सीएम बनेंगे या नहीं, शिवराज चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है क्योकि इससे पहले जब गृह मंत्री अमित शाह ने शिवराज सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश किया था तो पत्रकारों के सवाल पर गृह मंत्री ने कहा था कि अभी शिवराज मुख्यमंत्री हैं और इसके बाद होंगें या नहीं इस पर पार्टी फैसला लेगी,,  इस जवाब के बाद से ही कई कयास  शिवराज के भविष्य को लेकर लगने शुरू हो गए थे, इसके बाद पार्टी ने कई दिग्गज नेताओं को यहां से टिकट दिया जिसमे कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि उनको तो उम्मीद ही नहीं थी कि पार्टी उनको चुनाव लड़ाएगी.  इतना ही नहीं कैलाश विजयवर्गीय ये भी कह चुके हैं कि वो सिर्फ विधायक बनने नहीं आये हैं, पार्टी उनको बड़ी जवाबदेही देगी, उनके जवाब के बाद ये कयास लगने लगे कि क्या बीजेपी ने शिवराज की विदाई तय कर ली है, जिस बड़ी जवाबदेही की बात विजयवर्गीय  कर रहे हैं वो क्या MP की कुर्सी को लेकर उनका इशारा है ? इस जवाब के बाद से ही कई कयास  शिवराज के भविष्य को लेकर लगने शुरू हो गए हैं.