कतर के साथ भारत के रिश्ते अच्छे माने जाते हैं. हालांकि, इसके बाद भी कतर ने आठों भारतीयों को मौत की सजा सुना दी है. कतर की अदालत ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अफसरों को मौत की सजा सुनाई है। इन आठों भारतीयों को पिछले साल जासूसी के कथित आरोप में गिरफ्तार किया गया था. भारत सरकार ने इस फैसले पर हैरानी जताई है। हालांकि, भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि वह इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है। तो आईये जानते हैं क्या है वो मामला और कौन हैं ये आठों नेवी अफसर?
कौन हैं ये 8 नेवी अफसर ?
नौसेना के जिन आठ पूर्व अफसरों को मौत की सजा सुनाई गई है, उनके नाम – कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुणाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और राजेश हैं।
इन सभी पूर्व अफसरों ने भारतीय नौसेना में 20 साल तक सेवा दी थी। नौसेना में रहते हुए उनका कार्यकाल बेदाग रहा है और अहम पदों पर रहे हैं। साल 2019 में, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी को प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया था, जो प्रवासी भारतीयों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।
कतर में कर क्या रहे थे ये सभी अफसर ?
नौसेना से रिटायर्ड ये सभी अफसर दोहा स्थित अल-दहरा कंपनी में काम करते थे। ये कंपनी टेक्नोलॉजी और कंसल्टेंसी सर्विस प्रोवाइड करती थी। साथ ही कतर की नौसेना को ट्रेनिंग और सामान भी मुहैया कराती थी। इस कंपनी को ओमान की वायुसेना से रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर खमीस अल आजमी चलाते थे। पिछले साल उन्हें भी इन भारतीयों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, नवंबर में उन्हें रिहा कर दिया गया था। ये कंपनी इस साल 31 मई को बंद हो गई है। इस कंपनी में लगभग 75 भारतीय नागरिक काम करते थे, जिनमें ज्यादातर नौसेना के पूर्व अफसर थे। कंपनी बंद होने के बाद इन सभी भारतीयों को नौकरी से निकाल दिया गया।
पूरा मामला क्या है?
ये सभी आठ भारतीयों को पिछले साल जासूसी के कथित मामले में हिरासत में ले लिया गया था। हालांकि कतर प्रशासन की ओर से इन लोगों के खिलाफ आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया गया है लेकिन माना गया कि गिरफ्तारियां सुरक्षा संबंधी मामले में की गई थीं। वहीं पिछले साल 25 अक्टूबर को मीतू भार्गव नाम की महिला ने ट्वीट कर बताया था कि भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अफसर 57 दिन से कतर की राजधानी दोहा में गैर-कानूनी तरीके से हिरासत में हैं। मीतू भार्गव कमांडर पूर्णेदु तिवारी की बहन हैं।उन्होंने भारत सरकार से इस मसले पर जल्द कार्रवाई की मांग की थी।
कब हुआ था ट्रायल?
आठों पूर्व अधिकारियों को पिछले साल 30 अगस्त की रात हिरासत में ले लिया गया था। इन सभी का ट्रायल इसी साल 29 मार्च को शुरू हुआ था। विदेश मंत्रालय ने 6 अप्रैल को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए इस बात जानकारी दी थी कि इन सब लोगों को भारत की ओर से कानूनी मदद मिलनी शुरू हो गई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि इस मामले की सबसे पहली सुनवाई 29 मार्च को हुई थी। ये सुनवाई उस वकील ने भी अटेंड की थी जिन्हें केस के लिए नियुक्त किया गया है। तीन अक्टूबर को मामले में सातवीं सुनवाई हुई थी और कोर्ट ऑफ फर्स्ट इंस्टेंस ने गुरुवार को उनके खिलाफ फैसला सुनाया।
क्या कर रही है भारत सरकार ?
भारत के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि वह इस फैसले से स्तब्ध है और फैसले के विस्तृत ब्योरे की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हम हर परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं।भारतीय नागरिकों की रिहाई के लिए सभी कानूनी विकल्पों की तलाश की जा रही है। विदेश मंत्रालय ने ये भी कहा कि कतर की जेल में बंद भारतीय नागरिकों को कॉन्सुलर एक्सेस और कानूनी मदद दी जाती रहेगी और फैसले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाएंगे।