Month: October 2023

MP Election: मध्य प्रदेश चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस को बड़ा झटका, जानिए क्या थी वजह.

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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को मतदान होना है। हालांकि, मतदान से पहले ही मध्य प्रदेश में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। मध्य प्रदेश में टिकट वितरण होते ही कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में बगावत की आग भड़क गई है। इस आग की तपिश में उनके झुलसने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है।

राज्य में विधानसभा की 230 सीटें हैं और भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस अब तक 228-228 विधानसभा क्षेत्र के लिए अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने विधायकों के टिकट काटे हैं। वहीं कई दावेदारों की मंशा को पूरा नहीं होने दिया। लिहाजा आक्रोश और असंतोष चरम पर पहुंच गया है।

बीजेपी के कई कार्यकर्ताओं ने दिए इस्तीफे-
 

बीजेपी की पांचवी सूची जारी होते ही प्रत्याशियों के समर्थकों ने बवाल खड़ा कर दिया है,,और ये बवाल बीजेपी के बड़े बड़े नेताओं और मंत्रियों को झेलना पड़ रहा है,,21 अक्टूबर को जहां धर्मेंद्र यादव के साथ धक्का मुक्की हुई तो 22 अक्टूबर को ज्योतिरादित्य सिंधिया के घर के बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन हुए जिसके बाद खुद संधिया को बाहर आना पड़ा और अब खबर है कि bjp से हजारों कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा दे कर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी है.

बीजेपी के नाराज प्रत्याशियों ने किया हंगामा-

पांचवी सूची जारी होने के बाद बीजेपी दफ्तर में जमकर बवाल हुआ,,केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के साथ भी धक्का मुक्की की गयी,उनके गनमैन के साथ मारपीट भी की गयी. दरअसल शहर की उत्तर मध्य विधानसभा सीट से बाहरी प्रत्याशी को टिकट देने से नाराज बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश चुनाव के प्रभारी भूपेंद्र यादव के साथ भी धक्का मुक्की की गई. साथ ही उनके गनमैन के साथ मारपीट भी की. इस दौरान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु शर्मा के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी और आपत्तिजनक टिप्पणी की गई.

बीजेपी से हैं कई समर्थक नाराज-

बीजेपी ने अपनी पांचवीं लिस्ट घोषित की, जिसमें जबलपुर की उत्तर मध्य विधानसभा सीट से अभिलाष पांडेय को उम्मीदवार बनाया गया. बताया जाता है कि इसके बाद पूर्व मंत्री शरद जैन, अब पार्टी में वापसी कर चुके पूर्व बागी नेता धीरज पटेरिया और एक पार्षद कमलेश अग्रवाल के नाराज समर्थक बीजेपी के संभागीय बैठक में जबरन घुस गए. उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए हंगामा किया।

इस दौरान बैठक में मौजूद केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश चुनाव के प्रभारी भूपेंद्र यादव के साथ भी नाराज कार्यकर्ताओं ने धक्का मुक्की कर दी. बीजेपी के संभागीय दफ्तर में तकरीबन एक घंटे तक हंगामा होता रहा. इस दौरान जमकर गाली गलौज भी हुई. नाराज कार्यकर्ताओं ने एक सिक्योरिटी गार्ड को भी धक्का मुक्की देते हुए नीचे गिरा दिया पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.

कांग्रेस के भी कई विधायकों ने दिए इस्तीफे-

ऐसा नहीं है कि सिर्फ अकेले  बीजेपी का ये हाल है,बल्कि कांग्रेस में भी अब उम्मीदवारों  की पहली  सूची जारी होने के बाद बगावत शुरू हो गयी है. कांग्रेस में पहली सूची जारी होते ही धड़ाधड़ तीन विकेट गिर गए. नारयोली और नागौद विधानसभा क्षेत्र से टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस के दो नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। इसके साथ ही कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष ने भी इस्तीफा दे दिया है। 

कांग्रेस पार्टी के एक पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह ने सतना जिले  के नागौद विधानसभा क्षेत्र से टिकट नहीं मिलने पर पार्टी से इस्तीफा दे दिया। रविवार को ही बहुजन समाज पार्टी  में शामिल हो गए। ग्रेस की 144 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी करने के कुछ घंटों बाद ही पार्टी को पहला झटका लग गया था। कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अजय सिंह यादव ने पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ अन्याय का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

कांग्रेस ने अपने इन 6 विधायकों को नहीं दिए टिकट-

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने गुरुवार को देर रात अपनी दूसरी सूची जारी की थी. इसके बाद से ही पार्टी को कई जगहों पर विरोध का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, कांग्रेस ने अपने छह विधायकों को टिकट नहीं दिया. इसके चलते राज्य में इन विधायकों ने पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी है.

 

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक बगावत करने वाले विधायकों में से चार ने नवंबर 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफादारों के खिलाफ विधानसभा उपचुनाव जीते थे. इनमें सुमावली विधायक अजब सिंह कुशवाह, ब्यावरा विधायक रामचंद्र दांगी, गोहद के मेवाराम जाटव और मुरैना के राकेश मावई शामिल हैं. इस सूची में शामिल विधायकों में बड़नगर सीट से मुरली मोरवाल और सेंधवा सीट से ग्यारसी लाल रावत भी शामिल हैं.

एक तरफ जहां भाजपा में असंतोष उभर रहा है तो दूसरी तरफ कांग्रेस में भी नाराजगी लगातार बढ़ रही है और यही कारण रहा कि पार्टी को तीन उम्मीदवारों में बदलाव लाना पड़ा है। इसके अलावा कई कार्यकर्ता तो प्रदेश कार्यालय भी पहुंच गए और उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए पुतलों का दहन भी किया। कांग्रेस और भाजपा में बढ़ते असंतोष और विरोध प्रदर्शन के चलते दोनों ही राजनीतिक दल चिंतित हैं। इस बार का चुनाव कांटे का है और हार जीत में ज्यादा अंतर न रहने की संभावना जताई जा रही है।

Rajasthan Election: BJP ने राजस्थान में आज अपने 83 उम्मीदवारों की सूची की जारी, वसुंधरा पांचवीं बार झालरापाटन से मैदान में.

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अब राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने भी 83 उम्मीदवारों की सूची आज जारी कर दी है. एक दिन पहले ही दिल्ली में भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई थी, जिसमें इन नामों पर अंतिम मुहर लगी थी। पहली सूची में भाजपा ने 41 उम्मीदवार घोषित किए थे। भाजपा अब तक 124 नामों का ऐलान कर चुकी है, जबकि 76 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा होना बाकी है।

यहां से लड़ेंगी वसुंधरा चुनाव-

चुनाव की सरगर्मी जब से शुरू हुई, तब से सबसे बड़ा सवाल यही था कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की क्या भूमिका होगी और क्या वे विधानसभा चुनाव लड़ेंगी? भाजपा की दूसरी सूची में सबसे बड़ा नाम वसुंधरा राजे का ही है। वे झालावाड़ की झालरापाटन विधानसभा सीट से पांचवीं बार चुनाव लड़ेंगी।

 

पूनिया को आमेर से टिकट-

नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की सीट बदल दी गई है। वे इस बार चूरू जिले की तारानगर से चुनाव लड़ेंगे। पिछली बार वे चुरू से जीते थे। चुरू से उनकी जगह हरलाल सहारण को टिकट दिया गया है। आमेर से भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को टिकट दिया गया है।

 

राजवी की सीट बदली, कांग्रेस से आईं ज्योति मिर्धा नागौर से उम्मीदवार-

कांग्रेस से भाजपा में आईं पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा को नागौर से उम्मीदवार बनाया गया है।  पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी को चित्तौड़गढ़ से उम्मीदवार बनाया गया है। वे पिछली बार जयपुर की विद्याधर नगर सीट से चुनाव लड़े थे, जहां से इस बार भाजपा ने सांसद और जयपुर के पूर्व शाही घराने से ताल्लुक रखने वाली दीया कुमारी को टिकट दिया है। राजसमंद से दीप्ति माहेश्वरी को टिकट दिया गया है। वे दिवंगत भाजपा नेता रहीं किरण माहेश्वरी की बेटी हैं। यहां हुए उपचुनाव में दीप्ति ही निर्वाचित हुई थीं।

पूर्व राजघराने से जुड़े मेवाड़ और सिद्धि कुमारी यहां से लड़ेंगे चुनाव-

नाथरद्वारा से कुंवर विश्वराज सिंह मेवाड़ को टिकट दिया गया है। मेवाड़ के पूर्व शाही घराने से ताल्लुक रखने वाली विश्वराज कुछ दिन पहले भाजपा में शामिल हुए थे। यहां से विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी कांग्रेस के मौजूदा विधायक हैं। कांग्रेस ने दोबारा जोशी को ही यहां से मैदान में उतारा है। बीकानेर के पूर्व राजघराने से संबंध रखने वाली सिद्धि कुमारी को बीकानेर पूर्व से फिर से चुनाव लड़ेंगी। पिछली बार वे इस सीट से जीती थीं।

वसुंधरा के इन समर्थकों को भी मिला टिकट-

वसुंधरा के समर्थकों को भी भाजपा की दूसरी सूची में मौका मिला है। प्रताप सिंह सिंघवी को छाबड़ा सीट से फिर से टिकट मिला है। वे यहीं से मौजूदा विधायक हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कालीचरण सराफ को भी मालवीय नगर से फिर से टिकट मिला है।

 

 

Chardham Yatra: धीरे-धीरे कम होने लगी केदारनाथ यात्रा की रफ्तार, जानिए अब तक कितनों ने किए दर्शन.

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2023 में 25 अप्रैल से शुरू हुई केदारनाथ यात्रा में इस वर्ष अभी तक 17 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं, बीते दिनों केदारनाथ धाम में हुई बर्फबारी से ठंड बढ़ने से यात्रा की रफ्तार भी कम हो गई है।

बीते दिनों हुई बारिश और बर्फबारी के चलते केदारनाथ यात्रा की रफ्तार थमने लगी है। एक सप्ताह से धाम में प्रतिदिन दर्शनार्थियों की संख्या में कमी दर्ज की जा रही है। वहीं, केदारघाटी में होटल, रेस्टोरेंट और लॉज को भी गिनती की बुकिंग मिल रही है।

25 अप्रैल से शुरू हुई केदारनाथ यात्रा में इस वर्ष अभी तक 17 लाख 30 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं, लेकिन बीते दिनों केदारनाथ में हुई बर्फबारी से ठंड बढ़ने से यात्रा की रफ्तार भी थम गई है। सोनप्रयाग से केदारनाथ जाने वाले यात्रियों की संख्या घटने के साथ ही दर्शनार्थियों की संख्या भी प्रतिदिन घटने लगी है।

पांच दिनों में धाम में जहां 15 अक्तूबर को धाम में 10,546 श्रद्धालु पहुंचे थे, वहीं बीती 17-18 अक्तूबर को 7,365 और 7,905 शिव भक्तों ने बाबा केदार के दर्शन किए। इधर, श्रीकेदार धाम होटल एसोसिएशन के सचिव नितिन जमलोकी का कहना है कि यात्रा के पहले चरण की तरह दूसरे चरण में भी होटल, रेस्टोरेंट और लॉज संचालकों को सीमित बुकिंग मिली हैं। दूसरे चरण में भी गिनती की बुकिंग मिली है।

Rajasthan Election: कांग्रेस की उम्मीदवारों की पहली सूची हुई जारी, जानिए कौन कहां से लड़ेंगे चुनाव.

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Rajasthan Election 2023- राजस्थान में अब लंबे समय के इंतजार के बाद आखिरकार कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी गई। इस पहली लिस्ट में पार्टी ने 33 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है। कांग्रेस की पहली सूची में अशोक गहलोत के साथ ही सचिन पायलट, दिव्या मदेरणा, गोविंद सिंह डोटासरा, डॉ. अर्चना शर्मा, ममता भूपेश के साथ ही अशोक चांदना का नाम भी शामिल है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरदारपुरा से चुनाव लड़ेंगे। वहीं, सचिन पायलट टोंक से, ममता भूपेश सिकराय से, दिव्या मदेरणा ओसियां से चुनाव मैदान में उतारी गई हैं। पहली सूची में सीपी जोशी का नाम भी शामिल है, जिनके नाम को लेकर आशंकाएं जताई जा रही थी।

2020 में बागी विधायकों को भी टिकट-


2020 में सचिन पायलट के साथ बगावत करने वाले कई विधायकों को भी कांग्रेस की पहली सूची में टिकट मिला है।  विराटनगर सीट इंद्राज गुर्जर को फिर से टिकट मिल गया है। इसी तरह लाडनू सीट से मुकेश भाकर फिर से टिकट पाने में सफल रहे हैं। वहीं, वल्लभनगर से विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत का टिकट जरूर कट गया है, लेकिन उनकी जगह उनकी पत्नी प्रीति को टिकट दिया गया है। इसी तरह परबतसर से विधायक रामनिवास गावड़िया भी फिर से टिकट पा गए हैं।

 

पायलट को चुनौती देने वाले को भी टिकट-


सचिन पायलट का साथ देने वालों को टिकट मिला है, साथ ही उनको चुनौती देने वाले अशोक चांदना को भी पार्टी ने टिकट दिया है। राजस्थान के सियासी हलके में अक्सर कहा जाता है कि सचिन पायलट के सामने गुर्जर नेता के रूप में अशोक गहलोत चांदना को आगे बढ़ाते रहे हैं। पायलट और चांदना के बीच 2022 में तल्खी तब सामने आई थी जब पुष्कर में कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के अस्थि विसर्जन कार्यक्रम में खेल राज्य मंत्री अशोक चांदना पर जूते-चप्पल फेंकने की घटना हुई थी। तब चंदाना ने ट्वीट कर पायलट को खुली चुनौती दी थी। चांदाना ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा ” मुझ पर जूता फेंकवाकर सचिन पायलट यदि मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं तो जल्दी से बन जाए, क्योंकि आज मेरा लड़ने का मन नहीं है। जिस दिन मैं लड़ने पर आ गया तो फिर एक ही बचेगा और यह मैं चाहता नहीं हूं।”

CM गहलोत ने दौसा में किया प्रत्याशियों का एलान-


आज यानी शुक्रवार को प्रियंका गांधी की जनसभा में सीएम अशोक गहलोत ने इशारों ही इशारों में दौसा जिले की पांच विधानसभा के टिकट बांट दिए। जिनमें चार कांग्रेस के वर्तमान विधायकों और पांचवां टिकट महवा विधानसभा से निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुडला को देने की बात कही। भाषण के आखिर में गहलोत ने कहा- आप लोग दौसा से हमारे ममता भूपेश, मुरारी मीणा, गजराज खटाना और मुरारी लाल मीणा को जिताकर भेजो।

जानिए, राजस्थान का चुनावी कार्यक्रम-


30 अक्टूबर को अधिसूचना जारी की जाएगी। छह नवंबर तक नामांकन किया जा सकता है। सात नवंबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी। नौ नवंबर नाम वापसी की आखिरी तारीख है। 25 नवंबर को मतदान होगा, जबकि नतीजे तीन दिसंबर को सामने आएंगे

M.P Election- पहले टिकट फंसा अब खुद फंस गए, शिवराज की विधानसभा में ताबडतोड़ छापेमारी.

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मध्य प्रदेश में दिया शिवराज सिंह का एक बयान अब बड़ी तेजी  से वायरल हो रहा है, एक तरफ मामा जी ने ये बयान  दिया दूसरी तरफ उनके विधानसभा क्षेत्र बुधनी में ED ने छापेमारी कर दी. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ये अब तक का सबसे बड़ा एक्शन है और जैसे ही ये छापेमारी की गयी वैसे ही कांग्रेस की तरफ से इस पर खूब चुटकी ली गयी है. कांग्रेस कह रही है कि मोदी जी ने आखिरकार शिवराज को ठिकाने लगा ही दिया. 

ED ने की छापेमारी-


अब मामा जी के विधानसभा क्षेत्र बुधनी में ED  की छापेमारी हुई है, बड़ा एक्शन है, बड़ी खबर है, इस खबर से मध्य प्रदेश में हल्ला मचा हुआ है. मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के चुनावी क्षेत्र दतिया में एक दिन पहले  ED ने रेड किया था. अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चुनावी क्षेत्र में भी आईटी टीम ने छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दिया. जिसको लेकर कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर जोरदार तंज कसा है. कांग्रेस नेता पीयूष बबेले ने सोशल मीडिया पर लिखा, ”मोई जी ने ठाना है, मामा को निपटाना है.”
कांग्रेस के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किये गए संदेश में आगे लिखा कि मुख्यमंत्री के चुनाव क्षेत्र बुधनी में ट्राइडेंट कंपनी पर आयकर का छापा.

सोमवार को गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के चुनाव क्षेत्र दतिया में कारोबारी के यहां ईडी का छापा पड़ा था. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ”स्थानीय लोगों को पता है कि नरोत्तम मिश्रा और शिवराज सिंह चौहान का छापा पड़ने वालों से क्या संबंध है.

 
शिवराज और मोदी के बीच खींचतान-

“दसरल शिवराज सिंह चौहान ने मंच से जो कहा वो कथित बगावत कही जा सकती है. आपको बता दें कि नरेंद्र मोदी और शिवराज के बीच खींचतान साफ़ दिखाई देती है,पहले mp को लेकर बने थीम सांग से शिवराज को गायब किया गया,फिर टिकट में देरी की गयी, इतना ही नहीं मोदी जब भी प्रचार में मध्य प्रदेश आते हैं  मंच से शिवराज या उनकी योजनाओं का कभी भी नाम नहीं लेते। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान ने कथित तौर पर बगावती तेवर दिखाए और अब खबर निकल कर सामने आ रही है कि उनके विधानसभा क्षेत्र बुधनी में ED की छापेमारी हुई है और इसके बाद शिवराज का ये बयान वायरल हो रहा है.

एक दिन पहले प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के विधानसभा चुनावी क्षेत्र दतिया में ईडी ने रेड मारी थी. 16 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय  की टीम ने दतिया शहर के काले महादेव मंदिर के पास रहने वाले बीजेपी पार्षद के भाई के घर पर छापा मारा था. टीम सुबह 6 बजे उनके घर पर पहुंची और 11 घंटे बाद शाम पांच बजे बाहर निकाली. ईडी घर से बड़ा बैग लेकर निकली, जिसमें लाखों रुपए नकदी और जमीन व बैंकों से जुड़े दस्तावेज थे. अब इनकम टैक्स टीम ने बुधनी विधानसभा क्षेत्र में स्थित ट्राइडेंट कंपनी में छापेमारी की कार्रवाई की है.

इनकम टैक्स टीम के अफसर 60 गाड़ियों से ट्राइडेंट कंपनी के कार्यालय पहुंचे हैं. इस दौरान कंपनी कैंपस को जांच के लिए सील कर दिया गया था. इनकम टैक्स की टीम कंपनी के दस्तावेजों की पड़ताल करने में जुट गई है.

ED की कार्रवाई ने बढ़ाई शिवराज की मुश्किलें-

दरअसल, ये जो  ट्राइडेंट कंपनी है ये शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र में पड़ती है और शिवराज ने ही इसको यहां स्थापित किया है लेकिन ये कम्पनी शिवराज के करीबी की बताई जाती है. अब इस पर ED की छापेमारी हुई है, आज तक खबरें आ रही थी कि विपक्ष पर छापेमारी हो रही है लेकिन अब जिस तरह से शिवराज के ही करीबियों पर ही छापेमारी की जा रही है ये अपने आप में समझने के लिए काफी है कि ये चुनाव किस दिशा में जा रहा है.

राजनीतिक विश्लेषक भी समझते हैं कि चुनाव से ठीक पहले इस तरह की छापेमारी करके क्या संदेश देने की कोशिश की जा रही है. बुधनी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और शिवराज की मुश्किलें पहले ही बढ़ी हुई है क्योकि यहां के सांसद ने पार्टी छोड़ दी है, यहां से एक बड़े काफिले के साथ राजेश पटेल ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है. पहले ही शिवराज यहां फंसे हुए हैं ऊपर से ed की कार्रवाई ने शिवराज की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

क्या MP में BJP हारने वाली है ?

अब ऐसे में सवाल उठता है कि जिस तरह से मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री की खिलाफत की गयी है क्या वो भारी पड़ती नजर आ रही है? क्या मध्य प्रदेश में भाजपा बुरी तरीके से हारने वाली है. इसलिए अब छापेमारी पर छापेमारी की जा रही है ताकि बाद में सफाई देने के लिए खबरें रहे, कई सवाल इससे निकल कर सामने आ रहे हैं क्या मध्य प्रदेश के जरिये अन्य राज्यों में पार्टी की खिलाफत करने वालों को संदेश दिया जा रहा है कि आप भी सम्भल जाइये नहीं तो आपकी भी मुश्किलें पैदा हो सकती है.

Uttarakhand- उत्तराखंड में अब स्कूलों में केवल चार बार होंगी परीक्षाएं, जानिए पूरा शेड्यूल.

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उत्तराखंड के सभी सरकारी स्कूलों में कक्षा 3 से 12वीं तक के छात्र-छात्राओं की अब हर महीने मासिक परीक्षा के स्थान पर साल में चार परीक्षाएं होंगी। दो परीक्षाएं अर्द्धवार्षिक परीक्षा से पहले और दो इसके बाद होंगी। शिक्षा निदेशक ने इस संबंध में सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किया है।

प्रदेश में सरकारी विद्यालयों में कक्षा तीन से 12वीं तक के छात्र-छात्राओं की अब हर महीने मासिक परीक्षा के स्थान पर साल में चार परीक्षाएं होंगी।

शिक्षा निदेशक ने इस संबंध में सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किया है। शिक्षा निदेशक ने परीक्षा कार्यक्रम जारी करते हुए कहा, कक्षा तीन से पांचवीं तक के छात्रों की पहली परीक्षा मई माह में मासिक परीक्षा के स्थान पर पहली इकाई परीक्षा होगी। इसके बाद अगस्त में दूसरी इकाई परीक्षा होगी।

अर्द्धवार्षिक परीक्षा के बाद तीसरी चौथी परीक्षा-

अक्टूबर में अर्द्धवार्षिक परीक्षा के बाद नवंबर व दिसंबर में तीसरी और चौथी परीक्षा होगी। इसी तरह कक्षा छह से 10वीं तक के छात्र-छात्राओं की अक्तूबर में अर्द्धवार्षिक परीक्षा से पहले मई व अगस्त में परीक्षा होगी, जबकि दो अन्य परीक्षाएं नवंबर व दिसंबर में होगी।

वहीं, कक्षा 11वीं एवं 12 वीं के छात्रों की पहली परीक्षा जुलाई और दूसरी परीक्षा अगस्त में होगी। अक्टूबर में अर्द्धवार्षिक परीक्षा के बाद तीसरी परीक्षा नवंबर और चौथी दिसंबर में होगी। निर्देश में अधिकारियों को कहा गया कि मासिक, अर्द्धवार्षिक व वार्षिक परीक्षाएं तय समय में कराई जाएं।

परिवारवाद पर राहुल गांधी का जवाब सुनकर पसरा सन्नाटा. राहुल गांधी का ऐसा भाषण नहीं सुना होगा.

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देश की राजनीति में परिवारवाद एक बड़ा मुद्दा बनकर पिछले काफी समय से उठता आ रहा है,जिसको लेकर सबसे अधिक आरोप भाजपा की ओर से कांग्रेस पर लगते है जिस पर कांग्रेस कई बार बैकफुट पर नजर आयी है,लेकिन पिछले कुछ समय से जिस तरह से कांग्रेस ने आक्रामक रुख अपनाया है उससे भाजपा को करारा जवाब मिल रहा है.

कांग्रेस भी अब इस पर भाजपा को मुंहतोड़ जवाब दे रही है और सबसे अधिक हमलावर राहुल गांधी लग रहे हैं जो लगातार मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं,चाहे वो बेरोजगारी हो या महंगाई या फिर अडानी मुद्दा हो, राहुल लगातार भाजपा और मोदी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं, राहुल गांधी देश के हर हिस्से में जहां भी वो जा रहे हैं प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं और हर सवाल का जवाब दे रहे है. इस बीच एक प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी से जब परिवारवाद पर सवाल किया गया तो उनका जवाब सुन कर वहां सन्नाटा पसर गया.

राहुल गांधी का जवाब सुनकर पसरा सन्नाटा-

दरअसल एक रिपोर्टर ने जब परिवारवाद पर राहुल गांधी से सवाल किया तो जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि ”’अमित शाह का बेटा क्या कर रहा है, राजनाथ सिंह का बेटा क्या कर रहा है. मैने सुना अमित शाह का बेटा भारतीय क्रिकेट चला रहा है, बीजेपी नेता के कई बेटे वंशवादी हैं. कृपया निष्पक्ष रहें और यही सवाल भाजपा से पूछिए कि उनके बच्चे क्या कर रहे हैं ””राहुल गांधी का ये जवाब सुनते ही हॉल में सन्नाटा फ़ैल गया क्योंकि पहली बार राहुल गांधी ने भाजपा के लहजे में ही भाजपा को जवाब दिया और वंशवाद के नाम पर राहुल गांधी ने सीधे अमित शाह को टारगेट किया,राजनाथ सिंह को टारगेट किया,इस बार राहुल गांधी डिफेंसिव नहीं बल्कि अटैकिंग मोड़ में दिखे।

फिलहाल आपको बता दें कि दो दिवसीय दौरे पर राहुल गांधी मिजोरम गए थे जहां उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस की थी और उनसे ये सवाल पूछे गए थे, वहीं पांच राज्यों के चुनावों को लेकर भी राहुल गांधी से सवाल पूछे गए. इस पर भी राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस की विचारधारा को कम मत आंकिये, हम सभी राज्यों में जीत दर्ज करने वाले हैं. राहुल गांधी ने कहा कि हमने कर्नाटक में बीजेपी को हराया, हिमाचल में बीजेपी को हराया और अब यही हम नार्थ ईस्ट में भी प्लान कर रहे हैं. यहां भी हम बीजेपी को हराएंगे और सभी राज्यों में जीत हासिल करेंगे। मणिपुर के मुद्दे पर भी राहुल गांधी ने बीजेपी को जमकर घेरा।

जब वंशवाद की बात हो ही रही है और बीजेपी वंशवाद को लेकर कांग्रेस को हमेशा घेरती है तो कुछ तथ्य हम भी आपके सामने रखना चाहते हैं. जिससे वंशवाद पर कांग्रेस और विपक्ष पर हमेशा हमला करने वाली बीजेपी को शायद खुद का वंशवाद भी दिखाई दे.

कई नेता और परिवारवाद-

सबसे पहले आपको कुछ बड़े नेताओं के नाम और उनके वंशवाद के बारे में भी बताते हैं। सबसे पहले अमित शाह जिनके बेटे हैं जय शाह, राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह हैं, ऐसे ही नारायण राणे के बेटे निलेश राणे, हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर, और उनके भाई अरुण कुमार धूमल, वेद प्रकाश गोयल के बेटे पीयूष गोयल, पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे देवेंद्र प्रधान के बेटे धर्मेंद्र प्रधान, कैलाश विजयवर्गीय के बेटे अक्ष विजयवर्गीय, गंगाधर फडणवीस के बेटे देवेंद्र फडणवीस, माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिराज सिंधिया, रिनचिन खारू के बेटे  किरण रिजिजू और चाहे फिर वो  बी. एस येदुरप्पा हो या यशवंत सिन्हा से लेकर इनके बेटे जयंत सिन्हा हो या फिर विजयाराजे से लेकर वसुंधरा राजे या फिर रमन सिंह से लेकर उनके बेटे अभिषेक सिंह हो.

ये सभी भाजपा के वो नेता हैं जो अपने वंश के नेताओं के दम पर ही राजनीति में आये हैं और अच्छे मुकाम पर है, सिर्फ ये ही नहीं कई और नेता इस लिस्ट में शामिल हैं लेकिन लगता है कि भाजपा को शायद ये वंशवाद नहीं लगता इसलिए अक्सर वो कांग्रेस या विपक्ष को ही निशाने पर रखते हैं. लेकिन अब कांग्रेस भी भाजपा को उसी के अंदाज में जवाब देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही जिसका एक छोटा सा उदाहरण राहुल गांधी के जवाब को देखकर लगता है और शायद जिसका जवाब बीजेपी के पास भी नहीं है.

बेटों के टिकट बंटवारे में उलझी भाजपा-

अब इस खबर को देखिये जिसमें लिखा है ये खबर इंदौर के एक अखबार में छपी है. जिसमें लिखा है कि भाजपा ने 24 टिकट बेटों और 15 टिकट रिश्तेदारों को बाँट दिए खबर में लिखा है कि बेटों के टिकट बंटवारे में उलझी भाजपा की सूची में न अगड़ों का वर्चस्व है न पिछड़ों का, इसमें तो वर्चस्व है परिवारवाद का. कांग्रेस को वंशवाद पर कोसने वाली पार्टी में अब तक 193 प्रत्याशियों में 39 नेताओं के परिवार के लोगों को ही टिकट दिए हैं. यानी हर पांचवा उम्मीदवार किसी नेता का रिश्तेदार है.

कुल मिलाकर कांग्रेस और विपक्षी दलों को कोसने वाली बीजेपी भी इस राजनीतिक हमाम में नग्न नजर आती है, लेकिन इस बार राहुल गांधी का जवाब बीजेपी के लिए संकेत भी है कि अब कांग्रेस ने परिवारवाद का  जवाब भी ढूंढ लिया है.

Rajasthan Election- राजस्थान में वसुंधरा मुख्यमंत्री की रेस में शामिल, गुजरात लॉबी बेबस !

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राजस्थान में भाजपा में मची खुली बगावत के बाद आखिरकार क्या राजस्थान लॉबी के आगे गुजरात लॉबी को हार माननी पड़ गयी है ? जिस तरह से संकेत मिल रहे रहे हैं उससे तो यही लगता है कि भाजपा आलाकमान ने जिस तरह से शिवराज को किनारे लगाया उस तरह से वसुंधरा को भी किनारे लगाने की कोशिश कामयाब होती नहीं दिखाई दे रही.

बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ अनबन की खबरों के बीच राजस्थान की पूर्व सीएम रही वसुंधरा राजे एक बार फिर रेस में वापसी करती हुई दिखाई दे रही हैं. राजस्थान में इस साल नवंबर अंत विधानसभा चुनाव हो सकते हैं जिसको लेकर पूरे राजस्थान में राजनीतिक सरगर्मी उफान पर है राजस्थान बीजेपी में राज्य की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और केंद्रीय नेतृत्व के बीच सब कुछ ठीक नहीं था. लेकिन अमित शाह-वसुंधरा राजे के बीच मीटिंग हुई और वसुंधरा राजे यह कहते हुई निकलीं कि मीटिंग बहुत अच्छी रही.
रात 2 बजे तक चली मीटिंग-

बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक शुरू होने के बाद जब बैठक की तस्वीरें सामने आईं तो लोगों की निगाह सिर्फ वसुंधरा के हाव-भाव पर थी. लोग उनकी बॉडी लैंग्वेज को देखना और समझना चाह रहे थे. मीटिंग में देखा गया  कि वसुंधरा के एक तरफ गजेंद्र सिंह शेखावत बैठे हैं और दूसरी तरफ राज्यवर्धन राठौड़. ये सीटिंग अरेंजमेंट तब तक का है, जब तक अमित शाह और जेपी नड्डा मीटिंग के लिए पहुंचे नहीं थे. जैसे ही दोनों नेता मीटिंग के लिए पहुंचे सीटिंग अरेंजमेंट बदल गया. शाम करीब साढ़े सात बजे शुरू हुई यह बैठक रात दो बजे तक चलती रही. उम्मीदवारों से लेकर प्रचार की रणनीति तक पर चर्चा हुई. कोर ग्रुप की बैठक में अमित शाह और जेपी नड्डा समेत राज्य और केंद्र सरकार के करीब 17-18 लोग मौजूद थे.

जब मीटिंग खत्म हुई और नेता होटल से बाहर निकलने लगे तो मीडिया के कैमरे में वसुंधरा, गजेंद्र सिंह शेखावत और कुलदीप बिश्नोई नजर आए. पत्रकारों ने वसुंधरा से सवाल पूछना चाहा, लेकिन उन्होंने दिलचस्पी नहीं दिखाई. वो ये कहते हुए गाड़ी में बैठ गई कि मीटिंग बहुत अच्छी रही.

क्या वसुंधरा सच में रेस में वापस आ गयी हैं ?

जानकारी के मुताबिक  मीटिंग में बनी रणनीति ने वसुंधरा को फिर से रेस में वापस ला दिया है. बुधवार की रात कोर कमेटी की मीटिंग के बीच अमित शाह, जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष के बीच गुप्त मीटिंग हुई. माना जा रहा है कि इस मीटिंग में वसुंधरा को भरोसा दिया गया है कि पार्टी चुनाव में उनके सम्मान का पूरा ख्याल रखेगी. ऐसे में सवाल है कि क्या राजस्थान में इस बार वसुंधरा राजे एक बार फिर चुनावी कमान संभालेंगी. क्या प्रदेश में एक बार फिर से उनके चेहरे को कमान दी जाएगी.

राजस्थान में वसुंधरा क्यों अहम ?  
 राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा बीजेपी की सबसे बड़ी नेता हैं. प्रदेश में अब भी उनको भीड़ जुटाने वाली नेता के तौर पर जाना जाता है. पार्टी पॉलिटिक्स में वो भले ही खुद को साइड लाइन समझ रहीं थीं लेकिन समर्थकों के बीच उनकी लोकप्रियता बनी हुई है और माना जा रहा है कि इसी लोकप्रियता की बदौलत उन्होंने चुनावी रेस में वापसी की है. माना जा रहा है कि आरएसएस नेताओं ने वसुंधरा की पैरवी की है. संघ का भी पहले से मानना है कि बिना क्षेत्रीय क्षत्रप को आगे रखे सिर्फ प्रधानमंत्री के नाम पर विधानसभा का चुनाव नहीं जीता जा सकता.
कई सर्वे में वसुंधरा सबसे बड़ा चेहरा-

ऐसे में राजस्थान में चेहरे के नाम पर किये गए अलग अलग सर्वे में वसुंधरा सबसे बड़ा चेहरा सामने आ रहा है. अभी हाल ही में भी एबीपी न्यूज के सर्वे में 36 फीसदी लोगों ने माना था कि वसुंधरा ही पार्टी का सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं, जबकि गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम लेने वाले महज 9 फीसदी लोग ही थे. वहीं राजेंद्र राठौर और अर्जुन मेघवाल का नाम 7 फीसदी लोगों ने लिया था. यही वजह है कि प्रधानमंत्री के चेहरे को ही आगे रखकर चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई जा रही है. हालांकि 200 सीटों वाले राजस्थान में सिर्फ इतने से काम नहीं चलने वाला और ये सच्चाई पार्टी भी समझती है. बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व जानता है कि राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा की जड़ें काफी गहरी हैं. इसलिए उनको नजरअंदाज करके सत्ता हासिल करना आसान नहीं रहने वाला.

राजस्थान में नाराज चल रही वसुंधरा राजे को साधने से लिए भाजपा के भीतर मंथन चल रहा है। चर्चा है कि भाजपा यहां कर्नाटक फॉर्मूला अपना सकती है। इसके तहत जैसे वहां बीएस येदियुरप्पा को साधा गया था वैसा ही प्रयोग राजस्थान में हो सकता है.

जानकारी के अनुसार, शीर्ष स्तर पर विचार चल रहा है कि वसुंधरा राजे को कैम्पेन कमेटी का मुखिया बना कर पार्टी सामूहिक नेतृत्व में लड़े. वसुंधरा राजे का पार्टी पूरा सम्मान रखेगी कुछ ऐसा ही प्रयोग भाजपा ने येदियुरप्पा को साधने के लिए किया था. सियासी जानकारों का कहना है कि भाजपा आलाकमान जिस तरह से वसुंधरा राजे की अनदेखी कर रहा है, उससे पार्टी को नुकसान हो सकता है। भाजपा ने जिन 41  लोगों की पहली सूची जारी की है उसमें वसुंधरा समर्थकों के टिकट काट दिए गए हैं। ऐसे में वसुंधरा पर उनके समर्थकों का दबाव भी है हाल ही में बड़ी संख्या में वसुंधरा समर्थक जयपुर स्थित आवास पर भी आए थे।

वसुंधरा की अनदेखी चुनाव में पड़ सकती है भारी-

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वसुंधरा से बड़ा राजस्थान भाजपा में कोई नेता नहीं है। ऐसे में अगर वसुंधरा राजे की पार्टी अनदेखी करती है तो उसे सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए भाजपा के रणनीतिकार वसुंधरा को साधने के तरीके खोज रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा राजस्थान के नेताओं से संपर्क में हैं और लगातार फीडबैक ले रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, कार्यकर्ताओं ने साफ कह दिया है कि वसुंधरा राजे की अनदेखी चुनाव में भारी पड़ सकती है. कांग्रेस को कम नहीं आंकना चाहिए। अति आत्मविश्वास से पार्टी को नुकसान हो सकता है.

बता दें कि हाल ही में वसुंधरा राजे की नई दिल्ली में संगठन महामंत्री बीएल संतोष, राज्य के प्रभारी महासचिव अरुण सिंह और अन्य नेताओं से बैठक हुई। सूत्रों के अनुसार बैठक में कर्नाटक मॉडल पर विस्तार से चर्चा हुई. वसुंधरा आश्वस्त नजर आई.

दोनों की मुलाकात के बाद कई तरह के कयास-

इस सब के बीच वसुंधरा भी प्रेशर पॉलिटिक्स जारी रखे हुए हैं, इस कड़ी में उन्होंने गत रविवार को राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे अचानक अपने पूर्व प्रतिद्वंद्वी और वर्तमान में असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया के उदयपुर स्थित आवास पर पहुंच गई। दोनों की इस मुलाकात के बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कटारिया और वसुंधरा राजे की मुलाकात करीब 40  मिनट तक चली. इस मीटिंग में दोनों के बीच क्या बातचीत हुई इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है।

वसुंधरा राजे के उदयपुर दौरे के बारे में किसी को पहले से कोई जानकारी नहीं थी। कहा जा रहा है कि उनका यह दौरा पहले से गुप्त था। गुलाब चंद कटारिया ने अपनी और वसुंधरा राजे की मुलाकात की पुष्टि करते हुए उन्होंने कहा, ‘दोनों एक ही परिवार से संबंध रखते हैं और एक–दूसरे से मिलते रहते हैं। आजकल मैं सियासत पर चर्चा नहीं करता, क्योंकि मैंने अपनी लाइन बदल ली है।’

भाजपा हाईकमान ने जिस तरह से वसुंधरा को साइड लाइन लगाने की काफी कोशिश की वो कहीं न कहीं सफल नहीं होती नजर आ रही. इसलिए अब वसुंधरा को साधने की कोशिश की जा रही है. वसुंधरा के अडिग रवैये और विरोध के चलते आखिरकार भाजपा हाईकमान को झुकना पड़ा और शायद अब उनको भी लगने लगा है कि बिना वसुंधरा राजस्थान जीतना मुश्किल है या यूँ कहें कि वसुंधरा को राजस्थान से अलग करना संभव नहीं है.

कलर्स टीवी के सबसे बड़े शो बिग बॉस-17 में सलमान खान के साथ नजर आएंगे उत्तराखंड के ये फेमस यूट्यूबर.

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कलर टीवी पर प्रसारित होने वाले बड़े शो बिग बॉस के 17वें संस्करण में बॉलीवुड स्टार सलमान खान के साथ इस बार देवभूमि उत्तराखंड के युवा बाबू भैया भी दिखाई देंगे. अठूरवाला निवासी अनुराग डोभाल उर्फ बाबू भैया एक मोटो-ब्लॉगर है।

 

बाबू भैया ने मोटो ब्लॉगिंग के क्षेत्र में करिअर वर्ष 2018 में शुरू किया था। उनके यूट्यूब चैनल द यू-के-07 राइडर में 71 लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं, जबकि इंस्टाग्राम में 51 लाख से अधिक फॉलोअर हैं। कलर टीवी पर प्रसारित होने वाले चर्चित रियलिटी शो बिग बॉस से बाबू भैया को काफी समय पहले ऑफर आया था।

इसके बाद वह काफी समय से तैयारी कर रहे थे।बाबू भैया ने बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान के साथ 15 अक्टूबर को बिग बॉस के शो में एंट्री ली है। बिग बॉस-17 में बाबू भैया के अलावा 15 अन्य बड़े-बड़े कलाकार प्रतिभाग कर रहे हैं।

बाबू भैया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नैनबाग टिहरी गढ़वाल के अलावा दूधली के प्रसिद्ध स्कूल डीडीएच और श्री गुरु राम राय स्कूल भनियावाला से प्राप्त की है।

डीएवी कॉलेज देहरादून से स्नातक करने के बाद बाबू भैया ने 31 दिसंबर, वर्ष 2017 अपना मोटो ब्लॉगिंग के क्षेत्र में अपना करियर केटीएम बाइक से शुरू किया था। बाबू भैया की माता गृहिणी हैं, जबकि पिता सरकारी स्कूल में गणित के शिक्षक हैं।

लॉकडाउन में अनुराग की नौकरी छूट गई थी। इसके बाद यूट्यूबर बन गए। बताया, शौक-शौक में बनाए वीडियो को अपने यूट्यूब चैनल पर पोस्ट करने लगे।

उत्तराखंड के कई जिलों में झमाझम बारिश और बर्फबारी, जानिए कैसा रहेगा अगले 2 दिनों तक मौसम का हाल.

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उत्तराखंड में मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है। राजधानी देहरादून समेत प्रदेशभर के कई जिलों में भारी बारिश के साथ ही तेज गर्जना हो रही है। बारिश के बीच अचानक राजधानी देहरादून में अंधेरा छा गया। वाहनों को दिन में हेडलाइट जलानी पड़ी। तो वहीं सभी जगह सड़कों पर स्ट्रीट लाइटें जलाई गयी.

उत्तराखंड में बदला मौसम का मिजाज-

सोमवार उत्तराखंड में भारी बारिश के साथ ही तेज हवाएं चलने से मौसम ठंडा हो गया है। बदले मौसम के मिजाज के चलते ठंड बढ़ने से लैंसडाउन चौक के पास लोगों ने अलाव का सहारा लिया। वहीं धुंध के कारण अंधेरा होने से वाहनों को दिन में हेडलाइट जलानी पड़ी। बारिश होने से तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है। सुबह स्कूली बच्चों और नौकरीपेशा लोगों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। राजधानी देहरादून सहित प्रदेश के कई जिलों में झमाझम बारिश का सिलसिला जारी है। हरिद्वार में तेज तूफान से धूल मिट्टी, कूड़ा तेज शहर के रोड और गलियों में पसर गया।

तेज आंधी के चलते कई जगह पेड़ की शाखाएं टूट कर गिर गई है। उत्तरकाशी में बादल छाए हुए हैं साथ ही ठंडी हवाएं चल रही है। वहीं विकासनगर में मूसलाधार बारिश हो रही है।मौसम विभाग की ओर से आज सोमवार को बारिश होने के आसार बताए गए थे। केंद्र ने पर्वतीय जिलों में बारिश का ऑरेंज और मैदानी इलाकों में येलो अलर्ट जारी किया है।

कई जिलों में कल येलो अलर्ट- 

मौसम के पूर्वानुमान के अनुसार कल यानी 17 अक्तूबर को भी ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले को छोड़ अन्य सभी जिलों में भी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है।हालांकि 18 अक्टूबर से प्रदेशभर का मौसम शुष्क रहेगा।

चारों धामों में बारिश और बर्फबारी- 

वहीं केदारनाथ और यमुनोत्री में बारिश बर्फबारी का सिलसिला जारी है। इस मौसम में भी धामों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद हैं। एक ओर जहां श्रद्धालु बर्फबारी देख उत्साहित नजर आए तो वहीं दूसरी तरफ सुविधाओं के अभाव में उन्हें परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है।

यमुनोत्री सहित यमुना घाटी में एक घंटे से झमाझम बारिश हो रही है। यमुनोत्री धाम के ऊपर बुग्यालों चोटियों सप्त ऋषि कुंड, बंदरपूंछ, कालिंदी पर्वत, गरुड़ गंगा टाप पर बर्फबारी जारी है। बारिश बर्फबारी के चलते तापमान में गिरावट आ गई। ठंड से लोग घरों में दुबके हैं।

यमुनोत्री धाम में बर्फबारी का श्रद्धालु लुत्फ उठा रहे हैं, लेकिन वहीं पर्याप्त सुविधाएं न होने से श्रद्धालुओं को बारिश बर्फबारी में दिक्कतों का सामना करना रहना पड़ रहा है। देहरादून सहित प्रदेश के कई जिलों में बारिश के साथ ही तेज गर्जना हो रही है।

 

बद्रीनाथ धाम में भी बर्फबारी- 

बदले मौसम के मिजाज के चलते ठंड बढ़ने से लैंसडाउन चौक के पास लोगों ने अलाव का सहारा लिया। वहीं धुंध के कारण अंधेरा होने से वाहनों को दिन में हेडलाइट जलानी पड़ी। बारिश होने से तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है। वहीं दोपहर के बाद बदरीनाथ धाम में भी खूब बर्फबारी हुई है। बर्फबारी के बाद धाम में तेज ठंड बढ़ गयी है, श्रद्धालु भी इस बर्फ को देखकर उत्साहित हो रहे हैं.