Day: July 31, 2023

मणिपुर मामले में CJI ने सरकार से किए सख्त सवाल, कहा- 14 दिन तक पुलिस ने कुछ क्यों नहीं किया…

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मणिपुर में वायरल वीडियो में जिसमें दो महिलाओं का यौन उत्पीड़न हुआ था. और उन्हें निर्वस्त्र कर घुमाया गया था.  दो महिलाओं के साथ हुई उस दरिंदगी से देश को शर्मसार करने वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज यानी 31 जुलाई को सुनवाई हुई. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कई सवाल किए।

CJI चंद्रचूड़ ने सरकार से पूछे कई सख्त सवाल- 

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकार से पूछा की 4 मई की घटना पर पुलिस ने 18 मई को जाकर FIR दर्ज की, आखिर 14 दिन तक पुलिस ने कुछ क्यों नहीं किया? वायरल वीडियों में महिलाओं को जब निर्वस्त्र कर घुमाया जा रहा था,, तब पुलिस कहां थी और कुछ क्यों नहीं कर पाई?

1 अगस्त को ही होगी मामले की अगली सुनवाई- CJI

डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा की यदि महिलाओं पर अपराध के 1000 मामले दर्ज होते हैं, तो क्या सभी जांच सीबीआई कर पाएगी ? साथ ही इस पर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जांच टीम में सीबीआई की एक जॉइंट डायरेक्टर रैंक की महिला अधिकारी को रखा जाएगा. इस पर वहीं, सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमन ने कहा कि वो मंगलवार यानी, 1 अगस्त को हर केस पर तथ्यों के साथ जानकारी देंगे।

SC ने सभी FIR की जानकारी मांगी- 

 

CJI चंद्रचूड़ ने कहा की हमें जानना है कि 6000 FIR का वर्गीकरण क्या है, और इसमें कितने जीरो FIR है. कितनी अभी तक गिरफ्तारी हुई, और अभी तक क्या-क्या कार्रवाई हुई है, डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा की हम कल फिर सुनवाई करेंगे. क्योंकि परसों से अनुच्छेद 370 पर सुनवाई शुरु हो रही है. इसलिए इस मामले पर कल ही सुनवाई होगी.. वहीं सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर तुषार मेहता ने कहा, “कल सुबह तक FIR का वर्गीकरण उपलब्ध करवा पाना मुश्किल होगा।

CJI ने कहा कि पीड़ित महिलाओं की शिकायत कौन दर्ज करेगा. एक महिला जो राहत शिविर में रह रही है और अपने पिता या भाई की हत्या से डरी हुई है.  क्या ऐसा हो पाएगा कि न्यायिक प्रक्रिया उस तक पहुंच सके?”  चंद्रचूड़ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने SIT के लिए भी नाम दिए हैं. आप इस पर भी जवाब दीजिए. अपनी तरफ से नाम का सुझाव दीजिए. या तो हम अपनी तरफ से कमिटी बनाएंगे, जिसमें पूर्व महिला जज भी होंगी।

 

CJI ने निर्भया कांड का भी किया जिक्र- 
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पीड़ितों के बयान हैं कि उन्हें पुलिस ने भीड़ को सौंपा था. ये निर्भया जैसी स्थिति नहीं है, जिसमें एक बलात्कार हुआ था, वो भी काफी भयावह था लेकिन इससे अलग था. यहां हम प्रणालीगत हिंसा से निपट रहे हैं, जिसे आईपीसी (IPC) एक अलग अपराध मानता है।

क्या कहा मैतेई समुदाय के वकील ने- 

वहीं, सीजेआई ने मैतेई समुदाय के वकील से कहा कि इस बात पर आश्वस्त रहें कि किसी भी समुदाय के प्रति हिंसा हुई हो, हम उसे गंभीरता से लेंगे यह सही है कि ज़्यादातर याचिकाकर्ता पक्ष कुकी समुदाय की तरफ से हैं. उनके वकील अपनी बात रख रहे हैं लेकिन हम पूरी तस्वीर देख रहे हैं. ” सीजेआई ने आगे कहा, “निश्चित रूप से मैतेई समुदाय के लोग भी पीड़ित होंगे. हिंसा दोतरफा होती है इसलिए भी हम एफआईआर के वर्गीकरण को देखना चाहते हैं. इस पर मैतेई समुदाय के एक वकील ने कहा, “वहां लोगों से हथियार जब्त किए जाने की जरूरत है. कोर्ट इस पर भी विचार करे।

सीजेआई ने मैतेई समुदाय के वकील की बात पर कहा, “हां, ये भी जरूरी है. इस बात पर भी पूरा ध्यान दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि मामले की सुनवाई अब 1 अगस्त को दोपहर 2 बजे होगी।

बीच बाजार में भी सुरक्षित नहीं हैं उत्तराखंड की बेटियां, मणिपुर जैसे हालात अब यहां भी…

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क्या उत्तराखंड ने अंकिता भंडारी केस से कुछ सीख ली ? क्या मणिपुर बनने की राह पर है उत्तराखंड? उत्तराखंड की कानून व्यवस्था और सरकार के खोखले दावे तो यहीं दर्शाते हैं, ऐसा कहने को हम तब मजबूर हो जाते हैं जब ये सामने आता है कि देहरादून जिसे राजधानी भी कहते हैं और वहां के व्यस्ततम चौराहे से एक खबर आती है कि भरे बाजार में अपनी दुकान पर काम कर रही लड़की के साथ सरेआम एक ऐसी घटना हो जाती है जो न केवल हमे डराती है बल्कि आसपास के जितने भी लोग इस घटना को देखते हैं डर से सिहर उठते हैं और हमें  ये सोचने को मजबूर करती है कि क्या लडकिया इस प्रदेश में सुरक्षित हैं, और कानून व्यवस्था की बात करने वाला पुलिस  प्रशासन कहाँ सोया है, बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ वाली डबल इंजन सरकार कहाँ सोई है?

देहरादून जिसे इस प्रदेश की  राजधानी भी कहा जाता है, जहां इस प्रदेश के मुखिया से लेकर उनके मंत्री और पूरी सरकार सहित सभी विभाग और अधिकारी बैठते हैं,कानून से जुड़े बड़े-बड़े अधिकारी भी यहीं रहते हैं अगर वहां पर दिन दहाड़े एक बेटी के साथ ऐसा होता है तो सीधा सवाल यहां की सरकार और पुलिस की कानून व्यवस्था पर उठते हैं ।
दुकानदार भी दहशत में- 
दरसल पूरा मामला कुछ इस तरह है कि देहरादून के डीबीएस कालेज के सामने टिहरी जिले की एक युवती एक साइबर कैफे की दुकान चलाती है, अचानक दिन में 20 से 25 लड़के मुहँ ढक कर वहां पर आते हैं और दुकान के अंदर घुस जाते हैं,उस युवती के गल्ले से पैसे निकालते हैं और उस युवती को घसीटते है, और ये घटना कोई रात को नहीं भरी दोपहरी में होती है, दूर गाँव से आकर अपना स्वरोजगार कर रही युवती इस घटना के बाद इतने ख़ौफ़ में है और न केवल युवती बल्कि आसपास के दुकानदार भी दहशत में है,अब आप सोचिए अगर भरी दोपहरी में इतनी भीड़ भाड़ वाले इलाके में भी अगर एक पाहड़ कि बेटी सुरक्षित नहीं हैं तो फिर अंदाजा लगाया जा सकता है कि बेटियां उत्तराखंड में कितनी सुरक्षित है,,और हमारी मित्र पुलिस शिकायत के बाद भी कई घण्टो तक घटना स्थल पर तक आने की जहमत नहीं उठाती, जबकि पास ही ssp ऑफिस से लेकर थाना चौकी मौजूद हो, जो दिखाता है कि हमारी पुलिस कितनी एक्टिव है। जब जाकर ये मामला मीडिया में उछला तब जाकर पुलिस ने इस पर रिपोर्ट लिखी।

 

कब तक महिलाएं सुरक्षित नहीं- 

 

अब सवाल ये उठता है कि क्या पुलिस ये इंतजार कर रही थी कि मणिपुर या अंकिता भंडारी जैसी घटना इस युवती के साथ हो जाती तो क्या तब जाकर पुलिस यहां कोई कारवाही करती,और क्या इस तरह बेटी बचेगी और बेटी पढ़ेगी,जब राजधानी और बीच बाजार में एक युवती जो अपने परिवार का सहारा बनने की कोशिश कर रही हो उसके साथ ये सब हो जाता है तो क्या इस तरह के माहौल में कोई और बेटी घर से बाहर आकर स्वरोजगार कर सकती है, इस तरह के माहौल में क्या कोई आत्म निर्भर और स्वरोजगार करने की हिम्मत करेगा.

इतना ही नहीं आज सुबह ही खबर आयी है कि राजधानी देहरादून के VVIP  इलाकों में शुमार कैंट रोड में एक महिला का शव मिला है. महिला के साथ दुराचार के बाद हत्या की आशंका व्यक्त की जा रही है. हालांकि पुलिस ने  महिला का शव बरामद करते हुए एक संदिग्ध युवक को भी हिरासत में ले लिया है, और मामले की जांच की जा रही है. आपको बता दें कि  सेंटीरियो मॉल के सामने महिला का शव मिलने से आस-पास के लोगों में सनसनी फैल गयी। महिला के सिर और पैर में गहरी चोट के निशान है। सूचना मिलने पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को बरामद किया। जिसके बाद पुलिस ने बॉडी मोर्चरी में रखवाई। आशंका जताई जा रही है कि महिला के साथ दुराचार के बाद हत्या कर दी गई।

 

आरोपियों की तलाश जारी- 
एक ऐसी ही खबर हरिद्वार श्यामपुर थाना क्षेत्र से आयी है, जहां एक किशोरी को रुड़की में तीन दिन तक बंधक बनाकर उससे सामूहिक दुष्कर्म का मामला भी सामने आया है। बहादराबाद क्षेत्र में श्यामपुर क्षेत्र के एक गांव निवासी किशोरी दो महीने से दिहाड़ी मजदूरी करने के लिए आ रही थी। दिहाड़ी पर आने के बाद चार दिन पहले उसका नंबर बंद हो गया। संपर्क न होने पर परिजन बहाराबाद पहुंचे तो किशोरी उन्हें नहीं मिली। परिजनों ने पुलिस को शिकायत दी। श्यामपुर पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर तलाश शुरू की। दिहाड़ी मजदूरी करने वाली किशोरी को उसकी परिचित युवती ने तीन युवकों के हवाले किया था। जबकि आरोपी युवक और युवती की तलाश शुरू कर दी गई है। पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद किशोरी को रुड़की से बरामद कर लिया है। पुलिस ने बताया कि आरोपियों की तलाश की जा रही है. जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा.  ये पता चलते ही परिजनों के होश उड़ गए। इस घटना ने सरकार और कानून व्यवस्था की  महिला सुरक्षा को लेकर  पोल खोल कर रख दी है. ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन भी दूर नहीं जब उत्तराखंड की बेटियों का घर से बाहर आना मुश्किल हो जाएगा।

इंडियन नेशनल डेवोलपमेंटल इंक्लूसिव अलाइंस में सोनिया गांधी की एंट्री…

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सोनिया गांधी,, वो नाम जो यूपीए की जीत के दौरान प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में सबसे आगे था, और माना जा रहा था कि सोनिया गांधी ही देश की प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं, लेकिन अचानक इन अटकलों को विराम देते हुए सोनिया ने एक ऐसा फैसला लिया जिसने सबको चौंका दिया और वो था प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन का नाम घोषित करना, इतना ही नहीं दूसरी बार भी प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने मनमोहन सिंह को ही चुना,सोनिया गांधी के ये वो फैसले थे जिसके बाद देश में हर जगह उनकी चर्चा हुई, एक बार फिर मोदी सरकार को हटाने में सोनिया गांधी की एक अहम भूमिका होने वाली है,, बहुत समय से स्वास्थ्य कारणों से राजनीती में कम ही सक्रिय रही सोनिया गांधी के एक बार फिर से सक्रिय होने के क्या मायने हैं, इससे कांग्रेस पर क्या असर पड़ सकता है।

 

17 और 18 जुलाई को हुई थी बैठक-

सोनिया गांधी ने हाल ही के दिनों में अपनी राजनीतिक गतिविधि भले ही कम कर दी हों, मगर उनकी एक गरिमा है,,  गठबंधन को चलाने का अनुभव है,, नेतृत्व देने की क्षमता है,,  इसलिए अब सबकी निगाहें 17 और 18 जुलाई को बेंगलुरु में होने होने वाली बैठक पर थी. बेंगलुरु में 17 और 18 जुलाई को होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में सोनिया गांधी भी मौजूद रही. 17 जुलाई को सोनिया गांधी ने सभी विपक्षी नेताओं को डिनर पर भी बुलाया था. अभी तक सोनिया गांधी ने अपनी राजनीतिक गतिविधि को कम कर रखा था, मगर बेंगलुरु की बैठक के लिए वो पूरी तरह तैयार थी. उनके इस बैठक में शामिल होने से ये भी तय हो गया कि मोर्चा के नेतृत्व के सवाल पर कांग्रेस गंभीर है, और अपना दावा बनाए रखना चाहती है।

 

सोनिया गांधी के आने से स्थिति साफ-

 अभी तक लग रहा था कि विपक्ष का नेतृत्व नीतीश कुमार या शरद पवार कर रहे हैं. जाहिर है विपक्षी दलों की पहली बैठक पटना में हुई. उससे पहले सभी नेता शरद पवार से मिलने मुंबई का चक्कर काट रहे थे. मगर सोनिया गांधी के आने से स्थिति साफ हो गई है. वजह है, कि सोनिया गांधी UPA की चेयरपर्सन हैं. वो 2004 और 2009 में सत्ता में UPA   को ला चुकी हैं. उन्हें गठबंधन चलाने का पूरा अनुभव है.  2004 में सोनिया को उस वक्त सफलता मिली थी, जब उनके खिलाफ वाजपेयी और आडवाणी जैसे क़द्दावर नेता थे. सोनिया गांधी को सक्रिय राजनीति में आए 10 साल भी नहीं हुए थे. हां… ये बात जरूर है कि इस बार उनके खिलाफ मोदी और शाह की जोड़ी है. उनके पास ना तो सलाहकार के तौर पर अहमद पटेल हैं. न ही राजनीति सूझबूझ रखने वाले हरकिशन सिंह सुरजीत. मगर इस बार उनके पास शरद पवार, खरगे और नीतीश कुमार हैं।

 

आखिर क्यों चुना बैठक के लिए बेंगलुरु को-

सोनिया गांधी ने बैठक में शामिल होने के लिए बेंगलुरु को चुना है, जहां कांग्रेस की सरकार है, अपना मुख्यमंत्री है, और जिसने बीजेपी को हरा कर सत्ता हासिल की है. पटना में जेडीयू-आरजेडी की सरकार है. जबकि कांग्रेस गठबंधन में है. कर्नाटक से गांधी परिवार का रिश्ता काफ़ी पुराना है. इंदिरा गांधी इमरजेंसी के बाद कर्नाटक के चिकमंगलूर से चुनाव लड़ी थीं. सोनिया गांधी ने भी राजनीति में शुरुआत बेल्लारी से पर्चा भर कर किया था. सोनिया गांधी का विपक्ष के उन नेताओं से भी रिश्ते काफी अच्छे हैं, जो राहुल गांधी के सामने अपने आप को असहज पाते हैं. जैसे ममता बनर्जी… लालू यादव भारतीय राजनीति में सोनिया गांधी के जबरदस्त फैन हैं. शरद पवार से उनके राजनीतिक संबंध काफी मधुर हैं. क्योंकि एनसीपी बनाने के तुरंत बाद ही सोनिया ने पवार के साथ गठबंधन में महाराष्ट्र में सरकार बनाई थी, जब विलास राव देशमुख मुख्यमंत्री बने थे।

 

सोनिया गांधी के आने से कई को राहत-

नीतीश कुमार ने भी पिछले साल सितंबर में विपक्षी एकता के लिए उनसे मुलाकात की थी. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि सोनिया गांधी के बेंगलुरु की बैठक में शामिल होने पर कांग्रेस का विपक्ष को नेतृत्व करने का दावा मज़बूत हो जाएगा. कई नेता ये मान चुके हैं कि बिना कांग्रेस के विपक्ष का कोई मोर्चा संभव नहीं है.. इस बात को लेकर तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव गठबंधन से अलग हो गए मगर ममता बनर्जी ने ना-ना करते हुए आखिर में हां कर दी. अब सोनिया गांधी के आने से उन्हें भी राहत मिली होगी।

 

यूपी-बिहार राज्यों में विपक्षी एकता को मिलेगी मजबूती-

अभी हाल ही में जिस तरह अविश्वास प्रस्ताव के दौरान विपक्षी दलों में नाराजगी  देखने को मिली थी. जिसे सोनिया गाँधी ने ही संभाला. इससे ये तो साफ़ है कि सोनिया में पुरे विपक्ष को एकजुट रखने की क्षमता है, और सभी दल सोनिया की कहि बात पर विश्वास भी करते हैं,सोनिया गांधी की उपस्थिति और अनुभव मददगार हो सकती है. खासकर अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ। अतीत में दोनों दलों के बीच समीकरण अच्छे नहीं रहे हैं.अगर इनसे बात बनती है तो उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में विपक्षी एकता को मजबूती मिलेगी.. माना जा रहा है कि अखिलेश या तेजस्वी यादव जो कि राहुल गांधी के लगभग हमउम्र हैं, वो सोनिया गांधी की बात को तवज्जो देंगे। यहां तक कि ममता और लालू यादव जैसे वरिष्ठ नेताओं के बीच भी सोनिया फैक्टर ज्यादा मददगार होगा। मल्लिकार्जुन खड़गे का अनुभव और राहुल गांधी का उत्साह इसे और बेहतर बनाएगा। इसके जरिए विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस को फिर से उभारने और सोनिया को केंद्र में रखना अहम होगा।

 

INDIA के लिए भी हो सकता है अच्छा संकेत साबित-

सोनिया गांधी ने हाल के दिनों में अपनी राजनीतिक गतिविधि भले ही कम कर दी हों, मगर उनकी एक गरिमा है,, गठबंधन को चलाने का अनुभव है,, नेतृत्व देने की क्षमता है,, इसलिए अब सबकी निगाहें आने वाली  गटबंधन की  बैठक पर है, जहां संभव है की 2024 के लिए 24 दलों के इस मोर्चा इंडिया का कोई प्रारूप  दिया जाए. अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी जैसा कोई नाम सामने आए या नीतीश कुमार या शरद पवार जैसा संयोजक. गठबंधन द्वारा  कुछ  वर्किंग ग्रुप बनाए जाने की भी संभावना है, जो गठबंधन के मुद्दे, उनकी रणनीति, रैलियों की प्लानिंग, और विपक्ष का एक ही उम्मीदवार मैदान में हो उसकी रूपरेखा तैयार करेगा. अब देखना होगा की क्या पहले की तरह सोनिया गाँधी पुरे विपक्ष को एकजुट रख पाएगी और उनका प्रमुख भूमिका में रहना क्या गठबंधन के सभी दलों को भायेगा,अगर ऐसा हुआ तो निश्चित् ही गठबंधन में कांग्रेस का दावा सबसे ऊपर हो सकता है, ये न केवल कांग्रेस बल्कि मोदी विरोधी धड़े INDIA के लिए भी अच्छा संकेत साबित हो सकता है।